११
يُّرْسِلِ السَّمَاۤءَ عَلَيْكُمْ مِّدْرَارًاۙ ١١
- yur'sili
- يُرْسِلِ
- वो भेजेगा
- l-samāa
- ٱلسَّمَآءَ
- आसमान को
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर
- mid'rāran
- مِّدْرَارًا
- ख़ूब बरसने वाला
'वह बादल भेजेगा तुमपर ख़ूब बरसनेवाला, ([७१] नूह: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
وَّيُمْدِدْكُمْ بِاَمْوَالٍ وَّبَنِيْنَ وَيَجْعَلْ لَّكُمْ جَنّٰتٍ وَّيَجْعَلْ لَّكُمْ اَنْهٰرًاۗ ١٢
- wayum'did'kum
- وَيُمْدِدْكُم
- और वो मदद करेगा तुम्हारी
- bi-amwālin
- بِأَمْوَٰلٍ
- साथ मालों
- wabanīna
- وَبَنِينَ
- और बेटों के
- wayajʿal
- وَيَجْعَل
- और वो बनाएगा
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात
- wayajʿal
- وَيَجْعَل
- और वो बनाएगा
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- anhāran
- أَنْهَٰرًا
- नहरें
'और वह माल और बेटों से तुम्हें बढ़ोतरी प्रदान करेगा, और तुम्हारे लिए बाग़ पैदा करेगा और तुम्हारे लिए नहरें प्रवाहित करेगा ([७१] नूह: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
مَا لَكُمْ لَا تَرْجُوْنَ لِلّٰهِ وَقَارًاۚ ١٣
- mā
- مَّا
- क्या है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हें
- lā
- لَا
- नहीं तुम तवक़्क़ो रखते
- tarjūna
- تَرْجُونَ
- नहीं तुम तवक़्क़ो रखते
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- waqāran
- وَقَارًا
- किसी वक़ार /अज़मत की
'तुम्हें क्या हो गया है कि तुम (अपने दिलों में) अल्लाह के लिए किसी गौरव की आशा नहीं रखते? ([७१] नूह: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
وَقَدْ خَلَقَكُمْ اَطْوَارًا ١٤
- waqad
- وَقَدْ
- और तहक़ीक़
- khalaqakum
- خَلَقَكُمْ
- उसने पैदा किया तुम्हें
- aṭwāran
- أَطْوَارًا
- मुख़्तलिफ़ मरहलों में
'हालाँकि उसने तुम्हें विभिन्न अवस्थाओं से गुज़ारते हुए पैदा किया ([७१] नूह: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
اَلَمْ تَرَوْا كَيْفَ خَلَقَ اللّٰهُ سَبْعَ سَمٰوٰتٍ طِبَاقًاۙ ١٥
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- taraw
- تَرَوْا۟
- तुमने देखा
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- sabʿa
- سَبْعَ
- सात
- samāwātin
- سَمَٰوَٰتٍ
- आसमानों को
- ṭibāqan
- طِبَاقًا
- ऊपर तले
'क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने किस प्रकार ऊपर तले सात आकाश बनाए, ([७१] नूह: 15)Tafseer (तफ़सीर )
१६
وَّجَعَلَ الْقَمَرَ فِيْهِنَّ نُوْرًا وَّجَعَلَ الشَّمْسَ سِرَاجًا ١٦
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने बनाया
- l-qamara
- ٱلْقَمَرَ
- चाँद को
- fīhinna
- فِيهِنَّ
- उनमें
- nūran
- نُورًا
- नूर
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने बनाया
- l-shamsa
- ٱلشَّمْسَ
- सूरज को
- sirājan
- سِرَاجًا
- चिराग़
'और उनमें चन्द्रमा को प्रकाश और सूर्य का प्रदीप बनाया? ([७१] नूह: 16)Tafseer (तफ़सीर )
१७
وَاللّٰهُ اَنْۢبَتَكُمْ مِّنَ الْاَرْضِ نَبَاتًاۙ ١٧
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- anbatakum
- أَنۢبَتَكُم
- उसने उगाया तुम्हें
- mina
- مِّنَ
- ज़मीन से
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन से
- nabātan
- نَبَاتًا
- उगाना
'और अल्लाह ने तुम्हें धरती से विशिष्ट प्रकार से विकसित किया, ([७१] नूह: 17)Tafseer (तफ़सीर )
१८
ثُمَّ يُعِيْدُكُمْ فِيْهَا وَيُخْرِجُكُمْ اِخْرَاجًا ١٨
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yuʿīdukum
- يُعِيدُكُمْ
- वो एआदा करेगा तुम्हारा
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- wayukh'rijukum
- وَيُخْرِجُكُمْ
- और वो निकालेगा तुम्हें
- ikh'rājan
- إِخْرَاجًا
- निकालना
'फिर वह तुम्हें उसमें लौटाता है और तुम्हें बाहर निकालेगा भी ([७१] नूह: 18)Tafseer (तफ़सीर )
१९
وَاللّٰهُ جَعَلَ لَكُمُ الْاَرْضَ بِسَاطًاۙ ١٩
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- jaʿala
- جَعَلَ
- उसने बनाया
- lakumu
- لَكُمُ
- तुम्हारे लिए
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- bisāṭan
- بِسَاطًا
- बिछौना
'और अल्लाह ने तुम्हारे लिए धरती को बिछौना बनाया, ([७१] नूह: 19)Tafseer (तफ़सीर )
२०
لِّتَسْلُكُوْا مِنْهَا سُبُلًا فِجَاجًا ࣖ ٢٠
- litaslukū
- لِّتَسْلُكُوا۟
- ताकि तुम चलो
- min'hā
- مِنْهَا
- उसके
- subulan
- سُبُلًا
- रास्तों में
- fijājan
- فِجَاجًا
- जो कुशादा हैं
'ताकि तुम उसके विस्तृत मार्गों पर चलो।' ([७१] नूह: 20)Tafseer (तफ़सीर )