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सूरा अल-मारिज - शब्द द्वारा शब्द

Al-Ma'arij

(The Ascending Stairways)

bismillaahirrahmaanirrahiim

سَاَلَ سَاۤىِٕلٌۢ بِعَذَابٍ وَّاقِعٍۙ ١

sa-ala
سَأَلَ
सवाल किया
sāilun
سَآئِلٌۢ
सवाल करने वाले ने
biʿadhābin
بِعَذَابٍ
उस अज़ाब का
wāqiʿin
وَاقِعٍ
जो वाक़ेअ होने वाला है
एक माँगनेवाले ने घटित होनेवाली यातना माँगी, ([७०] अल-मारिज: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

لِّلْكٰفِرِيْنَ لَيْسَ لَهٗ دَافِعٌۙ ٢

lil'kāfirīna
لِّلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
laysa
لَيْسَ
नहीं है
lahu
لَهُۥ
उसे
dāfiʿun
دَافِعٌ
कोई दफ़ा करने वाला
जो इनकार करनेवालो के लिए होगी, उसे कोई टालनेवाला नहीं, ([७०] अल-मारिज: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

مِّنَ اللّٰهِ ذِى الْمَعَارِجِۗ ٣

mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
dhī
ذِى
जो उरूज वाला है
l-maʿāriji
ٱلْمَعَارِجِ
जो उरूज वाला है
वह अल्लाह की ओर से होगी, जो चढ़ाव के सोपानों का स्वामी है ([७०] अल-मारिज: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

تَعْرُجُ الْمَلٰۤىِٕكَةُ وَالرُّوْحُ اِلَيْهِ فِيْ يَوْمٍ كَانَ مِقْدَارُهٗ خَمْسِيْنَ اَلْفَ سَنَةٍۚ ٤

taʿruju
تَعْرُجُ
चढ़ते हैं
l-malāikatu
ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
फ़रिश्ते
wal-rūḥu
وَٱلرُّوحُ
और रूह
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
فِى
एक दिन में
yawmin
يَوْمٍ
एक दिन में
kāna
كَانَ
है
miq'dāruhu
مِقْدَارُهُۥ
मिक़दार जिसकी
khamsīna
خَمْسِينَ
पचास
alfa
أَلْفَ
हज़ार
sanatin
سَنَةٍ
साल
फ़रिश्ते और रूह (जिबरील) उसकी ओर चढ़ते है, उस दिन में जिसकी अवधि पचास हज़ार वर्ष है ([७०] अल-मारिज: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

فَاصْبِرْ صَبْرًا جَمِيْلًا ٥

fa-iṣ'bir
فَٱصْبِرْ
पस सब्र कीजिए
ṣabran
صَبْرًا
सब्र
jamīlan
جَمِيلًا
जमील/ ख़ूबसूरत
अतः धैर्य से काम लो, उत्तम धैर्य ([७०] अल-मारिज: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّهُمْ يَرَوْنَهٗ بَعِيْدًاۙ ٦

innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
yarawnahu
يَرَوْنَهُۥ
वो देखते हैं उसे
baʿīdan
بَعِيدًا
बहुत दूर
वे उसे बहुत दूर देख रहे है, ([७०] अल-मारिज: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

وَّنَرٰىهُ قَرِيْبًاۗ ٧

wanarāhu
وَنَرَىٰهُ
और हम देखते हैं उसे
qarīban
قَرِيبًا
बहुत क़रीब
किन्तु हम उसे निकट देख रहे है ([७०] अल-मारिज: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

يَوْمَ تَكُوْنُ السَّمَاۤءُ كَالْمُهْلِۙ ٨

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
takūnu
تَكُونُ
होगा
l-samāu
ٱلسَّمَآءُ
आसमान
kal-muh'li
كَٱلْمُهْلِ
तेल की तलछट की तरह
जिस दिन आकाश तेल की तलछट जैसा काला हो जाएगा, ([७०] अल-मारिज: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَتَكُوْنُ الْجِبَالُ كَالْعِهْنِۙ ٩

watakūnu
وَتَكُونُ
और होंगे
l-jibālu
ٱلْجِبَالُ
पहाड़
kal-ʿih'ni
كَٱلْعِهْنِ
धुनकी हुई रूई की तरह
और पर्वत रंग-बिरंगे ऊन के सदृश हो जाएँगे ([७०] अल-मारिज: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَلَا يَسْـَٔلُ حَمِيْمٌ حَمِيْمًاۚ ١٠

walā
وَلَا
और ना
yasalu
يَسْـَٔلُ
पूछेगा
ḥamīmun
حَمِيمٌ
कोई गहरा दोस्त
ḥamīman
حَمِيمًا
किसी गहरे दोस्त को
कोई मित्र किसी मित्र को न पूछेगा, ([७०] अल-मारिज: 10)
Tafseer (तफ़सीर )