اِنَّكُمْ لَتَأْتُوْنَ الرِّجَالَ شَهْوَةً مِّنْ دُوْنِ النِّسَاۤءِۗ بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ مُّسْرِفُوْنَ ٨١
- innakum
- إِنَّكُمْ
- बेशक तुम
- latatūna
- لَتَأْتُونَ
- अलबत्ता तुम आते हो
- l-rijāla
- ٱلرِّجَالَ
- मर्दों के पास
- shahwatan
- شَهْوَةً
- शहवत के लिए
- min
- مِّن
- अलावा
- dūni
- دُونِ
- अलावा
- l-nisāi
- ٱلنِّسَآءِۚ
- औरतों के
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- qawmun
- قَوْمٌ
- लोग हो
- mus'rifūna
- مُّسْرِفُونَ
- हद से गुज़रने वाले
तुम स्त्रियों को छोड़कर मर्दों से कामेच्छा पूरी करते हो, बल्कि तुम नितान्त मर्यादाहीन लोग हो ([७] अल-आराफ़: 81)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهٖٓ اِلَّآ اَنْ قَالُوْٓا اَخْرِجُوْهُمْ مِّنْ قَرْيَتِكُمْۚ اِنَّهُمْ اُنَاسٌ يَّتَطَهَّرُوْنَ ٨٢
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kāna
- كَانَ
- था
- jawāba
- جَوَابَ
- जवाब
- qawmihi
- قَوْمِهِۦٓ
- उसकी क़ौम का
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- akhrijūhum
- أَخْرِجُوهُم
- निकाल दो उन्हें
- min
- مِّن
- अपनी बस्ती से
- qaryatikum
- قَرْيَتِكُمْۖ
- अपनी बस्ती से
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- unāsun
- أُنَاسٌ
- कुछ लोग हैं
- yataṭahharūna
- يَتَطَهَّرُونَ
- जो बहुत पाक बनते हैं
उसकी क़ौम के लोगों का उत्तर इसके अतिरिक्त और कुछ न था कि वे बोले, 'निकालो, उन लोगों को अपनी बस्ती से। ये ऐसे लोग है जो बड़े पाक-साफ़ है!' ([७] अल-आराफ़: 82)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَنْجَيْنٰهُ وَاَهْلَهٗٓ اِلَّا امْرَاَتَهٗ كَانَتْ مِنَ الْغٰبِرِيْنَ ٨٣
- fa-anjaynāhu
- فَأَنجَيْنَٰهُ
- पस निजात दी हमने उसे
- wa-ahlahu
- وَأَهْلَهُۥٓ
- और उसके घर वालों को
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- im'ra-atahu
- ٱمْرَأَتَهُۥ
- उसकी बीवी के
- kānat
- كَانَتْ
- थी वो
- mina
- مِنَ
- पीछे रह जाने वालों में से
- l-ghābirīna
- ٱلْغَٰبِرِينَ
- पीछे रह जाने वालों में से
फिर हमने उसे और उसके लोगों को छुटकारा दिया, सिवाय उसकी स्त्री के कि वह पीछे रह जानेवालों में से थी ([७] अल-आराफ़: 83)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ مَّطَرًاۗ فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُجْرِمِيْنَ ࣖ ٨٤
- wa-amṭarnā
- وَأَمْطَرْنَا
- और बरसाई हमने
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- maṭaran
- مَّطَرًاۖ
- एक बारिश
- fa-unẓur
- فَٱنظُرْ
- तो देखो
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- kāna
- كَانَ
- हुआ
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम
- l-muj'rimīna
- ٱلْمُجْرِمِينَ
- मुजरिमों का
और हमने उनपर एक बरसात बरसाई, तो देखो अपराधियों का कैसा परिणाम हुआ ([७] अल-आराफ़: 84)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِلٰى مَدْيَنَ اَخَاهُمْ شُعَيْبًاۗ قَالَ يٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ قَدْ جَاۤءَتْكُمْ بَيِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَوْفُوا الْكَيْلَ وَالْمِيْزَانَ وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ اَشْيَاۤءَهُمْ وَلَا تُفْسِدُوْا فِى الْاَرْضِ بَعْدَ اِصْلَاحِهَاۗ ذٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَۚ ٨٥
- wa-ilā
- وَإِلَىٰ
- और तरफ़ मदयन के
- madyana
- مَدْيَنَ
- और तरफ़ मदयन के
- akhāhum
- أَخَاهُمْ
- उनके भाई
- shuʿayban
- شُعَيْبًاۗ
- शुऐब को (भेजा)
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- uʿ'budū
- ٱعْبُدُوا۟
- इबादत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- mā
- مَا
- नहीं है
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّنْ
- कोई इलाह (बरहक़)
- ilāhin
- إِلَٰهٍ
- कोई इलाह (बरहक़)
- ghayruhu
- غَيْرُهُۥۖ
- उसके सिवा
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- jāatkum
- جَآءَتْكُم
- आ चुकी तुम्हारे पास
- bayyinatun
- بَيِّنَةٌ
- वाज़ेह दलील
- min
- مِّن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْۖ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- fa-awfū
- فَأَوْفُوا۟
- पस पूरा करो
- l-kayla
- ٱلْكَيْلَ
- नाप
- wal-mīzāna
- وَٱلْمِيزَانَ
- और तौल को
- walā
- وَلَا
- और ना
- tabkhasū
- تَبْخَسُوا۟
- तुम कम करके दो
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- ashyāahum
- أَشْيَآءَهُمْ
- चीज़ें उनकी
- walā
- وَلَا
- और ना
- tuf'sidū
- تُفْسِدُوا۟
- तुम फ़साद करो
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- iṣ'lāḥihā
- إِصْلَٰحِهَاۚ
- उसकी इस्लाह के
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये बात
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُم
- हो तुम
- mu'minīna
- مُّؤْمِنِينَ
- ईमान वाले
और मदयनवालों की ओर हमने उनके भाई शुऐब को भेजा। उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगों! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके अतिरिक्त तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण आ चुका है। तो तुम नाप और तौल पूरी-पूरी करो, और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो, और धरती में उसकी सुधार के पश्चात बिगाड़ पैदा न करो। यही तुम्हारे लिए अच्छा है, यदि तुम ईमानवाले हो ([७] अल-आराफ़: 85)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَقْعُدُوْا بِكُلِّ صِرَاطٍ تُوْعِدُوْنَ وَتَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ مَنْ اٰمَنَ بِهٖ وَتَبْغُوْنَهَا عِوَجًاۚ وَاذْكُرُوْٓا اِذْ كُنْتُمْ قَلِيْلًا فَكَثَّرَكُمْۖ وَانْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُفْسِدِيْنَ ٨٦
- walā
- وَلَا
- और ना
- taqʿudū
- تَقْعُدُوا۟
- तुम बैठो
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर रास्ते पर
- ṣirāṭin
- صِرَٰطٍ
- हर रास्ते पर
- tūʿidūna
- تُوعِدُونَ
- तुम धमकाते हो
- wataṣuddūna
- وَتَصُدُّونَ
- और तुम रोकते हो
- ʿan
- عَن
- अल्लाह के रास्ते से
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते से
- man
- مَنْ
- उसे जो
- āmana
- ءَامَنَ
- ईमान लाया
- bihi
- بِهِۦ
- उस पर
- watabghūnahā
- وَتَبْغُونَهَا
- और तुम तलाश करते हो उसमें
- ʿiwajan
- عِوَجًاۚ
- टेढ़ापन
- wa-udh'kurū
- وَٱذْكُرُوٓا۟
- और याद करो
- idh
- إِذْ
- जब
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- qalīlan
- قَلِيلًا
- थोड़े
- fakatharakum
- فَكَثَّرَكُمْۖ
- तो उसने ज़्यादा कर दिया तुम्हें
- wa-unẓurū
- وَٱنظُرُوا۟
- और देखो
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- kāna
- كَانَ
- हुआ
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम
- l-muf'sidīna
- ٱلْمُفْسِدِينَ
- फ़साद करने वालों का
'और प्रत्येक मार्ग पर इसलिए न बैठो कि धमकियाँ दो और उस व्यक्ति को अल्लाह के मार्ग से रोकने लगो जो उसपर ईमान रखता हो और न उस मार्ग को टेढ़ा करने में लग जाओ। याद करो, वह समय जब तुम थोड़े थे, फिर उसने तुम्हें अधिक कर दिया। और देखो, बिगाड़ पैदा करनेवालो का कैसा परिणाम हुआ ([७] अल-आराफ़: 86)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ كَانَ طَاۤىِٕفَةٌ مِّنْكُمْ اٰمَنُوْا بِالَّذِيْٓ اُرْسِلْتُ بِهٖ وَطَاۤىِٕفَةٌ لَّمْ يُؤْمِنُوْا فَاصْبِرُوْا حَتّٰى يَحْكُمَ اللّٰهُ بَيْنَنَاۚ وَهُوَ خَيْرُ الْحٰكِمِيْنَ ۔ ٨٧
- wa-in
- وَإِن
- और अगरचे
- kāna
- كَانَ
- है
- ṭāifatun
- طَآئِفَةٌ
- एक गिरोह
- minkum
- مِّنكُمْ
- तुम में से
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- जो ईमान लाया
- bi-alladhī
- بِٱلَّذِىٓ
- उस चीज़ पर जो
- ur'sil'tu
- أُرْسِلْتُ
- भेजा गया हूँ मैं
- bihi
- بِهِۦ
- साथ जिसके
- waṭāifatun
- وَطَآئِفَةٌ
- और एक गिरोह
- lam
- لَّمْ
- नहीं
- yu'minū
- يُؤْمِنُوا۟
- वो ईमान लाया
- fa-iṣ'birū
- فَٱصْبِرُوا۟
- पस सब्र करो
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yaḥkuma
- يَحْكُمَ
- फ़ैसला कर दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- baynanā
- بَيْنَنَاۚ
- दर्मियान हमारे
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- khayru
- خَيْرُ
- बेहतरीन है
- l-ḥākimīna
- ٱلْحَٰكِمِينَ
- फ़ैसला करने वालों में
'और यदि तुममें एक गिरोह ऐसा है, जो उसपर ईमान लाया है, जिसके साथ मैं भेजा गया हूँ और एक गिरोह ऐसा है, जो उसपर ईमान लाया है, जिसके साथ मैं भेजा गया हूँ और एक गिरोह ईमान नहीं लाया, तो धैर्य से काम लो, यहाँ तक कि अल्लाह हमारे बीच फ़ैसला कर दे। और वह सबसे अच्छा फ़ैसला करनेवाला है।' ([७] अल-आराफ़: 87)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ الْمَلَاُ الَّذِيْنَ اسْتَكْبَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لَنُخْرِجَنَّكَ يٰشُعَيْبُ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَعَكَ مِنْ قَرْيَتِنَآ اَوْ لَتَعُوْدُنَّ فِيْ مِلَّتِنَاۗ قَالَ اَوَلَوْ كُنَّا كَارِهِيْنَ ٨٨
- qāla
- قَالَ
- कहा
- l-mala-u
- ٱلْمَلَأُ
- सरदारों ने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्होंने
- is'takbarū
- ٱسْتَكْبَرُوا۟
- तकब्बुर किया
- min
- مِن
- उसकी क़ौम में से
- qawmihi
- قَوْمِهِۦ
- उसकी क़ौम में से
- lanukh'rijannaka
- لَنُخْرِجَنَّكَ
- अलबत्ता हम ज़रूर निकाल देंगे तुझे
- yāshuʿaybu
- يَٰشُعَيْبُ
- ऐ शुऐब
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उन्हें जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हैं
- maʿaka
- مَعَكَ
- साथ तेरे
- min
- مِن
- अपनी बस्ती से
- qaryatinā
- قَرْيَتِنَآ
- अपनी बस्ती से
- aw
- أَوْ
- या
- lataʿūdunna
- لَتَعُودُنَّ
- अलबत्ता तुम ज़रूर पलटोगे
- fī
- فِى
- हमारी मिल्लत में
- millatinā
- مِلَّتِنَاۚ
- हमारी मिल्लत में
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- awalaw
- أَوَلَوْ
- क्या भला अगरचे
- kunnā
- كُنَّا
- हों हम
- kārihīna
- كَٰرِهِينَ
- नापसंद करने वाले
उनकी क़ौम के सरदारों ने, जो घमंड में पड़े थे, कहा, 'ऐ शुऐब! हम तुझे और तेरे साथ उन लोगों को, जो ईमान लाए है, अपनी बस्ती से निकालकर रहेंगे। या फिर तुम हमारे पन्थ में लौट आओ।' उसने कहा, 'क्या (तुम यही चाहोगे) यद्यपि यह हमें अप्रिय हो जब भी? ([७] अल-आराफ़: 88)Tafseer (तफ़सीर )
قَدِ افْتَرَيْنَا عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا اِنْ عُدْنَا فِيْ مِلَّتِكُمْ بَعْدَ اِذْ نَجّٰىنَا اللّٰهُ مِنْهَاۗ وَمَا يَكُوْنُ لَنَآ اَنْ نَّعُوْدَ فِيْهَآ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ اللّٰهُ رَبُّنَاۗ وَسِعَ رَبُّنَا كُلَّ شَيْءٍ عِلْمًاۗ عَلَى اللّٰهِ تَوَكَّلْنَاۗ رَبَّنَا افْتَحْ بَيْنَنَا وَبَيْنَ قَوْمِنَا بِالْحَقِّ وَاَنْتَ خَيْرُ الْفَاتِحِيْنَ ٨٩
- qadi
- قَدِ
- तहक़ीक़
- if'taraynā
- ٱفْتَرَيْنَا
- गढ़ लिया हमने
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- kadhiban
- كَذِبًا
- झूठ
- in
- إِنْ
- अगर
- ʿud'nā
- عُدْنَا
- पलटें हम
- fī
- فِى
- तुम्हारी मिल्लत में
- millatikum
- مِلَّتِكُم
- तुम्हारी मिल्लत में
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद इसके
- idh
- إِذْ
- जब
- najjānā
- نَجَّىٰنَا
- निजात दी हमें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- min'hā
- مِنْهَاۚ
- उससे
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yakūnu
- يَكُونُ
- है (जायज़)
- lanā
- لَنَآ
- हमारे लिए
- an
- أَن
- कि
- naʿūda
- نَّعُودَ
- हम पलटें
- fīhā
- فِيهَآ
- उसमें
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yashāa
- يَشَآءَ
- चाहे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- rabbunā
- رَبُّنَاۚ
- जो रब है हमारा
- wasiʿa
- وَسِعَ
- घेर रखा है
- rabbunā
- رَبُّنَا
- हमारे रब ने
- kulla
- كُلَّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ पर
- ʿil'man
- عِلْمًاۚ
- इल्म के ऐतबार से
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह ही पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह ही पर
- tawakkalnā
- تَوَكَّلْنَاۚ
- तवक्कल किया हमने
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- if'taḥ
- ٱفْتَحْ
- फ़ैसला कर दे
- baynanā
- بَيْنَنَا
- दर्मियान हमारे
- wabayna
- وَبَيْنَ
- और दर्मियान
- qawminā
- قَوْمِنَا
- हमारी क़ौम के
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ के
- wa-anta
- وَأَنتَ
- और तू
- khayru
- خَيْرُ
- बेहतर है
- l-fātiḥīna
- ٱلْفَٰتِحِينَ
- सब फ़ैसला करने वालों से
'हम अल्लाह पर झूठ घड़नेवाले ठहरेंगे, यदि तुम्हारे पन्थ में लौट आएँ, इसके बाद कि अल्लाह ने हमें उससे छुटकारा दे दिया है। यह हमसे तो होने का नहीं कि हम उसमें पलट कर जाएँ, बल्कि हमारे रब अल्लाह की इच्छा ही क्रियान्वित है। ज्ञान की स्पष्ट से हमारा रब हर चीज़ को अपने घेरे में लिए हुए है। हमने अल्लाह ही पर भरोसा किया है। हमारे रब, हमारे और हमारी क़ौम के बीच निश्चित अटल फ़ैसला कर दे। और तू सबसे अच्छा फ़ैसला करनेवाला है।' ([७] अल-आराफ़: 89)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الْمَلَاُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لَىِٕنِ اتَّبَعْتُمْ شُعَيْبًا ِانَّكُمْ اِذًا لَّخٰسِرُوْنَ ٩٠
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- l-mala-u
- ٱلْمَلَأُ
- सरदारों ने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- min
- مِن
- उसकी क़ौम में से
- qawmihi
- قَوْمِهِۦ
- उसकी क़ौम में से
- la-ini
- لَئِنِ
- अलबत्ता अगर
- ittabaʿtum
- ٱتَّبَعْتُمْ
- पैरवी की तुमने
- shuʿayban
- شُعَيْبًا
- शुऐब की
- innakum
- إِنَّكُمْ
- बेशक तुम
- idhan
- إِذًا
- तब
- lakhāsirūna
- لَّخَٰسِرُونَ
- अलबत्ता ख़सारा पाने वाले हो
और क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया था, बोले, 'यदि तुम शुऐब के अनुयायी बने तो तुम घाटे में पड़ जाओगे।' ([७] अल-आराफ़: 90)Tafseer (तफ़सीर )