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सूरा अल-आराफ़ - Page: 8

Al-A'raf

(The Heights)

७१

قَالَ قَدْ وَقَعَ عَلَيْكُمْ مِّنْ رَّبِّكُمْ رِجْسٌ وَّغَضَبٌۗ اَتُجَادِلُوْنَنِيْ فِيْٓ اَسْمَاۤءٍ سَمَّيْتُمُوْهَآ اَنْتُمْ وَاٰبَاۤؤُكُمْ مَّا نَزَّلَ اللّٰهُ بِهَا مِنْ سُلْطٰنٍۗ فَانْتَظِرُوْٓا اِنِّيْ مَعَكُمْ مِّنَ الْمُنْتَظِرِيْنَ ٧١

qāla
قَالَ
उसने कहा
qad
قَدْ
तहक़ीक़
waqaʿa
وَقَعَ
पड़ चुकी
ʿalaykum
عَلَيْكُم
तुम पर
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rij'sun
رِجْسٌ
नापाकी/गन्दगी
waghaḍabun
وَغَضَبٌۖ
और ग़ज़ब
atujādilūnanī
أَتُجَٰدِلُونَنِى
क्या तुम झगड़ते हो मुझसे
فِىٓ
चंद नामों के बारे में
asmāin
أَسْمَآءٍ
चंद नामों के बारे में
sammaytumūhā
سَمَّيْتُمُوهَآ
नाम रख लिया तुमने उनका
antum
أَنتُمْ
तुमने
waābāukum
وَءَابَآؤُكُم
और तुम्हारे आबा ओ अजदाद ने
مَّا
नहीं
nazzala
نَزَّلَ
उतारी
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
bihā
بِهَا
इसकी
min
مِن
कोई दलील
sul'ṭānin
سُلْطَٰنٍۚ
कोई दलील
fa-intaẓirū
فَٱنتَظِرُوٓا۟
पस इन्तिज़ार करो
innī
إِنِّى
बेशक मैं
maʿakum
مَعَكُم
साथ तुम्हारे
mina
مِّنَ
इन्तिज़ार करने वालों में से हूँ
l-muntaẓirīna
ٱلْمُنتَظِرِينَ
इन्तिज़ार करने वालों में से हूँ
उसने कहा, 'तुम पर तो तुम्हारे रब की ओर से नापाकी थोप दी गई है और प्रकोप टूट पड़ा है। क्या तुम मुझसे उन नामों के लिए झगड़ते हो जो तुमने और तुम्हारे बाप-दादा ने रख छोड़े है, जिनके लिए अल्लाह ने कोई प्रमाण नहीं उतारा? अच्छा, तो तुम भी प्रतीक्षा करो, मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करता हूँ।' ([७] अल-आराफ़: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

فَاَنْجَيْنٰهُ وَالَّذِيْنَ مَعَهٗ بِرَحْمَةٍ مِّنَّا وَقَطَعْنَا دَابِرَ الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَمَا كَانُوْا مُؤْمِنِيْنَ ࣖ ٧٢

fa-anjaynāhu
فَأَنجَيْنَٰهُ
पस निजात दे दी हमने उसे
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उन्हें जो
maʿahu
مَعَهُۥ
उसके साथ थे
biraḥmatin
بِرَحْمَةٍ
साथ रहमत के
minnā
مِّنَّا
अपनी तरफ़ से
waqaṭaʿnā
وَقَطَعْنَا
और काट दी हमने
dābira
دَابِرَ
जड़
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनकी जिन्होंने
kadhabū
كَذَّبُوا۟
झुठलाया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَاۖ
हमारी आयात को
wamā
وَمَا
और ना
kānū
كَانُوا۟
थे वो
mu'minīna
مُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
फिर हमने अपनी दयालुता से उसको और जो लोग उसके साथ थे उन्हें बचा लिया और उन लोगों की जड़ काट दी, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया था और ईमानवाले न थे ([७] अल-आराफ़: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

وَاِلٰى ثَمُوْدَ اَخَاهُمْ صٰلِحًاۘ قَالَ يٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ قَدْ جَاۤءَتْكُمْ بَيِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْۗ هٰذِهٖ نَاقَةُ اللّٰهِ لَكُمْ اٰيَةً فَذَرُوْهَا تَأْكُلْ فِيْٓ اَرْضِ اللّٰهِ وَلَا تَمَسُّوْهَا بِسُوْۤءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٧٣

wa-ilā
وَإِلَىٰ
और तरफ़
thamūda
ثَمُودَ
समूद के
akhāhum
أَخَاهُمْ
उनके भाई
ṣāliḥan
صَٰلِحًاۗ
सालेह को (भेजा)
qāla
قَالَ
उसने कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
uʿ'budū
ٱعْبُدُوا۟
इबादत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
مَا
नहीं है
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّنْ
कोई इलाह (बरहक़)
ilāhin
إِلَٰهٍ
कोई इलाह (बरहक़)
ghayruhu
غَيْرُهُۥۖ
उसके अलावा
qad
قَدْ
तहक़ीक़
jāatkum
جَآءَتْكُم
आ गई तुम्हारे पास
bayyinatun
بَيِّنَةٌ
खुली दलील
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْۖ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
hādhihi
هَٰذِهِۦ
ये
nāqatu
نَاقَةُ
ऊँटनी है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
āyatan
ءَايَةًۖ
एक निशानी
fadharūhā
فَذَرُوهَا
पस छोड़ दो उसे
takul
تَأْكُلْ
वो चरती फिरे
فِىٓ
ज़मीन में
arḍi
أَرْضِ
ज़मीन में
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह की
walā
وَلَا
और ना
tamassūhā
تَمَسُّوهَا
तुम छूना उसे
bisūin
بِسُوٓءٍ
साथ बुराई के
fayakhudhakum
فَيَأْخُذَكُمْ
वरना पकड़ लेगा तुम्हें
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
और समूद की ओर उनके भाई सालेह को भेजा। उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके अतिरिक्त तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण आ चुका है। यह अल्लाह की ऊँटनी तुम्हारे लिए एक निशानी है। अतः इसे छोड़ दो कि अल्लाह की धरती में खाए। और तकलीफ़ पहुँचाने के लिए इसे हाथ न लगाना, अन्यथा तुम्हें एक दुखद यातना आ लेगी।- ([७] अल-आराफ़: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

وَاذْكُرُوْٓا اِذْ جَعَلَكُمْ خُلَفَاۤءَ مِنْۢ بَعْدِ عَادٍ وَّبَوَّاَكُمْ فِى الْاَرْضِ تَتَّخِذُوْنَ مِنْ سُهُوْلِهَا قُصُوْرًا وَّتَنْحِتُوْنَ الْجِبَالَ بُيُوْتًا ۚفَاذْكُرُوْٓا اٰلَاۤءَ اللّٰهِ وَلَا تَعْثَوْا فِى الْاَرْضِ مُفْسِدِيْنَ ٧٤

wa-udh'kurū
وَٱذْكُرُوٓا۟
और याद करो
idh
إِذْ
जब
jaʿalakum
جَعَلَكُمْ
उसने बनाया तुम्हें
khulafāa
خُلَفَآءَ
जानशीन
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
ʿādin
عَادٍ
आद के
wabawwa-akum
وَبَوَّأَكُمْ
और उसने ठिकाना दिया तुम्हें
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
tattakhidhūna
تَتَّخِذُونَ
तुम बनाते हो
min
مِن
उसकी नर्म मिट्टी से
suhūlihā
سُهُولِهَا
उसकी नर्म मिट्टी से
quṣūran
قُصُورًا
महल्लात
watanḥitūna
وَتَنْحِتُونَ
और तुम तराशते हो
l-jibāla
ٱلْجِبَالَ
पहाड़ों को
buyūtan
بُيُوتًاۖ
घरों में
fa-udh'kurū
فَٱذْكُرُوٓا۟
पस याद करो
ālāa
ءَالَآءَ
नेअमतों को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
walā
وَلَا
और ना
taʿthaw
تَعْثَوْا۟
तुम फ़साद करो
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
muf'sidīna
مُفْسِدِينَ
मुफ़सिद बनकर
और याद करो जब अल्लाह ने आद के पश्चात तुम्हें उसका उत्तराधिकारी बनाया और धरती में तुम्हें ठिकाना प्रदान किया। तुम उसके समतल मैदानों में महल बनाते हो और पहाड़ो को काट-छाँट कर भवनों का रूप देते हो। अतः अल्लाह की सामर्थ्य के चमत्कारों को याद करो और धरती में बिगाड़ पैदा करते न फिरो।' ([७] अल-आराफ़: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

قَالَ الْمَلَاُ الَّذِيْنَ اسْتَكْبَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لِلَّذِيْنَ اسْتُضْعِفُوْا لِمَنْ اٰمَنَ مِنْهُمْ اَتَعْلَمُوْنَ اَنَّ صٰلِحًا مُّرْسَلٌ مِّنْ رَّبِّهٖۗ قَالُوْٓا اِنَّا بِمَآ اُرْسِلَ بِهٖ مُؤْمِنُوْنَ ٧٥

qāla
قَالَ
कहा
l-mala-u
ٱلْمَلَأُ
सरदारों ने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
is'takbarū
ٱسْتَكْبَرُوا۟
तकब्बुर किया
min
مِن
उसकी क़ौम में से
qawmihi
قَوْمِهِۦ
उसकी क़ौम में से
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उन्हें जो
us'tuḍ'ʿifū
ٱسْتُضْعِفُوا۟
कमज़ोर समझे जाते थे
liman
لِمَنْ
उनको जो
āmana
ءَامَنَ
ईमान ले आए थे
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
ataʿlamūna
أَتَعْلَمُونَ
क्या तुम जानते हो
anna
أَنَّ
बेशक
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
सालेह
mur'salun
مُّرْسَلٌ
भेजा हुआ है
min
مِّن
अपने रब की तरफ़ से
rabbihi
رَّبِّهِۦۚ
अपने रब की तरफ़ से
qālū
قَالُوٓا۟
उन्होंने कहा
innā
إِنَّا
बेशक हम
bimā
بِمَآ
साथ उस चीज़ के जो
ur'sila
أُرْسِلَ
वो भेजा गया
bihi
بِهِۦ
उस पर
mu'minūna
مُؤْمِنُونَ
ईमान लाने वाले हैं
उसकी क़ौम के सरदार, जो बड़े बने हुए थे, उन कमज़ोर लोगों से, जो उनमें ईमान लाए थे, कहने लगे, 'क्या तुम जानते हो कि सालेह अपने रब का भेजा हुआ (पैग़म्बर) है?' उन्होंने कहा, 'निस्संदेह जिस चीज़ के साथ वह भेजा गया है, हम उसपर ईमान रखते है।' ([७] अल-आराफ़: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

قَالَ الَّذِيْنَ اسْتَكْبَرُوْٓا اِنَّا بِالَّذِيْٓ اٰمَنْتُمْ بِهٖ كٰفِرُوْنَ ٧٦

qāla
قَالَ
कहा
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जिन्होंने
is'takbarū
ٱسْتَكْبَرُوٓا۟
तकब्बुर किया
innā
إِنَّا
बेशक हम
bi-alladhī
بِٱلَّذِىٓ
जिस चीज़ पर
āmantum
ءَامَنتُم
तुम ईमान लाए हो
bihi
بِهِۦ
उसका
kāfirūna
كَٰفِرُونَ
इन्कार करने वाले हैं
उन घमंड करनेवालों ने कहा, 'जिस चीज़ पर तुम ईमान लाए हो, हम तो उसको नहीं मानते।' ([७] अल-आराफ़: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

فَعَقَرُوا النَّاقَةَ وَعَتَوْا عَنْ اَمْرِ رَبِّهِمْ وَقَالُوْا يٰصٰلِحُ ائْتِنَا بِمَا تَعِدُنَآ اِنْ كُنْتَ مِنَ الْمُرْسَلِيْنَ ٧٧

faʿaqarū
فَعَقَرُوا۟
पस उन्होंने कूँचें काट डालीं
l-nāqata
ٱلنَّاقَةَ
ऊँटनी की
waʿataw
وَعَتَوْا۟
और उन्होंने सरकशी की
ʿan
عَنْ
हुक्म से
amri
أَمْرِ
हुक्म से
rabbihim
رَبِّهِمْ
अपने रब के
waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
yāṣāliḥu
يَٰصَٰلِحُ
ऐ सालेह
i'tinā
ٱئْتِنَا
ले आ हमारे पास
bimā
بِمَا
जिसकी
taʿidunā
تَعِدُنَآ
तू धमकी देता है हमें
in
إِن
अगर
kunta
كُنتَ
है तू
mina
مِنَ
रसूलों में से
l-mur'salīna
ٱلْمُرْسَلِينَ
रसूलों में से
फिर उन्होंने उस ऊँटनी की कूचें काट दीं और अपने रब के आदेश की अवहेलना की और बोले, 'ऐ सालेह! हमें तू जिस चीज़ की धमकी देता है, उसे हमपर ले आ, यदि तू वास्तव में रसूलों में से है।' ([७] अल-आराफ़: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

فَاَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ فَاَصْبَحُوْا فِيْ دَارِهِمْ جٰثِمِيْنَ ٧٨

fa-akhadhathumu
فَأَخَذَتْهُمُ
पस पकड़ लिया उन्हें
l-rajfatu
ٱلرَّجْفَةُ
ज़लज़ले ने
fa-aṣbaḥū
فَأَصْبَحُوا۟
तो वो हो गए
فِى
अपने घरों में
dārihim
دَارِهِمْ
अपने घरों में
jāthimīna
جَٰثِمِينَ
औंधे मुँह गिरने वाले
अन्ततः एक हिला मारनेवाली आपदा ने उन्हें आ लिया और वे अपने घरों में आँधे पड़े रह गए ([७] अल-आराफ़: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

فَتَوَلّٰى عَنْهُمْ وَقَالَ يٰقَوْمِ لَقَدْ اَبْلَغْتُكُمْ رِسَالَةَ رَبِّيْ وَنَصَحْتُ لَكُمْ وَلٰكِنْ لَّا تُحِبُّوْنَ النّٰصِحِيْنَ ٧٩

fatawallā
فَتَوَلَّىٰ
पस वो मुँह मोड़ कर चला गया
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
waqāla
وَقَالَ
और कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
ablaghtukum
أَبْلَغْتُكُمْ
पहुँचा दिया था मैंने तुम्हें
risālata
رِسَالَةَ
पैग़ाम
rabbī
رَبِّى
अपने रब का
wanaṣaḥtu
وَنَصَحْتُ
और ख़ैरख़्वाही की मैंने
lakum
لَكُمْ
तुम्हारी
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
لَّا
नहीं तुम पसंद करते
tuḥibbūna
تُحِبُّونَ
नहीं तुम पसंद करते
l-nāṣiḥīna
ٱلنَّٰصِحِينَ
नसीहत करने वालों को
फिर वह यह कहता हुआ उनके यहाँ से फिरा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगों! मैं तो तुम्हें अपने रब का संदेश पहुँचा चुका और मैंने तुम्हारा हित चाहा। परन्तु तुम्हें अपने हितैषी पसन्द ही नहीं आते।' ([७] अल-आराफ़: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

وَلُوْطًا اِذْ قَالَ لِقَوْمِهٖٓ اَتَأْتُوْنَ الْفَاحِشَةَ مَا سَبَقَكُمْ بِهَا مِنْ اَحَدٍ مِّنَ الْعٰلَمِيْنَ ٨٠

walūṭan
وَلُوطًا
और लूत को (भेजा)
idh
إِذْ
जब
qāla
قَالَ
उसने कहा
liqawmihi
لِقَوْمِهِۦٓ
अपनी क़ौम से
atatūna
أَتَأْتُونَ
क्या तुम आते हो
l-fāḥishata
ٱلْفَٰحِشَةَ
बेहयाई को
مَا
नहीं
sabaqakum
سَبَقَكُم
सबक़त की तुम पर
bihā
بِهَا
साथ इसके
min
مِنْ
किसी एक ने
aḥadin
أَحَدٍ
किसी एक ने
mina
مِّنَ
तमाम जहान वालों में से
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहान वालों में से
और हमने लूत को भेजा। जब उसने अपनी क़ौम से कहा, 'क्या तुम वह प्रत्यक्ष अश्लील कर्म करते हो, जिसे दुनिया में तुमसे पहले किसी ने नहीं किया?' ([७] अल-आराफ़: 80)
Tafseer (तफ़सीर )