قَالَ يٰقَوْمِ لَيْسَ بِيْ ضَلٰلَةٌ وَّلٰكِنِّيْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِيْنَ ٦١
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं है
- bī
- بِى
- मुझ में
- ḍalālatun
- ضَلَٰلَةٌ
- कोई गुमराही
- walākinnī
- وَلَٰكِنِّى
- और लेकिन मैं
- rasūlun
- رَسُولٌ
- रसूल हूँ
- min
- مِّن
- रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
- rabbi
- رَّبِّ
- रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगों! किसी गुमराही का मुझसे सम्बन्ध नहीं, बल्कि मैं सारे संसार के रब का एक रसूल हूँ। - ([७] अल-आराफ़: 61)Tafseer (तफ़सीर )
اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّيْ وَاَنْصَحُ لَكُمْ وَاَعْلَمُ مِنَ اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ٦٢
- uballighukum
- أُبَلِّغُكُمْ
- मैं पहुँचाता हूँ तुम्हें
- risālāti
- رِسَٰلَٰتِ
- पैग़ामात
- rabbī
- رَبِّى
- अपने रब के
- wa-anṣaḥu
- وَأَنصَحُ
- और मैं ख़ैरख़्वाही करता हूँ
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारी
- wa-aʿlamu
- وَأَعْلَمُ
- और मैं जानता हूँ
- mina
- مِنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- mā
- مَا
- जो
- lā
- لَا
- नहीं तुम जानते
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- नहीं तुम जानते
'अपने रब के सन्देश पहुँचता हूँ और तुम्हारा हित चाहता हूँ, और मैं अल्लाह की ओर से वह कुछ जानता हूँ, जो तुम नहीं जानते।' ([७] अल-आराफ़: 62)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَعَجِبْتُمْ اَنْ جَاۤءَكُمْ ذِكْرٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَلٰى رَجُلٍ مِّنْكُمْ لِيُنْذِرَكُمْ وَلِتَتَّقُوْا وَلَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ٦٣
- awaʿajib'tum
- أَوَعَجِبْتُمْ
- क्या भला ताज्जुब हुआ तुम्हें
- an
- أَن
- कि
- jāakum
- جَآءَكُمْ
- आई तुम्हारे पास
- dhik'run
- ذِكْرٌ
- एक नसीहत
- min
- مِّن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- ʿalā
- عَلَىٰ
- एक शख़्स पर
- rajulin
- رَجُلٍ
- एक शख़्स पर
- minkum
- مِّنكُمْ
- तुम ही में से
- liyundhirakum
- لِيُنذِرَكُمْ
- ताकि वो डराए तुम्हें
- walitattaqū
- وَلِتَتَّقُوا۟
- और ताकि तुम बचो
- walaʿallakum
- وَلَعَلَّكُمْ
- और ताकि तुम
- tur'ḥamūna
- تُرْحَمُونَ
- तुम रहम किए जाओ
क्या (तुमने मुझे झूठा समझा) और तुम्हें इस पार आश्चर्य हुआ कि तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक आदमी के द्वारा तुम्हारे रब की नसीहत आई? ताकि वह तुम्हें सचेत कर दे और ताकि तुम डर रखने लगो और शायद कि तुमपर दया की जाए ([७] अल-आराफ़: 63)Tafseer (तफ़सीर )
فَكَذَّبُوْهُ فَاَنْجَيْنٰهُ وَالَّذِيْنَ مَعَهٗ فِى الْفُلْكِ وَاَغْرَقْنَا الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَاۗ اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمًا عَمِيْنَ ࣖ ٦٤
- fakadhabūhu
- فَكَذَّبُوهُ
- तो उन्होंने झुठला दिया उसे
- fa-anjaynāhu
- فَأَنجَيْنَٰهُ
- तो निजात दी हमने उसे
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उन्हें जो
- maʿahu
- مَعَهُۥ
- उसके साथ थे
- fī
- فِى
- कश्ती में
- l-ful'ki
- ٱلْفُلْكِ
- कश्ती में
- wa-aghraqnā
- وَأَغْرَقْنَا
- और ग़र्क़ कर दिया हमने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- kadhabū
- كَذَّبُوا۟
- झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَآۚ
- हमारी आयात को
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- qawman
- قَوْمًا
- लोग
- ʿamīna
- عَمِينَ
- अँधे
किन्तु उन्होंने झुठला दिया। अन्ततः हमने उसे और उन लोगों को जो उसके साथ एक नौका में थे, बचा लिया और जिन लोगों ने हमारी आयतों को ग़लत समझा, उन्हें हमने डूबो दिया। निश्चय ही वे अन्धे लोग थे ([७] अल-आराफ़: 64)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَاِلٰى عَادٍ اَخَاهُمْ هُوْدًاۗ قَالَ يٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ٦٥
- wa-ilā
- وَإِلَىٰ
- और तरफ़
- ʿādin
- عَادٍ
- आद के
- akhāhum
- أَخَاهُمْ
- उनके भाई
- hūdan
- هُودًاۗ
- हूद को (भेजा)
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- uʿ'budū
- ٱعْبُدُوا۟
- इबादत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- mā
- مَا
- नहीं तुम्हारे लिए
- lakum
- لَكُم
- नहीं तुम्हारे लिए
- min
- مِّنْ
- कोई इलाह (बरहक़)
- ilāhin
- إِلَٰهٍ
- कोई इलाह (बरहक़)
- ghayruhu
- غَيْرُهُۥٓۚ
- उसके सिवा
- afalā
- أَفَلَا
- क्या भला नहीं
- tattaqūna
- تَتَّقُونَ
- तुम डरते
और आद की ओर उनके भाई हूद को भेजा। उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो, उसके अतिरिक्त तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। तो क्या (इसे सोचकर) तुम डरते नहीं?' ([७] अल-आराफ़: 65)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ الْمَلَاُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖٓ اِنَّا لَنَرٰىكَ فِيْ سَفَاهَةٍ وَّاِنَّا لَنَظُنُّكَ مِنَ الْكٰذِبِيْنَ ٦٦
- qāla
- قَالَ
- कहा
- l-mala-u
- ٱلْمَلَأُ
- सरदारों ने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया था
- min
- مِن
- उसकी क़ौम में से
- qawmihi
- قَوْمِهِۦٓ
- उसकी क़ौम में से
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- lanarāka
- لَنَرَىٰكَ
- अलबत्ता हम देखते हैं तुझे
- fī
- فِى
- बेवक़ूफी में
- safāhatin
- سَفَاهَةٍ
- बेवक़ूफी में
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- lanaẓunnuka
- لَنَظُنُّكَ
- अलबत्ता हम गुमान करते हैं तुझे
- mina
- مِنَ
- झूठों में से
- l-kādhibīna
- ٱلْكَٰذِبِينَ
- झूठों में से
उसकी क़ौम के इनकार करनेवाले सरदारों ने कहा, 'वास्तव में, हम तो देखते है कि तुम बुद्धिहीनता में ग्रस्त हो और हम तो तुम्हें झूठा समझते है।' ([७] अल-आराफ़: 66)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ يٰقَوْمِ لَيْسَ بِيْ سَفَاهَةٌ وَّلٰكِنِّيْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِيْنَ ٦٧
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं है
- bī
- بِى
- मुझ में
- safāhatun
- سَفَاهَةٌ
- कोई बेवक़ूफ़ी
- walākinnī
- وَلَٰكِنِّى
- और लेकिन मैं तो
- rasūlun
- رَسُولٌ
- रसूल हूँ
- min
- مِّن
- रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
- rabbi
- رَّبِّ
- रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं बुद्धिहीनता में कदापि ग्रस्त नहीं हूँ। परन्तु मैं सारे संसार के रब का रसूल हूँ।- ([७] अल-आराफ़: 67)Tafseer (तफ़सीर )
اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّيْ وَاَنَا۠ لَكُمْ نَاصِحٌ اَمِيْنٌ ٦٨
- uballighukum
- أُبَلِّغُكُمْ
- मैं पहुँचाता हूँ तुम्हें
- risālāti
- رِسَٰلَٰتِ
- पैग़ामात
- rabbī
- رَبِّى
- अपने रब के
- wa-anā
- وَأَنَا۠
- और मैं
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- nāṣiḥun
- نَاصِحٌ
- ख़ैरख़्वाह हूँ
- amīnun
- أَمِينٌ
- अमानतदार हूँ
'तुम्हें अपने रब के संदेश पहुँचता हूँ और मैं तुम्हारा विश्वस्त हितैषी हूँ ([७] अल-आराफ़: 68)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَعَجِبْتُمْ اَنْ جَاۤءَكُمْ ذِكْرٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَلٰى رَجُلٍ مِّنْكُمْ لِيُنْذِرَكُمْۗ وَاذْكُرُوْٓا اِذْ جَعَلَكُمْ خُلَفَاۤءَ مِنْۢ بَعْدِ قَوْمِ نُوْحٍ وَّزَادَكُمْ فِى الْخَلْقِ بَصْۣطَةً ۚفَاذْكُرُوْٓا اٰلَاۤءَ اللّٰهِ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ٦٩
- awaʿajib'tum
- أَوَعَجِبْتُمْ
- क्या भला ताज्जुब हुआ तुम्हें
- an
- أَن
- कि
- jāakum
- جَآءَكُمْ
- आई तुम्हारे पास
- dhik'run
- ذِكْرٌ
- एक नसीहत
- min
- مِّن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- ʿalā
- عَلَىٰ
- एक शख़्स पर
- rajulin
- رَجُلٍ
- एक शख़्स पर
- minkum
- مِّنكُمْ
- तुम में से
- liyundhirakum
- لِيُنذِرَكُمْۚ
- ताकि वो डराए तुम्हें
- wa-udh'kurū
- وَٱذْكُرُوٓا۟
- और याद करो
- idh
- إِذْ
- जब
- jaʿalakum
- جَعَلَكُمْ
- उसने बनाया तुम्हें
- khulafāa
- خُلَفَآءَ
- जानशीन
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- qawmi
- قَوْمِ
- क़ौमे
- nūḥin
- نُوحٍ
- नूह के
- wazādakum
- وَزَادَكُمْ
- और उसने ज़्यादा दी तुम्हें
- fī
- فِى
- तख़्लीक़ में
- l-khalqi
- ٱلْخَلْقِ
- तख़्लीक़ में
- baṣ'ṭatan
- بَصْۜطَةًۖ
- फ़राख़ी/फैलाव
- fa-udh'kurū
- فَٱذْكُرُوٓا۟
- पस याद करो
- ālāa
- ءَالَآءَ
- नेअमतों को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tuf'liḥūna
- تُفْلِحُونَ
- तुम फलाह पा जाओ
'क्या (तुमने मुझे झूठा समझा) और तुम्हें इसपर आश्चर्य हुआ कि तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक आदमी के द्वारा तुम्हारे रब की नसीहत आई, ताकि वह तुम्हें सचेत करे? और याद करो, जब उसने नूह की क़ौम के पश्चात तुम्हें उसका उत्तराधिकारी बनाया और शारीरिक दृष्टि से भी तुम्हें अधिक विशालता प्रदान की। अतः अल्लाह की सामर्थ्य के चमत्कारो को याद करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।' ([७] अल-आराफ़: 69)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْٓا اَجِئْتَنَا لِنَعْبُدَ اللّٰهَ وَحْدَهٗ وَنَذَرَ مَا كَانَ يَعْبُدُ اٰبَاۤؤُنَاۚ فَأْتِنَا بِمَا تَعِدُنَآ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِيْنَ ٧٠
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- aji'tanā
- أَجِئْتَنَا
- क्या तू आया है हमारे पास
- linaʿbuda
- لِنَعْبُدَ
- कि हम इबादत करें
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- waḥdahu
- وَحْدَهُۥ
- अकेले उसी की
- wanadhara
- وَنَذَرَ
- और हम छोड़ दें
- mā
- مَا
- जिनकी
- kāna
- كَانَ
- थे
- yaʿbudu
- يَعْبُدُ
- इबादत करते
- ābāunā
- ءَابَآؤُنَاۖ
- हमारे आबा ओ अजदाद
- fatinā
- فَأْتِنَا
- पस ले आओ हमारे पास
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- taʿidunā
- تَعِدُنَآ
- तू धमकी देता है हमें
- in
- إِن
- अगर
- kunta
- كُنتَ
- है तू
- mina
- مِنَ
- सच्चों में से
- l-ṣādiqīna
- ٱلصَّٰدِقِينَ
- सच्चों में से
वे बोले, 'क्या तुम हमारे पास इसलिए आए हो कि अकेले अल्लाह की हम बन्दगी करें और जिनको हमारे बाप-दादा पूजते रहे है, उन्हें छोड़ दें? अच्छा, तो जिसकी तुम हमें धमकी देते हो, उसे हमपर ले आओ, यदि तुम सच्चे हो।' ([७] अल-आराफ़: 70)Tafseer (तफ़सीर )