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सूरा अल-आराफ़ - Page: 7

Al-A'raf

(The Heights)

६१

قَالَ يٰقَوْمِ لَيْسَ بِيْ ضَلٰلَةٌ وَّلٰكِنِّيْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِيْنَ ٦١

qāla
قَالَ
उसने कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
laysa
لَيْسَ
नहीं है
بِى
मुझ में
ḍalālatun
ضَلَٰلَةٌ
कोई गुमराही
walākinnī
وَلَٰكِنِّى
और लेकिन मैं
rasūlun
رَسُولٌ
रसूल हूँ
min
مِّن
रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
rabbi
رَّبِّ
रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगों! किसी गुमराही का मुझसे सम्बन्ध नहीं, बल्कि मैं सारे संसार के रब का एक रसूल हूँ। - ([७] अल-आराफ़: 61)
Tafseer (तफ़सीर )
६२

اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّيْ وَاَنْصَحُ لَكُمْ وَاَعْلَمُ مِنَ اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ٦٢

uballighukum
أُبَلِّغُكُمْ
मैं पहुँचाता हूँ तुम्हें
risālāti
رِسَٰلَٰتِ
पैग़ामात
rabbī
رَبِّى
अपने रब के
wa-anṣaḥu
وَأَنصَحُ
और मैं ख़ैरख़्वाही करता हूँ
lakum
لَكُمْ
तुम्हारी
wa-aʿlamu
وَأَعْلَمُ
और मैं जानता हूँ
mina
مِنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
مَا
जो
لَا
नहीं तुम जानते
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
नहीं तुम जानते
'अपने रब के सन्देश पहुँचता हूँ और तुम्हारा हित चाहता हूँ, और मैं अल्लाह की ओर से वह कुछ जानता हूँ, जो तुम नहीं जानते।' ([७] अल-आराफ़: 62)
Tafseer (तफ़सीर )
६३

اَوَعَجِبْتُمْ اَنْ جَاۤءَكُمْ ذِكْرٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَلٰى رَجُلٍ مِّنْكُمْ لِيُنْذِرَكُمْ وَلِتَتَّقُوْا وَلَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ٦٣

awaʿajib'tum
أَوَعَجِبْتُمْ
क्या भला ताज्जुब हुआ तुम्हें
an
أَن
कि
jāakum
جَآءَكُمْ
आई तुम्हारे पास
dhik'run
ذِكْرٌ
एक नसीहत
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
ʿalā
عَلَىٰ
एक शख़्स पर
rajulin
رَجُلٍ
एक शख़्स पर
minkum
مِّنكُمْ
तुम ही में से
liyundhirakum
لِيُنذِرَكُمْ
ताकि वो डराए तुम्हें
walitattaqū
وَلِتَتَّقُوا۟
और ताकि तुम बचो
walaʿallakum
وَلَعَلَّكُمْ
और ताकि तुम
tur'ḥamūna
تُرْحَمُونَ
तुम रहम किए जाओ
क्या (तुमने मुझे झूठा समझा) और तुम्हें इस पार आश्चर्य हुआ कि तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक आदमी के द्वारा तुम्हारे रब की नसीहत आई? ताकि वह तुम्हें सचेत कर दे और ताकि तुम डर रखने लगो और शायद कि तुमपर दया की जाए ([७] अल-आराफ़: 63)
Tafseer (तफ़सीर )
६४

فَكَذَّبُوْهُ فَاَنْجَيْنٰهُ وَالَّذِيْنَ مَعَهٗ فِى الْفُلْكِ وَاَغْرَقْنَا الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَاۗ اِنَّهُمْ كَانُوْا قَوْمًا عَمِيْنَ ࣖ ٦٤

fakadhabūhu
فَكَذَّبُوهُ
तो उन्होंने झुठला दिया उसे
fa-anjaynāhu
فَأَنجَيْنَٰهُ
तो निजात दी हमने उसे
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उन्हें जो
maʿahu
مَعَهُۥ
उसके साथ थे
فِى
कश्ती में
l-ful'ki
ٱلْفُلْكِ
कश्ती में
wa-aghraqnā
وَأَغْرَقْنَا
और ग़र्क़ कर दिया हमने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
kadhabū
كَذَّبُوا۟
झुठलाया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَآۚ
हमारी आयात को
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
qawman
قَوْمًا
लोग
ʿamīna
عَمِينَ
अँधे
किन्तु उन्होंने झुठला दिया। अन्ततः हमने उसे और उन लोगों को जो उसके साथ एक नौका में थे, बचा लिया और जिन लोगों ने हमारी आयतों को ग़लत समझा, उन्हें हमने डूबो दिया। निश्चय ही वे अन्धे लोग थे ([७] अल-आराफ़: 64)
Tafseer (तफ़सीर )
६५

۞ وَاِلٰى عَادٍ اَخَاهُمْ هُوْدًاۗ قَالَ يٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَيْرُهٗۗ اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ٦٥

wa-ilā
وَإِلَىٰ
और तरफ़
ʿādin
عَادٍ
आद के
akhāhum
أَخَاهُمْ
उनके भाई
hūdan
هُودًاۗ
हूद को (भेजा)
qāla
قَالَ
उसने कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
uʿ'budū
ٱعْبُدُوا۟
इबादत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
مَا
नहीं तुम्हारे लिए
lakum
لَكُم
नहीं तुम्हारे लिए
min
مِّنْ
कोई इलाह (बरहक़)
ilāhin
إِلَٰهٍ
कोई इलाह (बरहक़)
ghayruhu
غَيْرُهُۥٓۚ
उसके सिवा
afalā
أَفَلَا
क्या भला नहीं
tattaqūna
تَتَّقُونَ
तुम डरते
और आद की ओर उनके भाई हूद को भेजा। उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो, उसके अतिरिक्त तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। तो क्या (इसे सोचकर) तुम डरते नहीं?' ([७] अल-आराफ़: 65)
Tafseer (तफ़सीर )
६६

قَالَ الْمَلَاُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖٓ اِنَّا لَنَرٰىكَ فِيْ سَفَاهَةٍ وَّاِنَّا لَنَظُنُّكَ مِنَ الْكٰذِبِيْنَ ٦٦

qāla
قَالَ
कहा
l-mala-u
ٱلْمَلَأُ
सरदारों ने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया था
min
مِن
उसकी क़ौम में से
qawmihi
قَوْمِهِۦٓ
उसकी क़ौम में से
innā
إِنَّا
बेशक हम
lanarāka
لَنَرَىٰكَ
अलबत्ता हम देखते हैं तुझे
فِى
बेवक़ूफी में
safāhatin
سَفَاهَةٍ
बेवक़ूफी में
wa-innā
وَإِنَّا
और बेशक हम
lanaẓunnuka
لَنَظُنُّكَ
अलबत्ता हम गुमान करते हैं तुझे
mina
مِنَ
झूठों में से
l-kādhibīna
ٱلْكَٰذِبِينَ
झूठों में से
उसकी क़ौम के इनकार करनेवाले सरदारों ने कहा, 'वास्तव में, हम तो देखते है कि तुम बुद्धिहीनता में ग्रस्त हो और हम तो तुम्हें झूठा समझते है।' ([७] अल-आराफ़: 66)
Tafseer (तफ़सीर )
६७

قَالَ يٰقَوْمِ لَيْسَ بِيْ سَفَاهَةٌ وَّلٰكِنِّيْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِيْنَ ٦٧

qāla
قَالَ
उसने कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
laysa
لَيْسَ
नहीं है
بِى
मुझ में
safāhatun
سَفَاهَةٌ
कोई बेवक़ूफ़ी
walākinnī
وَلَٰكِنِّى
और लेकिन मैं तो
rasūlun
رَسُولٌ
रसूल हूँ
min
مِّن
रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
rabbi
رَّبِّ
रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं बुद्धिहीनता में कदापि ग्रस्त नहीं हूँ। परन्तु मैं सारे संसार के रब का रसूल हूँ।- ([७] अल-आराफ़: 67)
Tafseer (तफ़सीर )
६८

اُبَلِّغُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّيْ وَاَنَا۠ لَكُمْ نَاصِحٌ اَمِيْنٌ ٦٨

uballighukum
أُبَلِّغُكُمْ
मैं पहुँचाता हूँ तुम्हें
risālāti
رِسَٰلَٰتِ
पैग़ामात
rabbī
رَبِّى
अपने रब के
wa-anā
وَأَنَا۠
और मैं
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
nāṣiḥun
نَاصِحٌ
ख़ैरख़्वाह हूँ
amīnun
أَمِينٌ
अमानतदार हूँ
'तुम्हें अपने रब के संदेश पहुँचता हूँ और मैं तुम्हारा विश्वस्त हितैषी हूँ ([७] अल-आराफ़: 68)
Tafseer (तफ़सीर )
६९

اَوَعَجِبْتُمْ اَنْ جَاۤءَكُمْ ذِكْرٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَلٰى رَجُلٍ مِّنْكُمْ لِيُنْذِرَكُمْۗ وَاذْكُرُوْٓا اِذْ جَعَلَكُمْ خُلَفَاۤءَ مِنْۢ بَعْدِ قَوْمِ نُوْحٍ وَّزَادَكُمْ فِى الْخَلْقِ بَصْۣطَةً ۚفَاذْكُرُوْٓا اٰلَاۤءَ اللّٰهِ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ٦٩

awaʿajib'tum
أَوَعَجِبْتُمْ
क्या भला ताज्जुब हुआ तुम्हें
an
أَن
कि
jāakum
جَآءَكُمْ
आई तुम्हारे पास
dhik'run
ذِكْرٌ
एक नसीहत
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
ʿalā
عَلَىٰ
एक शख़्स पर
rajulin
رَجُلٍ
एक शख़्स पर
minkum
مِّنكُمْ
तुम में से
liyundhirakum
لِيُنذِرَكُمْۚ
ताकि वो डराए तुम्हें
wa-udh'kurū
وَٱذْكُرُوٓا۟
और याद करो
idh
إِذْ
जब
jaʿalakum
جَعَلَكُمْ
उसने बनाया तुम्हें
khulafāa
خُلَفَآءَ
जानशीन
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
qawmi
قَوْمِ
क़ौमे
nūḥin
نُوحٍ
नूह के
wazādakum
وَزَادَكُمْ
और उसने ज़्यादा दी तुम्हें
فِى
तख़्लीक़ में
l-khalqi
ٱلْخَلْقِ
तख़्लीक़ में
baṣ'ṭatan
بَصْۜطَةًۖ
फ़राख़ी/फैलाव
fa-udh'kurū
فَٱذْكُرُوٓا۟
पस याद करो
ālāa
ءَالَآءَ
नेअमतों को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tuf'liḥūna
تُفْلِحُونَ
तुम फलाह पा जाओ
'क्या (तुमने मुझे झूठा समझा) और तुम्हें इसपर आश्चर्य हुआ कि तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक आदमी के द्वारा तुम्हारे रब की नसीहत आई, ताकि वह तुम्हें सचेत करे? और याद करो, जब उसने नूह की क़ौम के पश्चात तुम्हें उसका उत्तराधिकारी बनाया और शारीरिक दृष्टि से भी तुम्हें अधिक विशालता प्रदान की। अतः अल्लाह की सामर्थ्य के चमत्कारो को याद करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।' ([७] अल-आराफ़: 69)
Tafseer (तफ़सीर )
७०

قَالُوْٓا اَجِئْتَنَا لِنَعْبُدَ اللّٰهَ وَحْدَهٗ وَنَذَرَ مَا كَانَ يَعْبُدُ اٰبَاۤؤُنَاۚ فَأْتِنَا بِمَا تَعِدُنَآ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِيْنَ ٧٠

qālū
قَالُوٓا۟
उन्होंने कहा
aji'tanā
أَجِئْتَنَا
क्या तू आया है हमारे पास
linaʿbuda
لِنَعْبُدَ
कि हम इबादत करें
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
waḥdahu
وَحْدَهُۥ
अकेले उसी की
wanadhara
وَنَذَرَ
और हम छोड़ दें
مَا
जिनकी
kāna
كَانَ
थे
yaʿbudu
يَعْبُدُ
इबादत करते
ābāunā
ءَابَآؤُنَاۖ
हमारे आबा ओ अजदाद
fatinā
فَأْتِنَا
पस ले आओ हमारे पास
bimā
بِمَا
उसे जो
taʿidunā
تَعِدُنَآ
तू धमकी देता है हमें
in
إِن
अगर
kunta
كُنتَ
है तू
mina
مِنَ
सच्चों में से
l-ṣādiqīna
ٱلصَّٰدِقِينَ
सच्चों में से
वे बोले, 'क्या तुम हमारे पास इसलिए आए हो कि अकेले अल्लाह की हम बन्दगी करें और जिनको हमारे बाप-दादा पूजते रहे है, उन्हें छोड़ दें? अच्छा, तो जिसकी तुम हमें धमकी देते हो, उसे हमपर ले आओ, यदि तुम सच्चे हो।' ([७] अल-आराफ़: 70)
Tafseer (तफ़सीर )