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सूरा अल-आराफ़ - Page: 5

Al-A'raf

(The Heights)

४१

لَهُمْ مِّنْ جَهَنَّمَ مِهَادٌ وَّمِنْ فَوْقِهِمْ غَوَاشٍۗ وَكَذٰلِكَ نَجْزِى الظّٰلِمِيْنَ ٤١

lahum
لَهُم
उनके लिए
min
مِّن
जहन्नम से
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम से
mihādun
مِهَادٌ
बिछौना है
wamin
وَمِن
और उनके ऊपर से
fawqihim
فَوْقِهِمْ
और उनके ऊपर से
ghawāshin
غَوَاشٍۚ
ओढ़ना है
wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
najzī
نَجْزِى
हम बदला देंगे
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
उनके लिए बिछौना जहन्नम का होगा और ओढ़ना भी उसी का। अत्याचारियों को हम ऐसा ही बदला देते है ([७] अल-आराफ़: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَا نُكَلِّفُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَآ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَنَّةِۚ هُمْ فِيْهَا خٰلِدُوْنَ ٤٢

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
لَا
नहीं हम तकलीफ़ देते
nukallifu
نُكَلِّفُ
नहीं हम तकलीफ़ देते
nafsan
نَفْسًا
किसी जान को
illā
إِلَّا
मगर
wus'ʿahā
وُسْعَهَآ
उसकी वुसअत के मुताबिक़
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी
l-janati
ٱلْجَنَّةِۖ
जन्नत के
hum
هُمْ
वो
fīhā
فِيهَا
उसमें
khālidūna
خَٰلِدُونَ
हमेशा रहने वाले हैं
इसके विपरित जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए - हम किसी पर उसकी सामर्थ्य से बढ़कर बोझ नहीं डालते - वही लोग जन्नतवाले है। वे उसमें सदैव रहेंगे ([७] अल-आराफ़: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

وَنَزَعْنَا مَا فِيْ صُدُوْرِهِمْ مِّنْ غِلٍّ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهِمُ الْانْهٰرُۚ وَقَالُوا الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِيْ هَدٰىنَا لِهٰذَاۗ وَمَا كُنَّا لِنَهْتَدِيَ لَوْلَآ اَنْ هَدٰىنَا اللّٰهُ ۚ لَقَدْ جَاۤءَتْ رُسُلُ رَبِّنَا بِالْحَقِّۗ وَنُوْدُوْٓا اَنْ تِلْكُمُ الْجَنَّةُ اُوْرِثْتُمُوْهَا بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ٤٣

wanazaʿnā
وَنَزَعْنَا
और निकाल लेंगे हम
مَا
जो
فِى
उनके सीनों में होगा
ṣudūrihim
صُدُورِهِم
उनके सीनों में होगा
min
مِّنْ
कोई कीना
ghillin
غِلٍّ
कोई कीना
tajrī
تَجْرِى
बहती होंगी
min
مِن
उनके नीचे से
taḥtihimu
تَحْتِهِمُ
उनके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُۖ
नहरें
waqālū
وَقَالُوا۟
और वो कहेंगे
l-ḥamdu
ٱلْحَمْدُ
सब तारीफ़
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए है
alladhī
ٱلَّذِى
वो जिसने
hadānā
هَدَىٰنَا
रहनुमाई की हमारी
lihādhā
لِهَٰذَا
इसके लिए
wamā
وَمَا
और ना
kunnā
كُنَّا
थे हम
linahtadiya
لِنَهْتَدِىَ
कि हम हिदायत पाते
lawlā
لَوْلَآ
अगर ना (होता)
an
أَنْ
ये कि
hadānā
هَدَىٰنَا
हिदायत देता हमें
l-lahu
ٱللَّهُۖ
अल्लाह
laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
jāat
جَآءَتْ
आ गए
rusulu
رُسُلُ
रसूल
rabbinā
رَبِّنَا
हमारे रब के
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۖ
साथ हक़ के
wanūdū
وَنُودُوٓا۟
और वो पुकारे जाऐंगे
an
أَن
कि
til'kumu
تِلْكُمُ
ये
l-janatu
ٱلْجَنَّةُ
जन्नत है
ūrith'tumūhā
أُورِثْتُمُوهَا
वारिस बनाए गए हो तुम इसके
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते
उनके सीनों में एक-दूसरे के प्रति जो रंजिश होगी, उसे हम दूर कर देंगे; उनके नीचें नहरें बह रही होंगी और वे कहेंगे, 'प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने इसकी ओर हमारा मार्गदर्शन किया। और यदि अल्लाह हमारा मार्गदर्शन न करतो तो हम कदापि मार्ग नहीं पा सकते थे। हमारे रब के रसूल निस्संदेह सत्य लेकर आए थे।' और उन्हें आवाज़ दी जाएगी, 'यह जन्नत है, जिसके तुम वारिस बनाए गए। उन कर्मों के बदले में जो तुम करते रहे थे।' ([७] अल-आराफ़: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

وَنَادٰٓى اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ اَصْحٰبَ النَّارِ اَنْ قَدْ وَجَدْنَا مَا وَعَدَنَا رَبُّنَا حَقًّا فَهَلْ وَجَدْتُّمْ مَّا وَعَدَ رَبُّكُمْ حَقًّا ۗقَالُوْا نَعَمْۚ فَاَذَّنَ مُؤَذِّنٌۢ بَيْنَهُمْ اَنْ لَّعْنَةُ اللّٰهِ عَلَى الظّٰلِمِيْنَ ٤٤

wanādā
وَنَادَىٰٓ
और पुकारेंगे
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
जन्नत वाले
l-janati
ٱلْجَنَّةِ
जन्नत वाले
aṣḥāba
أَصْحَٰبَ
आग वालों को
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग वालों को
an
أَن
कि
qad
قَدْ
तहक़ीक़
wajadnā
وَجَدْنَا
पा लिया हमने
مَا
जो
waʿadanā
وَعَدَنَا
वादा किया था हम से
rabbunā
رَبُّنَا
हमारे रब ने
ḥaqqan
حَقًّا
सच्चा
fahal
فَهَلْ
तो क्या
wajadttum
وَجَدتُّم
पा लिया तुमने
مَّا
जो
waʿada
وَعَدَ
वादा किया था
rabbukum
رَبُّكُمْ
तुम्हारे रब ने
ḥaqqan
حَقًّاۖ
सच्चा
qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
naʿam
نَعَمْۚ
हाँ
fa-adhana
فَأَذَّنَ
तो पुकारेगा
mu-adhinun
مُؤَذِّنٌۢ
एक पुकारने वाला
baynahum
بَيْنَهُمْ
उनके दर्मियान
an
أَن
कि
laʿnatu
لَّعْنَةُ
लानत हो
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
ʿalā
عَلَى
ज़ालिमों पर
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों पर
जन्नतवाले आगवालों को पुकारेंगे, 'हमसे हमारे रब ने जो वादा किया था, उसे हमने सच पाया। तो क्या तुमसे तुम्हारे रब ने जो वादा कर रखा था, तुमने भी उसे सच पाया?' वे कहेंगे, 'हाँ।' इतने में एक पुकारनेवाला उनके बीच पुकारेगा, 'अल्लाह की फिटकार है अत्याचारियों पर।' ([७] अल-आराफ़: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

اَلَّذِيْنَ يَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَيَبْغُوْنَهَا عِوَجًاۚ وَهُمْ بِالْاٰخِرَةِ كٰفِرُوْنَۘ ٤٥

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yaṣuddūna
يَصُدُّونَ
रोकते थे
ʿan
عَن
अल्लाह के रास्ते से
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते से
wayabghūnahā
وَيَبْغُونَهَا
और वो तलाश करते थे उसमें
ʿiwajan
عِوَجًا
टेढ़ापन
wahum
وَهُم
और वो
bil-ākhirati
بِٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत का
kāfirūna
كَٰفِرُونَ
इन्कार करने वाले थे
जो अल्लाह के मार्ग से रोकते और उसे टेढ़ा करना चाहते है और जो आख़िरत का इनकार करते है, ([७] अल-आराफ़: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

وَبَيْنَهُمَا حِجَابٌۚ وَعَلَى الْاَعْرَافِ رِجَالٌ يَّعْرِفُوْنَ كُلًّا ۢ بِسِيْمٰىهُمْۚ وَنَادَوْا اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ اَنْ سَلٰمٌ عَلَيْكُمْۗ لَمْ يَدْخُلُوْهَا وَهُمْ يَطْمَعُوْنَ ٤٦

wabaynahumā
وَبَيْنَهُمَا
और दर्मियान उन दोनों के
ḥijābun
حِجَابٌۚ
एक हिजाब होगा
waʿalā
وَعَلَى
और आराफ़ पर
l-aʿrāfi
ٱلْأَعْرَافِ
और आराफ़ पर
rijālun
رِجَالٌ
कुछ लोग होंगे
yaʿrifūna
يَعْرِفُونَ
वो पहचानते होंगे
kullan
كُلًّۢا
हर एक को
bisīmāhum
بِسِيمَىٰهُمْۚ
उनकी अलामत से
wanādaw
وَنَادَوْا۟
और वो पुकारेंगे
aṣḥāba
أَصْحَٰبَ
जन्नत वालों को
l-janati
ٱلْجَنَّةِ
जन्नत वालों को
an
أَن
कि
salāmun
سَلَٰمٌ
सलाम हो
ʿalaykum
عَلَيْكُمْۚ
तुम पर
lam
لَمْ
नहीं
yadkhulūhā
يَدْخُلُوهَا
वो दाख़िल हुए होंगे उसमें
wahum
وَهُمْ
और वो
yaṭmaʿūna
يَطْمَعُونَ
वो उम्मीद रखते होंगे
और इन दोनों के मध्य एक ओट होगी। और ऊँचाइयों पर कुछ लोग होंगे जो प्रत्येक को उसके लक्षणों से पहचानते होंगे, और जन्नतवालों से पुकारकर कहेंगे, 'तुम पर सलाम है।' वे अभी जन्नत में प्रविष्ट तो नहीं हुए होंगे, यद्यपि वे आस लगाए होंगे ([७] अल-आराफ़: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

۞ وَاِذَا صُرِفَتْ اَبْصَارُهُمْ تِلْقَاۤءَ اَصْحٰبِ النَّارِۙ قَالُوْا رَبَّنَا لَا تَجْعَلْنَا مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِيْنَ ࣖ ٤٧

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ṣurifat
صُرِفَتْ
फेरी जाऐंगी
abṣāruhum
أَبْصَٰرُهُمْ
निगाहें उनकी
til'qāa
تِلْقَآءَ
तरफ़
aṣḥābi
أَصْحَٰبِ
आग वालों के
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग वालों के
qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
لَا
ना तू कर हमें
tajʿalnā
تَجْعَلْنَا
ना तू कर हमें
maʿa
مَعَ
साथ उन लोगों के
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
साथ उन लोगों के
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
जो ज़ालिम हैं
और जब उनकी निगाहें आगवालों की ओर फिरेंगी, तो कहेंगे, 'हमारे रब, हमें अत्याचारी लोगों में न सम्मिलित न करना।' ([७] अल-आराफ़: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

وَنَادٰٓى اَصْحٰبُ الْاَعْرَافِ رِجَالًا يَّعْرِفُوْنَهُمْ بِسِيْمٰىهُمْ قَالُوْا مَآ اَغْنٰى عَنْكُمْ جَمْعُكُمْ وَمَا كُنْتُمْ تَسْتَكْبِرُوْنَ ٤٨

wanādā
وَنَادَىٰٓ
और पुकारेंगे
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
आराफ़ वाले
l-aʿrāfi
ٱلْأَعْرَافِ
आराफ़ वाले
rijālan
رِجَالًا
कुछ लोगों को
yaʿrifūnahum
يَعْرِفُونَهُم
वो पहचानते होंगे उन्हें
bisīmāhum
بِسِيمَىٰهُمْ
उनकी अलामत से
qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
مَآ
ना
aghnā
أَغْنَىٰ
काम आई
ʿankum
عَنكُمْ
तुम्हें
jamʿukum
جَمْعُكُمْ
जमाअत तुम्हारी
wamā
وَمَا
और जो कुछ
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
tastakbirūna
تَسْتَكْبِرُونَ
तुम तकब्बुर करते
और ये ऊँचाइयोंवाले कुछ ऐसे लोगों से, जिन्हें ये उनके लक्षणों से पहचानते हैं, कहेंगे, 'तुम्हारे जत्थे तो तुम्हारे कुछ काम न आए और न तुम्हारा अकड़ते रहना ही। ([७] अल-आराफ़: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

اَهٰٓؤُلَاۤءِ الَّذِيْنَ اَقْسَمْتُمْ لَا يَنَالُهُمُ اللّٰهُ بِرَحْمَةٍۗ اُدْخُلُوا الْجَنَّةَ لَا خَوْفٌ عَلَيْكُمْ وَلَآ اَنْتُمْ تَحْزَنُوْنَ ٤٩

ahāulāi
أَهَٰٓؤُلَآءِ
क्या यही लोग हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
aqsamtum
أَقْسَمْتُمْ
क़सम खाई थी तुमने
لَا
नहीं पहुँचाएगा उन्हें
yanāluhumu
يَنَالُهُمُ
नहीं पहुँचाएगा उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
biraḥmatin
بِرَحْمَةٍۚ
कोई रहमत
ud'khulū
ٱدْخُلُوا۟
दाख़िल हो जाओ
l-janata
ٱلْجَنَّةَ
जन्नत में
لَا
नहीं
khawfun
خَوْفٌ
कोई ख़ौफ़ होगा
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
walā
وَلَآ
और ना
antum
أَنتُمْ
तुम
taḥzanūna
تَحْزَنُونَ
तुम ग़मगीन होगे
'क्या ये वही हैं ना, जिनके विषय में तुम क़समें खाते थे कि अल्लाह उनपर अपनी दया-दृष्टि न करेगा।' 'जन्नत में प्रवेश करो, तुम्हारे लिए न कोई भय है और न तुम्हें कोई शोक होगा।' ([७] अल-आराफ़: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

وَنَادٰٓى اَصْحٰبُ النَّارِ اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ اَنْ اَفِيْضُوْا عَلَيْنَا مِنَ الْمَاۤءِ اَوْ مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ ۗقَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ حَرَّمَهُمَا عَلَى الْكٰفِرِيْنَۙ ٥٠

wanādā
وَنَادَىٰٓ
और पुकारेंगे
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
आग वाले
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग वाले
aṣḥāba
أَصْحَٰبَ
जन्नत वालों को
l-janati
ٱلْجَنَّةِ
जन्नत वालों को
an
أَنْ
कि
afīḍū
أَفِيضُوا۟
डालो
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हम पर
mina
مِنَ
कुछ पानी
l-māi
ٱلْمَآءِ
कुछ पानी
aw
أَوْ
या
mimmā
مِمَّا
उससे जो
razaqakumu
رَزَقَكُمُ
रिज़्क़ दिया तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह ने
qālū
قَالُوٓا۟
वो कहेंगे
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
ḥarramahumā
حَرَّمَهُمَا
हराम कर दिया उन दोनों को
ʿalā
عَلَى
काफ़िरों पर
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों पर
आगवाले जन्नतवालों को पुकारेंगे कि ,'थोड़ा पानी हमपर बहा दो, या उन चीज़ों में से कुछ दे दो जो अल्लाह ने तुम्हें दी हैं।' वे कहेंगे, 'अल्लाह ने तो ये दोनों चीज़ें इनकार करनेवालों के लिए वर्जित कर दी है।' ([७] अल-आराफ़: 50)
Tafseer (तफ़सीर )