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सूरा अल-आराफ़ - Page: 21

Al-A'raf

(The Heights)

२०१

اِنَّ الَّذِيْنَ اتَّقَوْا اِذَا مَسَّهُمْ طٰۤىِٕفٌ مِّنَ الشَّيْطٰنِ تَذَكَّرُوْا فَاِذَا هُمْ مُّبْصِرُوْنَۚ ٢٠١

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
ittaqaw
ٱتَّقَوْا۟
तक़वा किया
idhā
إِذَا
जब
massahum
مَسَّهُمْ
छू जाता है उन्हें
ṭāifun
طَٰٓئِفٌ
कोई ख़्याल
mina
مِّنَ
शैतान की तरफ़ से
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान की तरफ़ से
tadhakkarū
تَذَكَّرُوا۟
तो वो चौंक पड़ते हैं
fa-idhā
فَإِذَا
फिर यकायक
hum
هُم
वो
mub'ṣirūna
مُّبْصِرُونَ
देखने लगते हैं
जो डर रखते हैं, उन्हें जब शैतान की ओर से कोई ख़याल छू जाता है, तो वे चौंक उठते हैं। फिर वे साफ़ देखने लगते हैं ([७] अल-आराफ़: 201)
Tafseer (तफ़सीर )
२०२

وَاِخْوَانُهُمْ يَمُدُّوْنَهُمْ فِى الْغَيِّ ثُمَّ لَا يُقْصِرُوْنَ ٢٠٢

wa-ikh'wānuhum
وَإِخْوَٰنُهُمْ
और भाई उन (शैतानों) के
yamuddūnahum
يَمُدُّونَهُمْ
वो खींचते हैं उन्हें
فِى
गुमराही में
l-ghayi
ٱلْغَىِّ
गुमराही में
thumma
ثُمَّ
फिर
لَا
नहीं वो कमी करते
yuq'ṣirūna
يُقْصِرُونَ
नहीं वो कमी करते
और उन (शैतानों) के भाई उन्हें गुमराही में खींचे लिए जाते हैं, फिर वे कोई कमी नहीं करते ([७] अल-आराफ़: 202)
Tafseer (तफ़सीर )
२०३

وَاِذَا لَمْ تَأْتِهِمْ بِاٰيَةٍ قَالُوْا لَوْلَا اجْتَبَيْتَهَاۗ قُلْ اِنَّمَآ اَتَّبِعُ مَا يُوْحٰٓى اِلَيَّ مِنْ رَّبِّيْۗ هٰذَا بَصَاۤىِٕرُ مِنْ رَّبِّكُمْ وَهُدًى وَّرَحْمَةٌ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ٢٠٣

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
lam
لَمْ
नहीं
tatihim
تَأْتِهِم
आप लाते उनके पास
biāyatin
بِـَٔايَةٍ
कोई निशानी
qālū
قَالُوا۟
वो कहते हैं
lawlā
لَوْلَا
क्यों ना
ij'tabaytahā
ٱجْتَبَيْتَهَاۚ
चुन लाया तू उसे
qul
قُلْ
कह दीजिए
innamā
إِنَّمَآ
बेशक
attabiʿu
أَتَّبِعُ
मैं पैरवी करता हूँ
مَا
उसकी जो
yūḥā
يُوحَىٰٓ
वही की जाती है
ilayya
إِلَىَّ
तरफ़ मेरे
min
مِن
मेरे रब की तरफ़ से
rabbī
رَّبِّىۚ
मेरे रब की तरफ़ से
hādhā
هَٰذَا
ये
baṣāiru
بَصَآئِرُ
बसीरत की बातें हैं
min
مِن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
wahudan
وَهُدًى
और हिदायत
waraḥmatun
وَرَحْمَةٌ
और रहमत है
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान लाते हैं
और जब तुम उनके सामने कोई निशानी नहीं लाते तो वे कहते हैं, 'तुम स्वयं कोई निशानी क्यों न छाँट लाए?' कह दो, 'मैं तो केवल उसी का अनुसरण करता हूँ जो मेरे रब की ओर से प्रकाशना की जाती है। यह तुम्हारे रब की ओर से अन्तर्दृष्टियों का प्रकाश-पुंज है, और ईमान लानेवालों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता है।' ([७] अल-आराफ़: 203)
Tafseer (तफ़सीर )
२०४

وَاِذَا قُرِئَ الْقُرْاٰنُ فَاسْتَمِعُوْا لَهٗ وَاَنْصِتُوْا لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ٢٠٤

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
quri-a
قُرِئَ
पढ़ा जाए
l-qur'ānu
ٱلْقُرْءَانُ
क़ुरआन
fa-is'tamiʿū
فَٱسْتَمِعُوا۟
पस ग़ौर से सुनो
lahu
لَهُۥ
उसे
wa-anṣitū
وَأَنصِتُوا۟
और ख़ामोश रहो
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tur'ḥamūna
تُرْحَمُونَ
तुम रहम किए जाओ
जब क़ुरआन पढ़ा जाए तो उसे ध्यानपूर्वक सुनो और चुप रहो, ताकि तुमपर दया की जाए ([७] अल-आराफ़: 204)
Tafseer (तफ़सीर )
२०५

وَاذْكُرْ رَّبَّكَ فِيْ نَفْسِكَ تَضَرُّعًا وَّخِيْفَةً وَّدُوْنَ الْجَهْرِ مِنَ الْقَوْلِ بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ وَلَا تَكُنْ مِّنَ الْغٰفِلِيْنَ ٢٠٥

wa-udh'kur
وَٱذْكُر
और ज़िक्र कीजिए
rabbaka
رَّبَّكَ
अपने रब का
فِى
अपने दिल में
nafsika
نَفْسِكَ
अपने दिल में
taḍarruʿan
تَضَرُّعًا
आजिज़ी
wakhīfatan
وَخِيفَةً
और ख़ौफ़ से
wadūna
وَدُونَ
और बग़ैर
l-jahri
ٱلْجَهْرِ
बुलन्द
mina
مِنَ
आवाज़ के
l-qawli
ٱلْقَوْلِ
आवाज़ के
bil-ghuduwi
بِٱلْغُدُوِّ
सुबह के वक़्त
wal-āṣāli
وَٱلْءَاصَالِ
और शाम के वक़्त
walā
وَلَا
और ना
takun
تَكُن
हों आप
mina
مِّنَ
ग़ाफ़िलों में से
l-ghāfilīna
ٱلْغَٰفِلِينَ
ग़ाफ़िलों में से
अपने रब को अपने मन में प्रातः और संध्या के समयों में विनम्रतापूर्वक, डरते हुए और हल्की आवाज़ के साथ याद किया करो। और उन लोगों में से न हो जाओ जो ग़फ़लत में पड़े हुए है ([७] अल-आराफ़: 205)
Tafseer (तफ़सीर )
२०६

اِنَّ الَّذِيْنَ عِنْدَ رَبِّكَ لَا يَسْتَكْبِرُوْنَ عَنْ عِبَادَتِهٖ وَيُسَبِّحُوْنَهٗ وَلَهٗ يَسْجُدُوْنَ ࣖ ۩ ٢٠٦

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो (फ़रिश्ते ) जो
ʿinda
عِندَ
आपके रब के पास हैं
rabbika
رَبِّكَ
आपके रब के पास हैं
لَا
नहीं वो तकब्बुर करते
yastakbirūna
يَسْتَكْبِرُونَ
नहीं वो तकब्बुर करते
ʿan
عَنْ
उसकी इबादत से
ʿibādatihi
عِبَادَتِهِۦ
उसकी इबादत से
wayusabbiḥūnahu
وَيُسَبِّحُونَهُۥ
और वो तस्बीह करते हैं उसकी
walahu
وَلَهُۥ
और उसी को
yasjudūna
يَسْجُدُونَ۩
वो सजदा करते हैं
निस्संदेह जो तुम्हारे रब के पास है, वे उसकी बन्दगी के मुक़ाबले में अहंकार की नीति नहीं अपनाते; वे तो उसकी तसबीह (महिमागान) करते है और उसी को सजदा करते है ([७] अल-आराफ़: 206)
Tafseer (तफ़सीर )