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सूरा अल-आराफ़ - Page: 20

Al-A'raf

(The Heights)

१९१

اَيُشْرِكُوْنَ مَا لَا يَخْلُقُ شَيْـًٔا وَّهُمْ يُخْلَقُوْنَۖ ١٩١

ayush'rikūna
أَيُشْرِكُونَ
क्या वो शरीक ठहराते हैं
مَا
उनको जो
لَا
नहीं वो पैदा कर सकते
yakhluqu
يَخْلُقُ
नहीं वो पैदा कर सकते
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
wahum
وَهُمْ
और वो
yukh'laqūna
يُخْلَقُونَ
वो पैदा किए जाते हैं
क्या वे उसको साझी ठहराते है जो कोई चीज़ भी पैदा नहीं करता, बल्कि ऐसे उनके ठहराए हुए साझीदार तो स्वयं पैदा किए जाते हैं ([७] अल-आराफ़: 191)
Tafseer (तफ़सीर )
१९२

وَلَا يَسْتَطِيْعُوْنَ لَهُمْ نَصْرًا وَّلَآ اَنْفُسَهُمْ يَنْصُرُوْنَ ١٩٢

walā
وَلَا
और नहीं
yastaṭīʿūna
يَسْتَطِيعُونَ
वो इस्तिताअत रखते
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
naṣran
نَصْرًا
किसी मदद की
walā
وَلَآ
और ना
anfusahum
أَنفُسَهُمْ
अपने नफ़्सों की
yanṣurūna
يَنصُرُونَ
वो मदद कर सकते हैं
और वे न तो उनकी सहायता करने की सामर्थ्य रखते है और न स्वयं अपनी ही सहायता कर सकते है? ([७] अल-आराफ़: 192)
Tafseer (तफ़सीर )
१९३

وَاِنْ تَدْعُوْهُمْ اِلَى الْهُدٰى لَا يَتَّبِعُوْكُمْۗ سَوَۤاءٌ عَلَيْكُمْ اَدَعَوْتُمُوْهُمْ اَمْ اَنْتُمْ صَامِتُوْنَ ١٩٣

wa-in
وَإِن
और अगर
tadʿūhum
تَدْعُوهُمْ
तुम बुलाओ उन्हें
ilā
إِلَى
तरफ़ हिदायत के
l-hudā
ٱلْهُدَىٰ
तरफ़ हिदायत के
لَا
नहीं वो पैरवी करेंगे तुम्हारी
yattabiʿūkum
يَتَّبِعُوكُمْۚ
नहीं वो पैरवी करेंगे तुम्हारी
sawāon
سَوَآءٌ
यकसाँ है
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
adaʿawtumūhum
أَدَعَوْتُمُوهُمْ
ख़्वाह बुलाओ तुम उन्हें
am
أَمْ
या
antum
أَنتُمْ
तुम
ṣāmitūna
صَٰمِتُونَ
ख़ामोश रहो
यदि तुम उन्हें सीधे मार्ग की ओर बुलाओ तो वे तुम्हारे पीछे न आएँगे। तुम्हारे लिए बराबर है - उन्हें पुकारो या तुम चुप रहो ([७] अल-आराफ़: 193)
Tafseer (तफ़सीर )
१९४

اِنَّ الَّذِيْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ عِبَادٌ اَمْثَالُكُمْ فَادْعُوْهُمْ فَلْيَسْتَجِيْبُوْا لَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ١٩٤

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्हें
tadʿūna
تَدْعُونَ
तुम पुकारते हो
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
ʿibādun
عِبَادٌ
बन्दे हैं
amthālukum
أَمْثَالُكُمْۖ
तुम्हारी तरह के
fa-id'ʿūhum
فَٱدْعُوهُمْ
पस पुकारो उन्हें
falyastajībū
فَلْيَسْتَجِيبُوا۟
तो चाहिए कि वो जवाब दें
lakum
لَكُمْ
तुम्हें
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
ṣādiqīna
صَٰدِقِينَ
सच्चे
तुम अल्लाह को छोड़कर जिन्हें पुकारते हो वे तो तुम्हारे ही जैसे बन्दे है, अतः पुकार लो उनको, यदि तुम सच्चे हो, तो उन्हें चाहिए कि वे तुम्हें उत्तर दे! ([७] अल-आराफ़: 194)
Tafseer (तफ़सीर )
१९५

اَلَهُمْ اَرْجُلٌ يَّمْشُوْنَ بِهَآ ۖ اَمْ لَهُمْ اَيْدٍ يَّبْطِشُوْنَ بِهَآ ۖ اَمْ لَهُمْ اَعْيُنٌ يُّبْصِرُوْنَ بِهَآ ۖ اَمْ لَهُمْ اٰذَانٌ يَّسْمَعُوْنَ بِهَاۗ قُلِ ادْعُوْا شُرَكَاۤءَكُمْ ثُمَّ كِيْدُوْنِ فَلَا تُنْظِرُوْنِ ١٩٥

alahum
أَلَهُمْ
क्या उनके
arjulun
أَرْجُلٌ
पाँव हैं
yamshūna
يَمْشُونَ
कि वो चलते हों
bihā
بِهَآۖ
साथ उनके
am
أَمْ
या
lahum
لَهُمْ
उनके
aydin
أَيْدٍ
हाथ हैं
yabṭishūna
يَبْطِشُونَ
कि वो पकड़ते हों
bihā
بِهَآۖ
साथ उनके
am
أَمْ
या
lahum
لَهُمْ
उनकी
aʿyunun
أَعْيُنٌ
आँखें हैं
yub'ṣirūna
يُبْصِرُونَ
कि वो देखते हों
bihā
بِهَآۖ
साथ उनके
am
أَمْ
या
lahum
لَهُمْ
उनके
ādhānun
ءَاذَانٌ
कान हैं
yasmaʿūna
يَسْمَعُونَ
कि वो सुनते हों
bihā
بِهَاۗ
साथ उनके
quli
قُلِ
कह दीजिए
id'ʿū
ٱدْعُوا۟
पुकारो
shurakāakum
شُرَكَآءَكُمْ
अपने शरीकों को
thumma
ثُمَّ
फिर
kīdūni
كِيدُونِ
चाल चलो मेरे ख़िलाफ़
falā
فَلَا
फिर ना
tunẓirūni
تُنظِرُونِ
तुम मोहलत दो मुझे
क्या उनके पाँव हैं जिनसे वे चलते हों या उनके हाथ हैं जिनसे वे पकड़ते हों या उनके पास आँखें हीं जिनसे वे देखते हों या उनके कान हैं जिनसे वे सुनते हों? कहों, 'तुम अपने ठहराए हु सहभागियों को बुला लो, फिर मेरे विरुद्ध चालें न चलो, इस प्रकार कि मुझे मुहलत न दो ([७] अल-आराफ़: 195)
Tafseer (तफ़सीर )
१९६

اِنَّ وَلِيِّ َۧ اللّٰهُ الَّذِيْ نَزَّلَ الْكِتٰبَۖ وَهُوَ يَتَوَلَّى الصّٰلِحِيْنَ ١٩٦

inna
إِنَّ
बेशक
waliyyiya
وَلِۦِّىَ
मेरा दोस्त
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह है
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
nazzala
نَزَّلَ
नाज़िल की है
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَۖ
किताब
wahuwa
وَهُوَ
और वो ही
yatawallā
يَتَوَلَّى
दोस्त रखता है
l-ṣāliḥīna
ٱلصَّٰلِحِينَ
सालेहीन को
निश्चय ही मेरा संरक्षक मित्र अल्लाह है, जिसने यह किताब उतारी और वह अच्छे लोगों का संरक्षण करता है ([७] अल-आराफ़: 196)
Tafseer (तफ़सीर )
१९७

وَالَّذِيْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا يَسْتَطِيْعُوْنَ نَصْرَكُمْ وَلَآ اَنْفُسَهُمْ يَنْصُرُوْنَ ١٩٧

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्हें
tadʿūna
تَدْعُونَ
तुम पुकारते हो
min
مِن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦ
उसके सिवा
لَا
नहीं वो इस्तिताअत रखते
yastaṭīʿūna
يَسْتَطِيعُونَ
नहीं वो इस्तिताअत रखते
naṣrakum
نَصْرَكُمْ
तुम्हारी मदद की
walā
وَلَآ
और ना
anfusahum
أَنفُسَهُمْ
अपने नफ़्सों की
yanṣurūna
يَنصُرُونَ
वो मदद कर सकते हैं
रहे वे जिन्हें तुम उसको छोड़कर पुकारते हो, वे तो तुम्हारी, सहायता करने की सामर्थ्य रखते है और न स्वयं अपनी ही सहायता कर सकते है ([७] अल-आराफ़: 197)
Tafseer (तफ़सीर )
१९८

وَاِنْ تَدْعُوْهُمْ اِلَى الْهُدٰى لَا يَسْمَعُوْاۗ وَتَرٰىهُمْ يَنْظُرُوْنَ اِلَيْكَ وَهُمْ لَا يُبْصِرُوْنَ ١٩٨

wa-in
وَإِن
और अगर
tadʿūhum
تَدْعُوهُمْ
तुम पुकारो उन्हें
ilā
إِلَى
तरफ़ हिदायत के
l-hudā
ٱلْهُدَىٰ
तरफ़ हिदायत के
لَا
नहीं वो सुनेंगे
yasmaʿū
يَسْمَعُوا۟ۖ
नहीं वो सुनेंगे
watarāhum
وَتَرَىٰهُمْ
और आप देखेंगे उन्हें
yanẓurūna
يَنظُرُونَ
कि वो देख रहे हैं
ilayka
إِلَيْكَ
तरफ़ आप के
wahum
وَهُمْ
हालाँकि वो
لَا
नहीं वो देख रहे
yub'ṣirūna
يُبْصِرُونَ
नहीं वो देख रहे
और यदि तुम उन्हें सीधे मार्ग की ओर बुलाओ तो वे न सुनेंगे। वे तुम्हें ऐसे दीख पड़ते हैं जैसे वे तुम्हारी ओर ताक रहे हैं, हालाँकि वे कुछ भी नहीं देखते ([७] अल-आराफ़: 198)
Tafseer (तफ़सीर )
१९९

خُذِ الْعَفْوَ وَأْمُرْ بِالْعُرْفِ وَاَعْرِضْ عَنِ الْجَاهِلِيْنَ ١٩٩

khudhi
خُذِ
इख़्तियार कीजिए
l-ʿafwa
ٱلْعَفْوَ
दरगुज़र को
wamur
وَأْمُرْ
और हुक्म दीजिए
bil-ʿur'fi
بِٱلْعُرْفِ
नेकी का
wa-aʿriḍ
وَأَعْرِضْ
और ऐराज़ कीजिए
ʿani
عَنِ
जाहिलों से
l-jāhilīna
ٱلْجَٰهِلِينَ
जाहिलों से
क्षमा की नीति अपनाओ और भलाई का हुक्म देते रहो और अज्ञानियों से किनारा खींचो ([७] अल-आराफ़: 199)
Tafseer (तफ़सीर )
२००

وَاِمَّا يَنْزَغَنَّكَ مِنَ الشَّيْطٰنِ نَزْغٌ فَاسْتَعِذْ بِاللّٰهِ ۗاِنَّهٗ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٢٠٠

wa-immā
وَإِمَّا
और अगर
yanzaghannaka
يَنزَغَنَّكَ
वसवसा आए आपको
mina
مِنَ
शैतान की तरफ़ से
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान की तरफ़ से
nazghun
نَزْغٌ
कोई वसवसा
fa-is'taʿidh
فَٱسْتَعِذْ
पस पनाह तलब कीजिए
bil-lahi
بِٱللَّهِۚ
अल्लाह की
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
samīʿun
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
और यदि शैतान तुम्हें उकसाए तो अल्लाह की शरण माँगो। निश्चय ही, वह सब कुछ सुनता जानता है ([७] अल-आराफ़: 200)
Tafseer (तफ़सीर )