وَلَقَدْ خَلَقْنٰكُمْ ثُمَّ صَوَّرْنٰكُمْ ثُمَّ قُلْنَا لِلْمَلٰۤىِٕكَةِ اسْجُدُوْا لِاٰدَمَ فَسَجَدُوْٓا اِلَّآ اِبْلِيْسَۗ لَمْ يَكُنْ مِّنَ السّٰجِدِيْنَ ١١
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- khalaqnākum
- خَلَقْنَٰكُمْ
- पैदा किया हमने तुम्हें
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ṣawwarnākum
- صَوَّرْنَٰكُمْ
- सूरत बनाई हमने तुम्हारी
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- qul'nā
- قُلْنَا
- कहा हमने
- lil'malāikati
- لِلْمَلَٰٓئِكَةِ
- फ़रिश्तों को
- us'judū
- ٱسْجُدُوا۟
- सजदा करो
- liādama
- لِءَادَمَ
- आदम को
- fasajadū
- فَسَجَدُوٓا۟
- तो उन्होंने सजदा किया
- illā
- إِلَّآ
- सिवाय
- ib'līsa
- إِبْلِيسَ
- इब्लीस के
- lam
- لَمْ
- ना
- yakun
- يَكُن
- था वो
- mina
- مِّنَ
- सजदा करने वालों में से
- l-sājidīna
- ٱلسَّٰجِدِينَ
- सजदा करने वालों में से
हमने तुम्हें पैदा करने का निश्चय किया; फिर तुम्हारा रूप बनाया; फिर हमने फ़रिश्तों से कहो, 'आदम को सजदा करो।' तो उन्होंने सजदा किया, सिवाय इबलीस के। वह (इबलीस) सदजा करनेवालों में से न हुआ ([७] अल-आराफ़: 11)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ مَا مَنَعَكَ اَلَّا تَسْجُدَ اِذْ اَمَرْتُكَ ۗقَالَ اَنَا۠ خَيْرٌ مِّنْهُۚ خَلَقْتَنِيْ مِنْ نَّارٍ وَّخَلَقْتَهٗ مِنْ طِيْنٍ ١٢
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- mā
- مَا
- किसने
- manaʿaka
- مَنَعَكَ
- मना किया तुझे
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- tasjuda
- تَسْجُدَ
- तू सजदा करे
- idh
- إِذْ
- जब कि
- amartuka
- أَمَرْتُكَۖ
- हुक्म दिया था मैंने तुझे
- qāla
- قَالَ
- वो बोला
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर हूँ
- min'hu
- مِّنْهُ
- उससे
- khalaqtanī
- خَلَقْتَنِى
- पैदा किया तूने मुझे
- min
- مِن
- आग से
- nārin
- نَّارٍ
- आग से
- wakhalaqtahu
- وَخَلَقْتَهُۥ
- और पैदा किया तूने उसे
- min
- مِن
- मिट्टी से
- ṭīnin
- طِينٍ
- मिट्टी से
कहा, 'तुझे किसने सजका करने से रोका, जबकि मैंने तुझे आदेश दिया था?' बोला, 'मैं उससे अच्छा हूँ। तूने मुझे अग्नि से बनाया और उसे मिट्टी से बनाया।' ([७] अल-आराफ़: 12)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ فَاهْبِطْ مِنْهَا فَمَا يَكُوْنُ لَكَ اَنْ تَتَكَبَّرَ فِيْهَا فَاخْرُجْ اِنَّكَ مِنَ الصّٰغِرِيْنَ ١٣
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- fa-ih'biṭ
- فَٱهْبِطْ
- पस उतर जा
- min'hā
- مِنْهَا
- इससे
- famā
- فَمَا
- पस नहीं
- yakūnu
- يَكُونُ
- है
- laka
- لَكَ
- तेरे लिए
- an
- أَن
- कि
- tatakabbara
- تَتَكَبَّرَ
- तू तकब्बुर करे
- fīhā
- فِيهَا
- इसमें
- fa-ukh'ruj
- فَٱخْرُجْ
- पस निकल जा
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- mina
- مِنَ
- ज़लील होने वालों में से है
- l-ṣāghirīna
- ٱلصَّٰغِرِينَ
- ज़लील होने वालों में से है
कहा, 'उतर जा यहाँ से! तुझे कोई हक़ नहीं है कि यहाँ घमंड करे, तो अब निकल जा; निश्चय ही तू अपमानित है।' ([७] अल-आराफ़: 13)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ اَنْظِرْنِيْٓ اِلٰى يَوْمِ يُبْعَثُوْنَ ١٤
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- anẓir'nī
- أَنظِرْنِىٓ
- मोहलत दे मुझे
- ilā
- إِلَىٰ
- उस दिन तक
- yawmi
- يَوْمِ
- उस दिन तक
- yub'ʿathūna
- يُبْعَثُونَ
- वो उठाए जाऐंगे (जब)
बोला, 'मुझे एक दिन तक मुहल्लत दे, जबकि लोग उठाए जाएँगे।' ([७] अल-आराफ़: 14)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ اِنَّكَ مِنَ الْمُنْظَرِيْنَ ١٥
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- mina
- مِنَ
- मोहलत दिए जाने वालों में से है
- l-munẓarīna
- ٱلْمُنظَرِينَ
- मोहलत दिए जाने वालों में से है
कहा, 'निस्संदेह तुझे मुहल्लत है।' ([७] अल-आराफ़: 15)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ فَبِمَآ اَغْوَيْتَنِيْ لَاَقْعُدَنَّ لَهُمْ صِرَاطَكَ الْمُسْتَقِيْمَۙ ١٦
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- fabimā
- فَبِمَآ
- पस बवजह उसके जो
- aghwaytanī
- أَغْوَيْتَنِى
- गुमराह किया तूने मुझे
- la-aqʿudanna
- لَأَقْعُدَنَّ
- अलबत्ता मैं ज़रूर बैठूँगा
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ṣirāṭaka
- صِرَٰطَكَ
- तेरे रास्ते
- l-mus'taqīma
- ٱلْمُسْتَقِيمَ
- सीधे पर
बोला, 'अच्छा, इस कारण कि तूने मुझे गुमराही में डाला है, मैं भी तेरे सीधे मार्ग पर उनके लिए घात में अवश्य बैठूँगा ([७] अल-आराफ़: 16)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ لَاٰتِيَنَّهُمْ مِّنْۢ بَيْنِ اَيْدِيْهِمْ وَمِنْ خَلْفِهِمْ وَعَنْ اَيْمَانِهِمْ وَعَنْ شَمَاۤىِٕلِهِمْۗ وَلَا تَجِدُ اَكْثَرَهُمْ شٰكِرِيْنَ ١٧
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- laātiyannahum
- لَءَاتِيَنَّهُم
- अलबत्ता मैं ज़रूर आऊँगा उनके पास
- min
- مِّنۢ
- उनके सामने से
- bayni
- بَيْنِ
- उनके सामने से
- aydīhim
- أَيْدِيهِمْ
- उनके सामने से
- wamin
- وَمِنْ
- और उनके पीछे से
- khalfihim
- خَلْفِهِمْ
- और उनके पीछे से
- waʿan
- وَعَنْ
- और उनके दाऐं से
- aymānihim
- أَيْمَٰنِهِمْ
- और उनके दाऐं से
- waʿan
- وَعَن
- और उनके बाऐं से
- shamāilihim
- شَمَآئِلِهِمْۖ
- और उनके बाऐं से
- walā
- وَلَا
- और ना
- tajidu
- تَجِدُ
- तू पाएगा
- aktharahum
- أَكْثَرَهُمْ
- उनकी अक्सरियत को
- shākirīna
- شَٰكِرِينَ
- शुक्र गुज़ार
'फिर उनके आगे और उनके पीछे और उनके दाएँ और उनके बाएँ से उनके पास आऊँगा। और तू उनमें अधिकतर को कृतज्ञ न पाएगा।' ([७] अल-आराफ़: 17)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ اخْرُجْ مِنْهَا مَذْءُوْمًا مَّدْحُوْرًا ۗ لَمَنْ تَبِعَكَ مِنْهُمْ لَاَمْلَـَٔنَّ جَهَنَّمَ مِنْكُمْ اَجْمَعِيْنَ ١٨
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- ukh'ruj
- ٱخْرُجْ
- निकल जा
- min'hā
- مِنْهَا
- इससे
- madhūman
- مَذْءُومًا
- मज़म्मत किया हुआ
- madḥūran
- مَّدْحُورًاۖ
- रहमत से दूर किया हुआ
- laman
- لَّمَن
- अलबत्ता जो
- tabiʿaka
- تَبِعَكَ
- पैरवी करेगा तेरी
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें से
- la-amla-anna
- لَأَمْلَأَنَّ
- अलबत्ता मैं ज़रूर भर दूँगा
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम को
- minkum
- مِنكُمْ
- तुमसे
- ajmaʿīna
- أَجْمَعِينَ
- सबके सबसे
कहा, 'निकल जा यहाँ से! निन्दित ठुकराया हुआ। उनमें से जिस किसी ने भी तेरा अनुसरण किया, मैं अवश्य तुम सबसे जहन्नम को भर दूँगा।' ([७] अल-आराफ़: 18)Tafseer (तफ़सीर )
وَيٰٓاٰدَمُ اسْكُنْ اَنْتَ وَزَوْجُكَ الْجَنَّةَ فَكُلَا مِنْ حَيْثُ شِئْتُمَا وَلَا تَقْرَبَا هٰذِهِ الشَّجَرَةَ فَتَكُوْنَا مِنَ الظّٰلِمِيْنَ ١٩
- wayāādamu
- وَيَٰٓـَٔادَمُ
- और ऐ आदम
- us'kun
- ٱسْكُنْ
- रहो
- anta
- أَنتَ
- तुम
- wazawjuka
- وَزَوْجُكَ
- और बीवी तुम्हारी
- l-janata
- ٱلْجَنَّةَ
- जन्नत में
- fakulā
- فَكُلَا
- पस दोनों खाओ
- min
- مِنْ
- जहाँ से
- ḥaythu
- حَيْثُ
- जहाँ से
- shi'tumā
- شِئْتُمَا
- तुम दोनों चाहो
- walā
- وَلَا
- और ना
- taqrabā
- تَقْرَبَا
- तुम दोनों क़रीब जाना
- hādhihi
- هَٰذِهِ
- इस दरख़्त के
- l-shajarata
- ٱلشَّجَرَةَ
- इस दरख़्त के
- fatakūnā
- فَتَكُونَا
- वरना तुम दोनों हो जाओगे
- mina
- مِنَ
- ज़ालिमों में से
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों में से
और 'ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी दोनों जन्नत में रहो-बसो, फिर जहाँ से चाहो खाओ, लेकिन इस वृक्ष के निकट न जाना, अन्यथा अत्याचारियों में से हो जाओगे।' ([७] अल-आराफ़: 19)Tafseer (तफ़सीर )
فَوَسْوَسَ لَهُمَا الشَّيْطٰنُ لِيُبْدِيَ لَهُمَا مَا وٗرِيَ عَنْهُمَا مِنْ سَوْاٰتِهِمَا وَقَالَ مَا نَهٰىكُمَا رَبُّكُمَا عَنْ هٰذِهِ الشَّجَرَةِ ِالَّآ اَنْ تَكُوْنَا مَلَكَيْنِ اَوْ تَكُوْنَا مِنَ الْخٰلِدِيْنَ ٢٠
- fawaswasa
- فَوَسْوَسَ
- पस वसवसा डाला
- lahumā
- لَهُمَا
- उन दोनों के लिए
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान ने
- liyub'diya
- لِيُبْدِىَ
- ताकि वो ज़ाहिर कर दे
- lahumā
- لَهُمَا
- उन दोनों के लिए
- mā
- مَا
- जो छुपाई गई थीं
- wūriya
- وُۥرِىَ
- जो छुपाई गई थीं
- ʿanhumā
- عَنْهُمَا
- उन दोनों से
- min
- مِن
- शर्मगाहें उन दोनों की
- sawātihimā
- سَوْءَٰتِهِمَا
- शर्मगाहें उन दोनों की
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- mā
- مَا
- नहीं
- nahākumā
- نَهَىٰكُمَا
- रोका तुम दोनों को
- rabbukumā
- رَبُّكُمَا
- तुम्हारे रब ने
- ʿan
- عَنْ
- इस दरख़्त से
- hādhihi
- هَٰذِهِ
- इस दरख़्त से
- l-shajarati
- ٱلشَّجَرَةِ
- इस दरख़्त से
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- takūnā
- تَكُونَا
- तुम दोनों हो जाओ
- malakayni
- مَلَكَيْنِ
- दो फरिश्ते
- aw
- أَوْ
- या
- takūnā
- تَكُونَا
- तुम दोनों हो जाओ
- mina
- مِنَ
- हमेशा रहने वालों में से
- l-khālidīna
- ٱلْخَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वालों में से
फिर शैतान ने दोनों को बहकाया, ताकि उनकी शर्मगाहों को, जो उन दोनों से छिपी थीं, उन दोनों के सामने खोल दे। और उसने (इबलीस ने) कहा, 'तुम्हारे रब ने तुम दोनों को जो इस वृक्ष से रोका है, तो केवल इसलिए कि ऐसा न हो कि तुम कहीं फ़रिश्ते हो जाओ या कही ऐसा न हो कि तुम्हें अमरता प्राप्त हो जाए।' ([७] अल-आराफ़: 20)Tafseer (तफ़सीर )