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सूरा अल-आराफ़ - Page: 19

Al-A'raf

(The Heights)

१८१

وَمِمَّنْ خَلَقْنَآ اُمَّةٌ يَّهْدُوْنَ بِالْحَقِّ وَبِهٖ يَعْدِلُوْنَ ࣖ ١٨١

wamimman
وَمِمَّنْ
और उनमें से जिन्हें
khalaqnā
خَلَقْنَآ
पैदा किए हमने
ummatun
أُمَّةٌ
एक गिरोह है
yahdūna
يَهْدُونَ
वो रहनुमाई करते हैं
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّ
साथ हक़ के
wabihi
وَبِهِۦ
और साथ उसी के
yaʿdilūna
يَعْدِلُونَ
वो अदल करते हैं
हमारे पैदा किए प्राणियों में कुछ लोग ऐसे भी है जो हक़ के अनुसार मार्ग दिखाते और उसी के अनुसार न्याय करते है ([७] अल-आराफ़: 181)
Tafseer (तफ़सीर )
१८२

وَالَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا سَنَسْتَدْرِجُهُمْ مِّنْ حَيْثُ لَا يَعْلَمُوْنَ ١٨٢

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
kadhabū
كَذَّبُوا۟
झुठलाया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात को
sanastadrijuhum
سَنَسْتَدْرِجُهُم
ज़रूर हम आहिस्ता-आहिस्ता पकड़ेंगे उन्हें
min
مِّنْ
जहाँ से
ḥaythu
حَيْثُ
जहाँ से
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
रहे वे लोग जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया, हम उन्हें क्रमशः तबाही की ओर ले जाएँगे, ऐसे तरीक़े से जिसे वे जानते नहीं ([७] अल-आराफ़: 182)
Tafseer (तफ़सीर )
१८३

وَاُمْلِيْ لَهُمْ ۗاِنَّ كَيْدِيْ مَتِيْنٌ ١٨٣

wa-um'lī
وَأُمْلِى
और मैं मोहलत दे रहा हूँ
lahum
لَهُمْۚ
उन्हें
inna
إِنَّ
बेशक
kaydī
كَيْدِى
तदबीर मेरी
matīnun
مَتِينٌ
बहुत मज़बूत है
मैं तो उन्हें ढील दिए जा रहा हूँ। निश्चय ही मेरी चाल अत्यन्त सुदृढ़ है ([७] अल-आराफ़: 183)
Tafseer (तफ़सीर )
१८४

اَوَلَمْ يَتَفَكَّرُوْا مَا بِصَاحِبِهِمْ مِّنْ جِنَّةٍۗ اِنْ هُوَ اِلَّا نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ١٨٤

awalam
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
yatafakkarū
يَتَفَكَّرُوا۟ۗ
उन्होंने ग़ौरो फ़िक्र किया
مَا
नहीं है
biṣāḥibihim
بِصَاحِبِهِم
उनके साथी को
min
مِّن
कोई जुनून
jinnatin
جِنَّةٍۚ
कोई जुनून
in
إِنْ
नहीं
huwa
هُوَ
वो
illā
إِلَّا
मगर
nadhīrun
نَذِيرٌ
डराने वाला
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
क्या उन लोगों ने विचार नहीं किया? उनके साथी को कोई उन्माद नहीं। वह तो बस एक साफ़-साफ़ सचेत करनेवाला है ([७] अल-आराफ़: 184)
Tafseer (तफ़सीर )
१८५

اَوَلَمْ يَنْظُرُوْا فِيْ مَلَكُوْتِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا خَلَقَ اللّٰهُ مِنْ شَيْءٍ وَّاَنْ عَسٰٓى اَنْ يَّكُوْنَ قَدِ اقْتَرَبَ اَجَلُهُمْۖ فَبِاَيِّ حَدِيْثٍۢ بَعْدَهٗ يُؤْمِنُوْنَ ١٨٥

awalam
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
yanẓurū
يَنظُرُوا۟
उन्होंने देखा
فِى
बादशाहत में
malakūti
مَلَكُوتِ
बादशाहत में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन की
wamā
وَمَا
और जो भी
khalaqa
خَلَقَ
पैदा की
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
min
مِن
कोई चीज़
shayin
شَىْءٍ
कोई चीज़
wa-an
وَأَنْ
और ये कि
ʿasā
عَسَىٰٓ
उम्मीद है
an
أَن
कि
yakūna
يَكُونَ
हो
qadi
قَدِ
तहक़ीक़
iq'taraba
ٱقْتَرَبَ
क़रीब आ चुकी
ajaluhum
أَجَلُهُمْۖ
मुद्दत उनकी
fabi-ayyi
فَبِأَىِّ
तो साथ किस
ḥadīthin
حَدِيثٍۭ
बात के
baʿdahu
بَعْدَهُۥ
बाद उसके
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
वो ईमान लाऐंगे
या क्या उन्होंने आकाशों और धरती के राज्य पर और जो चीज़ भी अल्लाह ने पैदा की है उसपर दृष्टि नहीं डाली, और इस बात पर कि कदाचित उनकी अवधि निकट आ लगी हो? फिर आख़िर इसके बाद अब कौन-सी बात हो सकती है, जिसपर वे ईमान लाएँगे? ([७] अल-आराफ़: 185)
Tafseer (तफ़सीर )
१८६

مَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَلَا هَادِيَ لَهٗ ۖوَيَذَرُهُمْ فِيْ طُغْيَانِهِمْ يَعْمَهُوْنَ ١٨٦

man
مَن
जिसे
yuḍ'lili
يُضْلِلِ
भटका देता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
falā
فَلَا
पस नहीं
hādiya
هَادِىَ
कोई हिदायत देने वाला
lahu
لَهُۥۚ
उसे
wayadharuhum
وَيَذَرُهُمْ
और वो छोड़ देता है उन्हें
فِى
उनकी सरकशी में
ṭugh'yānihim
طُغْيَٰنِهِمْ
उनकी सरकशी में
yaʿmahūna
يَعْمَهُونَ
वो सरगरदाँ फिरते हैं
जिसे अल्लाह मार्ग से वंचित रखे उसके लिए कोई मार्गदर्शक नहीं। वह तो तो उन्हें उनकी सरकशी ही में भटकता हुआ छोड़ रहा है ([७] अल-आराफ़: 186)
Tafseer (तफ़सीर )
१८७

يَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ السَّاعَةِ اَيَّانَ مُرْسٰىهَاۗ قُلْ اِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ رَبِّيْۚ لَا يُجَلِّيْهَا لِوَقْتِهَآ اِلَّا هُوَۘ ثَقُلَتْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ لَا تَأْتِيْكُمْ اِلَّا بَغْتَةً ۗيَسْـَٔلُوْنَكَ كَاَنَّكَ حَفِيٌّ عَنْهَاۗ قُلْ اِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ اللّٰهِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُوْنَ ١٨٧

yasalūnaka
يَسْـَٔلُونَكَ
वो पूछते हैं आप से
ʿani
عَنِ
उस घड़ी (क़यामत) के बारे में
l-sāʿati
ٱلسَّاعَةِ
उस घड़ी (क़यामत) के बारे में
ayyāna
أَيَّانَ
कब है
mur'sāhā
مُرْسَىٰهَاۖ
ठहराना उसका
qul
قُلْ
कह दीजिए
innamā
إِنَّمَا
बेशक
ʿil'muhā
عِلْمُهَا
इल्म उसका
ʿinda
عِندَ
पास है
rabbī
رَبِّىۖ
मेरे रब के
لَا
नहीं ज़ाहिर करेगा उसे
yujallīhā
يُجَلِّيهَا
नहीं ज़ाहिर करेगा उसे
liwaqtihā
لِوَقْتِهَآ
उसके वक़्त पर
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَۚ
वो ही
thaqulat
ثَقُلَتْ
भारी होगी
فِى
आसमानों में
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۚ
और ज़मीन में
لَا
नहीं वो आएगी तुम्हारे पास
tatīkum
تَأْتِيكُمْ
नहीं वो आएगी तुम्हारे पास
illā
إِلَّا
मगर
baghtatan
بَغْتَةًۗ
अचानक
yasalūnaka
يَسْـَٔلُونَكَ
वो पूछते हैं आपसे
ka-annaka
كَأَنَّكَ
गोया कि आप
ḥafiyyun
حَفِىٌّ
पूरे बाख़बर हैं
ʿanhā
عَنْهَاۖ
उससे
qul
قُلْ
कह दीजिए
innamā
إِنَّمَا
बेशक
ʿil'muhā
عِلْمُهَا
इल्म उसका
ʿinda
عِندَ
पास है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
akthara
أَكْثَرَ
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोग
لَا
नहीं वो जानते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो जानते
तुमसे उस घड़ी (क़ियामत) के विषय में पूछते है कि वह कब आएगी? कह दो, 'उसका ज्ञान मेरे रब ही के पास है। अतः वही उसे उसके समय पर प्रकट करेगा। वह आकाशों और धरती में बोझिल हो गई है - बस अचानक ही वह तुमपर आ जाएगी।' वे तुमसे पूछते है मानो तुम उसके विषय में भली-भाँति जानते हो। कह दो, 'उसका ज्ञान तो बस अल्लाह ही के पास है - किन्तु अधिकांश लोग नहीं जानते।' ([७] अल-आराफ़: 187)
Tafseer (तफ़सीर )
१८८

قُلْ لَّآ اَمْلِكُ لِنَفْسِيْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّا اِلَّا مَا شَاۤءَ اللّٰهُ ۗوَلَوْ كُنْتُ اَعْلَمُ الْغَيْبَ لَاسْتَكْثَرْتُ مِنَ الْخَيْرِۛ وَمَا مَسَّنِيَ السُّوْۤءُ ۛاِنْ اَنَا۠ اِلَّا نَذِيْرٌ وَّبَشِيْرٌ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ࣖ ١٨٨

qul
قُل
कह दीजिए
لَّآ
नहीं हूँ मैं मालिक
amliku
أَمْلِكُ
नहीं हूँ मैं मालिक
linafsī
لِنَفْسِى
अपने नफ़्स के लिए
nafʿan
نَفْعًا
किसी नफ़ा का
walā
وَلَا
और ना
ḍarran
ضَرًّا
किसी नुक़सान का
illā
إِلَّا
मगर
مَا
जो
shāa
شَآءَ
चाहे
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह
walaw
وَلَوْ
और अगर
kuntu
كُنتُ
होता मैं
aʿlamu
أَعْلَمُ
मैं जानता
l-ghayba
ٱلْغَيْبَ
ग़ैब को
la-is'takthartu
لَٱسْتَكْثَرْتُ
अलबत्ता कसरत से ले लेता मैं
mina
مِنَ
भलाई में से
l-khayri
ٱلْخَيْرِ
भलाई में से
wamā
وَمَا
और ना
massaniya
مَسَّنِىَ
पहुँचती मुझे
l-sūu
ٱلسُّوٓءُۚ
कोई तकलीफ़
in
إِنْ
नहीं हूँ
anā
أَنَا۠
मैं
illā
إِلَّا
मगर
nadhīrun
نَذِيرٌ
डराने वाला
wabashīrun
وَبَشِيرٌ
और ख़ुशख़बरी देने वाला
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान लाते हैं
कहो, 'मैं अपने लिए न तो लाभ का अधिकार रखता हूँ और न हानि का,बल्कि अल्लाह ही की इच्छा क्रियान्वित है। यदि मुझे परोक्ष (ग़ैब) का ज्ञान होता तो बहुत-सी भलाई समेट लेता और मुझे कभी कोई हानि न पहुँचती। मैं तो बस सचेत करनेवाला हूँ, उन लोगों के लिए जो ईमान लाएँ।' ([७] अल-आराफ़: 188)
Tafseer (तफ़सीर )
१८९

۞ هُوَ الَّذِيْ خَلَقَكُمْ مِّنْ نَّفْسٍ وَّاحِدَةٍ وَّجَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا لِيَسْكُنَ اِلَيْهَاۚ فَلَمَّا تَغَشّٰىهَا حَمَلَتْ حَمْلًا خَفِيْفًا فَمَرَّتْ بِهٖ ۚفَلَمَّآ اَثْقَلَتْ دَّعَوَا اللّٰهَ رَبَّهُمَا لَىِٕنْ اٰتَيْتَنَا صَالِحًا لَّنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِيْنَ ١٨٩

huwa
هُوَ
वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
khalaqakum
خَلَقَكُم
पैदा किया तुम्हें
min
مِّن
जान से
nafsin
نَّفْسٍ
जान से
wāḥidatin
وَٰحِدَةٍ
एक ही
wajaʿala
وَجَعَلَ
और उसने बनाया
min'hā
مِنْهَا
उससे
zawjahā
زَوْجَهَا
जोड़ा उसका
liyaskuna
لِيَسْكُنَ
ताकि वो सुकून हासिल करें
ilayhā
إِلَيْهَاۖ
तरफ़ उसके
falammā
فَلَمَّا
फिर जब
taghashāhā
تَغَشَّىٰهَا
उसने ढाँप लिया उसे
ḥamalat
حَمَلَتْ
उसने उठाया
ḥamlan
حَمْلًا
बोझ
khafīfan
خَفِيفًا
हल्का
famarrat
فَمَرَّتْ
पस वो चलती रही
bihi
بِهِۦۖ
साथ उसके
falammā
فَلَمَّآ
फिर जब
athqalat
أَثْقَلَت
वो बोझल हो गई
daʿawā
دَّعَوَا
दोंनो ने दुआ की
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
rabbahumā
رَبَّهُمَا
जो रब है उन दोनों का
la-in
لَئِنْ
अलबत्ता अगर
ātaytanā
ءَاتَيْتَنَا
दे दिया तूने हमें
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
सही सलामत (बच्चा)
lanakūnanna
لَّنَكُونَنَّ
अलबत्ता हम ज़रूर हो जाऐंगे
mina
مِنَ
शुक्र करने वालों में से
l-shākirīna
ٱلشَّٰكِرِينَ
शुक्र करने वालों में से
वही है जिसने तुम्हें अकेली जान पैदा किया और उसी की जाति से उसका जोड़ा बनाया, ताकि उसकी ओर प्रवृत्त होकर शान्ति और चैन प्राप्त करे। फिर जब उसने उसको ढाँक लिया तो उसने एक हल्का-सा बोझ उठा लिया; फिर वह उसे लिए हुए चलती-फिरती रही, फिर जब वह बोझिल हो गई तो दोनों ने अल्लाह - अपने रब को पुकारा, 'यदि तूने हमें भला-चंगा बच्चा दिया, तो निश्चय ही हम तेरे कृतज्ञ होंगे।' ([७] अल-आराफ़: 189)
Tafseer (तफ़सीर )
१९०

فَلَمَّآ اٰتٰىهُمَا صَالِحًا جَعَلَا لَهٗ شُرَكَاۤءَ فِيْمَآ اٰتٰىهُمَا ۚفَتَعٰلَى اللّٰهُ عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ١٩٠

falammā
فَلَمَّآ
तो जब
ātāhumā
ءَاتَىٰهُمَا
उसने दिया उन दोनों को
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
सही सलामत
jaʿalā
جَعَلَا
उन दोनों ने बना लिया
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
shurakāa
شُرَكَآءَ
शरीक
fīmā
فِيمَآ
उसमें जो
ātāhumā
ءَاتَىٰهُمَاۚ
उसने दिया उन्हें
fataʿālā
فَتَعَٰلَى
पस बुलन्दतर है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
yush'rikūna
يُشْرِكُونَ
वो शरीक ठहराते हैं
किन्तु उसने जब उन्हें भला-चंगा (बच्चा) प्रदान किया तो जो उन्हें प्रदान किया उसमें वे दोनों उसका (अल्लाह का) साझी ठहराने लगे। किन्तु अल्लाह तो उच्च है उससे, जो साझी वे ठहराते है ([७] अल-आराफ़: 190)
Tafseer (तफ़सीर )