وَمِمَّنْ خَلَقْنَآ اُمَّةٌ يَّهْدُوْنَ بِالْحَقِّ وَبِهٖ يَعْدِلُوْنَ ࣖ ١٨١
- wamimman
- وَمِمَّنْ
- और उनमें से जिन्हें
- khalaqnā
- خَلَقْنَآ
- पैदा किए हमने
- ummatun
- أُمَّةٌ
- एक गिरोह है
- yahdūna
- يَهْدُونَ
- वो रहनुमाई करते हैं
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ के
- wabihi
- وَبِهِۦ
- और साथ उसी के
- yaʿdilūna
- يَعْدِلُونَ
- वो अदल करते हैं
हमारे पैदा किए प्राणियों में कुछ लोग ऐसे भी है जो हक़ के अनुसार मार्ग दिखाते और उसी के अनुसार न्याय करते है ([७] अल-आराफ़: 181)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا سَنَسْتَدْرِجُهُمْ مِّنْ حَيْثُ لَا يَعْلَمُوْنَ ١٨٢
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kadhabū
- كَذَّبُوا۟
- झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी आयात को
- sanastadrijuhum
- سَنَسْتَدْرِجُهُم
- ज़रूर हम आहिस्ता-आहिस्ता पकड़ेंगे उन्हें
- min
- مِّنْ
- जहाँ से
- ḥaythu
- حَيْثُ
- जहाँ से
- lā
- لَا
- नहीं वो इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो इल्म रखते
रहे वे लोग जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया, हम उन्हें क्रमशः तबाही की ओर ले जाएँगे, ऐसे तरीक़े से जिसे वे जानते नहीं ([७] अल-आराफ़: 182)Tafseer (तफ़सीर )
وَاُمْلِيْ لَهُمْ ۗاِنَّ كَيْدِيْ مَتِيْنٌ ١٨٣
- wa-um'lī
- وَأُمْلِى
- और मैं मोहलत दे रहा हूँ
- lahum
- لَهُمْۚ
- उन्हें
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- kaydī
- كَيْدِى
- तदबीर मेरी
- matīnun
- مَتِينٌ
- बहुत मज़बूत है
मैं तो उन्हें ढील दिए जा रहा हूँ। निश्चय ही मेरी चाल अत्यन्त सुदृढ़ है ([७] अल-आराफ़: 183)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَلَمْ يَتَفَكَّرُوْا مَا بِصَاحِبِهِمْ مِّنْ جِنَّةٍۗ اِنْ هُوَ اِلَّا نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ١٨٤
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yatafakkarū
- يَتَفَكَّرُوا۟ۗ
- उन्होंने ग़ौरो फ़िक्र किया
- mā
- مَا
- नहीं है
- biṣāḥibihim
- بِصَاحِبِهِم
- उनके साथी को
- min
- مِّن
- कोई जुनून
- jinnatin
- جِنَّةٍۚ
- कोई जुनून
- in
- إِنْ
- नहीं
- huwa
- هُوَ
- वो
- illā
- إِلَّا
- मगर
- nadhīrun
- نَذِيرٌ
- डराने वाला
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
क्या उन लोगों ने विचार नहीं किया? उनके साथी को कोई उन्माद नहीं। वह तो बस एक साफ़-साफ़ सचेत करनेवाला है ([७] अल-आराफ़: 184)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَلَمْ يَنْظُرُوْا فِيْ مَلَكُوْتِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا خَلَقَ اللّٰهُ مِنْ شَيْءٍ وَّاَنْ عَسٰٓى اَنْ يَّكُوْنَ قَدِ اقْتَرَبَ اَجَلُهُمْۖ فَبِاَيِّ حَدِيْثٍۢ بَعْدَهٗ يُؤْمِنُوْنَ ١٨٥
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yanẓurū
- يَنظُرُوا۟
- उन्होंने देखा
- fī
- فِى
- बादशाहत में
- malakūti
- مَلَكُوتِ
- बादशाहत में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन की
- wamā
- وَمَا
- और जो भी
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा की
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- min
- مِن
- कोई चीज़
- shayin
- شَىْءٍ
- कोई चीज़
- wa-an
- وَأَنْ
- और ये कि
- ʿasā
- عَسَىٰٓ
- उम्मीद है
- an
- أَن
- कि
- yakūna
- يَكُونَ
- हो
- qadi
- قَدِ
- तहक़ीक़
- iq'taraba
- ٱقْتَرَبَ
- क़रीब आ चुकी
- ajaluhum
- أَجَلُهُمْۖ
- मुद्दत उनकी
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो साथ किस
- ḥadīthin
- حَدِيثٍۭ
- बात के
- baʿdahu
- بَعْدَهُۥ
- बाद उसके
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- वो ईमान लाऐंगे
या क्या उन्होंने आकाशों और धरती के राज्य पर और जो चीज़ भी अल्लाह ने पैदा की है उसपर दृष्टि नहीं डाली, और इस बात पर कि कदाचित उनकी अवधि निकट आ लगी हो? फिर आख़िर इसके बाद अब कौन-सी बात हो सकती है, जिसपर वे ईमान लाएँगे? ([७] अल-आराफ़: 185)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَلَا هَادِيَ لَهٗ ۖوَيَذَرُهُمْ فِيْ طُغْيَانِهِمْ يَعْمَهُوْنَ ١٨٦
- man
- مَن
- जिसे
- yuḍ'lili
- يُضْلِلِ
- भटका देता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- falā
- فَلَا
- पस नहीं
- hādiya
- هَادِىَ
- कोई हिदायत देने वाला
- lahu
- لَهُۥۚ
- उसे
- wayadharuhum
- وَيَذَرُهُمْ
- और वो छोड़ देता है उन्हें
- fī
- فِى
- उनकी सरकशी में
- ṭugh'yānihim
- طُغْيَٰنِهِمْ
- उनकी सरकशी में
- yaʿmahūna
- يَعْمَهُونَ
- वो सरगरदाँ फिरते हैं
जिसे अल्लाह मार्ग से वंचित रखे उसके लिए कोई मार्गदर्शक नहीं। वह तो तो उन्हें उनकी सरकशी ही में भटकता हुआ छोड़ रहा है ([७] अल-आराफ़: 186)Tafseer (तफ़सीर )
يَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ السَّاعَةِ اَيَّانَ مُرْسٰىهَاۗ قُلْ اِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ رَبِّيْۚ لَا يُجَلِّيْهَا لِوَقْتِهَآ اِلَّا هُوَۘ ثَقُلَتْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ لَا تَأْتِيْكُمْ اِلَّا بَغْتَةً ۗيَسْـَٔلُوْنَكَ كَاَنَّكَ حَفِيٌّ عَنْهَاۗ قُلْ اِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ اللّٰهِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُوْنَ ١٨٧
- yasalūnaka
- يَسْـَٔلُونَكَ
- वो पूछते हैं आप से
- ʿani
- عَنِ
- उस घड़ी (क़यामत) के बारे में
- l-sāʿati
- ٱلسَّاعَةِ
- उस घड़ी (क़यामत) के बारे में
- ayyāna
- أَيَّانَ
- कब है
- mur'sāhā
- مُرْسَىٰهَاۖ
- ठहराना उसका
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- ʿil'muhā
- عِلْمُهَا
- इल्म उसका
- ʿinda
- عِندَ
- पास है
- rabbī
- رَبِّىۖ
- मेरे रब के
- lā
- لَا
- नहीं ज़ाहिर करेगा उसे
- yujallīhā
- يُجَلِّيهَا
- नहीं ज़ाहिर करेगा उसे
- liwaqtihā
- لِوَقْتِهَآ
- उसके वक़्त पर
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۚ
- वो ही
- thaqulat
- ثَقُلَتْ
- भारी होगी
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۚ
- और ज़मीन में
- lā
- لَا
- नहीं वो आएगी तुम्हारे पास
- tatīkum
- تَأْتِيكُمْ
- नहीं वो आएगी तुम्हारे पास
- illā
- إِلَّا
- मगर
- baghtatan
- بَغْتَةًۗ
- अचानक
- yasalūnaka
- يَسْـَٔلُونَكَ
- वो पूछते हैं आपसे
- ka-annaka
- كَأَنَّكَ
- गोया कि आप
- ḥafiyyun
- حَفِىٌّ
- पूरे बाख़बर हैं
- ʿanhā
- عَنْهَاۖ
- उससे
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- ʿil'muhā
- عِلْمُهَا
- इल्म उसका
- ʿinda
- عِندَ
- पास है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- akthara
- أَكْثَرَ
- अक्सर
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोग
- lā
- لَا
- नहीं वो जानते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो जानते
तुमसे उस घड़ी (क़ियामत) के विषय में पूछते है कि वह कब आएगी? कह दो, 'उसका ज्ञान मेरे रब ही के पास है। अतः वही उसे उसके समय पर प्रकट करेगा। वह आकाशों और धरती में बोझिल हो गई है - बस अचानक ही वह तुमपर आ जाएगी।' वे तुमसे पूछते है मानो तुम उसके विषय में भली-भाँति जानते हो। कह दो, 'उसका ज्ञान तो बस अल्लाह ही के पास है - किन्तु अधिकांश लोग नहीं जानते।' ([७] अल-आराफ़: 187)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ لَّآ اَمْلِكُ لِنَفْسِيْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّا اِلَّا مَا شَاۤءَ اللّٰهُ ۗوَلَوْ كُنْتُ اَعْلَمُ الْغَيْبَ لَاسْتَكْثَرْتُ مِنَ الْخَيْرِۛ وَمَا مَسَّنِيَ السُّوْۤءُ ۛاِنْ اَنَا۠ اِلَّا نَذِيْرٌ وَّبَشِيْرٌ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ࣖ ١٨٨
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lā
- لَّآ
- नहीं हूँ मैं मालिक
- amliku
- أَمْلِكُ
- नहीं हूँ मैं मालिक
- linafsī
- لِنَفْسِى
- अपने नफ़्स के लिए
- nafʿan
- نَفْعًا
- किसी नफ़ा का
- walā
- وَلَا
- और ना
- ḍarran
- ضَرًّا
- किसी नुक़सान का
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- जो
- shāa
- شَآءَ
- चाहे
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- kuntu
- كُنتُ
- होता मैं
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- मैं जानता
- l-ghayba
- ٱلْغَيْبَ
- ग़ैब को
- la-is'takthartu
- لَٱسْتَكْثَرْتُ
- अलबत्ता कसरत से ले लेता मैं
- mina
- مِنَ
- भलाई में से
- l-khayri
- ٱلْخَيْرِ
- भलाई में से
- wamā
- وَمَا
- और ना
- massaniya
- مَسَّنِىَ
- पहुँचती मुझे
- l-sūu
- ٱلسُّوٓءُۚ
- कोई तकलीफ़
- in
- إِنْ
- नहीं हूँ
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- illā
- إِلَّا
- मगर
- nadhīrun
- نَذِيرٌ
- डराने वाला
- wabashīrun
- وَبَشِيرٌ
- और ख़ुशख़बरी देने वाला
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- जो ईमान लाते हैं
कहो, 'मैं अपने लिए न तो लाभ का अधिकार रखता हूँ और न हानि का,बल्कि अल्लाह ही की इच्छा क्रियान्वित है। यदि मुझे परोक्ष (ग़ैब) का ज्ञान होता तो बहुत-सी भलाई समेट लेता और मुझे कभी कोई हानि न पहुँचती। मैं तो बस सचेत करनेवाला हूँ, उन लोगों के लिए जो ईमान लाएँ।' ([७] अल-आराफ़: 188)Tafseer (तफ़सीर )
۞ هُوَ الَّذِيْ خَلَقَكُمْ مِّنْ نَّفْسٍ وَّاحِدَةٍ وَّجَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا لِيَسْكُنَ اِلَيْهَاۚ فَلَمَّا تَغَشّٰىهَا حَمَلَتْ حَمْلًا خَفِيْفًا فَمَرَّتْ بِهٖ ۚفَلَمَّآ اَثْقَلَتْ دَّعَوَا اللّٰهَ رَبَّهُمَا لَىِٕنْ اٰتَيْتَنَا صَالِحًا لَّنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِيْنَ ١٨٩
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- khalaqakum
- خَلَقَكُم
- पैदा किया तुम्हें
- min
- مِّن
- जान से
- nafsin
- نَّفْسٍ
- जान से
- wāḥidatin
- وَٰحِدَةٍ
- एक ही
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने बनाया
- min'hā
- مِنْهَا
- उससे
- zawjahā
- زَوْجَهَا
- जोड़ा उसका
- liyaskuna
- لِيَسْكُنَ
- ताकि वो सुकून हासिल करें
- ilayhā
- إِلَيْهَاۖ
- तरफ़ उसके
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- taghashāhā
- تَغَشَّىٰهَا
- उसने ढाँप लिया उसे
- ḥamalat
- حَمَلَتْ
- उसने उठाया
- ḥamlan
- حَمْلًا
- बोझ
- khafīfan
- خَفِيفًا
- हल्का
- famarrat
- فَمَرَّتْ
- पस वो चलती रही
- bihi
- بِهِۦۖ
- साथ उसके
- falammā
- فَلَمَّآ
- फिर जब
- athqalat
- أَثْقَلَت
- वो बोझल हो गई
- daʿawā
- دَّعَوَا
- दोंनो ने दुआ की
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- rabbahumā
- رَبَّهُمَا
- जो रब है उन दोनों का
- la-in
- لَئِنْ
- अलबत्ता अगर
- ātaytanā
- ءَاتَيْتَنَا
- दे दिया तूने हमें
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- सही सलामत (बच्चा)
- lanakūnanna
- لَّنَكُونَنَّ
- अलबत्ता हम ज़रूर हो जाऐंगे
- mina
- مِنَ
- शुक्र करने वालों में से
- l-shākirīna
- ٱلشَّٰكِرِينَ
- शुक्र करने वालों में से
वही है जिसने तुम्हें अकेली जान पैदा किया और उसी की जाति से उसका जोड़ा बनाया, ताकि उसकी ओर प्रवृत्त होकर शान्ति और चैन प्राप्त करे। फिर जब उसने उसको ढाँक लिया तो उसने एक हल्का-सा बोझ उठा लिया; फिर वह उसे लिए हुए चलती-फिरती रही, फिर जब वह बोझिल हो गई तो दोनों ने अल्लाह - अपने रब को पुकारा, 'यदि तूने हमें भला-चंगा बच्चा दिया, तो निश्चय ही हम तेरे कृतज्ञ होंगे।' ([७] अल-आराफ़: 189)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّآ اٰتٰىهُمَا صَالِحًا جَعَلَا لَهٗ شُرَكَاۤءَ فِيْمَآ اٰتٰىهُمَا ۚفَتَعٰلَى اللّٰهُ عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ١٩٠
- falammā
- فَلَمَّآ
- तो जब
- ātāhumā
- ءَاتَىٰهُمَا
- उसने दिया उन दोनों को
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- सही सलामत
- jaʿalā
- جَعَلَا
- उन दोनों ने बना लिया
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- shurakāa
- شُرَكَآءَ
- शरीक
- fīmā
- فِيمَآ
- उसमें जो
- ātāhumā
- ءَاتَىٰهُمَاۚ
- उसने दिया उन्हें
- fataʿālā
- فَتَعَٰلَى
- पस बुलन्दतर है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- yush'rikūna
- يُشْرِكُونَ
- वो शरीक ठहराते हैं
किन्तु उसने जब उन्हें भला-चंगा (बच्चा) प्रदान किया तो जो उन्हें प्रदान किया उसमें वे दोनों उसका (अल्लाह का) साझी ठहराने लगे। किन्तु अल्लाह तो उच्च है उससे, जो साझी वे ठहराते है ([७] अल-आराफ़: 190)Tafseer (तफ़सीर )