۞ وَاِذْ نَتَقْنَا الْجَبَلَ فَوْقَهُمْ كَاَنَّهٗ ظُلَّةٌ وَّظَنُّوْٓا اَنَّهٗ وَاقِعٌۢ بِهِمْۚ خُذُوْا مَآ اٰتَيْنٰكُمْ بِقُوَّةٍ وَّاذْكُرُوْا مَا فِيْهِ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُوْنَ ࣖ ١٧١
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- nataqnā
- نَتَقْنَا
- उठाया हमने
- l-jabala
- ٱلْجَبَلَ
- पहाड़ को
- fawqahum
- فَوْقَهُمْ
- ऊपर उनके
- ka-annahu
- كَأَنَّهُۥ
- गोया कि वो
- ẓullatun
- ظُلَّةٌ
- एक सायबान था
- waẓannū
- وَظَنُّوٓا۟
- और उन्होंने समझ लिया
- annahu
- أَنَّهُۥ
- कि बेशक वो
- wāqiʿun
- وَاقِعٌۢ
- गिरने वाला है
- bihim
- بِهِمْ
- उन पर
- khudhū
- خُذُوا۟
- पकड़ो
- mā
- مَآ
- जो
- ātaynākum
- ءَاتَيْنَٰكُم
- दिया हमने तुम्हें
- biquwwatin
- بِقُوَّةٍ
- साथ क़ुव्वत के
- wa-udh'kurū
- وَٱذْكُرُوا۟
- और याद करो
- mā
- مَا
- जो
- fīhi
- فِيهِ
- इसमें है
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tattaqūna
- تَتَّقُونَ
- तुम मुत्तक़ी बन जाओ
और याद करो जब हमने पर्वत को हिलाया, जो उनके ऊपर था। मानो वह कोई छत्र हो और वे समझे कि बस वह उनपर गिरा ही चाहता है, 'थामो मज़बूती से, जो कुछ हमने दिया है। और जो कुछ उसमें है उसे याद रखो, ताकि तुम बच सको।' ([७] अल-आराफ़: 171)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ اَخَذَ رَبُّكَ مِنْۢ بَنِيْٓ اٰدَمَ مِنْ ظُهُوْرِهِمْ ذُرِّيَّتَهُمْ وَاَشْهَدَهُمْ عَلٰٓى اَنْفُسِهِمْۚ اَلَسْتُ بِرَبِّكُمْۗ قَالُوْا بَلٰىۛ شَهِدْنَا ۛاَنْ تَقُوْلُوْا يَوْمَ الْقِيٰمَةِ اِنَّا كُنَّا عَنْ هٰذَا غٰفِلِيْنَۙ ١٧٢
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- akhadha
- أَخَذَ
- लिया
- rabbuka
- رَبُّكَ
- आपके रब ने
- min
- مِنۢ
- बनी आदम से
- banī
- بَنِىٓ
- बनी आदम से
- ādama
- ءَادَمَ
- बनी आदम से
- min
- مِن
- उनकी पुश्तों से
- ẓuhūrihim
- ظُهُورِهِمْ
- उनकी पुश्तों से
- dhurriyyatahum
- ذُرِّيَّتَهُمْ
- उनकी औलाद को
- wa-ashhadahum
- وَأَشْهَدَهُمْ
- और गवाह बनाया उनको
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- उनके नफ़्सों पर
- anfusihim
- أَنفُسِهِمْ
- उनके नफ़्सों पर
- alastu
- أَلَسْتُ
- क्या नहीं हूँ मैं (फ़रमाया)
- birabbikum
- بِرَبِّكُمْۖ
- रब तुम्हारा
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- balā
- بَلَىٰۛ
- क्यों नहीं
- shahid'nā
- شَهِدْنَآۛ
- गवाही दी हमने
- an
- أَن
- ताकि (ना)
- taqūlū
- تَقُولُوا۟
- तुम कहो
- yawma
- يَوْمَ
- क़यामत के दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के दिन
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम
- ʿan
- عَنْ
- उससे
- hādhā
- هَٰذَا
- उससे
- ghāfilīna
- غَٰفِلِينَ
- ग़ाफ़िल
और याद करो जब तुम्हारे रब ने आदम की सन्तान से (अर्थात उनकी पीठों से) उनकी सन्तति निकाली और उन्हें स्वयं उनके ऊपर गवाह बनाया कि 'क्या मैं तुम्हारा रब नहीं हूँ?' बोले, 'क्यों नहीं, हम गवाह है।' ऐसा इसलिए किया कि तुम क़ियामत के दिन कहीं यह न कहने लगो कि 'हमें तो इसकी ख़बर ही न थी।' ([७] अल-आराफ़: 172)Tafseer (तफ़सीर )
اَوْ تَقُوْلُوْٓا اِنَّمَآ اَشْرَكَ اٰبَاۤؤُنَا مِنْ قَبْلُ وَكُنَّا ذُرِّيَّةً مِّنْۢ بَعْدِهِمْۚ اَفَتُهْلِكُنَا بِمَا فَعَلَ الْمُبْطِلُوْنَ ١٧٣
- aw
- أَوْ
- या
- taqūlū
- تَقُولُوٓا۟
- तुम कहो
- innamā
- إِنَّمَآ
- बेशक
- ashraka
- أَشْرَكَ
- शिर्क किया था
- ābāunā
- ءَابَآؤُنَا
- हमारे आबा ओ अजदाद ने
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- इससे पहले
- wakunnā
- وَكُنَّا
- और थे हम
- dhurriyyatan
- ذُرِّيَّةً
- औलाद
- min
- مِّنۢ
- उनके बाद वालों की
- baʿdihim
- بَعْدِهِمْۖ
- उनके बाद वालों की
- afatuh'likunā
- أَفَتُهْلِكُنَا
- क्या पस तू हलाक करता है हमें
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- faʿala
- فَعَلَ
- किया
- l-mub'ṭilūna
- ٱلْمُبْطِلُونَ
- ग़लतकारों ने
या कहो कि '(अल्लाह के साथ) साझी तो पहले हमारे बाप-दादा ने किया। हम तो उसके पश्चात उनकी सन्तति में हुए है। तो क्या तू हमें उसपर विनष्ट करेगा जो कुछ मिथ्याचारियों ने किया है?' ([७] अल-आराफ़: 173)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰيٰتِ وَلَعَلَّهُمْ يَرْجِعُوْنَ ١٧٤
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- nufaṣṣilu
- نُفَصِّلُ
- हम खोल कर बयान करते हैं
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात
- walaʿallahum
- وَلَعَلَّهُمْ
- और ताकि वो
- yarjiʿūna
- يَرْجِعُونَ
- वो रुजूअ कर लें
इस प्रकार स्थिति के अनुकूल आयतें प्रस्तुत करते है। और शायद कि वे पलट आएँ ([७] अल-आराफ़: 174)Tafseer (तफ़सीर )
وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَاَ الَّذِيْٓ اٰتَيْنٰهُ اٰيٰتِنَا فَانْسَلَخَ مِنْهَا فَاَتْبَعَهُ الشَّيْطٰنُ فَكَانَ مِنَ الْغٰوِيْنَ ١٧٥
- wa-ut'lu
- وَٱتْلُ
- और पढ़िए
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- naba-a
- نَبَأَ
- ख़बर
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- उस शख़्स की
- ātaynāhu
- ءَاتَيْنَٰهُ
- दीं हमने उसको
- āyātinā
- ءَايَٰتِنَا
- आयात अपनी
- fa-insalakha
- فَٱنسَلَخَ
- पस वो निकल गया
- min'hā
- مِنْهَا
- उनसे
- fa-atbaʿahu
- فَأَتْبَعَهُ
- फिर पीछे लग गया उसके
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान
- fakāna
- فَكَانَ
- तो वो हो गया
- mina
- مِنَ
- गुमराहों में से
- l-ghāwīna
- ٱلْغَاوِينَ
- गुमराहों में से
और उन्हें उस व्यक्ति का हाल सुनाओ जिसे हमने अपनी आयतें प्रदान की किन्तु वह उनसे निकल भागा। फिर शैतान ने उसे अपने पीछे लगा लिया। अन्ततः वह पथभ्रष्ट और विनष्ट होकर रहा ([७] अल-आराफ़: 175)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ شِئْنَا لَرَفَعْنٰهُ بِهَا وَلٰكِنَّهٗٓ اَخْلَدَ اِلَى الْاَرْضِ وَاتَّبَعَ هَوٰىهُۚ فَمَثَلُهٗ كَمَثَلِ الْكَلْبِۚ اِنْ تَحْمِلْ عَلَيْهِ يَلْهَثْ اَوْ تَتْرُكْهُ يَلْهَثْۗ ذٰلِكَ مَثَلُ الْقَوْمِ الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَاۚ فَاقْصُصِ الْقَصَصَ لَعَلَّهُمْ يَتَفَكَّرُوْنَ ١٧٦
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- shi'nā
- شِئْنَا
- चाहते हम
- larafaʿnāhu
- لَرَفَعْنَٰهُ
- अलबत्ता बुलन्द करते हम उसे
- bihā
- بِهَا
- साथ उनके
- walākinnahu
- وَلَٰكِنَّهُۥٓ
- और लेकिन वो
- akhlada
- أَخْلَدَ
- वो झुक गया
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ ज़मीन के
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- तरफ़ ज़मीन के
- wa-ittabaʿa
- وَٱتَّبَعَ
- और उसने पैरवी की
- hawāhu
- هَوَىٰهُۚ
- अपनी ख़्वाहिशात की
- famathaluhu
- فَمَثَلُهُۥ
- तो मिसाल उसकी
- kamathali
- كَمَثَلِ
- मानिन्द मिसाल
- l-kalbi
- ٱلْكَلْبِ
- कुत्ते की है
- in
- إِن
- अगर
- taḥmil
- تَحْمِلْ
- तू हमला करे
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- yalhath
- يَلْهَثْ
- वो ज़बान लटकाता है
- aw
- أَوْ
- या
- tatruk'hu
- تَتْرُكْهُ
- तू छोड़ दे उसे
- yalhath
- يَلْهَثۚ
- वो ज़बान लटकाता है
- dhālika
- ذَّٰلِكَ
- ये
- mathalu
- مَثَلُ
- मिसाल है
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- उस क़ौम की
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्होंने
- kadhabū
- كَذَّبُوا۟
- झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَاۚ
- हमारी आयात को
- fa-uq'ṣuṣi
- فَٱقْصُصِ
- पस बयान कीजिए
- l-qaṣaṣa
- ٱلْقَصَصَ
- वाक़िआत
- laʿallahum
- لَعَلَّهُمْ
- ताकि वो
- yatafakkarūna
- يَتَفَكَّرُونَ
- वो ग़ौरो फ़िक्र करें
यदि हम चाहते तो इन आयतों के द्वारा उसे उच्चता प्रदान करते, किन्तु वह तो धरती के साथ लग गया और अपनी इच्छा के पीछे चला। अतः उसकी मिसाल कुत्ते जैसी है कि यदि तुम उसपर आक्षेप करो तब भी वह ज़बान लटकाए रहे या यदि तुम उसे छोड़ दो तब भी वह ज़बान लटकाए ही रहे। यही मिसाल उन लोगों की है, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया, तो तुम वृत्तान्त सुनाते रहो, कदाचित वे सोच-विचार कर सकें ([७] अल-आराफ़: 176)Tafseer (तफ़सीर )
سَاۤءَ مَثَلًا ۨالْقَوْمُ الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَاَنْفُسَهُمْ كَانُوْا يَظْلِمُوْنَ ١٧٧
- sāa
- سَآءَ
- कितनी बुरी है
- mathalan
- مَثَلًا
- मिसाल
- l-qawmu
- ٱلْقَوْمُ
- उन लोगों की
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्होंने
- kadhabū
- كَذَّبُوا۟
- झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी आयात को
- wa-anfusahum
- وَأَنفُسَهُمْ
- और अपने ही नफ़्सों पर
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaẓlimūna
- يَظْلِمُونَ
- वो ज़ुल्म करते
बुरे है मिसाल की दृष्टि से वे लोग, जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और वे स्वयं अपने ही ऊपर अत्याचार करते रहे ([७] अल-आराफ़: 177)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ يَّهْدِ اللّٰهُ فَهُوَ الْمُهْتَدِيْۚ وَمَنْ يُّضْلِلْ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ١٧٨
- man
- مَن
- जिसे
- yahdi
- يَهْدِ
- हिदायत बख़्शे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- fahuwa
- فَهُوَ
- पस वो ही
- l-muh'tadī
- ٱلْمُهْتَدِىۖ
- हिदायत पाने वाला है
- waman
- وَمَن
- और जिसे
- yuḍ'lil
- يُضْلِلْ
- वो भटका दे
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- पस यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-khāsirūna
- ٱلْخَٰسِرُونَ
- जो ख़सारा पाने वाले हैं
जिसे अल्लाह मार्ग दिखाए वही सीधा मार्ग पानेवाला है और जिसे वह मार्ग से वंचित रखे, तो ऐसे ही लोग घाटे में पड़नेवाले हैं ([७] अल-आराफ़: 178)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ ذَرَأْنَا لِجَهَنَّمَ كَثِيْرًا مِّنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِۖ لَهُمْ قُلُوْبٌ لَّا يَفْقَهُوْنَ بِهَاۖ وَلَهُمْ اَعْيُنٌ لَّا يُبْصِرُوْنَ بِهَاۖ وَلَهُمْ اٰذَانٌ لَّا يَسْمَعُوْنَ بِهَاۗ اُولٰۤىِٕكَ كَالْاَنْعَامِ بَلْ هُمْ اَضَلُّ ۗ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْغٰفِلُوْنَ ١٧٩
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- dharanā
- ذَرَأْنَا
- पैदा किए हमने
- lijahannama
- لِجَهَنَّمَ
- जहन्नम के लिए
- kathīran
- كَثِيرًا
- बहुत से
- mina
- مِّنَ
- जिन्नों में से
- l-jini
- ٱلْجِنِّ
- जिन्नों में से
- wal-insi
- وَٱلْإِنسِۖ
- और इन्सानों में से
- lahum
- لَهُمْ
- उनके
- qulūbun
- قُلُوبٌ
- दिल हैं
- lā
- لَّا
- नहीं वो समझते
- yafqahūna
- يَفْقَهُونَ
- नहीं वो समझते
- bihā
- بِهَا
- साथ उनके
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनकी
- aʿyunun
- أَعْيُنٌ
- आँखें हैं
- lā
- لَّا
- नहीं वो देखते
- yub'ṣirūna
- يُبْصِرُونَ
- नहीं वो देखते
- bihā
- بِهَا
- साथ उनके
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके
- ādhānun
- ءَاذَانٌ
- कान हैं
- lā
- لَّا
- नहीं वो सुनते
- yasmaʿūna
- يَسْمَعُونَ
- नहीं वो सुनते
- bihā
- بِهَآۚ
- साथ उनके
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग
- kal-anʿāmi
- كَٱلْأَنْعَٰمِ
- मवेशियों की तरह हैं
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- hum
- هُمْ
- वो
- aḍallu
- أَضَلُّۚ
- ज़्यादा गुमराह हैं
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-ghāfilūna
- ٱلْغَٰفِلُونَ
- जो ग़ाफ़िल हैं
निश्चय ही हमने बहुत-से जिन्नों और मनुष्यों को जहन्नम ही के लिए फैला रखा है। उनके पास दिल है जिनसे वे समझते नहीं, उनके पास आँखें है जिनसे वे देखते नहीं; उनके पास कान है जिनसे वे सुनते नहीं। वे पशुओं की तरह है, बल्कि वे उनसे भी अधिक पथभ्रष्ट है। वही लोग है जो ग़फ़लत में पड़े हुए है ([७] अल-आराफ़: 179)Tafseer (तफ़सीर )
وَلِلّٰهِ الْاَسْمَاۤءُ الْحُسْنٰى فَادْعُوْهُ بِهَاۖ وَذَرُوا الَّذِيْنَ يُلْحِدُوْنَ فِيْٓ اَسْمَاۤىِٕهٖۗ سَيُجْزَوْنَ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ۖ ١٨٠
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए है
- l-asmāu
- ٱلْأَسْمَآءُ
- नाम
- l-ḥus'nā
- ٱلْحُسْنَىٰ
- अच्छे-अच्छे
- fa-id'ʿūhu
- فَٱدْعُوهُ
- पस पुकारो उसे
- bihā
- بِهَاۖ
- साथ उनके
- wadharū
- وَذَرُوا۟
- और छोड़ दो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्हें जो
- yul'ḥidūna
- يُلْحِدُونَ
- कज रवी करते हैं
- fī
- فِىٓ
- उसके नामों में
- asmāihi
- أَسْمَٰٓئِهِۦۚ
- उसके नामों में
- sayuj'zawna
- سَيُجْزَوْنَ
- अनक़रीब वो बदला दिए जाऐंगे
- mā
- مَا
- उसका जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
अच्छे नाम अल्लाह ही के है। तो तुम उन्हीं के द्वारा उसे पुकारो और उन लोगों को छोड़ो जो उसके नामों के सम्बन्ध में कुटिलता ग्रहण करते है। जो कुछ वे करते है, उसका बदला वे पाकर रहेंगे ([७] अल-आराफ़: 180)Tafseer (तफ़सीर )