وَاِذْ اَنْجَيْنٰكُمْ مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ يَسُوْمُوْنَكُمْ سُوْۤءَ الْعَذَابِۚ يُقَتِّلُوْنَ اَبْنَاۤءَكُمْ وَيَسْتَحْيُوْنَ نِسَاۤءَكُمْۗ وَفِيْ ذٰلِكُمْ بَلَاۤءٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَظِيْمٌ ࣖ ١٤١
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- anjaynākum
- أَنجَيْنَٰكُم
- निजात दी हमने तुम्हें
- min
- مِّنْ
- आले फ़िरऔन से
- āli
- ءَالِ
- आले फ़िरऔन से
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- आले फ़िरऔन से
- yasūmūnakum
- يَسُومُونَكُمْ
- वो चखाते थे तुम्हें
- sūa
- سُوٓءَ
- बुरा
- l-ʿadhābi
- ٱلْعَذَابِۖ
- अज़ाब
- yuqattilūna
- يُقَتِّلُونَ
- वो खूब क़त्ल करते
- abnāakum
- أَبْنَآءَكُمْ
- तुम्हारे बेटों को
- wayastaḥyūna
- وَيَسْتَحْيُونَ
- और वो ज़िन्दा छोड़ देते
- nisāakum
- نِسَآءَكُمْۚ
- तुम्हारी औरतों को
- wafī
- وَفِى
- और इसमें
- dhālikum
- ذَٰلِكُم
- और इसमें
- balāon
- بَلَآءٌ
- आज़माइश थी
- min
- مِّن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ी
और याद करो जब हमने तुम्हें फ़िरऔन के लोगों से छुटकारा दिया जो तुम्हें बुरी यातना में ग्रस्त रखते थे। तुम्हारे बेटों को मार डालते और तुम्हारी स्त्रियों को जीवित रहने देते थे। और वह (छुटकारा दिलाना) तुम्हारे रब की ओर से बड़ा अनुग्रह है ([७] अल-आराफ़: 141)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَوٰعَدْنَا مُوْسٰى ثَلٰثِيْنَ لَيْلَةً وَّاَتْمَمْنٰهَا بِعَشْرٍ فَتَمَّ مِيْقَاتُ رَبِّهٖٓ اَرْبَعِيْنَ لَيْلَةً ۚوَقَالَ مُوْسٰى لِاَخِيْهِ هٰرُوْنَ اخْلُفْنِيْ فِيْ قَوْمِيْ وَاَصْلِحْ وَلَا تَتَّبِعْ سَبِيْلَ الْمُفْسِدِيْنَ ١٤٢
- wawāʿadnā
- وَوَٰعَدْنَا
- और वादा लिया हमने
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा से
- thalāthīna
- ثَلَٰثِينَ
- तीस
- laylatan
- لَيْلَةً
- रात का
- wa-atmamnāhā
- وَأَتْمَمْنَٰهَا
- और पूरा किया हमने उन्हें
- biʿashrin
- بِعَشْرٍ
- साथ दस के
- fatamma
- فَتَمَّ
- तो पूरा हुआ
- mīqātu
- مِيقَٰتُ
- मुक़र्रर वक़्त
- rabbihi
- رَبِّهِۦٓ
- उसके रब का
- arbaʿīna
- أَرْبَعِينَ
- चालीस
- laylatan
- لَيْلَةًۚ
- रात का
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- li-akhīhi
- لِأَخِيهِ
- अपने भाई हारून से
- hārūna
- هَٰرُونَ
- अपने भाई हारून से
- ukh'luf'nī
- ٱخْلُفْنِى
- जानशीनी करो मेरी
- fī
- فِى
- मेरी क़ौम में
- qawmī
- قَوْمِى
- मेरी क़ौम में
- wa-aṣliḥ
- وَأَصْلِحْ
- और इस्लाह करो
- walā
- وَلَا
- और ना
- tattabiʿ
- تَتَّبِعْ
- तुम पैरवी करो
- sabīla
- سَبِيلَ
- रास्ते की
- l-muf'sidīna
- ٱلْمُفْسِدِينَ
- फ़साद करने वालों के
और हमने मूसा से तीस रातों का वादा ठहराया, फिर हमने दस और बढ़ाकर उसे पूरा किया। इसी प्रकार उसके रब की ठहराई हुई अवधि चालीस रातों में पूरी हुई और मूसा ने अपने भाई हारून से कहा, 'मेरे पीछे तुम मेरी क़ौम में मेरा प्रतिनिधित्व करना और सुधारना और बिगाड़ पैदा करनेवालों के मार्ग पर न चलना।' ([७] अल-आराफ़: 142)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَمَّا جَاۤءَ مُوْسٰى لِمِيْقَاتِنَا وَكَلَّمَهٗ رَبُّهٗۙ قَالَ رَبِّ اَرِنِيْٓ اَنْظُرْ اِلَيْكَۗ قَالَ لَنْ تَرٰىنِيْ وَلٰكِنِ انْظُرْ اِلَى الْجَبَلِ فَاِنِ اسْتَقَرَّ مَكَانَهٗ فَسَوْفَ تَرٰىنِيْۚ فَلَمَّا تَجَلّٰى رَبُّهٗ لِلْجَبَلِ جَعَلَهٗ دَكًّا وَّخَرَّ مُوْسٰى صَعِقًاۚ فَلَمَّآ اَفَاقَ قَالَ سُبْحٰنَكَ تُبْتُ اِلَيْكَ وَاَنَا۠ اَوَّلُ الْمُؤْمِنِيْنَ ١٤٣
- walammā
- وَلَمَّا
- और जब
- jāa
- جَآءَ
- आया
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा
- limīqātinā
- لِمِيقَٰتِنَا
- हमारे मुक़र्रर वक़्त पर
- wakallamahu
- وَكَلَّمَهُۥ
- और कलाम किया उससे
- rabbuhu
- رَبُّهُۥ
- उसके रब ने
- qāla
- قَالَ
- कहा
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- arinī
- أَرِنِىٓ
- दिखा मुझे
- anẓur
- أَنظُرْ
- मैं देखूँ
- ilayka
- إِلَيْكَۚ
- तेरी तरफ़
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- lan
- لَن
- हरगिज़ ना
- tarānī
- تَرَىٰنِى
- तुम देख सकोगे मुझे
- walākini
- وَلَٰكِنِ
- और लेकिन
- unẓur
- ٱنظُرْ
- देखो
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ पहाड़ के
- l-jabali
- ٱلْجَبَلِ
- तरफ़ पहाड़ के
- fa-ini
- فَإِنِ
- फिर अगर
- is'taqarra
- ٱسْتَقَرَّ
- वो क़ायम रहे
- makānahu
- مَكَانَهُۥ
- अपनी जगह पर
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- तो अनक़रीब
- tarānī
- تَرَىٰنِىۚ
- तुम देख लोगे मुझे
- falammā
- فَلَمَّا
- तो जब
- tajallā
- تَجَلَّىٰ
- तजल्ली की
- rabbuhu
- رَبُّهُۥ
- उसके रब ने
- lil'jabali
- لِلْجَبَلِ
- पहाड़ पर
- jaʿalahu
- جَعَلَهُۥ
- उसने कर दिया उसे
- dakkan
- دَكًّا
- रेज़ा-रेज़ा
- wakharra
- وَخَرَّ
- और गिर पड़ा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा
- ṣaʿiqan
- صَعِقًاۚ
- बेहोश होकर
- falammā
- فَلَمَّآ
- फिर जब
- afāqa
- أَفَاقَ
- होश में आया
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- sub'ḥānaka
- سُبْحَٰنَكَ
- पाक है तू
- tub'tu
- تُبْتُ
- तौबा करता हूँ मैं
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तेरी तरफ़
- wa-anā
- وَأَنَا۠
- और मैं
- awwalu
- أَوَّلُ
- सब से पहला हूँ
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वालों में
अब मूसा हमारे निश्चित किए हुए समय पर पहुँचा और उसके रब ने उससे बातें की, तो वह करने लगा, 'मेरे रब! मुझे देखने की शक्ति प्रदान कर कि मैं तुझे देखूँ।' कहा, 'तू मुझे कदापि न देख सकेगा। हाँ, पहाड़ की ओर देख। यदि वह अपने स्थान पर स्थिर पर स्थिर रह जाए तो फिर तू मुझे देख लेगा।' अतएव जब उसका रब पहाड़ पर प्रकट हुआ तो उसे चकनाचूर कर दिया और मूसा मूर्छित होकर गिर पड़ा। फिर जब होश में आया तो कहा, 'महिमा है तेरी! मैं तेरे समझ तौबा करता हूँ और सबसे पहला ईमान लानेवाला मैं हूँ।' ([७] अल-आराफ़: 143)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ يٰمُوْسٰٓى اِنِّى اصْطَفَيْتُكَ عَلَى النَّاسِ بِرِسٰلٰتِيْ وَبِكَلَامِيْ ۖفَخُذْ مَآ اٰتَيْتُكَ وَكُنْ مِّنَ الشّٰكِرِيْنَ ١٤٤
- qāla
- قَالَ
- फ़रमाया
- yāmūsā
- يَٰمُوسَىٰٓ
- ऐ मूसा
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- iṣ'ṭafaytuka
- ٱصْطَفَيْتُكَ
- चुन लिया मैंने तुझे
- ʿalā
- عَلَى
- लोगों पर
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों पर
- birisālātī
- بِرِسَٰلَٰتِى
- साथ अपने पैग़ामात के
- wabikalāmī
- وَبِكَلَٰمِى
- और सात अपने कलाम के
- fakhudh
- فَخُذْ
- पस ले लो
- mā
- مَآ
- जो
- ātaytuka
- ءَاتَيْتُكَ
- दिया मैंने तुझे
- wakun
- وَكُن
- और हो जाओ
- mina
- مِّنَ
- शुक्र करने वालों में से
- l-shākirīna
- ٱلشَّٰكِرِينَ
- शुक्र करने वालों में से
उसने कहा, 'ऐ मूसा! मैंने दूसरे लोगों के मुक़ाबले में तुझे चुनकर अपने संदेशों और अपनी वाणी से तुझे उपकृत किया। अतः जो कुछ मैं तुझे दूँ उसे ले और कृतज्ञता दिखा।' ([७] अल-आराफ़: 144)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَتَبْنَا لَهٗ فِى الْاَلْوَاحِ مِنْ كُلِّ شَيْءٍ مَّوْعِظَةً وَّتَفْصِيْلًا لِّكُلِّ شَيْءٍۚ فَخُذْهَا بِقُوَّةٍ وَّأْمُرْ قَوْمَكَ يَأْخُذُوْا بِاَحْسَنِهَا ۗسَاُورِيْكُمْ دَارَ الْفٰسِقِيْنَ ١٤٥
- wakatabnā
- وَكَتَبْنَا
- और लिख दी हमने
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- fī
- فِى
- तख़्तियों में
- l-alwāḥi
- ٱلْأَلْوَاحِ
- तख़्तियों में
- min
- مِن
- हर चीज़ के बारे में
- kulli
- كُلِّ
- हर चीज़ के बारे में
- shayin
- شَىْءٍ
- हर चीज़ के बारे में
- mawʿiẓatan
- مَّوْعِظَةً
- नसीहत
- watafṣīlan
- وَتَفْصِيلًا
- और तफ़सील
- likulli
- لِّكُلِّ
- वास्ते हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- fakhudh'hā
- فَخُذْهَا
- पस पकड़ लो उसे
- biquwwatin
- بِقُوَّةٍ
- मज़बूती से
- wamur
- وَأْمُرْ
- और हुक्म दो
- qawmaka
- قَوْمَكَ
- अपनी क़ौम को
- yakhudhū
- يَأْخُذُوا۟
- वो ले लें
- bi-aḥsanihā
- بِأَحْسَنِهَاۚ
- उनके बेहतरीन को
- sa-urīkum
- سَأُو۟رِيكُمْ
- अनक़रीब मैं दिखाऊँगा तुम्हें
- dāra
- دَارَ
- घर
- l-fāsiqīna
- ٱلْفَٰسِقِينَ
- फ़ासिक़ों के
और हमने उसके लिए तख़्तियों पर उपदेश के रूप में हर चीज़ और हर चीज़ का विस्तृत वर्णन लिख दिया। अतः उनको मज़बूती से पकड़। उनमें उत्तम बातें है। अपनी क़ौम के लोगों को हुक्म दे कि वे उनको अपनाएँ। मैं शीघ्र ही तुम्हें अवज्ञाकारियों का घर दिखाऊँगा ([७] अल-आराफ़: 145)Tafseer (तफ़सीर )
سَاَصْرِفُ عَنْ اٰيٰتِيَ الَّذِيْنَ يَتَكَبَّرُوْنَ فِى الْاَرْضِ بِغَيْرِ الْحَقِّۗ وَاِنْ يَّرَوْا كُلَّ اٰيَةٍ لَّا يُؤْمِنُوْا بِهَاۚ وَاِنْ يَّرَوْا سَبِيْلَ الرُّشْدِ لَا يَتَّخِذُوْهُ سَبِيْلًاۚ وَاِنْ يَّرَوْا سَبِيْلَ الْغَيِّ يَتَّخِذُوْهُ سَبِيْلًاۗ ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَكَانُوْا عَنْهَا غٰفِلِيْنَ ١٤٦
- sa-aṣrifu
- سَأَصْرِفُ
- अनक़रीब मैं फेर दूँगा
- ʿan
- عَنْ
- अपनी निशानियों से
- āyātiya
- ءَايَٰتِىَ
- अपनी निशानियों से
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों को जो
- yatakabbarūna
- يَتَكَبَّرُونَ
- तकब्बुर करते हैं
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّ
- हक़ के
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yaraw
- يَرَوْا۟
- वो देख लें
- kulla
- كُلَّ
- हर
- āyatin
- ءَايَةٍ
- निशानी
- lā
- لَّا
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
- yu'minū
- يُؤْمِنُوا۟
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
- bihā
- بِهَا
- उस पर
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yaraw
- يَرَوْا۟
- वो देख लें
- sabīla
- سَبِيلَ
- रास्ता
- l-rush'di
- ٱلرُّشْدِ
- हिदायत का
- lā
- لَا
- नहीं वो बनाऐंगे उसे
- yattakhidhūhu
- يَتَّخِذُوهُ
- नहीं वो बनाऐंगे उसे
- sabīlan
- سَبِيلًا
- रास्ता
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yaraw
- يَرَوْا۟
- वो देख लें
- sabīla
- سَبِيلَ
- रास्ता
- l-ghayi
- ٱلْغَىِّ
- गुमराही का
- yattakhidhūhu
- يَتَّخِذُوهُ
- वो बना लेंगे उसे
- sabīlan
- سَبِيلًاۚ
- रास्ता
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- बवजह उसके कि उन्होंने
- kadhabū
- كَذَّبُوا۟
- झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी आयात को
- wakānū
- وَكَانُوا۟
- और थे वो
- ʿanhā
- عَنْهَا
- उनसे
- ghāfilīna
- غَٰفِلِينَ
- ग़ाफ़िल
जो लोग धरती में नाहक़ बड़े बनते है, मैं अपनी निशानियों की ओर से उन्हें फेर दूँगा। यदि वे प्रत्येक निशानी देख ले तब भी वे उस पर ईमान नहीं लाएँगे। यदि वे सीधा मार्ग देख लें तो भी वे उसे अपना मार्ग नहीं बनाएँगे। लेकिन यदि वे पथभ्रष्ट का मार्ग देख लें तो उसे अपना मार्ग ठहरा लेंगे। यह इसलिए की उन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और उनसे ग़ाफ़िल रहे ([७] अल-आराफ़: 146)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَلِقَاۤءِ الْاٰخِرَةِ حَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْۗ هَلْ يُجْزَوْنَ اِلَّا مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ࣖ ١٤٧
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kadhabū
- كَذَّبُوا۟
- झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी निशानियों को
- waliqāi
- وَلِقَآءِ
- और मुलाक़ात को
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत की
- ḥabiṭat
- حَبِطَتْ
- ज़ाया हो गए
- aʿmāluhum
- أَعْمَٰلُهُمْۚ
- आमाल उनके
- hal
- هَلْ
- नहीं
- yuj'zawna
- يُجْزَوْنَ
- वो बदला दिए जाऐंगे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
जिन लोगों ने हमारी आयतों को और आख़िरत के मिलन को झूठा जाना, उनका तो सारा किया-धरा उनकी जान को लागू हुआ। जो कुछ वे करते रहे क्या उसके सिवा वे किसी और चीज़ का बदला पाएँगे? ([७] अल-आराफ़: 147)Tafseer (तफ़सीर )
وَاتَّخَذَ قَوْمُ مُوْسٰى مِنْۢ بَعْدِهٖ مِنْ حُلِيِّهِمْ عِجْلًا جَسَدًا لَّهٗ خُوَارٌۗ اَلَمْ يَرَوْا اَنَّهٗ لَا يُكَلِّمُهُمْ وَلَا يَهْدِيْهِمْ سَبِيْلًاۘ اِتَّخَذُوْهُ وَكَانُوْا ظٰلِمِيْنَ ١٤٨
- wa-ittakhadha
- وَٱتَّخَذَ
- और बना लिया
- qawmu
- قَوْمُ
- क़ौम ने
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा की
- min
- مِنۢ
- उसके पीछे से
- baʿdihi
- بَعْدِهِۦ
- उसके पीछे से
- min
- مِنْ
- अपने ज़ेवरात में से
- ḥuliyyihim
- حُلِيِّهِمْ
- अपने ज़ेवरात में से
- ʿij'lan
- عِجْلًا
- एक बछ्ड़ा
- jasadan
- جَسَدًا
- जिस्म वाला
- lahu
- لَّهُۥ
- उसकी
- khuwārun
- خُوَارٌۚ
- गाय की आवाज़ थी
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- yaraw
- يَرَوْا۟
- उन्होंने देखा
- annahu
- أَنَّهُۥ
- कि बेशक वो
- lā
- لَا
- नहीं वो कलाम करता था उनसे
- yukallimuhum
- يُكَلِّمُهُمْ
- नहीं वो कलाम करता था उनसे
- walā
- وَلَا
- और ना
- yahdīhim
- يَهْدِيهِمْ
- वो रहनुमाई करता था उनकी
- sabīlan
- سَبِيلًاۘ
- किसी रास्ते (की तरफ़)
- ittakhadhūhu
- ٱتَّخَذُوهُ
- उन्होंने बना लिया उसे (माबूद)
- wakānū
- وَكَانُوا۟
- और थे वो
- ẓālimīna
- ظَٰلِمِينَ
- ज़ालिम
और मूसा के पीछे उसकी क़ौम ने अपने ज़ेवरों से अपने लिए एक बछड़ा बना दिया, जिसमें से बैल की-सी आवाज़ निकलती थी। क्या उन्होंने देखा नहीं कि वह न तो उनसे बातें करता है और न उन्हें कोई राह दिखाता है? उन्होंने उसे अपना उपास्य बना लिया, औऱ वे बड़े अत्याचारी थे ([७] अल-आराफ़: 148)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَمَّا سُقِطَ فِيْٓ اَيْدِيْهِمْ وَرَاَوْا اَنَّهُمْ قَدْ ضَلُّوْاۙ قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ يَرْحَمْنَا رَبُّنَا وَيَغْفِرْ لَنَا لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الْخٰسِرِيْنَ ١٤٩
- walammā
- وَلَمَّا
- और जब
- suqiṭa
- سُقِطَ
- वो गिराए गए
- fī
- فِىٓ
- अपने हाथों में (नादिम हुए)
- aydīhim
- أَيْدِيهِمْ
- अपने हाथों में (नादिम हुए)
- wara-aw
- وَرَأَوْا۟
- और उन्होंने देखा
- annahum
- أَنَّهُمْ
- कि बेशक वो
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ḍallū
- ضَلُّوا۟
- वो भटक गए हैं
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहने लगे
- la-in
- لَئِن
- यक़ीनन अगर
- lam
- لَّمْ
- ना
- yarḥamnā
- يَرْحَمْنَا
- रहम किया हम पर
- rabbunā
- رَبُّنَا
- हमारे रब ने
- wayaghfir
- وَيَغْفِرْ
- और (ना) उसने बख़्शिश फ़रमाई
- lanā
- لَنَا
- हमारी
- lanakūnanna
- لَنَكُونَنَّ
- अलबत्ता हम ज़रूर हो जाऐंगे
- mina
- مِنَ
- ख़सारा पाने वालों में से
- l-khāsirīna
- ٱلْخَٰسِرِينَ
- ख़सारा पाने वालों में से
और जब (चेताबनी से) उन्हें पश्चाताप हुआ और उन्होंने देख लिया कि वास्तव में वे भटक गए हैं तो कहने लगे, 'यदि हमारे रब ने हमपर दया न की और उसने हमें क्षमा न किया तो हम घाटे में पड़ जाएँगे!' ([७] अल-आराफ़: 149)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَمَّا رَجَعَ مُوْسٰٓى اِلٰى قَوْمِهٖ غَضْبَانَ اَسِفًاۙ قَالَ بِئْسَمَا خَلَفْتُمُوْنِيْ مِنْۢ بَعْدِيْۚ اَعَجِلْتُمْ اَمْرَ رَبِّكُمْۚ وَاَلْقَى الْاَلْوَاحَ وَاَخَذَ بِرَأْسِ اَخِيْهِ يَجُرُّهٗٓ اِلَيْهِ ۗقَالَ ابْنَ اُمَّ اِنَّ الْقَوْمَ اسْتَضْعَفُوْنِيْ وَكَادُوْا يَقْتُلُوْنَنِيْۖ فَلَا تُشْمِتْ بِيَ الْاَعْدَاۤءَ وَلَا تَجْعَلْنِيْ مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِيْنَ ١٥٠
- walammā
- وَلَمَّا
- और जब
- rajaʿa
- رَجَعَ
- पलटा
- mūsā
- مُوسَىٰٓ
- मूसा
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपनी क़ौम के
- qawmihi
- قَوْمِهِۦ
- तरफ़ अपनी क़ौम के
- ghaḍbāna
- غَضْبَٰنَ
- बहुत ग़ुस्से में
- asifan
- أَسِفًا
- अफ़सोस करते हुए
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- bi'samā
- بِئْسَمَا
- कितनी बुरी है जो
- khalaftumūnī
- خَلَفْتُمُونِى
- जानशीनी की तुमने मेरी
- min
- مِنۢ
- बाद मेरे
- baʿdī
- بَعْدِىٓۖ
- बाद मेरे
- aʿajil'tum
- أَعَجِلْتُمْ
- क्या जल्दी की तुमने
- amra
- أَمْرَ
- हुक्म से
- rabbikum
- رَبِّكُمْۖ
- अपने रब के
- wa-alqā
- وَأَلْقَى
- और उसने डाल दीं
- l-alwāḥa
- ٱلْأَلْوَاحَ
- तख़्तियाँ
- wa-akhadha
- وَأَخَذَ
- और उसने पकड़ लिया
- birasi
- بِرَأْسِ
- सर
- akhīhi
- أَخِيهِ
- अपने भाई का
- yajurruhu
- يَجُرُّهُۥٓ
- वो खींचने लगा उसे
- ilayhi
- إِلَيْهِۚ
- तरफ़ अपने
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- ib'na
- ٱبْنَ
- ऐ मेरी माँ के बेटे
- umma
- أُمَّ
- ऐ मेरी माँ के बेटे
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों ने
- is'taḍʿafūnī
- ٱسْتَضْعَفُونِى
- कमज़ोर समझा मुझे
- wakādū
- وَكَادُوا۟
- और क़रीब था कि
- yaqtulūnanī
- يَقْتُلُونَنِى
- वो क़त्ल कर देते मुझे
- falā
- فَلَا
- पस ना
- tush'mit
- تُشْمِتْ
- तू हँसा
- biya
- بِىَ
- मुझ पर
- l-aʿdāa
- ٱلْأَعْدَآءَ
- दुश्मनों को
- walā
- وَلَا
- और ना
- tajʿalnī
- تَجْعَلْنِى
- तू शामिल कर मुझे
- maʿa
- مَعَ
- साथ उन लोगों के
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- साथ उन लोगों के
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- जो ज़ालिम है
और जब मूसा क्रोध और दुख से भरा हुआ अपनी क़ौम की ओर लौटा तो उसने कहा, 'तुम लोगों ने मेरे पीछे मेरी जगह बुरा किया। क्या तुम अपने रब के हुक्म से पहले ही जल्दी कर बैठे?' फिर उसने तख़्तियाँ डाल दी और अपने भाई का सिर पकड़कर उसे अपनी ओर खींचने लगा। वह बोला, 'ऐ मेरी माँ के बेटे! लोगों ने मुझे कमज़ोर समझ लिया और निकट था कि मुझे मार डालते। अतः शत्रुओं को मुझपर हुलसने का अवसर न दे और अत्याचारी लोगों में मुझे सम्मिलित न कर।' ([७] अल-आराफ़: 150)Tafseer (तफ़सीर )