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सूरा अल-आराफ़ - Page: 15

Al-A'raf

(The Heights)

१४१

وَاِذْ اَنْجَيْنٰكُمْ مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ يَسُوْمُوْنَكُمْ سُوْۤءَ الْعَذَابِۚ يُقَتِّلُوْنَ اَبْنَاۤءَكُمْ وَيَسْتَحْيُوْنَ نِسَاۤءَكُمْۗ وَفِيْ ذٰلِكُمْ بَلَاۤءٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَظِيْمٌ ࣖ ١٤١

wa-idh
وَإِذْ
और जब
anjaynākum
أَنجَيْنَٰكُم
निजात दी हमने तुम्हें
min
مِّنْ
आले फ़िरऔन से
āli
ءَالِ
आले फ़िरऔन से
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
आले फ़िरऔन से
yasūmūnakum
يَسُومُونَكُمْ
वो चखाते थे तुम्हें
sūa
سُوٓءَ
बुरा
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِۖ
अज़ाब
yuqattilūna
يُقَتِّلُونَ
वो खूब क़त्ल करते
abnāakum
أَبْنَآءَكُمْ
तुम्हारे बेटों को
wayastaḥyūna
وَيَسْتَحْيُونَ
और वो ज़िन्दा छोड़ देते
nisāakum
نِسَآءَكُمْۚ
तुम्हारी औरतों को
wafī
وَفِى
और इसमें
dhālikum
ذَٰلِكُم
और इसमें
balāon
بَلَآءٌ
आज़माइश थी
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ी
और याद करो जब हमने तुम्हें फ़िरऔन के लोगों से छुटकारा दिया जो तुम्हें बुरी यातना में ग्रस्त रखते थे। तुम्हारे बेटों को मार डालते और तुम्हारी स्त्रियों को जीवित रहने देते थे। और वह (छुटकारा दिलाना) तुम्हारे रब की ओर से बड़ा अनुग्रह है ([७] अल-आराफ़: 141)
Tafseer (तफ़सीर )
१४२

۞ وَوٰعَدْنَا مُوْسٰى ثَلٰثِيْنَ لَيْلَةً وَّاَتْمَمْنٰهَا بِعَشْرٍ فَتَمَّ مِيْقَاتُ رَبِّهٖٓ اَرْبَعِيْنَ لَيْلَةً ۚوَقَالَ مُوْسٰى لِاَخِيْهِ هٰرُوْنَ اخْلُفْنِيْ فِيْ قَوْمِيْ وَاَصْلِحْ وَلَا تَتَّبِعْ سَبِيْلَ الْمُفْسِدِيْنَ ١٤٢

wawāʿadnā
وَوَٰعَدْنَا
और वादा लिया हमने
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा से
thalāthīna
ثَلَٰثِينَ
तीस
laylatan
لَيْلَةً
रात का
wa-atmamnāhā
وَأَتْمَمْنَٰهَا
और पूरा किया हमने उन्हें
biʿashrin
بِعَشْرٍ
साथ दस के
fatamma
فَتَمَّ
तो पूरा हुआ
mīqātu
مِيقَٰتُ
मुक़र्रर वक़्त
rabbihi
رَبِّهِۦٓ
उसके रब का
arbaʿīna
أَرْبَعِينَ
चालीस
laylatan
لَيْلَةًۚ
रात का
waqāla
وَقَالَ
और कहा
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा ने
li-akhīhi
لِأَخِيهِ
अपने भाई हारून से
hārūna
هَٰرُونَ
अपने भाई हारून से
ukh'luf'nī
ٱخْلُفْنِى
जानशीनी करो मेरी
فِى
मेरी क़ौम में
qawmī
قَوْمِى
मेरी क़ौम में
wa-aṣliḥ
وَأَصْلِحْ
और इस्लाह करो
walā
وَلَا
और ना
tattabiʿ
تَتَّبِعْ
तुम पैरवी करो
sabīla
سَبِيلَ
रास्ते की
l-muf'sidīna
ٱلْمُفْسِدِينَ
फ़साद करने वालों के
और हमने मूसा से तीस रातों का वादा ठहराया, फिर हमने दस और बढ़ाकर उसे पूरा किया। इसी प्रकार उसके रब की ठहराई हुई अवधि चालीस रातों में पूरी हुई और मूसा ने अपने भाई हारून से कहा, 'मेरे पीछे तुम मेरी क़ौम में मेरा प्रतिनिधित्व करना और सुधारना और बिगाड़ पैदा करनेवालों के मार्ग पर न चलना।' ([७] अल-आराफ़: 142)
Tafseer (तफ़सीर )
१४३

وَلَمَّا جَاۤءَ مُوْسٰى لِمِيْقَاتِنَا وَكَلَّمَهٗ رَبُّهٗۙ قَالَ رَبِّ اَرِنِيْٓ اَنْظُرْ اِلَيْكَۗ قَالَ لَنْ تَرٰىنِيْ وَلٰكِنِ انْظُرْ اِلَى الْجَبَلِ فَاِنِ اسْتَقَرَّ مَكَانَهٗ فَسَوْفَ تَرٰىنِيْۚ فَلَمَّا تَجَلّٰى رَبُّهٗ لِلْجَبَلِ جَعَلَهٗ دَكًّا وَّخَرَّ مُوْسٰى صَعِقًاۚ فَلَمَّآ اَفَاقَ قَالَ سُبْحٰنَكَ تُبْتُ اِلَيْكَ وَاَنَا۠ اَوَّلُ الْمُؤْمِنِيْنَ ١٤٣

walammā
وَلَمَّا
और जब
jāa
جَآءَ
आया
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा
limīqātinā
لِمِيقَٰتِنَا
हमारे मुक़र्रर वक़्त पर
wakallamahu
وَكَلَّمَهُۥ
और कलाम किया उससे
rabbuhu
رَبُّهُۥ
उसके रब ने
qāla
قَالَ
कहा
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
arinī
أَرِنِىٓ
दिखा मुझे
anẓur
أَنظُرْ
मैं देखूँ
ilayka
إِلَيْكَۚ
तेरी तरफ़
qāla
قَالَ
फ़रमाया
lan
لَن
हरगिज़ ना
tarānī
تَرَىٰنِى
तुम देख सकोगे मुझे
walākini
وَلَٰكِنِ
और लेकिन
unẓur
ٱنظُرْ
देखो
ilā
إِلَى
तरफ़ पहाड़ के
l-jabali
ٱلْجَبَلِ
तरफ़ पहाड़ के
fa-ini
فَإِنِ
फिर अगर
is'taqarra
ٱسْتَقَرَّ
वो क़ायम रहे
makānahu
مَكَانَهُۥ
अपनी जगह पर
fasawfa
فَسَوْفَ
तो अनक़रीब
tarānī
تَرَىٰنِىۚ
तुम देख लोगे मुझे
falammā
فَلَمَّا
तो जब
tajallā
تَجَلَّىٰ
तजल्ली की
rabbuhu
رَبُّهُۥ
उसके रब ने
lil'jabali
لِلْجَبَلِ
पहाड़ पर
jaʿalahu
جَعَلَهُۥ
उसने कर दिया उसे
dakkan
دَكًّا
रेज़ा-रेज़ा
wakharra
وَخَرَّ
और गिर पड़ा
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा
ṣaʿiqan
صَعِقًاۚ
बेहोश होकर
falammā
فَلَمَّآ
फिर जब
afāqa
أَفَاقَ
होश में आया
qāla
قَالَ
उसने कहा
sub'ḥānaka
سُبْحَٰنَكَ
पाक है तू
tub'tu
تُبْتُ
तौबा करता हूँ मैं
ilayka
إِلَيْكَ
तेरी तरफ़
wa-anā
وَأَنَا۠
और मैं
awwalu
أَوَّلُ
सब से पहला हूँ
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वालों में
अब मूसा हमारे निश्चित किए हुए समय पर पहुँचा और उसके रब ने उससे बातें की, तो वह करने लगा, 'मेरे रब! मुझे देखने की शक्ति प्रदान कर कि मैं तुझे देखूँ।' कहा, 'तू मुझे कदापि न देख सकेगा। हाँ, पहाड़ की ओर देख। यदि वह अपने स्थान पर स्थिर पर स्थिर रह जाए तो फिर तू मुझे देख लेगा।' अतएव जब उसका रब पहाड़ पर प्रकट हुआ तो उसे चकनाचूर कर दिया और मूसा मूर्छित होकर गिर पड़ा। फिर जब होश में आया तो कहा, 'महिमा है तेरी! मैं तेरे समझ तौबा करता हूँ और सबसे पहला ईमान लानेवाला मैं हूँ।' ([७] अल-आराफ़: 143)
Tafseer (तफ़सीर )
१४४

قَالَ يٰمُوْسٰٓى اِنِّى اصْطَفَيْتُكَ عَلَى النَّاسِ بِرِسٰلٰتِيْ وَبِكَلَامِيْ ۖفَخُذْ مَآ اٰتَيْتُكَ وَكُنْ مِّنَ الشّٰكِرِيْنَ ١٤٤

qāla
قَالَ
फ़रमाया
yāmūsā
يَٰمُوسَىٰٓ
ऐ मूसा
innī
إِنِّى
बेशक मैं
iṣ'ṭafaytuka
ٱصْطَفَيْتُكَ
चुन लिया मैंने तुझे
ʿalā
عَلَى
लोगों पर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों पर
birisālātī
بِرِسَٰلَٰتِى
साथ अपने पैग़ामात के
wabikalāmī
وَبِكَلَٰمِى
और सात अपने कलाम के
fakhudh
فَخُذْ
पस ले लो
مَآ
जो
ātaytuka
ءَاتَيْتُكَ
दिया मैंने तुझे
wakun
وَكُن
और हो जाओ
mina
مِّنَ
शुक्र करने वालों में से
l-shākirīna
ٱلشَّٰكِرِينَ
शुक्र करने वालों में से
उसने कहा, 'ऐ मूसा! मैंने दूसरे लोगों के मुक़ाबले में तुझे चुनकर अपने संदेशों और अपनी वाणी से तुझे उपकृत किया। अतः जो कुछ मैं तुझे दूँ उसे ले और कृतज्ञता दिखा।' ([७] अल-आराफ़: 144)
Tafseer (तफ़सीर )
१४५

وَكَتَبْنَا لَهٗ فِى الْاَلْوَاحِ مِنْ كُلِّ شَيْءٍ مَّوْعِظَةً وَّتَفْصِيْلًا لِّكُلِّ شَيْءٍۚ فَخُذْهَا بِقُوَّةٍ وَّأْمُرْ قَوْمَكَ يَأْخُذُوْا بِاَحْسَنِهَا ۗسَاُورِيْكُمْ دَارَ الْفٰسِقِيْنَ ١٤٥

wakatabnā
وَكَتَبْنَا
और लिख दी हमने
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
فِى
तख़्तियों में
l-alwāḥi
ٱلْأَلْوَاحِ
तख़्तियों में
min
مِن
हर चीज़ के बारे में
kulli
كُلِّ
हर चीज़ के बारे में
shayin
شَىْءٍ
हर चीज़ के बारे में
mawʿiẓatan
مَّوْعِظَةً
नसीहत
watafṣīlan
وَتَفْصِيلًا
और तफ़सील
likulli
لِّكُلِّ
वास्ते हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
fakhudh'hā
فَخُذْهَا
पस पकड़ लो उसे
biquwwatin
بِقُوَّةٍ
मज़बूती से
wamur
وَأْمُرْ
और हुक्म दो
qawmaka
قَوْمَكَ
अपनी क़ौम को
yakhudhū
يَأْخُذُوا۟
वो ले लें
bi-aḥsanihā
بِأَحْسَنِهَاۚ
उनके बेहतरीन को
sa-urīkum
سَأُو۟رِيكُمْ
अनक़रीब मैं दिखाऊँगा तुम्हें
dāra
دَارَ
घर
l-fāsiqīna
ٱلْفَٰسِقِينَ
फ़ासिक़ों के
और हमने उसके लिए तख़्तियों पर उपदेश के रूप में हर चीज़ और हर चीज़ का विस्तृत वर्णन लिख दिया। अतः उनको मज़बूती से पकड़। उनमें उत्तम बातें है। अपनी क़ौम के लोगों को हुक्म दे कि वे उनको अपनाएँ। मैं शीघ्र ही तुम्हें अवज्ञाकारियों का घर दिखाऊँगा ([७] अल-आराफ़: 145)
Tafseer (तफ़सीर )
१४६

سَاَصْرِفُ عَنْ اٰيٰتِيَ الَّذِيْنَ يَتَكَبَّرُوْنَ فِى الْاَرْضِ بِغَيْرِ الْحَقِّۗ وَاِنْ يَّرَوْا كُلَّ اٰيَةٍ لَّا يُؤْمِنُوْا بِهَاۚ وَاِنْ يَّرَوْا سَبِيْلَ الرُّشْدِ لَا يَتَّخِذُوْهُ سَبِيْلًاۚ وَاِنْ يَّرَوْا سَبِيْلَ الْغَيِّ يَتَّخِذُوْهُ سَبِيْلًاۗ ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَكَانُوْا عَنْهَا غٰفِلِيْنَ ١٤٦

sa-aṣrifu
سَأَصْرِفُ
अनक़रीब मैं फेर दूँगा
ʿan
عَنْ
अपनी निशानियों से
āyātiya
ءَايَٰتِىَ
अपनी निशानियों से
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों को जो
yatakabbarūna
يَتَكَبَّرُونَ
तकब्बुर करते हैं
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّ
हक़ के
wa-in
وَإِن
और अगर
yaraw
يَرَوْا۟
वो देख लें
kulla
كُلَّ
हर
āyatin
ءَايَةٍ
निशानी
لَّا
नहीं वो ईमान लाऐंगे
yu'minū
يُؤْمِنُوا۟
नहीं वो ईमान लाऐंगे
bihā
بِهَا
उस पर
wa-in
وَإِن
और अगर
yaraw
يَرَوْا۟
वो देख लें
sabīla
سَبِيلَ
रास्ता
l-rush'di
ٱلرُّشْدِ
हिदायत का
لَا
नहीं वो बनाऐंगे उसे
yattakhidhūhu
يَتَّخِذُوهُ
नहीं वो बनाऐंगे उसे
sabīlan
سَبِيلًا
रास्ता
wa-in
وَإِن
और अगर
yaraw
يَرَوْا۟
वो देख लें
sabīla
سَبِيلَ
रास्ता
l-ghayi
ٱلْغَىِّ
गुमराही का
yattakhidhūhu
يَتَّخِذُوهُ
वो बना लेंगे उसे
sabīlan
سَبِيلًاۚ
रास्ता
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि उन्होंने
kadhabū
كَذَّبُوا۟
झुठलाया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात को
wakānū
وَكَانُوا۟
और थे वो
ʿanhā
عَنْهَا
उनसे
ghāfilīna
غَٰفِلِينَ
ग़ाफ़िल
जो लोग धरती में नाहक़ बड़े बनते है, मैं अपनी निशानियों की ओर से उन्हें फेर दूँगा। यदि वे प्रत्येक निशानी देख ले तब भी वे उस पर ईमान नहीं लाएँगे। यदि वे सीधा मार्ग देख लें तो भी वे उसे अपना मार्ग नहीं बनाएँगे। लेकिन यदि वे पथभ्रष्ट का मार्ग देख लें तो उसे अपना मार्ग ठहरा लेंगे। यह इसलिए की उन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और उनसे ग़ाफ़िल रहे ([७] अल-आराफ़: 146)
Tafseer (तफ़सीर )
१४७

وَالَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَلِقَاۤءِ الْاٰخِرَةِ حَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْۗ هَلْ يُجْزَوْنَ اِلَّا مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ࣖ ١٤٧

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
kadhabū
كَذَّبُوا۟
झुठलाया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी निशानियों को
waliqāi
وَلِقَآءِ
और मुलाक़ात को
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत की
ḥabiṭat
حَبِطَتْ
ज़ाया हो गए
aʿmāluhum
أَعْمَٰلُهُمْۚ
आमाल उनके
hal
هَلْ
नहीं
yuj'zawna
يُجْزَوْنَ
वो बदला दिए जाऐंगे
illā
إِلَّا
मगर
مَا
जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
जिन लोगों ने हमारी आयतों को और आख़िरत के मिलन को झूठा जाना, उनका तो सारा किया-धरा उनकी जान को लागू हुआ। जो कुछ वे करते रहे क्या उसके सिवा वे किसी और चीज़ का बदला पाएँगे? ([७] अल-आराफ़: 147)
Tafseer (तफ़सीर )
१४८

وَاتَّخَذَ قَوْمُ مُوْسٰى مِنْۢ بَعْدِهٖ مِنْ حُلِيِّهِمْ عِجْلًا جَسَدًا لَّهٗ خُوَارٌۗ اَلَمْ يَرَوْا اَنَّهٗ لَا يُكَلِّمُهُمْ وَلَا يَهْدِيْهِمْ سَبِيْلًاۘ اِتَّخَذُوْهُ وَكَانُوْا ظٰلِمِيْنَ ١٤٨

wa-ittakhadha
وَٱتَّخَذَ
और बना लिया
qawmu
قَوْمُ
क़ौम ने
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा की
min
مِنۢ
उसके पीछे से
baʿdihi
بَعْدِهِۦ
उसके पीछे से
min
مِنْ
अपने ज़ेवरात में से
ḥuliyyihim
حُلِيِّهِمْ
अपने ज़ेवरात में से
ʿij'lan
عِجْلًا
एक बछ्ड़ा
jasadan
جَسَدًا
जिस्म वाला
lahu
لَّهُۥ
उसकी
khuwārun
خُوَارٌۚ
गाय की आवाज़ थी
alam
أَلَمْ
क्या नहीं
yaraw
يَرَوْا۟
उन्होंने देखा
annahu
أَنَّهُۥ
कि बेशक वो
لَا
नहीं वो कलाम करता था उनसे
yukallimuhum
يُكَلِّمُهُمْ
नहीं वो कलाम करता था उनसे
walā
وَلَا
और ना
yahdīhim
يَهْدِيهِمْ
वो रहनुमाई करता था उनकी
sabīlan
سَبِيلًاۘ
किसी रास्ते (की तरफ़)
ittakhadhūhu
ٱتَّخَذُوهُ
उन्होंने बना लिया उसे (माबूद)
wakānū
وَكَانُوا۟
और थे वो
ẓālimīna
ظَٰلِمِينَ
ज़ालिम
और मूसा के पीछे उसकी क़ौम ने अपने ज़ेवरों से अपने लिए एक बछड़ा बना दिया, जिसमें से बैल की-सी आवाज़ निकलती थी। क्या उन्होंने देखा नहीं कि वह न तो उनसे बातें करता है और न उन्हें कोई राह दिखाता है? उन्होंने उसे अपना उपास्य बना लिया, औऱ वे बड़े अत्याचारी थे ([७] अल-आराफ़: 148)
Tafseer (तफ़सीर )
१४९

وَلَمَّا سُقِطَ فِيْٓ اَيْدِيْهِمْ وَرَاَوْا اَنَّهُمْ قَدْ ضَلُّوْاۙ قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ يَرْحَمْنَا رَبُّنَا وَيَغْفِرْ لَنَا لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الْخٰسِرِيْنَ ١٤٩

walammā
وَلَمَّا
और जब
suqiṭa
سُقِطَ
वो गिराए गए
فِىٓ
अपने हाथों में (नादिम हुए)
aydīhim
أَيْدِيهِمْ
अपने हाथों में (नादिम हुए)
wara-aw
وَرَأَوْا۟
और उन्होंने देखा
annahum
أَنَّهُمْ
कि बेशक वो
qad
قَدْ
तहक़ीक़
ḍallū
ضَلُّوا۟
वो भटक गए हैं
qālū
قَالُوا۟
वो कहने लगे
la-in
لَئِن
यक़ीनन अगर
lam
لَّمْ
ना
yarḥamnā
يَرْحَمْنَا
रहम किया हम पर
rabbunā
رَبُّنَا
हमारे रब ने
wayaghfir
وَيَغْفِرْ
और (ना) उसने बख़्शिश फ़रमाई
lanā
لَنَا
हमारी
lanakūnanna
لَنَكُونَنَّ
अलबत्ता हम ज़रूर हो जाऐंगे
mina
مِنَ
ख़सारा पाने वालों में से
l-khāsirīna
ٱلْخَٰسِرِينَ
ख़सारा पाने वालों में से
और जब (चेताबनी से) उन्हें पश्चाताप हुआ और उन्होंने देख लिया कि वास्तव में वे भटक गए हैं तो कहने लगे, 'यदि हमारे रब ने हमपर दया न की और उसने हमें क्षमा न किया तो हम घाटे में पड़ जाएँगे!' ([७] अल-आराफ़: 149)
Tafseer (तफ़सीर )
१५०

وَلَمَّا رَجَعَ مُوْسٰٓى اِلٰى قَوْمِهٖ غَضْبَانَ اَسِفًاۙ قَالَ بِئْسَمَا خَلَفْتُمُوْنِيْ مِنْۢ بَعْدِيْۚ اَعَجِلْتُمْ اَمْرَ رَبِّكُمْۚ وَاَلْقَى الْاَلْوَاحَ وَاَخَذَ بِرَأْسِ اَخِيْهِ يَجُرُّهٗٓ اِلَيْهِ ۗقَالَ ابْنَ اُمَّ اِنَّ الْقَوْمَ اسْتَضْعَفُوْنِيْ وَكَادُوْا يَقْتُلُوْنَنِيْۖ فَلَا تُشْمِتْ بِيَ الْاَعْدَاۤءَ وَلَا تَجْعَلْنِيْ مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِيْنَ ١٥٠

walammā
وَلَمَّا
और जब
rajaʿa
رَجَعَ
पलटा
mūsā
مُوسَىٰٓ
मूसा
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अपनी क़ौम के
qawmihi
قَوْمِهِۦ
तरफ़ अपनी क़ौम के
ghaḍbāna
غَضْبَٰنَ
बहुत ग़ुस्से में
asifan
أَسِفًا
अफ़सोस करते हुए
qāla
قَالَ
उसने कहा
bi'samā
بِئْسَمَا
कितनी बुरी है जो
khalaftumūnī
خَلَفْتُمُونِى
जानशीनी की तुमने मेरी
min
مِنۢ
बाद मेरे
baʿdī
بَعْدِىٓۖ
बाद मेरे
aʿajil'tum
أَعَجِلْتُمْ
क्या जल्दी की तुमने
amra
أَمْرَ
हुक्म से
rabbikum
رَبِّكُمْۖ
अपने रब के
wa-alqā
وَأَلْقَى
और उसने डाल दीं
l-alwāḥa
ٱلْأَلْوَاحَ
तख़्तियाँ
wa-akhadha
وَأَخَذَ
और उसने पकड़ लिया
birasi
بِرَأْسِ
सर
akhīhi
أَخِيهِ
अपने भाई का
yajurruhu
يَجُرُّهُۥٓ
वो खींचने लगा उसे
ilayhi
إِلَيْهِۚ
तरफ़ अपने
qāla
قَالَ
उसने कहा
ib'na
ٱبْنَ
ऐ मेरी माँ के बेटे
umma
أُمَّ
ऐ मेरी माँ के बेटे
inna
إِنَّ
बेशक
l-qawma
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों ने
is'taḍʿafūnī
ٱسْتَضْعَفُونِى
कमज़ोर समझा मुझे
wakādū
وَكَادُوا۟
और क़रीब था कि
yaqtulūnanī
يَقْتُلُونَنِى
वो क़त्ल कर देते मुझे
falā
فَلَا
पस ना
tush'mit
تُشْمِتْ
तू हँसा
biya
بِىَ
मुझ पर
l-aʿdāa
ٱلْأَعْدَآءَ
दुश्मनों को
walā
وَلَا
और ना
tajʿalnī
تَجْعَلْنِى
तू शामिल कर मुझे
maʿa
مَعَ
साथ उन लोगों के
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
साथ उन लोगों के
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
जो ज़ालिम है
और जब मूसा क्रोध और दुख से भरा हुआ अपनी क़ौम की ओर लौटा तो उसने कहा, 'तुम लोगों ने मेरे पीछे मेरी जगह बुरा किया। क्या तुम अपने रब के हुक्म से पहले ही जल्दी कर बैठे?' फिर उसने तख़्तियाँ डाल दी और अपने भाई का सिर पकड़कर उसे अपनी ओर खींचने लगा। वह बोला, 'ऐ मेरी माँ के बेटे! लोगों ने मुझे कमज़ोर समझ लिया और निकट था कि मुझे मार डालते। अतः शत्रुओं को मुझपर हुलसने का अवसर न दे और अत्याचारी लोगों में मुझे सम्मिलित न कर।' ([७] अल-आराफ़: 150)
Tafseer (तफ़सीर )