قَالُوْٓا اٰمَنَّا بِرَبِّ الْعٰلَمِيْنَۙ ١٢١
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- birabbi
- بِرَبِّ
- रब्बुल आलमीन पर
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- रब्बुल आलमीन पर
बोले, 'हम सारे संसार के रब पर ईमान ले आए; ([७] अल-आराफ़: 121)Tafseer (तफ़सीर )
رَبِّ مُوْسٰى وَهٰرُوْنَ ١٢٢
- rabbi
- رَبِّ
- जो रब है
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा
- wahārūna
- وَهَٰرُونَ
- और हारून का
'मूसा और हारून के रब पर।' ([७] अल-आराफ़: 122)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ فِرْعَوْنُ اٰمَنْتُمْ بِهٖ قَبْلَ اَنْ اٰذَنَ لَكُمْۚ اِنَّ هٰذَا لَمَكْرٌ مَّكَرْتُمُوْهُ فِى الْمَدِيْنَةِ لِتُخْرِجُوْا مِنْهَآ اَهْلَهَاۚ فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ١٢٣
- qāla
- قَالَ
- कहा
- fir'ʿawnu
- فِرْعَوْنُ
- फ़िरऔन ने
- āmantum
- ءَامَنتُم
- ईमान लाए तुम
- bihi
- بِهِۦ
- उस पर
- qabla
- قَبْلَ
- इससे पहले
- an
- أَنْ
- कि
- ādhana
- ءَاذَنَ
- मैं इजाज़त दूँ
- lakum
- لَكُمْۖ
- तुम्हें
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- lamakrun
- لَمَكْرٌ
- अलबत्ता चाल थी
- makartumūhu
- مَّكَرْتُمُوهُ
- चाल चली तुमने ये
- fī
- فِى
- शहर में
- l-madīnati
- ٱلْمَدِينَةِ
- शहर में
- litukh'rijū
- لِتُخْرِجُوا۟
- ताकि तुम निकाल ले जाओ
- min'hā
- مِنْهَآ
- इससे
- ahlahā
- أَهْلَهَاۖ
- इसके रहने वालों को
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- पस अनक़रीब
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जान लोगे
फ़िरऔन बोला, 'इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति दूँ, तं उसपर ईमान ले आए! यह तो एक चाल है, जो तुम लोग नगर में चले हो, ताकि उसके निवासियों को उससे निकाल दो। अच्छा, तो अब तुम्हें जल्द की मालूम हुआ जाता है! ([७] अल-आराफ़: 123)Tafseer (तफ़सीर )
لَاُقَطِّعَنَّ اَيْدِيَكُمْ وَاَرْجُلَكُمْ مِّنْ خِلَافٍ ثُمَّ لَاُصَلِّبَنَّكُمْ اَجْمَعِيْنَ ١٢٤
- la-uqaṭṭiʿanna
- لَأُقَطِّعَنَّ
- अलबत्ता मैं ज़रूर काट दूँगा
- aydiyakum
- أَيْدِيَكُمْ
- हाथ तुम्हारे
- wa-arjulakum
- وَأَرْجُلَكُم
- और पाँव तुम्हारे
- min
- مِّنْ
- मुख़ालिफ़ सिम्त से
- khilāfin
- خِلَٰفٍ
- मुख़ालिफ़ सिम्त से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- la-uṣallibannakum
- لَأُصَلِّبَنَّكُمْ
- अलबत्ता मैं ज़रूर सूली चढ़ाऊँगा तुम्हें
- ajmaʿīna
- أَجْمَعِينَ
- सबके-सबको
'मैं तुम्हारे हाथ और तुम्हारे पाँव विपरीत दिशाओं से काट दूँगा; फिर तुम सबको सूली पर चढ़ाकर रहूँगा।' ([७] अल-आराफ़: 124)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْٓا اِنَّآ اِلٰى رَبِّنَا مُنْقَلِبُوْنَۙ ١٢٥
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने रब के
- rabbinā
- رَبِّنَا
- तरफ़ अपने रब के
- munqalibūna
- مُنقَلِبُونَ
- पलटने वाले हैं
उन्होंने कहा, 'हम तो अपने रब ही की और लौटेंगे ([७] अल-आराफ़: 125)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا تَنْقِمُ مِنَّآ اِلَّآ اَنْ اٰمَنَّا بِاٰيٰتِ رَبِّنَا لَمَّا جَاۤءَتْنَا ۗرَبَّنَآ اَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَّتَوَفَّنَا مُسْلِمِيْنَ ࣖ ١٢٦
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- tanqimu
- تَنقِمُ
- तुम नाराज़ होते
- minnā
- مِنَّآ
- हमसे
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَنْ
- ये कि
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- biāyāti
- بِـَٔايَٰتِ
- निशानियों पर
- rabbinā
- رَبِّنَا
- अपने रब की
- lammā
- لَمَّا
- जब
- jāatnā
- جَآءَتْنَاۚ
- वो आईं हमारे पास
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- afrigh
- أَفْرِغْ
- उँडेल दे
- ʿalaynā
- عَلَيْنَا
- हम पर
- ṣabran
- صَبْرًا
- सब्र
- watawaffanā
- وَتَوَفَّنَا
- और फ़ौत कर हमें
- mus'limīna
- مُسْلِمِينَ
- इस हाल में कि मुसलमान हों
'और तू केबल इस क्रोध से हमें कष्ट पहुँचाने के लिए पीछे पड़ गया है कि हम अपने रब की निशानियों पर ईमान ले आए। हमारे रब! हमपर धैर्य उड़ेल दे और हमें इस दशा में उठा कि हम मुस्लिम (आज्ञाकारी) हो।' ([७] अल-आराफ़: 126)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِ فِرْعَوْنَ اَتَذَرُ مُوْسٰى وَقَوْمَهٗ لِيُفْسِدُوْا فِى الْاَرْضِ وَيَذَرَكَ وَاٰلِهَتَكَۗ قَالَ سَنُقَتِّلُ اَبْنَاۤءَهُمْ وَنَسْتَحْيٖ نِسَاۤءَهُمْۚ وَاِنَّا فَوْقَهُمْ قَاهِرُوْنَ ١٢٧
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- l-mala-u
- ٱلْمَلَأُ
- सरदारों ने
- min
- مِن
- क़ौम में से
- qawmi
- قَوْمِ
- क़ौम में से
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन की
- atadharu
- أَتَذَرُ
- क्या तुम छोड़ दोगे
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा को
- waqawmahu
- وَقَوْمَهُۥ
- और उसकी क़ौम को
- liyuf'sidū
- لِيُفْسِدُوا۟
- कि वो फ़साद फैलाऐं
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- wayadharaka
- وَيَذَرَكَ
- और छोड़ दें तुझे
- waālihataka
- وَءَالِهَتَكَۚ
- और तेरे इलाहों को
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- sanuqattilu
- سَنُقَتِّلُ
- ज़रूर हम ख़ूब क़त्ल कर देंगे
- abnāahum
- أَبْنَآءَهُمْ
- उनके बेटों को
- wanastaḥyī
- وَنَسْتَحْىِۦ
- और हम ज़िंदा छोड़ देंगे
- nisāahum
- نِسَآءَهُمْ
- उनकी औरतों को
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- fawqahum
- فَوْقَهُمْ
- ऊपर उनके
- qāhirūna
- قَٰهِرُونَ
- ज़बरदस्त हैं
फ़िरऔन की क़ौम के सरदार कहने लगे, 'क्या तुम मूसा और उसकी क़ौम को ऐसे ही छोड़ दोगे कि वे ज़मीन में बिगाड़ पैदा करें और वे तुम्हें और तुम्हारे उपास्यों को छोड़ बैठे?' उसने कहा, 'हम उनके बेटों को बुरी तरह क़त्ल करेंगे और उनकी स्त्रियों को जीवित रखेंगे। निश्चय ही हमें उनपर पूर्ण अधिकार प्राप्त है।' ([७] अल-आराफ़: 127)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ مُوْسٰى لِقَوْمِهِ اسْتَعِيْنُوْا بِاللّٰهِ وَاصْبِرُوْاۚ اِنَّ الْاَرْضَ لِلّٰهِ ۗيُوْرِثُهَا مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖۗ وَالْعَاقِبَةُ لِلْمُتَّقِيْنَ ١٢٨
- qāla
- قَالَ
- कहा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- liqawmihi
- لِقَوْمِهِ
- अपनी क़ौम से
- is'taʿīnū
- ٱسْتَعِينُوا۟
- मदद माँगो तुम
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह से
- wa-iṣ'birū
- وَٱصْبِرُوٓا۟ۖ
- और सब्र करो
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह ही के लिए है
- yūrithuhā
- يُورِثُهَا
- वो वारिस बनाता है उसका
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- min
- مِنْ
- अपने बन्दों में से
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦۖ
- अपने बन्दों में से
- wal-ʿāqibatu
- وَٱلْعَٰقِبَةُ
- और अंजाम
- lil'muttaqīna
- لِلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों के लिए है
मूसा ने अपनी क़ौम से कहा, 'अल्लाह से सम्बद्ध होकर सहायता प्राप्त करो और धैर्य से काम लो। धरती अल्लाह की है। वह अपने बन्दों में से जिसे चाहता है, उसका वारिस बना देता है। और अंतिम परिणाम तो डर रखनेवालों ही के लिए है।' ([७] अल-आराफ़: 128)Tafseer (तफ़सीर )
قَالُوْٓا اُوْذِيْنَا مِنْ قَبْلِ اَنْ تَأْتِيَنَا وَمِنْۢ بَعْدِ مَا جِئْتَنَا ۗقَالَ عَسٰى رَبُّكُمْ اَنْ يُّهْلِكَ عَدُوَّكُمْ وَيَسْتَخْلِفَكُمْ فِى الْاَرْضِ فَيَنْظُرَ كَيْفَ تَعْمَلُوْنَ ࣖ ١٢٩
- qālū
- قَالُوٓا۟
- उन्होंने कहा
- ūdhīnā
- أُوذِينَا
- अज़ियत दिए गए हम
- min
- مِن
- इससे पहले
- qabli
- قَبْلِ
- इससे पहले
- an
- أَن
- कि
- tatiyanā
- تَأْتِيَنَا
- तू आए हमारे पास
- wamin
- وَمِنۢ
- और बाद इसके
- baʿdi
- بَعْدِ
- और बाद इसके
- mā
- مَا
- जो
- ji'tanā
- جِئْتَنَاۚ
- तू आ गया हमारे पास
- qāla
- قَالَ
- उसने जवाब दिया
- ʿasā
- عَسَىٰ
- क़रीब है
- rabbukum
- رَبُّكُمْ
- रब तुम्हारा
- an
- أَن
- कि
- yuh'lika
- يُهْلِكَ
- हलाक कर दे
- ʿaduwwakum
- عَدُوَّكُمْ
- तुम्हारे दुश्मन को
- wayastakhlifakum
- وَيَسْتَخْلِفَكُمْ
- और जानशीन बनाए तुम्हें
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- fayanẓura
- فَيَنظُرَ
- फिर वो देखे
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
उन्होंने कहा, 'तुम्हारे आने से पहले भी हम सताए गए और तुम्हारे आने के बाद भी।' उसने कहा, 'निकट है कि तुम्हारा रब तुम्हारे शत्रुओं को विनष्ट कर दे और तुम्हें धरती में ख़लीफ़ा बनाए, फिर यह देखे कि तुम कैसे कर्म करते हो।' ([७] अल-आराफ़: 129)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اَخَذْنَآ اٰلَ فِرْعَوْنَ بِالسِّنِيْنَ وَنَقْصٍ مِّنَ الثَّمَرٰتِ لَعَلَّهُمْ يَذَّكَّرُوْنَ ١٣٠
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- akhadhnā
- أَخَذْنَآ
- पकड़ा हमने
- āla
- ءَالَ
- आले फ़िरऔन को
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- आले फ़िरऔन को
- bil-sinīna
- بِٱلسِّنِينَ
- साथ क़हतसालियों के
- wanaqṣin
- وَنَقْصٍ
- और कमी के
- mina
- مِّنَ
- फलों में से
- l-thamarāti
- ٱلثَّمَرَٰتِ
- फलों में से
- laʿallahum
- لَعَلَّهُمْ
- शायद कि वो
- yadhakkarūna
- يَذَّكَّرُونَ
- वो नसीहत पकड़ें
और हमने फ़िरऔनियों को कई वर्ष तक अकाल और पैदावार की कमी में ग्रस्त रखा कि वे चेतें ([७] अल-आराफ़: 130)Tafseer (तफ़सीर )