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सूरा अल-आराफ़ - Page: 11

Al-A'raf

(The Heights)

१०१

تِلْكَ الْقُرٰى نَقُصُّ عَلَيْكَ مِنْ اَنْۢبَاۤىِٕهَاۚ وَلَقَدْ جَاۤءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنٰتِۚ فَمَا كَانُوْا لِيُؤْمِنُوْا بِمَا كَذَّبُوْا مِنْ قَبْلُۗ كَذٰلِكَ يَطْبَعُ اللّٰهُ عَلٰى قُلُوْبِ الْكٰفِرِيْنَ ١٠١

til'ka
تِلْكَ
ये
l-qurā
ٱلْقُرَىٰ
बस्तियाँ हैं
naquṣṣu
نَقُصُّ
हम बयान कर रहे हैं
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
min
مِنْ
उनकी ख़बरों में से
anbāihā
أَنۢبَآئِهَاۚ
उनकी ख़बरों में से
walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
jāathum
جَآءَتْهُمْ
आए उनके पास
rusuluhum
رُسُلُهُم
रसूल उनके
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
साथ खुली निशानियों के
famā
فَمَا
पस ना
kānū
كَانُوا۟
थे वो
liyu'minū
لِيُؤْمِنُوا۟
कि वो ईमान लाते
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kadhabū
كَذَّبُوا۟
उन्होंने झुठलाया
min
مِن
इस से पहले
qablu
قَبْلُۚ
इस से पहले
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yaṭbaʿu
يَطْبَعُ
मोहर लगा देता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
दिलों पर
qulūbi
قُلُوبِ
दिलों पर
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के
ये है वे बस्तियाँ जिनके कुछ वृत्तान्त हम तुमको सुना रहे है। उनके पास उनके रसूल खुली-खुली निशानियाँ लेकर आए परन्तु वे ऐसे न हुए कि ईमान लाते। इसका कारण यह था कि वे पहले से झुठलाते रहे थे। इसी प्रकार अल्लाह इनकार करनेवालों के दिलों पर मुहर लगा देता है ([७] अल-आराफ़: 101)
Tafseer (तफ़सीर )
१०२

وَمَا وَجَدْنَا لِاَكْثَرِهِمْ مِّنْ عَهْدٍۚ وَاِنْ وَّجَدْنَآ اَكْثَرَهُمْ لَفٰسِقِيْنَ ١٠٢

wamā
وَمَا
और नहीं
wajadnā
وَجَدْنَا
पाया हमने
li-aktharihim
لِأَكْثَرِهِم
उनकी अक्सरियत के लिए
min
مِّنْ
कोई अहद
ʿahdin
عَهْدٍۖ
कोई अहद
wa-in
وَإِن
और बेशक
wajadnā
وَجَدْنَآ
पाया हमने
aktharahum
أَكْثَرَهُمْ
उनकी अक्सरियत को
lafāsiqīna
لَفَٰسِقِينَ
अलबत्ता फ़ासिक़
हमने उनके अधिकतर लोगो में प्रतिज्ञा का निर्वाह न पाया, बल्कि उनके बहुतों को हमने उल्लंघनकारी ही पाया ([७] अल-आराफ़: 102)
Tafseer (तफ़सीर )
१०३

ثُمَّ بَعَثْنَا مِنْۢ بَعْدِهِمْ مُّوْسٰى بِاٰيٰتِنَآ اِلٰى فِرْعَوْنَ وَمَلَا۟ىِٕهٖ فَظَلَمُوْا بِهَاۚ فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُفْسِدِيْنَ ١٠٣

thumma
ثُمَّ
फिर
baʿathnā
بَعَثْنَا
भेजा हमने
min
مِنۢ
बाद उनके
baʿdihim
بَعْدِهِم
बाद उनके
mūsā
مُّوسَىٰ
मूसा को
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَآ
साथ अपनी निशानियों के
ilā
إِلَىٰ
तरफ़
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
फ़िरऔन के
wamala-ihi
وَمَلَإِي۟هِۦ
और उसके सरदारों के
faẓalamū
فَظَلَمُوا۟
तो उन्होंने ज़ुल्म किया
bihā
بِهَاۖ
साथ उनके
fa-unẓur
فَٱنظُرْ
पस देखिए
kayfa
كَيْفَ
किस तरह
kāna
كَانَ
हुआ
ʿāqibatu
عَٰقِبَةُ
अंजाम
l-muf'sidīna
ٱلْمُفْسِدِينَ
फ़साद करने वालों का
फिर उनके पश्चात हमने मूसा को अपनी निशानियों के साथ फ़िरऔन और उसके सरदारों के पास भेजा, परन्तु उन्होंने इनकार और स्वयं पर अत्याचार किया। तो देखो, इन बिगाड़ पैदा करनेवालों का कैसा परिणाम हुआ! ([७] अल-आराफ़: 103)
Tafseer (तफ़सीर )
१०४

وَقَالَ مُوْسٰى يٰفِرْعَوْنُ اِنِّيْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِيْنَۙ ١٠٤

waqāla
وَقَالَ
और कहा
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा ने
yāfir'ʿawnu
يَٰفِرْعَوْنُ
ऐ फ़िरऔन
innī
إِنِّى
बेशक मैं
rasūlun
رَسُولٌ
एक रसूल हूँ
min
مِّن
रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
rabbi
رَّبِّ
रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
मूसा ने कहा, 'ऐ फ़िरऔन! मैं सारे संसार के रब का रसूल हूँ ([७] अल-आराफ़: 104)
Tafseer (तफ़सीर )
१०५

حَقِيْقٌ عَلٰٓى اَنْ لَّآ اَقُوْلَ عَلَى اللّٰهِ اِلَّا الْحَقَّۗ قَدْ جِئْتُكُمْ بِبَيِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَرْسِلْ مَعِيَ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ ۗ ١٠٥

ḥaqīqun
حَقِيقٌ
क़ायम हूँ
ʿalā
عَلَىٰٓ
इस पर
an
أَن
कि
لَّآ
ना
aqūla
أَقُولَ
मैं कहूँ
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
illā
إِلَّا
मगर
l-ḥaqa
ٱلْحَقَّۚ
हक़ (बात)
qad
قَدْ
तहक़ीक़
ji'tukum
جِئْتُكُم
लाया हूँ मैं तुम्हारे पास
bibayyinatin
بِبَيِّنَةٍ
एक वाज़ेह निशानी
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
fa-arsil
فَأَرْسِلْ
पस भेज दो
maʿiya
مَعِىَ
साथ मेरे
banī
بَنِىٓ
बनी इस्राईल को
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल को
'मैं इसका अधिकारी हूँ कि अल्लाह से सम्बद्ध करके सत्य के अतिरिक्त कोई बात न कहूँ। मैं तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से स्पष्ट प्रमाण लेकर आ गया हूँ। अतः तुम इसराईल की सन्तान को मेरे साथ जाने दो।' ([७] अल-आराफ़: 105)
Tafseer (तफ़सीर )
१०६

قَالَ اِنْ كُنْتَ جِئْتَ بِاٰيَةٍ فَأْتِ بِهَآ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِيْنَ ١٠٦

qāla
قَالَ
उसने कहा
in
إِن
अगर
kunta
كُنتَ
है तू
ji'ta
جِئْتَ
लाया तू
biāyatin
بِـَٔايَةٍ
कोई निशानी
fati
فَأْتِ
तो ले आ
bihā
بِهَآ
उसे
in
إِن
अगर
kunta
كُنتَ
है तू
mina
مِنَ
सच्चों में से
l-ṣādiqīna
ٱلصَّٰدِقِينَ
सच्चों में से
बोला, 'यदि तुम कोई निशानी लेकर आए हो तो उसे पेश करो, यदि तुम सच्चे हो।' ([७] अल-आराफ़: 106)
Tafseer (तफ़सीर )
१०७

فَاَلْقٰى عَصَاهُ فَاِذَا هِيَ ثُعْبَانٌ مُّبِيْنٌ ۖ ١٠٧

fa-alqā
فَأَلْقَىٰ
तो उसने डाला
ʿaṣāhu
عَصَاهُ
असा अपना
fa-idhā
فَإِذَا
तो यकायक
hiya
هِىَ
वो
thuʿ'bānun
ثُعْبَانٌ
अज़दहा था
mubīnun
مُّبِينٌ
वाज़ेह
तब उसने अपनी लाठी डाल दी। क्या देखते है कि वह प्रत्यक्ष अजगर है ([७] अल-आराफ़: 107)
Tafseer (तफ़सीर )
१०८

وَّنَزَعَ يَدَهٗ فَاِذَا هِيَ بَيْضَاۤءُ لِلنّٰظِرِيْنَ ࣖ ١٠٨

wanazaʿa
وَنَزَعَ
और उसने बाहर निकाला
yadahu
يَدَهُۥ
हाथ अपना
fa-idhā
فَإِذَا
तो यकायक
hiya
هِىَ
वो
bayḍāu
بَيْضَآءُ
सफ़ेद चमकता हुआ था
lilnnāẓirīna
لِلنَّٰظِرِينَ
देखने वालों के लिए
और उसने अपना हाथ निकाला, तो क्या देखते है कि वह सब देखनेवालों के सामने चमक रहा है ([७] अल-आराफ़: 108)
Tafseer (तफ़सीर )
१०९

قَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِ فِرْعَوْنَ اِنَّ هٰذَا لَسٰحِرٌ عَلِيْمٌۙ ١٠٩

qāla
قَالَ
कहा
l-mala-u
ٱلْمَلَأُ
सरदारों ने
min
مِن
क़ौम में से
qawmi
قَوْمِ
क़ौम में से
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
फ़िरऔन की
inna
إِنَّ
बेशक
hādhā
هَٰذَا
ये
lasāḥirun
لَسَٰحِرٌ
अलबत्ता जादूगर है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब इल्म रखने वाला
फ़िरऔन की क़ौम के सरदार कहने लगे, 'अरे, यह तो बडा कुशल जादूगर है! ([७] अल-आराफ़: 109)
Tafseer (तफ़सीर )
११०

يُّرِيْدُ اَنْ يُّخْرِجَكُمْ مِّنْ اَرْضِكُمْ ۚ فَمَاذَا تَأْمُرُوْنَ ١١٠

yurīdu
يُرِيدُ
वो चाहता है
an
أَن
कि
yukh'rijakum
يُخْرِجَكُم
वो निकाल दे तुम्हें
min
مِّنْ
तुम्हारी ज़मीन से
arḍikum
أَرْضِكُمْۖ
तुम्हारी ज़मीन से
famādhā
فَمَاذَا
तो क्या
tamurūna
تَأْمُرُونَ
तुम हुक्म (मशवरा ) देते हो
'तुम्हें तुम्हारी धरती से निकाल देना चाहता है। तो अब क्या कहते हो?' ([७] अल-आराफ़: 110)
Tafseer (तफ़सीर )