تِلْكَ الْقُرٰى نَقُصُّ عَلَيْكَ مِنْ اَنْۢبَاۤىِٕهَاۚ وَلَقَدْ جَاۤءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنٰتِۚ فَمَا كَانُوْا لِيُؤْمِنُوْا بِمَا كَذَّبُوْا مِنْ قَبْلُۗ كَذٰلِكَ يَطْبَعُ اللّٰهُ عَلٰى قُلُوْبِ الْكٰفِرِيْنَ ١٠١
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- l-qurā
- ٱلْقُرَىٰ
- बस्तियाँ हैं
- naquṣṣu
- نَقُصُّ
- हम बयान कर रहे हैं
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- min
- مِنْ
- उनकी ख़बरों में से
- anbāihā
- أَنۢبَآئِهَاۚ
- उनकी ख़बरों में से
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- jāathum
- جَآءَتْهُمْ
- आए उनके पास
- rusuluhum
- رُسُلُهُم
- रसूल उनके
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- साथ खुली निशानियों के
- famā
- فَمَا
- पस ना
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- liyu'minū
- لِيُؤْمِنُوا۟
- कि वो ईमान लाते
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kadhabū
- كَذَّبُوا۟
- उन्होंने झुठलाया
- min
- مِن
- इस से पहले
- qablu
- قَبْلُۚ
- इस से पहले
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- yaṭbaʿu
- يَطْبَعُ
- मोहर लगा देता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- दिलों पर
- qulūbi
- قُلُوبِ
- दिलों पर
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के
ये है वे बस्तियाँ जिनके कुछ वृत्तान्त हम तुमको सुना रहे है। उनके पास उनके रसूल खुली-खुली निशानियाँ लेकर आए परन्तु वे ऐसे न हुए कि ईमान लाते। इसका कारण यह था कि वे पहले से झुठलाते रहे थे। इसी प्रकार अल्लाह इनकार करनेवालों के दिलों पर मुहर लगा देता है ([७] अल-आराफ़: 101)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا وَجَدْنَا لِاَكْثَرِهِمْ مِّنْ عَهْدٍۚ وَاِنْ وَّجَدْنَآ اَكْثَرَهُمْ لَفٰسِقِيْنَ ١٠٢
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- wajadnā
- وَجَدْنَا
- पाया हमने
- li-aktharihim
- لِأَكْثَرِهِم
- उनकी अक्सरियत के लिए
- min
- مِّنْ
- कोई अहद
- ʿahdin
- عَهْدٍۖ
- कोई अहद
- wa-in
- وَإِن
- और बेशक
- wajadnā
- وَجَدْنَآ
- पाया हमने
- aktharahum
- أَكْثَرَهُمْ
- उनकी अक्सरियत को
- lafāsiqīna
- لَفَٰسِقِينَ
- अलबत्ता फ़ासिक़
हमने उनके अधिकतर लोगो में प्रतिज्ञा का निर्वाह न पाया, बल्कि उनके बहुतों को हमने उल्लंघनकारी ही पाया ([७] अल-आराफ़: 102)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ بَعَثْنَا مِنْۢ بَعْدِهِمْ مُّوْسٰى بِاٰيٰتِنَآ اِلٰى فِرْعَوْنَ وَمَلَا۟ىِٕهٖ فَظَلَمُوْا بِهَاۚ فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُفْسِدِيْنَ ١٠٣
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- baʿathnā
- بَعَثْنَا
- भेजा हमने
- min
- مِنۢ
- बाद उनके
- baʿdihim
- بَعْدِهِم
- बाद उनके
- mūsā
- مُّوسَىٰ
- मूसा को
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَآ
- साथ अपनी निशानियों के
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन के
- wamala-ihi
- وَمَلَإِي۟هِۦ
- और उसके सरदारों के
- faẓalamū
- فَظَلَمُوا۟
- तो उन्होंने ज़ुल्म किया
- bihā
- بِهَاۖ
- साथ उनके
- fa-unẓur
- فَٱنظُرْ
- पस देखिए
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- kāna
- كَانَ
- हुआ
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम
- l-muf'sidīna
- ٱلْمُفْسِدِينَ
- फ़साद करने वालों का
फिर उनके पश्चात हमने मूसा को अपनी निशानियों के साथ फ़िरऔन और उसके सरदारों के पास भेजा, परन्तु उन्होंने इनकार और स्वयं पर अत्याचार किया। तो देखो, इन बिगाड़ पैदा करनेवालों का कैसा परिणाम हुआ! ([७] अल-आराफ़: 103)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ مُوْسٰى يٰفِرْعَوْنُ اِنِّيْ رَسُوْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِيْنَۙ ١٠٤
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- yāfir'ʿawnu
- يَٰفِرْعَوْنُ
- ऐ फ़िरऔन
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- rasūlun
- رَسُولٌ
- एक रसूल हूँ
- min
- مِّن
- रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
- rabbi
- رَّبِّ
- रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- रब्बुल आलमीन की तरफ़ से
मूसा ने कहा, 'ऐ फ़िरऔन! मैं सारे संसार के रब का रसूल हूँ ([७] अल-आराफ़: 104)Tafseer (तफ़सीर )
حَقِيْقٌ عَلٰٓى اَنْ لَّآ اَقُوْلَ عَلَى اللّٰهِ اِلَّا الْحَقَّۗ قَدْ جِئْتُكُمْ بِبَيِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَرْسِلْ مَعِيَ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ ۗ ١٠٥
- ḥaqīqun
- حَقِيقٌ
- क़ायम हूँ
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- इस पर
- an
- أَن
- कि
- lā
- لَّآ
- ना
- aqūla
- أَقُولَ
- मैं कहूँ
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-ḥaqa
- ٱلْحَقَّۚ
- हक़ (बात)
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ji'tukum
- جِئْتُكُم
- लाया हूँ मैं तुम्हारे पास
- bibayyinatin
- بِبَيِّنَةٍ
- एक वाज़ेह निशानी
- min
- مِّن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- fa-arsil
- فَأَرْسِلْ
- पस भेज दो
- maʿiya
- مَعِىَ
- साथ मेरे
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल को
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल को
'मैं इसका अधिकारी हूँ कि अल्लाह से सम्बद्ध करके सत्य के अतिरिक्त कोई बात न कहूँ। मैं तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से स्पष्ट प्रमाण लेकर आ गया हूँ। अतः तुम इसराईल की सन्तान को मेरे साथ जाने दो।' ([७] अल-आराफ़: 105)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ اِنْ كُنْتَ جِئْتَ بِاٰيَةٍ فَأْتِ بِهَآ اِنْ كُنْتَ مِنَ الصّٰدِقِيْنَ ١٠٦
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- in
- إِن
- अगर
- kunta
- كُنتَ
- है तू
- ji'ta
- جِئْتَ
- लाया तू
- biāyatin
- بِـَٔايَةٍ
- कोई निशानी
- fati
- فَأْتِ
- तो ले आ
- bihā
- بِهَآ
- उसे
- in
- إِن
- अगर
- kunta
- كُنتَ
- है तू
- mina
- مِنَ
- सच्चों में से
- l-ṣādiqīna
- ٱلصَّٰدِقِينَ
- सच्चों में से
बोला, 'यदि तुम कोई निशानी लेकर आए हो तो उसे पेश करो, यदि तुम सच्चे हो।' ([७] अल-आराफ़: 106)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَلْقٰى عَصَاهُ فَاِذَا هِيَ ثُعْبَانٌ مُّبِيْنٌ ۖ ١٠٧
- fa-alqā
- فَأَلْقَىٰ
- तो उसने डाला
- ʿaṣāhu
- عَصَاهُ
- असा अपना
- fa-idhā
- فَإِذَا
- तो यकायक
- hiya
- هِىَ
- वो
- thuʿ'bānun
- ثُعْبَانٌ
- अज़दहा था
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- वाज़ेह
तब उसने अपनी लाठी डाल दी। क्या देखते है कि वह प्रत्यक्ष अजगर है ([७] अल-आराफ़: 107)Tafseer (तफ़सीर )
وَّنَزَعَ يَدَهٗ فَاِذَا هِيَ بَيْضَاۤءُ لِلنّٰظِرِيْنَ ࣖ ١٠٨
- wanazaʿa
- وَنَزَعَ
- और उसने बाहर निकाला
- yadahu
- يَدَهُۥ
- हाथ अपना
- fa-idhā
- فَإِذَا
- तो यकायक
- hiya
- هِىَ
- वो
- bayḍāu
- بَيْضَآءُ
- सफ़ेद चमकता हुआ था
- lilnnāẓirīna
- لِلنَّٰظِرِينَ
- देखने वालों के लिए
और उसने अपना हाथ निकाला, तो क्या देखते है कि वह सब देखनेवालों के सामने चमक रहा है ([७] अल-आराफ़: 108)Tafseer (तफ़सीर )
قَالَ الْمَلَاُ مِنْ قَوْمِ فِرْعَوْنَ اِنَّ هٰذَا لَسٰحِرٌ عَلِيْمٌۙ ١٠٩
- qāla
- قَالَ
- कहा
- l-mala-u
- ٱلْمَلَأُ
- सरदारों ने
- min
- مِن
- क़ौम में से
- qawmi
- قَوْمِ
- क़ौम में से
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन की
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- lasāḥirun
- لَسَٰحِرٌ
- अलबत्ता जादूगर है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब इल्म रखने वाला
फ़िरऔन की क़ौम के सरदार कहने लगे, 'अरे, यह तो बडा कुशल जादूगर है! ([७] अल-आराफ़: 109)Tafseer (तफ़सीर )
يُّرِيْدُ اَنْ يُّخْرِجَكُمْ مِّنْ اَرْضِكُمْ ۚ فَمَاذَا تَأْمُرُوْنَ ١١٠
- yurīdu
- يُرِيدُ
- वो चाहता है
- an
- أَن
- कि
- yukh'rijakum
- يُخْرِجَكُم
- वो निकाल दे तुम्हें
- min
- مِّنْ
- तुम्हारी ज़मीन से
- arḍikum
- أَرْضِكُمْۖ
- तुम्हारी ज़मीन से
- famādhā
- فَمَاذَا
- तो क्या
- tamurūna
- تَأْمُرُونَ
- तुम हुक्म (मशवरा ) देते हो
'तुम्हें तुम्हारी धरती से निकाल देना चाहता है। तो अब क्या कहते हो?' ([७] अल-आराफ़: 110)Tafseer (तफ़सीर )