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सूरा अल-आराफ़ - शब्द द्वारा शब्द

Al-A'raf

(The Heights)

bismillaahirrahmaanirrahiim

الۤمّۤصۤ ۚ ١

alif-lam-meem-sad
الٓمٓصٓ
अलिफ़ लाम मीम सोआद
अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ साद॰ ([७] अल-आराफ़: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

كِتٰبٌ اُنْزِلَ اِلَيْكَ فَلَا يَكُنْ فِيْ صَدْرِكَ حَرَجٌ مِّنْهُ لِتُنْذِرَ بِهٖ وَذِكْرٰى لِلْمُؤْمِنِيْنَ ٢

kitābun
كِتَٰبٌ
ये किताब
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल की गई है
ilayka
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
falā
فَلَا
पस ना
yakun
يَكُن
हो
فِى
आपके सीने में
ṣadrika
صَدْرِكَ
आपके सीने में
ḥarajun
حَرَجٌ
कोई तंगी
min'hu
مِّنْهُ
इससे
litundhira
لِتُنذِرَ
ताकि आप डराऐं
bihi
بِهِۦ
साथ इसके
wadhik'rā
وَذِكْرَىٰ
और नसीहत है
lil'mu'minīna
لِلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वालों के लिए
यह एक किताब है, जो तुम्हारी ओर उतारी गई है - अतः इससे तुम्हारे सीने में कोई तंगी न हो - ताकि तुम इसके द्वारा सचेत करो और यह ईमानवालों के लिए एक प्रबोधन है; ([७] अल-आराफ़: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

اِتَّبِعُوْا مَآ اُنْزِلَ اِلَيْكُمْ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَلَا تَتَّبِعُوْا مِنْ دُوْنِهٖٓ اَوْلِيَاۤءَۗ قَلِيْلًا مَّا تَذَكَّرُوْنَ ٣

ittabiʿū
ٱتَّبِعُوا۟
पैरवी करो
مَآ
उसकी जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ilaykum
إِلَيْكُم
तरफ़ तुम्हारे
min
مِّن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
walā
وَلَا
और ना
tattabiʿū
تَتَّبِعُوا۟
तुम पैरवी करो
min
مِن
इसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦٓ
इसके सिवा
awliyāa
أَوْلِيَآءَۗ
सरपरस्तों की (और)
qalīlan
قَلِيلًا
कितना कम
مَّا
कितना कम
tadhakkarūna
تَذَكَّرُونَ
तुम नसीहत पकड़ते हो
जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर अवतरित हुआ है, उस पर चलो और उसे छोड़कर दूसरे संरक्षक मित्रों का अनुसरण न करो। तुम लोग नसीहत थोड़े ही मानते हो ([७] अल-आराफ़: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

وَكَمْ مِّنْ قَرْيَةٍ اَهْلَكْنٰهَا فَجَاۤءَهَا بَأْسُنَا بَيَاتًا اَوْ هُمْ قَاۤىِٕلُوْنَ ٤

wakam
وَكَم
और कितनी ही
min
مِّن
बस्तियाँ
qaryatin
قَرْيَةٍ
बस्तियाँ
ahlaknāhā
أَهْلَكْنَٰهَا
हलाक कर दिया हमने उन्हें
fajāahā
فَجَآءَهَا
पस आया उनके पास
basunā
بَأْسُنَا
अज़ाब हमारा
bayātan
بَيَٰتًا
रात के वक़्त
aw
أَوْ
या
hum
هُمْ
वो
qāilūna
قَآئِلُونَ
क़ैलूला कर रहे थे
कितनी ही बस्तियाँ थीं, जिन्हें हमने विनष्टम कर दिया। उनपर हमारी यातना रात को सोते समय आ पहुँची या (दिन-दहाड़) आई, जबकि वे दोपहर में विश्राम कर रहे थे ([७] अल-आराफ़: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

فَمَا كَانَ دَعْوٰىهُمْ اِذْ جَاۤءَهُمْ بَأْسُنَآ اِلَّآ اَنْ قَالُوْٓا اِنَّا كُنَّا ظٰلِمِيْنَ ٥

famā
فَمَا
तो ना
kāna
كَانَ
थी
daʿwāhum
دَعْوَىٰهُمْ
पुकार उनकी
idh
إِذْ
जब
jāahum
جَآءَهُم
आया उनके पास
basunā
بَأْسُنَآ
अज़ाब हमारा
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
qālū
قَالُوٓا۟
उन्होंने कहा
innā
إِنَّا
बेशक हम
kunnā
كُنَّا
थे हम ही
ẓālimīna
ظَٰلِمِينَ
ज़ालिम
जब उनपर यातना आ गई तो इसके सिवा उनके मुँह से कुछ न निकला कि वे पुकार उठे, 'वास्तव में हम अत्याचारी थे।' ([७] अल-आराफ़: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

فَلَنَسْـَٔلَنَّ الَّذِيْنَ اُرْسِلَ اِلَيْهِمْ وَلَنَسْـَٔلَنَّ الْمُرْسَلِيْنَۙ ٦

falanasalanna
فَلَنَسْـَٔلَنَّ
पस अलबत्ता हम ज़रूर सवाल करेंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों से
ur'sila
أُرْسِلَ
भेजे गए (रसूल)
ilayhim
إِلَيْهِمْ
तरफ़ जिनके
walanasalanna
وَلَنَسْـَٔلَنَّ
और अलबत्ता हम ज़रूर सवाल करेंगे
l-mur'salīna
ٱلْمُرْسَلِينَ
रसूलों से
अतः हम उन लोगों से अवश्य पूछेंगे, जिनके पास रसूल भेजे गए थे, और हम रसूलों से भी अवश्य पूछेंगे ([७] अल-आराफ़: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

فَلَنَقُصَّنَّ عَلَيْهِمْ بِعِلْمٍ وَّمَا كُنَّا غَاۤىِٕبِيْنَ ٧

falanaquṣṣanna
فَلَنَقُصَّنَّ
पस अलबत्ता हम ज़रूर बयान करेंगे
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उन पर
biʿil'min
بِعِلْمٍۖ
साथ इल्म के
wamā
وَمَا
और नहीं
kunnā
كُنَّا
थे हम
ghāibīna
غَآئِبِينَ
ग़ायब
फिर हम पूरे ज्ञान के साथ उनके सामने सब बयान कर देंगे। हम कही ग़ायब नहीं थे ([७] अल-आराफ़: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالْوَزْنُ يَوْمَىِٕذِ ِۨالْحَقُّۚ فَمَنْ ثَقُلَتْ مَوَازِيْنُهٗ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ٨

wal-waznu
وَٱلْوَزْنُ
और वज़न
yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّۚ
हक़ होगा
faman
فَمَن
तो जो कोई
thaqulat
ثَقُلَتْ
भारी हुए
mawāzīnuhu
مَوَٰزِينُهُۥ
मीज़ान/तराज़ू उसके
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-muf'liḥūna
ٱلْمُفْلِحُونَ
जो फ़लाह पाने वाले हैं
और बिल्कुल पक्का-सच्चा वज़न उसी दिन होगा। अतः जिनके कर्म वज़न में भारी होंगे, वही सफलता प्राप्त करेंगे ([७] अल-आराफ़: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَمَنْ خَفَّتْ مَوَازِيْنُهٗ فَاُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ خَسِرُوْٓا اَنْفُسَهُمْ بِمَا كَانُوْا بِاٰيٰتِنَا يَظْلِمُوْنَ ٩

waman
وَمَنْ
और जो कोई
khaffat
خَفَّتْ
हल्के हुए
mawāzīnuhu
مَوَٰزِينُهُۥ
मीज़ान/तराज़ू उसके
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
khasirū
خَسِرُوٓا۟
ख़सारे में डाला
anfusahum
أَنفُسَهُم
अपने नफ़्सों को
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
साथ हमारी आयात के
yaẓlimūna
يَظْلِمُونَ
वो ज़ुल्म करते
और वे लोग जिनके कर्म वज़न में हलके होंगे, तो वही वे लोग हैं, जिन्होंने अपने आपको घाटे में डाला, क्योंकि वे हमारी आयतों का इनकार औऱ अपने ऊपर अत्याचार करते रहे ([७] अल-आराफ़: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَلَقَدْ مَكَّنّٰكُمْ فِى الْاَرْضِ وَجَعَلْنَا لَكُمْ فِيْهَا مَعَايِشَۗ قَلِيْلًا مَّا تَشْكُرُوْنَ ࣖ ١٠

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
makkannākum
مَكَّنَّٰكُمْ
ठिकाना दिया हमने तुम्हें
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और बनाए हमने
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
fīhā
فِيهَا
उसमें
maʿāyisha
مَعَٰيِشَۗ
ज़िन्दगी के सामान
qalīlan
قَلِيلًا
कितना कम
مَّا
कितना कम
tashkurūna
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्र करते हो
और हमने धरती में तुम्हें अधिकार दिया और उसमें तुम्हारे लिए जीवन-सामग्री रखी। तुम कृतज्ञता थोड़े ही दिखाते हो ([७] अल-आराफ़: 10)
Tafseer (तफ़सीर )