५१
وَاِنَّهٗ لَحَقُّ الْيَقِيْنِ ٥١
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- laḥaqqu
- لَحَقُّ
- अलबत्ता हक़ है
- l-yaqīni
- ٱلْيَقِينِ
- यक़ीनी
और वह बिल्कुल विश्वसनीय सत्य है। ([६९] अल-हाक्का: 51)Tafseer (तफ़सीर )
५२
فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيْمِ ࣖ ٥٢
- fasabbiḥ
- فَسَبِّحْ
- पस तस्बीह कीजिए
- bi-is'mi
- بِٱسْمِ
- नाम की
- rabbika
- رَبِّكَ
- अपने रब की
- l-ʿaẓīmi
- ٱلْعَظِيمِ
- जो अज़मत वाला है
अतः तुम अपने महिमावान रब के नाम की तसबीह (गुणगान) करो ([६९] अल-हाक्का: 52)Tafseer (तफ़सीर )