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सूरा अल-कलाम - Page: 6

Al-Qalam

(लेखनी)

५१

وَاِنْ يَّكَادُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَيُزْلِقُوْنَكَ بِاَبْصَارِهِمْ لَمَّا سَمِعُوا الذِّكْرَ وَيَقُوْلُوْنَ اِنَّهٗ لَمَجْنُوْنٌ ۘ ٥١

wa-in
وَإِن
और बेशक
yakādu
يَكَادُ
क़रीब है कि
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
layuz'liqūnaka
لَيُزْلِقُونَكَ
अलबत्ता वो फुसला देंगे आपको
bi-abṣārihim
بِأَبْصَٰرِهِمْ
अपनी निगाहों से
lammā
لَمَّا
जब
samiʿū
سَمِعُوا۟
वो सुनते हैं
l-dhik'ra
ٱلذِّكْرَ
ज़िक्र को
wayaqūlūna
وَيَقُولُونَ
और वो कहते हैं
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
lamajnūnun
لَمَجْنُونٌ
अलबत्ता मजनून हैं
जब वे लोग, जिन्होंने इनकार किया, ज़िक्र (क़ुरआन) सुनते है और कहते है, 'वह तो दीवाना है!' तो ऐसा लगता है कि वे अपनी निगाहों के ज़ोर से तुम्हें फिसला देंगे ([६८] अल-कलाम: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

وَمَا هُوَ اِلَّا ذِكْرٌ لِّلْعٰلَمِيْنَ ࣖ ٥٢

wamā
وَمَا
और नहीं है
huwa
هُوَ
वो
illā
إِلَّا
मगर
dhik'run
ذِكْرٌ
एक नसीहत
lil'ʿālamīna
لِّلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहान वालों के लिए
हालाँकि वह सारे संसार के लिए एक अनुस्मृति है ([६८] अल-कलाम: 52)
Tafseer (तफ़सीर )