११
هَمَّازٍ مَّشَّاۤءٍۢ بِنَمِيْمٍۙ ١١
- hammāzin
- هَمَّازٍ
- बड़ा ही ऐब-जो
- mashāin
- مَّشَّآءٍۭ
- बहुत चलने वाला
- binamīmin
- بِنَمِيمٍ
- साथ चुग़ल ख़ोरी के
कचोके लगाता, चुग़लियाँ खाता फिरता हैं, ([६८] अल-कलाम: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
مَّنَّاعٍ لِّلْخَيْرِ مُعْتَدٍ اَثِيْمٍۙ ١٢
- mannāʿin
- مَّنَّاعٍ
- बहुत रोकने वाला
- lil'khayri
- لِّلْخَيْرِ
- भलाई का
- muʿ'tadin
- مُعْتَدٍ
- हद से बढ़ने वाला
- athīmin
- أَثِيمٍ
- सख़्त गुनाहगार
भलाई से रोकता है, सीमा का उल्लंघन करनेवाला, हक़ मारनेवाला है, ([६८] अल-कलाम: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
عُتُلٍّۢ بَعْدَ ذٰلِكَ زَنِيْمٍۙ ١٣
- ʿutullin
- عُتُلٍّۭ
- बदमिज़ाज
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसके
- zanīmin
- زَنِيمٍ
- बेनसब है
क्रूर है फिर अधम भी। ([६८] अल-कलाम: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
اَنْ كَانَ ذَا مَالٍ وَّبَنِيْنَۗ ١٤
- an
- أَن
- कि
- kāna
- كَانَ
- है वो
- dhā
- ذَا
- माल वाला
- mālin
- مَالٍ
- माल वाला
- wabanīna
- وَبَنِينَ
- और बेटों वाला
इस कारण कि वह धन और बेटोंवाला है ([६८] अल-कलाम: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
اِذَا تُتْلٰى عَلَيْهِ اٰيٰتُنَا قَالَ اَسَاطِيْرُ الْاَوَّلِيْنَۗ ١٥
- idhā
- إِذَا
- जब
- tut'lā
- تُتْلَىٰ
- पढ़ी जाती हैं
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- āyātunā
- ءَايَٰتُنَا
- आयात हमारी
- qāla
- قَالَ
- वो कहता है
- asāṭīru
- أَسَٰطِيرُ
- कहानियाँ हैं
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहलों की
जब उसे हमारी आयतें सुनाई जाती है तो कहता है, 'ये तो पहले लोगों की कहानियाँ हैं!' ([६८] अल-कलाम: 15)Tafseer (तफ़सीर )
१६
سَنَسِمُهٗ عَلَى الْخُرْطُوْمِ ١٦
- sanasimuhu
- سَنَسِمُهُۥ
- अनक़रीब हम दाग़ लगाऐंगे उसे
- ʿalā
- عَلَى
- सूँढ(नाक) पर
- l-khur'ṭūmi
- ٱلْخُرْطُومِ
- सूँढ(नाक) पर
शीघ्र ही हम उसकी सूँड पर दाग़ लगाएँगे ([६८] अल-कलाम: 16)Tafseer (तफ़सीर )
१७
اِنَّا بَلَوْنٰهُمْ كَمَا بَلَوْنَآ اَصْحٰبَ الْجَنَّةِۚ اِذْ اَقْسَمُوْا لَيَصْرِمُنَّهَا مُصْبِحِيْنَۙ ١٧
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- balawnāhum
- بَلَوْنَٰهُمْ
- आज़माया हमने उन्हें
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- balawnā
- بَلَوْنَآ
- आज़माया हमने
- aṣḥāba
- أَصْحَٰبَ
- बाग़ वालों को
- l-janati
- ٱلْجَنَّةِ
- बाग़ वालों को
- idh
- إِذْ
- जब
- aqsamū
- أَقْسَمُوا۟
- उन्होंने क़सम खाई
- layaṣrimunnahā
- لَيَصْرِمُنَّهَا
- अलबत्ता वो ज़रूर काट लेंगे उसे
- muṣ'biḥīna
- مُصْبِحِينَ
- सुबह सवेरे ही
हमने उन्हें परीक्षा में डाला है जैसे बाग़वालों को परीक्षा में डाला था, जबकि उन्होंने क़सम खाई कि वे प्रातःकाल अवश्य उस (बाग़) के फल तोड़ लेंगे ([६८] अल-कलाम: 17)Tafseer (तफ़सीर )
१८
وَلَا يَسْتَثْنُوْنَ ١٨
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yastathnūna
- يَسْتَثْنُونَ
- वो इस्तसना कर रहे थे
और वे इसमें छूट की कोई गुंजाइश नहीं रख रहे थे ([६८] अल-कलाम: 18)Tafseer (तफ़सीर )
१९
فَطَافَ عَلَيْهَا طَاۤىِٕفٌ مِّنْ رَّبِّكَ وَهُمْ نَاۤىِٕمُوْنَ ١٩
- faṭāfa
- فَطَافَ
- तो फिर गया
- ʿalayhā
- عَلَيْهَا
- उस पर
- ṭāifun
- طَآئِفٌ
- एक फिरने वाला
- min
- مِّن
- आपके रब की तरफ़ से
- rabbika
- رَّبِّكَ
- आपके रब की तरफ़ से
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- nāimūna
- نَآئِمُونَ
- सो रहे थे
अभी वे सो ही रहे थे कि तुम्हारे रब की ओर से गर्दिश का एक झोंका आया ([६८] अल-कलाम: 19)Tafseer (तफ़सीर )
२०
فَاَصْبَحَتْ كَالصَّرِيْمِۙ ٢٠
- fa-aṣbaḥat
- فَأَصْبَحَتْ
- तो वो (बाग़) हो गया
- kal-ṣarīmi
- كَٱلصَّرِيمِ
- जड़ कटी खेती के मानिन्द
और वह ऐसा हो गया जैसे कटी हुई फ़सल ([६८] अल-कलाम: 20)Tafseer (तफ़सीर )