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सूरा अल-कलाम - Page: 2

Al-Qalam

(लेखनी)

११

هَمَّازٍ مَّشَّاۤءٍۢ بِنَمِيْمٍۙ ١١

hammāzin
هَمَّازٍ
बड़ा ही ऐब-जो
mashāin
مَّشَّآءٍۭ
बहुत चलने वाला
binamīmin
بِنَمِيمٍ
साथ चुग़ल ख़ोरी के
कचोके लगाता, चुग़लियाँ खाता फिरता हैं, ([६८] अल-कलाम: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

مَّنَّاعٍ لِّلْخَيْرِ مُعْتَدٍ اَثِيْمٍۙ ١٢

mannāʿin
مَّنَّاعٍ
बहुत रोकने वाला
lil'khayri
لِّلْخَيْرِ
भलाई का
muʿ'tadin
مُعْتَدٍ
हद से बढ़ने वाला
athīmin
أَثِيمٍ
सख़्त गुनाहगार
भलाई से रोकता है, सीमा का उल्लंघन करनेवाला, हक़ मारनेवाला है, ([६८] अल-कलाम: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

عُتُلٍّۢ بَعْدَ ذٰلِكَ زَنِيْمٍۙ ١٣

ʿutullin
عُتُلٍّۭ
बदमिज़ाज
baʿda
بَعْدَ
बाद
dhālika
ذَٰلِكَ
इसके
zanīmin
زَنِيمٍ
बेनसब है
क्रूर है फिर अधम भी। ([६८] अल-कलाम: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

اَنْ كَانَ ذَا مَالٍ وَّبَنِيْنَۗ ١٤

an
أَن
कि
kāna
كَانَ
है वो
dhā
ذَا
माल वाला
mālin
مَالٍ
माल वाला
wabanīna
وَبَنِينَ
और बेटों वाला
इस कारण कि वह धन और बेटोंवाला है ([६८] अल-कलाम: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

اِذَا تُتْلٰى عَلَيْهِ اٰيٰتُنَا قَالَ اَسَاطِيْرُ الْاَوَّلِيْنَۗ ١٥

idhā
إِذَا
जब
tut'lā
تُتْلَىٰ
पढ़ी जाती हैं
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
āyātunā
ءَايَٰتُنَا
आयात हमारी
qāla
قَالَ
वो कहता है
asāṭīru
أَسَٰطِيرُ
कहानियाँ हैं
l-awalīna
ٱلْأَوَّلِينَ
पहलों की
जब उसे हमारी आयतें सुनाई जाती है तो कहता है, 'ये तो पहले लोगों की कहानियाँ हैं!' ([६८] अल-कलाम: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

سَنَسِمُهٗ عَلَى الْخُرْطُوْمِ ١٦

sanasimuhu
سَنَسِمُهُۥ
अनक़रीब हम दाग़ लगाऐंगे उसे
ʿalā
عَلَى
सूँढ(नाक) पर
l-khur'ṭūmi
ٱلْخُرْطُومِ
सूँढ(नाक) पर
शीघ्र ही हम उसकी सूँड पर दाग़ लगाएँगे ([६८] अल-कलाम: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اِنَّا بَلَوْنٰهُمْ كَمَا بَلَوْنَآ اَصْحٰبَ الْجَنَّةِۚ اِذْ اَقْسَمُوْا لَيَصْرِمُنَّهَا مُصْبِحِيْنَۙ ١٧

innā
إِنَّا
बेशक हम
balawnāhum
بَلَوْنَٰهُمْ
आज़माया हमने उन्हें
kamā
كَمَا
जैसा कि
balawnā
بَلَوْنَآ
आज़माया हमने
aṣḥāba
أَصْحَٰبَ
बाग़ वालों को
l-janati
ٱلْجَنَّةِ
बाग़ वालों को
idh
إِذْ
जब
aqsamū
أَقْسَمُوا۟
उन्होंने क़सम खाई
layaṣrimunnahā
لَيَصْرِمُنَّهَا
अलबत्ता वो ज़रूर काट लेंगे उसे
muṣ'biḥīna
مُصْبِحِينَ
सुबह सवेरे ही
हमने उन्हें परीक्षा में डाला है जैसे बाग़वालों को परीक्षा में डाला था, जबकि उन्होंने क़सम खाई कि वे प्रातःकाल अवश्य उस (बाग़) के फल तोड़ लेंगे ([६८] अल-कलाम: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

وَلَا يَسْتَثْنُوْنَ ١٨

walā
وَلَا
और नहीं
yastathnūna
يَسْتَثْنُونَ
वो इस्तसना कर रहे थे
और वे इसमें छूट की कोई गुंजाइश नहीं रख रहे थे ([६८] अल-कलाम: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

فَطَافَ عَلَيْهَا طَاۤىِٕفٌ مِّنْ رَّبِّكَ وَهُمْ نَاۤىِٕمُوْنَ ١٩

faṭāfa
فَطَافَ
तो फिर गया
ʿalayhā
عَلَيْهَا
उस पर
ṭāifun
طَآئِفٌ
एक फिरने वाला
min
مِّن
आपके रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَ
आपके रब की तरफ़ से
wahum
وَهُمْ
और वो
nāimūna
نَآئِمُونَ
सो रहे थे
अभी वे सो ही रहे थे कि तुम्हारे रब की ओर से गर्दिश का एक झोंका आया ([६८] अल-कलाम: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

فَاَصْبَحَتْ كَالصَّرِيْمِۙ ٢٠

fa-aṣbaḥat
فَأَصْبَحَتْ
तो वो (बाग़) हो गया
kal-ṣarīmi
كَٱلصَّرِيمِ
जड़ कटी खेती के मानिन्द
और वह ऐसा हो गया जैसे कटी हुई फ़सल ([६८] अल-कलाम: 20)
Tafseer (तफ़सीर )