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सूरा अल-कलाम - शब्द द्वारा शब्द

Al-Qalam

(लेखनी)

bismillaahirrahmaanirrahiim

نۤ ۚوَالْقَلَمِ وَمَا يَسْطُرُوْنَۙ ١

noon
نٓۚ
ن
wal-qalami
وَٱلْقَلَمِ
क़सम है क़लम की
wamā
وَمَا
और उसकी जो
yasṭurūna
يَسْطُرُونَ
वो लिखते हैं
नून॰। गवाह है क़लम और वह चीज़ जो वे लिखते है, ([६८] अल-कलाम: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

مَآ اَنْتَ بِنِعْمَةِ رَبِّكَ بِمَجْنُوْنٍ ٢

مَآ
नहीं हैं
anta
أَنتَ
आप
biniʿ'mati
بِنِعْمَةِ
नेअमत से
rabbika
رَبِّكَ
अपने रब की
bimajnūnin
بِمَجْنُونٍ
कोई मजनून
तुम अपने रब की अनुकम्पा से कोई दीवाने नहीं हो ([६८] अल-कलाम: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاِنَّ لَكَ لَاَجْرًا غَيْرَ مَمْنُوْنٍۚ ٣

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
laka
لَكَ
आपके लिए
la-ajran
لَأَجْرًا
यक़ीनन अजर है
ghayra
غَيْرَ
ना
mamnūnin
مَمْنُونٍ
ख़त्म होने वाला
निश्चय ही तुम्हारे लिए ऐसा प्रतिदान है जिसका क्रम कभी टूटनेवाला नहीं ([६८] अल-कलाम: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاِنَّكَ لَعَلٰى خُلُقٍ عَظِيْمٍ ٤

wa-innaka
وَإِنَّكَ
और बेशक आप
laʿalā
لَعَلَىٰ
यक़ीनन बुलन्द अख़लाक़ पर हैं
khuluqin
خُلُقٍ
यक़ीनन बुलन्द अख़लाक़ पर हैं
ʿaẓīmin
عَظِيمٍ
यक़ीनन बुलन्द अख़लाक़ पर हैं
निस्संदेह तुम एक महान नैतिकता के शिखर पर हो ([६८] अल-कलाम: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

فَسَتُبْصِرُ وَيُبْصِرُوْنَۙ ٥

fasatub'ṣiru
فَسَتُبْصِرُ
पस अनक़रीब आप देखेंगे
wayub'ṣirūna
وَيُبْصِرُونَ
और वो भी देखेंगे
अतः शीघ्र ही तुम भी देख लोगे और वे भी देख लेंगे ([६८] अल-कलाम: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

بِاَيِّىكُمُ الْمَفْتُوْنُ ٦

bi-ayyikumu
بِأَييِّكُمُ
कौन तुम में से
l-maftūnu
ٱلْمَفْتُونُ
फ़ितने में डाला हुआ है
कि तुममें से कौन विभ्रमित है ([६८] अल-कलाम: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ بِمَنْ ضَلَّ عَنْ سَبِيْلِهٖۖ وَهُوَ اَعْلَمُ بِالْمُهْتَدِيْنَ ٧

inna
إِنَّ
बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
huwa
هُوَ
वो
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानता है
biman
بِمَن
उसे जो
ḍalla
ضَلَّ
भटक गया
ʿan
عَن
उसके रास्ते से
sabīlihi
سَبِيلِهِۦ
उसके रास्ते से
wahuwa
وَهُوَ
और वो
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानता है
bil-muh'tadīna
بِٱلْمُهْتَدِينَ
हिदायत पाने वालों को
निस्संदेह तुम्हारा रब उसे भली-भाँति जानता है जो उसके मार्ग से भटक गया है, और वही उन लोगों को भी जानता है जो सीधे मार्ग पर हैं ([६८] अल-कलाम: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

فَلَا تُطِعِ الْمُكَذِّبِيْنَ ٨

falā
فَلَا
पस ना
tuṭiʿi
تُطِعِ
आप इताअत कीजिए
l-mukadhibīna
ٱلْمُكَذِّبِينَ
झुठलाने वालों की
अतः तुम झुठलानेवालों को कहना न मानना ([६८] अल-कलाम: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَدُّوْا لَوْ تُدْهِنُ فَيُدْهِنُوْنَۚ ٩

waddū
وَدُّوا۟
वो चाहते हैं
law
لَوْ
काश
tud'hinu
تُدْهِنُ
आप ढीले पड़ें
fayud'hinūna
فَيُدْهِنُونَ
तो वो भी ढीले पड़जाऐं
वे चाहते है कि तुम ढीले पड़ो, इस कारण वे चिकनी-चुपड़ी बातें करते है ([६८] अल-कलाम: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَلَا تُطِعْ كُلَّ حَلَّافٍ مَّهِيْنٍۙ ١٠

walā
وَلَا
और ना
tuṭiʿ
تُطِعْ
आप इताअत कीजिए
kulla
كُلَّ
हर
ḥallāfin
حَلَّافٍ
बहुत क़समें खाने वाले
mahīnin
مَّهِينٍ
निहायत हक़ीर की
तुम किसी भी ऐसे व्यक्ति की बात न मानना जो बहुत क़समें खानेवाला, हीन है, ([६८] अल-कलाम: 10)
Tafseer (तफ़सीर )