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सूरा अल-मुल्क - Page: 3

Al-Mulk

(The Sovereignty, Control)

२१

اَمَّنْ هٰذَا الَّذِيْ يَرْزُقُكُمْ اِنْ اَمْسَكَ رِزْقَهٗ ۚ بَلْ لَّجُّوْا فِيْ عُتُوٍّ وَّنُفُوْرٍ ٢١

amman
أَمَّنْ
या कौन है
hādhā
هَٰذَا
वो
alladhī
ٱلَّذِى
जो
yarzuqukum
يَرْزُقُكُمْ
रिज़्क़ देगा तुम्हें
in
إِنْ
अगर
amsaka
أَمْسَكَ
वो रोक ले
riz'qahu
رِزْقَهُۥۚ
रिज़्क़ अपना
bal
بَل
बल्कि
lajjū
لَّجُّوا۟
वो अड़े हुए हैं
فِى
सरकशी में
ʿutuwwin
عُتُوٍّ
सरकशी में
wanufūrin
وَنُفُورٍ
और बिदकने में
या वह कौन है जो तुम्हें रोज़ी दे, यदि वह अपनी रोज़ी रोक ले? नहीं, बल्कि वे तो सरकशी और नफ़रत ही पर अड़े हुए है ([६७] अल-मुल्क: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

اَفَمَنْ يَّمْشِيْ مُكِبًّا عَلٰى وَجْهِهٖٓ اَهْدٰىٓ اَمَّنْ يَّمْشِيْ سَوِيًّا عَلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ٢٢

afaman
أَفَمَن
क्या फिर जो
yamshī
يَمْشِى
चलता है
mukibban
مُكِبًّا
औंधा
ʿalā
عَلَىٰ
उपने चेहरे पर
wajhihi
وَجْهِهِۦٓ
उपने चेहरे पर
ahdā
أَهْدَىٰٓ
ज़्यादा हिदायत याफ़्ता है
amman
أَمَّن
या जो
yamshī
يَمْشِى
चलता है
sawiyyan
سَوِيًّا
सीधा
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर रास्ते
ṣirāṭin
صِرَٰطٍ
ऊपर रास्ते
mus'taqīmin
مُّسْتَقِيمٍ
सीधे के
तो क्या वह व्यक्ति जो अपने मुँह के बल औंधा चलता हो वह अधिक सीधे मार्ग पर ह या वह जो सीधा होकर सीधे मार्ग पर चल रहा है? ([६७] अल-मुल्क: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

قُلْ هُوَ الَّذِيْٓ اَنْشَاَكُمْ وَجَعَلَ لَكُمُ السَّمْعَ وَالْاَبْصَارَ وَالْاَفْـِٕدَةَۗ قَلِيْلًا مَّا تَشْكُرُوْنَ ٢٣

qul
قُلْ
कह दीजिए
huwa
هُوَ
वो ही है
alladhī
ٱلَّذِىٓ
जिसने
ansha-akum
أَنشَأَكُمْ
पैदा किया तुम्हें
wajaʿala
وَجَعَلَ
और उसने बनाए
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-samʿa
ٱلسَّمْعَ
कान
wal-abṣāra
وَٱلْأَبْصَٰرَ
और आँखें
wal-afidata
وَٱلْأَفْـِٔدَةَۖ
और दिल
qalīlan
قَلِيلًا
कितना कम
مَّا
कितना कम
tashkurūna
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्र अदा करते हो
कह दो, 'वही है जिसने तुम्हें पैदा किया और तुम्हारे लिए कान और आँखे और दिल बनाए। तुम कृतज्ञता थोड़े ही दिखाते हो।' ([६७] अल-मुल्क: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

قُلْ هُوَ الَّذِيْ ذَرَاَكُمْ فِى الْاَرْضِ وَاِلَيْهِ تُحْشَرُوْنَ ٢٤

qul
قُلْ
कह दीजिए
huwa
هُوَ
वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
dhara-akum
ذَرَأَكُمْ
फैलाया तुम्हें
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
और तरफ़ उसी के
tuḥ'sharūna
تُحْشَرُونَ
तुम इकट्ठे किए जाओगे
कह दो, 'वही है जिसने तुम्हें धरती में फैलाया और उसी की ओर तुम एकत्र किए जा रहे हो।' ([६७] अल-मुल्क: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

وَيَقُوْلُوْنَ مَتٰى هٰذَا الْوَعْدُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ٢٥

wayaqūlūna
وَيَقُولُونَ
और वो कहते हैं
matā
مَتَىٰ
कब होगा
hādhā
هَٰذَا
ये
l-waʿdu
ٱلْوَعْدُ
वादा
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
ṣādiqīna
صَٰدِقِينَ
सच्चे
वे कहते है, 'यदि तुम सच्चे हो तो यह वादा कब पूरा होगा?' ([६७] अल-मुल्क: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

قُلْ اِنَّمَا الْعِلْمُ عِنْدَ اللّٰهِ ۖوَاِنَّمَآ اَنَا۠ نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ٢٦

qul
قُلْ
कह दीजिए
innamā
إِنَّمَا
बेशक
l-ʿil'mu
ٱلْعِلْمُ
इल्म (उसका)
ʿinda
عِندَ
पास है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
wa-innamā
وَإِنَّمَآ
और बेशक
anā
أَنَا۠
मैं
nadhīrun
نَذِيرٌ
डराने वाल हूँ
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
कह दो, 'इसका ज्ञान तो बस अल्लाह ही के पास है और मैं तो एक स्पष्ट॥ सचेत करनेवाला हूँ।' ([६७] अल-मुल्क: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

فَلَمَّا رَاَوْهُ زُلْفَةً سِيْۤـَٔتْ وُجُوْهُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَقِيْلَ هٰذَا الَّذِيْ كُنْتُمْ بِهٖ تَدَّعُوْنَ ٢٧

falammā
فَلَمَّا
फिर जब
ra-awhu
رَأَوْهُ
वो देख लेंगे उसे
zul'fatan
زُلْفَةً
नज़दीक
sīat
سِيٓـَٔتْ
बिगड़ जाऐंगे
wujūhu
وُجُوهُ
चेहरे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
waqīla
وَقِيلَ
और कह दिया जाएगा
hādhā
هَٰذَا
ये है
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
kuntum
كُنتُم
थे तुम
bihi
بِهِۦ
जिसको
taddaʿūna
تَدَّعُونَ
तुम माँगा करते
फिर जब वे उसे निकट देखेंगे तो उन लोगों के चेहरे बिगड़ जाएँगे जिन्होंने इनकार की नीति अपनाई; और कहा जाएगा, 'यही है वह चीज़ जिसकी तुम माँग कर रहे थे।' ([६७] अल-मुल्क: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

قُلْ اَرَءَيْتُمْ اِنْ اَهْلَكَنِيَ اللّٰهُ وَمَنْ مَّعِيَ اَوْ رَحِمَنَاۙ فَمَنْ يُّجِيْرُ الْكٰفِرِيْنَ مِنْ عَذَابٍ اَلِيْمٍ ٢٨

qul
قُلْ
कह दीजिए
ara-aytum
أَرَءَيْتُمْ
क्या देखा तुमने
in
إِنْ
अगर
ahlakaniya
أَهْلَكَنِىَ
हलाक कर दे मुझे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
waman
وَمَن
और उसे जो
maʿiya
مَّعِىَ
मेरे साथ है
aw
أَوْ
या
raḥimanā
رَحِمَنَا
वो रहम करे हम पर
faman
فَمَن
तो कौन
yujīru
يُجِيرُ
पनाह देगा
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों को
min
مِنْ
अज़ाब से
ʿadhābin
عَذَابٍ
अज़ाब से
alīmin
أَلِيمٍ
दर्दनाक
कहो, 'क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि अल्लाह मुझे और उन्हें भी, जो मेरे साथ है, विनष्ट ही कर दे या वह हम पर दया करे, आख़िर इनकार करनेवालों को दुखद यातना से कौन पनाह देगा?' ([६७] अल-मुल्क: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

قُلْ هُوَ الرَّحْمٰنُ اٰمَنَّا بِهٖ وَعَلَيْهِ تَوَكَّلْنَاۚ فَسَتَعْلَمُوْنَ مَنْ هُوَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ٢٩

qul
قُلْ
कह दीजिए
huwa
هُوَ
वो ही
l-raḥmānu
ٱلرَّحْمَٰنُ
रहमान है
āmannā
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
bihi
بِهِۦ
उस पर
waʿalayhi
وَعَلَيْهِ
और उसी पर
tawakkalnā
تَوَكَّلْنَاۖ
तवक्कुल किया हमने
fasataʿlamūna
فَسَتَعْلَمُونَ
पस अनक़रीब तुम जान लोगे
man
مَنْ
कौन है
huwa
هُوَ
जो
فِى
गुमराही में है
ḍalālin
ضَلَٰلٍ
गुमराही में है
mubīnin
مُّبِينٍ
खुली-खुली
कह दो, 'वह रहमान है। उसी पर हम ईमान लाए है और उसी पर हमने भरोसा किया। तो शीघ्र ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि खुली गुमराही में कौन पड़ा हुआ है।' ([६७] अल-मुल्क: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

قُلْ اَرَءَيْتُمْ اِنْ اَصْبَحَ مَاۤؤُكُمْ غَوْرًا فَمَنْ يَّأْتِيْكُمْ بِمَاۤءٍ مَّعِيْنٍ ࣖ ٣٠

qul
قُلْ
कह दीजिए
ara-aytum
أَرَءَيْتُمْ
क्या देखा तुमने
in
إِنْ
अगर
aṣbaḥa
أَصْبَحَ
हो जाए
māukum
مَآؤُكُمْ
पानी तुम्हारा
ghawran
غَوْرًا
गहरा
faman
فَمَن
तो कौन है जो
yatīkum
يَأْتِيكُم
लाए तुम्हारे पास
bimāin
بِمَآءٍ
पानी
maʿīnin
مَّعِينٍۭ
बहता हुआ
कहो, 'क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुम्हारा पानी (धरती में) नीचे उतर जाए तो फिर कौन तुम्हें लाकर देगा निर्मल प्रवाहित जल?' ([६७] अल-मुल्क: 30)
Tafseer (तफ़सीर )