اَمَّنْ هٰذَا الَّذِيْ يَرْزُقُكُمْ اِنْ اَمْسَكَ رِزْقَهٗ ۚ بَلْ لَّجُّوْا فِيْ عُتُوٍّ وَّنُفُوْرٍ ٢١
- amman
- أَمَّنْ
- या कौन है
- hādhā
- هَٰذَا
- वो
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जो
- yarzuqukum
- يَرْزُقُكُمْ
- रिज़्क़ देगा तुम्हें
- in
- إِنْ
- अगर
- amsaka
- أَمْسَكَ
- वो रोक ले
- riz'qahu
- رِزْقَهُۥۚ
- रिज़्क़ अपना
- bal
- بَل
- बल्कि
- lajjū
- لَّجُّوا۟
- वो अड़े हुए हैं
- fī
- فِى
- सरकशी में
- ʿutuwwin
- عُتُوٍّ
- सरकशी में
- wanufūrin
- وَنُفُورٍ
- और बिदकने में
या वह कौन है जो तुम्हें रोज़ी दे, यदि वह अपनी रोज़ी रोक ले? नहीं, बल्कि वे तो सरकशी और नफ़रत ही पर अड़े हुए है ([६७] अल-मुल्क: 21)Tafseer (तफ़सीर )
اَفَمَنْ يَّمْشِيْ مُكِبًّا عَلٰى وَجْهِهٖٓ اَهْدٰىٓ اَمَّنْ يَّمْشِيْ سَوِيًّا عَلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ٢٢
- afaman
- أَفَمَن
- क्या फिर जो
- yamshī
- يَمْشِى
- चलता है
- mukibban
- مُكِبًّا
- औंधा
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उपने चेहरे पर
- wajhihi
- وَجْهِهِۦٓ
- उपने चेहरे पर
- ahdā
- أَهْدَىٰٓ
- ज़्यादा हिदायत याफ़्ता है
- amman
- أَمَّن
- या जो
- yamshī
- يَمْشِى
- चलता है
- sawiyyan
- سَوِيًّا
- सीधा
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर रास्ते
- ṣirāṭin
- صِرَٰطٍ
- ऊपर रास्ते
- mus'taqīmin
- مُّسْتَقِيمٍ
- सीधे के
तो क्या वह व्यक्ति जो अपने मुँह के बल औंधा चलता हो वह अधिक सीधे मार्ग पर ह या वह जो सीधा होकर सीधे मार्ग पर चल रहा है? ([६७] अल-मुल्क: 22)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ هُوَ الَّذِيْٓ اَنْشَاَكُمْ وَجَعَلَ لَكُمُ السَّمْعَ وَالْاَبْصَارَ وَالْاَفْـِٕدَةَۗ قَلِيْلًا مَّا تَشْكُرُوْنَ ٢٣
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जिसने
- ansha-akum
- أَنشَأَكُمْ
- पैदा किया तुम्हें
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने बनाए
- lakumu
- لَكُمُ
- तुम्हारे लिए
- l-samʿa
- ٱلسَّمْعَ
- कान
- wal-abṣāra
- وَٱلْأَبْصَٰرَ
- और आँखें
- wal-afidata
- وَٱلْأَفْـِٔدَةَۖ
- और दिल
- qalīlan
- قَلِيلًا
- कितना कम
- mā
- مَّا
- कितना कम
- tashkurūna
- تَشْكُرُونَ
- तुम शुक्र अदा करते हो
कह दो, 'वही है जिसने तुम्हें पैदा किया और तुम्हारे लिए कान और आँखे और दिल बनाए। तुम कृतज्ञता थोड़े ही दिखाते हो।' ([६७] अल-मुल्क: 23)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ هُوَ الَّذِيْ ذَرَاَكُمْ فِى الْاَرْضِ وَاِلَيْهِ تُحْشَرُوْنَ ٢٤
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- dhara-akum
- ذَرَأَكُمْ
- फैलाया तुम्हें
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- wa-ilayhi
- وَإِلَيْهِ
- और तरफ़ उसी के
- tuḥ'sharūna
- تُحْشَرُونَ
- तुम इकट्ठे किए जाओगे
कह दो, 'वही है जिसने तुम्हें धरती में फैलाया और उसी की ओर तुम एकत्र किए जा रहे हो।' ([६७] अल-मुल्क: 24)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَقُوْلُوْنَ مَتٰى هٰذَا الْوَعْدُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ٢٥
- wayaqūlūna
- وَيَقُولُونَ
- और वो कहते हैं
- matā
- مَتَىٰ
- कब होगा
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- l-waʿdu
- ٱلْوَعْدُ
- वादा
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- ṣādiqīna
- صَٰدِقِينَ
- सच्चे
वे कहते है, 'यदि तुम सच्चे हो तो यह वादा कब पूरा होगा?' ([६७] अल-मुल्क: 25)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اِنَّمَا الْعِلْمُ عِنْدَ اللّٰهِ ۖوَاِنَّمَآ اَنَا۠ نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ٢٦
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- l-ʿil'mu
- ٱلْعِلْمُ
- इल्म (उसका)
- ʿinda
- عِندَ
- पास है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- wa-innamā
- وَإِنَّمَآ
- और बेशक
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- nadhīrun
- نَذِيرٌ
- डराने वाल हूँ
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
कह दो, 'इसका ज्ञान तो बस अल्लाह ही के पास है और मैं तो एक स्पष्ट॥ सचेत करनेवाला हूँ।' ([६७] अल-मुल्क: 26)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّا رَاَوْهُ زُلْفَةً سِيْۤـَٔتْ وُجُوْهُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَقِيْلَ هٰذَا الَّذِيْ كُنْتُمْ بِهٖ تَدَّعُوْنَ ٢٧
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- ra-awhu
- رَأَوْهُ
- वो देख लेंगे उसे
- zul'fatan
- زُلْفَةً
- नज़दीक
- sīat
- سِيٓـَٔتْ
- बिगड़ जाऐंगे
- wujūhu
- وُجُوهُ
- चेहरे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- waqīla
- وَقِيلَ
- और कह दिया जाएगा
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- kuntum
- كُنتُم
- थे तुम
- bihi
- بِهِۦ
- जिसको
- taddaʿūna
- تَدَّعُونَ
- तुम माँगा करते
फिर जब वे उसे निकट देखेंगे तो उन लोगों के चेहरे बिगड़ जाएँगे जिन्होंने इनकार की नीति अपनाई; और कहा जाएगा, 'यही है वह चीज़ जिसकी तुम माँग कर रहे थे।' ([६७] अल-मुल्क: 27)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اَرَءَيْتُمْ اِنْ اَهْلَكَنِيَ اللّٰهُ وَمَنْ مَّعِيَ اَوْ رَحِمَنَاۙ فَمَنْ يُّجِيْرُ الْكٰفِرِيْنَ مِنْ عَذَابٍ اَلِيْمٍ ٢٨
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ara-aytum
- أَرَءَيْتُمْ
- क्या देखा तुमने
- in
- إِنْ
- अगर
- ahlakaniya
- أَهْلَكَنِىَ
- हलाक कर दे मुझे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- waman
- وَمَن
- और उसे जो
- maʿiya
- مَّعِىَ
- मेरे साथ है
- aw
- أَوْ
- या
- raḥimanā
- رَحِمَنَا
- वो रहम करे हम पर
- faman
- فَمَن
- तो कौन
- yujīru
- يُجِيرُ
- पनाह देगा
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों को
- min
- مِنْ
- अज़ाब से
- ʿadhābin
- عَذَابٍ
- अज़ाब से
- alīmin
- أَلِيمٍ
- दर्दनाक
कहो, 'क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि अल्लाह मुझे और उन्हें भी, जो मेरे साथ है, विनष्ट ही कर दे या वह हम पर दया करे, आख़िर इनकार करनेवालों को दुखद यातना से कौन पनाह देगा?' ([६७] अल-मुल्क: 28)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ هُوَ الرَّحْمٰنُ اٰمَنَّا بِهٖ وَعَلَيْهِ تَوَكَّلْنَاۚ فَسَتَعْلَمُوْنَ مَنْ هُوَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ٢٩
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-raḥmānu
- ٱلرَّحْمَٰنُ
- रहमान है
- āmannā
- ءَامَنَّا
- ईमान लाए हम
- bihi
- بِهِۦ
- उस पर
- waʿalayhi
- وَعَلَيْهِ
- और उसी पर
- tawakkalnā
- تَوَكَّلْنَاۖ
- तवक्कुल किया हमने
- fasataʿlamūna
- فَسَتَعْلَمُونَ
- पस अनक़रीब तुम जान लोगे
- man
- مَنْ
- कौन है
- huwa
- هُوَ
- जो
- fī
- فِى
- गुमराही में है
- ḍalālin
- ضَلَٰلٍ
- गुमराही में है
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- खुली-खुली
कह दो, 'वह रहमान है। उसी पर हम ईमान लाए है और उसी पर हमने भरोसा किया। तो शीघ्र ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि खुली गुमराही में कौन पड़ा हुआ है।' ([६७] अल-मुल्क: 29)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اَرَءَيْتُمْ اِنْ اَصْبَحَ مَاۤؤُكُمْ غَوْرًا فَمَنْ يَّأْتِيْكُمْ بِمَاۤءٍ مَّعِيْنٍ ࣖ ٣٠
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ara-aytum
- أَرَءَيْتُمْ
- क्या देखा तुमने
- in
- إِنْ
- अगर
- aṣbaḥa
- أَصْبَحَ
- हो जाए
- māukum
- مَآؤُكُمْ
- पानी तुम्हारा
- ghawran
- غَوْرًا
- गहरा
- faman
- فَمَن
- तो कौन है जो
- yatīkum
- يَأْتِيكُم
- लाए तुम्हारे पास
- bimāin
- بِمَآءٍ
- पानी
- maʿīnin
- مَّعِينٍۭ
- बहता हुआ
कहो, 'क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुम्हारा पानी (धरती में) नीचे उतर जाए तो फिर कौन तुम्हें लाकर देगा निर्मल प्रवाहित जल?' ([६७] अल-मुल्क: 30)Tafseer (तफ़सीर )