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सूरा अल-मुल्क - Page: 2

Al-Mulk

(The Sovereignty, Control)

११

فَاعْتَرَفُوْا بِذَنْۢبِهِمْۚ فَسُحْقًا لِّاَصْحٰبِ السَّعِيْرِ ١١

fa-iʿ'tarafū
فَٱعْتَرَفُوا۟
तो वो ऐतराफ़ करेंगे
bidhanbihim
بِذَنۢبِهِمْ
अपने गुनाह का
fasuḥ'qan
فَسُحْقًا
तो दूरी(लानत) है
li-aṣḥābi
لِّأَصْحَٰبِ
साथियों को लिए
l-saʿīri
ٱلسَّعِيرِ
भड़कती आग के
इस प्रकार वे अपने गुनाहों को स्वीकार करेंगे, तो धिक्कार हो दहकती आगवालों पर! ([६७] अल-मुल्क: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

اِنَّ الَّذِيْنَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَيْبِ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّاَجْرٌ كَبِيْرٌ ١٢

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yakhshawna
يَخْشَوْنَ
डरते हैं
rabbahum
رَبَّهُم
अपने रब से
bil-ghaybi
بِٱلْغَيْبِ
ग़ायबाना
lahum
لَهُم
उनके लिए है
maghfiratun
مَّغْفِرَةٌ
बख़्शिश
wa-ajrun
وَأَجْرٌ
और अजर
kabīrun
كَبِيرٌ
बहुत बड़ा
जो लोग परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते है, उनके लिए क्षमा और बड़ा बदला है ([६७] अल-मुल्क: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَاَسِرُّوْا قَوْلَكُمْ اَوِ اجْهَرُوْا بِهٖۗ اِنَّهٗ عَلِيْمٌ ۢبِذَاتِ الصُّدُوْرِ ١٣

wa-asirrū
وَأَسِرُّوا۟
और छुपाओ
qawlakum
قَوْلَكُمْ
बात अपनी
awi
أَوِ
या
ij'harū
ٱجْهَرُوا۟
ज़ाहिर करो
bihi
بِهِۦٓۖ
उसे
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
ʿalīmun
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
bidhāti
بِذَاتِ
सीनों वाले(भेद)
l-ṣudūri
ٱلصُّدُورِ
सीनों वाले(भेद)
तुम अपनी बात छिपाओ या उसे व्यक्त करो, वह तो सीनों में छिपी बातों तक को जानता है ([६७] अल-मुल्क: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

اَلَا يَعْلَمُ مَنْ خَلَقَۗ وَهُوَ اللَّطِيْفُ الْخَبِيْرُ ࣖ ١٤

alā
أَلَا
क्या नहीं
yaʿlamu
يَعْلَمُ
वो जानेगा
man
مَنْ
जिसने
khalaqa
خَلَقَ
पैदा किया
wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
l-laṭīfu
ٱللَّطِيفُ
बहुत बारीक बीन
l-khabīru
ٱلْخَبِيرُ
ख़ूब बाख़बर
क्या वह नहीं जानेगा जिसने पैदा किया? वह सूक्ष्मदर्शी, ख़बर रखनेवाला है ([६७] अल-मुल्क: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

هُوَ الَّذِيْ جَعَلَ لَكُمُ الْاَرْضَ ذَلُوْلًا فَامْشُوْا فِيْ مَنَاكِبِهَا وَكُلُوْا مِنْ رِّزْقِهٖۗ وَاِلَيْهِ النُّشُوْرُ ١٥

huwa
هُوَ
वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
jaʿala
جَعَلَ
बनाया
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
dhalūlan
ذَلُولًا
ताबेअ
fa-im'shū
فَٱمْشُوا۟
पस चलो
فِى
उसके अतराफ़ में
manākibihā
مَنَاكِبِهَا
उसके अतराफ़ में
wakulū
وَكُلُوا۟
और खाओ
min
مِن
उसके रिज़्क़ में से
riz'qihi
رِّزْقِهِۦۖ
उसके रिज़्क़ में से
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
और तरफ़ उसी के
l-nushūru
ٱلنُّشُورُ
दोबारा उठना है
वही तो है जिसने तुम्हारे लिए धरती को वशीभूत किया। अतः तुम उसके (धरती के) कन्धों पर चलो और उसकी रोज़ी में से खाओ, उसी की ओर दोबारा उठकर (जीवित होकर) जाना है ([६७] अल-मुल्क: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

ءَاَمِنْتُمْ مَّنْ فِى السَّمَاۤءِ اَنْ يَّخْسِفَ بِكُمُ الْاَرْضَ فَاِذَا هِيَ تَمُوْرُۙ ١٦

a-amintum
ءَأَمِنتُم
क्या बेख़ौफ़ हो गए तुम
man
مَّن
उससे जो
فِى
आसमान में है
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान में है
an
أَن
कि
yakhsifa
يَخْسِفَ
वो धँसा दे
bikumu
بِكُمُ
तुम्हें
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन में
fa-idhā
فَإِذَا
तो अचानक
hiya
هِىَ
वो
tamūru
تَمُورُ
वो लरज़ने लगे
क्या तुम उससे निश्चिन्त हो जो आकाश में है कि तुम्हें धरती में धँसा दे, फिर क्या देखोगे कि वह डाँवाडोल हो रही है? ([६७] अल-मुल्क: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اَمْ اَمِنْتُمْ مَّنْ فِى السَّمَاۤءِ اَنْ يُّرْسِلَ عَلَيْكُمْ حَاصِبًاۗ فَسَتَعْلَمُوْنَ كَيْفَ نَذِيْرِ ١٧

am
أَمْ
क्या
amintum
أَمِنتُم
बेख़ौफ़ हो गए तुम
man
مَّن
उससे जो
فِى
आसमान में है
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान में है
an
أَن
कि
yur'sila
يُرْسِلَ
वो भेजे
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
ḥāṣiban
حَاصِبًاۖ
पत्थरों की आँधी
fasataʿlamūna
فَسَتَعْلَمُونَ
पस अनक़रीब तुम जान लोगे
kayfa
كَيْفَ
कैसा था
nadhīri
نَذِيرِ
डराना मेरा
या तुम उससे निश्चिन्त हो जो आकाश में है कि वह तुमपर पथराव करनेवाली वायु भेज दे? फिर तुम जान लोगे कि मेरी चेतावनी कैसी होती है ([६७] अल-मुल्क: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

وَلَقَدْ كَذَّبَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَكَيْفَ كَانَ نَكِيْرِ ١٨

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
kadhaba
كَذَّبَ
झुठलाया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْ
उनसे पहले थे
fakayfa
فَكَيْفَ
तो कैसा
kāna
كَانَ
था
nakīri
نَكِيرِ
अज़ाब मेरा
उन लोगों ने भी झुठलाया जो उनसे पहले थे, फिर कैसा रहा मेरा इनकार! ([६७] अल-मुल्क: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

اَوَلَمْ يَرَوْا اِلَى الطَّيْرِ فَوْقَهُمْ صٰۤفّٰتٍ وَّيَقْبِضْنَۘ مَا يُمْسِكُهُنَّ اِلَّا الرَّحْمٰنُۗ اِنَّهٗ بِكُلِّ شَيْءٍۢ بَصِيْرٌ ١٩

awalam
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
yaraw
يَرَوْا۟
उन्होंने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़ परिन्दों के
l-ṭayri
ٱلطَّيْرِ
तरफ़ परिन्दों के
fawqahum
فَوْقَهُمْ
अपने ऊपर
ṣāffātin
صَٰٓفَّٰتٍ
पर फैलाए हुए
wayaqbiḍ'na
وَيَقْبِضْنَۚ
और वो समेट लेते हैं
مَا
नहीं
yum'sikuhunna
يُمْسِكُهُنَّ
थामता उन्हें
illā
إِلَّا
मगर
l-raḥmānu
ٱلرَّحْمَٰنُۚ
रहमान
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍۭ
चीज़ को
baṣīrun
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है
क्या उन्होंने अपने ऊपर पक्षियों को पंक्तबन्द्ध पंख फैलाए और उन्हें समेटते नहीं देखा? उन्हें रहमान के सिवा कोई और नहीं थामें रहता। निश्चय ही वह हर चीज़ को देखता है ([६७] अल-मुल्क: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

اَمَّنْ هٰذَا الَّذِيْ هُوَ جُنْدٌ لَّكُمْ يَنْصُرُكُمْ مِّنْ دُوْنِ الرَّحْمٰنِۗ اِنِ الْكٰفِرُوْنَ اِلَّا فِيْ غُرُوْرٍۚ ٢٠

amman
أَمَّنْ
या कौन है
hādhā
هَٰذَا
वो
alladhī
ٱلَّذِى
जो
huwa
هُوَ
वो
jundun
جُندٌ
लश्कर हो
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारा
yanṣurukum
يَنصُرُكُم
वो मदद करे तुम्हारी
min
مِّن
सिवाए
dūni
دُونِ
सिवाए
l-raḥmāni
ٱلرَّحْمَٰنِۚ
रहमान के
ini
إِنِ
नहीं हैं
l-kāfirūna
ٱلْكَٰفِرُونَ
काफ़िर
illā
إِلَّا
मगर
فِى
धोखे में
ghurūrin
غُرُورٍ
धोखे में
या वह कौन है जो तुम्हारी सेना बनकर रहमान के मुक़ाबले में तुम्हारी सहायता करे। इनकार करनेवाले तो बस धोखे में पड़े हुए है ([६७] अल-मुल्क: 20)
Tafseer (तफ़सीर )