يٰٓاَيُّهَا النَّبِيُّ اِذَا طَلَّقْتُمُ النِّسَاۤءَ فَطَلِّقُوْهُنَّ لِعِدَّتِهِنَّ وَاَحْصُوا الْعِدَّةَۚ وَاتَّقُوا اللّٰهَ رَبَّكُمْۚ لَا تُخْرِجُوْهُنَّ مِنْۢ بُيُوْتِهِنَّ وَلَا يَخْرُجْنَ اِلَّآ اَنْ يَّأْتِيْنَ بِفَاحِشَةٍ مُّبَيِّنَةٍۗ وَتِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ ۗوَمَنْ يَّتَعَدَّ حُدُوْدَ اللّٰهِ فَقَدْ ظَلَمَ نَفْسَهٗ ۗ لَا تَدْرِيْ لَعَلَّ اللّٰهَ يُحْدِثُ بَعْدَ ذٰلِكَ اَمْرًا ١
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-nabiyu
- ٱلنَّبِىُّ
- नबी
- idhā
- إِذَا
- जब
- ṭallaqtumu
- طَلَّقْتُمُ
- तलाक़ दो तुम
- l-nisāa
- ٱلنِّسَآءَ
- औरतों को
- faṭalliqūhunna
- فَطَلِّقُوهُنَّ
- तो तलाक़ दो उन्हें
- liʿiddatihinna
- لِعِدَّتِهِنَّ
- उनकी इद्दत के लिए
- wa-aḥṣū
- وَأَحْصُوا۟
- और शुमार करो
- l-ʿidata
- ٱلْعِدَّةَۖ
- इद्दत को
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- rabbakum
- رَبَّكُمْۖ
- जो रब है तुम्हारा
- lā
- لَا
- ना तुम निकालो उन्हें
- tukh'rijūhunna
- تُخْرِجُوهُنَّ
- ना तुम निकालो उन्हें
- min
- مِنۢ
- उनके घरों से
- buyūtihinna
- بُيُوتِهِنَّ
- उनके घरों से
- walā
- وَلَا
- और ना
- yakhruj'na
- يَخْرُجْنَ
- वो निकलें
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yatīna
- يَأْتِينَ
- वो आऐं
- bifāḥishatin
- بِفَٰحِشَةٍ
- बेहयाई को
- mubayyinatin
- مُّبَيِّنَةٍۚ
- खुली
- watil'ka
- وَتِلْكَ
- और ये
- ḥudūdu
- حُدُودُ
- हुदूद हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह की
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yataʿadda
- يَتَعَدَّ
- तजावुज़ करेगा
- ḥudūda
- حُدُودَ
- हुदूद से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- ẓalama
- ظَلَمَ
- उसने ज़ुल्म किया
- nafsahu
- نَفْسَهُۥۚ
- अपनी जान पर
- lā
- لَا
- नहीं तुम जानते
- tadrī
- تَدْرِى
- नहीं तुम जानते
- laʿalla
- لَعَلَّ
- शायद कि
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yuḥ'dithu
- يُحْدِثُ
- वो पैदा कर दे
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उसके
- amran
- أَمْرًا
- कोई सूरत
ऐ नबी! जब तुम लोग स्त्रियों को तलाक़ दो तो उन्हें तलाक़ उनकी इद्दत के हिसाब से दो। और इद्दत की गणना करो और अल्लाह का डर रखो, जो तुम्हारा रब है। उन्हें उनके घरों से न निकालो और न वे स्वयं निकलें, सिवाय इसके कि वे कोई स्पष्ट। अशोभनीय कर्म कर बैठें। ये अल्लाह की नियत की हुई सीमाएँ है - और जो अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करे तो उसने स्वयं अपने आप पर ज़ुल्म किया - तुम नहीं जानते, कदाचित इस (तलाक़) के पश्चात अल्लाह कोई सूरत पैदा कर दे ([६५] अत-तलाक: 1)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِذَا بَلَغْنَ اَجَلَهُنَّ فَاَمْسِكُوْهُنَّ بِمَعْرُوْفٍ اَوْ فَارِقُوْهُنَّ بِمَعْرُوْفٍ وَّاَشْهِدُوْا ذَوَيْ عَدْلٍ مِّنْكُمْ وَاَقِيْمُوا الشَّهَادَةَ لِلّٰهِ ۗذٰلِكُمْ يُوْعَظُ بِهٖ مَنْ كَانَ يُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ ەۗ وَمَنْ يَّتَّقِ اللّٰهَ يَجْعَلْ لَّهٗ مَخْرَجًا ۙ ٢
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- balaghna
- بَلَغْنَ
- वो पहुँचें
- ajalahunna
- أَجَلَهُنَّ
- अपना मुद्दत को
- fa-amsikūhunna
- فَأَمْسِكُوهُنَّ
- तो रोक लो उन्हें
- bimaʿrūfin
- بِمَعْرُوفٍ
- भले तरीक़े से
- aw
- أَوْ
- या
- fāriqūhunna
- فَارِقُوهُنَّ
- जुदा कर दो उन्हें
- bimaʿrūfin
- بِمَعْرُوفٍ
- भले तरीक़े से
- wa-ashhidū
- وَأَشْهِدُوا۟
- और गवाह बना लो
- dhaway
- ذَوَىْ
- दो अदल वालों को
- ʿadlin
- عَدْلٍ
- दो अदल वालों को
- minkum
- مِّنكُمْ
- तुम में से
- wa-aqīmū
- وَأَقِيمُوا۟
- और क़ायम करो
- l-shahādata
- ٱلشَّهَٰدَةَ
- गवाही
- lillahi
- لِلَّهِۚ
- अल्लाह के लिए
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये (है हुक्म)
- yūʿaẓu
- يُوعَظُ
- नसीहत की जाती है
- bihi
- بِهِۦ
- जिसकी
- man
- مَن
- उसे जो
- kāna
- كَانَ
- हो वो
- yu'minu
- يُؤْمِنُ
- वो ईमान रखता
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِۚ
- और आख़िरी दिन पर
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yattaqi
- يَتَّقِ
- डरेगा
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- yajʿal
- يَجْعَل
- वो पैदा कर देगा
- lahu
- لَّهُۥ
- उसके लिए
- makhrajan
- مَخْرَجًا
- निकलने का रास्ता
फिर जब वे अपनी नियत इद्दत को पहुँचे तो या तो उन्हें भली रीति से रोक लो या भली रीति से अलग कर दो। और अपने में से दो न्यायप्रिय आदमियों को गवाह बना दो और अल्लाह के लिए गवाही को दुरुस्त रखो। इसकी नसीहत उस व्यक्ति को की जाती है जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखेगा उसके लिए वह (परेशानी से) निकलने का राह पैदा कर देगा ([६५] अत-तलाक: 2)Tafseer (तफ़सीर )
وَّيَرْزُقْهُ مِنْ حَيْثُ لَا يَحْتَسِبُۗ وَمَنْ يَّتَوَكَّلْ عَلَى اللّٰهِ فَهُوَ حَسْبُهٗ ۗاِنَّ اللّٰهَ بَالِغُ اَمْرِهٖۗ قَدْ جَعَلَ اللّٰهُ لِكُلِّ شَيْءٍ قَدْرًا ٣
- wayarzuq'hu
- وَيَرْزُقْهُ
- और वो रिज़्क़ देगा उसे
- min
- مِنْ
- जहाँ से
- ḥaythu
- حَيْثُ
- जहाँ से
- lā
- لَا
- ना वो गुमान करता हो
- yaḥtasibu
- يَحْتَسِبُۚ
- ना वो गुमान करता हो
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yatawakkal
- يَتَوَكَّلْ
- तवक्कुल करेगा
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- fahuwa
- فَهُوَ
- तो वो
- ḥasbuhu
- حَسْبُهُۥٓۚ
- काफ़ी है उसे
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bālighu
- بَٰلِغُ
- पूरा करने वाला है
- amrihi
- أَمْرِهِۦۚ
- अपने काम को
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- jaʿala
- جَعَلَ
- बना दिया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- likulli
- لِكُلِّ
- वास्ते हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadran
- قَدْرًا
- एक अंदाज़ा
और उसे वहाँ से रोज़ी देगा जिसका उसे गुमान भी न होगा। जो अल्लाह पर भरोसा करे तो वह उसके लिए काफ़ी है। निश्चय ही अल्लाह अपना काम पूरा करके रहता है। अल्लाह ने हर चीज़ का एक अन्दाजा नियत कर रखा है ([६५] अत-तलाक: 3)Tafseer (तफ़सीर )
وَالّٰۤـِٔيْ يَىِٕسْنَ مِنَ الْمَحِيْضِ مِنْ نِّسَاۤىِٕكُمْ اِنِ ارْتَبْتُمْ فَعِدَّتُهُنَّ ثَلٰثَةُ اَشْهُرٍۙ وَّالّٰۤـِٔيْ لَمْ يَحِضْنَۗ وَاُولَاتُ الْاَحْمَالِ اَجَلُهُنَّ اَنْ يَّضَعْنَ حَمْلَهُنَّۗ وَمَنْ يَّتَّقِ اللّٰهَ يَجْعَلْ لَّهٗ مِنْ اَمْرِهٖ يُسْرًا ٤
- wa-allāī
- وَٱلَّٰٓـِٔى
- और वो औरतें
- ya-is'na
- يَئِسْنَ
- जो मायूस हो चुकी हों
- mina
- مِنَ
- हैज़ से
- l-maḥīḍi
- ٱلْمَحِيضِ
- हैज़ से
- min
- مِن
- तुम्हारी औरतों में से
- nisāikum
- نِّسَآئِكُمْ
- तुम्हारी औरतों में से
- ini
- إِنِ
- अगर
- ir'tabtum
- ٱرْتَبْتُمْ
- शक हो तुम्हें
- faʿiddatuhunna
- فَعِدَّتُهُنَّ
- तो इद्दत उनकी
- thalāthatu
- ثَلَٰثَةُ
- तीन
- ashhurin
- أَشْهُرٍ
- माह है
- wa-allāī
- وَٱلَّٰٓـِٔى
- और उन औरतों (की भी) जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yaḥiḍ'na
- يَحِضْنَۚ
- वो हाएज़ा हुईं
- wa-ulātu
- وَأُو۟لَٰتُ
- और हमल वालियाँ
- l-aḥmāli
- ٱلْأَحْمَالِ
- और हमल वालियाँ
- ajaluhunna
- أَجَلُهُنَّ
- इद्दत उनकी (ये है)
- an
- أَن
- कि
- yaḍaʿna
- يَضَعْنَ
- वो वज़ह कर दें
- ḥamlahunna
- حَمْلَهُنَّۚ
- हमल अपना
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yattaqi
- يَتَّقِ
- डरेगा
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- yajʿal
- يَجْعَل
- वो कर देगा
- lahu
- لَّهُۥ
- उसके लिए
- min
- مِنْ
- उसके काम में
- amrihi
- أَمْرِهِۦ
- उसके काम में
- yus'ran
- يُسْرًا
- आसानी
और तुम्हारी स्त्रियों में से जो मासिक धर्म से निराश हो चुकी हों, यदि तुम्हें संदेह हो तो उनकी इद्दत तीन मास है और इसी प्रकार उनकी भी जो अभी रजस्वला नहीं हुई। और जो गर्भवती स्त्रियाँ हो उनकी इद्दत उनके शिशु-प्रसव तक है। जो कोई अल्लाह का डर रखेगा उसके मामले में वह आसानी पैदा कर देगा ([६५] अत-तलाक: 4)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ اَمْرُ اللّٰهِ اَنْزَلَهٗٓ اِلَيْكُمْۗ وَمَنْ يَّتَّقِ اللّٰهَ يُكَفِّرْ عَنْهُ سَيِّاٰتِهٖ وَيُعْظِمْ لَهٗٓ اَجْرًا ٥
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- amru
- أَمْرُ
- हुक्म है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- anzalahu
- أَنزَلَهُۥٓ
- उसने नाज़िल किया है उसे
- ilaykum
- إِلَيْكُمْۚ
- तरफ़ तुम्हारे
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yattaqi
- يَتَّقِ
- डरेगा
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- yukaffir
- يُكَفِّرْ
- वो दूर कर देगा
- ʿanhu
- عَنْهُ
- उससे
- sayyiātihi
- سَيِّـَٔاتِهِۦ
- बुराइयाँ उसकी
- wayuʿ'ẓim
- وَيُعْظِمْ
- और वो बड़ा कर देगा
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसके लिए
- ajran
- أَجْرًا
- अजर को
यह अल्लाह का आदेश है जो उसने तुम्हारी ओर उतारा है। और जो कोई अल्लाह का डर रखेगा उससे वह उसकी बुराईयाँ दूर कर देगा और उसके प्रतिदान को बड़ा कर देगा ([६५] अत-तलाक: 5)Tafseer (तफ़सीर )
اَسْكِنُوْهُنَّ مِنْ حَيْثُ سَكَنْتُمْ مِّنْ وُّجْدِكُمْ وَلَا تُضَاۤرُّوْهُنَّ لِتُضَيِّقُوْا عَلَيْهِنَّۗ وَاِنْ كُنَّ اُولَاتِ حَمْلٍ فَاَنْفِقُوْا عَلَيْهِنَّ حَتّٰى يَضَعْنَ حَمْلَهُنَّۚ فَاِنْ اَرْضَعْنَ لَكُمْ فَاٰتُوْهُنَّ اُجُوْرَهُنَّۚ وَأْتَمِرُوْا بَيْنَكُمْ بِمَعْرُوْفٍۚ وَاِنْ تَعَاسَرْتُمْ فَسَتُرْضِعُ لَهٗٓ اُخْرٰىۗ ٦
- askinūhunna
- أَسْكِنُوهُنَّ
- रिहाइश दो उन औरतों को
- min
- مِنْ
- जहाँ
- ḥaythu
- حَيْثُ
- जहाँ
- sakantum
- سَكَنتُم
- रहते हो तुम
- min
- مِّن
- अपनी वुसअत के मुताबिक़
- wuj'dikum
- وُجْدِكُمْ
- अपनी वुसअत के मुताबिक़
- walā
- وَلَا
- और ना
- tuḍārrūhunna
- تُضَآرُّوهُنَّ
- तुम ज़रर पहुँचाओ उन्हें
- lituḍayyiqū
- لِتُضَيِّقُوا۟
- ताकि तुम तंगी करो
- ʿalayhinna
- عَلَيْهِنَّۚ
- उन पर
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- kunna
- كُنَّ
- हों वो
- ulāti
- أُو۟لَٰتِ
- हमल वालियाँ
- ḥamlin
- حَمْلٍ
- हमल वालियाँ
- fa-anfiqū
- فَأَنفِقُوا۟
- तो ख़र्च करो
- ʿalayhinna
- عَلَيْهِنَّ
- उन पर
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yaḍaʿna
- يَضَعْنَ
- वो वज़ह कर दें
- ḥamlahunna
- حَمْلَهُنَّۚ
- हमल अपना
- fa-in
- فَإِنْ
- फिर अगर
- arḍaʿna
- أَرْضَعْنَ
- वो दूध पिलाऐं
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- faātūhunna
- فَـَٔاتُوهُنَّ
- तो दे दो उन्हें
- ujūrahunna
- أُجُورَهُنَّۖ
- उजरतें उनकी
- watamirū
- وَأْتَمِرُوا۟
- और मशवरा करो
- baynakum
- بَيْنَكُم
- आपस में
- bimaʿrūfin
- بِمَعْرُوفٍۖ
- भले तरीक़े से
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- taʿāsartum
- تَعَاسَرْتُمْ
- तुम ने बाहम दुशवारी पैदा की
- fasatur'ḍiʿu
- فَسَتُرْضِعُ
- तो दूध पिला देगी
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसे
- ukh'rā
- أُخْرَىٰ
- कोई दूसरी
अपनी हैसियत के अनुसार यहाँ तुम स्वयं रहते हो उन्हें भी उसी जगह रखो। और उन्हें तंग करने के लिए उन्हें हानि न पहुँचाओ। और यदि वे गर्भवती हो तो उनपर ख़र्च करते रहो जब तक कि उनका शिशु-प्रसव न हो जाए। फिर यदि वे तुम्हारे लिए (शिशु को) दूध पिलाएँ तो तुम उन्हें उनका पारिश्रामिक दो और आपस में भली रीति से परस्पर बातचीत के द्वार कोई बात तय कर लो। और यदि तुम दोनों में कोई कठिनाई हो तो फिर कोई दूसरी स्त्री उसके लिए दूध पिला देगी ([६५] अत-तलाक: 6)Tafseer (तफ़सीर )
لِيُنْفِقْ ذُوْ سَعَةٍ مِّنْ سَعَتِهٖۗ وَمَنْ قُدِرَ عَلَيْهِ رِزْقُهٗ فَلْيُنْفِقْ مِمَّآ اٰتٰىهُ اللّٰهُ ۗ لَا يُكَلِّفُ اللّٰهُ نَفْسًا اِلَّا مَآ اٰتٰىهَاۗ سَيَجْعَلُ اللّٰهُ بَعْدَ عُسْرٍ يُّسْرًا ࣖ ٧
- liyunfiq
- لِيُنفِقْ
- ताकि ख़र्च करे
- dhū
- ذُو
- वुसअत वाला
- saʿatin
- سَعَةٍ
- वुसअत वाला
- min
- مِّن
- अपनी वुसअत में से
- saʿatihi
- سَعَتِهِۦۖ
- अपनी वुसअत में से
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- qudira
- قُدِرَ
- तंग किया गया
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- riz'quhu
- رِزْقُهُۥ
- रिज़्क़ उसका
- falyunfiq
- فَلْيُنفِقْ
- पस चाहिए कि वो ख़र्च करे
- mimmā
- مِمَّآ
- उसमें से जो
- ātāhu
- ءَاتَىٰهُ
- दिया है उसे
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह ने
- lā
- لَا
- नहीं तक्लीफ़ देता
- yukallifu
- يُكَلِّفُ
- नहीं तक्लीफ़ देता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- nafsan
- نَفْسًا
- किसी नफ़्स को
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَآ
- जितना
- ātāhā
- ءَاتَىٰهَاۚ
- उसने दिया उसे
- sayajʿalu
- سَيَجْعَلُ
- अनक़रीब कर देगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- ʿus'rin
- عُسْرٍ
- तंगी के
- yus'ran
- يُسْرًا
- आसानी
चाहिए कि समाई (सामर्थ्य) वाला अपनी समाई के अनुसार ख़र्च करे और जिसे उसकी रोज़ी नपी-तुली मिली हो तो उसे चाहिए कि अल्लाह ने उसे जो कुछ भी दिया है उसी में से वह ख़र्च करे। जितना कुछ दिया है उससे बढ़कर अल्लाह किसी व्यक्ति पर ज़िम्मेदारी का बोझ नहीं डालता। जल्द ही अल्लाह कठिनाई के बाद आसानी पैदा कर देगा ([६५] अत-तलाक: 7)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَاَيِّنْ مِّنْ قَرْيَةٍ عَتَتْ عَنْ اَمْرِ رَبِّهَا وَرُسُلِهٖ فَحَاسَبْنٰهَا حِسَابًا شَدِيْدًاۙ وَّعَذَّبْنٰهَا عَذَابًا نُّكْرًا ٨
- waka-ayyin
- وَكَأَيِّن
- और कितनी ही
- min
- مِّن
- बस्तियाँ हैं
- qaryatin
- قَرْيَةٍ
- बस्तियाँ हैं
- ʿatat
- عَتَتْ
- उन्होंने सरकशी की
- ʿan
- عَنْ
- हुक्म से
- amri
- أَمْرِ
- हुक्म से
- rabbihā
- رَبِّهَا
- अपने रब के
- warusulihi
- وَرُسُلِهِۦ
- और उसके रसूलों से
- faḥāsabnāhā
- فَحَاسَبْنَٰهَا
- तो हिसाब लिया हमने उनसे
- ḥisāban
- حِسَابًا
- हिसाब
- shadīdan
- شَدِيدًا
- शदीद/ सख़्त
- waʿadhabnāhā
- وَعَذَّبْنَٰهَا
- और अज़ाब दिया हमने उन्हें
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- nuk'ran
- نُّكْرًا
- अंजाना / हौलनाक
कितनी ही बस्तियाँ हैं जिन्होंने रब और उसके रसूलों के आदेश के मुक़ाबले में सरकशी की, तो हमने उनकी सख़्त पकड़ की और उन्हें बुरी यातना दी ([६५] अत-तलाक: 8)Tafseer (तफ़सीर )
فَذَاقَتْ وَبَالَ اَمْرِهَا وَكَانَ عَاقِبَةُ اَمْرِهَا خُسْرًا ٩
- fadhāqat
- فَذَاقَتْ
- तो उन्होंने चखा
- wabāla
- وَبَالَ
- वबाल
- amrihā
- أَمْرِهَا
- अपने काम का
- wakāna
- وَكَانَ
- और था
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम
- amrihā
- أَمْرِهَا
- उनके काम का
- khus'ran
- خُسْرًا
- ख़सारा
अतः उन्होंने अपने किए के वबाल का मज़ा चख लिया और उनकी कार्य-नीति का परिणाम घाटा ही रहा ([६५] अत-तलाक: 9)Tafseer (तफ़सीर )
اَعَدَّ اللّٰهُ لَهُمْ عَذَابًا شَدِيْدًا ۖفَاتَّقُوا اللّٰهَ يٰٓاُولِى الْاَلْبَابِۛ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا ۛ قَدْ اَنْزَلَ اللّٰهُ اِلَيْكُمْ ذِكْرًاۙ ١٠
- aʿadda
- أَعَدَّ
- तैयार कर रखा है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- shadīdan
- شَدِيدًاۖ
- शदीद
- fa-ittaqū
- فَٱتَّقُوا۟
- पस डरो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- yāulī
- يَٰٓأُو۟لِى
- ऐ अक़्ल वालो
- l-albābi
- ٱلْأَلْبَٰبِ
- ऐ अक़्ल वालो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟ۚ
- ईमान लाए हो
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ilaykum
- إِلَيْكُمْ
- तरफ़ तुम्हारे
- dhik'ran
- ذِكْرًا
- ज़िक्र
अल्लाह ने उनके लिए कठोर यातना तैयार कर रखी है। अतः ऐ बुद्धि और समझवालो जो ईमान लाए हो! अल्लाह का डर रखो। अल्लाह ने तुम्हारी ओर एक याददिहानी उतार दी है ([६५] अत-तलाक: 10)Tafseer (तफ़सीर )