يُسَبِّحُ لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُۖ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ١
- yusabbiḥu
- يُسَبِّحُ
- तस्बीह करती है
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- mā
- مَا
- हर वो चीज़ जो
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wamā
- وَمَا
- और जो
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۖ
- ज़मीन में है
- lahu
- لَهُ
- उसी के लिए है
- l-mul'ku
- ٱلْمُلْكُ
- बादशाहत
- walahu
- وَلَهُ
- और उसी के लिए है
- l-ḥamdu
- ٱلْحَمْدُۖ
- सब तारीफ़
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखन वाला है
अल्लाह की तसबीह कर रही है हर वह चीज़ जो आकाशों में है और जो धरती में है। उसी की बादशाही है और उसी के लिए प्रशंसा है और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([६४] अत-तग़ाबुन: 1)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْ خَلَقَكُمْ فَمِنْكُمْ كَافِرٌ وَّمِنْكُمْ مُّؤْمِنٌۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ٢
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- khalaqakum
- خَلَقَكُمْ
- पैदा किया तुम्हें
- faminkum
- فَمِنكُمْ
- तो तुम में से
- kāfirun
- كَافِرٌ
- कोई काफ़िर है
- waminkum
- وَمِنكُم
- और तुम में से
- mu'minun
- مُّؤْمِنٌۚ
- कोई मोमिन है
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
वही है जिसने तुम्हें पैदा किया, फिर तुममें से कोई तो इनकार करनेवाला है और तुममें से कोई ईमानवाला है, और तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसे देख रहा होता है ([६४] अत-तग़ाबुन: 2)Tafseer (तफ़सीर )
خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّ وَصَوَّرَكُمْ فَاَحْسَنَ صُوَرَكُمْۚ وَاِلَيْهِ الْمَصِيْرُ ٣
- khalaqa
- خَلَقَ
- उसने पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ के
- waṣawwarakum
- وَصَوَّرَكُمْ
- और उसने सूरत बनाई तुम्हारी
- fa-aḥsana
- فَأَحْسَنَ
- तो उसने अच्छी बनाईं
- ṣuwarakum
- صُوَرَكُمْۖ
- सूरतें तुम्हारी
- wa-ilayhi
- وَإِلَيْهِ
- और तरफ़ उसी के
- l-maṣīru
- ٱلْمَصِيرُ
- लौटना है
उसने आकाशों और धरती को हक़ के साथ पैदा किया और तुम्हारा रूप बनाया, तो बहुत ही अच्छे बनाए तुम्हारे रूप और उसी की ओर अन्ततः जाना है ([६४] अत-तग़ाबुन: 3)Tafseer (तफ़सीर )
يَعْلَمُ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَيَعْلَمُ مَا تُسِرُّوْنَ وَمَا تُعْلِنُوْنَۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ ۢبِذَاتِ الصُّدُوْرِ ٤
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन में
- wayaʿlamu
- وَيَعْلَمُ
- और वो जानता है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- tusirrūna
- تُسِرُّونَ
- तुम छुपाते हो
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- tuʿ'linūna
- تُعْلِنُونَۚ
- तुम ज़ाहिर करते हो
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bidhāti
- بِذَاتِ
- सीनों वाले (भेद)
- l-ṣudūri
- ٱلصُّدُورِ
- सीनों वाले (भेद)
वह जानता है जो कुछ आकाशों और धरती में है और उसे भी जानता है जो कुछ तुम छिपाते हो और जो कुछ तुम प्रकट करते हो। अल्लाह तो सीनों में छिपी बात तक को जानता है ([६४] अत-तग़ाबुन: 4)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ يَأْتِكُمْ نَبَؤُا الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَبْلُ ۖفَذَاقُوْا وَبَالَ اَمْرِهِمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٥
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- yatikum
- يَأْتِكُمْ
- आई तुम्हारे पास
- naba-u
- نَبَؤُا۟
- ख़बर
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनकी जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- इससे पहले
- fadhāqū
- فَذَاقُوا۟
- फिर उन्होंने चखा
- wabāla
- وَبَالَ
- वबाल
- amrihim
- أَمْرِهِمْ
- अपने काम का
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए है
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब
- alīmun
- أَلِيمٌ
- दर्दनाक
क्या तुम्हें उन लोगों की ख़बर नहीं पहुँची जिन्होंने इससे पहले इनकार किया था, फिर उन्होंने अपने कर्म के वबाल का मज़ा चखा और उनके लिए एक दुखद यातना भी है ([६४] अत-तग़ाबुन: 5)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ بِاَنَّهٗ كَانَتْ تَّأْتِيْهِمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ فَقَالُوْٓا اَبَشَرٌ يَّهْدُوْنَنَاۖ فَكَفَرُوْا وَتَوَلَّوْا وَّاسْتَغْنَى اللّٰهُ ۗوَاللّٰهُ غَنِيٌّ حَمِيْدٌ ٦
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-annahu
- بِأَنَّهُۥ
- बवजह उसके कि वो
- kānat
- كَانَت
- थे
- tatīhim
- تَّأْتِيهِمْ
- आते उनके पास
- rusuluhum
- رُسُلُهُم
- रसूल उनके
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- साथ वाज़ेह आयात के
- faqālū
- فَقَالُوٓا۟
- तो वो कहते
- abasharun
- أَبَشَرٌ
- क्या इन्सान
- yahdūnanā
- يَهْدُونَنَا
- रहनुमाई करेंगे हमारी
- fakafarū
- فَكَفَرُوا۟
- तो उन्होंने कुफ़्र किया
- watawallaw
- وَتَوَلَّوا۟ۚ
- और वो मुँह मोड़ गए
- wa-is'taghnā
- وَّٱسْتَغْنَى
- और परवाह ना की
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह ने
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ghaniyyun
- غَنِىٌّ
- बहुत बेनियाज़ है
- ḥamīdun
- حَمِيدٌ
- ख़ूब तारीफ़ वाला है
यह इस कारण कि उनके पास उनके रसूल स्पष्ट प्रमाण लेकर आते रहे, किन्तु उन्होंने कहा, 'क्या मनुष्य हमें मार्ग दिखाएँगे?' इस प्रकार उन्होंने इनकार किया और मुँह फेर लिया, तब अल्लाह भी उनसे बेपरवाह हो गया। अल्लाह तो है ही निस्पृह, अपने आप में स्वयं प्रशंसित ([६४] अत-तग़ाबुन: 6)Tafseer (तफ़सीर )
زَعَمَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اَنْ لَّنْ يُّبْعَثُوْاۗ قُلْ بَلٰى وَرَبِّيْ لَتُبْعَثُنَّ ثُمَّ لَتُنَبَّؤُنَّ بِمَا عَمِلْتُمْۗ وَذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ يَسِيْرٌ ٧
- zaʿama
- زَعَمَ
- दावा किया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- an
- أَن
- कि
- lan
- لَّن
- हरगिज़ नहीं
- yub'ʿathū
- يُبْعَثُوا۟ۚ
- वो उठाए जाऐंगे
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- balā
- بَلَىٰ
- क्यों नहीं
- warabbī
- وَرَبِّى
- क़सम है मेरे रब की
- latub'ʿathunna
- لَتُبْعَثُنَّ
- अलबत्ता तुम ज़रूर उठाए जाओगे
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- latunabba-unna
- لَتُنَبَّؤُنَّ
- अलबत्ता तुम ज़रूर ख़बर दिए जाओगे
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- ʿamil'tum
- عَمِلْتُمْۚ
- अमल किए तुमने
- wadhālika
- وَذَٰلِكَ
- और ये
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- yasīrun
- يَسِيرٌ
- बहुत आसान है
जिन लोगों ने इनकार किया उन्होंने दावा किया वे मरने के पश्चात कदापि न उठाए जाएँगे। कह दो, 'क्यों नहीं, मेरे रब की क़सम! तुम अवश्य उठाए जाओगे, फिर जो कुछ तुमने किया है उससे तुम्हें अवगत करा दिया जाएगा। और अल्लाह के लिए यह अत्यन्त सरल है।' ([६४] अत-तग़ाबुन: 7)Tafseer (तफ़सीर )
فَاٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَالنُّوْرِ الَّذِيْٓ اَنْزَلْنَاۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرٌ ٨
- faāminū
- فَـَٔامِنُوا۟
- पस ईमान लाओ
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- warasūlihi
- وَرَسُولِهِۦ
- और उसके रसूल पर
- wal-nūri
- وَٱلنُّورِ
- और उस नूर पर
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो जो
- anzalnā
- أَنزَلْنَاۚ
- नाज़िल किया हमने
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- khabīrun
- خَبِيرٌ
- ख़ूब ख़बर रखने वाला है
अतः ईमान लाओ, अल्लाह पर और उसके रसूल पर और उस प्रकाश पर जिसे हमने अवतरित किया है। तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है ([६४] अत-तग़ाबुन: 8)Tafseer (तफ़सीर )
يَوْمَ يَجْمَعُكُمْ لِيَوْمِ الْجَمْعِ ذٰلِكَ يَوْمُ التَّغَابُنِۗ وَمَنْ يُّؤْمِنْۢ بِاللّٰهِ وَيَعْمَلْ صَالِحًا يُّكَفِّرْ عَنْهُ سَيِّاٰتِهٖ وَيُدْخِلْهُ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًاۗ ذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ٩
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- yajmaʿukum
- يَجْمَعُكُمْ
- वो जमा करेगा तुम्हें
- liyawmi
- لِيَوْمِ
- जमा होने के दिन के लिए
- l-jamʿi
- ٱلْجَمْعِۖ
- जमा होने के दिन के लिए
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- yawmu
- يَوْمُ
- दिन होगा
- l-taghābuni
- ٱلتَّغَابُنِۗ
- हार जीत का
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yu'min
- يُؤْمِنۢ
- ईमान लाएगा
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wayaʿmal
- وَيَعْمَلْ
- और वो अमल करेगा
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- नेक
- yukaffir
- يُكَفِّرْ
- वो दूर कर देगा
- ʿanhu
- عَنْهُ
- उससे
- sayyiātihi
- سَيِّـَٔاتِهِۦ
- बुराइयाँ उसकी
- wayud'khil'hu
- وَيُدْخِلْهُ
- और वो दाख़िल करेगा उसे
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात में
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُ
- नहरें
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَآ
- उनमें
- abadan
- أَبَدًاۚ
- हमेशा-हमेशा
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- यही
- l-fawzu
- ٱلْفَوْزُ
- कामयाबी है
- l-ʿaẓīmu
- ٱلْعَظِيمُ
- बहुत बड़ी
इकट्ठा होने के दिन वह तुम्हें इकट्ठा करेगा, वह परस्पर लाभ-हानि का दिन होगा। जो भी अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छा कर्म करे उसकी बुराईयाँ अल्लाह उससे दूर कर देगा और उसे ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, उनमें वे सदैव रहेंगे। यही बड़ी सफलता है ([६४] अत-तग़ाबुन: 9)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَآ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ خٰلِدِيْنَ فِيْهَاۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ࣖ ١٠
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- wakadhabū
- وَكَذَّبُوا۟
- और झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَآ
- हमारी आयात को
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- साथी
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग के
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَاۖ
- उसमें
- wabi'sa
- وَبِئْسَ
- और कितनी बुरी है
- l-maṣīru
- ٱلْمَصِيرُ
- लौटने की जगह
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही आगवाले है जिसमें वे सदैव रहेंगे। अन्ततः लौटकर पहुँचने की वह बहुत ही बुरी जगह है ([६४] अत-तग़ाबुन: 10)Tafseer (तफ़सीर )