११
وَلَنْ يُّؤَخِّرَ اللّٰهُ نَفْسًا اِذَا جَاۤءَ اَجَلُهَاۗ وَاللّٰهُ خَبِيْرٌۢ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ࣖ ١١
- walan
- وَلَن
- और हरगिज़ ना
- yu-akhira
- يُؤَخِّرَ
- मोहलत देगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- nafsan
- نَفْسًا
- किसी नफ़्स को
- idhā
- إِذَا
- जब
- jāa
- جَآءَ
- आ जाऐगी
- ajaluhā
- أَجَلُهَاۚ
- मौत उसकी
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- khabīrun
- خَبِيرٌۢ
- ख़ूब ख़बर रखने वाला है
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
किन्तु अल्लाह, किसी व्यक्ति को जब तक उसका नियत समय आ जाता है, कदापि मुहलत नहीं देता। और जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है ([६३] अल-मुनाफिकुन: 11)Tafseer (तफ़सीर )