اِذَا جَاۤءَكَ الْمُنٰفِقُوْنَ قَالُوْا نَشْهَدُ اِنَّكَ لَرَسُوْلُ اللّٰهِ ۘوَاللّٰهُ يَعْلَمُ اِنَّكَ لَرَسُوْلُهٗ ۗوَاللّٰهُ يَشْهَدُ اِنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ لَكٰذِبُوْنَۚ ١
- idhā
- إِذَا
- जब
- jāaka
- جَآءَكَ
- आते हैं आपके पास
- l-munāfiqūna
- ٱلْمُنَٰفِقُونَ
- मुनाफ़िक़
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहते हैं
- nashhadu
- نَشْهَدُ
- हम गवाही देते हैं
- innaka
- إِنَّكَ
- कि बेशक आप
- larasūlu
- لَرَسُولُ
- यक़ीनन रसूल हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह के
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक आप
- larasūluhu
- لَرَسُولُهُۥ
- यक़ीनन रसूल हैं उसके
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yashhadu
- يَشْهَدُ
- गवाही देता है
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-munāfiqīna
- ٱلْمُنَٰفِقِينَ
- मुनाफ़िक़
- lakādhibūna
- لَكَٰذِبُونَ
- अलबत्ता झूठे हैं
जब मुनाफ़िक (कपटाचारी) तुम्हारे पास आते है तो कहते है, 'हम गवाही देते है कि निश्चय ही आप अल्लाह के रसूल है।' अल्लाह जानता है कि निस्संदेह तुम उसके रसूल हो, किेन्तु अल्लाह गवाही देता है कि ये मुनाफ़िक बिलकुल झूठे है ([६३] अल-मुनाफिकुन: 1)Tafseer (तफ़सीर )
اِتَّخَذُوْٓا اَيْمَانَهُمْ جُنَّةً فَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗاِنَّهُمْ سَاۤءَ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٢
- ittakhadhū
- ٱتَّخَذُوٓا۟
- उन्होंने बना लिया
- aymānahum
- أَيْمَٰنَهُمْ
- अपनी क़समों क
- junnatan
- جُنَّةً
- ढाल
- faṣaddū
- فَصَدُّوا۟
- तो उन्होंने रोका
- ʿan
- عَن
- अल्लाह के रास्ते से
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते से
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के रास्ते से
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- sāa
- سَآءَ
- कितना बुरा है
- mā
- مَا
- जो
- kānū
- كَانُوا۟
- हैं वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
उन्होंने अपनी क़समों को ढाल बना रखा है, इस प्रकार वे अल्लाह के मार्ग से रोकते है। निश्चय ही बुरा है जो वे कर रहे है ([६३] अल-मुनाफिकुन: 2)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ اٰمَنُوْا ثُمَّ كَفَرُوْا فَطُبِعَ عَلٰى قُلُوْبِهِمْ فَهُمْ لَا يَفْقَهُوْنَ ٣
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- बवजह उसके कि वो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- वो ईमान लाए
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- उन्होंने कुफ़्र किया
- faṭubiʿa
- فَطُبِعَ
- तो मोहर लगा दी गई
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर उनके दिलों के
- qulūbihim
- قُلُوبِهِمْ
- ऊपर उनके दिलों के
- fahum
- فَهُمْ
- पस वो
- lā
- لَا
- नहीं वो समझते
- yafqahūna
- يَفْقَهُونَ
- नहीं वो समझते
यह इस कारण कि वे ईमान लाए, फिर इनकार किया, अतः उनके दिलों पर मुहर लगा दी गई, अब वे कुछ नहीं समझते ([६३] अल-मुनाफिकुन: 3)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَاِذَا رَاَيْتَهُمْ تُعْجِبُكَ اَجْسَامُهُمْۗ وَاِنْ يَّقُوْلُوْا تَسْمَعْ لِقَوْلِهِمْۗ كَاَنَّهُمْ خُشُبٌ مُّسَنَّدَةٌ ۗيَحْسَبُوْنَ كُلَّ صَيْحَةٍ عَلَيْهِمْۗ هُمُ الْعَدُوُّ فَاحْذَرْهُمْۗ قَاتَلَهُمُ اللّٰهُ ۖاَنّٰى يُؤْفَكُوْنَ ٤
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- ra-aytahum
- رَأَيْتَهُمْ
- देखें आप उन्हें
- tuʿ'jibuka
- تُعْجِبُكَ
- अच्छे लगें आपको
- ajsāmuhum
- أَجْسَامُهُمْۖ
- जिस्म उनके
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yaqūlū
- يَقُولُوا۟
- वो बात करें
- tasmaʿ
- تَسْمَعْ
- आप सुनते रह जाऐं
- liqawlihim
- لِقَوْلِهِمْۖ
- उनकी बात को
- ka-annahum
- كَأَنَّهُمْ
- गोया कि वो
- khushubun
- خُشُبٌ
- लकड़ियाँ हैं
- musannadatun
- مُّسَنَّدَةٌۖ
- टेक लगाई हुईं
- yaḥsabūna
- يَحْسَبُونَ
- वो गुमान करते हैं
- kulla
- كُلَّ
- हर
- ṣayḥatin
- صَيْحَةٍ
- बुलन्द आवाज़ को
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْۚ
- अपने ऊपर
- humu
- هُمُ
- वो ही
- l-ʿaduwu
- ٱلْعَدُوُّ
- दुश्मन हैं
- fa-iḥ'dharhum
- فَٱحْذَرْهُمْۚ
- पस आप मोहतात रहिए उनसे
- qātalahumu
- قَٰتَلَهُمُ
- ग़ारत करे उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह
- annā
- أَنَّىٰ
- कहाँ से
- yu'fakūna
- يُؤْفَكُونَ
- वो फेरे जाते हैं
तुम उन्हें देखते हो तो उनके शरीर (बाह्य रूप) तुम्हें अच्छे लगते है, औरयदि वे बात करें तो उनकी बात तुम सुनते रह जाओ। किन्तु यह ऐसा ही है मानो वे लकड़ी के कुंदे है, जिन्हें (दीवार के सहारे) खड़ा कर दिया गया हो। हर ज़ोर की आवाज़ को वे अपने ही विरुद्ध समझते है। वही वास्तविक शत्रु हैं, अतः उनसे बचकर रहो। अल्लाह की मार उनपर। वे कहाँ उल्टे फिरे जा रहे है! ([६३] अल-मुनाफिकुन: 4)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا قِيْلَ لَهُمْ تَعَالَوْا يَسْتَغْفِرْ لَكُمْ رَسُوْلُ اللّٰهِ لَوَّوْا رُءُوْسَهُمْ وَرَاَيْتَهُمْ يَصُدُّوْنَ وَهُمْ مُّسْتَكْبِرُوْنَ ٥
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- qīla
- قِيلَ
- कहा जाता है
- lahum
- لَهُمْ
- उनसे
- taʿālaw
- تَعَالَوْا۟
- आओ
- yastaghfir
- يَسْتَغْفِرْ
- बख़्शिश की दुआ करें
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- rasūlu
- رَسُولُ
- अल्लाह के रसूल
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रसूल
- lawwaw
- لَوَّوْا۟
- वो मोड़ते है
- ruūsahum
- رُءُوسَهُمْ
- अपने सरों को
- wara-aytahum
- وَرَأَيْتَهُمْ
- और देखते हैं आप उन्हें
- yaṣuddūna
- يَصُدُّونَ
- वो रुकते हैं
- wahum
- وَهُم
- इस हाल में कि वो
- mus'takbirūna
- مُّسْتَكْبِرُونَ
- तकब्बुर करने वाले हैं
और जब उनसे कहा जाता है, 'आओ, अल्लाह का रसूल तुम्हारे लिए क्षमा की प्रार्थना करे।' तो वे अपने सिर मटकाते है और तुम देखते हो कि घमंड के साथ खिंचे रहते है ([६३] अल-मुनाफिकुन: 5)Tafseer (तफ़सीर )
سَوَاۤءٌ عَلَيْهِمْ اَسْتَغْفَرْتَ لَهُمْ اَمْ لَمْ تَسْتَغْفِرْ لَهُمْۗ لَنْ يَّغْفِرَ اللّٰهُ لَهُمْۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الْفٰسِقِيْنَ ٦
- sawāon
- سَوَآءٌ
- यक्साँ है
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- astaghfarta
- أَسْتَغْفَرْتَ
- ख़्वाह बख़्शिश माँगें आप
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- am
- أَمْ
- या
- lam
- لَمْ
- ना
- tastaghfir
- تَسْتَغْفِرْ
- आप बख़्शिश माँगें
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- yaghfira
- يَغْفِرَ
- बख़्शेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lahum
- لَهُمْۚ
- उन्हें
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं वो हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-fāsiqīna
- ٱلْفَٰسِقِينَ
- जो फ़ासिक़ हैं
उनके लिए बराबर है चाहे तुम उनके किए क्षमा की प्रार्थना करो या उनके लिए क्षमा की प्रार्थना न करो। अल्लाह उन्हें कदापि क्षमा न करेगा। निश्चय ही अल्लाह अवज्ञाकारियों को सीधा मार्ग नहीं दिखाया करता ([६३] अल-मुनाफिकुन: 6)Tafseer (तफ़सीर )
هُمُ الَّذِيْنَ يَقُوْلُوْنَ لَا تُنْفِقُوْا عَلٰى مَنْ عِنْدَ رَسُوْلِ اللّٰهِ حَتّٰى يَنْفَضُّوْاۗ وَلِلّٰهِ خَزَاۤىِٕنُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۙ وَلٰكِنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ لَا يَفْقَهُوْنَ ٧
- humu
- هُمُ
- वो ही हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जो
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- कहते हैं
- lā
- لَا
- ना तुम ख़र्च करो
- tunfiqū
- تُنفِقُوا۟
- ना तुम ख़र्च करो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- man
- مَنْ
- उनके जो
- ʿinda
- عِندَ
- पास हैं
- rasūli
- رَسُولِ
- रसूल अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- रसूल अल्लाह के
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yanfaḍḍū
- يَنفَضُّوا۟ۗ
- वो मुन्तशिर हो जाऐं
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए हैं
- khazāinu
- خَزَآئِنُ
- ख़ज़ाने
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन के
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- l-munāfiqīna
- ٱلْمُنَٰفِقِينَ
- मुनाफ़िक़
- lā
- لَا
- नहीं वो समझते
- yafqahūna
- يَفْقَهُونَ
- नहीं वो समझते
वे वहीं लोग है जो कहते है, 'उन लोगों पर ख़र्च न करो जो अल्लाह के रसूल के पास रहनेवाले है, ताकि वे तितर-बितर हो जाएँ।' हालाँकि आकाशों और धरती के ख़जाने अल्लाह ही के है, किन्तु वे मुनाफ़िक़ समझते नहीं ([६३] अल-मुनाफिकुन: 7)Tafseer (तफ़सीर )
يَقُوْلُوْنَ لَىِٕنْ رَّجَعْنَآ اِلَى الْمَدِيْنَةِ لَيُخْرِجَنَّ الْاَعَزُّ مِنْهَا الْاَذَلَّ ۗوَلِلّٰهِ الْعِزَّةُ وَلِرَسُوْلِهٖ وَلِلْمُؤْمِنِيْنَ وَلٰكِنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ ࣖ ٨
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते हैं
- la-in
- لَئِن
- अलबत्ता अगर
- rajaʿnā
- رَّجَعْنَآ
- वापस लौटे हम
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ मदीने के
- l-madīnati
- ٱلْمَدِينَةِ
- तरफ़ मदीने के
- layukh'rijanna
- لَيُخْرِجَنَّ
- अलबत्ता ज़रूर निकाल देगा
- l-aʿazu
- ٱلْأَعَزُّ
- ज़्यादा इज़्ज़त वाला
- min'hā
- مِنْهَا
- उससे
- l-adhala
- ٱلْأَذَلَّۚ
- ज़्यादा ज़िल्लत वाले को
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए है
- l-ʿizatu
- ٱلْعِزَّةُ
- इज़्ज़त
- walirasūlihi
- وَلِرَسُولِهِۦ
- और उसके रसूल के लिए
- walil'mu'minīna
- وَلِلْمُؤْمِنِينَ
- और मोमिनों के लिए
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- l-munāfiqīna
- ٱلْمُنَٰفِقِينَ
- मुनाफ़िक़
- lā
- لَا
- नहीं वो जानते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो जानते
वे कहते है, 'यदि हम मदीना लौटकर गए तो जो अधिक शक्तिवाला है, वह हीनतर (व्यक्तियों) को वहाँ से निकाल बाहर करेगा।' हालाँकि शक्ति अल्लाह और उसके रसूल और मोमिनों के लिए है, किन्तु वे मुनाफ़िक़ जानते नहीं ([६३] अल-मुनाफिकुन: 8)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تُلْهِكُمْ اَمْوَالُكُمْ وَلَآ اَوْلَادُكُمْ عَنْ ذِكْرِ اللّٰهِ ۚوَمَنْ يَّفْعَلْ ذٰلِكَ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ٩
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना ग़ाफ़िल करे तुम्हें
- tul'hikum
- تُلْهِكُمْ
- ना ग़ाफ़िल करे तुम्हें
- amwālukum
- أَمْوَٰلُكُمْ
- माल तुम्हारे
- walā
- وَلَآ
- और ना
- awlādukum
- أَوْلَٰدُكُمْ
- औलाद तुम्हारी
- ʿan
- عَن
- अल्लाह के ज़िक्र से
- dhik'ri
- ذِكْرِ
- अल्लाह के ज़िक्र से
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के ज़िक्र से
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yafʿal
- يَفْعَلْ
- करेगा
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ऐसा
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-khāsirūna
- ٱلْخَٰسِرُونَ
- जो ख़सारा पाने वाले हैं
ऐ ईमान लानेवालो! तुम्हारे माल तुम्हें अल्लाह की याद से ग़ाफ़िल न कर दें और न तुम्हारी सन्तान ही। जो कोई ऐसा करे तो ऐसे ही लोग घाटे में रहनेवाले है ([६३] अल-मुनाफिकुन: 9)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَنْفِقُوْا مِنْ مَّا رَزَقْنٰكُمْ مِّنْ قَبْلِ اَنْ يَّأْتِيَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ فَيَقُوْلَ رَبِّ لَوْلَآ اَخَّرْتَنِيْٓ اِلٰٓى اَجَلٍ قَرِيْبٍۚ فَاَصَّدَّقَ وَاَكُنْ مِّنَ الصّٰلِحِيْنَ ١٠
- wa-anfiqū
- وَأَنفِقُوا۟
- और ख़र्च करो
- min
- مِن
- उसमें से जो
- mā
- مَّا
- उसमें से जो
- razaqnākum
- رَزَقْنَٰكُم
- रिज़्क़ दिया हमन तुम्हें
- min
- مِّن
- उससे पहले
- qabli
- قَبْلِ
- उससे पहले
- an
- أَن
- कि
- yatiya
- يَأْتِىَ
- आ जाए
- aḥadakumu
- أَحَدَكُمُ
- तुम में से किसी एक को
- l-mawtu
- ٱلْمَوْتُ
- मौत
- fayaqūla
- فَيَقُولَ
- तो वो कहे
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- lawlā
- لَوْلَآ
- क्यों ना
- akhartanī
- أَخَّرْتَنِىٓ
- मोहलत दी तू ने मुझे
- ilā
- إِلَىٰٓ
- एक वक़्त तक
- ajalin
- أَجَلٍ
- एक वक़्त तक
- qarībin
- قَرِيبٍ
- क़रीब के
- fa-aṣṣaddaqa
- فَأَصَّدَّقَ
- तो मैं सदक़ा करता
- wa-akun
- وَأَكُن
- और मैं हो जाता
- mina
- مِّنَ
- नेक लोगों में से
- l-ṣāliḥīna
- ٱلصَّٰلِحِينَ
- नेक लोगों में से
हमने तुम्हें जो कुछ दिया है उसमें से ख़र्च करो इससे पहले कि तुममें से किसी की मृत्यु आ जाए और उस समय वह करने लगे, 'ऐ मेरे रब! तूने मुझे कुछ थोड़े समय तक और मुहलत क्यों न दी कि मैं सदक़ा (दान) करता (मुझे मुहलत दे कि मैं सदक़ा करूँ) और अच्छे लोगों में सम्मिलित हो जाऊँ।' ([६३] अल-मुनाफिकुन: 10)Tafseer (तफ़सीर )