Skip to content

सूरा अल-मुनाफिकुन - शब्द द्वारा शब्द

Al-Munafiqun

(The Hypocrites)

bismillaahirrahmaanirrahiim

اِذَا جَاۤءَكَ الْمُنٰفِقُوْنَ قَالُوْا نَشْهَدُ اِنَّكَ لَرَسُوْلُ اللّٰهِ ۘوَاللّٰهُ يَعْلَمُ اِنَّكَ لَرَسُوْلُهٗ ۗوَاللّٰهُ يَشْهَدُ اِنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ لَكٰذِبُوْنَۚ ١

idhā
إِذَا
जब
jāaka
جَآءَكَ
आते हैं आपके पास
l-munāfiqūna
ٱلْمُنَٰفِقُونَ
मुनाफ़िक़
qālū
قَالُوا۟
वो कहते हैं
nashhadu
نَشْهَدُ
हम गवाही देते हैं
innaka
إِنَّكَ
कि बेशक आप
larasūlu
لَرَسُولُ
यक़ीनन रसूल हैं
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह के
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
वो जानता है
innaka
إِنَّكَ
बेशक आप
larasūluhu
لَرَسُولُهُۥ
यक़ीनन रसूल हैं उसके
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yashhadu
يَشْهَدُ
गवाही देता है
inna
إِنَّ
बेशक
l-munāfiqīna
ٱلْمُنَٰفِقِينَ
मुनाफ़िक़
lakādhibūna
لَكَٰذِبُونَ
अलबत्ता झूठे हैं
जब मुनाफ़िक (कपटाचारी) तुम्हारे पास आते है तो कहते है, 'हम गवाही देते है कि निश्चय ही आप अल्लाह के रसूल है।' अल्लाह जानता है कि निस्संदेह तुम उसके रसूल हो, किेन्तु अल्लाह गवाही देता है कि ये मुनाफ़िक बिलकुल झूठे है ([६३] अल-मुनाफिकुन: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

اِتَّخَذُوْٓا اَيْمَانَهُمْ جُنَّةً فَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗاِنَّهُمْ سَاۤءَ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٢

ittakhadhū
ٱتَّخَذُوٓا۟
उन्होंने बना लिया
aymānahum
أَيْمَٰنَهُمْ
अपनी क़समों क
junnatan
جُنَّةً
ढाल
faṣaddū
فَصَدُّوا۟
तो उन्होंने रोका
ʿan
عَن
अल्लाह के रास्ते से
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के रास्ते से
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
sāa
سَآءَ
कितना बुरा है
مَا
जो
kānū
كَانُوا۟
हैं वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
उन्होंने अपनी क़समों को ढाल बना रखा है, इस प्रकार वे अल्लाह के मार्ग से रोकते है। निश्चय ही बुरा है जो वे कर रहे है ([६३] अल-मुनाफिकुन: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ اٰمَنُوْا ثُمَّ كَفَرُوْا فَطُبِعَ عَلٰى قُلُوْبِهِمْ فَهُمْ لَا يَفْقَهُوْنَ ٣

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि वो
āmanū
ءَامَنُوا۟
वो ईमान लाए
thumma
ثُمَّ
फिर
kafarū
كَفَرُوا۟
उन्होंने कुफ़्र किया
faṭubiʿa
فَطُبِعَ
तो मोहर लगा दी गई
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर उनके दिलों के
qulūbihim
قُلُوبِهِمْ
ऊपर उनके दिलों के
fahum
فَهُمْ
पस वो
لَا
नहीं वो समझते
yafqahūna
يَفْقَهُونَ
नहीं वो समझते
यह इस कारण कि वे ईमान लाए, फिर इनकार किया, अतः उनके दिलों पर मुहर लगा दी गई, अब वे कुछ नहीं समझते ([६३] अल-मुनाफिकुन: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

۞ وَاِذَا رَاَيْتَهُمْ تُعْجِبُكَ اَجْسَامُهُمْۗ وَاِنْ يَّقُوْلُوْا تَسْمَعْ لِقَوْلِهِمْۗ كَاَنَّهُمْ خُشُبٌ مُّسَنَّدَةٌ ۗيَحْسَبُوْنَ كُلَّ صَيْحَةٍ عَلَيْهِمْۗ هُمُ الْعَدُوُّ فَاحْذَرْهُمْۗ قَاتَلَهُمُ اللّٰهُ ۖاَنّٰى يُؤْفَكُوْنَ ٤

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ra-aytahum
رَأَيْتَهُمْ
देखें आप उन्हें
tuʿ'jibuka
تُعْجِبُكَ
अच्छे लगें आपको
ajsāmuhum
أَجْسَامُهُمْۖ
जिस्म उनके
wa-in
وَإِن
और अगर
yaqūlū
يَقُولُوا۟
वो बात करें
tasmaʿ
تَسْمَعْ
आप सुनते रह जाऐं
liqawlihim
لِقَوْلِهِمْۖ
उनकी बात को
ka-annahum
كَأَنَّهُمْ
गोया कि वो
khushubun
خُشُبٌ
लकड़ियाँ हैं
musannadatun
مُّسَنَّدَةٌۖ
टेक लगाई हुईं
yaḥsabūna
يَحْسَبُونَ
वो गुमान करते हैं
kulla
كُلَّ
हर
ṣayḥatin
صَيْحَةٍ
बुलन्द आवाज़ को
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۚ
अपने ऊपर
humu
هُمُ
वो ही
l-ʿaduwu
ٱلْعَدُوُّ
दुश्मन हैं
fa-iḥ'dharhum
فَٱحْذَرْهُمْۚ
पस आप मोहतात रहिए उनसे
qātalahumu
قَٰتَلَهُمُ
ग़ारत करे उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُۖ
अल्लाह
annā
أَنَّىٰ
कहाँ से
yu'fakūna
يُؤْفَكُونَ
वो फेरे जाते हैं
तुम उन्हें देखते हो तो उनके शरीर (बाह्य रूप) तुम्हें अच्छे लगते है, औरयदि वे बात करें तो उनकी बात तुम सुनते रह जाओ। किन्तु यह ऐसा ही है मानो वे लकड़ी के कुंदे है, जिन्हें (दीवार के सहारे) खड़ा कर दिया गया हो। हर ज़ोर की आवाज़ को वे अपने ही विरुद्ध समझते है। वही वास्तविक शत्रु हैं, अतः उनसे बचकर रहो। अल्लाह की मार उनपर। वे कहाँ उल्टे फिरे जा रहे है! ([६३] अल-मुनाफिकुन: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاِذَا قِيْلَ لَهُمْ تَعَالَوْا يَسْتَغْفِرْ لَكُمْ رَسُوْلُ اللّٰهِ لَوَّوْا رُءُوْسَهُمْ وَرَاَيْتَهُمْ يَصُدُّوْنَ وَهُمْ مُّسْتَكْبِرُوْنَ ٥

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
qīla
قِيلَ
कहा जाता है
lahum
لَهُمْ
उनसे
taʿālaw
تَعَالَوْا۟
आओ
yastaghfir
يَسْتَغْفِرْ
बख़्शिश की दुआ करें
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
rasūlu
رَسُولُ
अल्लाह के रसूल
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रसूल
lawwaw
لَوَّوْا۟
वो मोड़ते है
ruūsahum
رُءُوسَهُمْ
अपने सरों को
wara-aytahum
وَرَأَيْتَهُمْ
और देखते हैं आप उन्हें
yaṣuddūna
يَصُدُّونَ
वो रुकते हैं
wahum
وَهُم
इस हाल में कि वो
mus'takbirūna
مُّسْتَكْبِرُونَ
तकब्बुर करने वाले हैं
और जब उनसे कहा जाता है, 'आओ, अल्लाह का रसूल तुम्हारे लिए क्षमा की प्रार्थना करे।' तो वे अपने सिर मटकाते है और तुम देखते हो कि घमंड के साथ खिंचे रहते है ([६३] अल-मुनाफिकुन: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

سَوَاۤءٌ عَلَيْهِمْ اَسْتَغْفَرْتَ لَهُمْ اَمْ لَمْ تَسْتَغْفِرْ لَهُمْۗ لَنْ يَّغْفِرَ اللّٰهُ لَهُمْۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الْفٰسِقِيْنَ ٦

sawāon
سَوَآءٌ
यक्साँ है
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
astaghfarta
أَسْتَغْفَرْتَ
ख़्वाह बख़्शिश माँगें आप
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
am
أَمْ
या
lam
لَمْ
ना
tastaghfir
تَسْتَغْفِرْ
आप बख़्शिश माँगें
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
yaghfira
يَغْفِرَ
बख़्शेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lahum
لَهُمْۚ
उन्हें
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो हिदायत देता
yahdī
يَهْدِى
नहीं वो हिदायत देता
l-qawma
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों को
l-fāsiqīna
ٱلْفَٰسِقِينَ
जो फ़ासिक़ हैं
उनके लिए बराबर है चाहे तुम उनके किए क्षमा की प्रार्थना करो या उनके लिए क्षमा की प्रार्थना न करो। अल्लाह उन्हें कदापि क्षमा न करेगा। निश्चय ही अल्लाह अवज्ञाकारियों को सीधा मार्ग नहीं दिखाया करता ([६३] अल-मुनाफिकुन: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

هُمُ الَّذِيْنَ يَقُوْلُوْنَ لَا تُنْفِقُوْا عَلٰى مَنْ عِنْدَ رَسُوْلِ اللّٰهِ حَتّٰى يَنْفَضُّوْاۗ وَلِلّٰهِ خَزَاۤىِٕنُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۙ وَلٰكِنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ لَا يَفْقَهُوْنَ ٧

humu
هُمُ
वो ही हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जो
yaqūlūna
يَقُولُونَ
कहते हैं
لَا
ना तुम ख़र्च करो
tunfiqū
تُنفِقُوا۟
ना तुम ख़र्च करो
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
man
مَنْ
उनके जो
ʿinda
عِندَ
पास हैं
rasūli
رَسُولِ
रसूल अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِ
रसूल अल्लाह के
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yanfaḍḍū
يَنفَضُّوا۟ۗ
वो मुन्तशिर हो जाऐं
walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए हैं
khazāinu
خَزَآئِنُ
ख़ज़ाने
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन के
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-munāfiqīna
ٱلْمُنَٰفِقِينَ
मुनाफ़िक़
لَا
नहीं वो समझते
yafqahūna
يَفْقَهُونَ
नहीं वो समझते
वे वहीं लोग है जो कहते है, 'उन लोगों पर ख़र्च न करो जो अल्लाह के रसूल के पास रहनेवाले है, ताकि वे तितर-बितर हो जाएँ।' हालाँकि आकाशों और धरती के ख़जाने अल्लाह ही के है, किन्तु वे मुनाफ़िक़ समझते नहीं ([६३] अल-मुनाफिकुन: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

يَقُوْلُوْنَ لَىِٕنْ رَّجَعْنَآ اِلَى الْمَدِيْنَةِ لَيُخْرِجَنَّ الْاَعَزُّ مِنْهَا الْاَذَلَّ ۗوَلِلّٰهِ الْعِزَّةُ وَلِرَسُوْلِهٖ وَلِلْمُؤْمِنِيْنَ وَلٰكِنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ لَا يَعْلَمُوْنَ ࣖ ٨

yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
la-in
لَئِن
अलबत्ता अगर
rajaʿnā
رَّجَعْنَآ
वापस लौटे हम
ilā
إِلَى
तरफ़ मदीने के
l-madīnati
ٱلْمَدِينَةِ
तरफ़ मदीने के
layukh'rijanna
لَيُخْرِجَنَّ
अलबत्ता ज़रूर निकाल देगा
l-aʿazu
ٱلْأَعَزُّ
ज़्यादा इज़्ज़त वाला
min'hā
مِنْهَا
उससे
l-adhala
ٱلْأَذَلَّۚ
ज़्यादा ज़िल्लत वाले को
walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए है
l-ʿizatu
ٱلْعِزَّةُ
इज़्ज़त
walirasūlihi
وَلِرَسُولِهِۦ
और उसके रसूल के लिए
walil'mu'minīna
وَلِلْمُؤْمِنِينَ
और मोमिनों के लिए
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-munāfiqīna
ٱلْمُنَٰفِقِينَ
मुनाफ़िक़
لَا
नहीं वो जानते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो जानते
वे कहते है, 'यदि हम मदीना लौटकर गए तो जो अधिक शक्तिवाला है, वह हीनतर (व्यक्तियों) को वहाँ से निकाल बाहर करेगा।' हालाँकि शक्ति अल्लाह और उसके रसूल और मोमिनों के लिए है, किन्तु वे मुनाफ़िक़ जानते नहीं ([६३] अल-मुनाफिकुन: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تُلْهِكُمْ اَمْوَالُكُمْ وَلَآ اَوْلَادُكُمْ عَنْ ذِكْرِ اللّٰهِ ۚوَمَنْ يَّفْعَلْ ذٰلِكَ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ٩

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना ग़ाफ़िल करे तुम्हें
tul'hikum
تُلْهِكُمْ
ना ग़ाफ़िल करे तुम्हें
amwālukum
أَمْوَٰلُكُمْ
माल तुम्हारे
walā
وَلَآ
और ना
awlādukum
أَوْلَٰدُكُمْ
औलाद तुम्हारी
ʿan
عَن
अल्लाह के ज़िक्र से
dhik'ri
ذِكْرِ
अल्लाह के ज़िक्र से
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के ज़िक्र से
waman
وَمَن
और जो कोई
yafʿal
يَفْعَلْ
करेगा
dhālika
ذَٰلِكَ
ऐसा
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-khāsirūna
ٱلْخَٰسِرُونَ
जो ख़सारा पाने वाले हैं
ऐ ईमान लानेवालो! तुम्हारे माल तुम्हें अल्लाह की याद से ग़ाफ़िल न कर दें और न तुम्हारी सन्तान ही। जो कोई ऐसा करे तो ऐसे ही लोग घाटे में रहनेवाले है ([६३] अल-मुनाफिकुन: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَاَنْفِقُوْا مِنْ مَّا رَزَقْنٰكُمْ مِّنْ قَبْلِ اَنْ يَّأْتِيَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ فَيَقُوْلَ رَبِّ لَوْلَآ اَخَّرْتَنِيْٓ اِلٰٓى اَجَلٍ قَرِيْبٍۚ فَاَصَّدَّقَ وَاَكُنْ مِّنَ الصّٰلِحِيْنَ ١٠

wa-anfiqū
وَأَنفِقُوا۟
और ख़र्च करो
min
مِن
उसमें से जो
مَّا
उसमें से जो
razaqnākum
رَزَقْنَٰكُم
रिज़्क़ दिया हमन तुम्हें
min
مِّن
उससे पहले
qabli
قَبْلِ
उससे पहले
an
أَن
कि
yatiya
يَأْتِىَ
आ जाए
aḥadakumu
أَحَدَكُمُ
तुम में से किसी एक को
l-mawtu
ٱلْمَوْتُ
मौत
fayaqūla
فَيَقُولَ
तो वो कहे
rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
lawlā
لَوْلَآ
क्यों ना
akhartanī
أَخَّرْتَنِىٓ
मोहलत दी तू ने मुझे
ilā
إِلَىٰٓ
एक वक़्त तक
ajalin
أَجَلٍ
एक वक़्त तक
qarībin
قَرِيبٍ
क़रीब के
fa-aṣṣaddaqa
فَأَصَّدَّقَ
तो मैं सदक़ा करता
wa-akun
وَأَكُن
और मैं हो जाता
mina
مِّنَ
नेक लोगों में से
l-ṣāliḥīna
ٱلصَّٰلِحِينَ
नेक लोगों में से
हमने तुम्हें जो कुछ दिया है उसमें से ख़र्च करो इससे पहले कि तुममें से किसी की मृत्यु आ जाए और उस समय वह करने लगे, 'ऐ मेरे रब! तूने मुझे कुछ थोड़े समय तक और मुहलत क्यों न दी कि मैं सदक़ा (दान) करता (मुझे मुहलत दे कि मैं सदक़ा करूँ) और अच्छे लोगों में सम्मिलित हो जाऊँ।' ([६३] अल-मुनाफिकुन: 10)
Tafseer (तफ़सीर )