تُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَتُجَاهِدُوْنَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ بِاَمْوَالِكُمْ وَاَنْفُسِكُمْۗ ذٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَۙ ١١
- tu'minūna
- تُؤْمِنُونَ
- तुम ईमान लाओ
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- warasūlihi
- وَرَسُولِهِۦ
- और उसके रसूल पर
- watujāhidūna
- وَتُجَٰهِدُونَ
- और तुम जिहाद करो
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- bi-amwālikum
- بِأَمْوَٰلِكُمْ
- साथ अपने मालों के
- wa-anfusikum
- وَأَنفُسِكُمْۚ
- और अपनी जानों के
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम इल्म रखते
तुम्हें ईमान लाना है अल्लाह और उसके रसूल पर, और जिहाद करना है अल्लाह के मार्ग में अपने मालों और अपनी जानों से। यही तुम्हारे लिए उत्तम है, यदि तुम जानो ([६१] अस-सफ्फ: 11)Tafseer (तफ़सीर )
يَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوْبَكُمْ وَيُدْخِلْكُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ وَمَسٰكِنَ طَيِّبَةً فِيْ جَنّٰتِ عَدْنٍۗ ذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُۙ ١٢
- yaghfir
- يَغْفِرْ
- वो बख़्श देगा
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- dhunūbakum
- ذُنُوبَكُمْ
- तुम्हारे गुनाहों को
- wayud'khil'kum
- وَيُدْخِلْكُمْ
- और वो दाख़िल करेगा तुम्हें
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात में
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- जिनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- जिनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُ
- नहरें
- wamasākina
- وَمَسَٰكِنَ
- और घर
- ṭayyibatan
- طَيِّبَةً
- पाकीज़ा
- fī
- فِى
- हमेशगी के बाग़ात में
- jannāti
- جَنَّٰتِ
- हमेशगी के बाग़ात में
- ʿadnin
- عَدْنٍۚ
- हमेशगी के बाग़ात में
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- यही है
- l-fawzu
- ٱلْفَوْزُ
- कामयाबी
- l-ʿaẓīmu
- ٱلْعَظِيمُ
- बहुत बड़ी
वह तुम्हारे गुनाहों को क्षमा कर देगा और तुम्हें ऐसे बागों में दाखिल करेगा जिनके नीचे नहरें बह रही होगी और उन अच्छे घरों में भी जो सदाबहार बाग़ों में होंगे। यही बड़ी सफलता है ([६१] अस-सफ्फ: 12)Tafseer (तफ़सीर )
وَاُخْرٰى تُحِبُّوْنَهَاۗ نَصْرٌ مِّنَ اللّٰهِ وَفَتْحٌ قَرِيْبٌۗ وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِيْنَ ١٣
- wa-ukh'rā
- وَأُخْرَىٰ
- और एक दूसरी चीज़
- tuḥibbūnahā
- تُحِبُّونَهَاۖ
- तुम मुहब्बत रखते हो उससे
- naṣrun
- نَصْرٌ
- मदद
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- wafatḥun
- وَفَتْحٌ
- और फ़त्ह
- qarībun
- قَرِيبٌۗ
- क़रीबी
- wabashiri
- وَبَشِّرِ
- और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों को
और दूसरी चीज़ भी जो तुम्हें प्रिय है (प्रदान करेगा), 'अल्लाह की ओर से सहायता और निकट प्राप्त होनेवाली विजय,' ईमानवालों को शुभसूचना दे दो! ([६१] अस-सफ्फ: 13)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا كُوْنُوْٓا اَنْصَارَ اللّٰهِ كَمَا قَالَ عِيْسَى ابْنُ مَرْيَمَ لِلْحَوَارِيّٖنَ مَنْ اَنْصَارِيْٓ اِلَى اللّٰهِ ۗقَالَ الْحَوَارِيُّوْنَ نَحْنُ اَنْصَارُ اللّٰهِ فَاٰمَنَتْ طَّاۤىِٕفَةٌ مِّنْۢ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ وَكَفَرَتْ طَّاۤىِٕفَةٌ ۚفَاَيَّدْنَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا عَلٰى عَدُوِّهِمْ فَاَصْبَحُوْا ظَاهِرِيْنَ ࣖ ١٤
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- kūnū
- كُونُوٓا۟
- हो जाओ
- anṣāra
- أَنصَارَ
- मददगार
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- kamā
- كَمَا
- जैसे
- qāla
- قَالَ
- कहा था
- ʿīsā
- عِيسَى
- ईसा
- ub'nu
- ٱبْنُ
- इब्ने मरियम ने
- maryama
- مَرْيَمَ
- इब्ने मरियम ने
- lil'ḥawāriyyīna
- لِلْحَوَارِيِّۦنَ
- हवारियों से
- man
- مَنْ
- कौन है
- anṣārī
- أَنصَارِىٓ
- मददगार मेरा
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- तरफ़ अल्लाह के
- qāla
- قَالَ
- कहा
- l-ḥawāriyūna
- ٱلْحَوَارِيُّونَ
- हवारियों ने
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम हैं
- anṣāru
- أَنصَارُ
- मददगार
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह के
- faāmanat
- فَـَٔامَنَت
- तो ईमान लाया
- ṭāifatun
- طَّآئِفَةٌ
- एक गिरोह
- min
- مِّنۢ
- बनी इस्राईल में से
- banī
- بَنِىٓ
- बनी इस्राईल में से
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- बनी इस्राईल में से
- wakafarat
- وَكَفَرَت
- और कुफ़्र किया
- ṭāifatun
- طَّآئِفَةٌۖ
- एक गिरोह ने
- fa-ayyadnā
- فَأَيَّدْنَا
- तो क़ुव्वत दी हमने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर उनके दुश्मनों के
- ʿaduwwihim
- عَدُوِّهِمْ
- ऊपर उनके दुश्मनों के
- fa-aṣbaḥū
- فَأَصْبَحُوا۟
- तो हो गए वो
- ẓāhirīna
- ظَٰهِرِينَ
- ग़ालिब
ऐ ईमान लानेवालों! अल्लाह के सहायक बनो, जैसा कि मरयम के बेटे ईसा ने हवारियों (साथियों) से कहा था, 'कौन है अल्लाह की ओर (बुलाने में) मेरे सहायक?' हवारियों ने कहा, 'हम है अल्लाह के सहायक।' फिर इसराईल की संतान में से एक गिरोह ईमान ले आया और एक गिरोह न इनकार किया। अतः हमने उन लोगों को, जो ईमान लाए थे, उनके अपने शत्रुओं के मुकाबले में शक्ति प्रदान की, तो वे छाकर रहे ([६१] अस-सफ्फ: 14)Tafseer (तफ़सीर )