سَبَّحَ لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۚ وَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ١
- sabbaḥa
- سَبَّحَ
- तस्बीह की है
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- mā
- مَا
- उस चीज़ ने जो
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wamā
- وَمَا
- और जो
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۖ
- ज़मीन में है
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला है
अल्लाह की तसबीह की हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है। वही प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([६१] अस-सफ्फ: 1)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لِمَ تَقُوْلُوْنَ مَا لَا تَفْعَلُوْنَ ٢
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lima
- لِمَ
- क्यों
- taqūlūna
- تَقُولُونَ
- तुम कहते हो
- mā
- مَا
- वो जो
- lā
- لَا
- नहीं तुम करते
- tafʿalūna
- تَفْعَلُونَ
- नहीं तुम करते
ऐ ईमान लानेवालो! तुम वह बात क्यों कहते हो जो करते नहीं? ([६१] अस-सफ्फ: 2)Tafseer (तफ़सीर )
كَبُرَ مَقْتًا عِنْدَ اللّٰهِ اَنْ تَقُوْلُوْا مَا لَا تَفْعَلُوْنَ ٣
- kabura
- كَبُرَ
- बड़ी है
- maqtan
- مَقْتًا
- नाराज़गी
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के नज़दीक
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के नज़दीक
- an
- أَن
- कि
- taqūlū
- تَقُولُوا۟
- तुम कहो
- mā
- مَا
- वो जो
- lā
- لَا
- नहीं तुम करते
- tafʿalūna
- تَفْعَلُونَ
- नहीं तुम करते
अल्लाह के यहाँ यह अत्यन्त अप्रिय बात है कि तुम वह बात कहो, जो करो नहीं ([६१] अस-सफ्फ: 3)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ الَّذِيْنَ يُقَاتِلُوْنَ فِيْ سَبِيْلِهٖ صَفًّا كَاَنَّهُمْ بُنْيَانٌ مَّرْصُوْصٌ ٤
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- वो मुहब्बत रखता है
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों से जो
- yuqātilūna
- يُقَٰتِلُونَ
- जंग करते हैं
- fī
- فِى
- उसके रास्ते में
- sabīlihi
- سَبِيلِهِۦ
- उसके रास्ते में
- ṣaffan
- صَفًّا
- सफ़ बना कर
- ka-annahum
- كَأَنَّهُم
- गोया कि वो
- bun'yānun
- بُنْيَٰنٌ
- दीवार हैं
- marṣūṣun
- مَّرْصُوصٌ
- सीसा पिलाई हुई
अल्लाह तो उन लोगों से प्रेम रखता है जो उसके मार्ग में पंक्तिबद्ध होकर लड़ते है मानो वे सीसा पिलाई हुए दीवार है ([६१] अस-सफ्फ: 4)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ قَالَ مُوْسٰى لِقَوْمِهٖ يٰقَوْمِ لِمَ تُؤْذُوْنَنِيْ وَقَدْ تَّعْلَمُوْنَ اَنِّيْ رَسُوْلُ اللّٰهِ اِلَيْكُمْۗ فَلَمَّا زَاغُوْٓا اَزَاغَ اللّٰهُ قُلُوْبَهُمْۗ وَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الْفٰسِقِيْنَ ٥
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा ने
- liqawmihi
- لِقَوْمِهِۦ
- अपनी क़ौम से
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- lima
- لِمَ
- क्यों
- tu'dhūnanī
- تُؤْذُونَنِى
- तुम अज़ियत देते हो मुझे
- waqad
- وَقَد
- हालाँकि तहक़ीक़
- taʿlamūna
- تَّعْلَمُونَ
- तुम जानते हो
- annī
- أَنِّى
- बेशक मैं
- rasūlu
- رَسُولُ
- रसूल हूँ
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ilaykum
- إِلَيْكُمْۖ
- तुम्हारी तरफ़
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- zāghū
- زَاغُوٓا۟
- वो टेढ़े हुए
- azāgha
- أَزَاغَ
- टेढ़ा कर दिया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- qulūbahum
- قُلُوبَهُمْۚ
- उनके दिलों को
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं वो हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-fāsiqīna
- ٱلْفَٰسِقِينَ
- जो फ़ासिक़ हैं
और याद करो जब मूसा ने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगों! तुम मुझे क्यो दुख देते हो, हालाँकि तुम जानते हो कि मैं तुम्हारी ओर भेजा हुआ अल्लाह का रसूल हूँ?' फिर जब उन्होंने टेढ़ अपनाई तो अल्लाह ने भी उनके दिल टेढ़ कर दिए। अल्लाह अवज्ञाकारियों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता ([६१] अस-सफ्फ: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ قَالَ عِيْسَى ابْنُ مَرْيَمَ يٰبَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ اِنِّيْ رَسُوْلُ اللّٰهِ اِلَيْكُمْ مُّصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيَّ مِنَ التَّوْرٰىةِ وَمُبَشِّرًاۢ بِرَسُوْلٍ يَّأْتِيْ مِنْۢ بَعْدِى اسْمُهٗٓ اَحْمَدُۗ فَلَمَّا جَاۤءَهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ قَالُوْا هٰذَا سِحْرٌ مُّبِيْنٌ ٦
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- ʿīsā
- عِيسَى
- ईसा
- ub'nu
- ٱبْنُ
- इब्ने मरियम ने
- maryama
- مَرْيَمَ
- इब्ने मरियम ने
- yābanī
- يَٰبَنِىٓ
- ऐ बनी इस्राईल
- is'rāīla
- إِسْرَٰٓءِيلَ
- ऐ बनी इस्राईल
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- rasūlu
- رَسُولُ
- रसूल हूँ
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ilaykum
- إِلَيْكُم
- तुम्हारी तरफ़
- muṣaddiqan
- مُّصَدِّقًا
- तस्दीक़ करने वाला हूँ
- limā
- لِّمَا
- उसकी जो
- bayna
- بَيْنَ
- मुझसे पहले है
- yadayya
- يَدَىَّ
- मुझसे पहले है
- mina
- مِنَ
- तौरात में से
- l-tawrāti
- ٱلتَّوْرَىٰةِ
- तौरात में से
- wamubashiran
- وَمُبَشِّرًۢا
- और ख़ुशख़बरी देने वाला हूँ
- birasūlin
- بِرَسُولٍ
- एक रसूल की
- yatī
- يَأْتِى
- जो आएगा
- min
- مِنۢ
- मेरे बाद
- baʿdī
- بَعْدِى
- मेरे बाद
- us'muhu
- ٱسْمُهُۥٓ
- नाम उसका
- aḥmadu
- أَحْمَدُۖ
- अहमद(होगा)
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- jāahum
- جَآءَهُم
- वो आया उनके पास
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- साथ वाज़ेह दलाइल के
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- siḥ'run
- سِحْرٌ
- जादू है
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
और याद करो जबकि मरयम के बेटे ईसा ने कहा, 'ऐ इसराईल की संतान! मैं तुम्हारी ओर भेजा हुआ अल्लाह का रसूल हूँ। मैं तौरात की (उस भविष्यवाणी की) पुष्टि करता हूँ जो मुझसे पहले से विद्यमान है और एक रसूल की शुभ सूचना देता हूँ जो मेरे बाद आएगा, उसका नाम अहमद होगा।' किन्तु वह जब उनके पास स्पट्जो प्रमाणों के साथ आया तो उन्होंने कहा, 'यह तो जादू है।' ([६१] अस-सफ्फ: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ الْكَذِبَ وَهُوَ يُدْعٰىٓ اِلَى الْاِسْلَامِۗ وَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ٧
- waman
- وَمَنْ
- और कौन
- aẓlamu
- أَظْلَمُ
- ज़्यादा ज़ालिम है
- mimmani
- مِمَّنِ
- उससे जो
- if'tarā
- ٱفْتَرَىٰ
- गढ़ ले
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- l-kadhiba
- ٱلْكَذِبَ
- झूठ
- wahuwa
- وَهُوَ
- हालाँकि वो
- yud'ʿā
- يُدْعَىٰٓ
- वो बुलाया जाता हो
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ इस्लाम के
- l-is'lāmi
- ٱلْإِسْلَٰمِۚ
- तरफ़ इस्लाम के
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं वो हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- जो ज़ालिम हैं
अब उस व्यक्ति से बढ़कर ज़ालिम कौन होगा, जो अल्लाह पर थोपकर झूठ घड़े जबकि इस्लाम (अल्लाह के आगे समर्पण करने) का ओर बुलाया जा रहा हो? अल्लाह ज़ालिम लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाया करता ([६१] अस-सफ्फ: 7)Tafseer (तफ़सीर )
يُرِيْدُوْنَ لِيُطْفِـُٔوْا نُوْرَ اللّٰهِ بِاَفْوَاهِهِمْۗ وَاللّٰهُ مُتِمُّ نُوْرِهٖ وَلَوْ كَرِهَ الْكٰفِرُوْنَ ٨
- yurīdūna
- يُرِيدُونَ
- वो चाहते हैं
- liyuṭ'fiū
- لِيُطْفِـُٔوا۟
- कि वो बुझा दें
- nūra
- نُورَ
- नूर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- bi-afwāhihim
- بِأَفْوَٰهِهِمْ
- अपने मूँहों से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- mutimmu
- مُتِمُّ
- पूरा करने वाला है
- nūrihi
- نُورِهِۦ
- अपने नूर को
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- kariha
- كَرِهَ
- नापसंद करें
- l-kāfirūna
- ٱلْكَٰفِرُونَ
- काफ़िर
वे चाहते है कि अल्लाह के प्रकाश को अपने मुँह की फूँक से बुझा दे, किन्तु अल्लाह अपने प्रकाश को पूर्ण करके ही रहेगा, यद्यपि इनकार करनेवालों को अप्रिय ही लगे ([६१] अस-सफ्फ: 8)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْٓ اَرْسَلَ رَسُوْلَهٗ بِالْهُدٰى وَدِيْنِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهٗ عَلَى الدِّيْنِ كُلِّهٖۙ وَلَوْ كَرِهَ الْمُشْرِكُوْنَ ࣖ ٩
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जिसने
- arsala
- أَرْسَلَ
- भेजा
- rasūlahu
- رَسُولَهُۥ
- अपने रसूल को
- bil-hudā
- بِٱلْهُدَىٰ
- साथ हिदायत के
- wadīni
- وَدِينِ
- और दीने
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّ
- हक़ के
- liyuẓ'hirahu
- لِيُظْهِرَهُۥ
- ताकि वो ग़ालिब कर दे उसे
- ʿalā
- عَلَى
- ऊपर दीनों के
- l-dīni
- ٱلدِّينِ
- ऊपर दीनों के
- kullihi
- كُلِّهِۦ
- सब के सब
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- kariha
- كَرِهَ
- नापसंद करें
- l-mush'rikūna
- ٱلْمُشْرِكُونَ
- मुशरिक
वही है जिसने अपने रसूल को मार्गदर्शन और सत्यधर्म के साथ भेजा, ताकि उसे पूरे के पूरे धर्म पर प्रभुत्व प्रदान कर दे, यद्यपि बहुदेवादियों को अप्रिय ही लगे ([६१] अस-सफ्फ: 9)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا هَلْ اَدُلُّكُمْ عَلٰى تِجَارَةٍ تُنْجِيْكُمْ مِّنْ عَذَابٍ اَلِيْمٍ ١٠
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- hal
- هَلْ
- क्या
- adullukum
- أَدُلُّكُمْ
- मैं रहनुमाई करूँ तुम्हारी
- ʿalā
- عَلَىٰ
- एक तिजारत पर
- tijāratin
- تِجَٰرَةٍ
- एक तिजारत पर
- tunjīkum
- تُنجِيكُم
- जो निजात दे तुम्हें
- min
- مِّنْ
- दर्दनाक अज़ाब से
- ʿadhābin
- عَذَابٍ
- दर्दनाक अज़ाब से
- alīmin
- أَلِيمٍ
- दर्दनाक अज़ाब से
ऐ ईमान लानेवालो! क्या मैं तुम्हें एक ऐसा व्यापार बताऊँ जो तुम्हें दुखद यातना से बचा ले? ([६१] अस-सफ्फ: 10)Tafseer (तफ़सीर )