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सूरा अल-मुमताहिना - शब्द द्वारा शब्द

Al-Mumtahanah

(She That Is To Be Examined, Examining Her)

bismillaahirrahmaanirrahiim

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوْا عَدُوِّيْ وَعَدُوَّكُمْ اَوْلِيَاۤءَ تُلْقُوْنَ اِلَيْهِمْ بِالْمَوَدَّةِ وَقَدْ كَفَرُوْا بِمَا جَاۤءَكُمْ مِّنَ الْحَقِّۚ يُخْرِجُوْنَ الرَّسُوْلَ وَاِيَّاكُمْ اَنْ تُؤْمِنُوْا بِاللّٰهِ رَبِّكُمْۗ اِنْ كُنْتُمْ خَرَجْتُمْ جِهَادًا فِيْ سَبِيْلِيْ وَابْتِغَاۤءَ مَرْضَاتِيْ تُسِرُّوْنَ اِلَيْهِمْ بِالْمَوَدَّةِ وَاَنَا۠ اَعْلَمُ بِمَآ اَخْفَيْتُمْ وَمَآ اَعْلَنْتُمْۗ وَمَنْ يَّفْعَلْهُ مِنْكُمْ فَقَدْ ضَلَّ سَوَاۤءَ السَّبِيْلِ ١

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम बनाओ
tattakhidhū
تَتَّخِذُوا۟
ना तुम बनाओ
ʿaduwwī
عَدُوِّى
मेरे दुश्मनों
waʿaduwwakum
وَعَدُوَّكُمْ
और अपने दुश्मनों क
awliyāa
أَوْلِيَآءَ
दोस्त
tul'qūna
تُلْقُونَ
तुम डालते हो
ilayhim
إِلَيْهِم
तरफ़ उनके
bil-mawadati
بِٱلْمَوَدَّةِ
दोस्ती (का पैग़ाम)
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
kafarū
كَفَرُوا۟
उन्होंने इन्कार किया
bimā
بِمَا
उसका जो
jāakum
جَآءَكُم
आया तुम्हारे पास
mina
مِّنَ
हक़ में से
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّ
हक़ में से
yukh'rijūna
يُخْرِجُونَ
वो निकालते हैं
l-rasūla
ٱلرَّسُولَ
रसूल को
wa-iyyākum
وَإِيَّاكُمْۙ
और तुम्हें
an
أَن
कि
tu'minū
تُؤْمِنُوا۟
तुम ईमान लाए हो
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
rabbikum
رَبِّكُمْ
जो रब है तुम्हारा
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
kharajtum
خَرَجْتُمْ
निकले तुम
jihādan
جِهَٰدًا
जिहाद के लिए
فِى
मेरे रास्ते में
sabīlī
سَبِيلِى
मेरे रास्ते में
wa-ib'tighāa
وَٱبْتِغَآءَ
और चाहने को
marḍātī
مَرْضَاتِىۚ
रज़ामन्दी मेरी
tusirrūna
تُسِرُّونَ
तुम छुपा कर भेजते हो
ilayhim
إِلَيْهِم
तरफ़ उनके
bil-mawadati
بِٱلْمَوَدَّةِ
दोस्ती (का पैग़ाम)
wa-anā
وَأَنَا۠
और मैं
aʿlamu
أَعْلَمُ
ख़ूब जानता हूँ
bimā
بِمَآ
उसे जो
akhfaytum
أَخْفَيْتُمْ
छुपाया तुमने
wamā
وَمَآ
और जो
aʿlantum
أَعْلَنتُمْۚ
ज़ाहिर किया तुमने
waman
وَمَن
और जो कोई
yafʿalhu
يَفْعَلْهُ
करेगा उसे
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
ḍalla
ضَلَّ
वो भटक गया
sawāa
سَوَآءَ
सीधे
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِ
रास्ते से
ऐ ईमान लानेवालो! यदि तुम मेरे मार्ग में जिहाद के लिए और मेरी प्रसन्नता की तलाश में निकले हो तो मेरे शत्रुओं और अपने शत्रुओं को मित्र न बनाओ कि उनके प्रति प्रेम दिखाओं, जबकि तुम्हारे पास जो सत्य आया है उसका वे इनकार कर चुके है। वे रसूल को और तुम्हें इसलिए निर्वासित करते है कि तुम अपने रब - अल्लाह पर ईमान लाए हो। तुम गुप्त रूप से उनसे मित्रता की बातें करते हो। हालाँकि मैं भली-भाँति जानता हूँ जो कुछ तुम छिपाते हो और व्यक्त करते हो। और जो कोई भी तुममें से भटक गया ([६०] अल-मुमताहिना: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنْ يَّثْقَفُوْكُمْ يَكُوْنُوْا لَكُمْ اَعْدَاۤءً وَّيَبْسُطُوْٓا اِلَيْكُمْ اَيْدِيَهُمْ وَاَلْسِنَتَهُمْ بِالسُّوْۤءِ وَوَدُّوْا لَوْ تَكْفُرُوْنَۗ ٢

in
إِن
अगर
yathqafūkum
يَثْقَفُوكُمْ
वो पा लें तुम्हें
yakūnū
يَكُونُوا۟
होंगे वो
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे
aʿdāan
أَعْدَآءً
दुश्मन
wayabsuṭū
وَيَبْسُطُوٓا۟
और वो दराज़ करेंगे
ilaykum
إِلَيْكُمْ
तरफ़ तुम्हारे
aydiyahum
أَيْدِيَهُمْ
हाथ अपने
wa-alsinatahum
وَأَلْسِنَتَهُم
और ज़बानें अपनी
bil-sūi
بِٱلسُّوٓءِ
साथ बुराई के
wawaddū
وَوَدُّوا۟
और वो चाहेंगे
law
لَوْ
काश
takfurūna
تَكْفُرُونَ
तुम कुफ़्र करो
यदि वे तुम्हें पा जाएँ तो तुम्हारे शत्रु हो जाएँ और कष्ट पहुँचाने के लिए तुमपर हाथ और ज़बान चलाएँ। वे तो चाहते है कि काश! तुम भी इनकार करनेवाले हो जाओ ([६०] अल-मुमताहिना: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

لَنْ تَنْفَعَكُمْ اَرْحَامُكُمْ وَلَآ اَوْلَادُكُمْ ۛيَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۛيَفْصِلُ بَيْنَكُمْۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ٣

lan
لَن
हरगिज़ नहीं
tanfaʿakum
تَنفَعَكُمْ
फ़ायदा देंगी तुम्हें
arḥāmukum
أَرْحَامُكُمْ
रिश्तेदारियाँ तुम्हारी
walā
وَلَآ
और ना
awlādukum
أَوْلَٰدُكُمْۚ
औलाद तुम्हारी
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
yafṣilu
يَفْصِلُ
वो फ़ैसला करेगा
baynakum
بَيْنَكُمْۚ
दर्मियान तुम्हारे
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
bimā
بِمَا
उस जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
baṣīrun
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है
क़ियामत के दिन तुम्हारी नातेदारियाँ कदापि तुम्हें लाभ न पहुँचाएँगी और न तुम्हारी सन्तान ही। उस दिन वह (अल्लाह) तुम्हारे बीच जुदाई डाल देगा। जो कुछ भी तुम करते हो अल्लाह उसे देख रहा होता है ([६०] अल-मुमताहिना: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

قَدْ كَانَتْ لَكُمْ اُسْوَةٌ حَسَنَةٌ فِيْٓ اِبْرٰهِيْمَ وَالَّذِيْنَ مَعَهٗۚ اِذْ قَالُوْا لِقَوْمِهِمْ اِنَّا بُرَءٰۤؤُا مِنْكُمْ وَمِمَّا تَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ۖ كَفَرْنَا بِكُمْ وَبَدَا بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمُ الْعَدَاوَةُ وَالْبَغْضَاۤءُ اَبَدًا حَتّٰى تُؤْمِنُوْا بِاللّٰهِ وَحْدَهٗٓ اِلَّا قَوْلَ اِبْرٰهِيْمَ لِاَبِيْهِ لَاَسْتَغْفِرَنَّ لَكَ وَمَآ اَمْلِكُ لَكَ مِنَ اللّٰهِ مِنْ شَيْءٍۗ رَبَّنَا عَلَيْكَ تَوَكَّلْنَا وَاِلَيْكَ اَنَبْنَا وَاِلَيْكَ الْمَصِيْرُ ٤

qad
قَدْ
तहक़ीक़
kānat
كَانَتْ
है
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
us'watun
أُسْوَةٌ
नमूना
ḥasanatun
حَسَنَةٌ
अच्छा
فِىٓ
इब्राहीम में
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम में
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उन लोगों में जो
maʿahu
مَعَهُۥٓ
उसके साथ थे
idh
إِذْ
जब
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
liqawmihim
لِقَوْمِهِمْ
अपनी क़ौम से
innā
إِنَّا
बेशक हम
buraāu
بُرَءَٰٓؤُا۟
बेज़ार हैं
minkum
مِنكُمْ
तुम से
wamimmā
وَمِمَّا
और उनसे जिन्हें
taʿbudūna
تَعْبُدُونَ
तुम पूजते हो
min
مِن
सिवाए
dūni
دُونِ
सिवाए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
kafarnā
كَفَرْنَا
इन्कार किया हमने
bikum
بِكُمْ
तुम्हारा
wabadā
وَبَدَا
और ज़ाहिर हो गई
baynanā
بَيْنَنَا
दर्मियान हमारे
wabaynakumu
وَبَيْنَكُمُ
और दर्मियान तुम्हारे
l-ʿadāwatu
ٱلْعَدَٰوَةُ
अदावत
wal-baghḍāu
وَٱلْبَغْضَآءُ
और बुग़्ज़
abadan
أَبَدًا
हमेशा के लिए
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
tu'minū
تُؤْمِنُوا۟
तुम ईमान लाओ
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
waḥdahu
وَحْدَهُۥٓ
अकेले उसी पर
illā
إِلَّا
मगर
qawla
قَوْلَ
कहना
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम का
li-abīhi
لِأَبِيهِ
अपने वालिद से
la-astaghfiranna
لَأَسْتَغْفِرَنَّ
अलबत्ता मैं ज़रूर बख़्शिश माँगूँगा
laka
لَكَ
तेरे लिए
wamā
وَمَآ
और नहीं
amliku
أَمْلِكُ
मैं मालिक
laka
لَكَ
तेरे लिए
mina
مِنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
min
مِن
किसी चीज़ का
shayin
شَىْءٍۖ
किसी चीज़ का
rabbanā
رَّبَّنَا
ऐ हमारे रब
ʿalayka
عَلَيْكَ
तुझ पर ही
tawakkalnā
تَوَكَّلْنَا
तवक्कुल किया हमने
wa-ilayka
وَإِلَيْكَ
और तरफ़ तेरे ही
anabnā
أَنَبْنَا
रुजूअ किया हमने
wa-ilayka
وَإِلَيْكَ
और तरफ़ तेरे ही
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
लौटना है
तुम लोगों के लिए इबराहीम में और उन लोगों में जो उसके साथ थे अच्छा आदर्श है, जबकि उन्होंने अपनी क़ौम के लोगों से कह दिया कि 'हम तुमसे और अल्लाह से हटकर जिन्हें तुम पूजते हो उनसे विरक्त है। हमने तुम्हारा इनकार किया और हमारे और तुम्हारे बीच सदैव के लिए वैर और विद्वेष प्रकट हो चुका जब तक अकेले अल्लाह पर तुम ईमान न लाओ।' इूबराहीम का अपने बाप से यह कहना अपवाद है कि 'मैं आपके लिए क्षमा की प्रार्थना अवश्य करूँगा, यद्यपि अल्लाह के मुक़ाबले में आपके लिए मैं किसी चीज़ पर अधिकार नहीं रखता।' 'ऐ हमारे रब! हमने तुझी पर भरोसा किया और तेरी ही ओर रुजू हुए और तेरी ही ओर अन्त में लौटना हैं। - ([६०] अल-मुमताहिना: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

رَبَّنَا لَا تَجْعَلْنَا فِتْنَةً لِّلَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَاغْفِرْ لَنَا رَبَّنَاۚ اِنَّكَ اَنْتَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ٥

rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
لَا
ना तू बना हमें
tajʿalnā
تَجْعَلْنَا
ना तू बना हमें
fit'natan
فِتْنَةً
फ़ितना / आज़माइश
lilladhīna
لِّلَّذِينَ
उनके लिए जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
wa-igh'fir
وَٱغْفِرْ
और बख़्शदे
lanā
لَنَا
हमें
rabbanā
رَبَّنَآۖ
ऐ हमारे रब
innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
anta
أَنتَ
तू ही है
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त
l-ḥakīmu
ٱلْحَكِيمُ
ख़ूब हिकमत वाला
'ऐ हमारे रब! हमें इनकार करनेवालों के लिए फ़ितना न बना और ऐ हमारे रब! हमें क्षमा कर दे। निश्चय ही तू प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।' ([६०] अल-मुमताहिना: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

لَقَدْ كَانَ لَكُمْ فِيْهِمْ اُسْوَةٌ حَسَنَةٌ لِّمَنْ كَانَ يَرْجُو اللّٰهَ وَالْيَوْمَ الْاٰخِرَۗ وَمَنْ يَّتَوَلَّ فَاِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيْدُ ࣖ ٦

laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
kāna
كَانَ
है
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
fīhim
فِيهِمْ
उनमें
us'watun
أُسْوَةٌ
नमूना
ḥasanatun
حَسَنَةٌ
अच्छा
liman
لِّمَن
उसके लिए जो
kāna
كَانَ
हो वो
yarjū
يَرْجُوا۟
वो उम्मीद रखता
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह (से मुलाक़ात ) की
wal-yawma
وَٱلْيَوْمَ
और आख़िरी दिन की
l-ākhira
ٱلْءَاخِرَۚ
और आख़िरी दिन की
waman
وَمَن
और जो कोई
yatawalla
يَتَوَلَّ
मुँह मोड़ जाए
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही है
l-ghaniyu
ٱلْغَنِىُّ
बहुत बेनियाज़
l-ḥamīdu
ٱلْحَمِيدُ
ख़ूब तारीफ़ वाला
निश्चय ही तुम्हारे लिए उनमें अच्छा आदर्श है और हर उस व्यक्ति के लिए जो अल्लाह और अंतिम दिन की आशा रखता हो। और जो कोई मुँह फेरे तो अल्लाह तो निस्पृह, अपने आप में स्वयं प्रशंसित है ([६०] अल-मुमताहिना: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

۞ عَسَى اللّٰهُ اَنْ يَّجْعَلَ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَ الَّذِيْنَ عَادَيْتُمْ مِّنْهُمْ مَّوَدَّةًۗ وَاللّٰهُ قَدِيْرٌۗ وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٧

ʿasā
عَسَى
उम्मीद है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
an
أَن
कि
yajʿala
يَجْعَلَ
वो डाल दे
baynakum
بَيْنَكُمْ
दर्मियान तुम्हारे
wabayna
وَبَيْنَ
और दर्मियान
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जिनसे
ʿādaytum
عَادَيْتُم
अदावत रखते हो तुम
min'hum
مِّنْهُم
उनमें से
mawaddatan
مَّوَدَّةًۚ
दोस्ती
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
qadīrun
قَدِيرٌۚ
ख़ूब क़ुदरत वाला है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
आशा है कि अल्लाह तुम्हारे और उनके बीच, जिनके बीच, जिनसे तुमने शत्रुता मोल ली है, प्रेम-भाव उत्पन्न कर दे। अल्लाह बड़ी सामर्थ्य रखता है और अल्लाह बहुत क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([६०] अल-मुमताहिना: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

لَا يَنْهٰىكُمُ اللّٰهُ عَنِ الَّذِيْنَ لَمْ يُقَاتِلُوْكُمْ فِى الدِّيْنِ وَلَمْ يُخْرِجُوْكُمْ مِّنْ دِيَارِكُمْ اَنْ تَبَرُّوْهُمْ وَتُقْسِطُوْٓا اِلَيْهِمْۗ اِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ الْمُقْسِطِيْنَ ٨

لَّا
नहीं रोकता तुम्हें
yanhākumu
يَنْهَىٰكُمُ
नहीं रोकता तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿani
عَنِ
उन लोगों से
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों से
lam
لَمْ
नहीं
yuqātilūkum
يُقَٰتِلُوكُمْ
उन्होंने जंग की तुमसे
فِى
दीन के मामले में
l-dīni
ٱلدِّينِ
दीन के मामले में
walam
وَلَمْ
और नहीं
yukh'rijūkum
يُخْرِجُوكُم
उन्होंने निकाला तुम्हें
min
مِّن
तुम्हारे घरों से
diyārikum
دِيَٰرِكُمْ
तुम्हारे घरों से
an
أَن
कि
tabarrūhum
تَبَرُّوهُمْ
तुम नेकी करो उनसे
watuq'siṭū
وَتُقْسِطُوٓا۟
और तुम इन्साफ़ करो
ilayhim
إِلَيْهِمْۚ
उनसे
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yuḥibbu
يُحِبُّ
वो पसंद करता है
l-muq'siṭīna
ٱلْمُقْسِطِينَ
इन्साफ़ करने वालों को
अल्लाह तुम्हें इससे नहीं रोकता कि तुम उन लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करो और उनके साथ न्याय करो, जिन्होंने तुमसे धर्म के मामले में युद्ध नहीं किया और न तुम्हें तुम्हारे अपने घरों से निकाला। निस्संदेह अल्लाह न्याय करनेवालों को पसन्द करता है ([६०] अल-मुमताहिना: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّمَا يَنْهٰىكُمُ اللّٰهُ عَنِ الَّذِيْنَ قَاتَلُوْكُمْ فِى الدِّيْنِ وَاَخْرَجُوْكُمْ مِّنْ دِيَارِكُمْ وَظَاهَرُوْا عَلٰٓى اِخْرَاجِكُمْ اَنْ تَوَلَّوْهُمْۚ وَمَنْ يَّتَوَلَّهُمْ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ٩

innamā
إِنَّمَا
बेशक
yanhākumu
يَنْهَىٰكُمُ
रोकता है तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿani
عَنِ
उनसे जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जिन्होंने
qātalūkum
قَٰتَلُوكُمْ
जंग की तुमसे
فِى
दीन के मामले में
l-dīni
ٱلدِّينِ
दीन के मामले में
wa-akhrajūkum
وَأَخْرَجُوكُم
और उन्होंने निकाला तुम्हें
min
مِّن
तुम्हारे घरों से
diyārikum
دِيَٰرِكُمْ
तुम्हारे घरों से
waẓāharū
وَظَٰهَرُوا۟
और उन्होंने एक दूसरे की मदद की
ʿalā
عَلَىٰٓ
तुम्हारे निकालने पर
ikh'rājikum
إِخْرَاجِكُمْ
तुम्हारे निकालने पर
an
أَن
कि
tawallawhum
تَوَلَّوْهُمْۚ
तुम दोस्ती करो उनसे
waman
وَمَن
और जो कोई
yatawallahum
يَتَوَلَّهُمْ
दोस्ती करेगा उनसे
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-ẓālimūna
ٱلظَّٰلِمُونَ
जो ज़ालिम हैं
अल्लाह तो तुम्हें केवल उन लोगों से मित्रता करने से रोकता है जिन्होंने धर्म के मामले में तुमसे युद्ध किया और तुम्हें तुम्हारे अपने घरों से निकाला और तुम्हारे निकाले जाने के सम्बन्ध में सहायता की। जो लोग उनसे मित्रता करें वही ज़ालिम है ([६०] अल-मुमताहिना: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا جَاۤءَكُمُ الْمُؤْمِنٰتُ مُهٰجِرٰتٍ فَامْتَحِنُوْهُنَّۗ اَللّٰهُ اَعْلَمُ بِاِيْمَانِهِنَّ فَاِنْ عَلِمْتُمُوْهُنَّ مُؤْمِنٰتٍ فَلَا تَرْجِعُوْهُنَّ اِلَى الْكُفَّارِۗ لَا هُنَّ حِلٌّ لَّهُمْ وَلَا هُمْ يَحِلُّوْنَ لَهُنَّۗ وَاٰتُوْهُمْ مَّآ اَنْفَقُوْاۗ وَلَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ اَنْ تَنْكِحُوْهُنَّ اِذَآ اٰتَيْتُمُوْهُنَّ اُجُوْرَهُنَّۗ وَلَا تُمْسِكُوْا بِعِصَمِ الْكَوَافِرِ وَسْـَٔلُوْا مَآ اَنْفَقْتُمْ وَلْيَسْـَٔلُوْا مَآ اَنْفَقُوْاۗ ذٰلِكُمْ حُكْمُ اللّٰهِ ۗيَحْكُمُ بَيْنَكُمْۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ١٠

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
idhā
إِذَا
जब
jāakumu
جَآءَكُمُ
आ जाऐं तुम्हारे पास
l-mu'minātu
ٱلْمُؤْمِنَٰتُ
मोमिन औरतें
muhājirātin
مُهَٰجِرَٰتٍ
हिजरत करने वालियाँ
fa-im'taḥinūhunna
فَٱمْتَحِنُوهُنَّۖ
तो इम्तिहान लो उनका
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
aʿlamu
أَعْلَمُ
ख़ूब जानता है
biīmānihinna
بِإِيمَٰنِهِنَّۖ
उनके ईमान को
fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
ʿalim'tumūhunna
عَلِمْتُمُوهُنَّ
जान लो तुम उन्हें
mu'minātin
مُؤْمِنَٰتٍ
ईमान वालियाँ
falā
فَلَا
तो ना
tarjiʿūhunna
تَرْجِعُوهُنَّ
तुम लौटाओ उन्हें
ilā
إِلَى
तरफ़ कुफ़्फ़ार के
l-kufāri
ٱلْكُفَّارِۖ
तरफ़ कुफ़्फ़ार के
لَا
ना वो
hunna
هُنَّ
ना वो
ḥillun
حِلٌّ
हलाल हैं
lahum
لَّهُمْ
उनके लिए
walā
وَلَا
और ना
hum
هُمْ
वो
yaḥillūna
يَحِلُّونَ
वो हलाल हो सकते हैं
lahunna
لَهُنَّۖ
उनके लिए
waātūhum
وَءَاتُوهُم
और दो उन्हें
مَّآ
जो
anfaqū
أَنفَقُوا۟ۚ
उन्होंने ख़र्च किया
walā
وَلَا
और नहीं
junāḥa
جُنَاحَ
कोई गुनाह
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
an
أَن
कि
tankiḥūhunna
تَنكِحُوهُنَّ
तुम निकाह करो उनसे
idhā
إِذَآ
जब
ātaytumūhunna
ءَاتَيْتُمُوهُنَّ
दे चुको तुम उन्हें
ujūrahunna
أُجُورَهُنَّۚ
मेहर उनके
walā
وَلَا
और ना
tum'sikū
تُمْسِكُوا۟
तुम रोक कर रखो
biʿiṣami
بِعِصَمِ
इस्मतें
l-kawāfiri
ٱلْكَوَافِرِ
काफ़िर औरतों की
wasalū
وَسْـَٔلُوا۟
और तुम माँग लो
مَآ
जो
anfaqtum
أَنفَقْتُمْ
ख़र्च किया तुमने
walyasalū
وَلْيَسْـَٔلُوا۟
और चाहिए कि वो माँग लें
مَآ
जो
anfaqū
أَنفَقُوا۟ۚ
उन्होंने ख़र्च किया
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये
ḥuk'mu
حُكْمُ
फ़ैसला है
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह का
yaḥkumu
يَحْكُمُ
वो फ़ैसला करता है
baynakum
بَيْنَكُمْۚ
दर्मियान तुम्हारे
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब इल्म वाला है
ḥakīmun
حَكِيمٌ
ख़ूब हिकमत वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम्हारे पास ईमान की दावेदार स्त्रियाँ हिजरत करके आएँ तो तुम उन्हें जाँच लिया करो। यूँ तो अल्लाह उनके ईमान से भली-भाँति परिचित है। फिर यदि वे तुम्हें ईमानवाली मालूम हो, तो उन्हें इनकार करनेवालों (अधर्मियों) की ओर न लौटाओ। न तो वे स्त्रियाँ उनके लिए वैद्य है और न वे उन स्त्रियों के लिए वैद्य है। और जो कुछ उन्होंने ख़र्च किया हो तुम उन्हें दे दो और इसमें तुम्हारे लिए कोई गुनाह नहीं कि तुम उनसे विवाह कर लो, जबकि तुम उन्हें महर अदा कर दो। और तुम स्वयं भी इनकार करनेवाली स्त्रियों के सतीत्व को अपने अधिकार में न रखो। और जो कुछ तुमने ख़र्च किया हो माँग लो। और उन्हें भी चाहिए कि जो कुछ उन्होंने ख़र्च किया हो माँग ले। यह अल्लाह का आदेश है। वह तुम्हारे बीच फ़ैसला करता है। अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है ([६०] अल-मुमताहिना: 10)
Tafseer (तफ़सीर )