يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوْا عَدُوِّيْ وَعَدُوَّكُمْ اَوْلِيَاۤءَ تُلْقُوْنَ اِلَيْهِمْ بِالْمَوَدَّةِ وَقَدْ كَفَرُوْا بِمَا جَاۤءَكُمْ مِّنَ الْحَقِّۚ يُخْرِجُوْنَ الرَّسُوْلَ وَاِيَّاكُمْ اَنْ تُؤْمِنُوْا بِاللّٰهِ رَبِّكُمْۗ اِنْ كُنْتُمْ خَرَجْتُمْ جِهَادًا فِيْ سَبِيْلِيْ وَابْتِغَاۤءَ مَرْضَاتِيْ تُسِرُّوْنَ اِلَيْهِمْ بِالْمَوَدَّةِ وَاَنَا۠ اَعْلَمُ بِمَآ اَخْفَيْتُمْ وَمَآ اَعْلَنْتُمْۗ وَمَنْ يَّفْعَلْهُ مِنْكُمْ فَقَدْ ضَلَّ سَوَاۤءَ السَّبِيْلِ ١
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम बनाओ
- tattakhidhū
- تَتَّخِذُوا۟
- ना तुम बनाओ
- ʿaduwwī
- عَدُوِّى
- मेरे दुश्मनों
- waʿaduwwakum
- وَعَدُوَّكُمْ
- और अपने दुश्मनों क
- awliyāa
- أَوْلِيَآءَ
- दोस्त
- tul'qūna
- تُلْقُونَ
- तुम डालते हो
- ilayhim
- إِلَيْهِم
- तरफ़ उनके
- bil-mawadati
- بِٱلْمَوَدَّةِ
- दोस्ती (का पैग़ाम)
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- उन्होंने इन्कार किया
- bimā
- بِمَا
- उसका जो
- jāakum
- جَآءَكُم
- आया तुम्हारे पास
- mina
- مِّنَ
- हक़ में से
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّ
- हक़ में से
- yukh'rijūna
- يُخْرِجُونَ
- वो निकालते हैं
- l-rasūla
- ٱلرَّسُولَ
- रसूल को
- wa-iyyākum
- وَإِيَّاكُمْۙ
- और तुम्हें
- an
- أَن
- कि
- tu'minū
- تُؤْمِنُوا۟
- तुम ईमान लाए हो
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- rabbikum
- رَبِّكُمْ
- जो रब है तुम्हारा
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- kharajtum
- خَرَجْتُمْ
- निकले तुम
- jihādan
- جِهَٰدًا
- जिहाद के लिए
- fī
- فِى
- मेरे रास्ते में
- sabīlī
- سَبِيلِى
- मेरे रास्ते में
- wa-ib'tighāa
- وَٱبْتِغَآءَ
- और चाहने को
- marḍātī
- مَرْضَاتِىۚ
- रज़ामन्दी मेरी
- tusirrūna
- تُسِرُّونَ
- तुम छुपा कर भेजते हो
- ilayhim
- إِلَيْهِم
- तरफ़ उनके
- bil-mawadati
- بِٱلْمَوَدَّةِ
- दोस्ती (का पैग़ाम)
- wa-anā
- وَأَنَا۠
- और मैं
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ख़ूब जानता हूँ
- bimā
- بِمَآ
- उसे जो
- akhfaytum
- أَخْفَيْتُمْ
- छुपाया तुमने
- wamā
- وَمَآ
- और जो
- aʿlantum
- أَعْلَنتُمْۚ
- ज़ाहिर किया तुमने
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yafʿalhu
- يَفْعَلْهُ
- करेगा उसे
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- ḍalla
- ضَلَّ
- वो भटक गया
- sawāa
- سَوَآءَ
- सीधे
- l-sabīli
- ٱلسَّبِيلِ
- रास्ते से
ऐ ईमान लानेवालो! यदि तुम मेरे मार्ग में जिहाद के लिए और मेरी प्रसन्नता की तलाश में निकले हो तो मेरे शत्रुओं और अपने शत्रुओं को मित्र न बनाओ कि उनके प्रति प्रेम दिखाओं, जबकि तुम्हारे पास जो सत्य आया है उसका वे इनकार कर चुके है। वे रसूल को और तुम्हें इसलिए निर्वासित करते है कि तुम अपने रब - अल्लाह पर ईमान लाए हो। तुम गुप्त रूप से उनसे मित्रता की बातें करते हो। हालाँकि मैं भली-भाँति जानता हूँ जो कुछ तुम छिपाते हो और व्यक्त करते हो। और जो कोई भी तुममें से भटक गया ([६०] अल-मुमताहिना: 1)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ يَّثْقَفُوْكُمْ يَكُوْنُوْا لَكُمْ اَعْدَاۤءً وَّيَبْسُطُوْٓا اِلَيْكُمْ اَيْدِيَهُمْ وَاَلْسِنَتَهُمْ بِالسُّوْۤءِ وَوَدُّوْا لَوْ تَكْفُرُوْنَۗ ٢
- in
- إِن
- अगर
- yathqafūkum
- يَثْقَفُوكُمْ
- वो पा लें तुम्हें
- yakūnū
- يَكُونُوا۟
- होंगे वो
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे
- aʿdāan
- أَعْدَآءً
- दुश्मन
- wayabsuṭū
- وَيَبْسُطُوٓا۟
- और वो दराज़ करेंगे
- ilaykum
- إِلَيْكُمْ
- तरफ़ तुम्हारे
- aydiyahum
- أَيْدِيَهُمْ
- हाथ अपने
- wa-alsinatahum
- وَأَلْسِنَتَهُم
- और ज़बानें अपनी
- bil-sūi
- بِٱلسُّوٓءِ
- साथ बुराई के
- wawaddū
- وَوَدُّوا۟
- और वो चाहेंगे
- law
- لَوْ
- काश
- takfurūna
- تَكْفُرُونَ
- तुम कुफ़्र करो
यदि वे तुम्हें पा जाएँ तो तुम्हारे शत्रु हो जाएँ और कष्ट पहुँचाने के लिए तुमपर हाथ और ज़बान चलाएँ। वे तो चाहते है कि काश! तुम भी इनकार करनेवाले हो जाओ ([६०] अल-मुमताहिना: 2)Tafseer (तफ़सीर )
لَنْ تَنْفَعَكُمْ اَرْحَامُكُمْ وَلَآ اَوْلَادُكُمْ ۛيَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۛيَفْصِلُ بَيْنَكُمْۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ٣
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- tanfaʿakum
- تَنفَعَكُمْ
- फ़ायदा देंगी तुम्हें
- arḥāmukum
- أَرْحَامُكُمْ
- रिश्तेदारियाँ तुम्हारी
- walā
- وَلَآ
- और ना
- awlādukum
- أَوْلَٰدُكُمْۚ
- औलाद तुम्हारी
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- yafṣilu
- يَفْصِلُ
- वो फ़ैसला करेगा
- baynakum
- بَيْنَكُمْۚ
- दर्मियान तुम्हारे
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उस जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
क़ियामत के दिन तुम्हारी नातेदारियाँ कदापि तुम्हें लाभ न पहुँचाएँगी और न तुम्हारी सन्तान ही। उस दिन वह (अल्लाह) तुम्हारे बीच जुदाई डाल देगा। जो कुछ भी तुम करते हो अल्लाह उसे देख रहा होता है ([६०] अल-मुमताहिना: 3)Tafseer (तफ़सीर )
قَدْ كَانَتْ لَكُمْ اُسْوَةٌ حَسَنَةٌ فِيْٓ اِبْرٰهِيْمَ وَالَّذِيْنَ مَعَهٗۚ اِذْ قَالُوْا لِقَوْمِهِمْ اِنَّا بُرَءٰۤؤُا مِنْكُمْ وَمِمَّا تَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ۖ كَفَرْنَا بِكُمْ وَبَدَا بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمُ الْعَدَاوَةُ وَالْبَغْضَاۤءُ اَبَدًا حَتّٰى تُؤْمِنُوْا بِاللّٰهِ وَحْدَهٗٓ اِلَّا قَوْلَ اِبْرٰهِيْمَ لِاَبِيْهِ لَاَسْتَغْفِرَنَّ لَكَ وَمَآ اَمْلِكُ لَكَ مِنَ اللّٰهِ مِنْ شَيْءٍۗ رَبَّنَا عَلَيْكَ تَوَكَّلْنَا وَاِلَيْكَ اَنَبْنَا وَاِلَيْكَ الْمَصِيْرُ ٤
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- kānat
- كَانَتْ
- है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- us'watun
- أُسْوَةٌ
- नमूना
- ḥasanatun
- حَسَنَةٌ
- अच्छा
- fī
- فِىٓ
- इब्राहीम में
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِيمَ
- इब्राहीम में
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उन लोगों में जो
- maʿahu
- مَعَهُۥٓ
- उसके साथ थे
- idh
- إِذْ
- जब
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- liqawmihim
- لِقَوْمِهِمْ
- अपनी क़ौम से
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- buraāu
- بُرَءَٰٓؤُا۟
- बेज़ार हैं
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम से
- wamimmā
- وَمِمَّا
- और उनसे जिन्हें
- taʿbudūna
- تَعْبُدُونَ
- तुम पूजते हो
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- kafarnā
- كَفَرْنَا
- इन्कार किया हमने
- bikum
- بِكُمْ
- तुम्हारा
- wabadā
- وَبَدَا
- और ज़ाहिर हो गई
- baynanā
- بَيْنَنَا
- दर्मियान हमारे
- wabaynakumu
- وَبَيْنَكُمُ
- और दर्मियान तुम्हारे
- l-ʿadāwatu
- ٱلْعَدَٰوَةُ
- अदावत
- wal-baghḍāu
- وَٱلْبَغْضَآءُ
- और बुग़्ज़
- abadan
- أَبَدًا
- हमेशा के लिए
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- tu'minū
- تُؤْمِنُوا۟
- तुम ईमान लाओ
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- waḥdahu
- وَحْدَهُۥٓ
- अकेले उसी पर
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qawla
- قَوْلَ
- कहना
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِيمَ
- इब्राहीम का
- li-abīhi
- لِأَبِيهِ
- अपने वालिद से
- la-astaghfiranna
- لَأَسْتَغْفِرَنَّ
- अलबत्ता मैं ज़रूर बख़्शिश माँगूँगा
- laka
- لَكَ
- तेरे लिए
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- amliku
- أَمْلِكُ
- मैं मालिक
- laka
- لَكَ
- तेरे लिए
- mina
- مِنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- min
- مِن
- किसी चीज़ का
- shayin
- شَىْءٍۖ
- किसी चीज़ का
- rabbanā
- رَّبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- तुझ पर ही
- tawakkalnā
- تَوَكَّلْنَا
- तवक्कुल किया हमने
- wa-ilayka
- وَإِلَيْكَ
- और तरफ़ तेरे ही
- anabnā
- أَنَبْنَا
- रुजूअ किया हमने
- wa-ilayka
- وَإِلَيْكَ
- और तरफ़ तेरे ही
- l-maṣīru
- ٱلْمَصِيرُ
- लौटना है
तुम लोगों के लिए इबराहीम में और उन लोगों में जो उसके साथ थे अच्छा आदर्श है, जबकि उन्होंने अपनी क़ौम के लोगों से कह दिया कि 'हम तुमसे और अल्लाह से हटकर जिन्हें तुम पूजते हो उनसे विरक्त है। हमने तुम्हारा इनकार किया और हमारे और तुम्हारे बीच सदैव के लिए वैर और विद्वेष प्रकट हो चुका जब तक अकेले अल्लाह पर तुम ईमान न लाओ।' इूबराहीम का अपने बाप से यह कहना अपवाद है कि 'मैं आपके लिए क्षमा की प्रार्थना अवश्य करूँगा, यद्यपि अल्लाह के मुक़ाबले में आपके लिए मैं किसी चीज़ पर अधिकार नहीं रखता।' 'ऐ हमारे रब! हमने तुझी पर भरोसा किया और तेरी ही ओर रुजू हुए और तेरी ही ओर अन्त में लौटना हैं। - ([६०] अल-मुमताहिना: 4)Tafseer (तफ़सीर )
رَبَّنَا لَا تَجْعَلْنَا فِتْنَةً لِّلَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَاغْفِرْ لَنَا رَبَّنَاۚ اِنَّكَ اَنْتَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ٥
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- lā
- لَا
- ना तू बना हमें
- tajʿalnā
- تَجْعَلْنَا
- ना तू बना हमें
- fit'natan
- فِتْنَةً
- फ़ितना / आज़माइश
- lilladhīna
- لِّلَّذِينَ
- उनके लिए जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- wa-igh'fir
- وَٱغْفِرْ
- और बख़्शदे
- lanā
- لَنَا
- हमें
- rabbanā
- رَبَّنَآۖ
- ऐ हमारे रब
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- anta
- أَنتَ
- तू ही है
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला
'ऐ हमारे रब! हमें इनकार करनेवालों के लिए फ़ितना न बना और ऐ हमारे रब! हमें क्षमा कर दे। निश्चय ही तू प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।' ([६०] अल-मुमताहिना: 5)Tafseer (तफ़सीर )
لَقَدْ كَانَ لَكُمْ فِيْهِمْ اُسْوَةٌ حَسَنَةٌ لِّمَنْ كَانَ يَرْجُو اللّٰهَ وَالْيَوْمَ الْاٰخِرَۗ وَمَنْ يَّتَوَلَّ فَاِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيْدُ ࣖ ٦
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- kāna
- كَانَ
- है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fīhim
- فِيهِمْ
- उनमें
- us'watun
- أُسْوَةٌ
- नमूना
- ḥasanatun
- حَسَنَةٌ
- अच्छा
- liman
- لِّمَن
- उसके लिए जो
- kāna
- كَانَ
- हो वो
- yarjū
- يَرْجُوا۟
- वो उम्मीद रखता
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह (से मुलाक़ात ) की
- wal-yawma
- وَٱلْيَوْمَ
- और आख़िरी दिन की
- l-ākhira
- ٱلْءَاخِرَۚ
- और आख़िरी दिन की
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yatawalla
- يَتَوَلَّ
- मुँह मोड़ जाए
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-ghaniyu
- ٱلْغَنِىُّ
- बहुत बेनियाज़
- l-ḥamīdu
- ٱلْحَمِيدُ
- ख़ूब तारीफ़ वाला
निश्चय ही तुम्हारे लिए उनमें अच्छा आदर्श है और हर उस व्यक्ति के लिए जो अल्लाह और अंतिम दिन की आशा रखता हो। और जो कोई मुँह फेरे तो अल्लाह तो निस्पृह, अपने आप में स्वयं प्रशंसित है ([६०] अल-मुमताहिना: 6)Tafseer (तफ़सीर )
۞ عَسَى اللّٰهُ اَنْ يَّجْعَلَ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَ الَّذِيْنَ عَادَيْتُمْ مِّنْهُمْ مَّوَدَّةًۗ وَاللّٰهُ قَدِيْرٌۗ وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٧
- ʿasā
- عَسَى
- उम्मीद है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- an
- أَن
- कि
- yajʿala
- يَجْعَلَ
- वो डाल दे
- baynakum
- بَيْنَكُمْ
- दर्मियान तुम्हारे
- wabayna
- وَبَيْنَ
- और दर्मियान
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जिनसे
- ʿādaytum
- عَادَيْتُم
- अदावत रखते हो तुम
- min'hum
- مِّنْهُم
- उनमें से
- mawaddatan
- مَّوَدَّةًۚ
- दोस्ती
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- qadīrun
- قَدِيرٌۚ
- ख़ूब क़ुदरत वाला है
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
आशा है कि अल्लाह तुम्हारे और उनके बीच, जिनके बीच, जिनसे तुमने शत्रुता मोल ली है, प्रेम-भाव उत्पन्न कर दे। अल्लाह बड़ी सामर्थ्य रखता है और अल्लाह बहुत क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([६०] अल-मुमताहिना: 7)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يَنْهٰىكُمُ اللّٰهُ عَنِ الَّذِيْنَ لَمْ يُقَاتِلُوْكُمْ فِى الدِّيْنِ وَلَمْ يُخْرِجُوْكُمْ مِّنْ دِيَارِكُمْ اَنْ تَبَرُّوْهُمْ وَتُقْسِطُوْٓا اِلَيْهِمْۗ اِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ الْمُقْسِطِيْنَ ٨
- lā
- لَّا
- नहीं रोकता तुम्हें
- yanhākumu
- يَنْهَىٰكُمُ
- नहीं रोकता तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿani
- عَنِ
- उन लोगों से
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों से
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yuqātilūkum
- يُقَٰتِلُوكُمْ
- उन्होंने जंग की तुमसे
- fī
- فِى
- दीन के मामले में
- l-dīni
- ٱلدِّينِ
- दीन के मामले में
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yukh'rijūkum
- يُخْرِجُوكُم
- उन्होंने निकाला तुम्हें
- min
- مِّن
- तुम्हारे घरों से
- diyārikum
- دِيَٰرِكُمْ
- तुम्हारे घरों से
- an
- أَن
- कि
- tabarrūhum
- تَبَرُّوهُمْ
- तुम नेकी करो उनसे
- watuq'siṭū
- وَتُقْسِطُوٓا۟
- और तुम इन्साफ़ करो
- ilayhim
- إِلَيْهِمْۚ
- उनसे
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- वो पसंद करता है
- l-muq'siṭīna
- ٱلْمُقْسِطِينَ
- इन्साफ़ करने वालों को
अल्लाह तुम्हें इससे नहीं रोकता कि तुम उन लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करो और उनके साथ न्याय करो, जिन्होंने तुमसे धर्म के मामले में युद्ध नहीं किया और न तुम्हें तुम्हारे अपने घरों से निकाला। निस्संदेह अल्लाह न्याय करनेवालों को पसन्द करता है ([६०] अल-मुमताहिना: 8)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّمَا يَنْهٰىكُمُ اللّٰهُ عَنِ الَّذِيْنَ قَاتَلُوْكُمْ فِى الدِّيْنِ وَاَخْرَجُوْكُمْ مِّنْ دِيَارِكُمْ وَظَاهَرُوْا عَلٰٓى اِخْرَاجِكُمْ اَنْ تَوَلَّوْهُمْۚ وَمَنْ يَّتَوَلَّهُمْ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ٩
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- yanhākumu
- يَنْهَىٰكُمُ
- रोकता है तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿani
- عَنِ
- उनसे जिन्होंने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जिन्होंने
- qātalūkum
- قَٰتَلُوكُمْ
- जंग की तुमसे
- fī
- فِى
- दीन के मामले में
- l-dīni
- ٱلدِّينِ
- दीन के मामले में
- wa-akhrajūkum
- وَأَخْرَجُوكُم
- और उन्होंने निकाला तुम्हें
- min
- مِّن
- तुम्हारे घरों से
- diyārikum
- دِيَٰرِكُمْ
- तुम्हारे घरों से
- waẓāharū
- وَظَٰهَرُوا۟
- और उन्होंने एक दूसरे की मदद की
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- तुम्हारे निकालने पर
- ikh'rājikum
- إِخْرَاجِكُمْ
- तुम्हारे निकालने पर
- an
- أَن
- कि
- tawallawhum
- تَوَلَّوْهُمْۚ
- तुम दोस्ती करो उनसे
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yatawallahum
- يَتَوَلَّهُمْ
- दोस्ती करेगा उनसे
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-ẓālimūna
- ٱلظَّٰلِمُونَ
- जो ज़ालिम हैं
अल्लाह तो तुम्हें केवल उन लोगों से मित्रता करने से रोकता है जिन्होंने धर्म के मामले में तुमसे युद्ध किया और तुम्हें तुम्हारे अपने घरों से निकाला और तुम्हारे निकाले जाने के सम्बन्ध में सहायता की। जो लोग उनसे मित्रता करें वही ज़ालिम है ([६०] अल-मुमताहिना: 9)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا جَاۤءَكُمُ الْمُؤْمِنٰتُ مُهٰجِرٰتٍ فَامْتَحِنُوْهُنَّۗ اَللّٰهُ اَعْلَمُ بِاِيْمَانِهِنَّ فَاِنْ عَلِمْتُمُوْهُنَّ مُؤْمِنٰتٍ فَلَا تَرْجِعُوْهُنَّ اِلَى الْكُفَّارِۗ لَا هُنَّ حِلٌّ لَّهُمْ وَلَا هُمْ يَحِلُّوْنَ لَهُنَّۗ وَاٰتُوْهُمْ مَّآ اَنْفَقُوْاۗ وَلَا جُنَاحَ عَلَيْكُمْ اَنْ تَنْكِحُوْهُنَّ اِذَآ اٰتَيْتُمُوْهُنَّ اُجُوْرَهُنَّۗ وَلَا تُمْسِكُوْا بِعِصَمِ الْكَوَافِرِ وَسْـَٔلُوْا مَآ اَنْفَقْتُمْ وَلْيَسْـَٔلُوْا مَآ اَنْفَقُوْاۗ ذٰلِكُمْ حُكْمُ اللّٰهِ ۗيَحْكُمُ بَيْنَكُمْۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ١٠
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- idhā
- إِذَا
- जब
- jāakumu
- جَآءَكُمُ
- आ जाऐं तुम्हारे पास
- l-mu'minātu
- ٱلْمُؤْمِنَٰتُ
- मोमिन औरतें
- muhājirātin
- مُهَٰجِرَٰتٍ
- हिजरत करने वालियाँ
- fa-im'taḥinūhunna
- فَٱمْتَحِنُوهُنَّۖ
- तो इम्तिहान लो उनका
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ख़ूब जानता है
- biīmānihinna
- بِإِيمَٰنِهِنَّۖ
- उनके ईमान को
- fa-in
- فَإِنْ
- फिर अगर
- ʿalim'tumūhunna
- عَلِمْتُمُوهُنَّ
- जान लो तुम उन्हें
- mu'minātin
- مُؤْمِنَٰتٍ
- ईमान वालियाँ
- falā
- فَلَا
- तो ना
- tarjiʿūhunna
- تَرْجِعُوهُنَّ
- तुम लौटाओ उन्हें
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ कुफ़्फ़ार के
- l-kufāri
- ٱلْكُفَّارِۖ
- तरफ़ कुफ़्फ़ार के
- lā
- لَا
- ना वो
- hunna
- هُنَّ
- ना वो
- ḥillun
- حِلٌّ
- हलाल हैं
- lahum
- لَّهُمْ
- उनके लिए
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yaḥillūna
- يَحِلُّونَ
- वो हलाल हो सकते हैं
- lahunna
- لَهُنَّۖ
- उनके लिए
- waātūhum
- وَءَاتُوهُم
- और दो उन्हें
- mā
- مَّآ
- जो
- anfaqū
- أَنفَقُوا۟ۚ
- उन्होंने ख़र्च किया
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- junāḥa
- جُنَاحَ
- कोई गुनाह
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- an
- أَن
- कि
- tankiḥūhunna
- تَنكِحُوهُنَّ
- तुम निकाह करो उनसे
- idhā
- إِذَآ
- जब
- ātaytumūhunna
- ءَاتَيْتُمُوهُنَّ
- दे चुको तुम उन्हें
- ujūrahunna
- أُجُورَهُنَّۚ
- मेहर उनके
- walā
- وَلَا
- और ना
- tum'sikū
- تُمْسِكُوا۟
- तुम रोक कर रखो
- biʿiṣami
- بِعِصَمِ
- इस्मतें
- l-kawāfiri
- ٱلْكَوَافِرِ
- काफ़िर औरतों की
- wasalū
- وَسْـَٔلُوا۟
- और तुम माँग लो
- mā
- مَآ
- जो
- anfaqtum
- أَنفَقْتُمْ
- ख़र्च किया तुमने
- walyasalū
- وَلْيَسْـَٔلُوا۟
- और चाहिए कि वो माँग लें
- mā
- مَآ
- जो
- anfaqū
- أَنفَقُوا۟ۚ
- उन्होंने ख़र्च किया
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये
- ḥuk'mu
- حُكْمُ
- फ़ैसला है
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह का
- yaḥkumu
- يَحْكُمُ
- वो फ़ैसला करता है
- baynakum
- بَيْنَكُمْۚ
- दर्मियान तुम्हारे
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब इल्म वाला है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- ख़ूब हिकमत वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम्हारे पास ईमान की दावेदार स्त्रियाँ हिजरत करके आएँ तो तुम उन्हें जाँच लिया करो। यूँ तो अल्लाह उनके ईमान से भली-भाँति परिचित है। फिर यदि वे तुम्हें ईमानवाली मालूम हो, तो उन्हें इनकार करनेवालों (अधर्मियों) की ओर न लौटाओ। न तो वे स्त्रियाँ उनके लिए वैद्य है और न वे उन स्त्रियों के लिए वैद्य है। और जो कुछ उन्होंने ख़र्च किया हो तुम उन्हें दे दो और इसमें तुम्हारे लिए कोई गुनाह नहीं कि तुम उनसे विवाह कर लो, जबकि तुम उन्हें महर अदा कर दो। और तुम स्वयं भी इनकार करनेवाली स्त्रियों के सतीत्व को अपने अधिकार में न रखो। और जो कुछ तुमने ख़र्च किया हो माँग लो। और उन्हें भी चाहिए कि जो कुछ उन्होंने ख़र्च किया हो माँग ले। यह अल्लाह का आदेश है। वह तुम्हारे बीच फ़ैसला करता है। अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है ([६०] अल-मुमताहिना: 10)Tafseer (तफ़सीर )