وَكَيْفَ اَخَافُ مَآ اَشْرَكْتُمْ وَلَا تَخَافُوْنَ اَنَّكُمْ اَشْرَكْتُمْ بِاللّٰهِ مَا لَمْ يُنَزِّلْ بِهٖ عَلَيْكُمْ سُلْطٰنًا ۗفَاَيُّ الْفَرِيْقَيْنِ اَحَقُّ بِالْاَمْنِۚ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَۘ ٨١
- wakayfa
- وَكَيْفَ
- और क्यों कर
- akhāfu
- أَخَافُ
- मैं डरूँ
- mā
- مَآ
- उससे जिसको
- ashraktum
- أَشْرَكْتُمْ
- शरीक बनाया तुमने
- walā
- وَلَا
- जबकि नहीं
- takhāfūna
- تَخَافُونَ
- तुम डरते
- annakum
- أَنَّكُمْ
- कि बेशक तुम
- ashraktum
- أَشْرَكْتُم
- शरीक बनाया तुमने
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह का
- mā
- مَا
- उसे जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yunazzil
- يُنَزِّلْ
- उसने नाज़िल की
- bihi
- بِهِۦ
- जिसकी
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- sul'ṭānan
- سُلْطَٰنًاۚ
- कोई दलील
- fa-ayyu
- فَأَىُّ
- तो कौन सा
- l-farīqayni
- ٱلْفَرِيقَيْنِ
- दोनों गिरोहों में से
- aḥaqqu
- أَحَقُّ
- ज़्यादा हक़दार है
- bil-amni
- بِٱلْأَمْنِۖ
- अमन का
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जानते
'और मैं तुम्हारे ठहराए हुए साझीदारो से कैसे डरूँ, जबकि तुम इस बात से नहीं डरते कि तुमने उसे अल्लाह का सहभागी उस चीज़ को ठहराया है, जिसका उसने तुमपर कोई प्रमाण अवतरित नहीं किया? अब दोनों फ़रीकों में से कौन अधिक निश्चिन्त रहने का अधिकारी है? बताओ यदि तुम जानते हो ([६] अल-अनाम: 81)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَلَمْ يَلْبِسُوْٓا اِيْمَانَهُمْ بِظُلْمٍ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمُ الْاَمْنُ وَهُمْ مُّهْتَدُوْنَ ࣖ ٨٢
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yalbisū
- يَلْبِسُوٓا۟
- उन्होंने मिलाया
- īmānahum
- إِيمَٰنَهُم
- अपने ईमान को
- biẓul'min
- بِظُلْمٍ
- साथ ज़ुल्म के
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- lahumu
- لَهُمُ
- उनके लिए
- l-amnu
- ٱلْأَمْنُ
- अमन है
- wahum
- وَهُم
- और वो ही
- muh'tadūna
- مُّهْتَدُونَ
- हिदायत याफ़्ता हैं
'जो लोग ईमान लाए और अपने ईमान में किसी (शिर्क) ज़ुल्म की मिलावट नहीं की, वही लोग है जो भय मुक्त है और वही सीधे मार्ग पर हैं।' ([६] अल-अनाम: 82)Tafseer (तफ़सीर )
وَتِلْكَ حُجَّتُنَآ اٰتَيْنٰهَآ اِبْرٰهِيْمَ عَلٰى قَوْمِهٖۗ نَرْفَعُ دَرَجٰتٍ مَّنْ نَّشَاۤءُۗ اِنَّ رَبَّكَ حَكِيْمٌ عَلِيْمٌ ٨٣
- watil'ka
- وَتِلْكَ
- और ये है
- ḥujjatunā
- حُجَّتُنَآ
- हुज्जत हमारी
- ātaynāhā
- ءَاتَيْنَٰهَآ
- दिया था हमने उसे
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِيمَ
- इब्राहीम को
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उसकी क़ौम के ख़िलाफ़
- qawmihi
- قَوْمِهِۦۚ
- उसकी क़ौम के ख़िलाफ़
- narfaʿu
- نَرْفَعُ
- हम बुलन्द करते हैं
- darajātin
- دَرَجَٰتٍ
- दरजात
- man
- مَّن
- जिसके
- nashāu
- نَّشَآءُۗ
- हम चाहते हैं
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- बहुत हिकमत वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- बहुत इल्म वाला है
यह है हमारा वह तर्क जो हमने इबराहीम को उसकी अपनी क़ौम के मुक़ाबले में प्रदान किया था। हम जिसे चाहते है दर्जों (श्रेणियों) में ऊँचा कर देते हैं। निस्संदेह तुम्हारा रब तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है ([६] अल-अनाम: 83)Tafseer (तफ़सीर )
وَوَهَبْنَا لَهٗٓ اِسْحٰقَ وَيَعْقُوْبَۗ كُلًّا هَدَيْنَا وَنُوْحًا هَدَيْنَا مِنْ قَبْلُ وَمِنْ ذُرِّيَّتِهٖ دَاوٗدَ وَسُلَيْمٰنَ وَاَيُّوْبَ وَيُوْسُفَ وَمُوْسٰى وَهٰرُوْنَ ۗوَكَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَۙ ٨٤
- wawahabnā
- وَوَهَبْنَا
- और अता किए हमने
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसे
- is'ḥāqa
- إِسْحَٰقَ
- इसहाक़
- wayaʿqūba
- وَيَعْقُوبَۚ
- और याक़ूब
- kullan
- كُلًّا
- हर एक को
- hadaynā
- هَدَيْنَاۚ
- हिदायत दी हमने
- wanūḥan
- وَنُوحًا
- और नूह को
- hadaynā
- هَدَيْنَا
- हिदायत दी हमने
- min
- مِن
- इससे क़ब्ल
- qablu
- قَبْلُۖ
- इससे क़ब्ल
- wamin
- وَمِن
- और उसकी औलाद में से
- dhurriyyatihi
- ذُرِّيَّتِهِۦ
- और उसकी औलाद में से
- dāwūda
- دَاوُۥدَ
- दाऊद
- wasulaymāna
- وَسُلَيْمَٰنَ
- और सुलेमान
- wa-ayyūba
- وَأَيُّوبَ
- और अय्यूब
- wayūsufa
- وَيُوسُفَ
- और यूसुफ़
- wamūsā
- وَمُوسَىٰ
- और मूसा
- wahārūna
- وَهَٰرُونَۚ
- और हारून को
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- एहसान करने वालों को
और हमने उसे (इबराहीम को) इसहाक़ और याक़ूब दिए; हर एक को मार्ग दिखाया - और नूह को हमने इससे पहले मार्ग दिखाया था, और उसकी सन्तान में दाऊद, सुलैमान, अय्यूब, यूसुफ़, मूसा और हारून को भी - और इस प्रकार हम शुभ-सुन्दर कर्म करनेवालों को बदला देते है - ([६] अल-अनाम: 84)Tafseer (तफ़सीर )
وَزَكَرِيَّا وَيَحْيٰى وَعِيْسٰى وَاِلْيَاسَۗ كُلٌّ مِّنَ الصّٰلِحِيْنَۙ ٨٥
- wazakariyyā
- وَزَكَرِيَّا
- और ज़करिया
- wayaḥyā
- وَيَحْيَىٰ
- और यहया
- waʿīsā
- وَعِيسَىٰ
- और ईसा
- wa-il'yāsa
- وَإِلْيَاسَۖ
- और इलयास
- kullun
- كُلٌّ
- सबके सब
- mina
- مِّنَ
- नेक लोगों में से थे
- l-ṣāliḥīna
- ٱلصَّٰلِحِينَ
- नेक लोगों में से थे
और ज़करिया, यह्या , ईसा और इलयास को भी (मार्ग दिखलाया) । इनमें का हर एक योग्य और नेक था ([६] अल-अनाम: 85)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِسْمٰعِيْلَ وَالْيَسَعَ وَيُوْنُسَ وَلُوْطًاۗ وَكُلًّا فَضَّلْنَا عَلَى الْعٰلَمِيْنَۙ ٨٦
- wa-is'māʿīla
- وَإِسْمَٰعِيلَ
- और इस्माईल
- wal-yasaʿa
- وَٱلْيَسَعَ
- और अल यसअ
- wayūnusa
- وَيُونُسَ
- और यूनुस
- walūṭan
- وَلُوطًاۚ
- और लूत
- wakullan
- وَكُلًّا
- और हर एक को
- faḍḍalnā
- فَضَّلْنَا
- फ़ज़ीलत दी हमने
- ʿalā
- عَلَى
- तमाम जहान वालों पर
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों पर
और इसमाईल, अलयसअ, यूनुस और लूत को भी। इनमें से हर एक को हमने संसार के मुक़ाबले में श्रेष्ठता प्रदान की ([६] अल-अनाम: 86)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْ اٰبَاۤىِٕهِمْ وَذُرِّيّٰتِهِمْ وَاِخْوَانِهِمْ ۚوَاجْتَبَيْنٰهُمْ وَهَدَيْنٰهُمْ اِلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ٨٧
- wamin
- وَمِنْ
- और उनके आबा ओ अजदाद में से
- ābāihim
- ءَابَآئِهِمْ
- और उनके आबा ओ अजदाद में से
- wadhurriyyātihim
- وَذُرِّيَّٰتِهِمْ
- और उनकी औलादों में से
- wa-ikh'wānihim
- وَإِخْوَٰنِهِمْۖ
- और उनके भाईयों में से
- wa-ij'tabaynāhum
- وَٱجْتَبَيْنَٰهُمْ
- और चुन लिया हमने उन्हें
- wahadaynāhum
- وَهَدَيْنَٰهُمْ
- और हिदायत दी हमने उन्हें
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ रास्ते
- ṣirāṭin
- صِرَٰطٍ
- तरफ़ रास्ते
- mus'taqīmin
- مُّسْتَقِيمٍ
- सीधे के
और उनके बाप-दादा और उनकी सन्तान और उनके भाई-बन्धुओं में भी कितने ही लोगों को (मार्ग दिखाया) । और हमने उन्हें चुन लिया और उन्हें सीधे मार्ग की ओर चलाया ([६] अल-अनाम: 87)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ هُدَى اللّٰهِ يَهْدِيْ بِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖ ۗوَلَوْ اَشْرَكُوْا لَحَبِطَ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٨٨
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- hudā
- هُدَى
- हिदायत है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- yahdī
- يَهْدِى
- वो हिदायत देता है
- bihi
- بِهِۦ
- साथ इसके
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहता है
- min
- مِنْ
- अपने बन्दों में से
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦۚ
- अपने बन्दों में से
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- ashrakū
- أَشْرَكُوا۟
- वो शिर्क करते
- laḥabiṭa
- لَحَبِطَ
- अलबत्ता ज़ाया हो जाते
- ʿanhum
- عَنْهُم
- उनसे
- mā
- مَّا
- जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
यह अल्लाह का मार्गदर्शन है, जिसके द्वारा वह अपने बन्दों में से जिसको चाहता है मार्ग दिखाता है, और यदि उन लोगों ने कहीं अल्लाह का साझी ठहराया होता, तो उनका सब किया-धरा अकारथ हो जाता ([६] अल-अनाम: 88)Tafseer (तफ़सीर )
اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ اٰتَيْنٰهُمُ الْكِتٰبَ وَالْحُكْمَ وَالنُّبُوَّةَ ۚفَاِنْ يَّكْفُرْ بِهَا هٰٓؤُلَاۤءِ فَقَدْ وَكَّلْنَا بِهَا قَوْمًا لَّيْسُوْا بِهَا بِكٰفِرِيْنَ ٨٩
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- ātaynāhumu
- ءَاتَيْنَٰهُمُ
- दी हमने उन्हें
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- wal-ḥuk'ma
- وَٱلْحُكْمَ
- और हिकमत
- wal-nubuwata
- وَٱلنُّبُوَّةَۚ
- और नबुव्वत
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- yakfur
- يَكْفُرْ
- कुफ़्र करते हैं
- bihā
- بِهَا
- उसका
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِ
- ये लोग
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- wakkalnā
- وَكَّلْنَا
- मुक़र्रर कर दिया हमने
- bihā
- بِهَا
- साथ उसके
- qawman
- قَوْمًا
- एक क़ौम को
- laysū
- لَّيْسُوا۟
- नहीं हैं वो
- bihā
- بِهَا
- उसका
- bikāfirīna
- بِكَٰفِرِينَ
- इन्कार करने वाले
वे ऐसे लोग है जिन्हें हमने किताब और निर्णय-शक्ति और पैग़म्बरी प्रदान की थी (उसी प्रकार हमने मुहम्मद को भी किताब, निर्णय-शक्ति और पैग़म्बरी दी है) । फिर यदि ये लोग इसे मारने से इनकार करें, तो अब हमने इसको ऐसे लोगों को सौंपा है जो इसका इनकार नहीं करते ([६] अल-अनाम: 89)Tafseer (तफ़सीर )
اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ هَدَى اللّٰهُ فَبِهُدٰىهُمُ اقْتَدِهْۗ قُلْ لَّآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ اَجْرًاۗ اِنْ هُوَ اِلَّا ذِكْرٰى لِلْعٰلَمِيْنَ ࣖ ٩٠
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही वो लोग हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जिन्हें
- hadā
- هَدَى
- हिदायत दी
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह ने
- fabihudāhumu
- فَبِهُدَىٰهُمُ
- पस उनकी हिदायत की
- iq'tadih
- ٱقْتَدِهْۗ
- आप पैरवी कीजिए
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lā
- لَّآ
- नहीं मैं सवाल करता तुमसे
- asalukum
- أَسْـَٔلُكُمْ
- नहीं मैं सवाल करता तुमसे
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- ajran
- أَجْرًاۖ
- किसी अजर का
- in
- إِنْ
- नहीं
- huwa
- هُوَ
- वो
- illā
- إِلَّا
- मगर
- dhik'rā
- ذِكْرَىٰ
- एक नसीहत
- lil'ʿālamīna
- لِلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों के लिए
वे (पिछले पैग़म्बर) ऐसे लोग थे, जिन्हें अल्लाह ने मार्ग दिखाया था, तो तुम उन्हीं के मार्ग का अनुसरण करो। कह दो, 'मैं तुमसे उसका कोई प्रतिदान नहीं माँगता। वह तो सम्पूर्ण संसार के लिए बस एक प्रबोध है।' ([६] अल-अनाम: 90)Tafseer (तफ़सीर )