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सूरा अल-अनाम - Page: 8

Al-An'am

(पशु)

७१

قُلْ اَنَدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا يَنْفَعُنَا وَلَا يَضُرُّنَا وَنُرَدُّ عَلٰٓى اَعْقَابِنَا بَعْدَ اِذْ هَدٰىنَا اللّٰهُ كَالَّذِى اسْتَهْوَتْهُ الشَّيٰطِيْنُ فِى الْاَرْضِ حَيْرَانَ لَهٗٓ اَصْحٰبٌ يَّدْعُوْنَهٗٓ اِلَى الْهُدَى ائْتِنَا ۗ قُلْ اِنَّ هُدَى اللّٰهِ هُوَ الْهُدٰىۗ وَاُمِرْنَا لِنُسْلِمَ لِرَبِّ الْعٰلَمِيْنَۙ ٧١

qul
قُلْ
कह दीजिए
anadʿū
أَنَدْعُوا۟
क्या हम पुकारें
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
مَا
उसको जो
لَا
नहीं वो नफ़ा दे सकता हमें
yanfaʿunā
يَنفَعُنَا
नहीं वो नफ़ा दे सकता हमें
walā
وَلَا
और ना ही
yaḍurrunā
يَضُرُّنَا
वो नुक़सान दे सकता है हमें
wanuraddu
وَنُرَدُّ
और हम फेर दिए जाऐंगे
ʿalā
عَلَىٰٓ
अपनी एड़ियों पर
aʿqābinā
أَعْقَابِنَا
अपनी एड़ियों पर
baʿda
بَعْدَ
बाद उसके
idh
إِذْ
जब
hadānā
هَدَىٰنَا
हिदायत दी हमें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ka-alladhī
كَٱلَّذِى
उस शख़्स की तरह
is'tahwathu
ٱسْتَهْوَتْهُ
बहका दिया उसे
l-shayāṭīnu
ٱلشَّيَٰطِينُ
शैतानों ने
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
ḥayrāna
حَيْرَانَ
हैरान कर के
lahu
لَهُۥٓ
उसके
aṣḥābun
أَصْحَٰبٌ
कुछ साथी हैं
yadʿūnahu
يَدْعُونَهُۥٓ
वो पुकारते हैं उसे
ilā
إِلَى
तरफ़
l-hudā
ٱلْهُدَى
हिदायत के
i'tinā
ٱئْتِنَاۗ
आ जाओ हमारे पास
qul
قُلْ
कह दीजिए
inna
إِنَّ
बेशक
hudā
هُدَى
हिदायत
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
huwa
هُوَ
वो ही
l-hudā
ٱلْهُدَىٰۖ
हिदायत है (असल)
wa-umir'nā
وَأُمِرْنَا
और हुक्म दिए गए हम
linus'lima
لِنُسْلِمَ
ताकि हम फ़रमाबरदार हो जाऐं
lirabbi
لِرَبِّ
रब्बुल आलमीन के लिए
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
रब्बुल आलमीन के लिए
कहो, 'क्या हम अल्लाह को छोड़कर उसे पुकारने लग जाएँ जो न तो हमें लाभ पहुँचा सके और न हमें हानि पहुँचा सके और हम उलटे पाँव फिर जाएँ, जबकि अल्लाह ने हमें मार्ग पर लगा दिया है? - उस व्यक्ति की तरह जिसे शैतानों ने धरती पर भटका दिया हो और वह हैरान होकर रह गया हो। उसके कुछ साथी हो, जो उसे मार्ग की ओर बुला रहे हो कि हमारे पास चला आ!' कह दो, 'मार्गदर्शन केवल अल्लाह का मार्गदर्शन है और हमें इसी बात का आदेश हुआ है कि हम सारे संसार के स्वामी को समर्पित हो जाएँ।' ([६] अल-अनाम: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

وَاَنْ اَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَاتَّقُوْهُۗ وَهُوَ الَّذِيْٓ اِلَيْهِ تُحْشَرُوْنَ ٧٢

wa-an
وَأَنْ
और ये कि
aqīmū
أَقِيمُوا۟
क़ायम करो
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
wa-ittaqūhu
وَٱتَّقُوهُۚ
और डरो उससे
wahuwa
وَهُوَ
और वो
alladhī
ٱلَّذِىٓ
वो ही है
ilayhi
إِلَيْهِ
जिसकी तरफ़
tuḥ'sharūna
تُحْشَرُونَ
तुम इकट्ठे किए जाओगे
और यह कि 'नमाज़ क़ायम करो और उसका डर रखो। वही है, जिसके पास तुम इकट्ठे किए जाओगे, ([६] अल-अनाम: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

وَهُوَ الَّذِيْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّۗ وَيَوْمَ يَقُوْلُ كُنْ فَيَكُوْنُۚ قَوْلُهُ الْحَقُّۗ وَلَهُ الْمُلْكُ يَوْمَ يُنْفَخُ فِى الصُّوْرِۗ عٰلِمُ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ وَهُوَ الْحَكِيْمُ الْخَبِيْرُ ٧٣

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
khalaqa
خَلَقَ
पैदा किया
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों को
wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۖ
साथ हक़ के
wayawma
وَيَوْمَ
और जिस दिन
yaqūlu
يَقُولُ
वो कहेगा
kun
كُن
हो जा
fayakūnu
فَيَكُونُۚ
तो वो हो जाएगा
qawluhu
قَوْلُهُ
उसकी बात ही
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّۚ
सच्ची है
walahu
وَلَهُ
और उसी के लिए है
l-mul'ku
ٱلْمُلْكُ
बादशाहत
yawma
يَوْمَ
जिस दिन
yunfakhu
يُنفَخُ
फूँका जाएगा
فِى
सूर में
l-ṣūri
ٱلصُّورِۚ
सूर में
ʿālimu
عَٰلِمُ
जानने वाला है
l-ghaybi
ٱلْغَيْبِ
ग़ैब का
wal-shahādati
وَٱلشَّهَٰدَةِۚ
और हाज़िर का
wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-ḥakīmu
ٱلْحَكِيمُ
बहुत हिकमत वाला है
l-khabīru
ٱلْخَبِيرُ
ख़ूब ख़बर रखने वाला है
'और वही है जिसने आकाशों और धरती को हक़ के साथ पैदा किया। और जिस समय वह किसी चीज़ को कहे, 'हो जा', तो वह उसी समय वह हो जाती है। उसकी बात सर्वथा सत्य है और जिस दिन 'सूर' (नरसिंघा) में फूँक मारी जाएगी, राज्य उसी का होगा। वह सभी छिपी और खुली चीज़ का जाननेवाला है, और वही तत्वदर्शी, ख़बर रखनेवाला है।' ([६] अल-अनाम: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

۞ وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهِيْمُ لِاَبِيْهِ اٰزَرَ اَتَتَّخِذُ اَصْنَامًا اٰلِهَةً ۚاِنِّيْٓ اَرٰىكَ وَقَوْمَكَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ٧٤

wa-idh
وَإِذْ
और जब
qāla
قَالَ
कहा
ib'rāhīmu
إِبْرَٰهِيمُ
इब्राहीम ने
li-abīhi
لِأَبِيهِ
अपने बाप
āzara
ءَازَرَ
आज़र को
atattakhidhu
أَتَتَّخِذُ
क्या तू बनाता है
aṣnāman
أَصْنَامًا
बुतों को
ālihatan
ءَالِهَةًۖ
इलाह
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
arāka
أَرَىٰكَ
मैं देखता हूँ तुझे
waqawmaka
وَقَوْمَكَ
और तेरी क़ौम को
فِى
गुमराही में
ḍalālin
ضَلَٰلٍ
गुमराही में
mubīnin
مُّبِينٍ
खुली
और याद करो, जब इबराहीम ने अपने बाप आज़र से कहा था, 'क्या तुम मूर्तियों को पूज्य बनाते हो? मैं तो तुम्हें और तुम्हारी क़ौम को खुली गुमराही में पड़ा देख रहा हूँ।' ([६] अल-अनाम: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

وَكَذٰلِكَ نُرِيْٓ اِبْرٰهِيْمَ مَلَكُوْتَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلِيَكُوْنَ مِنَ الْمُوْقِنِيْنَ ٧٥

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
nurī
نُرِىٓ
हम दिखाते थे
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम को
malakūta
مَلَكُوتَ
बादशाहत
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन की
waliyakūna
وَلِيَكُونَ
और ताकि वो हो जाए
mina
مِنَ
यक़ीन करने वालों में से
l-mūqinīna
ٱلْمُوقِنِينَ
यक़ीन करने वालों में से
और इस प्रकार हम इबराहीम को आकाशों और धरती का राज्य दिखाने लगे (ताकि उसके ज्ञान का विस्तार हो) और इसलिए कि उसे विश्वास हो ([६] अल-अनाम: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

فَلَمَّا جَنَّ عَلَيْهِ الَّيْلُ رَاٰ كَوْكَبًا ۗقَالَ هٰذَا رَبِّيْۚ فَلَمَّآ اَفَلَ قَالَ لَآ اُحِبُّ الْاٰفِلِيْنَ ٧٦

falammā
فَلَمَّا
फिर जब
janna
جَنَّ
छा गई
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
al-laylu
ٱلَّيْلُ
रात
raā
رَءَا
उसने देखा
kawkaban
كَوْكَبًاۖ
एक सितारा
qāla
قَالَ
उसने कहा
hādhā
هَٰذَا
ये
rabbī
رَبِّىۖ
मेरा रब है
falammā
فَلَمَّآ
फिर जब
afala
أَفَلَ
वो छुप गया
qāla
قَالَ
कहा
لَآ
नहीं मैं पसंद करता
uḥibbu
أُحِبُّ
नहीं मैं पसंद करता
l-āfilīna
ٱلْءَافِلِينَ
छुपने वालों को
अतएवः जब रात उसपर छा गई, तो उसने एक तारा देखा। उसने कहा, 'इसे मेरा रब ठहराते हो!' फिर जब वह छिप गया तो बोला, 'छिप जानेवालों से मैं प्रेम नहीं करता।' ([६] अल-अनाम: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

فَلَمَّا رَاَ الْقَمَرَ بَازِغًا قَالَ هٰذَا رَبِّيْ ۚفَلَمَّآ اَفَلَ قَالَ لَىِٕنْ لَّمْ يَهْدِنِيْ رَبِّيْ لَاَكُوْنَنَّ مِنَ الْقَوْمِ الضَّاۤلِّيْنَ ٧٧

falammā
فَلَمَّا
फिर जब
raā
رَءَا
उसने देखा
l-qamara
ٱلْقَمَرَ
चाँद को
bāzighan
بَازِغًا
चमकता हुआ
qāla
قَالَ
उसने कहा
hādhā
هَٰذَا
ये
rabbī
رَبِّىۖ
मेरा रब है
falammā
فَلَمَّآ
फिर जब
afala
أَفَلَ
वो छुप गया
qāla
قَالَ
उसने कहा
la-in
لَئِن
अलबत्ता अगर
lam
لَّمْ
ना
yahdinī
يَهْدِنِى
हिदायत दी मुझे
rabbī
رَبِّى
मेरे रब ने
la-akūnanna
لَأَكُونَنَّ
अलबत्ता मैं ज़रूर हो जाऊँगा
mina
مِنَ
उन लोगों में से
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
उन लोगों में से
l-ḍālīna
ٱلضَّآلِّينَ
जो गुमराह हैं
फिर जब उसने चाँद को चमकता हुआ देखा, तो कहा, 'इसको मेरा रब ठहराते हो!' फिर जब वह छिप गया, तो कहा, 'यदि मेरा रब मुझे मार्ग न दिखाता तो मैं भी पथभ्रष्ट! लोगों में सम्मिलित हो जाता।' ([६] अल-अनाम: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

فَلَمَّا رَاَ الشَّمْسَ بَازِغَةً قَالَ هٰذَا رَبِّيْ هٰذَآ اَكْبَرُۚ فَلَمَّآ اَفَلَتْ قَالَ يٰقَوْمِ اِنِّيْ بَرِيْۤءٌ مِّمَّا تُشْرِكُوْنَ ٧٨

falammā
فَلَمَّا
फिर जब
raā
رَءَا
उसने देखा
l-shamsa
ٱلشَّمْسَ
सूरज को
bāzighatan
بَازِغَةً
चमकता हुआ
qāla
قَالَ
कहा
hādhā
هَٰذَا
ये
rabbī
رَبِّى
मेरा रब है
hādhā
هَٰذَآ
ये
akbaru
أَكْبَرُۖ
सबसे बड़ा है
falammā
فَلَمَّآ
फिर जब
afalat
أَفَلَتْ
वो छुप गया
qāla
قَالَ
उसने कहा
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
innī
إِنِّى
बेशक मैं
barīon
بَرِىٓءٌ
बरी-उज़-ज़िम्मा हूँ
mimmā
مِّمَّا
उससे जो
tush'rikūna
تُشْرِكُونَ
तुम शरीक ठहराते हो
फिर जब उसने सूर्य को चमकता हुआ देखा, तो कहा, 'इसे मेरा रब ठहराते हो! यह तो बहुत बड़ा है।' फिर जब वह भी छिप गया, तो कहा, 'ऐ मेरी क़ौन के लोगो! मैं विरक्त हूँ उनसे जिनको तुम साझी ठहराते हो ([६] अल-अनाम: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

اِنِّيْ وَجَّهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِيْ فَطَرَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ حَنِيْفًا وَّمَآ اَنَا۠ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَۚ ٧٩

innī
إِنِّى
बेशक मैं
wajjahtu
وَجَّهْتُ
रुख़ कर लिया मैंने
wajhiya
وَجْهِىَ
अपने चेहरे का
lilladhī
لِلَّذِى
उसके लिए जिसने
faṭara
فَطَرَ
पैदा किया
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
ḥanīfan
حَنِيفًاۖ
यकसू होकर
wamā
وَمَآ
और नहीं
anā
أَنَا۠
मैं
mina
مِنَ
मुशरिकीन में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन में से
'मैंने तो एकाग्र होकर अपना मुख उसकी ओर कर लिया है, जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया। और मैं साझी ठहरानेवालों में से नहीं।' ([६] अल-अनाम: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

وَحَاۤجَّهٗ قَوْمُهٗ ۗقَالَ اَتُحَاۤجُّوْۤنِّيْ فِى اللّٰهِ وَقَدْ هَدٰىنِۗ وَلَآ اَخَافُ مَا تُشْرِكُوْنَ بِهٖٓ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ رَبِّيْ شَيْـًٔا ۗوَسِعَ رَبِّيْ كُلَّ شَيْءٍ عِلْمًا ۗ اَفَلَا تَتَذَكَّرُوْنَ ٨٠

waḥājjahu
وَحَآجَّهُۥ
और झगड़ा किया उससे
qawmuhu
قَوْمُهُۥۚ
उसकी क़ौम ने
qāla
قَالَ
उसने कहा
atuḥājjūnnī
أَتُحَٰٓجُّوٓنِّى
क्या तुम झगड़ते हो मुझसे
فِى
अल्लाह के बारे में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के बारे में
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
hadāni
هَدَىٰنِۚ
उसने हिदायत दी मुझे
walā
وَلَآ
और नहीं
akhāfu
أَخَافُ
मैं डरता (उन से)
مَا
जिनको
tush'rikūna
تُشْرِكُونَ
तुम शरीक ठहराते हो
bihi
بِهِۦٓ
साथ उसके
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yashāa
يَشَآءَ
चाहे
rabbī
رَبِّى
रब मेरा
shayan
شَيْـًٔاۗ
कोई चीज़
wasiʿa
وَسِعَ
अहाता कर रखा है
rabbī
رَبِّى
मेरे रब ने
kulla
كُلَّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ का
ʿil'man
عِلْمًاۗ
इल्म के ऐतबार से
afalā
أَفَلَا
क्या भला नहीं
tatadhakkarūna
تَتَذَكَّرُونَ
तुम नसीहत पकड़ते
उसकी क़ौम के लोग उससे झगड़ने लगे। उसने कहा, 'क्या तुम मुझसे अल्लाह के विषय में झगड़ते हो? जबकि उसने मुझे मार्ग दिखा दिया है। मैं उनसे नहीं डरता, जिन्हें तुम उसका सहभागी ठहराते हो, बल्कि मेरा रब जो कुछ चाहता है वही पूरा होकर रहता है। प्रत्येक वस्तु मेरे रब की ज्ञान-परिधि के भीतर है। फिर क्या तुम चेतोगे नहीं? ([६] अल-अनाम: 80)
Tafseer (तफ़सीर )