قُلْ اَنَدْعُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا يَنْفَعُنَا وَلَا يَضُرُّنَا وَنُرَدُّ عَلٰٓى اَعْقَابِنَا بَعْدَ اِذْ هَدٰىنَا اللّٰهُ كَالَّذِى اسْتَهْوَتْهُ الشَّيٰطِيْنُ فِى الْاَرْضِ حَيْرَانَ لَهٗٓ اَصْحٰبٌ يَّدْعُوْنَهٗٓ اِلَى الْهُدَى ائْتِنَا ۗ قُلْ اِنَّ هُدَى اللّٰهِ هُوَ الْهُدٰىۗ وَاُمِرْنَا لِنُسْلِمَ لِرَبِّ الْعٰلَمِيْنَۙ ٧١
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- anadʿū
- أَنَدْعُوا۟
- क्या हम पुकारें
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- mā
- مَا
- उसको जो
- lā
- لَا
- नहीं वो नफ़ा दे सकता हमें
- yanfaʿunā
- يَنفَعُنَا
- नहीं वो नफ़ा दे सकता हमें
- walā
- وَلَا
- और ना ही
- yaḍurrunā
- يَضُرُّنَا
- वो नुक़सान दे सकता है हमें
- wanuraddu
- وَنُرَدُّ
- और हम फेर दिए जाऐंगे
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- अपनी एड़ियों पर
- aʿqābinā
- أَعْقَابِنَا
- अपनी एड़ियों पर
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद उसके
- idh
- إِذْ
- जब
- hadānā
- هَدَىٰنَا
- हिदायत दी हमें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ka-alladhī
- كَٱلَّذِى
- उस शख़्स की तरह
- is'tahwathu
- ٱسْتَهْوَتْهُ
- बहका दिया उसे
- l-shayāṭīnu
- ٱلشَّيَٰطِينُ
- शैतानों ने
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- ḥayrāna
- حَيْرَانَ
- हैरान कर के
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसके
- aṣḥābun
- أَصْحَٰبٌ
- कुछ साथी हैं
- yadʿūnahu
- يَدْعُونَهُۥٓ
- वो पुकारते हैं उसे
- ilā
- إِلَى
- तरफ़
- l-hudā
- ٱلْهُدَى
- हिदायत के
- i'tinā
- ٱئْتِنَاۗ
- आ जाओ हमारे पास
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hudā
- هُدَى
- हिदायत
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-hudā
- ٱلْهُدَىٰۖ
- हिदायत है (असल)
- wa-umir'nā
- وَأُمِرْنَا
- और हुक्म दिए गए हम
- linus'lima
- لِنُسْلِمَ
- ताकि हम फ़रमाबरदार हो जाऐं
- lirabbi
- لِرَبِّ
- रब्बुल आलमीन के लिए
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- रब्बुल आलमीन के लिए
कहो, 'क्या हम अल्लाह को छोड़कर उसे पुकारने लग जाएँ जो न तो हमें लाभ पहुँचा सके और न हमें हानि पहुँचा सके और हम उलटे पाँव फिर जाएँ, जबकि अल्लाह ने हमें मार्ग पर लगा दिया है? - उस व्यक्ति की तरह जिसे शैतानों ने धरती पर भटका दिया हो और वह हैरान होकर रह गया हो। उसके कुछ साथी हो, जो उसे मार्ग की ओर बुला रहे हो कि हमारे पास चला आ!' कह दो, 'मार्गदर्शन केवल अल्लाह का मार्गदर्शन है और हमें इसी बात का आदेश हुआ है कि हम सारे संसार के स्वामी को समर्पित हो जाएँ।' ([६] अल-अनाम: 71)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَنْ اَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَاتَّقُوْهُۗ وَهُوَ الَّذِيْٓ اِلَيْهِ تُحْشَرُوْنَ ٧٢
- wa-an
- وَأَنْ
- और ये कि
- aqīmū
- أَقِيمُوا۟
- क़ायम करो
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- wa-ittaqūhu
- وَٱتَّقُوهُۚ
- और डरो उससे
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो ही है
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- जिसकी तरफ़
- tuḥ'sharūna
- تُحْشَرُونَ
- तुम इकट्ठे किए जाओगे
और यह कि 'नमाज़ क़ायम करो और उसका डर रखो। वही है, जिसके पास तुम इकट्ठे किए जाओगे, ([६] अल-अनाम: 72)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّۗ وَيَوْمَ يَقُوْلُ كُنْ فَيَكُوْنُۚ قَوْلُهُ الْحَقُّۗ وَلَهُ الْمُلْكُ يَوْمَ يُنْفَخُ فِى الصُّوْرِۗ عٰلِمُ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ وَهُوَ الْحَكِيْمُ الْخَبِيْرُ ٧٣
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों को
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّۖ
- साथ हक़ के
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और जिस दिन
- yaqūlu
- يَقُولُ
- वो कहेगा
- kun
- كُن
- हो जा
- fayakūnu
- فَيَكُونُۚ
- तो वो हो जाएगा
- qawluhu
- قَوْلُهُ
- उसकी बात ही
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّۚ
- सच्ची है
- walahu
- وَلَهُ
- और उसी के लिए है
- l-mul'ku
- ٱلْمُلْكُ
- बादशाहत
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- yunfakhu
- يُنفَخُ
- फूँका जाएगा
- fī
- فِى
- सूर में
- l-ṣūri
- ٱلصُّورِۚ
- सूर में
- ʿālimu
- عَٰلِمُ
- जानने वाला है
- l-ghaybi
- ٱلْغَيْبِ
- ग़ैब का
- wal-shahādati
- وَٱلشَّهَٰدَةِۚ
- और हाज़िर का
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- बहुत हिकमत वाला है
- l-khabīru
- ٱلْخَبِيرُ
- ख़ूब ख़बर रखने वाला है
'और वही है जिसने आकाशों और धरती को हक़ के साथ पैदा किया। और जिस समय वह किसी चीज़ को कहे, 'हो जा', तो वह उसी समय वह हो जाती है। उसकी बात सर्वथा सत्य है और जिस दिन 'सूर' (नरसिंघा) में फूँक मारी जाएगी, राज्य उसी का होगा। वह सभी छिपी और खुली चीज़ का जाननेवाला है, और वही तत्वदर्शी, ख़बर रखनेवाला है।' ([६] अल-अनाम: 73)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهِيْمُ لِاَبِيْهِ اٰزَرَ اَتَتَّخِذُ اَصْنَامًا اٰلِهَةً ۚاِنِّيْٓ اَرٰىكَ وَقَوْمَكَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ٧٤
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- qāla
- قَالَ
- कहा
- ib'rāhīmu
- إِبْرَٰهِيمُ
- इब्राहीम ने
- li-abīhi
- لِأَبِيهِ
- अपने बाप
- āzara
- ءَازَرَ
- आज़र को
- atattakhidhu
- أَتَتَّخِذُ
- क्या तू बनाता है
- aṣnāman
- أَصْنَامًا
- बुतों को
- ālihatan
- ءَالِهَةًۖ
- इलाह
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- arāka
- أَرَىٰكَ
- मैं देखता हूँ तुझे
- waqawmaka
- وَقَوْمَكَ
- और तेरी क़ौम को
- fī
- فِى
- गुमराही में
- ḍalālin
- ضَلَٰلٍ
- गुमराही में
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- खुली
और याद करो, जब इबराहीम ने अपने बाप आज़र से कहा था, 'क्या तुम मूर्तियों को पूज्य बनाते हो? मैं तो तुम्हें और तुम्हारी क़ौम को खुली गुमराही में पड़ा देख रहा हूँ।' ([६] अल-अनाम: 74)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ نُرِيْٓ اِبْرٰهِيْمَ مَلَكُوْتَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلِيَكُوْنَ مِنَ الْمُوْقِنِيْنَ ٧٥
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- nurī
- نُرِىٓ
- हम दिखाते थे
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِيمَ
- इब्राहीम को
- malakūta
- مَلَكُوتَ
- बादशाहत
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन की
- waliyakūna
- وَلِيَكُونَ
- और ताकि वो हो जाए
- mina
- مِنَ
- यक़ीन करने वालों में से
- l-mūqinīna
- ٱلْمُوقِنِينَ
- यक़ीन करने वालों में से
और इस प्रकार हम इबराहीम को आकाशों और धरती का राज्य दिखाने लगे (ताकि उसके ज्ञान का विस्तार हो) और इसलिए कि उसे विश्वास हो ([६] अल-अनाम: 75)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّا جَنَّ عَلَيْهِ الَّيْلُ رَاٰ كَوْكَبًا ۗقَالَ هٰذَا رَبِّيْۚ فَلَمَّآ اَفَلَ قَالَ لَآ اُحِبُّ الْاٰفِلِيْنَ ٧٦
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- janna
- جَنَّ
- छा गई
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- al-laylu
- ٱلَّيْلُ
- रात
- raā
- رَءَا
- उसने देखा
- kawkaban
- كَوْكَبًاۖ
- एक सितारा
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- rabbī
- رَبِّىۖ
- मेरा रब है
- falammā
- فَلَمَّآ
- फिर जब
- afala
- أَفَلَ
- वो छुप गया
- qāla
- قَالَ
- कहा
- lā
- لَآ
- नहीं मैं पसंद करता
- uḥibbu
- أُحِبُّ
- नहीं मैं पसंद करता
- l-āfilīna
- ٱلْءَافِلِينَ
- छुपने वालों को
अतएवः जब रात उसपर छा गई, तो उसने एक तारा देखा। उसने कहा, 'इसे मेरा रब ठहराते हो!' फिर जब वह छिप गया तो बोला, 'छिप जानेवालों से मैं प्रेम नहीं करता।' ([६] अल-अनाम: 76)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّا رَاَ الْقَمَرَ بَازِغًا قَالَ هٰذَا رَبِّيْ ۚفَلَمَّآ اَفَلَ قَالَ لَىِٕنْ لَّمْ يَهْدِنِيْ رَبِّيْ لَاَكُوْنَنَّ مِنَ الْقَوْمِ الضَّاۤلِّيْنَ ٧٧
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- raā
- رَءَا
- उसने देखा
- l-qamara
- ٱلْقَمَرَ
- चाँद को
- bāzighan
- بَازِغًا
- चमकता हुआ
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- rabbī
- رَبِّىۖ
- मेरा रब है
- falammā
- فَلَمَّآ
- फिर जब
- afala
- أَفَلَ
- वो छुप गया
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- la-in
- لَئِن
- अलबत्ता अगर
- lam
- لَّمْ
- ना
- yahdinī
- يَهْدِنِى
- हिदायत दी मुझे
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब ने
- la-akūnanna
- لَأَكُونَنَّ
- अलबत्ता मैं ज़रूर हो जाऊँगा
- mina
- مِنَ
- उन लोगों में से
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- उन लोगों में से
- l-ḍālīna
- ٱلضَّآلِّينَ
- जो गुमराह हैं
फिर जब उसने चाँद को चमकता हुआ देखा, तो कहा, 'इसको मेरा रब ठहराते हो!' फिर जब वह छिप गया, तो कहा, 'यदि मेरा रब मुझे मार्ग न दिखाता तो मैं भी पथभ्रष्ट! लोगों में सम्मिलित हो जाता।' ([६] अल-अनाम: 77)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّا رَاَ الشَّمْسَ بَازِغَةً قَالَ هٰذَا رَبِّيْ هٰذَآ اَكْبَرُۚ فَلَمَّآ اَفَلَتْ قَالَ يٰقَوْمِ اِنِّيْ بَرِيْۤءٌ مِّمَّا تُشْرِكُوْنَ ٧٨
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- raā
- رَءَا
- उसने देखा
- l-shamsa
- ٱلشَّمْسَ
- सूरज को
- bāzighatan
- بَازِغَةً
- चमकता हुआ
- qāla
- قَالَ
- कहा
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- rabbī
- رَبِّى
- मेरा रब है
- hādhā
- هَٰذَآ
- ये
- akbaru
- أَكْبَرُۖ
- सबसे बड़ा है
- falammā
- فَلَمَّآ
- फिर जब
- afalat
- أَفَلَتْ
- वो छुप गया
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- barīon
- بَرِىٓءٌ
- बरी-उज़-ज़िम्मा हूँ
- mimmā
- مِّمَّا
- उससे जो
- tush'rikūna
- تُشْرِكُونَ
- तुम शरीक ठहराते हो
फिर जब उसने सूर्य को चमकता हुआ देखा, तो कहा, 'इसे मेरा रब ठहराते हो! यह तो बहुत बड़ा है।' फिर जब वह भी छिप गया, तो कहा, 'ऐ मेरी क़ौन के लोगो! मैं विरक्त हूँ उनसे जिनको तुम साझी ठहराते हो ([६] अल-अनाम: 78)Tafseer (तफ़सीर )
اِنِّيْ وَجَّهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِيْ فَطَرَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ حَنِيْفًا وَّمَآ اَنَا۠ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَۚ ٧٩
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- wajjahtu
- وَجَّهْتُ
- रुख़ कर लिया मैंने
- wajhiya
- وَجْهِىَ
- अपने चेहरे का
- lilladhī
- لِلَّذِى
- उसके लिए जिसने
- faṭara
- فَطَرَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- ḥanīfan
- حَنِيفًاۖ
- यकसू होकर
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- mina
- مِنَ
- मुशरिकीन में से
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन में से
'मैंने तो एकाग्र होकर अपना मुख उसकी ओर कर लिया है, जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया। और मैं साझी ठहरानेवालों में से नहीं।' ([६] अल-अनाम: 79)Tafseer (तफ़सीर )
وَحَاۤجَّهٗ قَوْمُهٗ ۗقَالَ اَتُحَاۤجُّوْۤنِّيْ فِى اللّٰهِ وَقَدْ هَدٰىنِۗ وَلَآ اَخَافُ مَا تُشْرِكُوْنَ بِهٖٓ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ رَبِّيْ شَيْـًٔا ۗوَسِعَ رَبِّيْ كُلَّ شَيْءٍ عِلْمًا ۗ اَفَلَا تَتَذَكَّرُوْنَ ٨٠
- waḥājjahu
- وَحَآجَّهُۥ
- और झगड़ा किया उससे
- qawmuhu
- قَوْمُهُۥۚ
- उसकी क़ौम ने
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- atuḥājjūnnī
- أَتُحَٰٓجُّوٓنِّى
- क्या तुम झगड़ते हो मुझसे
- fī
- فِى
- अल्लाह के बारे में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के बारे में
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- hadāni
- هَدَىٰنِۚ
- उसने हिदायत दी मुझे
- walā
- وَلَآ
- और नहीं
- akhāfu
- أَخَافُ
- मैं डरता (उन से)
- mā
- مَا
- जिनको
- tush'rikūna
- تُشْرِكُونَ
- तुम शरीक ठहराते हो
- bihi
- بِهِۦٓ
- साथ उसके
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yashāa
- يَشَآءَ
- चाहे
- rabbī
- رَبِّى
- रब मेरा
- shayan
- شَيْـًٔاۗ
- कोई चीज़
- wasiʿa
- وَسِعَ
- अहाता कर रखा है
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब ने
- kulla
- كُلَّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ का
- ʿil'man
- عِلْمًاۗ
- इल्म के ऐतबार से
- afalā
- أَفَلَا
- क्या भला नहीं
- tatadhakkarūna
- تَتَذَكَّرُونَ
- तुम नसीहत पकड़ते
उसकी क़ौम के लोग उससे झगड़ने लगे। उसने कहा, 'क्या तुम मुझसे अल्लाह के विषय में झगड़ते हो? जबकि उसने मुझे मार्ग दिखा दिया है। मैं उनसे नहीं डरता, जिन्हें तुम उसका सहभागी ठहराते हो, बल्कि मेरा रब जो कुछ चाहता है वही पूरा होकर रहता है। प्रत्येक वस्तु मेरे रब की ज्ञान-परिधि के भीतर है। फिर क्या तुम चेतोगे नहीं? ([६] अल-अनाम: 80)Tafseer (तफ़सीर )