وَهُوَ الْقَاهِرُ فَوْقَ عِبَادِهٖ وَيُرْسِلُ عَلَيْكُمْ حَفَظَةً ۗحَتّٰٓى اِذَا جَاۤءَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ تَوَفَّتْهُ رُسُلُنَا وَهُمْ لَا يُفَرِّطُوْنَ ٦١
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-qāhiru
- ٱلْقَاهِرُ
- ग़ालिब है
- fawqa
- فَوْقَ
- ऊपर
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦۖ
- अपने बन्दों के
- wayur'silu
- وَيُرْسِلُ
- और वो भेजता है
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- ḥafaẓatan
- حَفَظَةً
- निगेहबान
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَا
- जब
- jāa
- جَآءَ
- आती है
- aḥadakumu
- أَحَدَكُمُ
- तुम में से किसी एक को
- l-mawtu
- ٱلْمَوْتُ
- मौत
- tawaffathu
- تَوَفَّتْهُ
- फ़ौत करते हैं उसे
- rusulunā
- رُسُلُنَا
- हमारे भेजे हुए
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- lā
- لَا
- नहीं वो कमी-कोताही करते
- yufarriṭūna
- يُفَرِّطُونَ
- नहीं वो कमी-कोताही करते
और वही अपने बन्दों पर पूरा-पूरा क़ाबू रखनेवाला है और वह तुमपर निगरानी करनेवाले को नियुक्त करके भेजता है, यहाँ तक कि जब तुममें से किसी की मृत्यु आ जाती है, जो हमारे भेजे हुए कार्यकर्त्ता उसे अपने क़ब्ज़े में कर लेते है और वे कोई कोताही नहीं करते ([६] अल-अनाम: 61)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ رُدُّوْٓا اِلَى اللّٰهِ مَوْلٰىهُمُ الْحَقِّۗ اَلَا لَهُ الْحُكْمُ وَهُوَ اَسْرَعُ الْحَاسِبِيْنَ ٦٢
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ruddū
- رُدُّوٓا۟
- वो लौटाए जाते हैं
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- तरफ़ अल्लाह के
- mawlāhumu
- مَوْلَىٰهُمُ
- जो मौला है उनका
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّۚ
- हक़ीक़ी
- alā
- أَلَا
- ख़बरदार
- lahu
- لَهُ
- उसी के लिए है
- l-ḥuk'mu
- ٱلْحُكْمُ
- फ़ैसला
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- asraʿu
- أَسْرَعُ
- ज़्यादा जल्द है (हिसाब में)
- l-ḥāsibīna
- ٱلْحَٰسِبِينَ
- सब हिसाब लेने वालों में
फिर सब अल्लाह की ओर, जो उसका वास्तविक स्वामी है, लौट जाएँगे। जान लो, निर्णय का अधिकार उसी को है और वह बहुत जल्द हिसाब लेनेवाला है ([६] अल-अनाम: 62)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ مَنْ يُّنَجِّيْكُمْ مِّنْ ظُلُمٰتِ الْبَرِّ وَالْبَحْرِ تَدْعُوْنَهٗ تَضَرُّعًا وَّخُفْيَةً ۚ لَىِٕنْ اَنْجٰىنَا مِنْ هٰذِهٖ لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِيْنَ ٦٣
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- man
- مَن
- कौन
- yunajjīkum
- يُنَجِّيكُم
- निजात देता है तुम्हें
- min
- مِّن
- अँधेरों से
- ẓulumāti
- ظُلُمَٰتِ
- अँधेरों से
- l-bari
- ٱلْبَرِّ
- खुश्की
- wal-baḥri
- وَٱلْبَحْرِ
- और समुन्दर के
- tadʿūnahu
- تَدْعُونَهُۥ
- तुम पुकारते हो उसे
- taḍarruʿan
- تَضَرُّعًا
- गिड़-गिड़ा कर
- wakhuf'yatan
- وَخُفْيَةً
- और चुपके-चुपके
- la-in
- لَّئِنْ
- अलबत्ता अगर
- anjānā
- أَنجَىٰنَا
- उसने निजात दी हमें
- min
- مِنْ
- इससे
- hādhihi
- هَٰذِهِۦ
- इससे
- lanakūnanna
- لَنَكُونَنَّ
- अलबत्ता हम ज़रूर हो जाऐगे
- mina
- مِنَ
- शुक्र करने वालों में से
- l-shākirīna
- ٱلشَّٰكِرِينَ
- शुक्र करने वालों में से
कहो, 'कौन है जो थल और जल के अँधेरो से तुम्हे छुटकारा देता है, जिसे तुम गिड़गिड़ाते हुए और चुपके-चुपके पुकारने लगते हो कि यदि हमें इससे बचा लिया तो हम अवश्य की कृतज्ञ हो जाएँगे?' ([६] अल-अनाम: 63)Tafseer (तफ़सीर )
قُلِ اللّٰهُ يُنَجِّيْكُمْ مِّنْهَا وَمِنْ كُلِّ كَرْبٍ ثُمَّ اَنْتُمْ تُشْرِكُوْنَ ٦٤
- quli
- قُلِ
- कह दीजिए
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yunajjīkum
- يُنَجِّيكُم
- वो निजात देता है तुम्हें
- min'hā
- مِّنْهَا
- उस से
- wamin
- وَمِن
- और हर मुसीबत से
- kulli
- كُلِّ
- और हर मुसीबत से
- karbin
- كَرْبٍ
- और हर मुसीबत से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- tush'rikūna
- تُشْرِكُونَ
- तुम शरीक बनाते हो
कहो, 'अल्लाह तुम्हें इनसे और हरके बेचैनी और पीड़ा से छुटकारा देता है, लेकिन फिर तुम उसका साझीदार ठहराने लगते हो।' ([६] अल-अनाम: 64)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ هُوَ الْقَادِرُ عَلٰٓى اَنْ يَّبْعَثَ عَلَيْكُمْ عَذَابًا مِّنْ فَوْقِكُمْ اَوْ مِنْ تَحْتِ اَرْجُلِكُمْ اَوْ يَلْبِسَكُمْ شِيَعًا وَّيُذِيْقَ بَعْضَكُمْ بَأْسَ بَعْضٍۗ اُنْظُرْ كَيْفَ نُصَرِّفُ الْاٰيٰتِ لَعَلَّهُمْ يَفْقَهُوْنَ ٦٥
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- huwa
- هُوَ
- वो
- l-qādiru
- ٱلْقَادِرُ
- क़ादिर है
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- इस पर
- an
- أَن
- कि
- yabʿatha
- يَبْعَثَ
- वो भेजे
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- min
- مِّن
- तुम्हारे ऊपर से
- fawqikum
- فَوْقِكُمْ
- तुम्हारे ऊपर से
- aw
- أَوْ
- या
- min
- مِن
- नीचे से
- taḥti
- تَحْتِ
- नीचे से
- arjulikum
- أَرْجُلِكُمْ
- तुम्हारे पाँव के
- aw
- أَوْ
- या
- yalbisakum
- يَلْبِسَكُمْ
- वो लड़ा दे तुम्हें
- shiyaʿan
- شِيَعًا
- गिरोहों में
- wayudhīqa
- وَيُذِيقَ
- और चखा दे
- baʿḍakum
- بَعْضَكُم
- तुम्हारे बाज़ को
- basa
- بَأْسَ
- क़ुव्वत
- baʿḍin
- بَعْضٍۗ
- बाज़ की
- unẓur
- ٱنظُرْ
- देखो
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- nuṣarrifu
- نُصَرِّفُ
- हम फेर-फेर कर बयान करते हैं
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात
- laʿallahum
- لَعَلَّهُمْ
- ताकि वो
- yafqahūna
- يَفْقَهُونَ
- वो समझें
कहो, 'वह इसकी सामर्थ्य रखता है कि तुमपर तुम्हारे ऊपर से या तुम्हारे पैरों के नीचे से कोई यातना भेज दे या तुम्हें टोलियों में बाँटकर परस्पर भिड़ा दे और एक को दूसरे की लड़ाई का मज़ा चखाए।' देखो, हम आयतों को कैसे, तरह-तरह से, बयान करते है, ताकि वे समझे ([६] अल-अनाम: 65)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذَّبَ بِهٖ قَوْمُكَ وَهُوَ الْحَقُّۗ قُلْ لَّسْتُ عَلَيْكُمْ بِوَكِيْلٍ ۗ ٦٦
- wakadhaba
- وَكَذَّبَ
- और झुठला दिया
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- qawmuka
- قَوْمُكَ
- आपकी क़ौम ने
- wahuwa
- وَهُوَ
- हालाँकि वो
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّۚ
- हक़ है
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lastu
- لَّسْتُ
- नहीं हूँ मैं
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर
- biwakīlin
- بِوَكِيلٍ
- कोई ज़िम्मेदार
तुम्हारी क़ौम ने तो उसे झुठला दिया, हालाँकि वह सत्य है। कह दो, मैं 'तुमपर कोई संरक्षक नियुक्त नहीं हूँ ([६] अल-अनाम: 66)Tafseer (तफ़सीर )
لِكُلِّ نَبَاٍ مُّسْتَقَرٌّ وَّسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ٦٧
- likulli
- لِّكُلِّ
- वास्ते हर
- naba-in
- نَبَإٍ
- ख़बर के
- mus'taqarrun
- مُّسْتَقَرٌّۚ
- एक वक़्त मुक़र्रर है
- wasawfa
- وَسَوْفَ
- और अनक़रीब
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जान लोगे
'हर ख़बर का एक निश्चित समय है और शीघ्र ही तुम्हें ज्ञात हो जाएगा।' ([६] अल-अनाम: 67)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا رَاَيْتَ الَّذِيْنَ يَخُوْضُوْنَ فِيْٓ اٰيٰتِنَا فَاَعْرِضْ عَنْهُمْ حَتّٰى يَخُوْضُوْا فِيْ حَدِيْثٍ غَيْرِهٖۗ وَاِمَّا يُنْسِيَنَّكَ الشَّيْطٰنُ فَلَا تَقْعُدْ بَعْدَ الذِّكْرٰى مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِيْنَ ٦٨
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- ra-ayta
- رَأَيْتَ
- देखें आप
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों को
- yakhūḍūna
- يَخُوضُونَ
- जो मशग़ूल होते हैं
- fī
- فِىٓ
- हमारी आयात में
- āyātinā
- ءَايَٰتِنَا
- हमारी आयात में
- fa-aʿriḍ
- فَأَعْرِضْ
- तो ऐराज़ कीजिए
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yakhūḍū
- يَخُوضُوا۟
- वो मशग़ूल हो जाऐं
- fī
- فِى
- किसी बात में
- ḥadīthin
- حَدِيثٍ
- किसी बात में
- ghayrihi
- غَيْرِهِۦۚ
- सिवाय उसके
- wa-immā
- وَإِمَّا
- और अगर
- yunsiyannaka
- يُنسِيَنَّكَ
- भुला दे आपको
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान
- falā
- فَلَا
- तो ना
- taqʿud
- تَقْعُدْ
- आप बैठिए
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- l-dhik'rā
- ٱلذِّكْرَىٰ
- याद आने के
- maʿa
- مَعَ
- साथ उन लोगों के
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- साथ उन लोगों के
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- जो ज़ालिम हैं
और जब तुम उन लोगों को देखो, जो हमारी आयतों पर नुक्ताचीनी करने में लगे हुए है, तो उनसे मुँह फेर लो, ताकि वे किसी दूसरी बात में लग जाएँ। और यदि कभी शैतान तुम्हें भुलावे में डाल दे, तो याद आ जाने के बाद उन अत्याचारियों के पास न बैठो ([६] अल-अनाम: 68)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا عَلَى الَّذِيْنَ يَتَّقُوْنَ مِنْ حِسَابِهِمْ مِّنْ شَيْءٍ وَّلٰكِنْ ذِكْرٰى لَعَلَّهُمْ يَتَّقُوْنَ ٦٩
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- ʿalā
- عَلَى
- उनके ज़िम्मे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके ज़िम्मे
- yattaqūna
- يَتَّقُونَ
- जो तक़वा करते हैं
- min
- مِنْ
- उनके हिसाब में से
- ḥisābihim
- حِسَابِهِم
- उनके हिसाब में से
- min
- مِّن
- कोई चीज़
- shayin
- شَىْءٍ
- कोई चीज़
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- dhik'rā
- ذِكْرَىٰ
- याद दिहानी है
- laʿallahum
- لَعَلَّهُمْ
- ताकि वो
- yattaqūna
- يَتَّقُونَ
- वो तक़वा करें
उनके हिसाब के प्रति तो उन लोगो पर कुछ भी ज़िम्मेदारी नहीं, जो डर रखते है। यदि है तो बस याद दिलाने की; ताकि वे डरें ([६] अल-अनाम: 69)Tafseer (तफ़सीर )
وَذَرِ الَّذِيْنَ اتَّخَذُوْا دِيْنَهُمْ لَعِبًا وَّلَهْوًا وَّغَرَّتْهُمُ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا وَذَكِّرْ بِهٖٓ اَنْ تُبْسَلَ نَفْسٌۢ بِمَا كَسَبَتْۖ لَيْسَ لَهَا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلِيٌّ وَّلَا شَفِيْعٌ ۚوَاِنْ تَعْدِلْ كُلَّ عَدْلٍ لَّا يُؤْخَذْ مِنْهَاۗ اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ اُبْسِلُوْا بِمَا كَسَبُوْا لَهُمْ شَرَابٌ مِّنْ حَمِيْمٍ وَّعَذَابٌ اَلِيْمٌ ۢبِمَا كَانُوْا يَكْفُرُوْنَ ࣖ ٧٠
- wadhari
- وَذَرِ
- और छोड़ दीजिए
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- ittakhadhū
- ٱتَّخَذُوا۟
- बना लिया है
- dīnahum
- دِينَهُمْ
- अपने दीन को
- laʿiban
- لَعِبًا
- खेल
- walahwan
- وَلَهْوًا
- और तमाशा
- wagharrathumu
- وَغَرَّتْهُمُ
- और धोखे में डाल दिया उन्हें
- l-ḥayatu
- ٱلْحَيَوٰةُ
- ज़िन्दगी ने
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَاۚ
- दुनिया की
- wadhakkir
- وَذَكِّرْ
- और नसीहत कीजिए
- bihi
- بِهِۦٓ
- साथ उसके
- an
- أَن
- कि
- tub'sala
- تُبْسَلَ
- (ना) हलाक किया जाए
- nafsun
- نَفْسٌۢ
- कोई नफ़्स
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kasabat
- كَسَبَتْ
- उसने कमाई की
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं है
- lahā
- لَهَا
- उसके लिए
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- waliyyun
- وَلِىٌّ
- कोई दोस्त
- walā
- وَلَا
- और ना
- shafīʿun
- شَفِيعٌ
- कोई सिफ़ारिशी
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- taʿdil
- تَعْدِلْ
- वो बदला दे
- kulla
- كُلَّ
- हर तरह का
- ʿadlin
- عَدْلٍ
- बदला
- lā
- لَّا
- ना लिया जाएगा
- yu'khadh
- يُؤْخَذْ
- ना लिया जाएगा
- min'hā
- مِنْهَآۗ
- उससे
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- ub'silū
- أُبْسِلُوا۟
- हलाक कर दिए गए
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kasabū
- كَسَبُوا۟ۖ
- उन्होंने कमाया
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- sharābun
- شَرَابٌ
- पीना
- min
- مِّنْ
- खौलते हुए पानी से
- ḥamīmin
- حَمِيمٍ
- खौलते हुए पानी से
- waʿadhābun
- وَعَذَابٌ
- और अज़ाब
- alīmun
- أَلِيمٌۢ
- दर्दनाक
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yakfurūna
- يَكْفُرُونَ
- वो कुफ़्र करते
छोड़ो उन लोगों को, जिन्होंने अपने धर्म को खेल और तमाशा बना लिया है और उन्हें सांसारिक जीवन ने धोखे में डाल रखा है। और इसके द्वारा उन्हें नसीहत करते रहो कि कहीं ऐसा न हो कि कोई अपनी कमाई के कारण तबाही में पड़ जाए। अल्लाह से हटकर कोई भी नहीं, जो उसका समर्थक और सिफ़ारिश करनेवाला हो सके और यदि वह छुटकारा पाने के लिए बदले के रूप में हर सम्भव चीज़ देने लगे, तो भी वह उससे न लिया जाए। ऐसे ही लोग है, जो अपनी कमाई के कारण तबाही में पड गए। उनके लिए पीने को खौलता हुआ पानी है और दुखद यातना भी; क्योंकि वे इनकार करते रहे थे ([६] अल-अनाम: 70)Tafseer (तफ़सीर )