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सूरा अल-अनाम - Page: 7

Al-An'am

(पशु)

६१

وَهُوَ الْقَاهِرُ فَوْقَ عِبَادِهٖ وَيُرْسِلُ عَلَيْكُمْ حَفَظَةً ۗحَتّٰٓى اِذَا جَاۤءَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ تَوَفَّتْهُ رُسُلُنَا وَهُمْ لَا يُفَرِّطُوْنَ ٦١

wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-qāhiru
ٱلْقَاهِرُ
ग़ालिब है
fawqa
فَوْقَ
ऊपर
ʿibādihi
عِبَادِهِۦۖ
अपने बन्दों के
wayur'silu
وَيُرْسِلُ
और वो भेजता है
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
ḥafaẓatan
حَفَظَةً
निगेहबान
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
jāa
جَآءَ
आती है
aḥadakumu
أَحَدَكُمُ
तुम में से किसी एक को
l-mawtu
ٱلْمَوْتُ
मौत
tawaffathu
تَوَفَّتْهُ
फ़ौत करते हैं उसे
rusulunā
رُسُلُنَا
हमारे भेजे हुए
wahum
وَهُمْ
और वो
لَا
नहीं वो कमी-कोताही करते
yufarriṭūna
يُفَرِّطُونَ
नहीं वो कमी-कोताही करते
और वही अपने बन्दों पर पूरा-पूरा क़ाबू रखनेवाला है और वह तुमपर निगरानी करनेवाले को नियुक्त करके भेजता है, यहाँ तक कि जब तुममें से किसी की मृत्यु आ जाती है, जो हमारे भेजे हुए कार्यकर्त्ता उसे अपने क़ब्ज़े में कर लेते है और वे कोई कोताही नहीं करते ([६] अल-अनाम: 61)
Tafseer (तफ़सीर )
६२

ثُمَّ رُدُّوْٓا اِلَى اللّٰهِ مَوْلٰىهُمُ الْحَقِّۗ اَلَا لَهُ الْحُكْمُ وَهُوَ اَسْرَعُ الْحَاسِبِيْنَ ٦٢

thumma
ثُمَّ
फिर
ruddū
رُدُّوٓا۟
वो लौटाए जाते हैं
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِ
तरफ़ अल्लाह के
mawlāhumu
مَوْلَىٰهُمُ
जो मौला है उनका
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّۚ
हक़ीक़ी
alā
أَلَا
ख़बरदार
lahu
لَهُ
उसी के लिए है
l-ḥuk'mu
ٱلْحُكْمُ
फ़ैसला
wahuwa
وَهُوَ
और वो
asraʿu
أَسْرَعُ
ज़्यादा जल्द है (हिसाब में)
l-ḥāsibīna
ٱلْحَٰسِبِينَ
सब हिसाब लेने वालों में
फिर सब अल्लाह की ओर, जो उसका वास्तविक स्वामी है, लौट जाएँगे। जान लो, निर्णय का अधिकार उसी को है और वह बहुत जल्द हिसाब लेनेवाला है ([६] अल-अनाम: 62)
Tafseer (तफ़सीर )
६३

قُلْ مَنْ يُّنَجِّيْكُمْ مِّنْ ظُلُمٰتِ الْبَرِّ وَالْبَحْرِ تَدْعُوْنَهٗ تَضَرُّعًا وَّخُفْيَةً ۚ لَىِٕنْ اَنْجٰىنَا مِنْ هٰذِهٖ لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِيْنَ ٦٣

qul
قُلْ
कह दीजिए
man
مَن
कौन
yunajjīkum
يُنَجِّيكُم
निजात देता है तुम्हें
min
مِّن
अँधेरों से
ẓulumāti
ظُلُمَٰتِ
अँधेरों से
l-bari
ٱلْبَرِّ
खुश्की
wal-baḥri
وَٱلْبَحْرِ
और समुन्दर के
tadʿūnahu
تَدْعُونَهُۥ
तुम पुकारते हो उसे
taḍarruʿan
تَضَرُّعًا
गिड़-गिड़ा कर
wakhuf'yatan
وَخُفْيَةً
और चुपके-चुपके
la-in
لَّئِنْ
अलबत्ता अगर
anjānā
أَنجَىٰنَا
उसने निजात दी हमें
min
مِنْ
इससे
hādhihi
هَٰذِهِۦ
इससे
lanakūnanna
لَنَكُونَنَّ
अलबत्ता हम ज़रूर हो जाऐगे
mina
مِنَ
शुक्र करने वालों में से
l-shākirīna
ٱلشَّٰكِرِينَ
शुक्र करने वालों में से
कहो, 'कौन है जो थल और जल के अँधेरो से तुम्हे छुटकारा देता है, जिसे तुम गिड़गिड़ाते हुए और चुपके-चुपके पुकारने लगते हो कि यदि हमें इससे बचा लिया तो हम अवश्य की कृतज्ञ हो जाएँगे?' ([६] अल-अनाम: 63)
Tafseer (तफ़सीर )
६४

قُلِ اللّٰهُ يُنَجِّيْكُمْ مِّنْهَا وَمِنْ كُلِّ كَرْبٍ ثُمَّ اَنْتُمْ تُشْرِكُوْنَ ٦٤

quli
قُلِ
कह दीजिए
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yunajjīkum
يُنَجِّيكُم
वो निजात देता है तुम्हें
min'hā
مِّنْهَا
उस से
wamin
وَمِن
और हर मुसीबत से
kulli
كُلِّ
और हर मुसीबत से
karbin
كَرْبٍ
और हर मुसीबत से
thumma
ثُمَّ
फिर
antum
أَنتُمْ
तुम
tush'rikūna
تُشْرِكُونَ
तुम शरीक बनाते हो
कहो, 'अल्लाह तुम्हें इनसे और हरके बेचैनी और पीड़ा से छुटकारा देता है, लेकिन फिर तुम उसका साझीदार ठहराने लगते हो।' ([६] अल-अनाम: 64)
Tafseer (तफ़सीर )
६५

قُلْ هُوَ الْقَادِرُ عَلٰٓى اَنْ يَّبْعَثَ عَلَيْكُمْ عَذَابًا مِّنْ فَوْقِكُمْ اَوْ مِنْ تَحْتِ اَرْجُلِكُمْ اَوْ يَلْبِسَكُمْ شِيَعًا وَّيُذِيْقَ بَعْضَكُمْ بَأْسَ بَعْضٍۗ اُنْظُرْ كَيْفَ نُصَرِّفُ الْاٰيٰتِ لَعَلَّهُمْ يَفْقَهُوْنَ ٦٥

qul
قُلْ
कह दीजिए
huwa
هُوَ
वो
l-qādiru
ٱلْقَادِرُ
क़ादिर है
ʿalā
عَلَىٰٓ
इस पर
an
أَن
कि
yabʿatha
يَبْعَثَ
वो भेजे
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
min
مِّن
तुम्हारे ऊपर से
fawqikum
فَوْقِكُمْ
तुम्हारे ऊपर से
aw
أَوْ
या
min
مِن
नीचे से
taḥti
تَحْتِ
नीचे से
arjulikum
أَرْجُلِكُمْ
तुम्हारे पाँव के
aw
أَوْ
या
yalbisakum
يَلْبِسَكُمْ
वो लड़ा दे तुम्हें
shiyaʿan
شِيَعًا
गिरोहों में
wayudhīqa
وَيُذِيقَ
और चखा दे
baʿḍakum
بَعْضَكُم
तुम्हारे बाज़ को
basa
بَأْسَ
क़ुव्वत
baʿḍin
بَعْضٍۗ
बाज़ की
unẓur
ٱنظُرْ
देखो
kayfa
كَيْفَ
किस तरह
nuṣarrifu
نُصَرِّفُ
हम फेर-फेर कर बयान करते हैं
l-āyāti
ٱلْءَايَٰتِ
आयात
laʿallahum
لَعَلَّهُمْ
ताकि वो
yafqahūna
يَفْقَهُونَ
वो समझें
कहो, 'वह इसकी सामर्थ्य रखता है कि तुमपर तुम्हारे ऊपर से या तुम्हारे पैरों के नीचे से कोई यातना भेज दे या तुम्हें टोलियों में बाँटकर परस्पर भिड़ा दे और एक को दूसरे की लड़ाई का मज़ा चखाए।' देखो, हम आयतों को कैसे, तरह-तरह से, बयान करते है, ताकि वे समझे ([६] अल-अनाम: 65)
Tafseer (तफ़सीर )
६६

وَكَذَّبَ بِهٖ قَوْمُكَ وَهُوَ الْحَقُّۗ قُلْ لَّسْتُ عَلَيْكُمْ بِوَكِيْلٍ ۗ ٦٦

wakadhaba
وَكَذَّبَ
और झुठला दिया
bihi
بِهِۦ
उसे
qawmuka
قَوْمُكَ
आपकी क़ौम ने
wahuwa
وَهُوَ
हालाँकि वो
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّۚ
हक़ है
qul
قُل
कह दीजिए
lastu
لَّسْتُ
नहीं हूँ मैं
ʿalaykum
عَلَيْكُم
तुम पर
biwakīlin
بِوَكِيلٍ
कोई ज़िम्मेदार
तुम्हारी क़ौम ने तो उसे झुठला दिया, हालाँकि वह सत्य है। कह दो, मैं 'तुमपर कोई संरक्षक नियुक्त नहीं हूँ ([६] अल-अनाम: 66)
Tafseer (तफ़सीर )
६७

لِكُلِّ نَبَاٍ مُّسْتَقَرٌّ وَّسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ٦٧

likulli
لِّكُلِّ
वास्ते हर
naba-in
نَبَإٍ
ख़बर के
mus'taqarrun
مُّسْتَقَرٌّۚ
एक वक़्त मुक़र्रर है
wasawfa
وَسَوْفَ
और अनक़रीब
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जान लोगे
'हर ख़बर का एक निश्चित समय है और शीघ्र ही तुम्हें ज्ञात हो जाएगा।' ([६] अल-अनाम: 67)
Tafseer (तफ़सीर )
६८

وَاِذَا رَاَيْتَ الَّذِيْنَ يَخُوْضُوْنَ فِيْٓ اٰيٰتِنَا فَاَعْرِضْ عَنْهُمْ حَتّٰى يَخُوْضُوْا فِيْ حَدِيْثٍ غَيْرِهٖۗ وَاِمَّا يُنْسِيَنَّكَ الشَّيْطٰنُ فَلَا تَقْعُدْ بَعْدَ الذِّكْرٰى مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِيْنَ ٦٨

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ra-ayta
رَأَيْتَ
देखें आप
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों को
yakhūḍūna
يَخُوضُونَ
जो मशग़ूल होते हैं
فِىٓ
हमारी आयात में
āyātinā
ءَايَٰتِنَا
हमारी आयात में
fa-aʿriḍ
فَأَعْرِضْ
तो ऐराज़ कीजिए
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yakhūḍū
يَخُوضُوا۟
वो मशग़ूल हो जाऐं
فِى
किसी बात में
ḥadīthin
حَدِيثٍ
किसी बात में
ghayrihi
غَيْرِهِۦۚ
सिवाय उसके
wa-immā
وَإِمَّا
और अगर
yunsiyannaka
يُنسِيَنَّكَ
भुला दे आपको
l-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान
falā
فَلَا
तो ना
taqʿud
تَقْعُدْ
आप बैठिए
baʿda
بَعْدَ
बाद
l-dhik'rā
ٱلذِّكْرَىٰ
याद आने के
maʿa
مَعَ
साथ उन लोगों के
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
साथ उन लोगों के
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
जो ज़ालिम हैं
और जब तुम उन लोगों को देखो, जो हमारी आयतों पर नुक्ताचीनी करने में लगे हुए है, तो उनसे मुँह फेर लो, ताकि वे किसी दूसरी बात में लग जाएँ। और यदि कभी शैतान तुम्हें भुलावे में डाल दे, तो याद आ जाने के बाद उन अत्याचारियों के पास न बैठो ([६] अल-अनाम: 68)
Tafseer (तफ़सीर )
६९

وَمَا عَلَى الَّذِيْنَ يَتَّقُوْنَ مِنْ حِسَابِهِمْ مِّنْ شَيْءٍ وَّلٰكِنْ ذِكْرٰى لَعَلَّهُمْ يَتَّقُوْنَ ٦٩

wamā
وَمَا
और नहीं
ʿalā
عَلَى
उनके ज़िम्मे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके ज़िम्मे
yattaqūna
يَتَّقُونَ
जो तक़वा करते हैं
min
مِنْ
उनके हिसाब में से
ḥisābihim
حِسَابِهِم
उनके हिसाब में से
min
مِّن
कोई चीज़
shayin
شَىْءٍ
कोई चीज़
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
dhik'rā
ذِكْرَىٰ
याद दिहानी है
laʿallahum
لَعَلَّهُمْ
ताकि वो
yattaqūna
يَتَّقُونَ
वो तक़वा करें
उनके हिसाब के प्रति तो उन लोगो पर कुछ भी ज़िम्मेदारी नहीं, जो डर रखते है। यदि है तो बस याद दिलाने की; ताकि वे डरें ([६] अल-अनाम: 69)
Tafseer (तफ़सीर )
७०

وَذَرِ الَّذِيْنَ اتَّخَذُوْا دِيْنَهُمْ لَعِبًا وَّلَهْوًا وَّغَرَّتْهُمُ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا وَذَكِّرْ بِهٖٓ اَنْ تُبْسَلَ نَفْسٌۢ بِمَا كَسَبَتْۖ لَيْسَ لَهَا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلِيٌّ وَّلَا شَفِيْعٌ ۚوَاِنْ تَعْدِلْ كُلَّ عَدْلٍ لَّا يُؤْخَذْ مِنْهَاۗ اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ اُبْسِلُوْا بِمَا كَسَبُوْا لَهُمْ شَرَابٌ مِّنْ حَمِيْمٍ وَّعَذَابٌ اَلِيْمٌ ۢبِمَا كَانُوْا يَكْفُرُوْنَ ࣖ ٧٠

wadhari
وَذَرِ
और छोड़ दीजिए
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
ittakhadhū
ٱتَّخَذُوا۟
बना लिया है
dīnahum
دِينَهُمْ
अपने दीन को
laʿiban
لَعِبًا
खेल
walahwan
وَلَهْوًا
और तमाशा
wagharrathumu
وَغَرَّتْهُمُ
और धोखे में डाल दिया उन्हें
l-ḥayatu
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी ने
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَاۚ
दुनिया की
wadhakkir
وَذَكِّرْ
और नसीहत कीजिए
bihi
بِهِۦٓ
साथ उसके
an
أَن
कि
tub'sala
تُبْسَلَ
(ना) हलाक किया जाए
nafsun
نَفْسٌۢ
कोई नफ़्स
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kasabat
كَسَبَتْ
उसने कमाई की
laysa
لَيْسَ
नहीं है
lahā
لَهَا
उसके लिए
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
waliyyun
وَلِىٌّ
कोई दोस्त
walā
وَلَا
और ना
shafīʿun
شَفِيعٌ
कोई सिफ़ारिशी
wa-in
وَإِن
और अगर
taʿdil
تَعْدِلْ
वो बदला दे
kulla
كُلَّ
हर तरह का
ʿadlin
عَدْلٍ
बदला
لَّا
ना लिया जाएगा
yu'khadh
يُؤْخَذْ
ना लिया जाएगा
min'hā
مِنْهَآۗ
उससे
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
ub'silū
أُبْسِلُوا۟
हलाक कर दिए गए
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kasabū
كَسَبُوا۟ۖ
उन्होंने कमाया
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
sharābun
شَرَابٌ
पीना
min
مِّنْ
खौलते हुए पानी से
ḥamīmin
حَمِيمٍ
खौलते हुए पानी से
waʿadhābun
وَعَذَابٌ
और अज़ाब
alīmun
أَلِيمٌۢ
दर्दनाक
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yakfurūna
يَكْفُرُونَ
वो कुफ़्र करते
छोड़ो उन लोगों को, जिन्होंने अपने धर्म को खेल और तमाशा बना लिया है और उन्हें सांसारिक जीवन ने धोखे में डाल रखा है। और इसके द्वारा उन्हें नसीहत करते रहो कि कहीं ऐसा न हो कि कोई अपनी कमाई के कारण तबाही में पड़ जाए। अल्लाह से हटकर कोई भी नहीं, जो उसका समर्थक और सिफ़ारिश करनेवाला हो सके और यदि वह छुटकारा पाने के लिए बदले के रूप में हर सम्भव चीज़ देने लगे, तो भी वह उससे न लिया जाए। ऐसे ही लोग है, जो अपनी कमाई के कारण तबाही में पड गए। उनके लिए पीने को खौलता हुआ पानी है और दुखद यातना भी; क्योंकि वे इनकार करते रहे थे ([६] अल-अनाम: 70)
Tafseer (तफ़सीर )