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सूरा अल-अनाम - Page: 6

Al-An'am

(पशु)

५१

وَاَنْذِرْ بِهِ الَّذِيْنَ يَخَافُوْنَ اَنْ يُّحْشَرُوْٓا اِلٰى رَبِّهِمْ لَيْسَ لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ وَلِيٌّ وَّلَا شَفِيْعٌ لَّعَلَّهُمْ يَتَّقُوْنَ ٥١

wa-andhir
وَأَنذِرْ
और डराइए
bihi
بِهِ
साथ उसके
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जो
yakhāfūna
يَخَافُونَ
ख़ौफ़ खाते हैं
an
أَن
कि
yuḥ'sharū
يُحْشَرُوٓا۟
वो इकट्ठे किए जाऐंगे
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
rabbihim
رَبِّهِمْۙ
तरफ़ अपने रब के
laysa
لَيْسَ
नहीं (होगा)
lahum
لَهُم
उनके लिए
min
مِّن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦ
उसके सिवा
waliyyun
وَلِىٌّ
कोई दोस्त
walā
وَلَا
और ना
shafīʿun
شَفِيعٌ
कोई सिफ़ारिशी
laʿallahum
لَّعَلَّهُمْ
ताकि वो
yattaqūna
يَتَّقُونَ
वो बच जाऐं
और तुम इसके द्वारा उन लोगों को सचेत कर दो, जिन्हें इस बात का भय है कि वे अपने रब के पास इस हाल में इकट्ठा किए जाएँगे कि उसके सिवा न तो उसका कोई समर्थक होगा और न कोई सिफ़ारिश करनेवाला, ताकि वे बचें ([६] अल-अनाम: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

وَلَا تَطْرُدِ الَّذِيْنَ يَدْعُوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَدٰوةِ وَالْعَشِيِّ يُرِيْدُوْنَ وَجْهَهٗ ۗمَا عَلَيْكَ مِنْ حِسَابِهِمْ مِّنْ شَيْءٍ وَّمَا مِنْ حِسَابِكَ عَلَيْهِمْ مِّنْ شَيْءٍ فَتَطْرُدَهُمْ فَتَكُوْنَ مِنَ الظّٰلِمِيْنَ ٥٢

walā
وَلَا
और ना
taṭrudi
تَطْرُدِ
आप दूर कीजिए
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जो
yadʿūna
يَدْعُونَ
पुकारते हैं
rabbahum
رَبَّهُم
अपने रब को
bil-ghadati
بِٱلْغَدَوٰةِ
सुबह
wal-ʿashiyi
وَٱلْعَشِىِّ
और शाम
yurīdūna
يُرِيدُونَ
वो चाहते हैं
wajhahu
وَجْهَهُۥۖ
चेहरा उसका
مَا
नहीं
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
min
مِنْ
उनके हिसाब में से
ḥisābihim
حِسَابِهِم
उनके हिसाब में से
min
مِّن
कोई चीज़
shayin
شَىْءٍ
कोई चीज़
wamā
وَمَا
और नहीं
min
مِنْ
आपके हिसाब में से
ḥisābika
حِسَابِكَ
आपके हिसाब में से
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उन पर
min
مِّن
कोई चीज़
shayin
شَىْءٍ
कोई चीज़
fataṭrudahum
فَتَطْرُدَهُمْ
फिर (अगर) आप दूर करेंगे उन्हें
fatakūna
فَتَكُونَ
तो आप हो जाऐंगे
mina
مِنَ
ज़ालिमों में से
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों में से
और जो लोग अपने रब को उसकी ख़ुशी की चाह में प्रातः और सायंकाल पुकारते रहते है, ऐसे लोगों को दूर न करना। उनके हिसाब की तुमपर कुछ भी ज़िम्मेदारी नहीं है और न तुम्हारे हिसाब की उनपर कोई ज़िम्मेदारी है कि तुम उन्हें दूर करो और फिर हो जाओ अत्याचारियों में से ([६] अल-अनाम: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

وَكَذٰلِكَ فَتَنَّا بَعْضَهُمْ بِبَعْضٍ لِّيَقُوْلُوْٓا اَهٰٓؤُلَاۤءِ مَنَّ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ مِّنْۢ بَيْنِنَاۗ اَلَيْسَ اللّٰهُ بِاَعْلَمَ بِالشّٰكِرِيْنَ ٥٣

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
fatannā
فَتَنَّا
आज़माया हमने
baʿḍahum
بَعْضَهُم
उनके बाज़ को
bibaʿḍin
بِبَعْضٍ
साथ बाज़ के
liyaqūlū
لِّيَقُولُوٓا۟
ताकि वो कहें
ahāulāi
أَهَٰٓؤُلَآءِ
क्या ये हैं वो लोग
manna
مَنَّ
एहसान किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalayhim
عَلَيْهِم
जिन पर
min
مِّنۢ
हमारे दर्मियान में से
bayninā
بَيْنِنَآۗ
हमारे दर्मियान में से
alaysa
أَلَيْسَ
क्या नहीं है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bi-aʿlama
بِأَعْلَمَ
ख़ूब जानने वाला
bil-shākirīna
بِٱلشَّٰكِرِينَ
शुक्र करने वालों को
और इसी प्रकार हमने इनमें से एक को दूसरे के द्वारा आज़माइश में डाला, ताकि वे कहें, 'क्या यही वे लोग है, जिनपर अल्लाह न हममें से चुनकर एहसान किया है ?' - क्या अल्लाह कृतज्ञ लोगों से भली-भाँति परिचित नहीं है? ([६] अल-अनाम: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

وَاِذَا جَاۤءَكَ الَّذِيْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِاٰيٰتِنَا فَقُلْ سَلٰمٌ عَلَيْكُمْ كَتَبَ رَبُّكُمْ عَلٰى نَفْسِهِ الرَّحْمَةَۙ اَنَّهٗ مَنْ عَمِلَ مِنْكُمْ سُوْۤءًاۢ بِجَهَالَةٍ ثُمَّ تَابَ مِنْۢ بَعْدِهٖ وَاَصْلَحَ فَاَنَّهٗ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٥٤

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
jāaka
جَآءَكَ
आऐं आपके पास
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
ईमान लाते हैं
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात पर
faqul
فَقُلْ
पस कह दीजिए
salāmun
سَلَٰمٌ
सलाम हो
ʿalaykum
عَلَيْكُمْۖ
तुम पर
kataba
كَتَبَ
लिख दी
rabbukum
رَبُّكُمْ
तुम्हारे रब ने
ʿalā
عَلَىٰ
अपने नफ़्स पर
nafsihi
نَفْسِهِ
अपने नफ़्स पर
l-raḥmata
ٱلرَّحْمَةَۖ
रहमत
annahu
أَنَّهُۥ
कि बेशक वो
man
مَنْ
जो
ʿamila
عَمِلَ
अमल करे
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
sūan
سُوٓءًۢا
बुरे
bijahālatin
بِجَهَٰلَةٍ
बवजह जहालत के
thumma
ثُمَّ
फिर
tāba
تَابَ
वो तौबा कर ले
min
مِنۢ
बाद उसके
baʿdihi
بَعْدِهِۦ
बाद उसके
wa-aṣlaḥa
وَأَصْلَحَ
और वो इस्लाह कर ले
fa-annahu
فَأَنَّهُۥ
तो बेशक वो
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
और जब तुम्हारे पास वे लोग आएँ, जो हमारी आयतों को मानते है, तो कहो, 'सलाम हो तुमपर! तुम्हारे रब ने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर लिया है कि तुममें से जो कोई नासमझी से कोई बुराई कर बैठे, फिर उसके बाद पलट आए और अपना सुधार कर तो यह है वह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।' ([६] अल-अनाम: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

وَكَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰيٰتِ وَلِتَسْتَبِيْنَ سَبِيْلُ الْمُجْرِمِيْنَ ࣖ ٥٥

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
nufaṣṣilu
نُفَصِّلُ
हम खोल-खोल कर बयान करते हैं
l-āyāti
ٱلْءَايَٰتِ
आयात को
walitastabīna
وَلِتَسْتَبِينَ
और ताकि वाज़ेह हो जाए
sabīlu
سَبِيلُ
रास्ता
l-muj'rimīna
ٱلْمُجْرِمِينَ
मुजरिमों का
इसी प्रकार हम अपनी आयतें खोल-खोलकर बयान करते है (ताकि तुम हर ज़रूरी बात जान लो) और इसलिए कि अपराधियों का मार्ग स्पष्ट हो जाए ([६] अल-अनाम: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

قُلْ اِنِّيْ نُهِيْتُ اَنْ اَعْبُدَ الَّذِيْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ۗ قُلْ لَّآ اَتَّبِعُ اَهْوَاۤءَكُمْۙ قَدْ ضَلَلْتُ اِذًا وَّمَآ اَنَا۠ مِنَ الْمُهْتَدِيْنَ ٥٦

qul
قُلْ
कह दीजिए
innī
إِنِّى
बेशक मैं
nuhītu
نُهِيتُ
रोका गया हूँ मैं
an
أَنْ
कि
aʿbuda
أَعْبُدَ
मैं इबादत करूँ
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनकी जिन्हें
tadʿūna
تَدْعُونَ
तुम पुकारते हो
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के
qul
قُل
कह दीजिए
لَّآ
नहीं मैं पैरवी करूँगा
attabiʿu
أَتَّبِعُ
नहीं मैं पैरवी करूँगा
ahwāakum
أَهْوَآءَكُمْۙ
तुम्हारी ख़्वाहिशात की
qad
قَدْ
तहक़ीक़
ḍalaltu
ضَلَلْتُ
मैं भटक गया
idhan
إِذًا
तब
wamā
وَمَآ
और नहीं (हूँगा)
anā
أَنَا۠
मैं
mina
مِنَ
हिदायत पाने वालों में से
l-muh'tadīna
ٱلْمُهْتَدِينَ
हिदायत पाने वालों में से
कह दो, 'तुम लोग अल्लाह से हटकर जिन्हें पुकारते हो, उनकी बन्दगी करने से मुझे रोका गया है।' कहो, 'मैं तुम्हारी इच्छाओं का अनुपालन नहीं करता, क्योंकि तब तो मैं मार्ग से भटक गया और मार्ग पानेवालों में से न रहा।' ([६] अल-अनाम: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

قُلْ اِنِّيْ عَلٰى بَيِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّيْ وَكَذَّبْتُمْ بِهٖۗ مَا عِنْدِيْ مَا تَسْتَعْجِلُوْنَ بِهٖۗ اِنِ الْحُكْمُ اِلَّا لِلّٰهِ ۗيَقُصُّ الْحَقَّ وَهُوَ خَيْرُ الْفَاصِلِيْنَ ٥٧

qul
قُلْ
कह दीजिए
innī
إِنِّى
बेशक मैं
ʿalā
عَلَىٰ
एक वाज़ेह दलील पर हूँ
bayyinatin
بَيِّنَةٍ
एक वाज़ेह दलील पर हूँ
min
مِّن
अपने रब की तरफ़ से
rabbī
رَّبِّى
अपने रब की तरफ़ से
wakadhabtum
وَكَذَّبْتُم
और झुठलाया तुमने
bihi
بِهِۦۚ
उसे
مَا
नहीं
ʿindī
عِندِى
मेरे पास
مَا
वो जो
tastaʿjilūna
تَسْتَعْجِلُونَ
तुम जल्द तलब कर रहे हो
bihi
بِهِۦٓۚ
उसको
ini
إِنِ
नहीं
l-ḥuk'mu
ٱلْحُكْمُ
हुक्म
illā
إِلَّا
मगर
lillahi
لِلَّهِۖ
अल्लाह ही का
yaquṣṣu
يَقُصُّ
वो बयान करता है
l-ḥaqa
ٱلْحَقَّۖ
हक़ को
wahuwa
وَهُوَ
और वो
khayru
خَيْرُ
बेहतर है
l-fāṣilīna
ٱلْفَٰصِلِينَ
सब फ़ैसला करने वालों से
कह दो, 'मैं अपने रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण पर क़ायम हूँ और तुमने उसे झुठला दिया है। जिस चीज़ के लिए तुम जल्दी मचा रहे हो, वह कोई मेरे पास तो नहीं है। निर्णय का सारा अधिकार अल्लाह ही को है, वही सच्ची बात बयान करता है और वही सबसे अच्छा निर्णायक है।' ([६] अल-अनाम: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

قُلْ لَّوْ اَنَّ عِنْدِيْ مَا تَسْتَعْجِلُوْنَ بِهٖ لَقُضِيَ الْاَمْرُ بَيْنِيْ وَبَيْنَكُمْ ۗوَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِالظّٰلِمِيْنَ ٥٨

qul
قُل
कह दीजिए
law
لَّوْ
अगर
anna
أَنَّ
बेशक
ʿindī
عِندِى
मेरे पास (होता)
مَا
वो जो
tastaʿjilūna
تَسْتَعْجِلُونَ
तुम जल्द तलब कर रहे हो
bihi
بِهِۦ
उसे
laquḍiya
لَقُضِىَ
अलबत्ता फ़ैसला कर दिया जाता
l-amru
ٱلْأَمْرُ
मामले का
baynī
بَيْنِى
दर्मियान मेरे
wabaynakum
وَبَيْنَكُمْۗ
और दर्मियान तुम्हारे
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
aʿlamu
أَعْلَمُ
ख़ूब जानता है
bil-ẓālimīna
بِٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
कह दो, 'जिस चीज़ की तुम्हें जल्दी पड़ी हुई है, यदि कहीं वह चीज़ मेरे पास होती तो मेरे और तुम्हारे बीच कभी का फ़ैसला हो चुका होता। और अल्लाह अत्याचारियों को भली-भाती जानता है।' ([६] अल-अनाम: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

۞ وَعِنْدَهٗ مَفَاتِحُ الْغَيْبِ لَا يَعْلَمُهَآ اِلَّا هُوَۗ وَيَعْلَمُ مَا فِى الْبَرِّ وَالْبَحْرِۗ وَمَا تَسْقُطُ مِنْ وَّرَقَةٍ اِلَّا يَعْلَمُهَا وَلَا حَبَّةٍ فِيْ ظُلُمٰتِ الْاَرْضِ وَلَا رَطْبٍ وَّلَا يَابِسٍ اِلَّا فِيْ كِتٰبٍ مُّبِيْنٍ ٥٩

waʿindahu
وَعِندَهُۥ
और उसी के पास हैं
mafātiḥu
مَفَاتِحُ
चाबियाँ
l-ghaybi
ٱلْغَيْبِ
ग़ैब की
لَا
नहीं जानता उन्हें
yaʿlamuhā
يَعْلَمُهَآ
नहीं जानता उन्हें
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَۚ
वो ही
wayaʿlamu
وَيَعْلَمُ
और वो जानता है
مَا
जो
فِى
ख़ुश्की में है
l-bari
ٱلْبَرِّ
ख़ुश्की में है
wal-baḥri
وَٱلْبَحْرِۚ
और समुन्दर में
wamā
وَمَا
और नहीं
tasquṭu
تَسْقُطُ
गिरता
min
مِن
कोई पत्ता
waraqatin
وَرَقَةٍ
कोई पत्ता
illā
إِلَّا
मगर
yaʿlamuhā
يَعْلَمُهَا
वो जानता है उसे
walā
وَلَا
और ना
ḥabbatin
حَبَّةٍ
कोई दाना
فِى
अँधेरों में
ẓulumāti
ظُلُمَٰتِ
अँधेरों में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन के
walā
وَلَا
और ना
raṭbin
رَطْبٍ
कोई तर
walā
وَلَا
और ना
yābisin
يَابِسٍ
कोई ख़ुश्क
illā
إِلَّا
मगर
فِى
एक किताब में है
kitābin
كِتَٰبٍ
एक किताब में है
mubīnin
مُّبِينٍ
वाज़ेह
उसी के पास परोक्ष की कुंजियाँ है, जिन्हें उसके सिवा कोई नहीं जानता। जल और थल में जो कुछ है, उसे वह जानता है। और जो पत्ता भी गिरता है, उसे वह निश्चय ही जानता है। और धरती के अँधेरों में कोई दाना हो और कोई भी आर्द्र (गीली) और शुष्क (सूखी) चीज़ हो, निश्चय ही एक स्पष्ट किताब में मौजूद है ([६] अल-अनाम: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

وَهُوَ الَّذِيْ يَتَوَفّٰىكُمْ بِالَّيْلِ وَيَعْلَمُ مَا جَرَحْتُمْ بِالنَّهَارِ ثُمَّ يَبْعَثُكُمْ فِيْهِ لِيُقْضٰٓى اَجَلٌ مُّسَمًّىۚ ثُمَّ اِلَيْهِ مَرْجِعُكُمْ ثُمَّ يُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ࣖ ٦٠

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जो
yatawaffākum
يَتَوَفَّىٰكُم
फ़ौत करता है तुम्हें
bi-al-layli
بِٱلَّيْلِ
रात को
wayaʿlamu
وَيَعْلَمُ
और वो जानता है
مَا
जो
jaraḥtum
جَرَحْتُم
कमाई करते हो तुम
bil-nahāri
بِٱلنَّهَارِ
दिन को
thumma
ثُمَّ
फिर
yabʿathukum
يَبْعَثُكُمْ
वो उठाता है तुम्हें
fīhi
فِيهِ
उसमें
liyuq'ḍā
لِيُقْضَىٰٓ
ताकि पूरा किया जाए
ajalun
أَجَلٌ
वक़्त
musamman
مُّسَمًّىۖ
मुक़र्रर
thumma
ثُمَّ
फिर
ilayhi
إِلَيْهِ
उसी की तरफ़
marjiʿukum
مَرْجِعُكُمْ
लौटना है तुम्हारा
thumma
ثُمَّ
फिर
yunabbi-ukum
يُنَبِّئُكُم
वो बताएगा तुम्हें
bimā
بِمَا
जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते
और वही है जो रात को तुम्हें मौत देता है और दिन में जो कुछ तुमने किया उसे जानता है। फिर वह इसलिए तुम्हें उठाता है, ताकि निश्चित अवधि पूरा हो जाए; फिर उसी की ओर तुम्हें लौटना है, फिर वह तुम्हें बता देगा जो कुछ तुम करते रहे हो ([६] अल-अनाम: 60)
Tafseer (तफ़सीर )