وَاَنْذِرْ بِهِ الَّذِيْنَ يَخَافُوْنَ اَنْ يُّحْشَرُوْٓا اِلٰى رَبِّهِمْ لَيْسَ لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ وَلِيٌّ وَّلَا شَفِيْعٌ لَّعَلَّهُمْ يَتَّقُوْنَ ٥١
- wa-andhir
- وَأَنذِرْ
- और डराइए
- bihi
- بِهِ
- साथ उसके
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जो
- yakhāfūna
- يَخَافُونَ
- ख़ौफ़ खाते हैं
- an
- أَن
- कि
- yuḥ'sharū
- يُحْشَرُوٓا۟
- वो इकट्ठे किए जाऐंगे
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने रब के
- rabbihim
- رَبِّهِمْۙ
- तरफ़ अपने रब के
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं (होगा)
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- min
- مِّن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦ
- उसके सिवा
- waliyyun
- وَلِىٌّ
- कोई दोस्त
- walā
- وَلَا
- और ना
- shafīʿun
- شَفِيعٌ
- कोई सिफ़ारिशी
- laʿallahum
- لَّعَلَّهُمْ
- ताकि वो
- yattaqūna
- يَتَّقُونَ
- वो बच जाऐं
और तुम इसके द्वारा उन लोगों को सचेत कर दो, जिन्हें इस बात का भय है कि वे अपने रब के पास इस हाल में इकट्ठा किए जाएँगे कि उसके सिवा न तो उसका कोई समर्थक होगा और न कोई सिफ़ारिश करनेवाला, ताकि वे बचें ([६] अल-अनाम: 51)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَطْرُدِ الَّذِيْنَ يَدْعُوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَدٰوةِ وَالْعَشِيِّ يُرِيْدُوْنَ وَجْهَهٗ ۗمَا عَلَيْكَ مِنْ حِسَابِهِمْ مِّنْ شَيْءٍ وَّمَا مِنْ حِسَابِكَ عَلَيْهِمْ مِّنْ شَيْءٍ فَتَطْرُدَهُمْ فَتَكُوْنَ مِنَ الظّٰلِمِيْنَ ٥٢
- walā
- وَلَا
- और ना
- taṭrudi
- تَطْرُدِ
- आप दूर कीजिए
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जो
- yadʿūna
- يَدْعُونَ
- पुकारते हैं
- rabbahum
- رَبَّهُم
- अपने रब को
- bil-ghadati
- بِٱلْغَدَوٰةِ
- सुबह
- wal-ʿashiyi
- وَٱلْعَشِىِّ
- और शाम
- yurīdūna
- يُرِيدُونَ
- वो चाहते हैं
- wajhahu
- وَجْهَهُۥۖ
- चेहरा उसका
- mā
- مَا
- नहीं
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- min
- مِنْ
- उनके हिसाब में से
- ḥisābihim
- حِسَابِهِم
- उनके हिसाब में से
- min
- مِّن
- कोई चीज़
- shayin
- شَىْءٍ
- कोई चीज़
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- min
- مِنْ
- आपके हिसाब में से
- ḥisābika
- حِسَابِكَ
- आपके हिसाब में से
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- min
- مِّن
- कोई चीज़
- shayin
- شَىْءٍ
- कोई चीज़
- fataṭrudahum
- فَتَطْرُدَهُمْ
- फिर (अगर) आप दूर करेंगे उन्हें
- fatakūna
- فَتَكُونَ
- तो आप हो जाऐंगे
- mina
- مِنَ
- ज़ालिमों में से
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों में से
और जो लोग अपने रब को उसकी ख़ुशी की चाह में प्रातः और सायंकाल पुकारते रहते है, ऐसे लोगों को दूर न करना। उनके हिसाब की तुमपर कुछ भी ज़िम्मेदारी नहीं है और न तुम्हारे हिसाब की उनपर कोई ज़िम्मेदारी है कि तुम उन्हें दूर करो और फिर हो जाओ अत्याचारियों में से ([६] अल-अनाम: 52)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ فَتَنَّا بَعْضَهُمْ بِبَعْضٍ لِّيَقُوْلُوْٓا اَهٰٓؤُلَاۤءِ مَنَّ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ مِّنْۢ بَيْنِنَاۗ اَلَيْسَ اللّٰهُ بِاَعْلَمَ بِالشّٰكِرِيْنَ ٥٣
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- fatannā
- فَتَنَّا
- आज़माया हमने
- baʿḍahum
- بَعْضَهُم
- उनके बाज़ को
- bibaʿḍin
- بِبَعْضٍ
- साथ बाज़ के
- liyaqūlū
- لِّيَقُولُوٓا۟
- ताकि वो कहें
- ahāulāi
- أَهَٰٓؤُلَآءِ
- क्या ये हैं वो लोग
- manna
- مَنَّ
- एहसान किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- जिन पर
- min
- مِّنۢ
- हमारे दर्मियान में से
- bayninā
- بَيْنِنَآۗ
- हमारे दर्मियान में से
- alaysa
- أَلَيْسَ
- क्या नहीं है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bi-aʿlama
- بِأَعْلَمَ
- ख़ूब जानने वाला
- bil-shākirīna
- بِٱلشَّٰكِرِينَ
- शुक्र करने वालों को
और इसी प्रकार हमने इनमें से एक को दूसरे के द्वारा आज़माइश में डाला, ताकि वे कहें, 'क्या यही वे लोग है, जिनपर अल्लाह न हममें से चुनकर एहसान किया है ?' - क्या अल्लाह कृतज्ञ लोगों से भली-भाँति परिचित नहीं है? ([६] अल-अनाम: 53)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا جَاۤءَكَ الَّذِيْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِاٰيٰتِنَا فَقُلْ سَلٰمٌ عَلَيْكُمْ كَتَبَ رَبُّكُمْ عَلٰى نَفْسِهِ الرَّحْمَةَۙ اَنَّهٗ مَنْ عَمِلَ مِنْكُمْ سُوْۤءًاۢ بِجَهَالَةٍ ثُمَّ تَابَ مِنْۢ بَعْدِهٖ وَاَصْلَحَ فَاَنَّهٗ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٥٤
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- jāaka
- جَآءَكَ
- आऐं आपके पास
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- ईमान लाते हैं
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी आयात पर
- faqul
- فَقُلْ
- पस कह दीजिए
- salāmun
- سَلَٰمٌ
- सलाम हो
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْۖ
- तुम पर
- kataba
- كَتَبَ
- लिख दी
- rabbukum
- رَبُّكُمْ
- तुम्हारे रब ने
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने नफ़्स पर
- nafsihi
- نَفْسِهِ
- अपने नफ़्स पर
- l-raḥmata
- ٱلرَّحْمَةَۖ
- रहमत
- annahu
- أَنَّهُۥ
- कि बेशक वो
- man
- مَنْ
- जो
- ʿamila
- عَمِلَ
- अमल करे
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- sūan
- سُوٓءًۢا
- बुरे
- bijahālatin
- بِجَهَٰلَةٍ
- बवजह जहालत के
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- tāba
- تَابَ
- वो तौबा कर ले
- min
- مِنۢ
- बाद उसके
- baʿdihi
- بَعْدِهِۦ
- बाद उसके
- wa-aṣlaḥa
- وَأَصْلَحَ
- और वो इस्लाह कर ले
- fa-annahu
- فَأَنَّهُۥ
- तो बेशक वो
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
और जब तुम्हारे पास वे लोग आएँ, जो हमारी आयतों को मानते है, तो कहो, 'सलाम हो तुमपर! तुम्हारे रब ने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर लिया है कि तुममें से जो कोई नासमझी से कोई बुराई कर बैठे, फिर उसके बाद पलट आए और अपना सुधार कर तो यह है वह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।' ([६] अल-अनाम: 54)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰيٰتِ وَلِتَسْتَبِيْنَ سَبِيْلُ الْمُجْرِمِيْنَ ࣖ ٥٥
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- nufaṣṣilu
- نُفَصِّلُ
- हम खोल-खोल कर बयान करते हैं
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात को
- walitastabīna
- وَلِتَسْتَبِينَ
- और ताकि वाज़ेह हो जाए
- sabīlu
- سَبِيلُ
- रास्ता
- l-muj'rimīna
- ٱلْمُجْرِمِينَ
- मुजरिमों का
इसी प्रकार हम अपनी आयतें खोल-खोलकर बयान करते है (ताकि तुम हर ज़रूरी बात जान लो) और इसलिए कि अपराधियों का मार्ग स्पष्ट हो जाए ([६] अल-अनाम: 55)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اِنِّيْ نُهِيْتُ اَنْ اَعْبُدَ الَّذِيْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ۗ قُلْ لَّآ اَتَّبِعُ اَهْوَاۤءَكُمْۙ قَدْ ضَلَلْتُ اِذًا وَّمَآ اَنَا۠ مِنَ الْمُهْتَدِيْنَ ٥٦
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- nuhītu
- نُهِيتُ
- रोका गया हूँ मैं
- an
- أَنْ
- कि
- aʿbuda
- أَعْبُدَ
- मैं इबादत करूँ
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनकी जिन्हें
- tadʿūna
- تَدْعُونَ
- तुम पुकारते हो
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lā
- لَّآ
- नहीं मैं पैरवी करूँगा
- attabiʿu
- أَتَّبِعُ
- नहीं मैं पैरवी करूँगा
- ahwāakum
- أَهْوَآءَكُمْۙ
- तुम्हारी ख़्वाहिशात की
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ḍalaltu
- ضَلَلْتُ
- मैं भटक गया
- idhan
- إِذًا
- तब
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं (हूँगा)
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- mina
- مِنَ
- हिदायत पाने वालों में से
- l-muh'tadīna
- ٱلْمُهْتَدِينَ
- हिदायत पाने वालों में से
कह दो, 'तुम लोग अल्लाह से हटकर जिन्हें पुकारते हो, उनकी बन्दगी करने से मुझे रोका गया है।' कहो, 'मैं तुम्हारी इच्छाओं का अनुपालन नहीं करता, क्योंकि तब तो मैं मार्ग से भटक गया और मार्ग पानेवालों में से न रहा।' ([६] अल-अनाम: 56)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اِنِّيْ عَلٰى بَيِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّيْ وَكَذَّبْتُمْ بِهٖۗ مَا عِنْدِيْ مَا تَسْتَعْجِلُوْنَ بِهٖۗ اِنِ الْحُكْمُ اِلَّا لِلّٰهِ ۗيَقُصُّ الْحَقَّ وَهُوَ خَيْرُ الْفَاصِلِيْنَ ٥٧
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- ʿalā
- عَلَىٰ
- एक वाज़ेह दलील पर हूँ
- bayyinatin
- بَيِّنَةٍ
- एक वाज़ेह दलील पर हूँ
- min
- مِّن
- अपने रब की तरफ़ से
- rabbī
- رَّبِّى
- अपने रब की तरफ़ से
- wakadhabtum
- وَكَذَّبْتُم
- और झुठलाया तुमने
- bihi
- بِهِۦۚ
- उसे
- mā
- مَا
- नहीं
- ʿindī
- عِندِى
- मेरे पास
- mā
- مَا
- वो जो
- tastaʿjilūna
- تَسْتَعْجِلُونَ
- तुम जल्द तलब कर रहे हो
- bihi
- بِهِۦٓۚ
- उसको
- ini
- إِنِ
- नहीं
- l-ḥuk'mu
- ٱلْحُكْمُ
- हुक्म
- illā
- إِلَّا
- मगर
- lillahi
- لِلَّهِۖ
- अल्लाह ही का
- yaquṣṣu
- يَقُصُّ
- वो बयान करता है
- l-ḥaqa
- ٱلْحَقَّۖ
- हक़ को
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- khayru
- خَيْرُ
- बेहतर है
- l-fāṣilīna
- ٱلْفَٰصِلِينَ
- सब फ़ैसला करने वालों से
कह दो, 'मैं अपने रब की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण पर क़ायम हूँ और तुमने उसे झुठला दिया है। जिस चीज़ के लिए तुम जल्दी मचा रहे हो, वह कोई मेरे पास तो नहीं है। निर्णय का सारा अधिकार अल्लाह ही को है, वही सच्ची बात बयान करता है और वही सबसे अच्छा निर्णायक है।' ([६] अल-अनाम: 57)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ لَّوْ اَنَّ عِنْدِيْ مَا تَسْتَعْجِلُوْنَ بِهٖ لَقُضِيَ الْاَمْرُ بَيْنِيْ وَبَيْنَكُمْ ۗوَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِالظّٰلِمِيْنَ ٥٨
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- law
- لَّوْ
- अगर
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- ʿindī
- عِندِى
- मेरे पास (होता)
- mā
- مَا
- वो जो
- tastaʿjilūna
- تَسْتَعْجِلُونَ
- तुम जल्द तलब कर रहे हो
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- laquḍiya
- لَقُضِىَ
- अलबत्ता फ़ैसला कर दिया जाता
- l-amru
- ٱلْأَمْرُ
- मामले का
- baynī
- بَيْنِى
- दर्मियान मेरे
- wabaynakum
- وَبَيْنَكُمْۗ
- और दर्मियान तुम्हारे
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ख़ूब जानता है
- bil-ẓālimīna
- بِٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों को
कह दो, 'जिस चीज़ की तुम्हें जल्दी पड़ी हुई है, यदि कहीं वह चीज़ मेरे पास होती तो मेरे और तुम्हारे बीच कभी का फ़ैसला हो चुका होता। और अल्लाह अत्याचारियों को भली-भाती जानता है।' ([६] अल-अनाम: 58)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَعِنْدَهٗ مَفَاتِحُ الْغَيْبِ لَا يَعْلَمُهَآ اِلَّا هُوَۗ وَيَعْلَمُ مَا فِى الْبَرِّ وَالْبَحْرِۗ وَمَا تَسْقُطُ مِنْ وَّرَقَةٍ اِلَّا يَعْلَمُهَا وَلَا حَبَّةٍ فِيْ ظُلُمٰتِ الْاَرْضِ وَلَا رَطْبٍ وَّلَا يَابِسٍ اِلَّا فِيْ كِتٰبٍ مُّبِيْنٍ ٥٩
- waʿindahu
- وَعِندَهُۥ
- और उसी के पास हैं
- mafātiḥu
- مَفَاتِحُ
- चाबियाँ
- l-ghaybi
- ٱلْغَيْبِ
- ग़ैब की
- lā
- لَا
- नहीं जानता उन्हें
- yaʿlamuhā
- يَعْلَمُهَآ
- नहीं जानता उन्हें
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۚ
- वो ही
- wayaʿlamu
- وَيَعْلَمُ
- और वो जानता है
- mā
- مَا
- जो
- fī
- فِى
- ख़ुश्की में है
- l-bari
- ٱلْبَرِّ
- ख़ुश्की में है
- wal-baḥri
- وَٱلْبَحْرِۚ
- और समुन्दर में
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- tasquṭu
- تَسْقُطُ
- गिरता
- min
- مِن
- कोई पत्ता
- waraqatin
- وَرَقَةٍ
- कोई पत्ता
- illā
- إِلَّا
- मगर
- yaʿlamuhā
- يَعْلَمُهَا
- वो जानता है उसे
- walā
- وَلَا
- और ना
- ḥabbatin
- حَبَّةٍ
- कोई दाना
- fī
- فِى
- अँधेरों में
- ẓulumāti
- ظُلُمَٰتِ
- अँधेरों में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन के
- walā
- وَلَا
- और ना
- raṭbin
- رَطْبٍ
- कोई तर
- walā
- وَلَا
- और ना
- yābisin
- يَابِسٍ
- कोई ख़ुश्क
- illā
- إِلَّا
- मगर
- fī
- فِى
- एक किताब में है
- kitābin
- كِتَٰبٍ
- एक किताब में है
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- वाज़ेह
उसी के पास परोक्ष की कुंजियाँ है, जिन्हें उसके सिवा कोई नहीं जानता। जल और थल में जो कुछ है, उसे वह जानता है। और जो पत्ता भी गिरता है, उसे वह निश्चय ही जानता है। और धरती के अँधेरों में कोई दाना हो और कोई भी आर्द्र (गीली) और शुष्क (सूखी) चीज़ हो, निश्चय ही एक स्पष्ट किताब में मौजूद है ([६] अल-अनाम: 59)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْ يَتَوَفّٰىكُمْ بِالَّيْلِ وَيَعْلَمُ مَا جَرَحْتُمْ بِالنَّهَارِ ثُمَّ يَبْعَثُكُمْ فِيْهِ لِيُقْضٰٓى اَجَلٌ مُّسَمًّىۚ ثُمَّ اِلَيْهِ مَرْجِعُكُمْ ثُمَّ يُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ࣖ ٦٠
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जो
- yatawaffākum
- يَتَوَفَّىٰكُم
- फ़ौत करता है तुम्हें
- bi-al-layli
- بِٱلَّيْلِ
- रात को
- wayaʿlamu
- وَيَعْلَمُ
- और वो जानता है
- mā
- مَا
- जो
- jaraḥtum
- جَرَحْتُم
- कमाई करते हो तुम
- bil-nahāri
- بِٱلنَّهَارِ
- दिन को
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yabʿathukum
- يَبْعَثُكُمْ
- वो उठाता है तुम्हें
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- liyuq'ḍā
- لِيُقْضَىٰٓ
- ताकि पूरा किया जाए
- ajalun
- أَجَلٌ
- वक़्त
- musamman
- مُّسَمًّىۖ
- मुक़र्रर
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- उसी की तरफ़
- marjiʿukum
- مَرْجِعُكُمْ
- लौटना है तुम्हारा
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yunabbi-ukum
- يُنَبِّئُكُم
- वो बताएगा तुम्हें
- bimā
- بِمَا
- जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते
और वही है जो रात को तुम्हें मौत देता है और दिन में जो कुछ तुमने किया उसे जानता है। फिर वह इसलिए तुम्हें उठाता है, ताकि निश्चित अवधि पूरा हो जाए; फिर उसी की ओर तुम्हें लौटना है, फिर वह तुम्हें बता देगा जो कुछ तुम करते रहे हो ([६] अल-अनाम: 60)Tafseer (तफ़सीर )