قُلْ سِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ ثُمَّ انْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُكَذِّبِيْنَ ١١
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- sīrū
- سِيرُوا۟
- चलो फिरो
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- unẓurū
- ٱنظُرُوا۟
- देखो
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- kāna
- كَانَ
- हुआ
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम
- l-mukadhibīna
- ٱلْمُكَذِّبِينَ
- झुठलाने वालों का
कहो, 'धरती में चल-फिरकर देखो कि झुठलानेवालों का क्या परिणाम हुआ!' ([६] अल-अनाम: 11)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ لِّمَنْ مَّا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ قُلْ لِّلّٰهِ ۗ كَتَبَ عَلٰى نَفْسِهِ الرَّحْمَةَ ۗ لَيَجْمَعَنَّكُمْ اِلٰى يَوْمِ الْقِيٰمَةِ لَا رَيْبَ فِيْهِۗ اَلَّذِيْنَ خَسِرُوْٓا اَنْفُسَهُمْ فَهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ١٢
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- liman
- لِّمَن
- किस के लिए है
- mā
- مَّا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۖ
- और ज़मीन में है
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lillahi
- لِّلَّهِۚ
- अल्लाह ही के लिए है
- kataba
- كَتَبَ
- उस ने लिख दी
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने नफ़्स पर
- nafsihi
- نَفْسِهِ
- अपने नफ़्स पर
- l-raḥmata
- ٱلرَّحْمَةَۚ
- रहमत
- layajmaʿannakum
- لَيَجْمَعَنَّكُمْ
- अलबत्ता वो ज़रूर जमा करेगा तुम्हें
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ दिन
- yawmi
- يَوْمِ
- तरफ़ दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- lā
- لَا
- नहीं कोई शक
- rayba
- رَيْبَ
- नहीं कोई शक
- fīhi
- فِيهِۚ
- उसमें
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- khasirū
- خَسِرُوٓا۟
- नुक़सान में डाला
- anfusahum
- أَنفُسَهُمْ
- अपने नफ़्सों को
- fahum
- فَهُمْ
- पस वो
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
कहो, 'आकाशों और धरती में जो कुछ है किसका है?' कह दो, 'अल्लाह ही का है।' उसने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर दिया है। निश्चय ही वह तुम्हें क़ियामत के दिन इकट्ठा करेगा, इसमें कोई सन्देह नहीं है। जिन लोगों ने अपने-आपको घाटे में डाला है, वही है जो ईमान नहीं लाते ([६] अल-अनाम: 12)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَلَهٗ مَا سَكَنَ فِى الَّيْلِ وَالنَّهَارِ ۗوَهُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ١٣
- walahu
- وَلَهُۥ
- और उसी के लिए है
- mā
- مَا
- जो
- sakana
- سَكَنَ
- साकिन है (ठहरा हुआ)
- fī
- فِى
- रात में
- al-layli
- ٱلَّيْلِ
- रात में
- wal-nahāri
- وَٱلنَّهَارِۚ
- और दिन में
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-samīʿu
- ٱلسَّمِيعُ
- खूब सुनने वाला है
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- खूब जानने वाला है
हाँ, उसी का है जो भी रात में ठहरता है और दिन में (गतिशील होता है), और वह सब कुछ सुनता, जानता है ([६] अल-अनाम: 13)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اَغَيْرَ اللّٰهِ اَتَّخِذُ وَلِيًّا فَاطِرِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَهُوَ يُطْعِمُ وَلَا يُطْعَمُ ۗ قُلْ اِنِّيْٓ اُمِرْتُ اَنْ اَكُوْنَ اَوَّلَ مَنْ اَسْلَمَ وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَ ١٤
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- aghayra
- أَغَيْرَ
- क्या सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- attakhidhu
- أَتَّخِذُ
- मैं बना लूँ
- waliyyan
- وَلِيًّا
- कोई दोस्त
- fāṭiri
- فَاطِرِ
- पैदा करने वाला है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन का
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- yuṭ'ʿimu
- يُطْعِمُ
- वो खिलाता है
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yuṭ'ʿamu
- يُطْعَمُۗ
- वो खिलाया जाता
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- umir'tu
- أُمِرْتُ
- हुक्म दिया गया हूँ मैं
- an
- أَنْ
- कि
- akūna
- أَكُونَ
- मैं हो जाऊँ
- awwala
- أَوَّلَ
- सबसे पहला
- man
- مَنْ
- जो
- aslama
- أَسْلَمَۖ
- इस्लाम लाया
- walā
- وَلَا
- और ना
- takūnanna
- تَكُونَنَّ
- हरगिज़ आप हों
- mina
- مِنَ
- मुशरिकीन में से
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन में से
कहो, 'क्या मैं आकाशों और धरती को पैदा करनेवाले अल्लाह के सिवा किसी और को संरक्षक बना लूँ? उसका हाल यह है कि वह खिलाता है और स्वयं नहीं खाता।' कहो, 'मुझे आदेश हुआ है कि सबसे पहले मैं उसके आगे झुक जाऊँ। और (यह कि) तुम बहुदेववादियों में कदापि सम्मिलित न होना।' ([६] अल-अनाम: 14)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اِنِّيْٓ اَخَافُ اِنْ عَصَيْتُ رَبِّيْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيْمٍ ١٥
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- akhāfu
- أَخَافُ
- मैं डरता हूँ
- in
- إِنْ
- अगर
- ʿaṣaytu
- عَصَيْتُ
- नाफ़रमानी की मैंने
- rabbī
- رَبِّى
- अपने रब की
- ʿadhāba
- عَذَابَ
- अज़ाब से
- yawmin
- يَوْمٍ
- बड़े दिन के
- ʿaẓīmin
- عَظِيمٍ
- बड़े दिन के
कहो, 'यदि मैं अपने रब की अवज्ञा करूँ, तो उस स्थिति में मुझे एक बड़े (भयानक) दिन की यातना का डर है।' ([६] अल-अनाम: 15)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ يُّصْرَفْ عَنْهُ يَوْمَىِٕذٍ فَقَدْ رَحِمَهٗ ۗوَذٰلِكَ الْفَوْزُ الْمُبِيْنُ ١٦
- man
- مَّن
- जो कोई
- yuṣ'raf
- يُصْرَفْ
- फेर दिया गया
- ʿanhu
- عَنْهُ
- उस से (अज़ाब)
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- raḥimahu
- رَحِمَهُۥۚ
- उसने रहम किया उस पर
- wadhālika
- وَذَٰلِكَ
- और यही है
- l-fawzu
- ٱلْفَوْزُ
- कामयाबी
- l-mubīnu
- ٱلْمُبِينُ
- खुली/वाज़ेह
उस दिन वह जिसपर से टल गई, उसपर अल्लाह ने दया की, और यही स्पष्ट सफलता है ([६] अल-अनाम: 16)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ يَّمْسَسْكَ اللّٰهُ بِضُرٍّ فَلَا كَاشِفَ لَهٗٓ اِلَّا هُوَ ۗوَاِنْ يَّمْسَسْكَ بِخَيْرٍ فَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ١٧
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yamsaska
- يَمْسَسْكَ
- पहुँचाए आपको
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- biḍurrin
- بِضُرٍّ
- कोई नुक़सान
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- kāshifa
- كَاشِفَ
- कोई दूर करने वाला
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۖ
- वो ही
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yamsaska
- يَمْسَسْكَ
- वो पहुँचाए आपको
- bikhayrin
- بِخَيْرٍ
- कोई भलाई
- fahuwa
- فَهُوَ
- तो वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
और यदि अल्लाह तुम्हें कोई कष्ट पहुँचाए तो उसके अतिरिक्त उसे कोई दूर करनेवाला नहीं है और यदि वह तुम्हें कोई भलाई पहुँचाए तो उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([६] अल-अनाम: 17)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الْقَاهِرُ فَوْقَ عِبَادِهٖۗ وَهُوَ الْحَكِيْمُ الْخَبِيْرُ ١٨
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-qāhiru
- ٱلْقَاهِرُ
- ग़लबा रखने वाला है
- fawqa
- فَوْقَ
- ऊपर
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦۚ
- अपने बन्दों के
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- बहुत हिकमत वाला है
- l-khabīru
- ٱلْخَبِيرُ
- ख़ूब बाख़बर है
उसे अपने बन्दों पर पूर्ण अधिकार प्राप्त है। और वह तत्वदर्शी, ख़बर रखनेवाला है ([६] अल-अनाम: 18)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اَيُّ شَيْءٍ اَكْبَرُ شَهَادَةً ۗ قُلِ اللّٰهُ ۗشَهِيْدٌۢ بَيْنِيْ وَبَيْنَكُمْ ۗوَاُوْحِيَ اِلَيَّ هٰذَا الْقُرْاٰنُ لِاُنْذِرَكُمْ بِهٖ وَمَنْۢ بَلَغَ ۗ اَىِٕنَّكُمْ لَتَشْهَدُوْنَ اَنَّ مَعَ اللّٰهِ اٰلِهَةً اُخْرٰىۗ قُلْ لَّآ اَشْهَدُ ۚ قُلْ اِنَّمَا هُوَ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ وَّاِنَّنِيْ بَرِيْۤءٌ مِّمَّا تُشْرِكُوْنَ ١٩
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ayyu
- أَىُّ
- कौन सी
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ है
- akbaru
- أَكْبَرُ
- सबसे बड़ी
- shahādatan
- شَهَٰدَةًۖ
- गवाही में
- quli
- قُلِ
- कह दीजिए
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह
- shahīdun
- شَهِيدٌۢ
- गवाह है
- baynī
- بَيْنِى
- दर्मियान मेरे
- wabaynakum
- وَبَيْنَكُمْۚ
- और दर्मियान तुम्हारे
- waūḥiya
- وَأُوحِىَ
- और वही किया गया
- ilayya
- إِلَىَّ
- मेरी तरफ़
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- l-qur'ānu
- ٱلْقُرْءَانُ
- क़ुरआन
- li-undhirakum
- لِأُنذِرَكُم
- ताकि मैं डराऊँ तुम्हें
- bihi
- بِهِۦ
- साथ इसके
- waman
- وَمَنۢ
- और जिसे
- balagha
- بَلَغَۚ
- ये पहुँचे
- a-innakum
- أَئِنَّكُمْ
- क्या बेशक तुम
- latashhadūna
- لَتَشْهَدُونَ
- अलबत्ता तुम गवाही देते हो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- ālihatan
- ءَالِهَةً
- इलाह हैं
- ukh'rā
- أُخْرَىٰۚ
- दूसरे
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lā
- لَّآ
- नहीं मैं गवाही देता
- ashhadu
- أَشْهَدُۚ
- नहीं मैं गवाही देता
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- huwa
- هُوَ
- वो
- ilāhun
- إِلَٰهٌ
- इलाह है
- wāḥidun
- وَٰحِدٌ
- एक ही
- wa-innanī
- وَإِنَّنِى
- और बेशक मैं
- barīon
- بَرِىٓءٌ
- बरी-उज़-ज़िम्मा हूँ
- mimmā
- مِّمَّا
- उससे जो
- tush'rikūna
- تُشْرِكُونَ
- तुम शिर्क करते हो
कहो, 'किस चीज़ की गवाही सबसे बड़ी है?' कहो, 'मेरे और तुम्हारे बीच अल्लाह गवाह है। और यह क़ुरआन मेरी ओर वह्यी (प्रकाशना) किया गया है, ताकि मैं इसके द्वारा तुम्हें सचेत कर दूँ। और जिस किसी को यह अल्लाह के साथ दूसरे पूज्य भी है?' तुम कह दो, 'मैं तो इसकी गवाही नहीं देता।' कह दो, 'वह तो बस अकेला पूज्य है। और तुम जो उसका साझी ठहराते हो, उससे मेरा कोई सम्बन्ध नहीं।' ([६] अल-अनाम: 19)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَّذِيْنَ اٰتَيْنٰهُمُ الْكِتٰبَ يَعْرِفُوْنَهٗ كَمَا يَعْرِفُوْنَ اَبْنَاۤءَهُمْۘ اَلَّذِيْنَ خَسِرُوْٓا اَنْفُسَهُمْ فَهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ࣖ ٢٠
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- ātaynāhumu
- ءَاتَيْنَٰهُمُ
- दी हमने उन्हें
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- yaʿrifūnahu
- يَعْرِفُونَهُۥ
- वो पहचानते हैं उसे
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- yaʿrifūna
- يَعْرِفُونَ
- वो पहचानते हैं
- abnāahumu
- أَبْنَآءَهُمُۘ
- अपने बेटों को
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- khasirū
- خَسِرُوٓا۟
- ख़सारे में डाला
- anfusahum
- أَنفُسَهُمْ
- अपने नफ़्सों को
- fahum
- فَهُمْ
- तो वो
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाते
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाते
जिन लोगों को हमने किताब दी है, वे उसे इस प्रकार पहचानते है, जिस प्रकार अपने बेटों को पहचानते है। जिन लोगों ने अपने आपको घाटे में डाला है, वही ईमान नहीं लाते ([६] अल-अनाम: 20)Tafseer (तफ़सीर )