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सूरा अल-अनाम - Page: 17

Al-An'am

(पशु)

१६१

قُلْ اِنَّنِيْ هَدٰىنِيْ رَبِّيْٓ اِلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍ ەۚ دِيْنًا قِيَمًا مِّلَّةَ اِبْرٰهِيْمَ حَنِيْفًاۚ وَمَا كَانَ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَ ١٦١

qul
قُلْ
कह दीजिए
innanī
إِنَّنِى
बेशक मैं
hadānī
هَدَىٰنِى
हिदायत दी मुझे
rabbī
رَبِّىٓ
मेरे रब ने
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ रास्ते
ṣirāṭin
صِرَٰطٍ
तरफ़ रास्ते
mus'taqīmin
مُّسْتَقِيمٍ
सीधे के
dīnan
دِينًا
दीन
qiyaman
قِيَمًا
दुरुस्त की
millata
مِّلَّةَ
जो मिल्लत है
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम की
ḥanīfan
حَنِيفًاۚ
जो यकसू था
wamā
وَمَا
और ना
kāna
كَانَ
था वो
mina
مِنَ
मुशरिकीन में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन में से
कहो, 'मेरे रब ने मुझे सीधा मार्ग दिखा दिया है, बिल्कुल ठीक धर्म, इबराहीम के पंथ की ओर जो सबसे कटकर एक (अल्लाह) का हो गया था और वह बहुदेववादियों में से न था।' ([६] अल-अनाम: 161)
Tafseer (तफ़सीर )
१६२

قُلْ اِنَّ صَلَاتِيْ وَنُسُكِيْ وَمَحْيَايَ وَمَمَاتِيْ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَۙ ١٦٢

qul
قُلْ
कह दीजिए
inna
إِنَّ
बेशक
ṣalātī
صَلَاتِى
मेरी नमाज़
wanusukī
وَنُسُكِى
और मेरी क़ुर्बानी
wamaḥyāya
وَمَحْيَاىَ
और मेरा जीना
wamamātī
وَمَمَاتِى
और मेरा मरना
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
rabbi
رَبِّ
जो रब है
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों का
कहो, 'मेरी नमाज़ और मेरी क़ुरबानी और मेरा जीना और मेरा मरना सब अल्लाह के लिए है, जो सारे संसार का रब है ([६] अल-अनाम: 162)
Tafseer (तफ़सीर )
१६३

لَا شَرِيْكَ لَهٗ ۚوَبِذٰلِكَ اُمِرْتُ وَاَنَا۠ اَوَّلُ الْمُسْلِمِيْنَ ١٦٣

لَا
नहीं कोई शरीक
sharīka
شَرِيكَ
नहीं कोई शरीक
lahu
لَهُۥۖ
उसका
wabidhālika
وَبِذَٰلِكَ
और इसी का
umir'tu
أُمِرْتُ
हुक्म दिया गया हूँ मैं
wa-anā
وَأَنَا۠
और मैं
awwalu
أَوَّلُ
सबसे पहला हूँ
l-mus'limīna
ٱلْمُسْلِمِينَ
मुसलमानों में
'उसका कोई साझी नहीं है। मुझे तो इसी का आदेश मिला है और सबसे पहला मुस्लिम (आज्ञाकारी) मैं हूँ।' ([६] अल-अनाम: 163)
Tafseer (तफ़सीर )
१६४

قُلْ اَغَيْرَ اللّٰهِ اَبْغِيْ رَبًّا وَّهُوَ رَبُّ كُلِّ شَيْءٍۗ وَلَا تَكْسِبُ كُلُّ نَفْسٍ اِلَّا عَلَيْهَاۚ وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِّزْرَ اُخْرٰىۚ ثُمَّ اِلٰى رَبِّكُمْ مَّرْجِعُكُمْ فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ فِيْهِ تَخْتَلِفُوْنَ ١٦٤

qul
قُلْ
कह दीजिए
aghayra
أَغَيْرَ
क्या सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
abghī
أَبْغِى
मैं तलाश करूँ
rabban
رَبًّا
कोई रब
wahuwa
وَهُوَ
हालाँकि वो
rabbu
رَبُّ
रब है
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍۚ
चीज़ का
walā
وَلَا
और नहीं
taksibu
تَكْسِبُ
कमाता
kullu
كُلُّ
कोई नफ़्स
nafsin
نَفْسٍ
कोई नफ़्स
illā
إِلَّا
मगर
ʿalayhā
عَلَيْهَاۚ
उसी पर है (वबाल)
walā
وَلَا
और नहीं
taziru
تَزِرُ
बोझ उठाएगी
wāziratun
وَازِرَةٌ
कोई बोझ उठाने वाली
wiz'ra
وِزْرَ
बोझ
ukh'rā
أُخْرَىٰۚ
दूसरी का
thumma
ثُمَّ
फिर
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
rabbikum
رَبِّكُم
तरफ़ अपने रब के
marjiʿukum
مَّرْجِعُكُمْ
लौटना है तुम्हारा
fayunabbi-ukum
فَيُنَبِّئُكُم
फिर वो बताएगा तुम्हें
bimā
بِمَا
वो जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
fīhi
فِيهِ
जिस में
takhtalifūna
تَخْتَلِفُونَ
तुम इख़्तिलाफ़ करते
कहो, 'क्या मैं अल्लाह से भिन्न कोई और रब ढूढूँ, जबकि हर चीज़ का रब वही है!' और यह कि प्रत्येक व्यक्ति जो कुछ कमाता है, उसका फल वही भोगेगा; कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ नहीं उठाएगा। फिर तुम्हें अपने रब की ओर लौटकर जाना है। उस समय वह तुम्हें बता देगा, जिसमें परस्पर तुम्हारा मतभेद और झगड़ा था ([६] अल-अनाम: 164)
Tafseer (तफ़सीर )
१६५

وَهُوَ الَّذِيْ جَعَلَكُمْ خَلٰۤىِٕفَ الْاَرْضِ وَرَفَعَ بَعْضَكُمْ فَوْقَ بَعْضٍ دَرَجٰتٍ لِّيَبْلُوَكُمْ فِيْ مَآ اٰتٰىكُمْۗ اِنَّ رَبَّكَ سَرِيْعُ الْعِقَابِۖ وَاِنَّهٗ لَغَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ࣖ ١٦٥

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
jaʿalakum
جَعَلَكُمْ
बनाया तुम्हें
khalāifa
خَلَٰٓئِفَ
जानशीन
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन का
warafaʿa
وَرَفَعَ
और बुलन्द किया
baʿḍakum
بَعْضَكُمْ
तुम्हारे बाज़ को
fawqa
فَوْقَ
ऊपर
baʿḍin
بَعْضٍ
बाज़ के
darajātin
دَرَجَٰتٍ
दरजात में
liyabluwakum
لِّيَبْلُوَكُمْ
ताकि वो आज़माए तुम्हें
فِى
उसमें जो
مَآ
उसमें जो
ātākum
ءَاتَىٰكُمْۗ
उसने दिया तुम्हें
inna
إِنَّ
बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
sarīʿu
سَرِيعُ
जल्द देने वाला है
l-ʿiqābi
ٱلْعِقَابِ
सज़ा
wa-innahu
وَإِنَّهُۥ
और बेशक वो
laghafūrun
لَغَفُورٌ
अलबत्ता बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌۢ
बहुत रहम करने वाला है
वही है जिसने तुम्हें धरती में धरती में ख़लीफ़ा (अधिकारी, उत्ताराधिकारी) बनाया और तुममें से कुछ लोगों के दर्जे कुछ लोगों की अपेक्षा ऊँचे रखे, ताकि जो कुछ उसने तुमको दिया है उसमें वह तम्हारी ले। निस्संदेह तुम्हारा रब जल्द सज़ा देनेवाला है। और निश्चय ही वही बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([६] अल-अनाम: 165)
Tafseer (तफ़सीर )