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सूरा अल-अनाम - Page: 15

Al-An'am

(पशु)

१४१

۞ وَهُوَ الَّذِيْٓ اَنْشَاَ جَنّٰتٍ مَّعْرُوْشٰتٍ وَّغَيْرَ مَعْرُوْشٰتٍ وَّالنَّخْلَ وَالزَّرْعَ مُخْتَلِفًا اُكُلُهٗ وَالزَّيْتُوْنَ وَالرُّمَّانَ مُتَشَابِهًا وَّغَيْرَ مُتَشَابِهٍۗ كُلُوْا مِنْ ثَمَرِهٖٓ اِذَآ اَثْمَرَ وَاٰتُوْا حَقَّهٗ يَوْمَ حَصَادِهٖۖ وَلَا تُسْرِفُوْا ۗاِنَّهٗ لَا يُحِبُّ الْمُسْرِفِيْنَۙ ١٤١

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِىٓ
जिसने
ansha-a
أَنشَأَ
पैदा किए
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ात
maʿrūshātin
مَّعْرُوشَٰتٍ
छतरियों पर चढ़ाए हुए
waghayra
وَغَيْرَ
और बग़ैर
maʿrūshātin
مَعْرُوشَٰتٍ
छतरियों पर चढ़ाए हुए
wal-nakhla
وَٱلنَّخْلَ
और खजूर के दरख़्त
wal-zarʿa
وَٱلزَّرْعَ
और खेती
mukh'talifan
مُخْتَلِفًا
मुख़्तलिफ़ हैं
ukuluhu
أُكُلُهُۥ
फल उसके
wal-zaytūna
وَٱلزَّيْتُونَ
और ज़ैतून
wal-rumāna
وَٱلرُّمَّانَ
और अनार
mutashābihan
مُتَشَٰبِهًا
आपस में मिलते-जुलते
waghayra
وَغَيْرَ
और ना
mutashābihin
مُتَشَٰبِهٍۚ
मिलते-जुलते
kulū
كُلُوا۟
खाओ
min
مِن
उसके फल में से
thamarihi
ثَمَرِهِۦٓ
उसके फल में से
idhā
إِذَآ
जब
athmara
أَثْمَرَ
वो फल लाए
waātū
وَءَاتُوا۟
और दो
ḥaqqahu
حَقَّهُۥ
हक़ उसका
yawma
يَوْمَ
दिन
ḥaṣādihi
حَصَادِهِۦۖ
उसकी कटाई के
walā
وَلَا
और ना
tus'rifū
تُسْرِفُوٓا۟ۚ
तुम इसराफ़ करो
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
لَا
नहीं वो पसंद करता
yuḥibbu
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
l-mus'rifīna
ٱلْمُسْرِفِينَ
इसराफ़ करने वालों को
और वही है जिसने बाग़ पैदा किए; कुछ जालियों पर चढ़ाए जाते है और कुछ नहीं चढ़ाए जाते और खजूर और खेती भी जिनकी पैदावार विभिन्न प्रकार की होती है, और ज़ैतून और अनार जो एक-दूसरे से मिलते-जुलते भी है और नहीं भी मिलते है। जब वह फल दे, तो उसका फल खाओ और उसका हक़ अदा करो जो उस (फ़सल) की कटाई के दिन वाजिब होता है। और हद से आगे न बढ़ो, क्योंकि वह हद से आगे बढ़नेवालों को पसन्द नहीं करता ([६] अल-अनाम: 141)
Tafseer (तफ़सीर )
१४२

وَمِنَ الْاَنْعَامِ حَمُوْلَةً وَّفَرْشًا ۗ كُلُوْا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ وَلَا تَتَّبِعُوْا خُطُوٰتِ الشَّيْطٰنِۗ اِنَّهٗ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِيْنٌۙ ١٤٢

wamina
وَمِنَ
और मवेशियों में से हैं
l-anʿāmi
ٱلْأَنْعَٰمِ
और मवेशियों में से हैं
ḥamūlatan
حَمُولَةً
कुछ बोझ उठाने वाले
wafarshan
وَفَرْشًاۚ
और कुछ ज़मीन से लगे हुए
kulū
كُلُوا۟
खाओ
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
razaqakumu
رَزَقَكُمُ
रिज़्क़ दिया तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
walā
وَلَا
और ना
tattabiʿū
تَتَّبِعُوا۟
तुम पैरवी करो
khuṭuwāti
خُطُوَٰتِ
क़दमों की
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِۚ
शैतान के
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
ʿaduwwun
عَدُوٌّ
दुश्मन है
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
और चौपायों में से कुछ बोझ उठानेवाले बड़े और कुछ छोटे जानवर पैदा किए। अल्लाह ने जो कुछ तुम्हें दिया है, उसमें से खाओ और शैतान के क़दमों पर न चलो। निश्चय ही वह तुम्हारा खुला हुआ शत्रु है ([६] अल-अनाम: 142)
Tafseer (तफ़सीर )
१४३

ثَمٰنِيَةَ اَزْوَاجٍۚ مِنَ الضَّأْنِ اثْنَيْنِ وَمِنَ الْمَعْزِ اثْنَيْنِۗ قُلْ ءٰۤالذَّكَرَيْنِ حَرَّمَ اَمِ الْاُنْثَيَيْنِ اَمَّا اشْتَمَلَتْ عَلَيْهِ اَرْحَامُ الْاُنْثَيَيْنِۗ نَبِّئُوْنِيْ بِعِلْمٍ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ١٤٣

thamāniyata
ثَمَٰنِيَةَ
आठ
azwājin
أَزْوَٰجٍۖ
क़िस्में हैं
mina
مِّنَ
भेड़ में से
l-ḍani
ٱلضَّأْنِ
भेड़ में से
ith'nayni
ٱثْنَيْنِ
दो
wamina
وَمِنَ
और बकरी में से
l-maʿzi
ٱلْمَعْزِ
और बकरी में से
ith'nayni
ٱثْنَيْنِۗ
दो
qul
قُلْ
कह दीजिए
āldhakarayni
ءَآلذَّكَرَيْنِ
क्या दो नर
ḥarrama
حَرَّمَ
उसने हराम किए
ami
أَمِ
या
l-unthayayni
ٱلْأُنثَيَيْنِ
दो मादा
ammā
أَمَّا
या वो जो
ish'tamalat
ٱشْتَمَلَتْ
मुश्तमिल हैं
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
arḥāmu
أَرْحَامُ
रहम
l-unthayayni
ٱلْأُنثَيَيْنِۖ
दोनों मादा के
nabbiūnī
نَبِّـُٔونِى
बताओ मुझे
biʿil'min
بِعِلْمٍ
साथ इल्म के
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
ṣādiqīna
صَٰدِقِينَ
सच्चे
आठ नर-मादा पैदा किए - दो भेड़ की जाति से और दो बकरी की जाति से - कहो, 'क्या उसने दोनों नर हराम किए है या दोनों मादा को? या उसको जो इन दोनों मादा के पेट में हो? किसी ज्ञान के आधार पर मुझे बताओ, यदि तुम सच्चे हो।' ([६] अल-अनाम: 143)
Tafseer (तफ़सीर )
१४४

وَمِنَ الْاِبِلِ اثْنَيْنِ وَمِنَ الْبَقَرِ اثْنَيْنِۗ قُلْ ءٰۤالذَّكَرَيْنِ حَرَّمَ اَمِ الْاُنْثَيَيْنِ اَمَّا اشْتَمَلَتْ عَلَيْهِ اَرْحَامُ الْاُنْثَيَيْنِۗ اَمْ كُنْتُمْ شُهَدَاۤءَ اِذْ وَصّٰىكُمُ اللّٰهُ بِهٰذَاۚ فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا لِّيُضِلَّ النَّاسَ بِغَيْرِ عِلْمٍۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ࣖ ١٤٤

wamina
وَمِنَ
और ऊँट में से
l-ibili
ٱلْإِبِلِ
और ऊँट में से
ith'nayni
ٱثْنَيْنِ
दो
wamina
وَمِنَ
और गाय में से
l-baqari
ٱلْبَقَرِ
और गाय में से
ith'nayni
ٱثْنَيْنِۗ
दो
qul
قُلْ
कह दीजिए
āldhakarayni
ءَآلذَّكَرَيْنِ
क्या दो नर
ḥarrama
حَرَّمَ
उसने हराम किए
ami
أَمِ
या
l-unthayayni
ٱلْأُنثَيَيْنِ
दो मादा
ammā
أَمَّا
या वो जो
ish'tamalat
ٱشْتَمَلَتْ
मुश्तमिल हैं
ʿalayhi
عَلَيْهِ
जिस पर
arḥāmu
أَرْحَامُ
रहम
l-unthayayni
ٱلْأُنثَيَيْنِۖ
दोनों मादा के
am
أَمْ
या
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
shuhadāa
شُهَدَآءَ
गवाह
idh
إِذْ
जब
waṣṣākumu
وَصَّىٰكُمُ
ताकीद की तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
bihādhā
بِهَٰذَاۚ
उसकी
faman
فَمَنْ
तो कौन
aẓlamu
أَظْلَمُ
बड़ा ज़ालिम है
mimmani
مِمَّنِ
उस से जो
if'tarā
ٱفْتَرَىٰ
गढ़ ले
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
kadhiban
كَذِبًا
झूठ
liyuḍilla
لِّيُضِلَّ
ताकि वो भटका दे
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ʿil'min
عِلْمٍۗ
इल्म के
inna
إِنَّ
बेशक वो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नही वो हिदायत देता
yahdī
يَهْدِى
नही वो हिदायत देता
l-qawma
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों को
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
जो ज़ालिम हैं
और दो ऊँट की जाति से और दो गाय की जाति से, कहो, 'क्या उसने दोनों नर हराम किए है या दोनों मादा को? या उसको जो इन दोनों मादा के पेट में हो? या, तुम उपस्थित थे, जब अल्लाह ने तुम्हें इसका आदेश दिया था? फिर उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जो लोगों को पथभ्रष्ट करने के लिए अज्ञानता-पूर्वक अल्लाह पर झूठ घड़े? निश्चय ही, अल्लाह अत्याचारी लोगों को मार्ग नहीं दिखाता।' ([६] अल-अनाम: 144)
Tafseer (तफ़सीर )
१४५

قُلْ لَّآ اَجِدُ فِيْ مَآ اُوْحِيَ اِلَيَّ مُحَرَّمًا عَلٰى طَاعِمٍ يَّطْعَمُهٗٓ اِلَّآ اَنْ يَّكُوْنَ مَيْتَةً اَوْ دَمًا مَّسْفُوْحًا اَوْ لَحْمَ خِنْزِيْرٍ فَاِنَّهٗ رِجْسٌ اَوْ فِسْقًا اُهِلَّ لِغَيْرِ اللّٰهِ بِهٖۚ فَمَنِ اضْطُرَّ غَيْرَ بَاغٍ وَّلَا عَادٍ فَاِنَّ رَبَّكَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ١٤٥

qul
قُل
कह दीजिए
لَّآ
नही मैं पाता
ajidu
أَجِدُ
नही मैं पाता
فِى
उससे जो
مَآ
उससे जो
ūḥiya
أُوحِىَ
वही की गई
ilayya
إِلَىَّ
मेरी तरफ़
muḥarraman
مُحَرَّمًا
हराम की गई (कोई चीज़)
ʿalā
عَلَىٰ
किसी खाने वाले पर
ṭāʿimin
طَاعِمٍ
किसी खाने वाले पर
yaṭʿamuhu
يَطْعَمُهُۥٓ
जिसे वो खाए
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yakūna
يَكُونَ
वो हो
maytatan
مَيْتَةً
मुरदार
aw
أَوْ
या
daman
دَمًا
ख़ून
masfūḥan
مَّسْفُوحًا
बहाया हुआ
aw
أَوْ
या
laḥma
لَحْمَ
गोश्त
khinzīrin
خِنزِيرٍ
ख़िन्ज़ीर का
fa-innahu
فَإِنَّهُۥ
तो बेशक वो
rij'sun
رِجْسٌ
नापाक है
aw
أَوْ
या (हो वो)
fis'qan
فِسْقًا
नाफ़रमानी
uhilla
أُهِلَّ
कि पुकारा गया
lighayri
لِغَيْرِ
वास्ते ग़ैर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
bihi
بِهِۦۚ
जिसे
famani
فَمَنِ
तो जो कोई
uḍ'ṭurra
ٱضْطُرَّ
मजबूर किया गया
ghayra
غَيْرَ
ना
bāghin
بَاغٍ
सरकशी करने वाला है
walā
وَلَا
और ना
ʿādin
عَادٍ
हद से बढ़ने वाला
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
कह दो, 'जो कुछ मेरी ओर प्रकाशना की गई है, उसमें तो मैं नहीं पाता कि किसी खानेवाले पर उसका कोई खाना हराम किया गया हो, सिवाय इसके लिए वह मुरदार हो, यह बहता हुआ रक्त हो या ,सुअर का मांस हो - कि वह निश्चय ही नापाक है - या वह चीज़ जो मर्यादा से हटी हुई हो, जिसपर अल्लाह के अतिरिक्त किसी और का नाम लिया गया हो। इसपर भी जो बहुत विवश और लाचार हो जाए; परन्तु वह अवज्ञाकारी न हो और न हद से आगे बढ़नेवाला हो, तो निश्चय ही तुम्हारा रब अत्यन्त क्षमाशील, दयाबान है।' ([६] अल-अनाम: 145)
Tafseer (तफ़सीर )
१४६

وَعَلَى الَّذِيْنَ هَادُوْا حَرَّمْنَا كُلَّ ذِيْ ظُفُرٍۚ وَمِنَ الْبَقَرِ وَالْغَنَمِ حَرَّمْنَا عَلَيْهِمْ شُحُوْمَهُمَآ اِلَّا مَا حَمَلَتْ ظُهُوْرُهُمَآ اَوِ الْحَوَايَآ اَوْ مَا اخْتَلَطَ بِعَظْمٍۗ ذٰلِكَ جَزَيْنٰهُمْ بِبَغْيِهِمْۚ وَاِنَّا لَصٰدِقُوْنَ ١٤٦

waʿalā
وَعَلَى
और उन लोगों पर जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
और उन लोगों पर जो
hādū
هَادُوا۟
यहूदी बन गए
ḥarramnā
حَرَّمْنَا
हराम कर दिया हमने
kulla
كُلَّ
हर
dhī
ذِى
नाख़ून वाला (जानवर)
ẓufurin
ظُفُرٍۖ
नाख़ून वाला (जानवर)
wamina
وَمِنَ
और गाय में से
l-baqari
ٱلْبَقَرِ
और गाय में से
wal-ghanami
وَٱلْغَنَمِ
और बकरी में से
ḥarramnā
حَرَّمْنَا
हराम की हमने
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
shuḥūmahumā
شُحُومَهُمَآ
चरबियाँ इन दोनों की
illā
إِلَّا
मगर
مَا
जो
ḥamalat
حَمَلَتْ
उठाया हो
ẓuhūruhumā
ظُهُورُهُمَآ
उन दोनों की पुश्तों ने
awi
أَوِ
या
l-ḥawāyā
ٱلْحَوَايَآ
आँतों ने
aw
أَوْ
या
مَا
जो
ikh'talaṭa
ٱخْتَلَطَ
मिल जाए
biʿaẓmin
بِعَظْمٍۚ
साथ हड्डी के
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
jazaynāhum
جَزَيْنَٰهُم
बदला दिया हमने उन्हें
bibaghyihim
بِبَغْيِهِمْۖ
बवजह उनकी सरकशी के
wa-innā
وَإِنَّا
और बेशक हम
laṣādiqūna
لَصَٰدِقُونَ
अलबत्ता सच्चे हैं
और उन लोगों के लिए जो यहूदी हुए हमने नाख़ूनवाला जानवर हराम किया और गाय और बकरी में से इन दोनों की चरबियाँ उनके लिए हराम कर दी थीं, सिवाय उस (चर्बी) के जो उन दोनों की पीठों या आँखों से लगी हुई या हड़्डी से मिली हुई हो। यह बात ध्यान में रखो। हमने उन्हें उनकी सरकशी का बदला दिया था और निश्चय ही हम सच्चे है ([६] अल-अनाम: 146)
Tafseer (तफ़सीर )
१४७

فَاِنْ كَذَّبُوْكَ فَقُلْ رَّبُّكُمْ ذُوْ رَحْمَةٍ وَّاسِعَةٍۚ وَلَا يُرَدُّ بَأْسُهٗ عَنِ الْقَوْمِ الْمُجْرِمِيْنَ ١٤٧

fa-in
فَإِن
फिर अगर
kadhabūka
كَذَّبُوكَ
वो झुठलाऐं आपको
faqul
فَقُل
तो कह दीजिए
rabbukum
رَّبُّكُمْ
रब तुम्हारा
dhū
ذُو
वसीअ रहमत वाला है
raḥmatin
رَحْمَةٍ
वसीअ रहमत वाला है
wāsiʿatin
وَٰسِعَةٍ
वसीअ रहमत वाला है
walā
وَلَا
और नहीं
yuraddu
يُرَدُّ
फेरा जा सकता
basuhu
بَأْسُهُۥ
अज़ाब उसका
ʿani
عَنِ
उन लोगों से
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
उन लोगों से
l-muj'rimīna
ٱلْمُجْرِمِينَ
जो मुजरिम हैं
फिर यदि वे तुम्हें झुठलाएँ तो कह दो, 'तुम्हारा रब व्यापक दयालुतावाला है और अपराधियों से उसकी यातना नहीं फिरती।' ([६] अल-अनाम: 147)
Tafseer (तफ़सीर )
१४८

سَيَقُوْلُ الَّذِيْنَ اَشْرَكُوْا لَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ مَآ اَشْرَكْنَا وَلَآ اٰبَاۤؤُنَا وَلَا حَرَّمْنَا مِنْ شَيْءٍۗ كَذٰلِكَ كَذَّبَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ حَتّٰى ذَاقُوْا بَأْسَنَاۗ قُلْ هَلْ عِنْدَكُمْ مِّنْ عِلْمٍ فَتُخْرِجُوْهُ لَنَاۗ اِنْ تَتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنْ اَنْتُمْ اِلَّا تَخْرُصُوْنَ ١٤٨

sayaqūlu
سَيَقُولُ
अनक़रीब कहेंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
ashrakū
أَشْرَكُوا۟
शिर्क किया
law
لَوْ
अगर
shāa
شَآءَ
चाहता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
مَآ
ना
ashraknā
أَشْرَكْنَا
शिर्क करते हम
walā
وَلَآ
और ना
ābāunā
ءَابَآؤُنَا
आबा ओ अजदाद हमारे
walā
وَلَا
और ना
ḥarramnā
حَرَّمْنَا
हराम करते हम
min
مِن
कोई चीज़
shayin
شَىْءٍۚ
कोई चीज़
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
kadhaba
كَذَّبَ
झुठलाया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्होंने जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْ
उनसे पहले थे
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
dhāqū
ذَاقُوا۟
उन्होंने चख लिया
basanā
بَأْسَنَاۗ
अज़ाब हमारा
qul
قُلْ
कह दीजिए
hal
هَلْ
क्या है
ʿindakum
عِندَكُم
पास तुम्हारे
min
مِّنْ
कोई इल्म
ʿil'min
عِلْمٍ
कोई इल्म
fatukh'rijūhu
فَتُخْرِجُوهُ
पस तुम निकालो उसे
lanā
لَنَآۖ
हमारे लिए
in
إِن
नहीं
tattabiʿūna
تَتَّبِعُونَ
तुम पैरवी करते
illā
إِلَّا
मगर
l-ẓana
ٱلظَّنَّ
ज़न/गुमान की
wa-in
وَإِنْ
और नहीं
antum
أَنتُمْ
तुम
illā
إِلَّا
मगर
takhruṣūna
تَخْرُصُونَ
तुम क़यास आराइयाँ करते
बहुदेववादी कहेंगे, 'यदि अल्लाह चाहता तो न हम साझीदार ठहराते और न हमारे पूर्वज ही; और न हम किसी चीज़ को (बिना अल्लाह के आदेश के) हराम ठहराते।' ऐसे ही उनसे पहले के लोगों ने भी झुठलाया था, यहाँ तक की उन्हें हमारी यातना का मज़ा चखना पड़ा। कहो, 'क्या तुम्हारे पास कोई ज्ञान है कि उसे हमारे पास पेश करो? तुम लोग केवल गुमान पर चलते हो और निरे अटकल से काम लेते हो।' ([६] अल-अनाम: 148)
Tafseer (तफ़सीर )
१४९

قُلْ فَلِلّٰهِ الْحُجَّةُ الْبَالِغَةُۚ فَلَوْ شَاۤءَ لَهَدٰىكُمْ اَجْمَعِيْنَ ١٤٩

qul
قُلْ
कह दीजिए
falillahi
فَلِلَّهِ
पस अल्लाह ही के लिए है
l-ḥujatu
ٱلْحُجَّةُ
हुज्जत
l-bālighatu
ٱلْبَٰلِغَةُۖ
पहुँचने वाली
falaw
فَلَوْ
फिर अगर
shāa
شَآءَ
वो चाहता
lahadākum
لَهَدَىٰكُمْ
अलबत्ता हिदायत दे देता तुम्हें
ajmaʿīna
أَجْمَعِينَ
सबके-सबको
कह दो, 'पूर्ण तर्क तो अल्लाह ही का है। अतः यदि वह चाहता तो तुम सबको सीधा मार्ग दिखा देता।' ([६] अल-अनाम: 149)
Tafseer (तफ़सीर )
१५०

قُلْ هَلُمَّ شُهَدَاۤءَكُمُ الَّذِيْنَ يَشْهَدُوْنَ اَنَّ اللّٰهَ حَرَّمَ هٰذَاۚ فَاِنْ شَهِدُوْا فَلَا تَشْهَدْ مَعَهُمْۚ وَلَا تَتَّبِعْ اَهْوَاۤءَ الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَالَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ وَهُمْ بِرَبِّهِمْ يَعْدِلُوْنَ ࣖ ١٥٠

qul
قُلْ
कह दीजिए
halumma
هَلُمَّ
हाज़िर करो
shuhadāakumu
شُهَدَآءَكُمُ
अपने गवाहों को
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जो
yashhadūna
يَشْهَدُونَ
गवाही देते हैं
anna
أَنَّ
कि बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
ḥarrama
حَرَّمَ
हराम किया है
hādhā
هَٰذَاۖ
उसे
fa-in
فَإِن
फिर अगर
shahidū
شَهِدُوا۟
वो गवाही दे दें
falā
فَلَا
तो ना
tashhad
تَشْهَدْ
आप गवाही दें
maʿahum
مَعَهُمْۚ
साथ उनके
walā
وَلَا
और ना
tattabiʿ
تَتَّبِعْ
आप पैरवी करें
ahwāa
أَهْوَآءَ
ख़्वाहिशात की
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनकी जिन्होंने
kadhabū
كَذَّبُوا۟
झुठलाया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात को
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और (ना) उनकी जो
لَا
नहीं वो ईमान लाते
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते
bil-ākhirati
بِٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत पर
wahum
وَهُم
और वो
birabbihim
بِرَبِّهِمْ
साथ अपने रब के
yaʿdilūna
يَعْدِلُونَ
वो बराबर क़रार देते हैं
कह दो, 'अपने उन गवाहों को लाओ, जो इसकी गवाही दें कि अल्लाह ने इसे हराम किया है।' फिर यदि वे गवाही दें तो तुम उनके साथ गवाही न देना, औऱ उन लोगों की इच्छाओं का अनुसरण न करना जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और जो आख़िरत को नहीं मानते और (जिनका) हाल यह है कि वे दूसरो को अपने रब के समकक्ष ठहराते है ([६] अल-अनाम: 150)
Tafseer (तफ़सीर )