۞ وَهُوَ الَّذِيْٓ اَنْشَاَ جَنّٰتٍ مَّعْرُوْشٰتٍ وَّغَيْرَ مَعْرُوْشٰتٍ وَّالنَّخْلَ وَالزَّرْعَ مُخْتَلِفًا اُكُلُهٗ وَالزَّيْتُوْنَ وَالرُّمَّانَ مُتَشَابِهًا وَّغَيْرَ مُتَشَابِهٍۗ كُلُوْا مِنْ ثَمَرِهٖٓ اِذَآ اَثْمَرَ وَاٰتُوْا حَقَّهٗ يَوْمَ حَصَادِهٖۖ وَلَا تُسْرِفُوْا ۗاِنَّهٗ لَا يُحِبُّ الْمُسْرِفِيْنَۙ ١٤١
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जिसने
- ansha-a
- أَنشَأَ
- पैदा किए
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात
- maʿrūshātin
- مَّعْرُوشَٰتٍ
- छतरियों पर चढ़ाए हुए
- waghayra
- وَغَيْرَ
- और बग़ैर
- maʿrūshātin
- مَعْرُوشَٰتٍ
- छतरियों पर चढ़ाए हुए
- wal-nakhla
- وَٱلنَّخْلَ
- और खजूर के दरख़्त
- wal-zarʿa
- وَٱلزَّرْعَ
- और खेती
- mukh'talifan
- مُخْتَلِفًا
- मुख़्तलिफ़ हैं
- ukuluhu
- أُكُلُهُۥ
- फल उसके
- wal-zaytūna
- وَٱلزَّيْتُونَ
- और ज़ैतून
- wal-rumāna
- وَٱلرُّمَّانَ
- और अनार
- mutashābihan
- مُتَشَٰبِهًا
- आपस में मिलते-जुलते
- waghayra
- وَغَيْرَ
- और ना
- mutashābihin
- مُتَشَٰبِهٍۚ
- मिलते-जुलते
- kulū
- كُلُوا۟
- खाओ
- min
- مِن
- उसके फल में से
- thamarihi
- ثَمَرِهِۦٓ
- उसके फल में से
- idhā
- إِذَآ
- जब
- athmara
- أَثْمَرَ
- वो फल लाए
- waātū
- وَءَاتُوا۟
- और दो
- ḥaqqahu
- حَقَّهُۥ
- हक़ उसका
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- ḥaṣādihi
- حَصَادِهِۦۖ
- उसकी कटाई के
- walā
- وَلَا
- और ना
- tus'rifū
- تُسْرِفُوٓا۟ۚ
- तुम इसराफ़ करो
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- lā
- لَا
- नहीं वो पसंद करता
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- नहीं वो पसंद करता
- l-mus'rifīna
- ٱلْمُسْرِفِينَ
- इसराफ़ करने वालों को
और वही है जिसने बाग़ पैदा किए; कुछ जालियों पर चढ़ाए जाते है और कुछ नहीं चढ़ाए जाते और खजूर और खेती भी जिनकी पैदावार विभिन्न प्रकार की होती है, और ज़ैतून और अनार जो एक-दूसरे से मिलते-जुलते भी है और नहीं भी मिलते है। जब वह फल दे, तो उसका फल खाओ और उसका हक़ अदा करो जो उस (फ़सल) की कटाई के दिन वाजिब होता है। और हद से आगे न बढ़ो, क्योंकि वह हद से आगे बढ़नेवालों को पसन्द नहीं करता ([६] अल-अनाम: 141)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ الْاَنْعَامِ حَمُوْلَةً وَّفَرْشًا ۗ كُلُوْا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ وَلَا تَتَّبِعُوْا خُطُوٰتِ الشَّيْطٰنِۗ اِنَّهٗ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِيْنٌۙ ١٤٢
- wamina
- وَمِنَ
- और मवेशियों में से हैं
- l-anʿāmi
- ٱلْأَنْعَٰمِ
- और मवेशियों में से हैं
- ḥamūlatan
- حَمُولَةً
- कुछ बोझ उठाने वाले
- wafarshan
- وَفَرْشًاۚ
- और कुछ ज़मीन से लगे हुए
- kulū
- كُلُوا۟
- खाओ
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- razaqakumu
- رَزَقَكُمُ
- रिज़्क़ दिया तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- walā
- وَلَا
- और ना
- tattabiʿū
- تَتَّبِعُوا۟
- तुम पैरवी करो
- khuṭuwāti
- خُطُوَٰتِ
- क़दमों की
- l-shayṭāni
- ٱلشَّيْطَٰنِۚ
- शैतान के
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- ʿaduwwun
- عَدُوٌّ
- दुश्मन है
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
और चौपायों में से कुछ बोझ उठानेवाले बड़े और कुछ छोटे जानवर पैदा किए। अल्लाह ने जो कुछ तुम्हें दिया है, उसमें से खाओ और शैतान के क़दमों पर न चलो। निश्चय ही वह तुम्हारा खुला हुआ शत्रु है ([६] अल-अनाम: 142)Tafseer (तफ़सीर )
ثَمٰنِيَةَ اَزْوَاجٍۚ مِنَ الضَّأْنِ اثْنَيْنِ وَمِنَ الْمَعْزِ اثْنَيْنِۗ قُلْ ءٰۤالذَّكَرَيْنِ حَرَّمَ اَمِ الْاُنْثَيَيْنِ اَمَّا اشْتَمَلَتْ عَلَيْهِ اَرْحَامُ الْاُنْثَيَيْنِۗ نَبِّئُوْنِيْ بِعِلْمٍ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ١٤٣
- thamāniyata
- ثَمَٰنِيَةَ
- आठ
- azwājin
- أَزْوَٰجٍۖ
- क़िस्में हैं
- mina
- مِّنَ
- भेड़ में से
- l-ḍani
- ٱلضَّأْنِ
- भेड़ में से
- ith'nayni
- ٱثْنَيْنِ
- दो
- wamina
- وَمِنَ
- और बकरी में से
- l-maʿzi
- ٱلْمَعْزِ
- और बकरी में से
- ith'nayni
- ٱثْنَيْنِۗ
- दो
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- āldhakarayni
- ءَآلذَّكَرَيْنِ
- क्या दो नर
- ḥarrama
- حَرَّمَ
- उसने हराम किए
- ami
- أَمِ
- या
- l-unthayayni
- ٱلْأُنثَيَيْنِ
- दो मादा
- ammā
- أَمَّا
- या वो जो
- ish'tamalat
- ٱشْتَمَلَتْ
- मुश्तमिल हैं
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- arḥāmu
- أَرْحَامُ
- रहम
- l-unthayayni
- ٱلْأُنثَيَيْنِۖ
- दोनों मादा के
- nabbiūnī
- نَبِّـُٔونِى
- बताओ मुझे
- biʿil'min
- بِعِلْمٍ
- साथ इल्म के
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- ṣādiqīna
- صَٰدِقِينَ
- सच्चे
आठ नर-मादा पैदा किए - दो भेड़ की जाति से और दो बकरी की जाति से - कहो, 'क्या उसने दोनों नर हराम किए है या दोनों मादा को? या उसको जो इन दोनों मादा के पेट में हो? किसी ज्ञान के आधार पर मुझे बताओ, यदि तुम सच्चे हो।' ([६] अल-अनाम: 143)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ الْاِبِلِ اثْنَيْنِ وَمِنَ الْبَقَرِ اثْنَيْنِۗ قُلْ ءٰۤالذَّكَرَيْنِ حَرَّمَ اَمِ الْاُنْثَيَيْنِ اَمَّا اشْتَمَلَتْ عَلَيْهِ اَرْحَامُ الْاُنْثَيَيْنِۗ اَمْ كُنْتُمْ شُهَدَاۤءَ اِذْ وَصّٰىكُمُ اللّٰهُ بِهٰذَاۚ فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا لِّيُضِلَّ النَّاسَ بِغَيْرِ عِلْمٍۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ࣖ ١٤٤
- wamina
- وَمِنَ
- और ऊँट में से
- l-ibili
- ٱلْإِبِلِ
- और ऊँट में से
- ith'nayni
- ٱثْنَيْنِ
- दो
- wamina
- وَمِنَ
- और गाय में से
- l-baqari
- ٱلْبَقَرِ
- और गाय में से
- ith'nayni
- ٱثْنَيْنِۗ
- दो
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- āldhakarayni
- ءَآلذَّكَرَيْنِ
- क्या दो नर
- ḥarrama
- حَرَّمَ
- उसने हराम किए
- ami
- أَمِ
- या
- l-unthayayni
- ٱلْأُنثَيَيْنِ
- दो मादा
- ammā
- أَمَّا
- या वो जो
- ish'tamalat
- ٱشْتَمَلَتْ
- मुश्तमिल हैं
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- जिस पर
- arḥāmu
- أَرْحَامُ
- रहम
- l-unthayayni
- ٱلْأُنثَيَيْنِۖ
- दोनों मादा के
- am
- أَمْ
- या
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- shuhadāa
- شُهَدَآءَ
- गवाह
- idh
- إِذْ
- जब
- waṣṣākumu
- وَصَّىٰكُمُ
- ताकीद की तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- bihādhā
- بِهَٰذَاۚ
- उसकी
- faman
- فَمَنْ
- तो कौन
- aẓlamu
- أَظْلَمُ
- बड़ा ज़ालिम है
- mimmani
- مِمَّنِ
- उस से जो
- if'tarā
- ٱفْتَرَىٰ
- गढ़ ले
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- kadhiban
- كَذِبًا
- झूठ
- liyuḍilla
- لِّيُضِلَّ
- ताकि वो भटका दे
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ʿil'min
- عِلْمٍۗ
- इल्म के
- inna
- إِنَّ
- बेशक वो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नही वो हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नही वो हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- जो ज़ालिम हैं
और दो ऊँट की जाति से और दो गाय की जाति से, कहो, 'क्या उसने दोनों नर हराम किए है या दोनों मादा को? या उसको जो इन दोनों मादा के पेट में हो? या, तुम उपस्थित थे, जब अल्लाह ने तुम्हें इसका आदेश दिया था? फिर उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जो लोगों को पथभ्रष्ट करने के लिए अज्ञानता-पूर्वक अल्लाह पर झूठ घड़े? निश्चय ही, अल्लाह अत्याचारी लोगों को मार्ग नहीं दिखाता।' ([६] अल-अनाम: 144)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ لَّآ اَجِدُ فِيْ مَآ اُوْحِيَ اِلَيَّ مُحَرَّمًا عَلٰى طَاعِمٍ يَّطْعَمُهٗٓ اِلَّآ اَنْ يَّكُوْنَ مَيْتَةً اَوْ دَمًا مَّسْفُوْحًا اَوْ لَحْمَ خِنْزِيْرٍ فَاِنَّهٗ رِجْسٌ اَوْ فِسْقًا اُهِلَّ لِغَيْرِ اللّٰهِ بِهٖۚ فَمَنِ اضْطُرَّ غَيْرَ بَاغٍ وَّلَا عَادٍ فَاِنَّ رَبَّكَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ١٤٥
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lā
- لَّآ
- नही मैं पाता
- ajidu
- أَجِدُ
- नही मैं पाता
- fī
- فِى
- उससे जो
- mā
- مَآ
- उससे जो
- ūḥiya
- أُوحِىَ
- वही की गई
- ilayya
- إِلَىَّ
- मेरी तरफ़
- muḥarraman
- مُحَرَّمًا
- हराम की गई (कोई चीज़)
- ʿalā
- عَلَىٰ
- किसी खाने वाले पर
- ṭāʿimin
- طَاعِمٍ
- किसी खाने वाले पर
- yaṭʿamuhu
- يَطْعَمُهُۥٓ
- जिसे वो खाए
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yakūna
- يَكُونَ
- वो हो
- maytatan
- مَيْتَةً
- मुरदार
- aw
- أَوْ
- या
- daman
- دَمًا
- ख़ून
- masfūḥan
- مَّسْفُوحًا
- बहाया हुआ
- aw
- أَوْ
- या
- laḥma
- لَحْمَ
- गोश्त
- khinzīrin
- خِنزِيرٍ
- ख़िन्ज़ीर का
- fa-innahu
- فَإِنَّهُۥ
- तो बेशक वो
- rij'sun
- رِجْسٌ
- नापाक है
- aw
- أَوْ
- या (हो वो)
- fis'qan
- فِسْقًا
- नाफ़रमानी
- uhilla
- أُهِلَّ
- कि पुकारा गया
- lighayri
- لِغَيْرِ
- वास्ते ग़ैर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- bihi
- بِهِۦۚ
- जिसे
- famani
- فَمَنِ
- तो जो कोई
- uḍ'ṭurra
- ٱضْطُرَّ
- मजबूर किया गया
- ghayra
- غَيْرَ
- ना
- bāghin
- بَاغٍ
- सरकशी करने वाला है
- walā
- وَلَا
- और ना
- ʿādin
- عَادٍ
- हद से बढ़ने वाला
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
कह दो, 'जो कुछ मेरी ओर प्रकाशना की गई है, उसमें तो मैं नहीं पाता कि किसी खानेवाले पर उसका कोई खाना हराम किया गया हो, सिवाय इसके लिए वह मुरदार हो, यह बहता हुआ रक्त हो या ,सुअर का मांस हो - कि वह निश्चय ही नापाक है - या वह चीज़ जो मर्यादा से हटी हुई हो, जिसपर अल्लाह के अतिरिक्त किसी और का नाम लिया गया हो। इसपर भी जो बहुत विवश और लाचार हो जाए; परन्तु वह अवज्ञाकारी न हो और न हद से आगे बढ़नेवाला हो, तो निश्चय ही तुम्हारा रब अत्यन्त क्षमाशील, दयाबान है।' ([६] अल-अनाम: 145)Tafseer (तफ़सीर )
وَعَلَى الَّذِيْنَ هَادُوْا حَرَّمْنَا كُلَّ ذِيْ ظُفُرٍۚ وَمِنَ الْبَقَرِ وَالْغَنَمِ حَرَّمْنَا عَلَيْهِمْ شُحُوْمَهُمَآ اِلَّا مَا حَمَلَتْ ظُهُوْرُهُمَآ اَوِ الْحَوَايَآ اَوْ مَا اخْتَلَطَ بِعَظْمٍۗ ذٰلِكَ جَزَيْنٰهُمْ بِبَغْيِهِمْۚ وَاِنَّا لَصٰدِقُوْنَ ١٤٦
- waʿalā
- وَعَلَى
- और उन लोगों पर जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- और उन लोगों पर जो
- hādū
- هَادُوا۟
- यहूदी बन गए
- ḥarramnā
- حَرَّمْنَا
- हराम कर दिया हमने
- kulla
- كُلَّ
- हर
- dhī
- ذِى
- नाख़ून वाला (जानवर)
- ẓufurin
- ظُفُرٍۖ
- नाख़ून वाला (जानवर)
- wamina
- وَمِنَ
- और गाय में से
- l-baqari
- ٱلْبَقَرِ
- और गाय में से
- wal-ghanami
- وَٱلْغَنَمِ
- और बकरी में से
- ḥarramnā
- حَرَّمْنَا
- हराम की हमने
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- shuḥūmahumā
- شُحُومَهُمَآ
- चरबियाँ इन दोनों की
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- जो
- ḥamalat
- حَمَلَتْ
- उठाया हो
- ẓuhūruhumā
- ظُهُورُهُمَآ
- उन दोनों की पुश्तों ने
- awi
- أَوِ
- या
- l-ḥawāyā
- ٱلْحَوَايَآ
- आँतों ने
- aw
- أَوْ
- या
- mā
- مَا
- जो
- ikh'talaṭa
- ٱخْتَلَطَ
- मिल जाए
- biʿaẓmin
- بِعَظْمٍۚ
- साथ हड्डी के
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- jazaynāhum
- جَزَيْنَٰهُم
- बदला दिया हमने उन्हें
- bibaghyihim
- بِبَغْيِهِمْۖ
- बवजह उनकी सरकशी के
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- laṣādiqūna
- لَصَٰدِقُونَ
- अलबत्ता सच्चे हैं
और उन लोगों के लिए जो यहूदी हुए हमने नाख़ूनवाला जानवर हराम किया और गाय और बकरी में से इन दोनों की चरबियाँ उनके लिए हराम कर दी थीं, सिवाय उस (चर्बी) के जो उन दोनों की पीठों या आँखों से लगी हुई या हड़्डी से मिली हुई हो। यह बात ध्यान में रखो। हमने उन्हें उनकी सरकशी का बदला दिया था और निश्चय ही हम सच्चे है ([६] अल-अनाम: 146)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنْ كَذَّبُوْكَ فَقُلْ رَّبُّكُمْ ذُوْ رَحْمَةٍ وَّاسِعَةٍۚ وَلَا يُرَدُّ بَأْسُهٗ عَنِ الْقَوْمِ الْمُجْرِمِيْنَ ١٤٧
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- kadhabūka
- كَذَّبُوكَ
- वो झुठलाऐं आपको
- faqul
- فَقُل
- तो कह दीजिए
- rabbukum
- رَّبُّكُمْ
- रब तुम्हारा
- dhū
- ذُو
- वसीअ रहमत वाला है
- raḥmatin
- رَحْمَةٍ
- वसीअ रहमत वाला है
- wāsiʿatin
- وَٰسِعَةٍ
- वसीअ रहमत वाला है
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yuraddu
- يُرَدُّ
- फेरा जा सकता
- basuhu
- بَأْسُهُۥ
- अज़ाब उसका
- ʿani
- عَنِ
- उन लोगों से
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- उन लोगों से
- l-muj'rimīna
- ٱلْمُجْرِمِينَ
- जो मुजरिम हैं
फिर यदि वे तुम्हें झुठलाएँ तो कह दो, 'तुम्हारा रब व्यापक दयालुतावाला है और अपराधियों से उसकी यातना नहीं फिरती।' ([६] अल-अनाम: 147)Tafseer (तफ़सीर )
سَيَقُوْلُ الَّذِيْنَ اَشْرَكُوْا لَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ مَآ اَشْرَكْنَا وَلَآ اٰبَاۤؤُنَا وَلَا حَرَّمْنَا مِنْ شَيْءٍۗ كَذٰلِكَ كَذَّبَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ حَتّٰى ذَاقُوْا بَأْسَنَاۗ قُلْ هَلْ عِنْدَكُمْ مِّنْ عِلْمٍ فَتُخْرِجُوْهُ لَنَاۗ اِنْ تَتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنْ اَنْتُمْ اِلَّا تَخْرُصُوْنَ ١٤٨
- sayaqūlu
- سَيَقُولُ
- अनक़रीब कहेंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- ashrakū
- أَشْرَكُوا۟
- शिर्क किया
- law
- لَوْ
- अगर
- shāa
- شَآءَ
- चाहता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- mā
- مَآ
- ना
- ashraknā
- أَشْرَكْنَا
- शिर्क करते हम
- walā
- وَلَآ
- और ना
- ābāunā
- ءَابَآؤُنَا
- आबा ओ अजदाद हमारे
- walā
- وَلَا
- और ना
- ḥarramnā
- حَرَّمْنَا
- हराम करते हम
- min
- مِن
- कोई चीज़
- shayin
- شَىْءٍۚ
- कोई चीज़
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- kadhaba
- كَذَّبَ
- झुठलाया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्होंने जो
- min
- مِن
- उनसे पहले थे
- qablihim
- قَبْلِهِمْ
- उनसे पहले थे
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- dhāqū
- ذَاقُوا۟
- उन्होंने चख लिया
- basanā
- بَأْسَنَاۗ
- अज़ाब हमारा
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- hal
- هَلْ
- क्या है
- ʿindakum
- عِندَكُم
- पास तुम्हारे
- min
- مِّنْ
- कोई इल्म
- ʿil'min
- عِلْمٍ
- कोई इल्म
- fatukh'rijūhu
- فَتُخْرِجُوهُ
- पस तुम निकालो उसे
- lanā
- لَنَآۖ
- हमारे लिए
- in
- إِن
- नहीं
- tattabiʿūna
- تَتَّبِعُونَ
- तुम पैरवी करते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-ẓana
- ٱلظَّنَّ
- ज़न/गुमान की
- wa-in
- وَإِنْ
- और नहीं
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- illā
- إِلَّا
- मगर
- takhruṣūna
- تَخْرُصُونَ
- तुम क़यास आराइयाँ करते
बहुदेववादी कहेंगे, 'यदि अल्लाह चाहता तो न हम साझीदार ठहराते और न हमारे पूर्वज ही; और न हम किसी चीज़ को (बिना अल्लाह के आदेश के) हराम ठहराते।' ऐसे ही उनसे पहले के लोगों ने भी झुठलाया था, यहाँ तक की उन्हें हमारी यातना का मज़ा चखना पड़ा। कहो, 'क्या तुम्हारे पास कोई ज्ञान है कि उसे हमारे पास पेश करो? तुम लोग केवल गुमान पर चलते हो और निरे अटकल से काम लेते हो।' ([६] अल-अनाम: 148)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ فَلِلّٰهِ الْحُجَّةُ الْبَالِغَةُۚ فَلَوْ شَاۤءَ لَهَدٰىكُمْ اَجْمَعِيْنَ ١٤٩
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- falillahi
- فَلِلَّهِ
- पस अल्लाह ही के लिए है
- l-ḥujatu
- ٱلْحُجَّةُ
- हुज्जत
- l-bālighatu
- ٱلْبَٰلِغَةُۖ
- पहुँचने वाली
- falaw
- فَلَوْ
- फिर अगर
- shāa
- شَآءَ
- वो चाहता
- lahadākum
- لَهَدَىٰكُمْ
- अलबत्ता हिदायत दे देता तुम्हें
- ajmaʿīna
- أَجْمَعِينَ
- सबके-सबको
कह दो, 'पूर्ण तर्क तो अल्लाह ही का है। अतः यदि वह चाहता तो तुम सबको सीधा मार्ग दिखा देता।' ([६] अल-अनाम: 149)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ هَلُمَّ شُهَدَاۤءَكُمُ الَّذِيْنَ يَشْهَدُوْنَ اَنَّ اللّٰهَ حَرَّمَ هٰذَاۚ فَاِنْ شَهِدُوْا فَلَا تَشْهَدْ مَعَهُمْۚ وَلَا تَتَّبِعْ اَهْوَاۤءَ الَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا وَالَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ وَهُمْ بِرَبِّهِمْ يَعْدِلُوْنَ ࣖ ١٥٠
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- halumma
- هَلُمَّ
- हाज़िर करो
- shuhadāakumu
- شُهَدَآءَكُمُ
- अपने गवाहों को
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जो
- yashhadūna
- يَشْهَدُونَ
- गवाही देते हैं
- anna
- أَنَّ
- कि बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- ḥarrama
- حَرَّمَ
- हराम किया है
- hādhā
- هَٰذَاۖ
- उसे
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- shahidū
- شَهِدُوا۟
- वो गवाही दे दें
- falā
- فَلَا
- तो ना
- tashhad
- تَشْهَدْ
- आप गवाही दें
- maʿahum
- مَعَهُمْۚ
- साथ उनके
- walā
- وَلَا
- और ना
- tattabiʿ
- تَتَّبِعْ
- आप पैरवी करें
- ahwāa
- أَهْوَآءَ
- ख़्वाहिशात की
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनकी जिन्होंने
- kadhabū
- كَذَّبُوا۟
- झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी आयात को
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और (ना) उनकी जो
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाते
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाते
- bil-ākhirati
- بِٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत पर
- wahum
- وَهُم
- और वो
- birabbihim
- بِرَبِّهِمْ
- साथ अपने रब के
- yaʿdilūna
- يَعْدِلُونَ
- वो बराबर क़रार देते हैं
कह दो, 'अपने उन गवाहों को लाओ, जो इसकी गवाही दें कि अल्लाह ने इसे हराम किया है।' फिर यदि वे गवाही दें तो तुम उनके साथ गवाही न देना, औऱ उन लोगों की इच्छाओं का अनुसरण न करना जिन्होंने हमारी आयतों को झुठलाया और जो आख़िरत को नहीं मानते और (जिनका) हाल यह है कि वे दूसरो को अपने रब के समकक्ष ठहराते है ([६] अल-अनाम: 150)Tafseer (तफ़सीर )