ذٰلِكَ اَنْ لَّمْ يَكُنْ رَّبُّكَ مُهْلِكَ الْقُرٰى بِظُلْمٍ وَّاَهْلُهَا غٰفِلُوْنَ ١٣١
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये (इस लिए)
- an
- أَن
- कि
- lam
- لَّمْ
- नहीं
- yakun
- يَكُن
- है
- rabbuka
- رَّبُّكَ
- रब आपका
- muh'lika
- مُهْلِكَ
- हलाक करने वाला
- l-qurā
- ٱلْقُرَىٰ
- बस्तियों को
- biẓul'min
- بِظُلْمٍ
- साथ ज़ुल्म के
- wa-ahluhā
- وَأَهْلُهَا
- जब कि हों उनके रहने वाले
- ghāfilūna
- غَٰفِلُونَ
- ग़ाफ़िल
यह जान लो कि तुम्हारा रब ज़ुल्म करके बस्तियों को विनष्ट करनेवाला न था, जबकि उनके निवासी बेसुध रहे हों ([६] अल-अनाम: 131)Tafseer (तफ़सीर )
وَلِكُلٍّ دَرَجٰتٌ مِّمَّا عَمِلُوْاۗ وَمَا رَبُّكَ بِغَافِلٍ عَمَّا يَعْمَلُوْنَ ١٣٢
- walikullin
- وَلِكُلٍّ
- और हर एक के लिए
- darajātun
- دَرَجَٰتٌ
- दरजात हैं
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- ʿamilū
- عَمِلُوا۟ۚ
- उन्होंने अमल किए
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- rabbuka
- رَبُّكَ
- रब आपका
- bighāfilin
- بِغَٰفِلٍ
- ग़ाफ़िल
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते हैं
सभी के दर्जें उनके कर्मों के अनुसार है। और जो कुछ वे करते है, उससे तुम्हारा रब अनभिज्ञ नहीं है ([६] अल-अनाम: 132)Tafseer (तफ़सीर )
وَرَبُّكَ الْغَنِيُّ ذُو الرَّحْمَةِ ۗاِنْ يَّشَأْ يُذْهِبْكُمْ وَيَسْتَخْلِفْ مِنْۢ بَعْدِكُمْ مَّا يَشَاۤءُ كَمَآ اَنْشَاَكُمْ مِّنْ ذُرِّيَّةِ قَوْمٍ اٰخَرِيْنَ ١٣٣
- warabbuka
- وَرَبُّكَ
- और रब आपका
- l-ghaniyu
- ٱلْغَنِىُّ
- बहुत बेनियाज़ है
- dhū
- ذُو
- रहमत वाला है
- l-raḥmati
- ٱلرَّحْمَةِۚ
- रहमत वाला है
- in
- إِن
- अगर
- yasha
- يَشَأْ
- वो चाहे
- yudh'hib'kum
- يُذْهِبْكُمْ
- वो ले जाए तुम सबको
- wayastakhlif
- وَيَسْتَخْلِفْ
- और वो जानशीन बना दे
- min
- مِنۢ
- तुम्हारे बाद
- baʿdikum
- بَعْدِكُم
- तुम्हारे बाद
- mā
- مَّا
- जिसको
- yashāu
- يَشَآءُ
- वो चाहे
- kamā
- كَمَآ
- जैसा कि
- ansha-akum
- أَنشَأَكُم
- उसने उठाया तुम्हें
- min
- مِّن
- नस्ल से
- dhurriyyati
- ذُرِّيَّةِ
- नस्ल से
- qawmin
- قَوْمٍ
- दूसरी क़ौम की
- ākharīna
- ءَاخَرِينَ
- दूसरी क़ौम की
तुम्हारा रब निस्पृह, दयावान है। यदि वह चाहे तो तुम्हें (दुनिया से) ले जाए और तुम्हारे स्थान पर जिसको चाहे तुम्हारे बाद ले आए, जिस प्रकार उसने तुम्हें कुछ और लोगों की सन्तति से उठाया है ([६] अल-अनाम: 133)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ مَا تُوْعَدُوْنَ لَاٰتٍۙ وَّمَآ اَنْتُمْ بِمُعْجِزِيْنَ ١٣٤
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- mā
- مَا
- जो
- tūʿadūna
- تُوعَدُونَ
- तुम वादा दिए जाते हो
- laātin
- لَءَاتٍۖ
- अलबत्ता आने वाला है
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- antum
- أَنتُم
- तुम
- bimuʿ'jizīna
- بِمُعْجِزِينَ
- आजिज़ करने वाले
जिस चीज़ का तुमसे वादा किया जाता है, उसे अवश्य आना है और तुममें उसे मात करने की सामर्थ्य नहीं ([६] अल-अनाम: 134)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ يٰقَوْمِ اعْمَلُوْا عَلٰى مَكَانَتِكُمْ اِنِّيْ عَامِلٌۚ فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَۙ مَنْ تَكُوْنُ لَهٗ عَاقِبَةُ الدَّارِۗ اِنَّهٗ لَا يُفْلِحُ الظّٰلِمُوْنَ ١٣٥
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- iʿ'malū
- ٱعْمَلُوا۟
- अमल करो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपनी जगह पर
- makānatikum
- مَكَانَتِكُمْ
- अपनी जगह पर
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- ʿāmilun
- عَامِلٌۖ
- अमल करने वाला हूँ
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- पस अनक़रीब
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जान लोगे
- man
- مَن
- कौन
- takūnu
- تَكُونُ
- है
- lahu
- لَهُۥ
- जिसके लिए
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम है
- l-dāri
- ٱلدَّارِۗ
- घर का (आख़िरत के)
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- lā
- لَا
- नहीं वो फ़लाह पाते
- yuf'liḥu
- يُفْلِحُ
- नहीं वो फ़लाह पाते
- l-ẓālimūna
- ٱلظَّٰلِمُونَ
- जो ज़ालिम हैं
कह दो, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम अपनी जगह कर्म करते रहो, मैं भी अपनी जगह कर्मशील हूँ। शीघ्र ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि घर (लोक-परलोक) का परिणाम किसके हित में होता है। निश्चय ही अत्याचारी सफल नहीं होते।' ([६] अल-अनाम: 135)Tafseer (तफ़सीर )
وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ مِمَّا ذَرَاَ مِنَ الْحَرْثِ وَالْاَنْعَامِ نَصِيْبًا فَقَالُوْا هٰذَا لِلّٰهِ بِزَعْمِهِمْ وَهٰذَا لِشُرَكَاۤىِٕنَاۚ فَمَا كَانَ لِشُرَكَاۤىِٕهِمْ فَلَا يَصِلُ اِلَى اللّٰهِ ۚوَمَا كَانَ لِلّٰهِ فَهُوَ يَصِلُ اِلٰى شُرَكَاۤىِٕهِمْۗ سَاۤءَ مَا يَحْكُمُوْنَ ١٣٦
- wajaʿalū
- وَجَعَلُوا۟
- और उन्होंने मुक़र्रर कर लिया
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- dhara-a
- ذَرَأَ
- उसने पैदा किया
- mina
- مِنَ
- खेती से
- l-ḥarthi
- ٱلْحَرْثِ
- खेती से
- wal-anʿāmi
- وَٱلْأَنْعَٰمِ
- और मवेशियों से
- naṣīban
- نَصِيبًا
- एक हिस्सा
- faqālū
- فَقَالُوا۟
- तो उन्होंने कहा
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए है
- bizaʿmihim
- بِزَعْمِهِمْ
- उनके गुमान के मुताबिक़
- wahādhā
- وَهَٰذَا
- और ये
- lishurakāinā
- لِشُرَكَآئِنَاۖ
- हमारे शरीकों के लिए है
- famā
- فَمَا
- पस जो (हिस्सा)
- kāna
- كَانَ
- है
- lishurakāihim
- لِشُرَكَآئِهِمْ
- उनके शरीकों के लिए
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- yaṣilu
- يَصِلُ
- वो पहुँचता
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- तरफ़ अल्लाह के
- wamā
- وَمَا
- और जो
- kāna
- كَانَ
- है
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- fahuwa
- فَهُوَ
- तो वो
- yaṣilu
- يَصِلُ
- वो पहुँच जाता है
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ उनके शरीकों के
- shurakāihim
- شُرَكَآئِهِمْۗ
- तरफ़ उनके शरीकों के
- sāa
- سَآءَ
- कितना बुरा है
- mā
- مَا
- जो
- yaḥkumūna
- يَحْكُمُونَ
- वो फ़ैसला करते हैं
उन्होंने अल्लाह के लिए स्वयं उसी की पैदा की हुई खेती और चौपायों में से एक भाग निश्चित किया है और अपने ख़याल से कहते है, 'यह किस्सा अल्लाह का है और यह हमारे ठहराए हुए साझीदारों का है।' फिर जो उनके साझीदारों का (हिस्सा) है, वह अल्लाह को नहीं पहुँचता, परन्तु जो अल्लाह का है, वह उनके साझीदारों को पहुँच जाता है। कितना बुरा है, जो फ़ैसला वे करते है! ([६] अल-अनाम: 136)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ زَيَّنَ لِكَثِيْرٍ مِّنَ الْمُشْرِكِيْنَ قَتْلَ اَوْلَادِهِمْ شُرَكَاۤؤُهُمْ لِيُرْدُوْهُمْ وَلِيَلْبِسُوْا عَلَيْهِمْ دِيْنَهُمْۗ وَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ مَا فَعَلُوْهُ فَذَرْهُمْ وَمَا يَفْتَرُوْنَ ١٣٧
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- zayyana
- زَيَّنَ
- मुज़य्यन कर दिया
- likathīrin
- لِكَثِيرٍ
- अक्सरियत के लिए
- mina
- مِّنَ
- मुशरिकीन में से
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन में से
- qatla
- قَتْلَ
- क़त्ल करना
- awlādihim
- أَوْلَٰدِهِمْ
- अपनी औलाद का
- shurakāuhum
- شُرَكَآؤُهُمْ
- उनके शरीकों ने
- liyur'dūhum
- لِيُرْدُوهُمْ
- ताकि वो हलाकत में डालें उन्हें
- waliyalbisū
- وَلِيَلْبِسُوا۟
- और ताकि वो मुश्तबा कर दें
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- dīnahum
- دِينَهُمْۖ
- उनके दीन को
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- shāa
- شَآءَ
- चाहता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- mā
- مَا
- ना
- faʿalūhu
- فَعَلُوهُۖ
- वो करते उसे
- fadharhum
- فَذَرْهُمْ
- पस छोड़ दीजिए उन्हें
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- yaftarūna
- يَفْتَرُونَ
- वो झूठ गढ़ते हैं
इसी प्रकार बहुत-से बहुदेववादियों के लिए उनके लिए साझीदारों ने उनकी अपनी सन्तान की हत्या को सुहाना बना दिया है, ताकि उन्हें विनष्ट कर दें और उनके लिए उनके धर्म को संदिग्ध बना दें। यदि अल्लाह चाहता तो वे ऐसा न करते; तो छोड़ दो उन्हें और उनके झूठ घड़ने को ([६] अल-अनाम: 137)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالُوْا هٰذِهٖٓ اَنْعَامٌ وَّحَرْثٌ حِجْرٌ لَّا يَطْعَمُهَآ اِلَّا مَنْ نَّشَاۤءُ بِزَعْمِهِمْ وَاَنْعَامٌ حُرِّمَتْ ظُهُوْرُهَا وَاَنْعَامٌ لَّا يَذْكُرُوْنَ اسْمَ اللّٰهِ عَلَيْهَا افْتِرَاۤءً عَلَيْهِۗ سَيَجْزِيْهِمْ بِمَا كَانُوْا يَفْتَرُوْنَ ١٣٨
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- hādhihi
- هَٰذِهِۦٓ
- ये
- anʿāmun
- أَنْعَٰمٌ
- मवेशी
- waḥarthun
- وَحَرْثٌ
- और खेती
- ḥij'run
- حِجْرٌ
- ममनूअ हैं
- lā
- لَّا
- नहीं खा सकता उन्हें
- yaṭʿamuhā
- يَطْعَمُهَآ
- नहीं खा सकता उन्हें
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَن
- वो जिसे
- nashāu
- نَّشَآءُ
- हम चाहें
- bizaʿmihim
- بِزَعْمِهِمْ
- उनके गुमान के मुताबिक़
- wa-anʿāmun
- وَأَنْعَٰمٌ
- और कुछ मवेशी
- ḥurrimat
- حُرِّمَتْ
- हराम की गईं
- ẓuhūruhā
- ظُهُورُهَا
- पुश्तें उनकी
- wa-anʿāmun
- وَأَنْعَٰمٌ
- और कुछ मवेशी
- lā
- لَّا
- नहीं वो ज़िक्र करते
- yadhkurūna
- يَذْكُرُونَ
- नहीं वो ज़िक्र करते
- is'ma
- ٱسْمَ
- नाम
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ʿalayhā
- عَلَيْهَا
- उन पर
- if'tirāan
- ٱفْتِرَآءً
- झूठ गढ़ते हुए
- ʿalayhi
- عَلَيْهِۚ
- उस पर
- sayajzīhim
- سَيَجْزِيهِم
- अनक़रीब वो बदला देगा उन्हें
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaftarūna
- يَفْتَرُونَ
- वो झूठ गढ़ते
और वे कहते है, 'ये जानवर और खेती वर्जित और सुरक्षित है। इन्हें तो केवल वही खा सकता है, जिसे हम चाहें।' - ऐसा वे स्वयं अपने ख़याल से कहते है - और कुछ चौपाए ऐसे है, जिनकी पीठों को (सवारी के लिए) हराम ठहरा लिया है और कुछ जानवर ऐसे है जिनपर अल्लाह का नाम नहीं लेते। यह यह उन्होंने अल्लाह पर झूठ घड़ा है, और वह शीघ्र ही उन्हें उनके झूठ घड़ने का बदला देगा ([६] अल-अनाम: 138)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالُوْا مَا فِيْ بُطُوْنِ هٰذِهِ الْاَنْعَامِ خَالِصَةٌ لِّذُكُوْرِنَا وَمُحَرَّمٌ عَلٰٓى اَزْوَاجِنَاۚ وَاِنْ يَّكُنْ مَّيْتَةً فَهُمْ فِيْهِ شُرَكَاۤءُ ۗسَيَجْزِيْهِمْ وَصْفَهُمْۗ اِنَّهٗ حَكِيْمٌ عَلِيْمٌ ١٣٩
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- पेटों में है
- buṭūni
- بُطُونِ
- पेटों में है
- hādhihi
- هَٰذِهِ
- उन
- l-anʿāmi
- ٱلْأَنْعَٰمِ
- मवेशियों के
- khāliṣatun
- خَالِصَةٌ
- ख़ालिस है (वो)
- lidhukūrinā
- لِّذُكُورِنَا
- हमारे मर्दों के लिए
- wamuḥarramun
- وَمُحَرَّمٌ
- और हराम किया गया है
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- हमारी बीवियों पर
- azwājinā
- أَزْوَٰجِنَاۖ
- हमारी बीवियों पर
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yakun
- يَكُن
- हो वो
- maytatan
- مَّيْتَةً
- मुरदार
- fahum
- فَهُمْ
- तो वो
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- shurakāu
- شُرَكَآءُۚ
- सब शरीक हैं
- sayajzīhim
- سَيَجْزِيهِمْ
- अनक़रीब वो बदला देगा उन्हें
- waṣfahum
- وَصْفَهُمْۚ
- उनके बयान का
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- बहुत हिकमत वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब इल्म वाला है
और वे कहते है, 'जो कुछ इन जानवरों के पेट में है वह बिल्कुल हमारे पुरुषों ही के लिए है और वह हमारी पत्नियों के लिए वर्जित है। परन्तु यदि वह मुर्दा हो, तो वे सब उसमें शरीक है।' शीघ्र ही वह उन्हें उनके ऐसा कहने का बदला देगा। निस्संदेह वह तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है ([६] अल-अनाम: 139)Tafseer (तफ़सीर )
قَدْ خَسِرَ الَّذِيْنَ قَتَلُوْٓا اَوْلَادَهُمْ سَفَهًاۢ بِغَيْرِ عِلْمٍ وَّحَرَّمُوْا مَا رَزَقَهُمُ اللّٰهُ افْتِرَاۤءً عَلَى اللّٰهِ ۗقَدْ ضَلُّوْا وَمَا كَانُوْا مُهْتَدِيْنَ ࣖ ١٤٠
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- khasira
- خَسِرَ
- ख़सारे में रहे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- qatalū
- قَتَلُوٓا۟
- क़त्ल किया
- awlādahum
- أَوْلَٰدَهُمْ
- अपनी औलाद को
- safahan
- سَفَهًۢا
- नादानी से
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ʿil'min
- عِلْمٍ
- इल्म के
- waḥarramū
- وَحَرَّمُوا۟
- और हराम क़रार दिया
- mā
- مَا
- उसको जो
- razaqahumu
- رَزَقَهُمُ
- रिज़्क़ दिया उनको
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- if'tirāan
- ٱفْتِرَآءً
- झूठ गढ़ते हुए
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह पर
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ḍallū
- ضَلُّوا۟
- वो भटक गए
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- muh'tadīna
- مُهْتَدِينَ
- हिदायत पाने वाले
वे लोग कुछ जाने-बूझे बिना घाटे में रहे, जिन्होंने मूर्खता के कारण अपनी सन्तान की हत्या की और जो कुछ अल्लाह ने उन्हें प्रदान किया था, उसे अल्लाह पर झूठ घड़कर हराम ठहरा दिया। वास्तव में वे भटक गए और वे सीधा मार्ग पानेवाले न हुए ([६] अल-अनाम: 140)Tafseer (तफ़सीर )