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सूरा अल-अनाम - Page: 14

Al-An'am

(पशु)

१३१

ذٰلِكَ اَنْ لَّمْ يَكُنْ رَّبُّكَ مُهْلِكَ الْقُرٰى بِظُلْمٍ وَّاَهْلُهَا غٰفِلُوْنَ ١٣١

dhālika
ذَٰلِكَ
ये (इस लिए)
an
أَن
कि
lam
لَّمْ
नहीं
yakun
يَكُن
है
rabbuka
رَّبُّكَ
रब आपका
muh'lika
مُهْلِكَ
हलाक करने वाला
l-qurā
ٱلْقُرَىٰ
बस्तियों को
biẓul'min
بِظُلْمٍ
साथ ज़ुल्म के
wa-ahluhā
وَأَهْلُهَا
जब कि हों उनके रहने वाले
ghāfilūna
غَٰفِلُونَ
ग़ाफ़िल
यह जान लो कि तुम्हारा रब ज़ुल्म करके बस्तियों को विनष्ट करनेवाला न था, जबकि उनके निवासी बेसुध रहे हों ([६] अल-अनाम: 131)
Tafseer (तफ़सीर )
१३२

وَلِكُلٍّ دَرَجٰتٌ مِّمَّا عَمِلُوْاۗ وَمَا رَبُّكَ بِغَافِلٍ عَمَّا يَعْمَلُوْنَ ١٣٢

walikullin
وَلِكُلٍّ
और हर एक के लिए
darajātun
دَرَجَٰتٌ
दरजात हैं
mimmā
مِّمَّا
उसमें से जो
ʿamilū
عَمِلُوا۟ۚ
उन्होंने अमल किए
wamā
وَمَا
और नहीं
rabbuka
رَبُّكَ
रब आपका
bighāfilin
بِغَٰفِلٍ
ग़ाफ़िल
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते हैं
सभी के दर्जें उनके कर्मों के अनुसार है। और जो कुछ वे करते है, उससे तुम्हारा रब अनभिज्ञ नहीं है ([६] अल-अनाम: 132)
Tafseer (तफ़सीर )
१३३

وَرَبُّكَ الْغَنِيُّ ذُو الرَّحْمَةِ ۗاِنْ يَّشَأْ يُذْهِبْكُمْ وَيَسْتَخْلِفْ مِنْۢ بَعْدِكُمْ مَّا يَشَاۤءُ كَمَآ اَنْشَاَكُمْ مِّنْ ذُرِّيَّةِ قَوْمٍ اٰخَرِيْنَ ١٣٣

warabbuka
وَرَبُّكَ
और रब आपका
l-ghaniyu
ٱلْغَنِىُّ
बहुत बेनियाज़ है
dhū
ذُو
रहमत वाला है
l-raḥmati
ٱلرَّحْمَةِۚ
रहमत वाला है
in
إِن
अगर
yasha
يَشَأْ
वो चाहे
yudh'hib'kum
يُذْهِبْكُمْ
वो ले जाए तुम सबको
wayastakhlif
وَيَسْتَخْلِفْ
और वो जानशीन बना दे
min
مِنۢ
तुम्हारे बाद
baʿdikum
بَعْدِكُم
तुम्हारे बाद
مَّا
जिसको
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहे
kamā
كَمَآ
जैसा कि
ansha-akum
أَنشَأَكُم
उसने उठाया तुम्हें
min
مِّن
नस्ल से
dhurriyyati
ذُرِّيَّةِ
नस्ल से
qawmin
قَوْمٍ
दूसरी क़ौम की
ākharīna
ءَاخَرِينَ
दूसरी क़ौम की
तुम्हारा रब निस्पृह, दयावान है। यदि वह चाहे तो तुम्हें (दुनिया से) ले जाए और तुम्हारे स्थान पर जिसको चाहे तुम्हारे बाद ले आए, जिस प्रकार उसने तुम्हें कुछ और लोगों की सन्तति से उठाया है ([६] अल-अनाम: 133)
Tafseer (तफ़सीर )
१३४

اِنَّ مَا تُوْعَدُوْنَ لَاٰتٍۙ وَّمَآ اَنْتُمْ بِمُعْجِزِيْنَ ١٣٤

inna
إِنَّ
बेशक
مَا
जो
tūʿadūna
تُوعَدُونَ
तुम वादा दिए जाते हो
laātin
لَءَاتٍۖ
अलबत्ता आने वाला है
wamā
وَمَآ
और नहीं
antum
أَنتُم
तुम
bimuʿ'jizīna
بِمُعْجِزِينَ
आजिज़ करने वाले
जिस चीज़ का तुमसे वादा किया जाता है, उसे अवश्य आना है और तुममें उसे मात करने की सामर्थ्य नहीं ([६] अल-अनाम: 134)
Tafseer (तफ़सीर )
१३५

قُلْ يٰقَوْمِ اعْمَلُوْا عَلٰى مَكَانَتِكُمْ اِنِّيْ عَامِلٌۚ فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَۙ مَنْ تَكُوْنُ لَهٗ عَاقِبَةُ الدَّارِۗ اِنَّهٗ لَا يُفْلِحُ الظّٰلِمُوْنَ ١٣٥

qul
قُلْ
कह दीजिए
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
iʿ'malū
ٱعْمَلُوا۟
अमल करो
ʿalā
عَلَىٰ
अपनी जगह पर
makānatikum
مَكَانَتِكُمْ
अपनी जगह पर
innī
إِنِّى
बेशक मैं
ʿāmilun
عَامِلٌۖ
अमल करने वाला हूँ
fasawfa
فَسَوْفَ
पस अनक़रीब
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जान लोगे
man
مَن
कौन
takūnu
تَكُونُ
है
lahu
لَهُۥ
जिसके लिए
ʿāqibatu
عَٰقِبَةُ
अंजाम है
l-dāri
ٱلدَّارِۗ
घर का (आख़िरत के)
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
لَا
नहीं वो फ़लाह पाते
yuf'liḥu
يُفْلِحُ
नहीं वो फ़लाह पाते
l-ẓālimūna
ٱلظَّٰلِمُونَ
जो ज़ालिम हैं
कह दो, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम अपनी जगह कर्म करते रहो, मैं भी अपनी जगह कर्मशील हूँ। शीघ्र ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि घर (लोक-परलोक) का परिणाम किसके हित में होता है। निश्चय ही अत्याचारी सफल नहीं होते।' ([६] अल-अनाम: 135)
Tafseer (तफ़सीर )
१३६

وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ مِمَّا ذَرَاَ مِنَ الْحَرْثِ وَالْاَنْعَامِ نَصِيْبًا فَقَالُوْا هٰذَا لِلّٰهِ بِزَعْمِهِمْ وَهٰذَا لِشُرَكَاۤىِٕنَاۚ فَمَا كَانَ لِشُرَكَاۤىِٕهِمْ فَلَا يَصِلُ اِلَى اللّٰهِ ۚوَمَا كَانَ لِلّٰهِ فَهُوَ يَصِلُ اِلٰى شُرَكَاۤىِٕهِمْۗ سَاۤءَ مَا يَحْكُمُوْنَ ١٣٦

wajaʿalū
وَجَعَلُوا۟
और उन्होंने मुक़र्रर कर लिया
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
dhara-a
ذَرَأَ
उसने पैदा किया
mina
مِنَ
खेती से
l-ḥarthi
ٱلْحَرْثِ
खेती से
wal-anʿāmi
وَٱلْأَنْعَٰمِ
और मवेशियों से
naṣīban
نَصِيبًا
एक हिस्सा
faqālū
فَقَالُوا۟
तो उन्होंने कहा
hādhā
هَٰذَا
ये
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए है
bizaʿmihim
بِزَعْمِهِمْ
उनके गुमान के मुताबिक़
wahādhā
وَهَٰذَا
और ये
lishurakāinā
لِشُرَكَآئِنَاۖ
हमारे शरीकों के लिए है
famā
فَمَا
पस जो (हिस्सा)
kāna
كَانَ
है
lishurakāihim
لِشُرَكَآئِهِمْ
उनके शरीकों के लिए
falā
فَلَا
तो नहीं
yaṣilu
يَصِلُ
वो पहुँचता
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِۖ
तरफ़ अल्लाह के
wamā
وَمَا
और जो
kāna
كَانَ
है
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
fahuwa
فَهُوَ
तो वो
yaṣilu
يَصِلُ
वो पहुँच जाता है
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ उनके शरीकों के
shurakāihim
شُرَكَآئِهِمْۗ
तरफ़ उनके शरीकों के
sāa
سَآءَ
कितना बुरा है
مَا
जो
yaḥkumūna
يَحْكُمُونَ
वो फ़ैसला करते हैं
उन्होंने अल्लाह के लिए स्वयं उसी की पैदा की हुई खेती और चौपायों में से एक भाग निश्चित किया है और अपने ख़याल से कहते है, 'यह किस्सा अल्लाह का है और यह हमारे ठहराए हुए साझीदारों का है।' फिर जो उनके साझीदारों का (हिस्सा) है, वह अल्लाह को नहीं पहुँचता, परन्तु जो अल्लाह का है, वह उनके साझीदारों को पहुँच जाता है। कितना बुरा है, जो फ़ैसला वे करते है! ([६] अल-अनाम: 136)
Tafseer (तफ़सीर )
१३७

وَكَذٰلِكَ زَيَّنَ لِكَثِيْرٍ مِّنَ الْمُشْرِكِيْنَ قَتْلَ اَوْلَادِهِمْ شُرَكَاۤؤُهُمْ لِيُرْدُوْهُمْ وَلِيَلْبِسُوْا عَلَيْهِمْ دِيْنَهُمْۗ وَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ مَا فَعَلُوْهُ فَذَرْهُمْ وَمَا يَفْتَرُوْنَ ١٣٧

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
zayyana
زَيَّنَ
मुज़य्यन कर दिया
likathīrin
لِكَثِيرٍ
अक्सरियत के लिए
mina
مِّنَ
मुशरिकीन में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन में से
qatla
قَتْلَ
क़त्ल करना
awlādihim
أَوْلَٰدِهِمْ
अपनी औलाद का
shurakāuhum
شُرَكَآؤُهُمْ
उनके शरीकों ने
liyur'dūhum
لِيُرْدُوهُمْ
ताकि वो हलाकत में डालें उन्हें
waliyalbisū
وَلِيَلْبِسُوا۟
और ताकि वो मुश्तबा कर दें
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
dīnahum
دِينَهُمْۖ
उनके दीन को
walaw
وَلَوْ
और अगर
shāa
شَآءَ
चाहता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
مَا
ना
faʿalūhu
فَعَلُوهُۖ
वो करते उसे
fadharhum
فَذَرْهُمْ
पस छोड़ दीजिए उन्हें
wamā
وَمَا
और जो कुछ
yaftarūna
يَفْتَرُونَ
वो झूठ गढ़ते हैं
इसी प्रकार बहुत-से बहुदेववादियों के लिए उनके लिए साझीदारों ने उनकी अपनी सन्तान की हत्या को सुहाना बना दिया है, ताकि उन्हें विनष्ट कर दें और उनके लिए उनके धर्म को संदिग्ध बना दें। यदि अल्लाह चाहता तो वे ऐसा न करते; तो छोड़ दो उन्हें और उनके झूठ घड़ने को ([६] अल-अनाम: 137)
Tafseer (तफ़सीर )
१३८

وَقَالُوْا هٰذِهٖٓ اَنْعَامٌ وَّحَرْثٌ حِجْرٌ لَّا يَطْعَمُهَآ اِلَّا مَنْ نَّشَاۤءُ بِزَعْمِهِمْ وَاَنْعَامٌ حُرِّمَتْ ظُهُوْرُهَا وَاَنْعَامٌ لَّا يَذْكُرُوْنَ اسْمَ اللّٰهِ عَلَيْهَا افْتِرَاۤءً عَلَيْهِۗ سَيَجْزِيْهِمْ بِمَا كَانُوْا يَفْتَرُوْنَ ١٣٨

waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
hādhihi
هَٰذِهِۦٓ
ये
anʿāmun
أَنْعَٰمٌ
मवेशी
waḥarthun
وَحَرْثٌ
और खेती
ḥij'run
حِجْرٌ
ममनूअ हैं
لَّا
नहीं खा सकता उन्हें
yaṭʿamuhā
يَطْعَمُهَآ
नहीं खा सकता उन्हें
illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
वो जिसे
nashāu
نَّشَآءُ
हम चाहें
bizaʿmihim
بِزَعْمِهِمْ
उनके गुमान के मुताबिक़
wa-anʿāmun
وَأَنْعَٰمٌ
और कुछ मवेशी
ḥurrimat
حُرِّمَتْ
हराम की गईं
ẓuhūruhā
ظُهُورُهَا
पुश्तें उनकी
wa-anʿāmun
وَأَنْعَٰمٌ
और कुछ मवेशी
لَّا
नहीं वो ज़िक्र करते
yadhkurūna
يَذْكُرُونَ
नहीं वो ज़िक्र करते
is'ma
ٱسْمَ
नाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ʿalayhā
عَلَيْهَا
उन पर
if'tirāan
ٱفْتِرَآءً
झूठ गढ़ते हुए
ʿalayhi
عَلَيْهِۚ
उस पर
sayajzīhim
سَيَجْزِيهِم
अनक़रीब वो बदला देगा उन्हें
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaftarūna
يَفْتَرُونَ
वो झूठ गढ़ते
और वे कहते है, 'ये जानवर और खेती वर्जित और सुरक्षित है। इन्हें तो केवल वही खा सकता है, जिसे हम चाहें।' - ऐसा वे स्वयं अपने ख़याल से कहते है - और कुछ चौपाए ऐसे है, जिनकी पीठों को (सवारी के लिए) हराम ठहरा लिया है और कुछ जानवर ऐसे है जिनपर अल्लाह का नाम नहीं लेते। यह यह उन्होंने अल्लाह पर झूठ घड़ा है, और वह शीघ्र ही उन्हें उनके झूठ घड़ने का बदला देगा ([६] अल-अनाम: 138)
Tafseer (तफ़सीर )
१३९

وَقَالُوْا مَا فِيْ بُطُوْنِ هٰذِهِ الْاَنْعَامِ خَالِصَةٌ لِّذُكُوْرِنَا وَمُحَرَّمٌ عَلٰٓى اَزْوَاجِنَاۚ وَاِنْ يَّكُنْ مَّيْتَةً فَهُمْ فِيْهِ شُرَكَاۤءُ ۗسَيَجْزِيْهِمْ وَصْفَهُمْۗ اِنَّهٗ حَكِيْمٌ عَلِيْمٌ ١٣٩

waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
مَا
जो कुछ
فِى
पेटों में है
buṭūni
بُطُونِ
पेटों में है
hādhihi
هَٰذِهِ
उन
l-anʿāmi
ٱلْأَنْعَٰمِ
मवेशियों के
khāliṣatun
خَالِصَةٌ
ख़ालिस है (वो)
lidhukūrinā
لِّذُكُورِنَا
हमारे मर्दों के लिए
wamuḥarramun
وَمُحَرَّمٌ
और हराम किया गया है
ʿalā
عَلَىٰٓ
हमारी बीवियों पर
azwājinā
أَزْوَٰجِنَاۖ
हमारी बीवियों पर
wa-in
وَإِن
और अगर
yakun
يَكُن
हो वो
maytatan
مَّيْتَةً
मुरदार
fahum
فَهُمْ
तो वो
fīhi
فِيهِ
उसमें
shurakāu
شُرَكَآءُۚ
सब शरीक हैं
sayajzīhim
سَيَجْزِيهِمْ
अनक़रीब वो बदला देगा उन्हें
waṣfahum
وَصْفَهُمْۚ
उनके बयान का
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
ḥakīmun
حَكِيمٌ
बहुत हिकमत वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब इल्म वाला है
और वे कहते है, 'जो कुछ इन जानवरों के पेट में है वह बिल्कुल हमारे पुरुषों ही के लिए है और वह हमारी पत्नियों के लिए वर्जित है। परन्तु यदि वह मुर्दा हो, तो वे सब उसमें शरीक है।' शीघ्र ही वह उन्हें उनके ऐसा कहने का बदला देगा। निस्संदेह वह तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है ([६] अल-अनाम: 139)
Tafseer (तफ़सीर )
१४०

قَدْ خَسِرَ الَّذِيْنَ قَتَلُوْٓا اَوْلَادَهُمْ سَفَهًاۢ بِغَيْرِ عِلْمٍ وَّحَرَّمُوْا مَا رَزَقَهُمُ اللّٰهُ افْتِرَاۤءً عَلَى اللّٰهِ ۗقَدْ ضَلُّوْا وَمَا كَانُوْا مُهْتَدِيْنَ ࣖ ١٤٠

qad
قَدْ
तहक़ीक़
khasira
خَسِرَ
ख़सारे में रहे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
qatalū
قَتَلُوٓا۟
क़त्ल किया
awlādahum
أَوْلَٰدَهُمْ
अपनी औलाद को
safahan
سَفَهًۢا
नादानी से
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ʿil'min
عِلْمٍ
इल्म के
waḥarramū
وَحَرَّمُوا۟
और हराम क़रार दिया
مَا
उसको जो
razaqahumu
رَزَقَهُمُ
रिज़्क़ दिया उनको
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
if'tirāan
ٱفْتِرَآءً
झूठ गढ़ते हुए
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह पर
qad
قَدْ
तहक़ीक़
ḍallū
ضَلُّوا۟
वो भटक गए
wamā
وَمَا
और ना
kānū
كَانُوا۟
थे वो
muh'tadīna
مُهْتَدِينَ
हिदायत पाने वाले
वे लोग कुछ जाने-बूझे बिना घाटे में रहे, जिन्होंने मूर्खता के कारण अपनी सन्तान की हत्या की और जो कुछ अल्लाह ने उन्हें प्रदान किया था, उसे अल्लाह पर झूठ घड़कर हराम ठहरा दिया। वास्तव में वे भटक गए और वे सीधा मार्ग पानेवाले न हुए ([६] अल-अनाम: 140)
Tafseer (तफ़सीर )