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सूरा अल-अनाम - Page: 13

Al-An'am

(पशु)

१२१

وَلَا تَأْكُلُوْا مِمَّا لَمْ يُذْكَرِ اسْمُ اللّٰهِ عَلَيْهِ وَاِنَّهٗ لَفِسْقٌۗ وَاِنَّ الشَّيٰطِيْنَ لَيُوْحُوْنَ اِلٰٓى اَوْلِيَاۤىِٕهِمْ لِيُجَادِلُوْكُمْ ۚوَاِنْ اَطَعْتُمُوْهُمْ اِنَّكُمْ لَمُشْرِكُوْنَ ࣖ ١٢١

walā
وَلَا
और ना
takulū
تَأْكُلُوا۟
तुम खाओ
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
lam
لَمْ
नहीं
yudh'kari
يُذْكَرِ
ज़िक्र किया गया
us'mu
ٱسْمُ
नाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
wa-innahu
وَإِنَّهُۥ
और बेशक वो
lafis'qun
لَفِسْقٌۗ
अलबत्ता गुनाह है
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
l-shayāṭīna
ٱلشَّيَٰطِينَ
शयातीन
layūḥūna
لَيُوحُونَ
अलबत्ता वो इल्क़ा करते हैं
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ अपने दोस्तों के
awliyāihim
أَوْلِيَآئِهِمْ
तरफ़ अपने दोस्तों के
liyujādilūkum
لِيُجَٰدِلُوكُمْۖ
ताकि वो झगड़ें तुमसे
wa-in
وَإِنْ
और अगर
aṭaʿtumūhum
أَطَعْتُمُوهُمْ
इताअत की तुमने उनकी
innakum
إِنَّكُمْ
बेशक तुम
lamush'rikūna
لَمُشْرِكُونَ
अलबत्ता मुशरिक होगे
और उसे न खाओं जिसपर अल्लाह का नाम न लिया गया हो। निश्चय ही वह तो आज्ञा का उल्लंघन है। शैतान तो अपने मित्रों के दिलों में डालते है कि वे तुमसे झगड़े। यदि तुमने उनकी बात मान ली तो निश्चय ही तुम बहुदेववादी होगे ([६] अल-अनाम: 121)
Tafseer (तफ़सीर )
१२२

اَوَمَنْ كَانَ مَيْتًا فَاَحْيَيْنٰهُ وَجَعَلْنَا لَهٗ نُوْرًا يَّمْشِيْ بِهٖ فِى النَّاسِ كَمَنْ مَّثَلُهٗ فِى الظُّلُمٰتِ لَيْسَ بِخَارِجٍ مِّنْهَاۗ كَذٰلِكَ زُيِّنَ لِلْكٰفِرِيْنَ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ١٢٢

awaman
أَوَمَن
क्या भला जो
kāna
كَانَ
था
maytan
مَيْتًا
मुर्दा
fa-aḥyaynāhu
فَأَحْيَيْنَٰهُ
तो ज़िन्दा किया हमने उसे
wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और बनाया हमने
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
nūran
نُورًا
एक नूर
yamshī
يَمْشِى
वो चलता है
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
فِى
लोगों में
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों में
kaman
كَمَن
उसकी तरह हो सकता है जो
mathaluhu
مَّثَلُهُۥ
उसकी तरह हो सकता है जो
فِى
अँधेरों में है
l-ẓulumāti
ٱلظُّلُمَٰتِ
अँधेरों में है
laysa
لَيْسَ
नहीं है
bikhārijin
بِخَارِجٍ
निकलने वाला
min'hā
مِّنْهَاۚ
उन से
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
zuyyina
زُيِّنَ
मुज़य्यन कर दिया गया है
lil'kāfirīna
لِلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
مَا
जो
kānū
كَانُوا۟
हैं वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
क्या वह व्यक्ति जो पहले मुर्दा था, फिर उसे हमने जीवित किया और उसके लिए एक प्रकाश उपलब्ध किया जिसको लिए हुए वह लोगों के बीच चलता-फिरता है, उस व्यक्ति को तरह हो सकता है जो अँधेरों में पड़ा हुआ हो, उससे कदापि निकलनेवाला न हो? ऐसे ही इनकार करनेवालों के कर्म उनके लिए सुहाबने बनाए गए है ([६] अल-अनाम: 122)
Tafseer (तफ़सीर )
१२३

وَكَذٰلِكَ جَعَلْنَا فِيْ كُلِّ قَرْيَةٍ اَكٰبِرَ مُجْرِمِيْهَا لِيَمْكُرُوْا فِيْهَاۗ وَمَا يَمْكُرُوْنَ اِلَّا بِاَنْفُسِهِمْ وَمَا يَشْعُرُوْنَ ١٢٣

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
jaʿalnā
جَعَلْنَا
बना दिया हमने
فِى
हर बस्ती में
kulli
كُلِّ
हर बस्ती में
qaryatin
قَرْيَةٍ
हर बस्ती में
akābira
أَكَٰبِرَ
बड़ों को
muj'rimīhā
مُجْرِمِيهَا
मुजरिम उसके
liyamkurū
لِيَمْكُرُوا۟
ताकि वो मकर करें
fīhā
فِيهَاۖ
उसमें
wamā
وَمَا
और नहीं
yamkurūna
يَمْكُرُونَ
वो मकर करते
illā
إِلَّا
मगर
bi-anfusihim
بِأَنفُسِهِمْ
अपने नफ़्सों से
wamā
وَمَا
और नहीं
yashʿurūna
يَشْعُرُونَ
वो शऊर रखते
और इसी प्रकार हमने प्रत्येक बस्ती में उसके बड़े-बड़े अपराधियों को लगा दिया है कि ले वहाँ चालें चले। वे अपने ही विरुद्ध चालें चलते है, किन्तु उन्हें इसका एहसास नहीं ([६] अल-अनाम: 123)
Tafseer (तफ़सीर )
१२४

وَاِذَا جَاۤءَتْهُمْ اٰيَةٌ قَالُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ حَتّٰى نُؤْتٰى مِثْلَ مَآ اُوْتِيَ رُسُلُ اللّٰهِ ۘ اَللّٰهُ اَعْلَمُ حَيْثُ يَجْعَلُ رِسٰلَتَهٗۗ سَيُصِيْبُ الَّذِيْنَ اَجْرَمُوْا صَغَارٌ عِنْدَ اللّٰهِ وَعَذَابٌ شَدِيْدٌۢ بِمَا كَانُوْا يَمْكُرُوْنَ ١٢٤

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
jāathum
جَآءَتْهُمْ
आती है उनके पास
āyatun
ءَايَةٌ
कोई निशानी
qālū
قَالُوا۟
वो कहते हैं
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
nu'mina
نُّؤْمِنَ
हम ईमान लाऐंगे
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
nu'tā
نُؤْتَىٰ
हम दिए जाऐं
mith'la
مِثْلَ
मानिन्द उसके
مَآ
जो
ūtiya
أُوتِىَ
दिया गया
rusulu
رُسُلُ
अल्लाह के रसूलों को
l-lahi
ٱللَّهِۘ
अल्लाह के रसूलों को
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानता है
ḥaythu
حَيْثُ
जहाँ
yajʿalu
يَجْعَلُ
वो रखता है
risālatahu
رِسَالَتَهُۥۗ
अपनी रिसालत को
sayuṣību
سَيُصِيبُ
अनक़रीब पहुँचेगी
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
ajramū
أَجْرَمُوا۟
जुर्म किए
ṣaghārun
صَغَارٌ
ज़िल्लत
ʿinda
عِندَ
अल्लाह के यहाँ
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के यहाँ
waʿadhābun
وَعَذَابٌ
और अज़ाब
shadīdun
شَدِيدٌۢ
शदीद
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yamkurūna
يَمْكُرُونَ
मकर करते
और जब उनके पास कोई आयत (निशानी) आता है, तो वे कहते है, 'हम कदापि नहीं मानेंगे, जब तक कि वैसी ही चीज़ हमें न दी जाए जो अल्लाह के रसूलों को दी गई हैं।' अल्लाह भली-भाँति उस (के औचित्य) को जानता है, जिसमें वह अपनी पैग़म्बरी रखता है। अपराधियों को शीघ्र ही अल्लाह के यहाँ बड़े अपमान और कठोर यातना का सामना करना पड़ेगा, उस चाल के कारण जो वे चलते रहे है ([६] अल-अनाम: 124)
Tafseer (तफ़सीर )
१२५

فَمَنْ يُّرِدِ اللّٰهُ اَنْ يَّهْدِيَهٗ يَشْرَحْ صَدْرَهٗ لِلْاِسْلَامِۚ وَمَنْ يُّرِدْ اَنْ يُّضِلَّهٗ يَجْعَلْ صَدْرَهٗ ضَيِّقًا حَرَجًا كَاَنَّمَا يَصَّعَّدُ فِى السَّمَاۤءِۗ كَذٰلِكَ يَجْعَلُ اللّٰهُ الرِّجْسَ عَلَى الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ ١٢٥

faman
فَمَن
पस जिसे
yuridi
يُرِدِ
चाहता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
an
أَن
कि
yahdiyahu
يَهْدِيَهُۥ
वो हिदायत दे उसे
yashraḥ
يَشْرَحْ
खोल देता है
ṣadrahu
صَدْرَهُۥ
सीना उसका
lil'is'lāmi
لِلْإِسْلَٰمِۖ
इस्लाम के लिए
waman
وَمَن
और जिसे
yurid
يُرِدْ
वो चाहता है
an
أَن
कि
yuḍillahu
يُضِلَّهُۥ
वो गुमराह कर दे उसे
yajʿal
يَجْعَلْ
वो कर देता है
ṣadrahu
صَدْرَهُۥ
सीना उसका
ḍayyiqan
ضَيِّقًا
तंग
ḥarajan
حَرَجًا
घुटा हुआ
ka-annamā
كَأَنَّمَا
गोया कि
yaṣṣaʿʿadu
يَصَّعَّدُ
वो चढ़ता है
فِى
आसमान में
l-samāi
ٱلسَّمَآءِۚ
आसमान में
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yajʿalu
يَجْعَلُ
डालता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-rij'sa
ٱلرِّجْسَ
नजासत को
ʿalā
عَلَى
ऊपर उनके जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऊपर उनके जो
لَا
नहीं वो ईमान लाते
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते
अतः (वास्तविकता यह है कि) जिसे अल्लाह सीधे मार्ग पर लाना चाहता है, उसका सीना इस्लाम के लिए खोल देता है। और जिसे गुमराही में पड़ा रहने देता चाहता है, उसके सीने को तंग और भिंचा हुआ कर देता है; मानो वह आकाश में चढ़ रहा है। इस तरह अल्लाह उन लोगों पर गन्दगी डाल देता है, जो ईमान नहीं लाते ([६] अल-अनाम: 125)
Tafseer (तफ़सीर )
१२६

وَهٰذَا صِرَاطُ رَبِّكَ مُسْتَقِيْمًاۗ قَدْ فَصَّلْنَا الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّذَّكَّرُوْنَ ١٢٦

wahādhā
وَهَٰذَا
और ये
ṣirāṭu
صِرَٰطُ
रास्ता है
rabbika
رَبِّكَ
आपके रब का
mus'taqīman
مُسْتَقِيمًاۗ
सीधा
qad
قَدْ
तहक़ीक़
faṣṣalnā
فَصَّلْنَا
खोल कर बयान कीं हमने
l-āyāti
ٱلْءَايَٰتِ
आयात
liqawmin
لِقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yadhakkarūna
يَذَّكَّرُونَ
जो नसीहत क़ुबूल करते हैं
और यह तुम्हारे रब का रास्ता है, बिल्कुल सीधा। हमने निशानियाँ, ध्यान देनेवालों के लिए खोल-खोलकर बयान कर दी है ([६] अल-अनाम: 126)
Tafseer (तफ़सीर )
१२७

۞ لَهُمْ دَارُ السَّلٰمِ عِنْدَ رَبِّهِمْ وَهُوَ وَلِيُّهُمْ بِمَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ١٢٧

lahum
لَهُمْ
उनके लिए
dāru
دَارُ
घर है
l-salāmi
ٱلسَّلَٰمِ
सलामती का
ʿinda
عِندَ
पास उनके रब के
rabbihim
رَبِّهِمْۖ
पास उनके रब के
wahuwa
وَهُوَ
और वो
waliyyuhum
وَلِيُّهُم
दोस्त है उनका
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
उनके लिए उनके रब के यहाँ सलामती का घर है और वह उनका संरक्षक मित्र है, उन कामों के कारण जो वे करते रहे है ([६] अल-अनाम: 127)
Tafseer (तफ़सीर )
१२८

وَيَوْمَ يَحْشُرُهُمْ جَمِيْعًاۚ يٰمَعْشَرَ الْجِنِّ قَدِ اسْتَكْثَرْتُمْ مِّنَ الْاِنْسِ ۚوَقَالَ اَوْلِيَاۤؤُهُمْ مِّنَ الْاِنْسِ رَبَّنَا اسْتَمْتَعَ بَعْضُنَا بِبَعْضٍ وَّبَلَغْنَآ اَجَلَنَا الَّذِيْٓ اَجَّلْتَ لَنَا ۗقَالَ النَّارُ مَثْوٰىكُمْ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اِلَّا مَا شَاۤءَ اللّٰهُ ۗاِنَّ رَبَّكَ حَكِيْمٌ عَلِيْمٌ ١٢٨

wayawma
وَيَوْمَ
और जिस दिन
yaḥshuruhum
يَحْشُرُهُمْ
वो इकट्ठा करेगा उनको
jamīʿan
جَمِيعًا
सबके सबको
yāmaʿshara
يَٰمَعْشَرَ
ऐ गिरोह (तो फ़रमाएगा)
l-jini
ٱلْجِنِّ
जिन्नों के
qadi
قَدِ
तहक़ीक़
is'takthartum
ٱسْتَكْثَرْتُم
बहुत ज़्यादा ले लिए तुमने
mina
مِّنَ
इन्सानों में से
l-insi
ٱلْإِنسِۖ
इन्सानों में से
waqāla
وَقَالَ
और कहेंगे
awliyāuhum
أَوْلِيَآؤُهُم
दोस्त उनके
mina
مِّنَ
इन्सानों में से
l-insi
ٱلْإِنسِ
इन्सानों में से
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
is'tamtaʿa
ٱسْتَمْتَعَ
फ़ायदा उठाया
baʿḍunā
بَعْضُنَا
बाज़ हमारे ने
bibaʿḍin
بِبَعْضٍ
बाज़ का
wabalaghnā
وَبَلَغْنَآ
और पहुँचे हम
ajalanā
أَجَلَنَا
अपनी मुद्दत को
alladhī
ٱلَّذِىٓ
वो जो
ajjalta
أَجَّلْتَ
मुक़र्रर की तूने
lanā
لَنَاۚ
हमारे लिए
qāla
قَالَ
वो फ़रमाएगा
l-nāru
ٱلنَّارُ
आग
mathwākum
مَثْوَىٰكُمْ
ठिकाना है तुम्हारा
khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हो
fīhā
فِيهَآ
उसमें
illā
إِلَّا
मगर
مَا
जो
shāa
شَآءَ
चाहे
l-lahu
ٱللَّهُۗ
अल्लाह
inna
إِنَّ
बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
ḥakīmun
حَكِيمٌ
बहुत हिकमत वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब इल्म वाला है
और उस दिन को याद करो, जब वह उन सबको घेरकर इकट्ठा करेगा, (कहेगा), 'ऐ जिन्नों के गिरोह! तुमने तो मनुष्यों पर ख़ूब हाथ साफ किया।' और मनुष्यों में से जो उनके साथी रहे होंगे, कहेंग, 'ऐ हमारे रब! हमने आपस में एक-दूसरे से लाभ उठाया और अपने उस नियत समय को पहुँच गए, जो तूने हमारे लिए ठहराया था।' वह कहेगा, 'आग (नरक) तुम्हारा ठिकाना है, उसमें तुम्हें सदैव रहना है।' अल्लाह का चाहा ही क्रियान्वित है। निश्चय ही तुम्हारा रब तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है ([६] अल-अनाम: 128)
Tafseer (तफ़सीर )
१२९

وَكَذٰلِكَ نُوَلِّيْ بَعْضَ الظّٰلِمِيْنَ بَعْضًاۢ بِمَا كَانُوْا يَكْسِبُوْنَ ࣖ ١٢٩

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
nuwallī
نُوَلِّى
हम मुसल्लत कर देते हैं
baʿḍa
بَعْضَ
बाज़
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
baʿḍan
بَعْضًۢا
बाज़ पर
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaksibūna
يَكْسِبُونَ
वो कमाई करते
इसी प्रकार हम अत्याचारियों को एक-दूसरे के लिए (नरक का) साथी बना देंगे, उस कमाई के कारण जो वे करते रहे थे ([६] अल-अनाम: 129)
Tafseer (तफ़सीर )
१३०

يٰمَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ اَلَمْ يَأْتِكُمْ رُسُلٌ مِّنْكُمْ يَقُصُّوْنَ عَلَيْكُمْ اٰيٰتِيْ وَيُنْذِرُوْنَكُمْ لِقَاۤءَ يَوْمِكُمْ هٰذَاۗ قَالُوْا شَهِدْنَا عَلٰٓى اَنْفُسِنَا وَغَرَّتْهُمُ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا وَشَهِدُوْا عَلٰٓى اَنْفُسِهِمْ اَنَّهُمْ كَانُوْا كٰفِرِيْنَ ١٣٠

yāmaʿshara
يَٰمَعْشَرَ
ऐ गिरोह
l-jini
ٱلْجِنِّ
जिन्नों के
wal-insi
وَٱلْإِنسِ
और इन्सानों के
alam
أَلَمْ
क्या नहीं
yatikum
يَأْتِكُمْ
आए तुम्हारे पास
rusulun
رُسُلٌ
कुछ रसूल
minkum
مِّنكُمْ
तुम में से
yaquṣṣūna
يَقُصُّونَ
जो बयान करते
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
āyātī
ءَايَٰتِى
आयात मेरी
wayundhirūnakum
وَيُنذِرُونَكُمْ
और वो डराते तुम्हें
liqāa
لِقَآءَ
मुलाक़ात से
yawmikum
يَوْمِكُمْ
तुम्हारे इस दिन की
hādhā
هَٰذَاۚ
तुम्हारे इस दिन की
qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
shahid'nā
شَهِدْنَا
गवाही देते हैं हम
ʿalā
عَلَىٰٓ
अपने नफ़्सों पर
anfusinā
أَنفُسِنَاۖ
अपने नफ़्सों पर
wagharrathumu
وَغَرَّتْهُمُ
और धोखे में डाला उन्हें
l-ḥayatu
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी ने
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
washahidū
وَشَهِدُوا۟
और वो गवाही देंगे
ʿalā
عَلَىٰٓ
अपने नफ़्सों पर
anfusihim
أَنفُسِهِمْ
अपने नफ़्सों पर
annahum
أَنَّهُمْ
कि बेशक वो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
kāfirīna
كَٰفِرِينَ
काफ़िर
'ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! क्या तुम्हारे पास तुम्हीं में से रसूल नहीं आए थे, जो तुम्हें मेरी आयतें सुनाते और इस दिन के पेश आने से तुम्हें डराते थे?' वे कहेंगे, 'क्यों नहीं! (रसूल तो आए थे) हम स्वयं अपने विरुद्ध गवाह है।' उन्हें तो सांसारिक जीवन ने धोखे में रखा। मगर अब वे स्वयं अपने विरुद्ध गवाही देने लगे कि वे इनकार करनेवाले थे ([६] अल-अनाम: 130)
Tafseer (तफ़सीर )