وَلَا تَأْكُلُوْا مِمَّا لَمْ يُذْكَرِ اسْمُ اللّٰهِ عَلَيْهِ وَاِنَّهٗ لَفِسْقٌۗ وَاِنَّ الشَّيٰطِيْنَ لَيُوْحُوْنَ اِلٰٓى اَوْلِيَاۤىِٕهِمْ لِيُجَادِلُوْكُمْ ۚوَاِنْ اَطَعْتُمُوْهُمْ اِنَّكُمْ لَمُشْرِكُوْنَ ࣖ ١٢١
- walā
- وَلَا
- और ना
- takulū
- تَأْكُلُوا۟
- तुम खाओ
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yudh'kari
- يُذْكَرِ
- ज़िक्र किया गया
- us'mu
- ٱسْمُ
- नाम
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- lafis'qun
- لَفِسْقٌۗ
- अलबत्ता गुनाह है
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- l-shayāṭīna
- ٱلشَّيَٰطِينَ
- शयातीन
- layūḥūna
- لَيُوحُونَ
- अलबत्ता वो इल्क़ा करते हैं
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ अपने दोस्तों के
- awliyāihim
- أَوْلِيَآئِهِمْ
- तरफ़ अपने दोस्तों के
- liyujādilūkum
- لِيُجَٰدِلُوكُمْۖ
- ताकि वो झगड़ें तुमसे
- wa-in
- وَإِنْ
- और अगर
- aṭaʿtumūhum
- أَطَعْتُمُوهُمْ
- इताअत की तुमने उनकी
- innakum
- إِنَّكُمْ
- बेशक तुम
- lamush'rikūna
- لَمُشْرِكُونَ
- अलबत्ता मुशरिक होगे
और उसे न खाओं जिसपर अल्लाह का नाम न लिया गया हो। निश्चय ही वह तो आज्ञा का उल्लंघन है। शैतान तो अपने मित्रों के दिलों में डालते है कि वे तुमसे झगड़े। यदि तुमने उनकी बात मान ली तो निश्चय ही तुम बहुदेववादी होगे ([६] अल-अनाम: 121)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَمَنْ كَانَ مَيْتًا فَاَحْيَيْنٰهُ وَجَعَلْنَا لَهٗ نُوْرًا يَّمْشِيْ بِهٖ فِى النَّاسِ كَمَنْ مَّثَلُهٗ فِى الظُّلُمٰتِ لَيْسَ بِخَارِجٍ مِّنْهَاۗ كَذٰلِكَ زُيِّنَ لِلْكٰفِرِيْنَ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ١٢٢
- awaman
- أَوَمَن
- क्या भला जो
- kāna
- كَانَ
- था
- maytan
- مَيْتًا
- मुर्दा
- fa-aḥyaynāhu
- فَأَحْيَيْنَٰهُ
- तो ज़िन्दा किया हमने उसे
- wajaʿalnā
- وَجَعَلْنَا
- और बनाया हमने
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- nūran
- نُورًا
- एक नूर
- yamshī
- يَمْشِى
- वो चलता है
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- fī
- فِى
- लोगों में
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों में
- kaman
- كَمَن
- उसकी तरह हो सकता है जो
- mathaluhu
- مَّثَلُهُۥ
- उसकी तरह हो सकता है जो
- fī
- فِى
- अँधेरों में है
- l-ẓulumāti
- ٱلظُّلُمَٰتِ
- अँधेरों में है
- laysa
- لَيْسَ
- नहीं है
- bikhārijin
- بِخَارِجٍ
- निकलने वाला
- min'hā
- مِّنْهَاۚ
- उन से
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- zuyyina
- زُيِّنَ
- मुज़य्यन कर दिया गया है
- lil'kāfirīna
- لِلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के लिए
- mā
- مَا
- जो
- kānū
- كَانُوا۟
- हैं वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
क्या वह व्यक्ति जो पहले मुर्दा था, फिर उसे हमने जीवित किया और उसके लिए एक प्रकाश उपलब्ध किया जिसको लिए हुए वह लोगों के बीच चलता-फिरता है, उस व्यक्ति को तरह हो सकता है जो अँधेरों में पड़ा हुआ हो, उससे कदापि निकलनेवाला न हो? ऐसे ही इनकार करनेवालों के कर्म उनके लिए सुहाबने बनाए गए है ([६] अल-अनाम: 122)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ جَعَلْنَا فِيْ كُلِّ قَرْيَةٍ اَكٰبِرَ مُجْرِمِيْهَا لِيَمْكُرُوْا فِيْهَاۗ وَمَا يَمْكُرُوْنَ اِلَّا بِاَنْفُسِهِمْ وَمَا يَشْعُرُوْنَ ١٢٣
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- बना दिया हमने
- fī
- فِى
- हर बस्ती में
- kulli
- كُلِّ
- हर बस्ती में
- qaryatin
- قَرْيَةٍ
- हर बस्ती में
- akābira
- أَكَٰبِرَ
- बड़ों को
- muj'rimīhā
- مُجْرِمِيهَا
- मुजरिम उसके
- liyamkurū
- لِيَمْكُرُوا۟
- ताकि वो मकर करें
- fīhā
- فِيهَاۖ
- उसमें
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yamkurūna
- يَمْكُرُونَ
- वो मकर करते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- bi-anfusihim
- بِأَنفُسِهِمْ
- अपने नफ़्सों से
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yashʿurūna
- يَشْعُرُونَ
- वो शऊर रखते
और इसी प्रकार हमने प्रत्येक बस्ती में उसके बड़े-बड़े अपराधियों को लगा दिया है कि ले वहाँ चालें चले। वे अपने ही विरुद्ध चालें चलते है, किन्तु उन्हें इसका एहसास नहीं ([६] अल-अनाम: 123)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا جَاۤءَتْهُمْ اٰيَةٌ قَالُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ حَتّٰى نُؤْتٰى مِثْلَ مَآ اُوْتِيَ رُسُلُ اللّٰهِ ۘ اَللّٰهُ اَعْلَمُ حَيْثُ يَجْعَلُ رِسٰلَتَهٗۗ سَيُصِيْبُ الَّذِيْنَ اَجْرَمُوْا صَغَارٌ عِنْدَ اللّٰهِ وَعَذَابٌ شَدِيْدٌۢ بِمَا كَانُوْا يَمْكُرُوْنَ ١٢٤
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- jāathum
- جَآءَتْهُمْ
- आती है उनके पास
- āyatun
- ءَايَةٌ
- कोई निशानी
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहते हैं
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- nu'mina
- نُّؤْمِنَ
- हम ईमान लाऐंगे
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- nu'tā
- نُؤْتَىٰ
- हम दिए जाऐं
- mith'la
- مِثْلَ
- मानिन्द उसके
- mā
- مَآ
- जो
- ūtiya
- أُوتِىَ
- दिया गया
- rusulu
- رُسُلُ
- अल्लाह के रसूलों को
- l-lahi
- ٱللَّهِۘ
- अल्लाह के रसूलों को
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ज़्यादा जानता है
- ḥaythu
- حَيْثُ
- जहाँ
- yajʿalu
- يَجْعَلُ
- वो रखता है
- risālatahu
- رِسَالَتَهُۥۗ
- अपनी रिसालत को
- sayuṣību
- سَيُصِيبُ
- अनक़रीब पहुँचेगी
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- ajramū
- أَجْرَمُوا۟
- जुर्म किए
- ṣaghārun
- صَغَارٌ
- ज़िल्लत
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के यहाँ
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के यहाँ
- waʿadhābun
- وَعَذَابٌ
- और अज़ाब
- shadīdun
- شَدِيدٌۢ
- शदीद
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yamkurūna
- يَمْكُرُونَ
- मकर करते
और जब उनके पास कोई आयत (निशानी) आता है, तो वे कहते है, 'हम कदापि नहीं मानेंगे, जब तक कि वैसी ही चीज़ हमें न दी जाए जो अल्लाह के रसूलों को दी गई हैं।' अल्लाह भली-भाँति उस (के औचित्य) को जानता है, जिसमें वह अपनी पैग़म्बरी रखता है। अपराधियों को शीघ्र ही अल्लाह के यहाँ बड़े अपमान और कठोर यातना का सामना करना पड़ेगा, उस चाल के कारण जो वे चलते रहे है ([६] अल-अनाम: 124)Tafseer (तफ़सीर )
فَمَنْ يُّرِدِ اللّٰهُ اَنْ يَّهْدِيَهٗ يَشْرَحْ صَدْرَهٗ لِلْاِسْلَامِۚ وَمَنْ يُّرِدْ اَنْ يُّضِلَّهٗ يَجْعَلْ صَدْرَهٗ ضَيِّقًا حَرَجًا كَاَنَّمَا يَصَّعَّدُ فِى السَّمَاۤءِۗ كَذٰلِكَ يَجْعَلُ اللّٰهُ الرِّجْسَ عَلَى الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ ١٢٥
- faman
- فَمَن
- पस जिसे
- yuridi
- يُرِدِ
- चाहता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- an
- أَن
- कि
- yahdiyahu
- يَهْدِيَهُۥ
- वो हिदायत दे उसे
- yashraḥ
- يَشْرَحْ
- खोल देता है
- ṣadrahu
- صَدْرَهُۥ
- सीना उसका
- lil'is'lāmi
- لِلْإِسْلَٰمِۖ
- इस्लाम के लिए
- waman
- وَمَن
- और जिसे
- yurid
- يُرِدْ
- वो चाहता है
- an
- أَن
- कि
- yuḍillahu
- يُضِلَّهُۥ
- वो गुमराह कर दे उसे
- yajʿal
- يَجْعَلْ
- वो कर देता है
- ṣadrahu
- صَدْرَهُۥ
- सीना उसका
- ḍayyiqan
- ضَيِّقًا
- तंग
- ḥarajan
- حَرَجًا
- घुटा हुआ
- ka-annamā
- كَأَنَّمَا
- गोया कि
- yaṣṣaʿʿadu
- يَصَّعَّدُ
- वो चढ़ता है
- fī
- فِى
- आसमान में
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِۚ
- आसमान में
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- yajʿalu
- يَجْعَلُ
- डालता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-rij'sa
- ٱلرِّجْسَ
- नजासत को
- ʿalā
- عَلَى
- ऊपर उनके जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऊपर उनके जो
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाते
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाते
अतः (वास्तविकता यह है कि) जिसे अल्लाह सीधे मार्ग पर लाना चाहता है, उसका सीना इस्लाम के लिए खोल देता है। और जिसे गुमराही में पड़ा रहने देता चाहता है, उसके सीने को तंग और भिंचा हुआ कर देता है; मानो वह आकाश में चढ़ रहा है। इस तरह अल्लाह उन लोगों पर गन्दगी डाल देता है, जो ईमान नहीं लाते ([६] अल-अनाम: 125)Tafseer (तफ़सीर )
وَهٰذَا صِرَاطُ رَبِّكَ مُسْتَقِيْمًاۗ قَدْ فَصَّلْنَا الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّذَّكَّرُوْنَ ١٢٦
- wahādhā
- وَهَٰذَا
- और ये
- ṣirāṭu
- صِرَٰطُ
- रास्ता है
- rabbika
- رَبِّكَ
- आपके रब का
- mus'taqīman
- مُسْتَقِيمًاۗ
- सीधा
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- faṣṣalnā
- فَصَّلْنَا
- खोल कर बयान कीं हमने
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात
- liqawmin
- لِقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yadhakkarūna
- يَذَّكَّرُونَ
- जो नसीहत क़ुबूल करते हैं
और यह तुम्हारे रब का रास्ता है, बिल्कुल सीधा। हमने निशानियाँ, ध्यान देनेवालों के लिए खोल-खोलकर बयान कर दी है ([६] अल-अनाम: 126)Tafseer (तफ़सीर )
۞ لَهُمْ دَارُ السَّلٰمِ عِنْدَ رَبِّهِمْ وَهُوَ وَلِيُّهُمْ بِمَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ١٢٧
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- dāru
- دَارُ
- घर है
- l-salāmi
- ٱلسَّلَٰمِ
- सलामती का
- ʿinda
- عِندَ
- पास उनके रब के
- rabbihim
- رَبِّهِمْۖ
- पास उनके रब के
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- waliyyuhum
- وَلِيُّهُم
- दोस्त है उनका
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
उनके लिए उनके रब के यहाँ सलामती का घर है और वह उनका संरक्षक मित्र है, उन कामों के कारण जो वे करते रहे है ([६] अल-अनाम: 127)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَوْمَ يَحْشُرُهُمْ جَمِيْعًاۚ يٰمَعْشَرَ الْجِنِّ قَدِ اسْتَكْثَرْتُمْ مِّنَ الْاِنْسِ ۚوَقَالَ اَوْلِيَاۤؤُهُمْ مِّنَ الْاِنْسِ رَبَّنَا اسْتَمْتَعَ بَعْضُنَا بِبَعْضٍ وَّبَلَغْنَآ اَجَلَنَا الَّذِيْٓ اَجَّلْتَ لَنَا ۗقَالَ النَّارُ مَثْوٰىكُمْ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اِلَّا مَا شَاۤءَ اللّٰهُ ۗاِنَّ رَبَّكَ حَكِيْمٌ عَلِيْمٌ ١٢٨
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और जिस दिन
- yaḥshuruhum
- يَحْشُرُهُمْ
- वो इकट्ठा करेगा उनको
- jamīʿan
- جَمِيعًا
- सबके सबको
- yāmaʿshara
- يَٰمَعْشَرَ
- ऐ गिरोह (तो फ़रमाएगा)
- l-jini
- ٱلْجِنِّ
- जिन्नों के
- qadi
- قَدِ
- तहक़ीक़
- is'takthartum
- ٱسْتَكْثَرْتُم
- बहुत ज़्यादा ले लिए तुमने
- mina
- مِّنَ
- इन्सानों में से
- l-insi
- ٱلْإِنسِۖ
- इन्सानों में से
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहेंगे
- awliyāuhum
- أَوْلِيَآؤُهُم
- दोस्त उनके
- mina
- مِّنَ
- इन्सानों में से
- l-insi
- ٱلْإِنسِ
- इन्सानों में से
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- is'tamtaʿa
- ٱسْتَمْتَعَ
- फ़ायदा उठाया
- baʿḍunā
- بَعْضُنَا
- बाज़ हमारे ने
- bibaʿḍin
- بِبَعْضٍ
- बाज़ का
- wabalaghnā
- وَبَلَغْنَآ
- और पहुँचे हम
- ajalanā
- أَجَلَنَا
- अपनी मुद्दत को
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो जो
- ajjalta
- أَجَّلْتَ
- मुक़र्रर की तूने
- lanā
- لَنَاۚ
- हमारे लिए
- qāla
- قَالَ
- वो फ़रमाएगा
- l-nāru
- ٱلنَّارُ
- आग
- mathwākum
- مَثْوَىٰكُمْ
- ठिकाना है तुम्हारा
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हो
- fīhā
- فِيهَآ
- उसमें
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- जो
- shāa
- شَآءَ
- चाहे
- l-lahu
- ٱللَّهُۗ
- अल्लाह
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- बहुत हिकमत वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब इल्म वाला है
और उस दिन को याद करो, जब वह उन सबको घेरकर इकट्ठा करेगा, (कहेगा), 'ऐ जिन्नों के गिरोह! तुमने तो मनुष्यों पर ख़ूब हाथ साफ किया।' और मनुष्यों में से जो उनके साथी रहे होंगे, कहेंग, 'ऐ हमारे रब! हमने आपस में एक-दूसरे से लाभ उठाया और अपने उस नियत समय को पहुँच गए, जो तूने हमारे लिए ठहराया था।' वह कहेगा, 'आग (नरक) तुम्हारा ठिकाना है, उसमें तुम्हें सदैव रहना है।' अल्लाह का चाहा ही क्रियान्वित है। निश्चय ही तुम्हारा रब तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है ([६] अल-अनाम: 128)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ نُوَلِّيْ بَعْضَ الظّٰلِمِيْنَ بَعْضًاۢ بِمَا كَانُوْا يَكْسِبُوْنَ ࣖ ١٢٩
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- nuwallī
- نُوَلِّى
- हम मुसल्लत कर देते हैं
- baʿḍa
- بَعْضَ
- बाज़
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों को
- baʿḍan
- بَعْضًۢا
- बाज़ पर
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaksibūna
- يَكْسِبُونَ
- वो कमाई करते
इसी प्रकार हम अत्याचारियों को एक-दूसरे के लिए (नरक का) साथी बना देंगे, उस कमाई के कारण जो वे करते रहे थे ([६] अल-अनाम: 129)Tafseer (तफ़सीर )
يٰمَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ اَلَمْ يَأْتِكُمْ رُسُلٌ مِّنْكُمْ يَقُصُّوْنَ عَلَيْكُمْ اٰيٰتِيْ وَيُنْذِرُوْنَكُمْ لِقَاۤءَ يَوْمِكُمْ هٰذَاۗ قَالُوْا شَهِدْنَا عَلٰٓى اَنْفُسِنَا وَغَرَّتْهُمُ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا وَشَهِدُوْا عَلٰٓى اَنْفُسِهِمْ اَنَّهُمْ كَانُوْا كٰفِرِيْنَ ١٣٠
- yāmaʿshara
- يَٰمَعْشَرَ
- ऐ गिरोह
- l-jini
- ٱلْجِنِّ
- जिन्नों के
- wal-insi
- وَٱلْإِنسِ
- और इन्सानों के
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- yatikum
- يَأْتِكُمْ
- आए तुम्हारे पास
- rusulun
- رُسُلٌ
- कुछ रसूल
- minkum
- مِّنكُمْ
- तुम में से
- yaquṣṣūna
- يَقُصُّونَ
- जो बयान करते
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- āyātī
- ءَايَٰتِى
- आयात मेरी
- wayundhirūnakum
- وَيُنذِرُونَكُمْ
- और वो डराते तुम्हें
- liqāa
- لِقَآءَ
- मुलाक़ात से
- yawmikum
- يَوْمِكُمْ
- तुम्हारे इस दिन की
- hādhā
- هَٰذَاۚ
- तुम्हारे इस दिन की
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहेंगे
- shahid'nā
- شَهِدْنَا
- गवाही देते हैं हम
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- अपने नफ़्सों पर
- anfusinā
- أَنفُسِنَاۖ
- अपने नफ़्सों पर
- wagharrathumu
- وَغَرَّتْهُمُ
- और धोखे में डाला उन्हें
- l-ḥayatu
- ٱلْحَيَوٰةُ
- ज़िन्दगी ने
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- washahidū
- وَشَهِدُوا۟
- और वो गवाही देंगे
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- अपने नफ़्सों पर
- anfusihim
- أَنفُسِهِمْ
- अपने नफ़्सों पर
- annahum
- أَنَّهُمْ
- कि बेशक वो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- kāfirīna
- كَٰفِرِينَ
- काफ़िर
'ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! क्या तुम्हारे पास तुम्हीं में से रसूल नहीं आए थे, जो तुम्हें मेरी आयतें सुनाते और इस दिन के पेश आने से तुम्हें डराते थे?' वे कहेंगे, 'क्यों नहीं! (रसूल तो आए थे) हम स्वयं अपने विरुद्ध गवाह है।' उन्हें तो सांसारिक जीवन ने धोखे में रखा। मगर अब वे स्वयं अपने विरुद्ध गवाही देने लगे कि वे इनकार करनेवाले थे ([६] अल-अनाम: 130)Tafseer (तफ़सीर )