Skip to content

सूरा अल-अनाम - Page: 12

Al-An'am

(पशु)

१११

۞ وَلَوْ اَنَّنَا نَزَّلْنَآ اِلَيْهِمُ الْمَلٰۤىِٕكَةَ وَكَلَّمَهُمُ الْمَوْتٰى وَحَشَرْنَا عَلَيْهِمْ كُلَّ شَيْءٍ قُبُلًا مَّا كَانُوْا لِيُؤْمِنُوْٓا اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ اللّٰهُ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ يَجْهَلُوْنَ ١١١

walaw
وَلَوْ
और अगर
annanā
أَنَّنَا
बेशक हम
nazzalnā
نَزَّلْنَآ
उतारते हम
ilayhimu
إِلَيْهِمُ
तरफ़ उनके
l-malāikata
ٱلْمَلَٰٓئِكَةَ
फ़रिश्ते
wakallamahumu
وَكَلَّمَهُمُ
और कलाम करते उनसे
l-mawtā
ٱلْمَوْتَىٰ
मुर्दे
waḥasharnā
وَحَشَرْنَا
और इकट्ठा कर लाते हम
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
kulla
كُلَّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
qubulan
قُبُلًا
सामने
مَّا
ना
kānū
كَانُوا۟
थे वो
liyu'minū
لِيُؤْمِنُوٓا۟
कि वो ईमान ले आते
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yashāa
يَشَآءَ
चाहता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
aktharahum
أَكْثَرَهُمْ
अक्सर उनके
yajhalūna
يَجْهَلُونَ
वो जहालत बरतते हैं
यदि हम उनकी ओर फ़रिश्ते भी उतार देते और मुर्दें भी उनसे बातें करने लगते और प्रत्येक चीज़ उनके सामने लाकर इकट्ठा कर देते, तो भी वे ईमान न लाते, बल्कि अल्लाह ही का चाहा क्रियान्वित है। परन्तु उनमें से अधिकतर लोग अज्ञानता से काम लेते है ([६] अल-अनाम: 111)
Tafseer (तफ़सीर )
११२

وَكَذٰلِكَ جَعَلْنَا لِكُلِّ نَبِيٍّ عَدُوًّا شَيٰطِيْنَ الْاِنْسِ وَالْجِنِّ يُوْحِيْ بَعْضُهُمْ اِلٰى بَعْضٍ زُخْرُفَ الْقَوْلِ غُرُوْرًا ۗوَلَوْ شَاۤءَ رَبُّكَ مَا فَعَلُوْهُ فَذَرْهُمْ وَمَا يَفْتَرُوْنَ ١١٢

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
jaʿalnā
جَعَلْنَا
बनाए हमने
likulli
لِكُلِّ
हर नबी के लिए
nabiyyin
نَبِىٍّ
हर नबी के लिए
ʿaduwwan
عَدُوًّا
दुश्मन
shayāṭīna
شَيَٰطِينَ
शयातीन
l-insi
ٱلْإِنسِ
इन्सानों
wal-jini
وَٱلْجِنِّ
और जिन्नों (में से)
yūḥī
يُوحِى
डालता है
baʿḍuhum
بَعْضُهُمْ
बाज़ उनका
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ बाज़ के
baʿḍin
بَعْضٍ
तरफ़ बाज़ के
zukh'rufa
زُخْرُفَ
मुलम्मा की हुई
l-qawli
ٱلْقَوْلِ
बात
ghurūran
غُرُورًاۚ
धोखा देने के लिए
walaw
وَلَوْ
और अगर
shāa
شَآءَ
चाहता
rabbuka
رَبُّكَ
रब आपका
مَا
ना
faʿalūhu
فَعَلُوهُۖ
वो करते उसे
fadharhum
فَذَرْهُمْ
पस छोड़ दीजिए उन्हें
wamā
وَمَا
और जो
yaftarūna
يَفْتَرُونَ
वो झूठ गढ़ते हैं
और इसी प्रकार हमने मनुष्यों और जिन्नों में से शैतानों को प्रत्येक नबी का शत्रु बनाया, जो चिकनी-चुपड़ी बात एक-दूसरे के मन में डालकर धोखा देते थे - यदि तुम्हारा रब चाहता तो वे ऐसा न कर सकते। अब छोड़ो उन्हें और उनके मिथ्यारोपण को। - ([६] अल-अनाम: 112)
Tafseer (तफ़सीर )
११३

وَلِتَصْغٰٓى اِلَيْهِ اَفْـِٕدَةُ الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ وَلِيَرْضَوْهُ وَلِيَقْتَرِفُوْا مَا هُمْ مُّقْتَرِفُوْنَ ١١٣

walitaṣghā
وَلِتَصْغَىٰٓ
और ताकि माइल हों
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
afidatu
أَفْـِٔدَةُ
दिल
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जो
لَا
नहीं वो ईमान लाते
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते
bil-ākhirati
بِٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत पर
waliyarḍawhu
وَلِيَرْضَوْهُ
और ताकि वो राज़ी हों उससे
waliyaqtarifū
وَلِيَقْتَرِفُوا۟
और ताकि वो कमाई करें
مَا
जो
hum
هُم
वो
muq'tarifūna
مُّقْتَرِفُونَ
कमाई करने वाले हैं
और ताकि जो लोग परलोक को नहीं मानते, उनके दिल उसकी ओर झुकें और ताकि वे उसे पसन्द कर लें, और ताकि जो कमाई उन्हें करनी है कर लें ([६] अल-अनाम: 113)
Tafseer (तफ़सीर )
११४

اَفَغَيْرَ اللّٰهِ اَبْتَغِيْ حَكَمًا وَّهُوَ الَّذِيْٓ اَنْزَلَ اِلَيْكُمُ الْكِتٰبَ مُفَصَّلًا ۗوَالَّذِيْنَ اٰتَيْنٰهُمُ الْكِتٰبَ يَعْلَمُوْنَ اَنَّهٗ مُنَزَّلٌ مِّنْ رَّبِّكَ بِالْحَقِّ فَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُمْتَرِيْنَ ١١٤

afaghayra
أَفَغَيْرَ
क्या फिर सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
abtaghī
أَبْتَغِى
मैं तलाश करूँ
ḥakaman
حَكَمًا
कोई फ़ैसला करने वाला
wahuwa
وَهُوَ
हालाँकि वो ही है
alladhī
ٱلَّذِىٓ
जिसने
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल की
ilaykumu
إِلَيْكُمُ
तरफ़ तुम्हारे
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
mufaṣṣalan
مُفَصَّلًاۚ
मुफ़स्सिल
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो लोग जो
ātaynāhumu
ءَاتَيْنَٰهُمُ
दी हमने उन्हें
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
वो जानते हैं
annahu
أَنَّهُۥ
कि बेशक वो
munazzalun
مُنَزَّلٌ
नाज़िल करदा है
min
مِّن
आपके रब की तरफ़ से
rabbika
رَّبِّكَ
आपके रब की तरफ़ से
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۖ
साथ हक़ के
falā
فَلَا
पस हरगिज़ ना आप हों
takūnanna
تَكُونَنَّ
पस हरगिज़ ना आप हों
mina
مِنَ
शक करने वालों में से
l-mum'tarīna
ٱلْمُمْتَرِينَ
शक करने वालों में से
अब क्या मैं अल्लाह के सिवा कोई और निर्णायक ढूढूँ? हालाँकि वही है जिसने तुम्हारी ओर किताब अवतरित की है, जिसमें बातें खोल-खोलकर बता दी गई है और जिन लोगों को हमने किताब प्रदान की थी, वे भी जानते है कि यह तुम्हारे रब की ओर से हक़ के साथ अवतरित हुई है, तो तुम कदापि सन्देह में न पड़ना ([६] अल-अनाम: 114)
Tafseer (तफ़सीर )
११५

وَتَمَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ صِدْقًا وَّعَدْلًاۗ لَا مُبَدِّلَ لِكَلِمٰتِهٖ ۚوَهُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ١١٥

watammat
وَتَمَّتْ
और पूरी हो गई
kalimatu
كَلِمَتُ
बात
rabbika
رَبِّكَ
आपके रब की
ṣid'qan
صِدْقًا
सच
waʿadlan
وَعَدْلًاۚ
और इन्साफ़ की
لَّا
नहीं कोई बदलने वाला
mubaddila
مُبَدِّلَ
नहीं कोई बदलने वाला
likalimātihi
لِكَلِمَٰتِهِۦۚ
उसके कलिमात को
wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-samīʿu
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला है
l-ʿalīmu
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला है
तुम्हारे रब की बात सच्चाई और इनसाफ़ के साथ पूरी हुई, कोई नहीं जो उसकी बातों को बदल सकें, और वह सुनता, जानता है ([६] अल-अनाम: 115)
Tafseer (तफ़सीर )
११६

وَاِنْ تُطِعْ اَكْثَرَ مَنْ فِى الْاَرْضِ يُضِلُّوْكَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗاِنْ يَّتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنْ هُمْ اِلَّا يَخْرُصُوْنَ ١١٦

wa-in
وَإِن
और अगर
tuṭiʿ
تُطِعْ
आप इताअत करें
akthara
أَكْثَرَ
अक्सरियत की
man
مَن
जो
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में है
yuḍillūka
يُضِلُّوكَ
वो भटका देंगे आपको
ʿan
عَن
अल्लाह के रास्ते से
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के रास्ते से
in
إِن
नहीं
yattabiʿūna
يَتَّبِعُونَ
वो पैरवी करते
illā
إِلَّا
मगर
l-ẓana
ٱلظَّنَّ
गुमान की
wa-in
وَإِنْ
और नहीं
hum
هُمْ
वो
illā
إِلَّا
मगर
yakhruṣūna
يَخْرُصُونَ
वो क़यास आराइयाँ करते हैं
और धरती में अधिकतर लोग ऐसे है, यदि तुम उनके कहने पर चले तो वे अल्लाह के मार्ग से तुम्हें भटका देंगे। वे तो केवल अटकल के पीछे चलते है और वे निरे अटकल ही दौड़ाते है ([६] अल-अनाम: 116)
Tafseer (तफ़सीर )
११७

اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ مَنْ يَّضِلُّ عَنْ سَبِيْلِهٖۚ وَهُوَ اَعْلَمُ بِالْمُهْتَدِيْنَ ١١٧

inna
إِنَّ
बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
huwa
هُوَ
वो
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानता है
man
مَن
कौन भटका हुआ है
yaḍillu
يَضِلُّ
कौन भटका हुआ है
ʿan
عَن
उसके रास्ते से
sabīlihi
سَبِيلِهِۦۖ
उसके रास्ते से
wahuwa
وَهُوَ
और वो
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानता है
bil-muh'tadīna
بِٱلْمُهْتَدِينَ
हिदायत पाने वालों को
निस्संदेह तुम्हारा रब उसे भली-भाँति जानता है, जो उसके मार्ग से भटकता और वह उन्हें भी जानता है, जो सीधे मार्ग पर है ([६] अल-अनाम: 117)
Tafseer (तफ़सीर )
११८

فَكُلُوْا مِمَّا ذُكِرَ اسْمُ اللّٰهِ عَلَيْهِ اِنْ كُنْتُمْ بِاٰيٰتِهٖ مُؤْمِنِيْنَ ١١٨

fakulū
فَكُلُوا۟
पस खाओ
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
dhukira
ذُكِرَ
ज़िक्र किया गया
us'mu
ٱسْمُ
नाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُم
हो तुम
biāyātihi
بِـَٔايَٰتِهِۦ
उसकी आयात पर
mu'minīna
مُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वाले
अतः जिसपर अल्लाह का नाम लिया गया हो, उसे खाओ; यदि तुम उसकी आयतों को मानते हो ([६] अल-अनाम: 118)
Tafseer (तफ़सीर )
११९

وَمَا لَكُمْ اَلَّا تَأْكُلُوْا مِمَّا ذُكِرَ اسْمُ اللّٰهِ عَلَيْهِ وَقَدْ فَصَّلَ لَكُمْ مَّا حَرَّمَ عَلَيْكُمْ اِلَّا مَا اضْطُرِرْتُمْ اِلَيْهِ ۗوَاِنَّ كَثِيرًا لَّيُضِلُّوْنَ بِاَهْوَاۤىِٕهِمْ بِغَيْرِ عِلْمٍ ۗاِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ بِالْمُعْتَدِيْنَ ١١٩

wamā
وَمَا
और क्या है
lakum
لَكُمْ
तुम्हें
allā
أَلَّا
कि नहीं
takulū
تَأْكُلُوا۟
तुम खाते
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
dhukira
ذُكِرَ
ज़िक्र किया गया
us'mu
ٱسْمُ
नाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
faṣṣala
فَصَّلَ
उसने खोलकर बयान किया
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
مَّا
जो
ḥarrama
حَرَّمَ
उसने हराम किया
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
illā
إِلَّا
मगर
مَا
वो जो
uḍ'ṭurir'tum
ٱضْطُرِرْتُمْ
मजबूर कर दिए जाओ तुम
ilayhi
إِلَيْهِۗ
तरफ़ उसके
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
kathīran
كَثِيرًا
अक्सर लोग
layuḍillūna
لَّيُضِلُّونَ
अलबत्ता वो गुमराह करते हैं
bi-ahwāihim
بِأَهْوَآئِهِم
अपनी ख़्वाहिशात के ज़रिए
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ʿil'min
عِلْمٍۗ
इल्म के
inna
إِنَّ
बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
huwa
هُوَ
वो
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानने वाला है
bil-muʿ'tadīna
بِٱلْمُعْتَدِينَ
हद से तजावुज़ करने वालों को
और क्या आपत्ति है कि तुम उसे न खाओ, जिसपर अल्लाह का नाम लिया गया हो, बल्कि जो कुछ चीज़े उसने तुम्हारे लिए हराम कर दी है, उनको उसने विस्तारपूर्वक तुम्हे बता दिया है। यह और बात है कि उसके लिए कभी तुम्हें विवश होना पड़े। परन्तु अधिकतर लोग तो ज्ञान के बिना केवल अपनी इच्छाओं (ग़लत विचारों) के द्वारा पथभ्रष्टो करते रहते है। निस्सन्देह तुम्हारा रब मर्यादाहीन लोगों को भली-भाँति जानता है ([६] अल-अनाम: 119)
Tafseer (तफ़सीर )
१२०

وَذَرُوْا ظَاهِرَ الْاِثْمِ وَبَاطِنَهٗ ۗاِنَّ الَّذِيْنَ يَكْسِبُوْنَ الْاِثْمَ سَيُجْزَوْنَ بِمَا كَانُوْا يَقْتَرِفُوْنَ ١٢٠

wadharū
وَذَرُوا۟
और छोड़ दो
ẓāhira
ظَٰهِرَ
ज़ाहिरी
l-ith'mi
ٱلْإِثْمِ
गुनाह को
wabāṭinahu
وَبَاطِنَهُۥٓۚ
और उसके छुपे को
inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yaksibūna
يَكْسِبُونَ
कमाते है
l-ith'ma
ٱلْإِثْمَ
गुनाह
sayuj'zawna
سَيُجْزَوْنَ
अनक़रीब वो बदला दिए जाऐंगे
bimā
بِمَا
उसका जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaqtarifūna
يَقْتَرِفُونَ
वो कमाई करते
छोड़ो खुले गुनाह को भी और छिपे को भी। निश्चय ही गुनाह कमानेवालों को उसका बदला दिया जाएगा, जिस कमाई में वे लगे रहे होंगे ([६] अल-अनाम: 120)
Tafseer (तफ़सीर )