بَدِيْعُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ اَنّٰى يَكُوْنُ لَهٗ وَلَدٌ وَّلَمْ تَكُنْ لَّهٗ صَاحِبَةٌ ۗوَخَلَقَ كُلَّ شَيْءٍۚ وَهُوَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ١٠١
- badīʿu
- بَدِيعُ
- मूजिद है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۖ
- और ज़मीन का
- annā
- أَنَّىٰ
- क्यों कर
- yakūnu
- يَكُونُ
- हो सकती है
- lahu
- لَهُۥ
- उसकी
- waladun
- وَلَدٌ
- कोई औलाद
- walam
- وَلَمْ
- हालाँकि नहीं
- takun
- تَكُن
- है
- lahu
- لَّهُۥ
- उसकी
- ṣāḥibatun
- صَٰحِبَةٌۖ
- कोई बीवी
- wakhalaqa
- وَخَلَقَ
- और उसने पैदा किया
- kulla
- كُلَّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍۖ
- चीज़ को
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
वह आकाशों और धरती का सर्वप्रथम पैदा करनेवाला है। उसका कोई बेटा कैसे हो सकता है, जबकि उसकी पत्नी ही नहीं? और उसी ने हर चीज़ को पैदा किया है और उसे हर चीज़ का ज्ञान है ([६] अल-अनाम: 101)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْۚ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۚ خَالِقُ كُلِّ شَيْءٍ فَاعْبُدُوْهُ ۚوَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ وَّكِيْلٌ ١٠٢
- dhālikumu
- ذَٰلِكُمُ
- ये है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- rabbukum
- رَبُّكُمْۖ
- रब तुम्हारा
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۖ
- वो ही
- khāliqu
- خَٰلِقُ
- पैदा करने वाला है
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ का
- fa-uʿ'budūhu
- فَٱعْبُدُوهُۚ
- पस इबादत करो उसकी
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- wakīlun
- وَكِيلٌ
- कारसाज़ है
वही अल्लाह तुम्हारा रब; उसके सिवा कोई पूज्य नहीं; हर चीज़ का स्रष्टा है; अतः तुम उसी की बन्दगी करो। वही हर चीज़ का ज़िम्मेदार है ([६] अल-अनाम: 102)Tafseer (तफ़सीर )
لَا تُدْرِكُهُ الْاَبْصَارُ وَهُوَ يُدْرِكُ الْاَبْصَارَۚ وَهُوَ اللَّطِيْفُ الْخَبِيْرُ ١٠٣
- lā
- لَّا
- नहीं पा सकतीं उसे
- tud'rikuhu
- تُدْرِكُهُ
- नहीं पा सकतीं उसे
- l-abṣāru
- ٱلْأَبْصَٰرُ
- निगाहें
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- yud'riku
- يُدْرِكُ
- वो पा लेता है
- l-abṣāra
- ٱلْأَبْصَٰرَۖ
- निगाहों को
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-laṭīfu
- ٱللَّطِيفُ
- बहुत बारीक बीन है
- l-khabīru
- ٱلْخَبِيرُ
- ख़ूब बाख़बर है
निगाहें उसे नहीं पा सकतीं, बल्कि वही निगाहों को पा लेता है। वह अत्यन्त सूक्ष्म (एवं सूक्ष्मदर्शी) ख़बर रखनेवाला है ([६] अल-अनाम: 103)Tafseer (तफ़सीर )
قَدْ جَاۤءَكُمْ بَصَاۤىِٕرُ مِنْ رَّبِّكُمْۚ فَمَنْ اَبْصَرَ فَلِنَفْسِهٖۚ وَمَنْ عَمِيَ فَعَلَيْهَاۗ وَمَآ اَنَا۠ عَلَيْكُمْ بِحَفِيْظٍ ١٠٤
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- jāakum
- جَآءَكُم
- आ गईं तुम्हारे पास
- baṣāiru
- بَصَآئِرُ
- खुली दलीलें
- min
- مِن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْۖ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- faman
- فَمَنْ
- तो जिसने
- abṣara
- أَبْصَرَ
- देख लिया
- falinafsihi
- فَلِنَفْسِهِۦۖ
- तो उसके अपने लिए है
- waman
- وَمَنْ
- और जो
- ʿamiya
- عَمِىَ
- अँधा हुआ
- faʿalayhā
- فَعَلَيْهَاۚ
- तो उसी पर है
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर
- biḥafīẓin
- بِحَفِيظٍ
- कोई निगरान
तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से आँख खोल देनेवाले प्रमाण आ चुके है; तो जिस किसी ने देखा, अपना ही भला किया और जो अंधा बना रहा, तो वह अपने ही को हानि पहुँचाएगा। और मैं तुमपर कोई नियुक्त रखवाला नहीं हूँ ([६] अल-अनाम: 104)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ نُصَرِّفُ الْاٰيٰتِ وَلِيَقُوْلُوْا دَرَسْتَ وَلِنُبَيِّنَهٗ لِقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ ١٠٥
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- nuṣarrifu
- نُصَرِّفُ
- हम फेर-फेर कर लाते हैं
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात को
- waliyaqūlū
- وَلِيَقُولُوا۟
- और ताकि वो कहें
- darasta
- دَرَسْتَ
- पढ़ लिया है तूने
- walinubayyinahu
- وَلِنُبَيِّنَهُۥ
- और ताकि हम बयान करें उसे
- liqawmin
- لِقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- जो इल्म रखते हैं
और इसी प्रकार हम अपनी आयतें विभिन्न ढंग से बयान करते है (कि वे सुने) और इसलिए कि वे कह लें, '(ऐ मुहम्मद!) तुमनेकहीं से पढ़-पढ़ा लिया है।' और इसलिए भी कि हम उनके लिए जो जानना चाहें, सत्य को स्पष्ट कर दें ([६] अल-अनाम: 105)Tafseer (तफ़सीर )
اِتَّبِعْ مَآ اُوْحِيَ اِلَيْكَ مِنْ رَّبِّكَۚ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۚ وَاَعْرِضْ عَنِ الْمُشْرِكِيْنَ ١٠٦
- ittabiʿ
- ٱتَّبِعْ
- पैरवी कीजिए
- mā
- مَآ
- उसकी जो
- ūḥiya
- أُوحِىَ
- वही किया गया
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- min
- مِن
- आपके रब की तरफ़ से
- rabbika
- رَّبِّكَۖ
- आपके रब की तरफ़ से
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۖ
- वो ही
- wa-aʿriḍ
- وَأَعْرِضْ
- और ऐराज़ कीजिए
- ʿani
- عَنِ
- मुशरिकीन से
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन से
तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी तरफ़ जो वह्यो की गई है, उसी का अनुसरण किए जाओ, उसके सिवा कोई पूज्य नहीं और बहुदेववादियों (की कुनीति) पर ध्यान न दो ([६] अल-अनाम: 106)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ مَآ اَشْرَكُوْاۗ وَمَا جَعَلْنٰكَ عَلَيْهِمْ حَفِيْظًاۚ وَمَآ اَنْتَ عَلَيْهِمْ بِوَكِيْلٍ ١٠٧
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- shāa
- شَآءَ
- चाहता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- mā
- مَآ
- ना
- ashrakū
- أَشْرَكُوا۟ۗ
- वो शिर्क करते
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- jaʿalnāka
- جَعَلْنَٰكَ
- बनाया हमने आपको
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- ḥafīẓan
- حَفِيظًاۖ
- मुहाफ़िज़
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- anta
- أَنتَ
- आप
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- biwakīlin
- بِوَكِيلٍ
- कोई कारसाज़
यदि अल्लाह चाहता तो वे (उसका) साझी न ठहराते। तुम्हें हमने उनपर कोई नियुक्त संरक्षक तो नहीं बनाया है और न तुम उनके कोई ज़िम्मेदार ही हो ([६] अल-अनाम: 107)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَسُبُّوا الَّذِيْنَ يَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ فَيَسُبُّوا اللّٰهَ عَدْوًاۢ بِغَيْرِ عِلْمٍۗ كَذٰلِكَ زَيَّنَّا لِكُلِّ اُمَّةٍ عَمَلَهُمْۖ ثُمَّ اِلٰى رَبِّهِمْ مَّرْجِعُهُمْ فَيُنَبِّئُهُمْ بِمَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ١٠٨
- walā
- وَلَا
- और ना
- tasubbū
- تَسُبُّوا۟
- तुम गाली दो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्हें
- yadʿūna
- يَدْعُونَ
- वो पुकारते हैं
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- fayasubbū
- فَيَسُبُّوا۟
- तो वो गाली देंगे
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- ʿadwan
- عَدْوًۢا
- ज़्यादती करके
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ʿil'min
- عِلْمٍۗ
- इल्म के
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- zayyannā
- زَيَّنَّا
- मुज़य्यन कर दिए हमने
- likulli
- لِكُلِّ
- वास्ते हर
- ummatin
- أُمَّةٍ
- उम्मत के
- ʿamalahum
- عَمَلَهُمْ
- अमल उनके
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने रब के
- rabbihim
- رَبِّهِم
- तरफ़ अपने रब के
- marjiʿuhum
- مَّرْجِعُهُمْ
- लौटना है उनका
- fayunabbi-uhum
- فَيُنَبِّئُهُم
- फिर वो बता देगा उन्हें
- bimā
- بِمَا
- वो जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
अल्लाह के सिवा जिन्हें ये पुकारते है, तुम उनके प्रति अपशब्द का प्रयोग न करो। ऐसा न हो कि वे हद से आगे बढ़कर अज्ञान वश अल्लाह के प्रति अपशब्द का प्रयोग करने लगें। इसी प्रकार हमने हर गिरोह के लिए उसके कर्म को सुहावना बना दिया है। फिर उन्हें अपने रब की ही ओर लौटना है। उस समय वह उन्हें बता देगा. जो कुछ वे करते रहे होंगे ([६] अल-अनाम: 108)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَقْسَمُوْا بِاللّٰهِ جَهْدَ اَيْمَانِهِمْ لَىِٕنْ جَاۤءَتْهُمْ اٰيَةٌ لَّيُؤْمِنُنَّ بِهَاۗ قُلْ اِنَّمَا الْاٰيٰتُ عِنْدَ اللّٰهِ وَمَا يُشْعِرُكُمْ اَنَّهَآ اِذَا جَاۤءَتْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ١٠٩
- wa-aqsamū
- وَأَقْسَمُوا۟
- और उन्होंने क़समें खाईं
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह की
- jahda
- جَهْدَ
- पक्की
- aymānihim
- أَيْمَٰنِهِمْ
- क़समें अपनी
- la-in
- لَئِن
- अलबत्ता अगर
- jāathum
- جَآءَتْهُمْ
- आई उनके पास
- āyatun
- ءَايَةٌ
- कोई निशानी
- layu'minunna
- لَّيُؤْمِنُنَّ
- अलबत्ता वो ज़रूर ईमान लाऐंगे
- bihā
- بِهَاۚ
- उस पर
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- l-āyātu
- ٱلْءَايَٰتُ
- निशानियाँ
- ʿinda
- عِندَ
- पास हैं अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- पास हैं अल्लाह के
- wamā
- وَمَا
- और क्या चीज़
- yush'ʿirukum
- يُشْعِرُكُمْ
- आगाह करे तुम्हें
- annahā
- أَنَّهَآ
- कि बेशक वो
- idhā
- إِذَا
- जब
- jāat
- جَآءَتْ
- वो आ जाऐंगी
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
वे लोग तो अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाते है कि यदि उनके पास कोई निशानी आ जाए, तो उसपर वे अवश्य ईमान लाएँगे। कह दो, 'निशानियाँ तो अल्लाह ही के पास है।' और तुम्हें क्या पता कि जब वे आ जाएँगी तो भी वे ईमान नहीं लाएँगे ([६] अल-अनाम: 109)Tafseer (तफ़सीर )
وَنُقَلِّبُ اَفْـِٕدَتَهُمْ وَاَبْصَارَهُمْ كَمَا لَمْ يُؤْمِنُوْا بِهٖٓ اَوَّلَ مَرَّةٍ وَّنَذَرُهُمْ فِيْ طُغْيَانِهِمْ يَعْمَهُوْنَ ࣖ ۔ ١١٠
- wanuqallibu
- وَنُقَلِّبُ
- और हम फेर देंगे
- afidatahum
- أَفْـِٔدَتَهُمْ
- उनके दिलों को
- wa-abṣārahum
- وَأَبْصَٰرَهُمْ
- और उनकी निगाहों को
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yu'minū
- يُؤْمِنُوا۟
- वो ईमान लाए
- bihi
- بِهِۦٓ
- उस पर
- awwala
- أَوَّلَ
- पहली
- marratin
- مَرَّةٍ
- बार
- wanadharuhum
- وَنَذَرُهُمْ
- और हम छोड़ देंगे उन्हें
- fī
- فِى
- उनकी सरकशी में
- ṭugh'yānihim
- طُغْيَٰنِهِمْ
- उनकी सरकशी में
- yaʿmahūna
- يَعْمَهُونَ
- वो भटकते फिरेंगे
और हम उनके दिलों और निगाहों को फेर देंगे, जिस प्रकार वे पहली बार ईमान नहीं लाए थे। और हम उन्हें छोड़ देंगे कि वे अपनी सरकशी में भटकते रहें ([६] अल-अनाम: 110)Tafseer (तफ़सीर )