وَمَا قَدَرُوا اللّٰهَ حَقَّ قَدْرِهٖٓ اِذْ قَالُوْا مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ عَلٰى بَشَرٍ مِّنْ شَيْءٍۗ قُلْ مَنْ اَنْزَلَ الْكِتٰبَ الَّذِيْ جَاۤءَ بِهٖ مُوْسٰى نُوْرًا وَّهُدًى لِّلنَّاسِ تَجْعَلُوْنَهٗ قَرَاطِيْسَ تُبْدُوْنَهَا وَتُخْفُوْنَ كَثِيْرًاۚ وَعُلِّمْتُمْ مَّا لَمْ تَعْلَمُوْٓا اَنْتُمْ وَلَآ اٰبَاۤؤُكُمْ ۗقُلِ اللّٰهُ ۙثُمَّ ذَرْهُمْ فِيْ خَوْضِهِمْ يَلْعَبُوْنَ ٩١
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- qadarū
- قَدَرُوا۟
- उन्होंने क़द्र की
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- ḥaqqa
- حَقَّ
- जिस तरह हक़ है
- qadrihi
- قَدْرِهِۦٓ
- उसकी क़द्र करने का
- idh
- إِذْ
- जब
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- mā
- مَآ
- नहीं
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल की
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalā
- عَلَىٰ
- किसी इन्सान पर
- basharin
- بَشَرٍ
- किसी इन्सान पर
- min
- مِّن
- कोई चीज़
- shayin
- شَىْءٍۗ
- कोई चीज़
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- man
- مَنْ
- किसने
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल की
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- jāa
- جَآءَ
- लाए
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा
- nūran
- نُورًا
- नूर
- wahudan
- وَهُدًى
- और हिदायत थी
- lilnnāsi
- لِّلنَّاسِۖ
- लोगों के लिए
- tajʿalūnahu
- تَجْعَلُونَهُۥ
- तुम बना देते हो उसे
- qarāṭīsa
- قَرَاطِيسَ
- वर्क़-वर्क़
- tub'dūnahā
- تُبْدُونَهَا
- तुम ज़ाहिर करते हो उसे
- watukh'fūna
- وَتُخْفُونَ
- और तुम छुपाते हो
- kathīran
- كَثِيرًاۖ
- बहुत सा
- waʿullim'tum
- وَعُلِّمْتُم
- और सिखाए गए हो तुम
- mā
- مَّا
- जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- taʿlamū
- تَعْلَمُوٓا۟
- तुम जानते थे
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- walā
- وَلَآ
- और ना
- ābāukum
- ءَابَآؤُكُمْۖ
- आबा ओ अजदाद तुम्हारे
- quli
- قُلِ
- कह दीजिए
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह ने (उतारा है)
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- dharhum
- ذَرْهُمْ
- छोड़ दीजिए उन्हें
- fī
- فِى
- अपनी बहस में
- khawḍihim
- خَوْضِهِمْ
- अपनी बहस में
- yalʿabūna
- يَلْعَبُونَ
- वो खेलते फिरें
उन्होंने अल्लाह की क़द्र न जानी, जैसी उसकी क़द्र जाननी चाहिए थी, जबकि उन्होंने कहा, 'अल्लाह ने किसी मनुष्य पर कुछ अवतरित ही नहीं किया है।' कहो, 'फिर यह किताब किसने अवतरित की, जो मूसा लोगों के लिए प्रकाश और मार्गदर्शन के रूप में लाया था, जिसे तुम पन्ना-पन्ना करके रखते हो? उन्हें दिखाते भी हो, परन्तु बहुत-सा छिपा जाते हो। और तुम्हें वह ज्ञान दिया गया, जिसे न तुम जानते थे और न तुम्हारे बाप-दादा ही।' कह दो, 'अल्लाह ही ने,' फिर उन्हें छोड़ो कि वे अपनी नुक्ताचीनियों से खेलते रहें ([६] अल-अनाम: 91)Tafseer (तफ़सीर )
وَهٰذَا كِتٰبٌ اَنْزَلْنٰهُ مُبٰرَكٌ مُّصَدِّقُ الَّذِيْ بَيْنَ يَدَيْهِ وَلِتُنْذِرَ اُمَّ الْقُرٰى وَمَنْ حَوْلَهَاۗ وَالَّذِيْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ يُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَهُمْ عَلٰى صَلَاتِهِمْ يُحٰفِظُوْنَ ٩٢
- wahādhā
- وَهَٰذَا
- और ये
- kitābun
- كِتَٰبٌ
- किताब है
- anzalnāhu
- أَنزَلْنَٰهُ
- नाज़िल किया हमने उसे
- mubārakun
- مُبَارَكٌ
- बरकत वाली
- muṣaddiqu
- مُّصَدِّقُ
- तसदीक़ करने वाली
- alladhī
- ٱلَّذِى
- उसकी जो
- bayna
- بَيْنَ
- इससे पहले है
- yadayhi
- يَدَيْهِ
- इससे पहले है
- walitundhira
- وَلِتُنذِرَ
- और ताकि आप डराऐं
- umma
- أُمَّ
- अहले मक्का को
- l-qurā
- ٱلْقُرَىٰ
- अहले मक्का को
- waman
- وَمَنْ
- और जो
- ḥawlahā
- حَوْلَهَاۚ
- उसके इर्द-गिर्द हैं
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- ईमान रखते हैं
- bil-ākhirati
- بِٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत पर
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- वो ईमान लाते हैं
- bihi
- بِهِۦۖ
- उस पर
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपनी नमाज़ की
- ṣalātihim
- صَلَاتِهِمْ
- अपनी नमाज़ की
- yuḥāfiẓūna
- يُحَافِظُونَ
- वो हिफ़ाज़त करते हैं
यह किताब है जिसे हमने उतारा है; बरकतवाली है; अपने से पहले की पुष्टि में है (ताकि तुम शुभ-सूचना दो) और ताकि तुम केन्द्रीय बस्ती (मक्का) और उसके चतुर्दिक बसनेवाले लोगों को सचेत करो और जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते है, वे इसपर भी ईमान लाते है। और वे अपनी नमाज़ की रक्षा करते है ([६] अल-अनाम: 92)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ قَالَ اُوْحِيَ اِلَيَّ وَلَمْ يُوْحَ اِلَيْهِ شَيْءٌ وَّمَنْ قَالَ سَاُنْزِلُ مِثْلَ مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ ۗوَلَوْ تَرٰٓى اِذِ الظّٰلِمُوْنَ فِيْ غَمَرٰتِ الْمَوْتِ وَالْمَلٰۤىِٕكَةُ بَاسِطُوْٓا اَيْدِيْهِمْۚ اَخْرِجُوْٓا اَنْفُسَكُمْۗ اَلْيَوْمَ تُجْزَوْنَ عَذَابَ الْهُوْنِ بِمَا كُنْتُمْ تَقُوْلُوْنَ عَلَى اللّٰهِ غَيْرَ الْحَقِّ وَكُنْتُمْ عَنْ اٰيٰتِهٖ تَسْتَكْبِرُوْنَ ٩٣
- waman
- وَمَنْ
- और कौन
- aẓlamu
- أَظْلَمُ
- बड़ा ज़ालिम है
- mimmani
- مِمَّنِ
- उससे जो
- if'tarā
- ٱفْتَرَىٰ
- गढ़ ले
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- kadhiban
- كَذِبًا
- झूठ
- aw
- أَوْ
- या
- qāla
- قَالَ
- वो कहे
- ūḥiya
- أُوحِىَ
- वही की गई
- ilayya
- إِلَىَّ
- तरफ़ मेरे
- walam
- وَلَمْ
- हालाँकि नहीं
- yūḥa
- يُوحَ
- वही की गई
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसके
- shayon
- شَىْءٌ
- कोई चीज़
- waman
- وَمَن
- और जो
- qāla
- قَالَ
- कहे
- sa-unzilu
- سَأُنزِلُ
- ज़रूर मैं नाज़िल करुँगा
- mith'la
- مِثْلَ
- मानिन्द
- mā
- مَآ
- उसके जो
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल किया
- l-lahu
- ٱللَّهُۗ
- अल्लाह ने
- walaw
- وَلَوْ
- और काश
- tarā
- تَرَىٰٓ
- आप देखें
- idhi
- إِذِ
- जब
- l-ẓālimūna
- ٱلظَّٰلِمُونَ
- ज़ालिम
- fī
- فِى
- सख़्तियों में होंगे
- ghamarāti
- غَمَرَٰتِ
- सख़्तियों में होंगे
- l-mawti
- ٱلْمَوْتِ
- मौत की
- wal-malāikatu
- وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
- और फ़रिश्ते
- bāsiṭū
- بَاسِطُوٓا۟
- फैलाए हुए होंगे
- aydīhim
- أَيْدِيهِمْ
- अपने हाथों को
- akhrijū
- أَخْرِجُوٓا۟
- निकालो
- anfusakumu
- أَنفُسَكُمُۖ
- जानें अपनी
- l-yawma
- ٱلْيَوْمَ
- आज
- tuj'zawna
- تُجْزَوْنَ
- तुम बदला दिए जाओगे
- ʿadhāba
- عَذَابَ
- अज़ाब
- l-hūni
- ٱلْهُونِ
- रुस्वाई का
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taqūlūna
- تَقُولُونَ
- तुम कहते
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- ghayra
- غَيْرَ
- नाहक़
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّ
- नाहक़
- wakuntum
- وَكُنتُمْ
- और थे तुम
- ʿan
- عَنْ
- उसकी आयात से
- āyātihi
- ءَايَٰتِهِۦ
- उसकी आयात से
- tastakbirūna
- تَسْتَكْبِرُونَ
- तुम तकब्बुर करते
और उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर मिथ्यारोपण करे या यह कहे कि 'मेरी ओर प्रकाशना (वह्य,) की गई है,' हालाँकि उसकी ओर भी प्रकाशना न की गई हो। और वह व्यक्ति से (बढ़कर अत्याचारी कौन होगा) जो यह कहे कि 'मैं भी ऐसी चीज़ उतार दूँगा, जैसी अल्लाह ने उतारी है।' और यदि तुम देख सकते, तुम अत्याचारी मृत्यु-यातनाओं में होते है और फ़रिश्ते अपने हाथ बढ़ा रहे होते है कि 'निकालो अपने प्राण! आज तुम्हें अपमानजनक यातना दी जाएगी, क्योंकि तुम अल्लाह के प्रति झूठ बका करते थे और उसकी आयतों के मुक़ाबले में अकड़ते थे।' ([६] अल-अनाम: 93)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ جِئْتُمُوْنَا فُرَادٰى كَمَا خَلَقْنٰكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍ وَّتَرَكْتُمْ مَّا خَوَّلْنٰكُمْ وَرَاۤءَ ظُهُوْرِكُمْۚ وَمَا نَرٰى مَعَكُمْ شُفَعَاۤءَكُمُ الَّذِيْنَ زَعَمْتُمْ اَنَّهُمْ فِيْكُمْ شُرَكٰۤؤُا ۗ لَقَدْ تَّقَطَّعَ بَيْنَكُمْ وَضَلَّ عَنْكُمْ مَّا كُنْتُمْ تَزْعُمُوْنَ ࣖ ٩٤
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ji'tumūnā
- جِئْتُمُونَا
- आ गए तुम हमारे पास
- furādā
- فُرَٰدَىٰ
- अकेले-अकेले
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- khalaqnākum
- خَلَقْنَٰكُمْ
- पैदा किया था हमने तुम्हें
- awwala
- أَوَّلَ
- पहली
- marratin
- مَرَّةٍ
- बार
- wataraktum
- وَتَرَكْتُم
- और छोड़ आए तुम
- mā
- مَّا
- जो
- khawwalnākum
- خَوَّلْنَٰكُمْ
- दिया हमने तुम्हें
- warāa
- وَرَآءَ
- पीछे
- ẓuhūrikum
- ظُهُورِكُمْۖ
- अपनी पुश्तों के
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- narā
- نَرَىٰ
- हम देखते
- maʿakum
- مَعَكُمْ
- साथ तुम्हारे
- shufaʿāakumu
- شُفَعَآءَكُمُ
- तुम्हारे सिफ़ारिशियों को
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- zaʿamtum
- زَعَمْتُمْ
- गुमान किया था तुमने
- annahum
- أَنَّهُمْ
- कि बेशक वो
- fīkum
- فِيكُمْ
- तुम में
- shurakāu
- شُرَكَٰٓؤُا۟ۚ
- शरीक हैं
- laqad
- لَقَد
- अलबत्ता तहक़ीक़
- taqaṭṭaʿa
- تَّقَطَّعَ
- कट गया (ताल्लुक़)
- baynakum
- بَيْنَكُمْ
- तुम्हारे दर्मियान
- waḍalla
- وَضَلَّ
- और गुम हो गया
- ʿankum
- عَنكُم
- तुमसे
- mā
- مَّا
- वो जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- tazʿumūna
- تَزْعُمُونَ
- तुम गुमान करते
और निश्चय ही तुम उसी प्रकार एक-एक करके हमारे पास आ गए, जिस प्रकार हमने तुम्हें पहली बार पैदा किया था। और जो कुछ हमने तुम्हें दे रखा था, उसे अपने पीछे छोड़ आए और हम तुम्हारे साथ तुम्हारे उन सिफ़ारिशियों को भी नहीं देख रहे हैं, जिनके विषय में तुम दावे से कहते थे, 'वे तुम्हारे मामले में शरीक है।' तुम्हारे पारस्परिक सम्बन्ध टूट चुके है और वे सब तुमसे गुम होकर रह गए, जो दावे तुम किया करते थे ([६] अल-अनाम: 94)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اِنَّ اللّٰهَ فَالِقُ الْحَبِّ وَالنَّوٰىۗ يُخْرِجُ الْحَيَّ مِنَ الْمَيِّتِ وَمُخْرِجُ الْمَيِّتِ مِنَ الْحَيِّ ۗذٰلِكُمُ اللّٰهُ فَاَنّٰى تُؤْفَكُوْنَ ٩٥
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- fāliqu
- فَالِقُ
- फाड़ने वाला है
- l-ḥabi
- ٱلْحَبِّ
- दाने
- wal-nawā
- وَٱلنَّوَىٰۖ
- और गुठली को
- yukh'riju
- يُخْرِجُ
- वो निकालता है
- l-ḥaya
- ٱلْحَىَّ
- ज़िन्दा को
- mina
- مِنَ
- मुर्दा से
- l-mayiti
- ٱلْمَيِّتِ
- मुर्दा से
- wamukh'riju
- وَمُخْرِجُ
- और निकालने वाला है
- l-mayiti
- ٱلْمَيِّتِ
- मुर्दा को
- mina
- مِنَ
- ज़िन्दा से
- l-ḥayi
- ٱلْحَىِّۚ
- ज़िन्दा से
- dhālikumu
- ذَٰلِكُمُ
- ये है
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह
- fa-annā
- فَأَنَّىٰ
- तो कहाँ से
- tu'fakūna
- تُؤْفَكُونَ
- तुम फेरे जाते हो
निश्चय ही अल्लाह दाने और गुठली को फाड़ निकालता है, सजीव को निर्जीव से निकालता है और निर्जीव को सजीव से निकालनेवाला है। वही अल्लाह है - फिर तुम कहाँ औंधे हुए जाते हो? - ([६] अल-अनाम: 95)Tafseer (तफ़सीर )
فَالِقُ الْاِصْبَاحِۚ وَجَعَلَ الَّيْلَ سَكَنًا وَّالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ حُسْبَانًا ۗذٰلِكَ تَقْدِيْرُ الْعَزِيْزِ الْعَلِيْمِ ٩٦
- fāliqu
- فَالِقُ
- फाड़ने वाला है
- l-iṣ'bāḥi
- ٱلْإِصْبَاحِ
- सुबह का
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने बनाया
- al-layla
- ٱلَّيْلَ
- रात को
- sakanan
- سَكَنًا
- बाइसे सुकून
- wal-shamsa
- وَٱلشَّمْسَ
- और सूरज
- wal-qamara
- وَٱلْقَمَرَ
- और चाँद को
- ḥus'bānan
- حُسْبَانًاۚ
- हिसाब का ज़रिया
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- taqdīru
- تَقْدِيرُ
- अन्दाज़ा है
- l-ʿazīzi
- ٱلْعَزِيزِ
- बहुत ज़बरदस्त का
- l-ʿalīmi
- ٱلْعَلِيمِ
- बहुत इल्म वाले का
पौ फाड़ता है, और उसी ने रात को आराम के लिए बनाया और सूर्य और चन्द्रमा को (समय के) हिसाब का साधन ठहराया। यह बड़े शक्तिमान, सर्वज्ञ का ठहराया हुआ परिणाम है ([६] अल-अनाम: 96)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْ جَعَلَ لَكُمُ النُّجُوْمَ لِتَهْتَدُوْا بِهَا فِيْ ظُلُمٰتِ الْبَرِّ وَالْبَحْرِۗ قَدْ فَصَّلْنَا الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ ٩٧
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- jaʿala
- جَعَلَ
- बनाए
- lakumu
- لَكُمُ
- तुम्हारे लिए
- l-nujūma
- ٱلنُّجُومَ
- सितारे
- litahtadū
- لِتَهْتَدُوا۟
- ताकि तुम राह पाओ
- bihā
- بِهَا
- उनके ज़रिए
- fī
- فِى
- तारीकियों में
- ẓulumāti
- ظُلُمَٰتِ
- तारीकियों में
- l-bari
- ٱلْبَرِّ
- खुश्की की
- wal-baḥri
- وَٱلْبَحْرِۗ
- और समुन्दर की
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक
- faṣṣalnā
- فَصَّلْنَا
- खोल कर बयान कर दीं हमने
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात
- liqawmin
- لِقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- जो इल्म रखते हैं
और वही है जिसने तुम्हारे लिए तारे बनाए, ताकि तुम उनके द्वारा स्थल और समुद्र के अंधकारों में मार्ग पा सको। जो लोग जानना चाहे उनके लिए हमने निशानियाँ खोल-खोलकर बयान कर दी है ([६] अल-अनाम: 97)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْٓ اَنْشَاَكُمْ مِّنْ نَّفْسٍ وَّاحِدَةٍ فَمُسْتَقَرٌّ وَّمُسْتَوْدَعٌ ۗقَدْ فَصَّلْنَا الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّفْقَهُوْنَ ٩٨
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जिसने
- ansha-akum
- أَنشَأَكُم
- पैदा किया तुम्हें
- min
- مِّن
- एक जान से
- nafsin
- نَّفْسٍ
- एक जान से
- wāḥidatin
- وَٰحِدَةٍ
- एक जान से
- famus'taqarrun
- فَمُسْتَقَرٌّ
- फिर एक रहने की जगह
- wamus'tawdaʿun
- وَمُسْتَوْدَعٌۗ
- और एक सुपुर्द किए जाने की जगह है
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- faṣṣalnā
- فَصَّلْنَا
- खोल कर बयान कर दीं हमने
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात
- liqawmin
- لِقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yafqahūna
- يَفْقَهُونَ
- जो समझते हों
और वही तो है, जिसने तुम्हें अकेली जान पैदा किया। अतः एक अवधि तक ठहरना है और फिर सौंप देना है। उन लोगों के लिए, जो समझे हमने निशानियाँ खोल-खोलकर बयान कर दी है ([६] अल-अनाम: 98)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ الَّذِيْٓ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءًۚ فَاَخْرَجْنَا بِهٖ نَبَاتَ كُلِّ شَيْءٍ فَاَخْرَجْنَا مِنْهُ خَضِرًا نُّخْرِجُ مِنْهُ حَبًّا مُّتَرَاكِبًاۚ وَمِنَ النَّخْلِ مِنْ طَلْعِهَا قِنْوَانٌ دَانِيَةٌ وَّجَنّٰتٍ مِّنْ اَعْنَابٍ وَّالزَّيْتُوْنَ وَالرُّمَّانَ مُشْتَبِهًا وَّغَيْرَ مُتَشَابِهٍۗ اُنْظُرُوْٓا اِلٰى ثَمَرِهٖٓ اِذَٓا اَثْمَرَ وَيَنْعِهٖ ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكُمْ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ٩٩
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जिसने
- anzala
- أَنزَلَ
- उतारा
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- māan
- مَآءً
- पानी
- fa-akhrajnā
- فَأَخْرَجْنَا
- फिर निकाली हमने
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- nabāta
- نَبَاتَ
- पैदावार
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ की
- fa-akhrajnā
- فَأَخْرَجْنَا
- फिर निकाला हमने
- min'hu
- مِنْهُ
- उससे
- khaḍiran
- خَضِرًا
- सब्ज़ा
- nukh'riju
- نُّخْرِجُ
- हम निकालते हैं
- min'hu
- مِنْهُ
- उससे
- ḥabban
- حَبًّا
- दाने
- mutarākiban
- مُّتَرَاكِبًا
- तह-ब-तह
- wamina
- وَمِنَ
- और खजूरों से
- l-nakhli
- ٱلنَّخْلِ
- और खजूरों से
- min
- مِن
- उनकेशगूफ़ों से
- ṭalʿihā
- طَلْعِهَا
- उनकेशगूफ़ों से
- qin'wānun
- قِنْوَانٌ
- ख़ोशे
- dāniyatun
- دَانِيَةٌ
- झुके हुए
- wajannātin
- وَجَنَّٰتٍ
- और बाग़ात
- min
- مِّنْ
- अंगूरों के
- aʿnābin
- أَعْنَابٍ
- अंगूरों के
- wal-zaytūna
- وَٱلزَّيْتُونَ
- और ज़ैतून
- wal-rumāna
- وَٱلرُّمَّانَ
- और अनार के
- mush'tabihan
- مُشْتَبِهًا
- मिलते-जुलते
- waghayra
- وَغَيْرَ
- और नहीं भी
- mutashābihin
- مُتَشَٰبِهٍۗ
- मिलते-जुलते
- unẓurū
- ٱنظُرُوٓا۟
- देखो
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- thamarihi
- ثَمَرِهِۦٓ
- उसके फल के
- idhā
- إِذَآ
- जब
- athmara
- أَثْمَرَ
- वो फल लाए
- wayanʿihi
- وَيَنْعِهِۦٓۚ
- और उसके पकने के
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- fī
- فِى
- इसमें
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- इसमें
- laāyātin
- لَءَايَٰتٍ
- अलबत्ता निशानियाँ हैं
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- जो ईमान रखते हों
और वही है जिसने आकाश से पानी बरसाया, फिर हमने उसके द्वारा हर प्रकार की वनस्पति उगाई; फिर उससे हमने हरी-भरी पत्तियाँ निकाली और तने विकसित किए, जिससे हम तले-ऊपर चढे हुए दान निकालते है - और खजूर के गाभे से झुके पड़ते गुच्छे भी - और अंगूर, ज़ैतून और अनार के बाग़ लगाए, जो एक-दूसरे से भिन्न भी होते है। उसके फल को देखा, जब वह फलता है और उसके पकने को भी देखो! निस्संदेह ईमान लानेवाले लोगों को लिए इनमें बड़ी निशानियाँ है ([६] अल-अनाम: 99)Tafseer (तफ़सीर )
وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَاۤءَ الْجِنَّ وَخَلَقَهُمْ وَخَرَقُوْا لَهٗ بَنِيْنَ وَبَنٰتٍۢ بِغَيْرِ عِلْمٍۗ سُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰى عَمَّا يَصِفُوْنَ ࣖ ١٠٠
- wajaʿalū
- وَجَعَلُوا۟
- और उन्होंने बना लिया
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- shurakāa
- شُرَكَآءَ
- शरीक
- l-jina
- ٱلْجِنَّ
- जिन्नों को
- wakhalaqahum
- وَخَلَقَهُمْۖ
- हालाँकि उसने पैदा किया उन्हें
- wakharaqū
- وَخَرَقُوا۟
- और उन्होंने गढ़ लिए
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- banīna
- بَنِينَ
- बेटे
- wabanātin
- وَبَنَٰتٍۭ
- और बेटियाँ
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ʿil'min
- عِلْمٍۚ
- इल्म के
- sub'ḥānahu
- سُبْحَٰنَهُۥ
- पाक है वो
- wataʿālā
- وَتَعَٰلَىٰ
- और बुलन्दतर है
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- yaṣifūna
- يَصِفُونَ
- वो वस्फ़ बयान करते हैं
और लोगों ने जिन्नों को अल्लाह का साझी ठहरा रखा है; हालाँकि उन्हें उसी ने पैदा किया है। और बेजाने-बूझे उनके लिए बेटे और बेटियाँ घड़ ली है। यह उसकी महिमा के प्रतिकूल है! यह उन बातों से उच्च है, जो वे बयान करते है! ([६] अल-अनाम: 100)Tafseer (तफ़सीर )