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सूरा अल-अनाम - Page: 10

Al-An'am

(पशु)

९१

وَمَا قَدَرُوا اللّٰهَ حَقَّ قَدْرِهٖٓ اِذْ قَالُوْا مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ عَلٰى بَشَرٍ مِّنْ شَيْءٍۗ قُلْ مَنْ اَنْزَلَ الْكِتٰبَ الَّذِيْ جَاۤءَ بِهٖ مُوْسٰى نُوْرًا وَّهُدًى لِّلنَّاسِ تَجْعَلُوْنَهٗ قَرَاطِيْسَ تُبْدُوْنَهَا وَتُخْفُوْنَ كَثِيْرًاۚ وَعُلِّمْتُمْ مَّا لَمْ تَعْلَمُوْٓا اَنْتُمْ وَلَآ اٰبَاۤؤُكُمْ ۗقُلِ اللّٰهُ ۙثُمَّ ذَرْهُمْ فِيْ خَوْضِهِمْ يَلْعَبُوْنَ ٩١

wamā
وَمَا
और नहीं
qadarū
قَدَرُوا۟
उन्होंने क़द्र की
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
ḥaqqa
حَقَّ
जिस तरह हक़ है
qadrihi
قَدْرِهِۦٓ
उसकी क़द्र करने का
idh
إِذْ
जब
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
مَآ
नहीं
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल की
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalā
عَلَىٰ
किसी इन्सान पर
basharin
بَشَرٍ
किसी इन्सान पर
min
مِّن
कोई चीज़
shayin
شَىْءٍۗ
कोई चीज़
qul
قُلْ
कह दीजिए
man
مَنْ
किसने
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल की
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
jāa
جَآءَ
लाए
bihi
بِهِۦ
उसे
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा
nūran
نُورًا
नूर
wahudan
وَهُدًى
और हिदायत थी
lilnnāsi
لِّلنَّاسِۖ
लोगों के लिए
tajʿalūnahu
تَجْعَلُونَهُۥ
तुम बना देते हो उसे
qarāṭīsa
قَرَاطِيسَ
वर्क़-वर्क़
tub'dūnahā
تُبْدُونَهَا
तुम ज़ाहिर करते हो उसे
watukh'fūna
وَتُخْفُونَ
और तुम छुपाते हो
kathīran
كَثِيرًاۖ
बहुत सा
waʿullim'tum
وَعُلِّمْتُم
और सिखाए गए हो तुम
مَّا
जो
lam
لَمْ
नहीं
taʿlamū
تَعْلَمُوٓا۟
तुम जानते थे
antum
أَنتُمْ
तुम
walā
وَلَآ
और ना
ābāukum
ءَابَآؤُكُمْۖ
आबा ओ अजदाद तुम्हारे
quli
قُلِ
कह दीजिए
l-lahu
ٱللَّهُۖ
अल्लाह ने (उतारा है)
thumma
ثُمَّ
फिर
dharhum
ذَرْهُمْ
छोड़ दीजिए उन्हें
فِى
अपनी बहस में
khawḍihim
خَوْضِهِمْ
अपनी बहस में
yalʿabūna
يَلْعَبُونَ
वो खेलते फिरें
उन्होंने अल्लाह की क़द्र न जानी, जैसी उसकी क़द्र जाननी चाहिए थी, जबकि उन्होंने कहा, 'अल्लाह ने किसी मनुष्य पर कुछ अवतरित ही नहीं किया है।' कहो, 'फिर यह किताब किसने अवतरित की, जो मूसा लोगों के लिए प्रकाश और मार्गदर्शन के रूप में लाया था, जिसे तुम पन्ना-पन्ना करके रखते हो? उन्हें दिखाते भी हो, परन्तु बहुत-सा छिपा जाते हो। और तुम्हें वह ज्ञान दिया गया, जिसे न तुम जानते थे और न तुम्हारे बाप-दादा ही।' कह दो, 'अल्लाह ही ने,' फिर उन्हें छोड़ो कि वे अपनी नुक्ताचीनियों से खेलते रहें ([६] अल-अनाम: 91)
Tafseer (तफ़सीर )
९२

وَهٰذَا كِتٰبٌ اَنْزَلْنٰهُ مُبٰرَكٌ مُّصَدِّقُ الَّذِيْ بَيْنَ يَدَيْهِ وَلِتُنْذِرَ اُمَّ الْقُرٰى وَمَنْ حَوْلَهَاۗ وَالَّذِيْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ يُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَهُمْ عَلٰى صَلَاتِهِمْ يُحٰفِظُوْنَ ٩٢

wahādhā
وَهَٰذَا
और ये
kitābun
كِتَٰبٌ
किताब है
anzalnāhu
أَنزَلْنَٰهُ
नाज़िल किया हमने उसे
mubārakun
مُبَارَكٌ
बरकत वाली
muṣaddiqu
مُّصَدِّقُ
तसदीक़ करने वाली
alladhī
ٱلَّذِى
उसकी जो
bayna
بَيْنَ
इससे पहले है
yadayhi
يَدَيْهِ
इससे पहले है
walitundhira
وَلِتُنذِرَ
और ताकि आप डराऐं
umma
أُمَّ
अहले मक्का को
l-qurā
ٱلْقُرَىٰ
अहले मक्का को
waman
وَمَنْ
और जो
ḥawlahā
حَوْلَهَاۚ
उसके इर्द-गिर्द हैं
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
ईमान रखते हैं
bil-ākhirati
بِٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत पर
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
वो ईमान लाते हैं
bihi
بِهِۦۖ
उस पर
wahum
وَهُمْ
और वो
ʿalā
عَلَىٰ
अपनी नमाज़ की
ṣalātihim
صَلَاتِهِمْ
अपनी नमाज़ की
yuḥāfiẓūna
يُحَافِظُونَ
वो हिफ़ाज़त करते हैं
यह किताब है जिसे हमने उतारा है; बरकतवाली है; अपने से पहले की पुष्टि में है (ताकि तुम शुभ-सूचना दो) और ताकि तुम केन्द्रीय बस्ती (मक्का) और उसके चतुर्दिक बसनेवाले लोगों को सचेत करो और जो लोग आख़िरत पर ईमान रखते है, वे इसपर भी ईमान लाते है। और वे अपनी नमाज़ की रक्षा करते है ([६] अल-अनाम: 92)
Tafseer (तफ़सीर )
९३

وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰى عَلَى اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ قَالَ اُوْحِيَ اِلَيَّ وَلَمْ يُوْحَ اِلَيْهِ شَيْءٌ وَّمَنْ قَالَ سَاُنْزِلُ مِثْلَ مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ ۗوَلَوْ تَرٰٓى اِذِ الظّٰلِمُوْنَ فِيْ غَمَرٰتِ الْمَوْتِ وَالْمَلٰۤىِٕكَةُ بَاسِطُوْٓا اَيْدِيْهِمْۚ اَخْرِجُوْٓا اَنْفُسَكُمْۗ اَلْيَوْمَ تُجْزَوْنَ عَذَابَ الْهُوْنِ بِمَا كُنْتُمْ تَقُوْلُوْنَ عَلَى اللّٰهِ غَيْرَ الْحَقِّ وَكُنْتُمْ عَنْ اٰيٰتِهٖ تَسْتَكْبِرُوْنَ ٩٣

waman
وَمَنْ
और कौन
aẓlamu
أَظْلَمُ
बड़ा ज़ालिम है
mimmani
مِمَّنِ
उससे जो
if'tarā
ٱفْتَرَىٰ
गढ़ ले
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
kadhiban
كَذِبًا
झूठ
aw
أَوْ
या
qāla
قَالَ
वो कहे
ūḥiya
أُوحِىَ
वही की गई
ilayya
إِلَىَّ
तरफ़ मेरे
walam
وَلَمْ
हालाँकि नहीं
yūḥa
يُوحَ
वही की गई
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
shayon
شَىْءٌ
कोई चीज़
waman
وَمَن
और जो
qāla
قَالَ
कहे
sa-unzilu
سَأُنزِلُ
ज़रूर मैं नाज़िल करुँगा
mith'la
مِثْلَ
मानिन्द
مَآ
उसके जो
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल किया
l-lahu
ٱللَّهُۗ
अल्लाह ने
walaw
وَلَوْ
और काश
tarā
تَرَىٰٓ
आप देखें
idhi
إِذِ
जब
l-ẓālimūna
ٱلظَّٰلِمُونَ
ज़ालिम
فِى
सख़्तियों में होंगे
ghamarāti
غَمَرَٰتِ
सख़्तियों में होंगे
l-mawti
ٱلْمَوْتِ
मौत की
wal-malāikatu
وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
और फ़रिश्ते
bāsiṭū
بَاسِطُوٓا۟
फैलाए हुए होंगे
aydīhim
أَيْدِيهِمْ
अपने हाथों को
akhrijū
أَخْرِجُوٓا۟
निकालो
anfusakumu
أَنفُسَكُمُۖ
जानें अपनी
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज
tuj'zawna
تُجْزَوْنَ
तुम बदला दिए जाओगे
ʿadhāba
عَذَابَ
अज़ाब
l-hūni
ٱلْهُونِ
रुस्वाई का
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taqūlūna
تَقُولُونَ
तुम कहते
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
ghayra
غَيْرَ
नाहक़
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّ
नाहक़
wakuntum
وَكُنتُمْ
और थे तुम
ʿan
عَنْ
उसकी आयात से
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
उसकी आयात से
tastakbirūna
تَسْتَكْبِرُونَ
तुम तकब्बुर करते
और उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर मिथ्यारोपण करे या यह कहे कि 'मेरी ओर प्रकाशना (वह्य,) की गई है,' हालाँकि उसकी ओर भी प्रकाशना न की गई हो। और वह व्यक्ति से (बढ़कर अत्याचारी कौन होगा) जो यह कहे कि 'मैं भी ऐसी चीज़ उतार दूँगा, जैसी अल्लाह ने उतारी है।' और यदि तुम देख सकते, तुम अत्याचारी मृत्यु-यातनाओं में होते है और फ़रिश्ते अपने हाथ बढ़ा रहे होते है कि 'निकालो अपने प्राण! आज तुम्हें अपमानजनक यातना दी जाएगी, क्योंकि तुम अल्लाह के प्रति झूठ बका करते थे और उसकी आयतों के मुक़ाबले में अकड़ते थे।' ([६] अल-अनाम: 93)
Tafseer (तफ़सीर )
९४

وَلَقَدْ جِئْتُمُوْنَا فُرَادٰى كَمَا خَلَقْنٰكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍ وَّتَرَكْتُمْ مَّا خَوَّلْنٰكُمْ وَرَاۤءَ ظُهُوْرِكُمْۚ وَمَا نَرٰى مَعَكُمْ شُفَعَاۤءَكُمُ الَّذِيْنَ زَعَمْتُمْ اَنَّهُمْ فِيْكُمْ شُرَكٰۤؤُا ۗ لَقَدْ تَّقَطَّعَ بَيْنَكُمْ وَضَلَّ عَنْكُمْ مَّا كُنْتُمْ تَزْعُمُوْنَ ࣖ ٩٤

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ji'tumūnā
جِئْتُمُونَا
आ गए तुम हमारे पास
furādā
فُرَٰدَىٰ
अकेले-अकेले
kamā
كَمَا
जैसा कि
khalaqnākum
خَلَقْنَٰكُمْ
पैदा किया था हमने तुम्हें
awwala
أَوَّلَ
पहली
marratin
مَرَّةٍ
बार
wataraktum
وَتَرَكْتُم
और छोड़ आए तुम
مَّا
जो
khawwalnākum
خَوَّلْنَٰكُمْ
दिया हमने तुम्हें
warāa
وَرَآءَ
पीछे
ẓuhūrikum
ظُهُورِكُمْۖ
अपनी पुश्तों के
wamā
وَمَا
और नहीं
narā
نَرَىٰ
हम देखते
maʿakum
مَعَكُمْ
साथ तुम्हारे
shufaʿāakumu
شُفَعَآءَكُمُ
तुम्हारे सिफ़ारिशियों को
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
zaʿamtum
زَعَمْتُمْ
गुमान किया था तुमने
annahum
أَنَّهُمْ
कि बेशक वो
fīkum
فِيكُمْ
तुम में
shurakāu
شُرَكَٰٓؤُا۟ۚ
शरीक हैं
laqad
لَقَد
अलबत्ता तहक़ीक़
taqaṭṭaʿa
تَّقَطَّعَ
कट गया (ताल्लुक़)
baynakum
بَيْنَكُمْ
तुम्हारे दर्मियान
waḍalla
وَضَلَّ
और गुम हो गया
ʿankum
عَنكُم
तुमसे
مَّا
वो जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
tazʿumūna
تَزْعُمُونَ
तुम गुमान करते
और निश्चय ही तुम उसी प्रकार एक-एक करके हमारे पास आ गए, जिस प्रकार हमने तुम्हें पहली बार पैदा किया था। और जो कुछ हमने तुम्हें दे रखा था, उसे अपने पीछे छोड़ आए और हम तुम्हारे साथ तुम्हारे उन सिफ़ारिशियों को भी नहीं देख रहे हैं, जिनके विषय में तुम दावे से कहते थे, 'वे तुम्हारे मामले में शरीक है।' तुम्हारे पारस्परिक सम्बन्ध टूट चुके है और वे सब तुमसे गुम होकर रह गए, जो दावे तुम किया करते थे ([६] अल-अनाम: 94)
Tafseer (तफ़सीर )
९५

۞ اِنَّ اللّٰهَ فَالِقُ الْحَبِّ وَالنَّوٰىۗ يُخْرِجُ الْحَيَّ مِنَ الْمَيِّتِ وَمُخْرِجُ الْمَيِّتِ مِنَ الْحَيِّ ۗذٰلِكُمُ اللّٰهُ فَاَنّٰى تُؤْفَكُوْنَ ٩٥

inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
fāliqu
فَالِقُ
फाड़ने वाला है
l-ḥabi
ٱلْحَبِّ
दाने
wal-nawā
وَٱلنَّوَىٰۖ
और गुठली को
yukh'riju
يُخْرِجُ
वो निकालता है
l-ḥaya
ٱلْحَىَّ
ज़िन्दा को
mina
مِنَ
मुर्दा से
l-mayiti
ٱلْمَيِّتِ
मुर्दा से
wamukh'riju
وَمُخْرِجُ
और निकालने वाला है
l-mayiti
ٱلْمَيِّتِ
मुर्दा को
mina
مِنَ
ज़िन्दा से
l-ḥayi
ٱلْحَىِّۚ
ज़िन्दा से
dhālikumu
ذَٰلِكُمُ
ये है
l-lahu
ٱللَّهُۖ
अल्लाह
fa-annā
فَأَنَّىٰ
तो कहाँ से
tu'fakūna
تُؤْفَكُونَ
तुम फेरे जाते हो
निश्चय ही अल्लाह दाने और गुठली को फाड़ निकालता है, सजीव को निर्जीव से निकालता है और निर्जीव को सजीव से निकालनेवाला है। वही अल्लाह है - फिर तुम कहाँ औंधे हुए जाते हो? - ([६] अल-अनाम: 95)
Tafseer (तफ़सीर )
९६

فَالِقُ الْاِصْبَاحِۚ وَجَعَلَ الَّيْلَ سَكَنًا وَّالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ حُسْبَانًا ۗذٰلِكَ تَقْدِيْرُ الْعَزِيْزِ الْعَلِيْمِ ٩٦

fāliqu
فَالِقُ
फाड़ने वाला है
l-iṣ'bāḥi
ٱلْإِصْبَاحِ
सुबह का
wajaʿala
وَجَعَلَ
और उसने बनाया
al-layla
ٱلَّيْلَ
रात को
sakanan
سَكَنًا
बाइसे सुकून
wal-shamsa
وَٱلشَّمْسَ
और सूरज
wal-qamara
وَٱلْقَمَرَ
और चाँद को
ḥus'bānan
حُسْبَانًاۚ
हिसाब का ज़रिया
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
taqdīru
تَقْدِيرُ
अन्दाज़ा है
l-ʿazīzi
ٱلْعَزِيزِ
बहुत ज़बरदस्त का
l-ʿalīmi
ٱلْعَلِيمِ
बहुत इल्म वाले का
पौ फाड़ता है, और उसी ने रात को आराम के लिए बनाया और सूर्य और चन्द्रमा को (समय के) हिसाब का साधन ठहराया। यह बड़े शक्तिमान, सर्वज्ञ का ठहराया हुआ परिणाम है ([६] अल-अनाम: 96)
Tafseer (तफ़सीर )
९७

وَهُوَ الَّذِيْ جَعَلَ لَكُمُ النُّجُوْمَ لِتَهْتَدُوْا بِهَا فِيْ ظُلُمٰتِ الْبَرِّ وَالْبَحْرِۗ قَدْ فَصَّلْنَا الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ ٩٧

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
jaʿala
جَعَلَ
बनाए
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-nujūma
ٱلنُّجُومَ
सितारे
litahtadū
لِتَهْتَدُوا۟
ताकि तुम राह पाओ
bihā
بِهَا
उनके ज़रिए
فِى
तारीकियों में
ẓulumāti
ظُلُمَٰتِ
तारीकियों में
l-bari
ٱلْبَرِّ
खुश्की की
wal-baḥri
وَٱلْبَحْرِۗ
और समुन्दर की
qad
قَدْ
तहक़ीक
faṣṣalnā
فَصَّلْنَا
खोल कर बयान कर दीं हमने
l-āyāti
ٱلْءَايَٰتِ
आयात
liqawmin
لِقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
जो इल्म रखते हैं
और वही है जिसने तुम्हारे लिए तारे बनाए, ताकि तुम उनके द्वारा स्थल और समुद्र के अंधकारों में मार्ग पा सको। जो लोग जानना चाहे उनके लिए हमने निशानियाँ खोल-खोलकर बयान कर दी है ([६] अल-अनाम: 97)
Tafseer (तफ़सीर )
९८

وَهُوَ الَّذِيْٓ اَنْشَاَكُمْ مِّنْ نَّفْسٍ وَّاحِدَةٍ فَمُسْتَقَرٌّ وَّمُسْتَوْدَعٌ ۗقَدْ فَصَّلْنَا الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّفْقَهُوْنَ ٩٨

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِىٓ
जिसने
ansha-akum
أَنشَأَكُم
पैदा किया तुम्हें
min
مِّن
एक जान से
nafsin
نَّفْسٍ
एक जान से
wāḥidatin
وَٰحِدَةٍ
एक जान से
famus'taqarrun
فَمُسْتَقَرٌّ
फिर एक रहने की जगह
wamus'tawdaʿun
وَمُسْتَوْدَعٌۗ
और एक सुपुर्द किए जाने की जगह है
qad
قَدْ
तहक़ीक़
faṣṣalnā
فَصَّلْنَا
खोल कर बयान कर दीं हमने
l-āyāti
ٱلْءَايَٰتِ
आयात
liqawmin
لِقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yafqahūna
يَفْقَهُونَ
जो समझते हों
और वही तो है, जिसने तुम्हें अकेली जान पैदा किया। अतः एक अवधि तक ठहरना है और फिर सौंप देना है। उन लोगों के लिए, जो समझे हमने निशानियाँ खोल-खोलकर बयान कर दी है ([६] अल-अनाम: 98)
Tafseer (तफ़सीर )
९९

وَهُوَ الَّذِيْٓ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءًۚ فَاَخْرَجْنَا بِهٖ نَبَاتَ كُلِّ شَيْءٍ فَاَخْرَجْنَا مِنْهُ خَضِرًا نُّخْرِجُ مِنْهُ حَبًّا مُّتَرَاكِبًاۚ وَمِنَ النَّخْلِ مِنْ طَلْعِهَا قِنْوَانٌ دَانِيَةٌ وَّجَنّٰتٍ مِّنْ اَعْنَابٍ وَّالزَّيْتُوْنَ وَالرُّمَّانَ مُشْتَبِهًا وَّغَيْرَ مُتَشَابِهٍۗ اُنْظُرُوْٓا اِلٰى ثَمَرِهٖٓ اِذَٓا اَثْمَرَ وَيَنْعِهٖ ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكُمْ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ ٩٩

wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
alladhī
ٱلَّذِىٓ
जिसने
anzala
أَنزَلَ
उतारा
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءً
पानी
fa-akhrajnā
فَأَخْرَجْنَا
फिर निकाली हमने
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
nabāta
نَبَاتَ
पैदावार
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ की
fa-akhrajnā
فَأَخْرَجْنَا
फिर निकाला हमने
min'hu
مِنْهُ
उससे
khaḍiran
خَضِرًا
सब्ज़ा
nukh'riju
نُّخْرِجُ
हम निकालते हैं
min'hu
مِنْهُ
उससे
ḥabban
حَبًّا
दाने
mutarākiban
مُّتَرَاكِبًا
तह-ब-तह
wamina
وَمِنَ
और खजूरों से
l-nakhli
ٱلنَّخْلِ
और खजूरों से
min
مِن
उनकेशगूफ़ों से
ṭalʿihā
طَلْعِهَا
उनकेशगूफ़ों से
qin'wānun
قِنْوَانٌ
ख़ोशे
dāniyatun
دَانِيَةٌ
झुके हुए
wajannātin
وَجَنَّٰتٍ
और बाग़ात
min
مِّنْ
अंगूरों के
aʿnābin
أَعْنَابٍ
अंगूरों के
wal-zaytūna
وَٱلزَّيْتُونَ
और ज़ैतून
wal-rumāna
وَٱلرُّمَّانَ
और अनार के
mush'tabihan
مُشْتَبِهًا
मिलते-जुलते
waghayra
وَغَيْرَ
और नहीं भी
mutashābihin
مُتَشَٰبِهٍۗ
मिलते-जुलते
unẓurū
ٱنظُرُوٓا۟
देखो
ilā
إِلَىٰ
तरफ़
thamarihi
ثَمَرِهِۦٓ
उसके फल के
idhā
إِذَآ
जब
athmara
أَثْمَرَ
वो फल लाए
wayanʿihi
وَيَنْعِهِۦٓۚ
और उसके पकने के
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इसमें
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
इसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान रखते हों
और वही है जिसने आकाश से पानी बरसाया, फिर हमने उसके द्वारा हर प्रकार की वनस्पति उगाई; फिर उससे हमने हरी-भरी पत्तियाँ निकाली और तने विकसित किए, जिससे हम तले-ऊपर चढे हुए दान निकालते है - और खजूर के गाभे से झुके पड़ते गुच्छे भी - और अंगूर, ज़ैतून और अनार के बाग़ लगाए, जो एक-दूसरे से भिन्न भी होते है। उसके फल को देखा, जब वह फलता है और उसके पकने को भी देखो! निस्संदेह ईमान लानेवाले लोगों को लिए इनमें बड़ी निशानियाँ है ([६] अल-अनाम: 99)
Tafseer (तफ़सीर )
१००

وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَاۤءَ الْجِنَّ وَخَلَقَهُمْ وَخَرَقُوْا لَهٗ بَنِيْنَ وَبَنٰتٍۢ بِغَيْرِ عِلْمٍۗ سُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰى عَمَّا يَصِفُوْنَ ࣖ ١٠٠

wajaʿalū
وَجَعَلُوا۟
और उन्होंने बना लिया
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
shurakāa
شُرَكَآءَ
शरीक
l-jina
ٱلْجِنَّ
जिन्नों को
wakhalaqahum
وَخَلَقَهُمْۖ
हालाँकि उसने पैदा किया उन्हें
wakharaqū
وَخَرَقُوا۟
और उन्होंने गढ़ लिए
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
banīna
بَنِينَ
बेटे
wabanātin
وَبَنَٰتٍۭ
और बेटियाँ
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ʿil'min
عِلْمٍۚ
इल्म के
sub'ḥānahu
سُبْحَٰنَهُۥ
पाक है वो
wataʿālā
وَتَعَٰلَىٰ
और बुलन्दतर है
ʿammā
عَمَّا
उससे जो
yaṣifūna
يَصِفُونَ
वो वस्फ़ बयान करते हैं
और लोगों ने जिन्नों को अल्लाह का साझी ठहरा रखा है; हालाँकि उन्हें उसी ने पैदा किया है। और बेजाने-बूझे उनके लिए बेटे और बेटियाँ घड़ ली है। यह उसकी महिमा के प्रतिकूल है! यह उन बातों से उच्च है, जो वे बयान करते है! ([६] अल-अनाम: 100)
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