اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِيْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَجَعَلَ الظُّلُمٰتِ وَالنُّوْرَ ەۗ ثُمَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْ يَعْدِلُوْنَ ١
- al-ḥamdu
- ٱلْحَمْدُ
- सब तारीफ़
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जिसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने बनाया
- l-ẓulumāti
- ٱلظُّلُمَٰتِ
- अँधेरों
- wal-nūra
- وَٱلنُّورَۖ
- और रोशनी को
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- birabbihim
- بِرَبِّهِمْ
- साथ अपने रब के
- yaʿdilūna
- يَعْدِلُونَ
- वो बराबर क़रार देते हैं
प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया और अँधरों और उजाले का विधान किया; फिर भी इनकार करनेवाले लोग दूसरों को अपने रब के समकक्ष ठहराते है ([६] अल-अनाम: 1)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْ خَلَقَكُمْ مِّنْ طِيْنٍ ثُمَّ قَضٰٓى اَجَلًا ۗوَاَجَلٌ مُّسَمًّى عِنْدَهٗ ثُمَّ اَنْتُمْ تَمْتَرُوْنَ ٢
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- khalaqakum
- خَلَقَكُم
- पैदा किया तुम्हें
- min
- مِّن
- मिट्टी से
- ṭīnin
- طِينٍ
- मिट्टी से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- qaḍā
- قَضَىٰٓ
- उस ने मुक़र्रर की
- ajalan
- أَجَلًاۖ
- एक मुद्दत
- wa-ajalun
- وَأَجَلٌ
- और एक (और) मुद्दत
- musamman
- مُّسَمًّى
- मुक़र्रर है
- ʿindahu
- عِندَهُۥۖ
- उसके यहाँ
- thumma
- ثُمَّ
- फिर (भी)
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- tamtarūna
- تَمْتَرُونَ
- तुम शक करते हो
वही है जिसने तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, फिर (जीवन की) एक अवधि निश्चित कर दी और उसके यहाँ (क़ियामत की) एक अवधि और निश्चित है; फिर भी तुम संदेह करते हो! ([६] अल-अनाम: 2)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُوَ اللّٰهُ فِى السَّمٰوٰتِ وَفِى الْاَرْضِۗ يَعْلَمُ سِرَّكُمْ وَجَهْرَكُمْ وَيَعْلَمُ مَا تَكْسِبُوْنَ ٣
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wafī
- وَفِى
- और ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۖ
- और ज़मीन में
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- sirrakum
- سِرَّكُمْ
- पोशीदा तुम्हारा
- wajahrakum
- وَجَهْرَكُمْ
- और ज़ाहिर तुम्हारा
- wayaʿlamu
- وَيَعْلَمُ
- और वो जानता है
- mā
- مَا
- जो
- taksibūna
- تَكْسِبُونَ
- तुम कमाते हो
वही अल्लाह है, आकाशों में भी और धरती में भी। वह तुम्हारी छिपी और तुम्हारी खुली बातों को जानता है, और जो कुछ तुम कमाते हो, वह उससे भी अवगत है ([६] अल-अनाम: 3)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا تَأْتِيْهِمْ مِّنْ اٰيَةٍ مِّنْ اٰيٰتِ رَبِّهِمْ اِلَّا كَانُوْا عَنْهَا مُعْرِضِيْنَ ٤
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- tatīhim
- تَأْتِيهِم
- आती उनके पास
- min
- مِّنْ
- कोई निशानी
- āyatin
- ءَايَةٍ
- कोई निशानी
- min
- مِّنْ
- निशानियों में से
- āyāti
- ءَايَٰتِ
- निशानियों में से
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- उनके रब की
- illā
- إِلَّا
- मगर
- kānū
- كَانُوا۟
- हैं वो
- ʿanhā
- عَنْهَا
- उनसे
- muʿ'riḍīna
- مُعْرِضِينَ
- ऐराज़ करने वाले
हाल यह है कि उनके रब की निशानियों में से कोई निशानी भी उनके पास ऐसी नहीं आई, जिससे उन्होंने मुँह न मोड़ लिया हो ([६] अल-अनाम: 4)Tafseer (तफ़सीर )
فَقَدْ كَذَّبُوْا بِالْحَقِّ لَمَّا جَاۤءَهُمْۗ فَسَوْفَ يَأْتِيْهِمْ اَنْۢبـٰۤؤُا مَا كَانُوْا بِهٖ يَسْتَهْزِءُوْنَ ٥
- faqad
- فَقَدْ
- पस तहक़ीक़
- kadhabū
- كَذَّبُوا۟
- उन्होंने झुठलाया
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- हक़ को
- lammā
- لَمَّا
- जब
- jāahum
- جَآءَهُمْۖ
- वो आया उनके पास
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- पस अनक़रीब
- yatīhim
- يَأْتِيهِمْ
- आऐंगी उनके पास
- anbāu
- أَنۢبَٰٓؤُا۟
- ख़बरें
- mā
- مَا
- उसकी जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- bihi
- بِهِۦ
- जिसका
- yastahziūna
- يَسْتَهْزِءُونَ
- वो मज़ाक़ उड़ाते
उन्होंने सत्य को झुठला दिया, जबकि वह उनके पास आया। अतः जिस चीज़ को वे हँसी उड़ाते रहे हैं, जल्द ही उसके सम्बन्ध में उन्हें ख़बरे मिल जाएगी ([६] अल-अनाम: 5)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ يَرَوْا كَمْ اَهْلَكْنَا مِنْ قَبْلِهِمْ مِّنْ قَرْنٍ مَّكَّنّٰهُمْ فِى الْاَرْضِ مَا لَمْ نُمَكِّنْ لَّكُمْ وَاَرْسَلْنَا السَّمَاۤءَ عَلَيْهِمْ مِّدْرَارًا ۖوَّجَعَلْنَا الْاَنْهٰرَ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهِمْ فَاَهْلَكْنٰهُمْ بِذُنُوْبِهِمْ وَاَنْشَأْنَا مِنْۢ بَعْدِهِمْ قَرْنًا اٰخَرِيْنَ ٦
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- yaraw
- يَرَوْا۟
- उन्होंने देखा
- kam
- كَمْ
- कितनी ही
- ahlaknā
- أَهْلَكْنَا
- हलाक कर दीं हमने
- min
- مِن
- उनसे पहले
- qablihim
- قَبْلِهِم
- उनसे पहले
- min
- مِّن
- क़ौमें
- qarnin
- قَرْنٍ
- क़ौमें
- makkannāhum
- مَّكَّنَّٰهُمْ
- क़ुदरत दी थी हम ने उन्हें
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- mā
- مَا
- वो जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- numakkin
- نُمَكِّن
- हमने क़ुदरत दी
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हें
- wa-arsalnā
- وَأَرْسَلْنَا
- और भेजा हमने
- l-samāa
- ٱلسَّمَآءَ
- आसमान को
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- mid'rāran
- مِّدْرَارًا
- बहुत बरसने वाला
- wajaʿalnā
- وَجَعَلْنَا
- और बनाईं हमने
- l-anhāra
- ٱلْأَنْهَٰرَ
- नहरें
- tajrī
- تَجْرِى
- जो बहती थीं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihim
- تَحْتِهِمْ
- उनके नीचे से
- fa-ahlaknāhum
- فَأَهْلَكْنَٰهُم
- पस हलाक कर दिया हमने उन्हें
- bidhunūbihim
- بِذُنُوبِهِمْ
- बवजह उनके गुनाहों के
- wa-anshanā
- وَأَنشَأْنَا
- और उठाईं हमने
- min
- مِنۢ
- बाद उनके
- baʿdihim
- بَعْدِهِمْ
- बाद उनके
- qarnan
- قَرْنًا
- क़ौमें
- ākharīna
- ءَاخَرِينَ
- दूसरी
क्या उन्होंने नहीं देखा कि उनसे पहले कितने ही गिरोहों को हम विनष्ट कर चुके है। उन्हें हमने धरती में ऐसा जमाव प्रदान किया था, जो तुम्हें नहीं प्रदान किया। और उनपर हमने आकाश को ख़ूब बरसता छोड़ दिया और उनके नीचे नहरें बहाई। फिर हमने आकाश को ख़ूब बरसता छोड़ दिया और उनके नीचे नहरें बहाई। फिर हमने उन्हें उनके गुनाहों के कारण विनष्ट़ कर दिया और उनके पश्चात दूसरे गिरोहों को उठाया ([६] अल-अनाम: 6)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ نَزَّلْنَا عَلَيْكَ كِتٰبًا فِيْ قِرْطَاسٍ فَلَمَسُوْهُ بِاَيْدِيْهِمْ لَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِنْ هٰذَآ اِلَّا سِحْرٌ مُّبِيْنٌ ٧
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- nazzalnā
- نَزَّلْنَا
- नाज़िल करते हम
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- kitāban
- كِتَٰبًا
- एक किताब
- fī
- فِى
- काग़ज़ में
- qir'ṭāsin
- قِرْطَاسٍ
- काग़ज़ में
- falamasūhu
- فَلَمَسُوهُ
- फिर वो छू लेते उसे
- bi-aydīhim
- بِأَيْدِيهِمْ
- अपने हाथों से
- laqāla
- لَقَالَ
- अलबत्ता कहते
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- in
- إِنْ
- नहीं है
- hādhā
- هَٰذَآ
- ये
- illā
- إِلَّا
- मगर
- siḥ'run
- سِحْرٌ
- जादू
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला/वाज़ेह
और यदि हम तुम्हारे ऊपर काग़ज़ में लिखी-लिखाई किताब भी उतार देते और उसे लोग अपने हाथों से छू भी लेते तब भी, जिन्होंने इनकार किया है, वे यही कहते, 'यह तो बस एक खुला जादू हैं।' ([६] अल-अनाम: 7)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالُوْا لَوْلَآ اُنْزِلَ عَلَيْهِ مَلَكٌ ۗوَلَوْ اَنْزَلْنَا مَلَكًا لَّقُضِيَ الْاَمْرُ ثُمَّ لَا يُنْظَرُوْنَ ٨
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- lawlā
- لَوْلَآ
- क्यों नहीं
- unzila
- أُنزِلَ
- उतारा गया
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- malakun
- مَلَكٌۖ
- कोई फ़रिश्ता
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- anzalnā
- أَنزَلْنَا
- उतारते हम
- malakan
- مَلَكًا
- कोई फ़रिश्ता
- laquḍiya
- لَّقُضِىَ
- अलबत्ता फ़ैसला कर दिया जाता
- l-amru
- ٱلْأَمْرُ
- मामले का
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- lā
- لَا
- ना वो मोहलत दिए जाते
- yunẓarūna
- يُنظَرُونَ
- ना वो मोहलत दिए जाते
उनका तो कहना है, 'इस (नबी) पर कोई फ़रिश्ता (खुले रूप में) क्यों नहीं उतारा गया?' हालाँकि यदि हम फ़रिश्ता उतारते तो फ़ैसला हो चुका होता। फिर उन्हें कोई मुहल्लत न मिलती ([६] अल-अनाम: 8)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ جَعَلْنٰهُ مَلَكًا لَّجَعَلْنٰهُ رَجُلًا وَّلَلَبَسْنَا عَلَيْهِمْ مَّا يَلْبِسُوْنَ ٩
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- jaʿalnāhu
- جَعَلْنَٰهُ
- बनाते हम उसे
- malakan
- مَلَكًا
- एक फ़रिश्ता
- lajaʿalnāhu
- لَّجَعَلْنَٰهُ
- अलबत्ता बनाते हम उसे
- rajulan
- رَجُلًا
- आदमी ही
- walalabasnā
- وَلَلَبَسْنَا
- और अलबत्ता मुशतबा कर देते हम
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- mā
- مَّا
- जो
- yalbisūna
- يَلْبِسُونَ
- वो शुबह करते हैं
यह बात भी है कि यदि हम उसे (नबी को) फ़रिश्ता बना देते तो उसे आदमी ही (के रूप का) बनाते। इस प्रकार उन्हें उसी सन्देह में डाल देते, जिस सन्देह में वे इस समय पड़े हुए है ([६] अल-अनाम: 9)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدِ اسْتُهْزِئَ بِرُسُلٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَحَاقَ بِالَّذِيْنَ سَخِرُوْا مِنْهُمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ يَسْتَهْزِءُوْنَ ࣖ ١٠
- walaqadi
- وَلَقَدِ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- us'tuh'zi-a
- ٱسْتُهْزِئَ
- मज़ाक़ उड़ाया गया
- birusulin
- بِرُسُلٍ
- कई रसूलों का
- min
- مِّن
- आप से पहले
- qablika
- قَبْلِكَ
- आप से पहले
- faḥāqa
- فَحَاقَ
- तो घेर लिया
- bi-alladhīna
- بِٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- sakhirū
- سَخِرُوا۟
- तमस्ख़र किया
- min'hum
- مِنْهُم
- उनमें से
- mā
- مَّا
- उसने जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- bihi
- بِهِۦ
- जिसका
- yastahziūna
- يَسْتَهْزِءُونَ
- वो मज़ाक़ उड़ाते
तुमसे पहले कितने ही रसूलों की हँसी उड़ाई जा चुकी है। अन्ततः जिन लोगों ने उनकी हँसी उड़ाई थी, उन्हें उसी न आ घेरा जिस बात पर वे हँसी उड़ाते थे ([६] अल-अनाम: 10)Tafseer (तफ़सीर )