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सूरा अल-हष्र - Page: 2

Al-Hashr

(Exile, Banishment)

११

۞ اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ نَافَقُوْا يَقُوْلُوْنَ لِاِخْوَانِهِمُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ لَىِٕنْ اُخْرِجْتُمْ لَنَخْرُجَنَّ مَعَكُمْ وَلَا نُطِيْعُ فِيْكُمْ اَحَدًا اَبَدًاۙ وَّاِنْ قُوْتِلْتُمْ لَنَنْصُرَنَّكُمْۗ وَاللّٰهُ يَشْهَدُ اِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ١١

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़ उनके जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके जिन्होंने
nāfaqū
نَافَقُوا۟
मुनाफ़िक़त की
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
li-ikh'wānihimu
لِإِخْوَٰنِهِمُ
अपने भाईयों से
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
min
مِنْ
एहले किताब में से
ahli
أَهْلِ
एहले किताब में से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
एहले किताब में से
la-in
لَئِنْ
अलबत्ता अगर
ukh'rij'tum
أُخْرِجْتُمْ
निकाले गए तुम
lanakhrujanna
لَنَخْرُجَنَّ
अलबत्ता हम ज़रूर निकलेंगे
maʿakum
مَعَكُمْ
साथ तुम्हारे
walā
وَلَا
और ना
nuṭīʿu
نُطِيعُ
हम इताअत करेंगे
fīkum
فِيكُمْ
तुम्हारे मामले में
aḥadan
أَحَدًا
किसी एक की
abadan
أَبَدًا
कभी भी
wa-in
وَإِن
और अगर
qūtil'tum
قُوتِلْتُمْ
जंग की गई तुमसे
lananṣurannakum
لَنَنصُرَنَّكُمْ
अलबत्ता हम ज़रूर मदद करेंगे तुम्हारी
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yashhadu
يَشْهَدُ
वो गवाही देता है
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
lakādhibūna
لَكَٰذِبُونَ
अलबत्ता झूठे हैं
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जिन्होंने कपटाचार की नीति अपनाई हैं, वे अपने किताबवाले उन भाइयों से, जो इनकार की नीति अपनाए हुए है, कहते है, 'यदि तुम्हें निकाला गया तो हम भी अवश्य ही तुम्हारे साथ निकल जाएँगे और तुम्हारे मामले में किसी की बात कभी भी नहीं मानेंगे। और यदि तुमसे युद्ध किया गया तो हम अवश्य तुम्हारी सहायता करेंगे।' किन्तु अल्लाह गवाही देता है कि वे बिलकुल झूठे है ([५९] अल-हष्र: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

لَىِٕنْ اُخْرِجُوْا لَا يَخْرُجُوْنَ مَعَهُمْۚ وَلَىِٕنْ قُوْتِلُوْا لَا يَنْصُرُوْنَهُمْۚ وَلَىِٕنْ نَّصَرُوْهُمْ لَيُوَلُّنَّ الْاَدْبَارَۙ ثُمَّ لَا يُنْصَرُوْنَ ١٢

la-in
لَئِنْ
अलबत्ता अगर
ukh'rijū
أُخْرِجُوا۟
वो निकाले गए
لَا
नहीं वो निकलेंगे
yakhrujūna
يَخْرُجُونَ
नहीं वो निकलेंगे
maʿahum
مَعَهُمْ
साथ उनके
wala-in
وَلَئِن
और अलबत्ता अगर
qūtilū
قُوتِلُوا۟
वो जंग किए गए
لَا
नहीं वो मदद करेंगे उनकी
yanṣurūnahum
يَنصُرُونَهُمْ
नहीं वो मदद करेंगे उनकी
wala-in
وَلَئِن
और अलबत्ता अगर
naṣarūhum
نَّصَرُوهُمْ
उन्होंने मदद की भी उनकी
layuwallunna
لَيُوَلُّنَّ
अलबत्ता वो ज़रूर फेर लेंगे
l-adbāra
ٱلْأَدْبَٰرَ
पुश्तें
thumma
ثُمَّ
फिर
لَا
ना वो मदद किए जाऐंगे
yunṣarūna
يُنصَرُونَ
ना वो मदद किए जाऐंगे
यदि वे निकाले गए तो वे उनके साथ नहीं निकलेंगे और यदि उनसे युद्ध हुआ तो वे उनकी सहायता कदापि न करेंगे और यदि उनकी सहायता करें भी तो पीठ फेंर जाएँगे। फिर उन्हें कोई सहायता प्राप्त न होगी ([५९] अल-हष्र: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

لَاَنْتُمْ اَشَدُّ رَهْبَةً فِيْ صُدُوْرِهِمْ مِّنَ اللّٰهِ ۗذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُوْنَ ١٣

la-antum
لَأَنتُمْ
अलबत्ता तुम
ashaddu
أَشَدُّ
ज़्यादा सख़्त हो
rahbatan
رَهْبَةً
रोब में
فِى
उनके सीनों में
ṣudūrihim
صُدُورِهِم
उनके सीनों में
mina
مِّنَ
अल्लाह से (बढ़) कर
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह से (बढ़) कर
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि वो
qawmun
قَوْمٌ
एक क़ौम हैं
لَّا
नहीं वो समझते
yafqahūna
يَفْقَهُونَ
नहीं वो समझते
उनके दिलों में अल्लाह से बढ़कर तुम्हारा भय समाया हुआ है। यह इसलिए कि वे ऐसे लोग है जो समझते नहीं ([५९] अल-हष्र: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

لَا يُقَاتِلُوْنَكُمْ جَمِيْعًا اِلَّا فِيْ قُرًى مُّحَصَّنَةٍ اَوْ مِنْ وَّرَاۤءِ جُدُرٍۗ بَأْسُهُمْ بَيْنَهُمْ شَدِيْدٌ ۗ تَحْسَبُهُمْ جَمِيْعًا وَّقُلُوْبُهُمْ شَتّٰىۗ ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَعْقِلُوْنَۚ ١٤

لَا
नहीं वो जंग करेंगे तुमसे
yuqātilūnakum
يُقَٰتِلُونَكُمْ
नहीं वो जंग करेंगे तुमसे
jamīʿan
جَمِيعًا
इकट्ठे
illā
إِلَّا
मगर
فِى
बस्तियों में
quran
قُرًى
बस्तियों में
muḥaṣṣanatin
مُّحَصَّنَةٍ
क़िला बन्द हो कर
aw
أَوْ
या
min
مِن
पीछे से
warāi
وَرَآءِ
पीछे से
judurin
جُدُرٍۭۚ
दीवारों के
basuhum
بَأْسُهُم
उनकी जंग
baynahum
بَيْنَهُمْ
आपस में
shadīdun
شَدِيدٌۚ
शदीद है
taḥsabuhum
تَحْسَبُهُمْ
तुम समझते हो उन्हें
jamīʿan
جَمِيعًا
इकट्ठा
waqulūbuhum
وَقُلُوبُهُمْ
जबकि दिल उनके
shattā
شَتَّىٰۚ
फटे हुए हैं
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि वो
qawmun
قَوْمٌ
एक क़ौम हैं
لَّا
नहीं वो अक़्ल रखते
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
नहीं वो अक़्ल रखते
वे इकट्ठे होकर भी तुमसे (खुले मैदान में) नहीं लड़ेगे, क़िलाबन्द बस्तियों या दीवारों के पीछ हों तो यह और बात है। उनकी आपस में सख़्त लड़ाई है। तुम उन्हें इकट्ठा समझते हो! हालाँकि उनके दिल फटे हुए है। यह इसलिए कि वे ऐसे लोग है जो बुद्धि से काम नहीं लेते ([५९] अल-हष्र: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

كَمَثَلِ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ قَرِيْبًا ذَاقُوْا وَبَالَ اَمْرِهِمْۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌۚ ١٥

kamathali
كَمَثَلِ
मानिन्द मिसाल
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْ
उनसे पहले थे
qarīban
قَرِيبًاۖ
क़रीब ही
dhāqū
ذَاقُوا۟
उन्होंने चखा
wabāla
وَبَالَ
वबाल
amrihim
أَمْرِهِمْ
अपने काम का
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए है
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
उनकी हालत उन्हीं लोगों जैसी है जो उनसे पहले निकट काल में अपने किए के वबाल का मज़ा चख चुके है, और उनके लिए दुखद यातना भी है ([५९] अल-हष्र: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

كَمَثَلِ الشَّيْطٰنِ اِذْ قَالَ لِلْاِنْسَانِ اكْفُرْۚ فَلَمَّا كَفَرَ قَالَ اِنِّيْ بَرِيْۤءٌ مِّنْكَ اِنِّيْٓ اَخَافُ اللّٰهَ رَبَّ الْعٰلَمِيْنَ ١٦

kamathali
كَمَثَلِ
जैसे मिसाल
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान की
idh
إِذْ
जब
qāla
قَالَ
वो कहता है
lil'insāni
لِلْإِنسَٰنِ
इन्सान से
uk'fur
ٱكْفُرْ
कुफ़्र करो
falammā
فَلَمَّا
तो जब
kafara
كَفَرَ
वो कुफ़्र करता है
qāla
قَالَ
वो कहता है
innī
إِنِّى
बेशक मैं
barīon
بَرِىٓءٌ
बरी उज़-ज़िम्मा हूँ
minka
مِّنكَ
तुझसे
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
akhāfu
أَخَافُ
मैं डरता हूँ
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
rabba
رَبَّ
जो रब है
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों का
इनकी मिसाल शैतान जैसी है कि जब उसने मनुष्य से कहा, 'क़ुफ़्र कर!' फिर जब वह कुफ़्र कर बैठा तो कहने लगा, 'मैं तुम्हारी ज़िम्मेदारी से बरी हूँ। मैं तो सारे संसार के रब अल्लाह से डरता हूँ।' ([५९] अल-हष्र: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

فَكَانَ عَاقِبَتَهُمَآ اَنَّهُمَا فِى النَّارِ خَالِدَيْنِ فِيْهَاۗ وَذٰلِكَ جَزٰۤؤُا الظّٰلِمِيْنَ ࣖ ١٧

fakāna
فَكَانَ
पस हुआ
ʿāqibatahumā
عَٰقِبَتَهُمَآ
अंजाम उन दोनों का
annahumā
أَنَّهُمَا
कि बेशक वो दोनों
فِى
आग में होंगे
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग में होंगे
khālidayni
خَٰلِدَيْنِ
दोनों हमेशा रहने वाले
fīhā
فِيهَاۚ
उसमें
wadhālika
وَذَٰلِكَ
और यही है
jazāu
جَزَٰٓؤُا۟
बदला
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों का
फिर उन दोनों का परिणाम यह हुआ कि दोनों आग में गए, जहाँ सदैव रहेंगे। और ज़ालिमों का यही बदला है ([५९] अल-हष्र: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَلْتَنْظُرْ نَفْسٌ مَّا قَدَّمَتْ لِغَدٍۚ وَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ خَبِيْرٌ ۢبِمَا تَعْمَلُوْنَ ١٨

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
ittaqū
ٱتَّقُوا۟
डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
waltanẓur
وَلْتَنظُرْ
और ज़रूर देखे
nafsun
نَفْسٌ
हर नफ़्स
مَّا
जो
qaddamat
قَدَّمَتْ
उसने आगे भेजा
lighadin
لِغَدٍۖ
कल के लिए
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَۚ
अल्लाह से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
khabīrun
خَبِيرٌۢ
ख़ूब बाख़बर है
bimā
بِمَا
उससे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो। और प्रत्येक व्यक्ति को यह देखना चाहिए कि उसने कल के लिए क्या भेजा है। और अल्लाह का डर रखो। जो कुछ भी तुम करते हो निश्चय ही अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है ([५९] अल-हष्र: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِيْنَ نَسُوا اللّٰهَ فَاَنْسٰىهُمْ اَنْفُسَهُمْۗ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْفٰسِقُوْنَ ١٩

walā
وَلَا
और ना
takūnū
تَكُونُوا۟
तुम हो जाओ
ka-alladhīna
كَٱلَّذِينَ
उनकी तरह जिन्होंने
nasū
نَسُوا۟
भुला दिया
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
fa-ansāhum
فَأَنسَىٰهُمْ
तो उसने भुला दिया उन्हें
anfusahum
أَنفُسَهُمْۚ
उनके नफ़्स
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग है
humu
هُمُ
वो
l-fāsiqūna
ٱلْفَٰسِقُونَ
जो फ़ासिक़ हैं
और उन लोगों की तरह न हो जाना जिन्होंने अल्लाह को भुला दिया। तो उसने भी ऐसा किया कि वे स्वयं अपने आपको भूल बैठे। वही अवज्ञाकारी है ([५९] अल-हष्र: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

لَا يَسْتَوِيْٓ اَصْحٰبُ النَّارِ وَاَصْحٰبُ الْجَنَّةِۗ اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ هُمُ الْفَاۤىِٕزُوْنَ ٢٠

لَا
नहीं बराबर हो सकते
yastawī
يَسْتَوِىٓ
नहीं बराबर हो सकते
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग के
wa-aṣḥābu
وَأَصْحَٰبُ
और साथी
l-janati
ٱلْجَنَّةِۚ
जन्नत के
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी
l-janati
ٱلْجَنَّةِ
जन्नत के
humu
هُمُ
वो ही हैं
l-fāizūna
ٱلْفَآئِزُونَ
जो कामयाब होने वाले हैं
आगवाले और बाग़वाले (जहन्नमवाले और जन्नतवाले) कभी समान नहीं हो सकते। बाग़वाले ही सफ़ल है ([५९] अल-हष्र: 20)
Tafseer (तफ़सीर )