سَبَّحَ لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۚ وَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ١
- sabbaḥa
- سَبَّحَ
- तस्बीह की है
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- mā
- مَا
- उस चीज़ ने जो
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wamā
- وَمَا
- और जो
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۖ
- ज़मीन में है
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला
अल्लाह की तसबीह की है हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है, और वही प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([५९] अल-हष्र: 1)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْٓ اَخْرَجَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ مِنْ دِيَارِهِمْ لِاَوَّلِ الْحَشْرِۗ مَا ظَنَنْتُمْ اَنْ يَّخْرُجُوْا وَظَنُّوْٓا اَنَّهُمْ مَّانِعَتُهُمْ حُصُوْنُهُمْ مِّنَ اللّٰهِ فَاَتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ حَيْثُ لَمْ يَحْتَسِبُوْا وَقَذَفَ فِيْ قُلُوْبِهِمُ الرُّعْبَ يُخْرِبُوْنَ بُيُوْتَهُمْ بِاَيْدِيْهِمْ وَاَيْدِى الْمُؤْمِنِيْنَۙ فَاعْتَبِرُوْا يٰٓاُولِى الْاَبْصَارِ ٢
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जिसने
- akhraja
- أَخْرَجَ
- निकाल दिया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों को जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- min
- مِنْ
- एहले किताब में से
- ahli
- أَهْلِ
- एहले किताब में से
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- एहले किताब में से
- min
- مِن
- उनके घरों से
- diyārihim
- دِيَٰرِهِمْ
- उनके घरों से
- li-awwali
- لِأَوَّلِ
- पहले हशर /इकट्ठ में
- l-ḥashri
- ٱلْحَشْرِۚ
- पहले हशर /इकट्ठ में
- mā
- مَا
- नहीं
- ẓanantum
- ظَنَنتُمْ
- गुमान किया तुमने
- an
- أَن
- कि
- yakhrujū
- يَخْرُجُوا۟ۖ
- वो निकल जाऐंगे
- waẓannū
- وَظَنُّوٓا۟
- और वो समझ रहे थे
- annahum
- أَنَّهُم
- कि बेशक वो
- māniʿatuhum
- مَّانِعَتُهُمْ
- बचाने वाले हैं उन्हें
- ḥuṣūnuhum
- حُصُونُهُم
- क़िले उनके
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- fa-atāhumu
- فَأَتَىٰهُمُ
- पस आया उनके पास
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- min
- مِنْ
- जहाँ से
- ḥaythu
- حَيْثُ
- जहाँ से
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yaḥtasibū
- يَحْتَسِبُوا۟ۖ
- उन्होंने गुमान किया
- waqadhafa
- وَقَذَفَ
- और उसने डाल दिया
- fī
- فِى
- उनके दिलों में
- qulūbihimu
- قُلُوبِهِمُ
- उनके दिलों में
- l-ruʿ'ba
- ٱلرُّعْبَۚ
- रोब
- yukh'ribūna
- يُخْرِبُونَ
- वो बरबाद कर रहे थे
- buyūtahum
- بُيُوتَهُم
- अपने घरों को
- bi-aydīhim
- بِأَيْدِيهِمْ
- अपने हाथों से
- wa-aydī
- وَأَيْدِى
- और हाथों से
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों के
- fa-iʿ'tabirū
- فَٱعْتَبِرُوا۟
- पस इब्रत पकड़ो
- yāulī
- يَٰٓأُو۟لِى
- ऐ आँखों वालो
- l-abṣāri
- ٱلْأَبْصَٰرِ
- ऐ आँखों वालो
वही है जिसने किताबवालों में से उन लोगों को जिन्होंने इनकार किया, उनके घरों से पहले ही जमावड़े में निकल बाहर किया। तुम्हें गुमान न था कि उनकी गढ़ियाँ अल्लाह से उन्हें बचा लेंगी। किन्तु अल्लाह उनपर वहाँ से आया जिसका उन्हें गुमान भी न था। और उसने उनके दिलों में रोब डाल दिया कि वे अपने घरों को स्वयं अपने हाथों और ईमानवालों के हाथों भी उजाड़ने लगे। अतः शिक्षा ग्रहण करो, ऐ दृष्टि रखनेवालो! ([५९] अल-हष्र: 2)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْلَآ اَنْ كَتَبَ اللّٰهُ عَلَيْهِمُ الْجَلَاۤءَ لَعَذَّبَهُمْ فِى الدُّنْيَاۗ وَلَهُمْ فِى الْاٰخِرَةِ عَذَابُ النَّارِ ٣
- walawlā
- وَلَوْلَآ
- और अगर ना होती
- an
- أَن
- ये बात कि
- kataba
- كَتَبَ
- लिख दी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalayhimu
- عَلَيْهِمُ
- उन पर
- l-jalāa
- ٱلْجَلَآءَ
- जिला वतनी
- laʿadhabahum
- لَعَذَّبَهُمْ
- अलबत्ता वो अज़ाब देता उन्हें
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَاۖ
- दुनिया में
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए
- fī
- فِى
- आख़िरत में
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत में
- ʿadhābu
- عَذَابُ
- अज़ाब है
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग का
यदि अल्लाह ने उनके लिए देश निकाला न लिख दिया होता तो दुनिया में ही वह उन्हें अवश्य यातना दे देता, और आख़िरत में तो उनके लिए आग की यातना है ही ([५९] अल-हष्र: 3)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ شَاۤقُّوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۖوَمَنْ يُّشَاۤقِّ اللّٰهَ فَاِنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِ ٤
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- बवजह उसके कि वो
- shāqqū
- شَآقُّوا۟
- उन्होंने मुख़ालिफ़त की
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥۖ
- और उसके रसूल की
- waman
- وَمَن
- और जो
- yushāqqi
- يُشَآقِّ
- मुख़ालिफ़त करेगा
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- shadīdu
- شَدِيدُ
- सख़्त
- l-ʿiqābi
- ٱلْعِقَابِ
- सज़ा वाला है
यह इसलिए कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का मुक़ाला करने की कोशिश की। और जो कोई अल्लाह का मुक़ाबला करता है तो निश्चय ही अल्लाह की यातना बहुत कठोर है ([५९] अल-हष्र: 4)Tafseer (तफ़सीर )
مَا قَطَعْتُمْ مِّنْ لِّيْنَةٍ اَوْ تَرَكْتُمُوْهَا قَاۤىِٕمَةً عَلٰٓى اُصُوْلِهَا فَبِاِذْنِ اللّٰهِ وَلِيُخْزِيَ الْفٰسِقِيْنَ ٥
- mā
- مَا
- जो भी
- qaṭaʿtum
- قَطَعْتُم
- काटा तुमने
- min
- مِّن
- खजूर का दरख़्त
- līnatin
- لِّينَةٍ
- खजूर का दरख़्त
- aw
- أَوْ
- या
- taraktumūhā
- تَرَكْتُمُوهَا
- छोड़ दिया तुमने उसे
- qāimatan
- قَآئِمَةً
- खड़ा
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- उसकी जड़ों पर
- uṣūlihā
- أُصُولِهَا
- उसकी जड़ों पर
- fabi-idh'ni
- فَبِإِذْنِ
- तो अल्लाह के इज़्न से था
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- तो अल्लाह के इज़्न से था
- waliyukh'ziya
- وَلِيُخْزِىَ
- और ताकि वो रुस्वा करे
- l-fāsiqīna
- ٱلْفَٰسِقِينَ
- फ़ासिक़ों को
तुमने खजूर के जो वृक्ष काटे या उन्हें उनकी जड़ों पर खड़ा छोड़ दिया तो यह अल्लाह ही की अनुज्ञा से हुआ (ताकि ईमानवालों के लिए आसानी पैदा करे) और इसलिए कि वह अवज्ञाकारियों को रुसवा करे ([५९] अल-हष्र: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَآ اَفَاۤءَ اللّٰهُ عَلٰى رَسُوْلِهٖ مِنْهُمْ فَمَآ اَوْجَفْتُمْ عَلَيْهِ مِنْ خَيْلٍ وَّلَا رِكَابٍ وَّلٰكِنَّ اللّٰهَ يُسَلِّطُ رُسُلَهٗ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٦
- wamā
- وَمَآ
- और जो
- afāa
- أَفَآءَ
- लौटाया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने रसूल पर
- rasūlihi
- رَسُولِهِۦ
- अपने रसूल पर
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें से
- famā
- فَمَآ
- पस नहीं
- awjaftum
- أَوْجَفْتُمْ
- दौड़ाए तुमने
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- min
- مِنْ
- कोई घोड़े
- khaylin
- خَيْلٍ
- कोई घोड़े
- walā
- وَلَا
- और ना
- rikābin
- رِكَابٍ
- ऊँट
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yusalliṭu
- يُسَلِّطُ
- वो मुसल्लत करता है
- rusulahu
- رُسُلَهُۥ
- अपने रसूलों को
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- man
- مَن
- जिसके
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहता है
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
और अल्लाह ने उनसे लेकर अपने रसूल की ओर जो कुछ पलटाया, उसके लिए न तो तुमने घोड़े दौड़ाए और न ऊँट। किन्तु अल्लाह अपने रसूलों को जिसपर चाहता है प्रभुत्व प्रदान कर देता है। अल्लाह को तो हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्ति है ([५९] अल-हष्र: 6)Tafseer (तफ़सीर )
مَآ اَفَاۤءَ اللّٰهُ عَلٰى رَسُوْلِهٖ مِنْ اَهْلِ الْقُرٰى فَلِلّٰهِ وَلِلرَّسُوْلِ وَلِذِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنِ وَابْنِ السَّبِيْلِۙ كَيْ لَا يَكُوْنَ دُوْلَةً ۢ بَيْنَ الْاَغْنِيَاۤءِ مِنْكُمْۗ وَمَآ اٰتٰىكُمُ الرَّسُوْلُ فَخُذُوْهُ وَمَا نَهٰىكُمْ عَنْهُ فَانْتَهُوْاۚ وَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِۘ ٧
- mā
- مَّآ
- जो
- afāa
- أَفَآءَ
- लौटाया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने रसूल पर
- rasūlihi
- رَسُولِهِۦ
- अपने रसूल पर
- min
- مِنْ
- बस्ती वालों में से
- ahli
- أَهْلِ
- बस्ती वालों में से
- l-qurā
- ٱلْقُرَىٰ
- बस्ती वालों में से
- falillahi
- فَلِلَّهِ
- पस अल्लाह के लिए है
- walilrrasūli
- وَلِلرَّسُولِ
- और रसूल के लिए
- walidhī
- وَلِذِى
- और क़राबतदारों के लिए
- l-qur'bā
- ٱلْقُرْبَىٰ
- और क़राबतदारों के लिए
- wal-yatāmā
- وَٱلْيَتَٰمَىٰ
- और यतीमों
- wal-masākīni
- وَٱلْمَسَٰكِينِ
- और मिसकीनों
- wa-ib'ni
- وَٱبْنِ
- और मुसाफ़िरों के लिए
- l-sabīli
- ٱلسَّبِيلِ
- और मुसाफ़िरों के लिए
- kay
- كَىْ
- ताकि ना
- lā
- لَا
- ताकि ना
- yakūna
- يَكُونَ
- हो वो
- dūlatan
- دُولَةًۢ
- गर्दिश करने वाला
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- l-aghniyāi
- ٱلْأَغْنِيَآءِ
- दौलतमन्दों के
- minkum
- مِنكُمْۚ
- तुम में से
- wamā
- وَمَآ
- और जो
- ātākumu
- ءَاتَىٰكُمُ
- दें तुम्हें
- l-rasūlu
- ٱلرَّسُولُ
- रसूल
- fakhudhūhu
- فَخُذُوهُ
- पस ले लो उसे
- wamā
- وَمَا
- और जिस चीज़ से
- nahākum
- نَهَىٰكُمْ
- वो रोकें तुम्हें
- ʿanhu
- عَنْهُ
- उससे
- fa-intahū
- فَٱنتَهُوا۟ۚ
- पस रुक जाओ
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَۖ
- अल्लाह से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- shadīdu
- شَدِيدُ
- सख़्त
- l-ʿiqābi
- ٱلْعِقَابِ
- सज़ा वाला है
जो कुछ अल्लाह ने अपने रसूल की ओर बस्तियोंवालों से लेकर पलटाया वह अल्लाह और रसूल और (मुहताज) नातेदार और अनाथों और मुहताजों और मुसाफ़िर के लिए है, ताकि वह (माल) तुम्हारे मालदारों ही के बीच चक्कर न लगाता रहे - रसूल जो कुछ तुम्हें दे उसे ले लो और जिस चीज़ से तुम्हें रोक दे उससे रुक जाओ, और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह की यातना बहुत कठोर है। - ([५९] अल-हष्र: 7)Tafseer (तफ़सीर )
لِلْفُقَرَاۤءِ الْمُهٰجِرِيْنَ الَّذِيْنَ اُخْرِجُوْا مِنْ دِيَارِهِمْ وَاَمْوَالِهِمْ يَبْتَغُوْنَ فَضْلًا مِّنَ اللّٰهِ وَرِضْوَانًا وَّيَنْصُرُوْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۗ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الصّٰدِقُوْنَۚ ٨
- lil'fuqarāi
- لِلْفُقَرَآءِ
- (माले फ़य)फ़ुक़रा के लिए है
- l-muhājirīna
- ٱلْمُهَٰجِرِينَ
- जो मुहाजिर हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- ukh'rijū
- أُخْرِجُوا۟
- निकाले गए
- min
- مِن
- अपने घरों से
- diyārihim
- دِيَٰرِهِمْ
- अपने घरों से
- wa-amwālihim
- وَأَمْوَٰلِهِمْ
- और अपने मालों से
- yabtaghūna
- يَبْتَغُونَ
- वो चाहते हैं
- faḍlan
- فَضْلًا
- फ़ज़ल
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह का
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- wariḍ'wānan
- وَرِضْوَٰنًا
- और रज़ामन्दी
- wayanṣurūna
- وَيَنصُرُونَ
- और वो मदद करते हैं
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥٓۚ
- और उसके रसूल की
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-ṣādiqūna
- ٱلصَّٰدِقُونَ
- जो सच्चे हैं
वह ग़रीब मुहाजिरों के लिए है, जो अपने घरों और अपने मालों से इस हालत में निकाल बाहर किए गए है कि वे अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी प्रसन्नता की तलाश में है और अल्लाह और उसके रसूल की सहायता कर रहे है, और वही वास्तव में सच्चे है ([५९] अल-हष्र: 8)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ تَبَوَّءُو الدَّارَ وَالْاِيْمَانَ مِنْ قَبْلِهِمْ يُحِبُّوْنَ مَنْ هَاجَرَ اِلَيْهِمْ وَلَا يَجِدُوْنَ فِيْ صُدُوْرِهِمْ حَاجَةً مِّمَّآ اُوْتُوْا وَيُؤْثِرُوْنَ عَلٰٓى اَنْفُسِهِمْ وَلَوْ كَانَ بِهِمْ خَصَاصَةٌ ۗوَمَنْ يُّوْقَ شُحَّ نَفْسِهٖ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَۚ ٩
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और(अंसार के लिए भी)जिन्होंने
- tabawwaū
- تَبَوَّءُو
- जगह बनाई
- l-dāra
- ٱلدَّارَ
- उस घर (मदीना) में
- wal-īmāna
- وَٱلْإِيمَٰنَ
- और ईमान में
- min
- مِن
- उनसे पहले
- qablihim
- قَبْلِهِمْ
- उनसे पहले
- yuḥibbūna
- يُحِبُّونَ
- वो मुहब्बत रखते हैं
- man
- مَنْ
- उससे जो
- hājara
- هَاجَرَ
- हिजरत करे
- ilayhim
- إِلَيْهِمْ
- तरफ़ उनके
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yajidūna
- يَجِدُونَ
- वो पाते
- fī
- فِى
- अपने सीनों में
- ṣudūrihim
- صُدُورِهِمْ
- अपने सीनों में
- ḥājatan
- حَاجَةً
- कोई हाजत
- mimmā
- مِّمَّآ
- उस चीज़ की जो
- ūtū
- أُوتُوا۟
- वो दिए गए
- wayu'thirūna
- وَيُؤْثِرُونَ
- और वो तरजीह देते हैं
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- अपने नफ़्सों पर
- anfusihim
- أَنفُسِهِمْ
- अपने नफ़्सों पर
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- kāna
- كَانَ
- हो
- bihim
- بِهِمْ
- उन्हें
- khaṣāṣatun
- خَصَاصَةٌۚ
- सख़्त हाजत
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yūqa
- يُوقَ
- बचा लिया गया
- shuḥḥa
- شُحَّ
- बुख़्ल से
- nafsihi
- نَفْسِهِۦ
- अपने नफ़्स के
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-muf'liḥūna
- ٱلْمُفْلِحُونَ
- जो फ़लाह पाने वाले हैं
और उनके लिए जो उनसे पहले ही से हिजरत के घर (मदीना) में ठिकाना बनाए हुए है और ईमान पर जमे हुए है, वे उनसे प्रेम करते है जो हिजरत करके उनके यहाँ आए है और जो कुछ भी उन्हें दिया गया उससे वे अपने सीनों में कोई खटक नहीं पाते और वे उन्हें अपने मुक़ाबले में प्राथमिकता देते है, यद्यपि अपनी जगह वे स्वयं मुहताज ही हों। और जो अपने मन के लोभ और कृपणता से बचा लिया जाए ऐसे लोग ही सफल है ([५९] अल-हष्र: 9)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ جَاۤءُوْ مِنْۢ بَعْدِهِمْ يَقُوْلُوْنَ رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا وَلِاِخْوَانِنَا الَّذِيْنَ سَبَقُوْنَا بِالْاِيْمَانِ وَلَا تَجْعَلْ فِيْ قُلُوْبِنَا غِلًّا لِّلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا رَبَّنَآ اِنَّكَ رَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ ࣖ ١٠
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और (उनके लिए भी) जो
- jāū
- جَآءُو
- आए
- min
- مِنۢ
- उनके बाद
- baʿdihim
- بَعْدِهِمْ
- उनके बाद
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते हैं
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- igh'fir
- ٱغْفِرْ
- बख़्शदे
- lanā
- لَنَا
- हमें
- wali-ikh'wāninā
- وَلِإِخْوَٰنِنَا
- और हमारे भाईयों को
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- sabaqūnā
- سَبَقُونَا
- सबक़त ले गए हमसे
- bil-īmāni
- بِٱلْإِيمَٰنِ
- ईमान में
- walā
- وَلَا
- और ना
- tajʿal
- تَجْعَلْ
- तू रख
- fī
- فِى
- हमारे दिलों मे
- qulūbinā
- قُلُوبِنَا
- हमारे दिलों मे
- ghillan
- غِلًّا
- कीना/कुदूरत
- lilladhīna
- لِّلَّذِينَ
- उन लोगों के लिए जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमार रब
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- raūfun
- رَءُوفٌ
- बहुत शफ़्क़त करने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
और (इस माल में उनका भी हिस्सा है) जो उनके बाद आए, वे कहते है, 'ऐ हमारे रब! हमें क्षमा कर दे और हमारे उन भाइयों को भी जो ईमानलाने में हमसे अग्रसर रहे और हमारे दिलों में ईमानवालों के लिए कोई विद्वेष न रख। ऐ हमारे रब! तू निश्चय ही बड़ा करुणामय, अत्यन्त दयावान है।' ([५९] अल-हष्र: 10)Tafseer (तफ़सीर )