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सूरा अल-हष्र - शब्द द्वारा शब्द

Al-Hashr

(Exile, Banishment)

bismillaahirrahmaanirrahiim

سَبَّحَ لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۚ وَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ١

sabbaḥa
سَبَّحَ
तस्बीह की है
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
مَا
उस चीज़ ने जो
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۖ
ज़मीन में है
wahuwa
وَهُوَ
और वो ही है
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त
l-ḥakīmu
ٱلْحَكِيمُ
ख़ूब हिकमत वाला
अल्लाह की तसबीह की है हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है, और वही प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([५९] अल-हष्र: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

هُوَ الَّذِيْٓ اَخْرَجَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ مِنْ دِيَارِهِمْ لِاَوَّلِ الْحَشْرِۗ مَا ظَنَنْتُمْ اَنْ يَّخْرُجُوْا وَظَنُّوْٓا اَنَّهُمْ مَّانِعَتُهُمْ حُصُوْنُهُمْ مِّنَ اللّٰهِ فَاَتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ حَيْثُ لَمْ يَحْتَسِبُوْا وَقَذَفَ فِيْ قُلُوْبِهِمُ الرُّعْبَ يُخْرِبُوْنَ بُيُوْتَهُمْ بِاَيْدِيْهِمْ وَاَيْدِى الْمُؤْمِنِيْنَۙ فَاعْتَبِرُوْا يٰٓاُولِى الْاَبْصَارِ ٢

huwa
هُوَ
वो ही है
alladhī
ٱلَّذِىٓ
जिसने
akhraja
أَخْرَجَ
निकाल दिया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों को जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
min
مِنْ
एहले किताब में से
ahli
أَهْلِ
एहले किताब में से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
एहले किताब में से
min
مِن
उनके घरों से
diyārihim
دِيَٰرِهِمْ
उनके घरों से
li-awwali
لِأَوَّلِ
पहले हशर /इकट्ठ में
l-ḥashri
ٱلْحَشْرِۚ
पहले हशर /इकट्ठ में
مَا
नहीं
ẓanantum
ظَنَنتُمْ
गुमान किया तुमने
an
أَن
कि
yakhrujū
يَخْرُجُوا۟ۖ
वो निकल जाऐंगे
waẓannū
وَظَنُّوٓا۟
और वो समझ रहे थे
annahum
أَنَّهُم
कि बेशक वो
māniʿatuhum
مَّانِعَتُهُمْ
बचाने वाले हैं उन्हें
ḥuṣūnuhum
حُصُونُهُم
क़िले उनके
mina
مِّنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
fa-atāhumu
فَأَتَىٰهُمُ
पस आया उनके पास
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
min
مِنْ
जहाँ से
ḥaythu
حَيْثُ
जहाँ से
lam
لَمْ
नहीं
yaḥtasibū
يَحْتَسِبُوا۟ۖ
उन्होंने गुमान किया
waqadhafa
وَقَذَفَ
और उसने डाल दिया
فِى
उनके दिलों में
qulūbihimu
قُلُوبِهِمُ
उनके दिलों में
l-ruʿ'ba
ٱلرُّعْبَۚ
रोब
yukh'ribūna
يُخْرِبُونَ
वो बरबाद कर रहे थे
buyūtahum
بُيُوتَهُم
अपने घरों को
bi-aydīhim
بِأَيْدِيهِمْ
अपने हाथों से
wa-aydī
وَأَيْدِى
और हाथों से
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों के
fa-iʿ'tabirū
فَٱعْتَبِرُوا۟
पस इब्रत पकड़ो
yāulī
يَٰٓأُو۟لِى
ऐ आँखों वालो
l-abṣāri
ٱلْأَبْصَٰرِ
ऐ आँखों वालो
वही है जिसने किताबवालों में से उन लोगों को जिन्होंने इनकार किया, उनके घरों से पहले ही जमावड़े में निकल बाहर किया। तुम्हें गुमान न था कि उनकी गढ़ियाँ अल्लाह से उन्हें बचा लेंगी। किन्तु अल्लाह उनपर वहाँ से आया जिसका उन्हें गुमान भी न था। और उसने उनके दिलों में रोब डाल दिया कि वे अपने घरों को स्वयं अपने हाथों और ईमानवालों के हाथों भी उजाड़ने लगे। अतः शिक्षा ग्रहण करो, ऐ दृष्टि रखनेवालो! ([५९] अल-हष्र: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

وَلَوْلَآ اَنْ كَتَبَ اللّٰهُ عَلَيْهِمُ الْجَلَاۤءَ لَعَذَّبَهُمْ فِى الدُّنْيَاۗ وَلَهُمْ فِى الْاٰخِرَةِ عَذَابُ النَّارِ ٣

walawlā
وَلَوْلَآ
और अगर ना होती
an
أَن
ये बात कि
kataba
كَتَبَ
लिख दी
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-jalāa
ٱلْجَلَآءَ
जिला वतनी
laʿadhabahum
لَعَذَّبَهُمْ
अलबत्ता वो अज़ाब देता उन्हें
فِى
दुनिया में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَاۖ
दुनिया में
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए
فِى
आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
ʿadhābu
عَذَابُ
अज़ाब है
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग का
यदि अल्लाह ने उनके लिए देश निकाला न लिख दिया होता तो दुनिया में ही वह उन्हें अवश्य यातना दे देता, और आख़िरत में तो उनके लिए आग की यातना है ही ([५९] अल-हष्र: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ شَاۤقُّوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۖوَمَنْ يُّشَاۤقِّ اللّٰهَ فَاِنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِ ٤

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि वो
shāqqū
شَآقُّوا۟
उन्होंने मुख़ालिफ़त की
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥۖ
और उसके रसूल की
waman
وَمَن
और जो
yushāqqi
يُشَآقِّ
मुख़ालिफ़त करेगा
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
shadīdu
شَدِيدُ
सख़्त
l-ʿiqābi
ٱلْعِقَابِ
सज़ा वाला है
यह इसलिए कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का मुक़ाला करने की कोशिश की। और जो कोई अल्लाह का मुक़ाबला करता है तो निश्चय ही अल्लाह की यातना बहुत कठोर है ([५९] अल-हष्र: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

مَا قَطَعْتُمْ مِّنْ لِّيْنَةٍ اَوْ تَرَكْتُمُوْهَا قَاۤىِٕمَةً عَلٰٓى اُصُوْلِهَا فَبِاِذْنِ اللّٰهِ وَلِيُخْزِيَ الْفٰسِقِيْنَ ٥

مَا
जो भी
qaṭaʿtum
قَطَعْتُم
काटा तुमने
min
مِّن
खजूर का दरख़्त
līnatin
لِّينَةٍ
खजूर का दरख़्त
aw
أَوْ
या
taraktumūhā
تَرَكْتُمُوهَا
छोड़ दिया तुमने उसे
qāimatan
قَآئِمَةً
खड़ा
ʿalā
عَلَىٰٓ
उसकी जड़ों पर
uṣūlihā
أُصُولِهَا
उसकी जड़ों पर
fabi-idh'ni
فَبِإِذْنِ
तो अल्लाह के इज़्न से था
l-lahi
ٱللَّهِ
तो अल्लाह के इज़्न से था
waliyukh'ziya
وَلِيُخْزِىَ
और ताकि वो रुस्वा करे
l-fāsiqīna
ٱلْفَٰسِقِينَ
फ़ासिक़ों को
तुमने खजूर के जो वृक्ष काटे या उन्हें उनकी जड़ों पर खड़ा छोड़ दिया तो यह अल्लाह ही की अनुज्ञा से हुआ (ताकि ईमानवालों के लिए आसानी पैदा करे) और इसलिए कि वह अवज्ञाकारियों को रुसवा करे ([५९] अल-हष्र: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

وَمَآ اَفَاۤءَ اللّٰهُ عَلٰى رَسُوْلِهٖ مِنْهُمْ فَمَآ اَوْجَفْتُمْ عَلَيْهِ مِنْ خَيْلٍ وَّلَا رِكَابٍ وَّلٰكِنَّ اللّٰهَ يُسَلِّطُ رُسُلَهٗ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٦

wamā
وَمَآ
और जो
afāa
أَفَآءَ
लौटाया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalā
عَلَىٰ
अपने रसूल पर
rasūlihi
رَسُولِهِۦ
अपने रसूल पर
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
famā
فَمَآ
पस नहीं
awjaftum
أَوْجَفْتُمْ
दौड़ाए तुमने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
min
مِنْ
कोई घोड़े
khaylin
خَيْلٍ
कोई घोड़े
walā
وَلَا
और ना
rikābin
رِكَابٍ
ऊँट
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yusalliṭu
يُسَلِّطُ
वो मुसल्लत करता है
rusulahu
رُسُلَهُۥ
अपने रसूलों को
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
man
مَن
जिसके
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
और अल्लाह ने उनसे लेकर अपने रसूल की ओर जो कुछ पलटाया, उसके लिए न तो तुमने घोड़े दौड़ाए और न ऊँट। किन्तु अल्लाह अपने रसूलों को जिसपर चाहता है प्रभुत्व प्रदान कर देता है। अल्लाह को तो हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्ति है ([५९] अल-हष्र: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

مَآ اَفَاۤءَ اللّٰهُ عَلٰى رَسُوْلِهٖ مِنْ اَهْلِ الْقُرٰى فَلِلّٰهِ وَلِلرَّسُوْلِ وَلِذِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنِ وَابْنِ السَّبِيْلِۙ كَيْ لَا يَكُوْنَ دُوْلَةً ۢ بَيْنَ الْاَغْنِيَاۤءِ مِنْكُمْۗ وَمَآ اٰتٰىكُمُ الرَّسُوْلُ فَخُذُوْهُ وَمَا نَهٰىكُمْ عَنْهُ فَانْتَهُوْاۚ وَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِۘ ٧

مَّآ
जो
afāa
أَفَآءَ
लौटाया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalā
عَلَىٰ
अपने रसूल पर
rasūlihi
رَسُولِهِۦ
अपने रसूल पर
min
مِنْ
बस्ती वालों में से
ahli
أَهْلِ
बस्ती वालों में से
l-qurā
ٱلْقُرَىٰ
बस्ती वालों में से
falillahi
فَلِلَّهِ
पस अल्लाह के लिए है
walilrrasūli
وَلِلرَّسُولِ
और रसूल के लिए
walidhī
وَلِذِى
और क़राबतदारों के लिए
l-qur'bā
ٱلْقُرْبَىٰ
और क़राबतदारों के लिए
wal-yatāmā
وَٱلْيَتَٰمَىٰ
और यतीमों
wal-masākīni
وَٱلْمَسَٰكِينِ
और मिसकीनों
wa-ib'ni
وَٱبْنِ
और मुसाफ़िरों के लिए
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِ
और मुसाफ़िरों के लिए
kay
كَىْ
ताकि ना
لَا
ताकि ना
yakūna
يَكُونَ
हो वो
dūlatan
دُولَةًۢ
गर्दिश करने वाला
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
l-aghniyāi
ٱلْأَغْنِيَآءِ
दौलतमन्दों के
minkum
مِنكُمْۚ
तुम में से
wamā
وَمَآ
और जो
ātākumu
ءَاتَىٰكُمُ
दें तुम्हें
l-rasūlu
ٱلرَّسُولُ
रसूल
fakhudhūhu
فَخُذُوهُ
पस ले लो उसे
wamā
وَمَا
और जिस चीज़ से
nahākum
نَهَىٰكُمْ
वो रोकें तुम्हें
ʿanhu
عَنْهُ
उससे
fa-intahū
فَٱنتَهُوا۟ۚ
पस रुक जाओ
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَۖ
अल्लाह से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
shadīdu
شَدِيدُ
सख़्त
l-ʿiqābi
ٱلْعِقَابِ
सज़ा वाला है
जो कुछ अल्लाह ने अपने रसूल की ओर बस्तियोंवालों से लेकर पलटाया वह अल्लाह और रसूल और (मुहताज) नातेदार और अनाथों और मुहताजों और मुसाफ़िर के लिए है, ताकि वह (माल) तुम्हारे मालदारों ही के बीच चक्कर न लगाता रहे - रसूल जो कुछ तुम्हें दे उसे ले लो और जिस चीज़ से तुम्हें रोक दे उससे रुक जाओ, और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह की यातना बहुत कठोर है। - ([५९] अल-हष्र: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

لِلْفُقَرَاۤءِ الْمُهٰجِرِيْنَ الَّذِيْنَ اُخْرِجُوْا مِنْ دِيَارِهِمْ وَاَمْوَالِهِمْ يَبْتَغُوْنَ فَضْلًا مِّنَ اللّٰهِ وَرِضْوَانًا وَّيَنْصُرُوْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۗ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الصّٰدِقُوْنَۚ ٨

lil'fuqarāi
لِلْفُقَرَآءِ
(माले फ़य)फ़ुक़रा के लिए है
l-muhājirīna
ٱلْمُهَٰجِرِينَ
जो मुहाजिर हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
ukh'rijū
أُخْرِجُوا۟
निकाले गए
min
مِن
अपने घरों से
diyārihim
دِيَٰرِهِمْ
अपने घरों से
wa-amwālihim
وَأَمْوَٰلِهِمْ
और अपने मालों से
yabtaghūna
يَبْتَغُونَ
वो चाहते हैं
faḍlan
فَضْلًا
फ़ज़ल
mina
مِّنَ
अल्लाह का
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
wariḍ'wānan
وَرِضْوَٰنًا
और रज़ामन्दी
wayanṣurūna
وَيَنصُرُونَ
और वो मदद करते हैं
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥٓۚ
और उसके रसूल की
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-ṣādiqūna
ٱلصَّٰدِقُونَ
जो सच्चे हैं
वह ग़रीब मुहाजिरों के लिए है, जो अपने घरों और अपने मालों से इस हालत में निकाल बाहर किए गए है कि वे अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी प्रसन्नता की तलाश में है और अल्लाह और उसके रसूल की सहायता कर रहे है, और वही वास्तव में सच्चे है ([५९] अल-हष्र: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ تَبَوَّءُو الدَّارَ وَالْاِيْمَانَ مِنْ قَبْلِهِمْ يُحِبُّوْنَ مَنْ هَاجَرَ اِلَيْهِمْ وَلَا يَجِدُوْنَ فِيْ صُدُوْرِهِمْ حَاجَةً مِّمَّآ اُوْتُوْا وَيُؤْثِرُوْنَ عَلٰٓى اَنْفُسِهِمْ وَلَوْ كَانَ بِهِمْ خَصَاصَةٌ ۗوَمَنْ يُّوْقَ شُحَّ نَفْسِهٖ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَۚ ٩

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और(अंसार के लिए भी)जिन्होंने
tabawwaū
تَبَوَّءُو
जगह बनाई
l-dāra
ٱلدَّارَ
उस घर (मदीना) में
wal-īmāna
وَٱلْإِيمَٰنَ
और ईमान में
min
مِن
उनसे पहले
qablihim
قَبْلِهِمْ
उनसे पहले
yuḥibbūna
يُحِبُّونَ
वो मुहब्बत रखते हैं
man
مَنْ
उससे जो
hājara
هَاجَرَ
हिजरत करे
ilayhim
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
walā
وَلَا
और नहीं
yajidūna
يَجِدُونَ
वो पाते
فِى
अपने सीनों में
ṣudūrihim
صُدُورِهِمْ
अपने सीनों में
ḥājatan
حَاجَةً
कोई हाजत
mimmā
مِّمَّآ
उस चीज़ की जो
ūtū
أُوتُوا۟
वो दिए गए
wayu'thirūna
وَيُؤْثِرُونَ
और वो तरजीह देते हैं
ʿalā
عَلَىٰٓ
अपने नफ़्सों पर
anfusihim
أَنفُسِهِمْ
अपने नफ़्सों पर
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
kāna
كَانَ
हो
bihim
بِهِمْ
उन्हें
khaṣāṣatun
خَصَاصَةٌۚ
सख़्त हाजत
waman
وَمَن
और जो कोई
yūqa
يُوقَ
बचा लिया गया
shuḥḥa
شُحَّ
बुख़्ल से
nafsihi
نَفْسِهِۦ
अपने नफ़्स के
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-muf'liḥūna
ٱلْمُفْلِحُونَ
जो फ़लाह पाने वाले हैं
और उनके लिए जो उनसे पहले ही से हिजरत के घर (मदीना) में ठिकाना बनाए हुए है और ईमान पर जमे हुए है, वे उनसे प्रेम करते है जो हिजरत करके उनके यहाँ आए है और जो कुछ भी उन्हें दिया गया उससे वे अपने सीनों में कोई खटक नहीं पाते और वे उन्हें अपने मुक़ाबले में प्राथमिकता देते है, यद्यपि अपनी जगह वे स्वयं मुहताज ही हों। और जो अपने मन के लोभ और कृपणता से बचा लिया जाए ऐसे लोग ही सफल है ([५९] अल-हष्र: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَالَّذِيْنَ جَاۤءُوْ مِنْۢ بَعْدِهِمْ يَقُوْلُوْنَ رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا وَلِاِخْوَانِنَا الَّذِيْنَ سَبَقُوْنَا بِالْاِيْمَانِ وَلَا تَجْعَلْ فِيْ قُلُوْبِنَا غِلًّا لِّلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا رَبَّنَآ اِنَّكَ رَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ ࣖ ١٠

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और (उनके लिए भी) जो
jāū
جَآءُو
आए
min
مِنۢ
उनके बाद
baʿdihim
بَعْدِهِمْ
उनके बाद
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
igh'fir
ٱغْفِرْ
बख़्शदे
lanā
لَنَا
हमें
wali-ikh'wāninā
وَلِإِخْوَٰنِنَا
और हमारे भाईयों को
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
sabaqūnā
سَبَقُونَا
सबक़त ले गए हमसे
bil-īmāni
بِٱلْإِيمَٰنِ
ईमान में
walā
وَلَا
और ना
tajʿal
تَجْعَلْ
तू रख
فِى
हमारे दिलों मे
qulūbinā
قُلُوبِنَا
हमारे दिलों मे
ghillan
غِلًّا
कीना/कुदूरत
lilladhīna
لِّلَّذِينَ
उन लोगों के लिए जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
rabbanā
رَبَّنَآ
ऐ हमार रब
innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
raūfun
رَءُوفٌ
बहुत शफ़्क़त करने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
और (इस माल में उनका भी हिस्सा है) जो उनके बाद आए, वे कहते है, 'ऐ हमारे रब! हमें क्षमा कर दे और हमारे उन भाइयों को भी जो ईमानलाने में हमसे अग्रसर रहे और हमारे दिलों में ईमानवालों के लिए कोई विद्वेष न रख। ऐ हमारे रब! तू निश्चय ही बड़ा करुणामय, अत्यन्त दयावान है।' ([५९] अल-हष्र: 10)
Tafseer (तफ़सीर )