Skip to content

सूरा अल-मुजादिला - शब्द द्वारा शब्द

Al-Mujadila

(She That Disputeth, The Pleading Woman)

bismillaahirrahmaanirrahiim

قَدْ سَمِعَ اللّٰهُ قَوْلَ الَّتِيْ تُجَادِلُكَ فِيْ زَوْجِهَا وَتَشْتَكِيْٓ اِلَى اللّٰهِ ۖوَاللّٰهُ يَسْمَعُ تَحَاوُرَكُمَاۗ اِنَّ اللّٰهَ سَمِيْعٌۢ بَصِيْرٌ ١

qad
قَدْ
तहक़ीक़
samiʿa
سَمِعَ
सुन ली
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
qawla
قَوْلَ
बात
allatī
ٱلَّتِى
उस औरत की जो
tujādiluka
تُجَٰدِلُكَ
झगड़ रही थी आपसे
فِى
अपने शौहर के बारे में
zawjihā
زَوْجِهَا
अपने शौहर के बारे में
watashtakī
وَتَشْتَكِىٓ
और वो शिकायत कर रही थी
ilā
إِلَى
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yasmaʿu
يَسْمَعُ
वो सुन रहा था
taḥāwurakumā
تَحَاوُرَكُمَآۚ
गुफ़्तगू तुम दोनों की
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
samīʿun
سَمِيعٌۢ
ख़ूब सुनने वाला है
baṣīrun
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है
अल्लाह ने उस स्त्री की बात सुन ली जो अपने पति के विषय में तुमसे झगड़ रही है और अल्लाह से शिकायत किए जाती है। अल्लाह तुम दोनों की बातचीत सुन रहा है। निश्चय ही अल्लाह सब कुछ सुननेवाला, देखनेवाला है ([५८] अल-मुजादिला: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

اَلَّذِيْنَ يُظٰهِرُوْنَ مِنْكُمْ مِّنْ نِّسَاۤىِٕهِمْ مَّا هُنَّ اُمَّهٰتِهِمْۗ اِنْ اُمَّهٰتُهُمْ اِلَّا الّٰۤـِٔيْ وَلَدْنَهُمْۗ وَاِنَّهُمْ لَيَقُوْلُوْنَ مُنْكَرًا مِّنَ الْقَوْلِ وَزُوْرًاۗ وَاِنَّ اللّٰهَ لَعَفُوٌّ غَفُوْرٌ ٢

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yuẓāhirūna
يُظَٰهِرُونَ
ज़िहार करते हैं
minkum
مِنكُم
तुम में से
min
مِّن
अपनी बीवियों से
nisāihim
نِّسَآئِهِم
अपनी बीवियों से
مَّا
नहीं हैं
hunna
هُنَّ
वो
ummahātihim
أُمَّهَٰتِهِمْۖ
माँऐं उनकी
in
إِنْ
नहीं
ummahātuhum
أُمَّهَٰتُهُمْ
माँऐं उनकी
illā
إِلَّا
मगर
allāī
ٱلَّٰٓـِٔى
वो जिन्होंने
waladnahum
وَلَدْنَهُمْۚ
जन्म दिया उन्हें
wa-innahum
وَإِنَّهُمْ
और बेशक वो
layaqūlūna
لَيَقُولُونَ
अलबत्ता वो कहते हैं
munkaran
مُنكَرًا
नामाक़ूल/नापसंदीदा
mina
مِّنَ
बात
l-qawli
ٱلْقَوْلِ
बात
wazūran
وَزُورًاۚ
और झूठ
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
laʿafuwwun
لَعَفُوٌّ
अलबत्ता बहुत माफ़ करने वाला है
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
तुममें से जो लोग अपनी स्त्रियों से ज़िहार करते हैं, उनकी माएँ वे नहीं है, उनकी माएँ तो वही है जिन्होंने उनको जन्म दिया है। यह अवश्य है कि वे लोग एक अनुचित बात और झूठ कहते है। और निश्चय ही अल्लाह टाल जानेवाला अत्यन्त क्षमाशील है ([५८] अल-मुजादिला: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالَّذِيْنَ يُظٰهِرُوْنَ مِنْ نِّسَاۤىِٕهِمْ ثُمَّ يَعُوْدُوْنَ لِمَا قَالُوْا فَتَحْرِيْرُ رَقَبَةٍ مِّنْ قَبْلِ اَنْ يَّتَمَاۤسَّاۗ ذٰلِكُمْ تُوْعَظُوْنَ بِهٖۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرٌ ٣

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो लोग जो
yuẓāhirūna
يُظَٰهِرُونَ
ज़िहार करते हैं
min
مِن
अपनी बीवियों से
nisāihim
نِّسَآئِهِمْ
अपनी बीवियों से
thumma
ثُمَّ
फिर
yaʿūdūna
يَعُودُونَ
वो रुजूअ कर लेते हैं
limā
لِمَا
उससे जो
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
fataḥrīru
فَتَحْرِيرُ
पस आज़ाद करना है
raqabatin
رَقَبَةٍ
एक गर्दन का
min
مِّن
इससे क़ब्ल
qabli
قَبْلِ
इससे क़ब्ल
an
أَن
कि
yatamāssā
يَتَمَآسَّاۚ
वो दोनों एक दूसरे को छुऐं
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये है
tūʿaẓūna
تُوعَظُونَ
तुम नसीहत किए जाते हो
bihi
بِهِۦۚ
जिसकी
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
bimā
بِمَا
उससे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
khabīrun
خَبِيرٌ
ख़ूब बाख़बर है
जो लोग अपनी स्त्रियों से ज़िहार करते हैं; फिर जो बात उन्होंने कही थी उससे रुजू करते है, तो इससे पहले कि दोनों एक-दूसरे को हाथ लगाएँ एक गर्दन आज़ाद करनी होगी। यह वह बात है जिसकी तुम्हें नसीहत की जाती है, और तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसकी ख़बर रखता है ([५८] अल-मुजादिला: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

فَمَنْ لَّمْ يَجِدْ فَصِيَامُ شَهْرَيْنِ مُتَتَابِعَيْنِ مِنْ قَبْلِ اَنْ يَّتَمَاۤسَّاۗ فَمَنْ لَّمْ يَسْتَطِعْ فَاِطْعَامُ سِتِّيْنَ مِسْكِيْنًاۗ ذٰلِكَ لِتُؤْمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖۗ وَتِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ ۗوَلِلْكٰفِرِيْنَ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٤

faman
فَمَن
तो जो कोई
lam
لَّمْ
ना
yajid
يَجِدْ
पाए (ग़ुलाम)
faṣiyāmu
فَصِيَامُ
तो रोज़े रखना है
shahrayni
شَهْرَيْنِ
दो माह के
mutatābiʿayni
مُتَتَابِعَيْنِ
मुसलसल
min
مِن
इससे क़ब्ल
qabli
قَبْلِ
इससे क़ब्ल
an
أَن
कि
yatamāssā
يَتَمَآسَّاۖ
वो दोनों एक दूसरे को छुऐं
faman
فَمَن
तो जो कोई
lam
لَّمْ
ना
yastaṭiʿ
يَسْتَطِعْ
इस्तिताअत रखता हो
fa-iṭ'ʿāmu
فَإِطْعَامُ
तो खाना खिलाना है
sittīna
سِتِّينَ
साठ
mis'kīnan
مِسْكِينًاۚ
मिसकीनों का
dhālika
ذَٰلِكَ
ये (इस लिए है)
litu'minū
لِتُؤْمِنُوا۟
ताकि तुम ईमान लाओ
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
warasūlihi
وَرَسُولِهِۦۚ
और उसके रसूल पर
watil'ka
وَتِلْكَ
और ये
ḥudūdu
حُدُودُ
हुदूद हैं
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह की
walil'kāfirīna
وَلِلْكَٰفِرِينَ
और काफ़िरों के लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
alīmun
أَلِيمٌ
दर्दनाक
किन्तु जिस किसी को ग़ुलाम प्राप्त न हो तो वह निरन्तर दो माह रोज़े रखे, इससे पहले कि वे दोनों एक-दूसरे को हाथ लगाएँ और जिस किसी को इसकी भी सामर्थ्य न हो तो साठ मुहताजों को भोजन कराना होगा। यह इसलिए कि तुम अल्लाह और उसके रसूल पर ईमानवाले सिद्ध हो सको। ये अल्लाह की निर्धारित की हुई सीमाएँ है। और इनकार करनेवाले के लिए दुखद यातना है ([५८] अल-मुजादिला: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّ الَّذِيْنَ يُحَاۤدُّوْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ كُبِتُوْا كَمَا كُبِتَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ وَقَدْ اَنْزَلْنَآ اٰيٰتٍۢ بَيِّنٰتٍۗ وَلِلْكٰفِرِيْنَ عَذَابٌ مُّهِيْنٌۚ ٥

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yuḥāddūna
يُحَآدُّونَ
मुख़ालिफ़त करते हैं
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल की
kubitū
كُبِتُوا۟
वो ज़लील किए जाऐंगे
kamā
كَمَا
जैसा कि
kubita
كُبِتَ
ज़लील किए गए थे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْۚ
उनसे पहले थे
waqad
وَقَدْ
और तहक़ीक़
anzalnā
أَنزَلْنَآ
नाज़िल कीं हमने
āyātin
ءَايَٰتٍۭ
आयात
bayyinātin
بَيِّنَٰتٍۚ
वाज़ेह
walil'kāfirīna
وَلِلْكَٰفِرِينَ
और काफ़िरों के लिए है
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब
muhīnun
مُّهِينٌ
रुस्वा करने वाला
जो लोग अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करते हैं, वे अपमानित और तिरस्कृत होकर रहेंगे, जैसे उनसे पहले के लोग अपमानित और तिरस्कृत हो चुके है। हमने स्पष्ट आयतें अवतरित कर दी है और इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना है ([५८] अल-मुजादिला: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

يَوْمَ يَبْعَثُهُمُ اللّٰهُ جَمِيْعًا فَيُنَبِّئُهُمْ بِمَا عَمِلُوْاۗ اَحْصٰىهُ اللّٰهُ وَنَسُوْهُۗ وَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيْدٌ ࣖ ٦

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
yabʿathuhumu
يَبْعَثُهُمُ
उठाएगा उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
jamīʿan
جَمِيعًا
सब के सब को
fayunabbi-uhum
فَيُنَبِّئُهُم
फिर वो बताएगा उन्हें
bimā
بِمَا
वो जो
ʿamilū
عَمِلُوٓا۟ۚ
उन्होंने अमल किए
aḥṣāhu
أَحْصَىٰهُ
गिन रखा है उसे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
wanasūhu
وَنَسُوهُۚ
जब कि वो भूल चुके हैं उसे
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
shahīdun
شَهِيدٌ
गवाह है
जिस दिन अल्लाह उन सबको उठा खड़ा करेगा और जो कुछ उन्होंने किया होगा, उससे उन्हें अवगत करा देगा। अल्लाह ने उसकी गणना कर रखी है, और वे उसे भूले हुए है, और अल्लाह हर चीज़ का साक्षी है ([५८] अल-मुजादिला: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ مَا يَكُوْنُ مِنْ نَّجْوٰى ثَلٰثَةٍ اِلَّا هُوَ رَابِعُهُمْ وَلَا خَمْسَةٍ اِلَّا هُوَ سَادِسُهُمْ وَلَآ اَدْنٰى مِنْ ذٰلِكَ وَلَآ اَكْثَرَ اِلَّا هُوَ مَعَهُمْ اَيْنَ مَا كَانُوْاۚ ثُمَّ يُنَبِّئُهُمْ بِمَا عَمِلُوْا يَوْمَ الْقِيٰمَةِۗ اِنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ٧

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
वो जानता है
مَا
जो कुछ
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۖ
ज़मीन में है
مَا
नहीं
yakūnu
يَكُونُ
होती
min
مِن
कोई सरगोशी
najwā
نَّجْوَىٰ
कोई सरगोशी
thalāthatin
ثَلَٰثَةٍ
तीन (लोगों) की
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَ
वो
rābiʿuhum
رَابِعُهُمْ
चौथा है उनका
walā
وَلَا
और ना
khamsatin
خَمْسَةٍ
पाँच (लोगों) की
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَ
वो
sādisuhum
سَادِسُهُمْ
छठा है उनका
walā
وَلَآ
और ना
adnā
أَدْنَىٰ
कम
min
مِن
इससे
dhālika
ذَٰلِكَ
इससे
walā
وَلَآ
और ना
akthara
أَكْثَرَ
ज़्यादा
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَ
वो
maʿahum
مَعَهُمْ
साथ है उनके
ayna
أَيْنَ
जहाँ-कहीं
مَا
जहाँ-कहीं
kānū
كَانُوا۟ۖ
वो हों
thumma
ثُمَّ
फिर
yunabbi-uhum
يُنَبِّئُهُم
वो बताएगा उन्हें
bimā
بِمَا
जो
ʿamilū
عَمِلُوا۟
उन्होंने अमल किए
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِۚ
क़यामत के
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
क्या तुमने इसको नहीं देखा कि अल्लाह जानता है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। कभी ऐसा नहीं होता कि तीन आदमियों की गुप्त वार्ता हो और उनके बीच चौथा वह (अल्लाह) न हो। और न पाँच आदमियों की होती है जिसमें छठा वह न होता हो। और न इससे कम की कोई होती है और न इससे अधिक की भी, किन्तु वह उनके साथ होता है, जहाँ कहीं भी वे हो; फिर जो कुछ भी उन्होंने किया होगा क़ियामत के दिन उससे वह उन्हें अवगत करा देगा। निश्चय ही अल्लाह को हर चीज़ का ज्ञान है ([५८] अल-मुजादिला: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ نُهُوْا عَنِ النَّجْوٰى ثُمَّ يَعُوْدُوْنَ لِمَا نُهُوْا عَنْهُ وَيَتَنٰجَوْنَ بِالْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَمَعْصِيَتِ الرَّسُوْلِۖ وَاِذَا جَاۤءُوْكَ حَيَّوْكَ بِمَا لَمْ يُحَيِّكَ بِهِ اللّٰهُ ۙوَيَقُوْلُوْنَ فِيْٓ اَنْفُسِهِمْ لَوْلَا يُعَذِّبُنَا اللّٰهُ بِمَا نَقُوْلُۗ حَسْبُهُمْ جَهَنَّمُۚ يَصْلَوْنَهَاۚ فَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ٨

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों के जो
nuhū
نُهُوا۟
रोके गए
ʿani
عَنِ
सरगोशी से
l-najwā
ٱلنَّجْوَىٰ
सरगोशी से
thumma
ثُمَّ
फिर
yaʿūdūna
يَعُودُونَ
वो लौटते हैं
limā
لِمَا
तरफ़ उसके जो
nuhū
نُهُوا۟
वो रोके गए थे
ʿanhu
عَنْهُ
जिससे
wayatanājawna
وَيَتَنَٰجَوْنَ
और वो बाहम सरगोशियाँ करते हैं
bil-ith'mi
بِٱلْإِثْمِ
गुनाह की
wal-ʿud'wāni
وَٱلْعُدْوَٰنِ
और ज़्यादाती की
wamaʿṣiyati
وَمَعْصِيَتِ
और रसूल की नाफ़रमानी की
l-rasūli
ٱلرَّسُولِ
और रसूल की नाफ़रमानी की
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
jāūka
جَآءُوكَ
वो आते हैं आपके पास
ḥayyawka
حَيَّوْكَ
वो सलाम करते हैं आपको
bimā
بِمَا
साथ उसके जो
lam
لَمْ
नहीं
yuḥayyika
يُحَيِّكَ
सलाम कहा आपको
bihi
بِهِ
साथ उसके
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
wayaqūlūna
وَيَقُولُونَ
और वो कहते हैं
فِىٓ
अपने नफ़्सों में
anfusihim
أَنفُسِهِمْ
अपने नफ़्सों में
lawlā
لَوْلَا
क्यों नहीं
yuʿadhibunā
يُعَذِّبُنَا
अज़ाब देता हमें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
naqūlu
نَقُولُۚ
हम कहते हैं
ḥasbuhum
حَسْبُهُمْ
काफ़ी है उन्हें
jahannamu
جَهَنَّمُ
जहन्नम
yaṣlawnahā
يَصْلَوْنَهَاۖ
वो जलेंगे उसमें
fabi'sa
فَبِئْسَ
पस कितनी बुरी है
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
लौटने जगह
क्या तुमने नहीं देखा जिन्हें कानाफूसी से रोका गया था, फिर वे वही करते रहे जिससे उन्हें रोका गया था। वे आपस में गुनाह और ज़्यादती और रसूल की अवज्ञा की कानाफूसी करते है। और जब तुम्हारे पास आते है तो तुम्हारे प्रति अभिवादन के ऐसे शब्द प्रयोग में लाते है जो शब्द अल्लाह ने तुम्हारे लिए अभिवादन के लिए नहीं कहे। और अपने जी में कहते है, 'जो कुछ हम कहते है उसपर अल्लाह हमें यातना क्यों नहीं देता?' उनके लिए जहन्नम ही काफ़ी है जिसमें वे प्रविष्ट होंगे। वह तो बहुत बुरी जगह है, अन्त नें पहुँचने की! ([५८] अल-मुजादिला: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا تَنَاجَيْتُمْ فَلَا تَتَنَاجَوْا بِالْاِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَمَعْصِيَتِ الرَّسُوْلِ وَتَنَاجَوْا بِالْبِرِّ وَالتَّقْوٰىۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ الَّذِيْٓ اِلَيْهِ تُحْشَرُوْنَ ٩

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगों जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगों जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
idhā
إِذَا
जब
tanājaytum
تَنَٰجَيْتُمْ
तुम बाहम सरगोशी करो
falā
فَلَا
पस ना
tatanājaw
تَتَنَٰجَوْا۟
तुम सरगोशी करो
bil-ith'mi
بِٱلْإِثْمِ
गुनाह की
wal-ʿud'wāni
وَٱلْعُدْوَٰنِ
और ज़्यादती की
wamaʿṣiyati
وَمَعْصِيَتِ
और रसूल की नाफ़रमानी की
l-rasūli
ٱلرَّسُولِ
और रसूल की नाफ़रमानी की
watanājaw
وَتَنَٰجَوْا۟
बल्कि सरगोशी करो
bil-biri
بِٱلْبِرِّ
नेकी की
wal-taqwā
وَٱلتَّقْوَىٰۖ
और तक़्वा की
wa-ittaqū
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
alladhī
ٱلَّذِىٓ
वो जो
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
tuḥ'sharūna
تُحْشَرُونَ
तुम इकट्ठे किए जाओगे
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम आपस में गुप्त॥ वार्ता करो तो गुनाह और ज़्यादती और रसूल की अवज्ञा की गुप्त वार्ता न करो, बल्कि नेकी और परहेज़गारी के विषय में आपस में एकान्त वार्ता करो। और अल्लाह का डर रखो, जिसके पास तुम इकट्ठे होगे ([५८] अल-मुजादिला: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

اِنَّمَا النَّجْوٰى مِنَ الشَّيْطٰنِ لِيَحْزُنَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَلَيْسَ بِضَاۤرِّهِمْ شَيْـًٔا اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ۗوَعَلَى اللّٰهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ١٠

innamā
إِنَّمَا
बेशक
l-najwā
ٱلنَّجْوَىٰ
सरगोशी
mina
مِنَ
शैतान की तरफ़ से है
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान की तरफ़ से है
liyaḥzuna
لِيَحْزُنَ
ताकि वो ग़मगीन करे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
walaysa
وَلَيْسَ
हालाँकि नहीं वो
biḍārrihim
بِضَآرِّهِمْ
नुक़्सान देने वाले उन्हें
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
illā
إِلَّا
मगर
bi-idh'ni
بِإِذْنِ
अल्लाह के इज़्न स
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के इज़्न स
waʿalā
وَعَلَى
और अल्लाह ही पर
l-lahi
ٱللَّهِ
और अल्लाह ही पर
falyatawakkali
فَلْيَتَوَكَّلِ
पस चाहिए की तवक्कुल करें
l-mu'minūna
ٱلْمُؤْمِنُونَ
मोमिन
वह कानाफूसी तो केवल शैतान की ओर से है, ताकि वह उन्हें ग़म में डाले जो ईमान लाए है। हालाँकि अल्लाह की अवज्ञा के बिना उसे कुछ भी हानि पहुँचाने की सामर्थ्य प्राप्त नहीं। और ईमानवालों को तो अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिए ([५८] अल-मुजादिला: 10)
Tafseer (तफ़सीर )