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सूरा अल-हदीद - Page: 3

Al-Hadid

(लोहा)

२१

سَابِقُوْٓا اِلٰى مَغْفِرَةٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَجَنَّةٍ عَرْضُهَا كَعَرْضِ السَّمَاۤءِ وَالْاَرْضِۙ اُعِدَّتْ لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا بِاللّٰهِ وَرُسُلِهٖۗ ذٰلِكَ فَضْلُ اللّٰهِ يُؤْتِيْهِ مَنْ يَّشَاۤءُ ۚوَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيْمِ ٢١

sābiqū
سَابِقُوٓا۟
दौड़ो
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ बख़्शिश के
maghfiratin
مَغْفِرَةٍ
तरफ़ बख़्शिश के
min
مِّن
अपने रब की
rabbikum
رَّبِّكُمْ
अपने रब की
wajannatin
وَجَنَّةٍ
और जन्नत के
ʿarḍuhā
عَرْضُهَا
चौड़ाई जिसकी
kaʿarḍi
كَعَرْضِ
जैसे चौड़ाई
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन की
uʿiddat
أُعِدَّتْ
वो तैयार की गई
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनके लिए जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
warusulihi
وَرُسُلِهِۦۚ
और उसके रसूलों पर
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
faḍlu
فَضْلُ
फ़ज़ल है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
yu'tīhi
يُؤْتِيهِ
वो अता करता है उसे
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
dhū
ذُو
फ़ज़ल वाल है
l-faḍli
ٱلْفَضْلِ
फ़ज़ल वाल है
l-ʿaẓīmi
ٱلْعَظِيمِ
बहुत बड़े
अपने रब की क्षमा और उस जन्नत की ओर अग्रसर होने में एक-दूसरे से बाज़ी ले जाओ, जिसका विस्तार आकाश और धरती के विस्तार जैसा है, जो उन लोगों के लिए तैयार की गई है जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए हों। यह अल्लाह का उदार अनुग्रह है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। अल्लाह बड़े उदार अनुग्रह का मालिक है ([५७] अल-हदीद: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

مَآ اَصَابَ مِنْ مُّصِيْبَةٍ فِى الْاَرْضِ وَلَا فِيْٓ اَنْفُسِكُمْ اِلَّا فِيْ كِتٰبٍ مِّنْ قَبْلِ اَنْ نَّبْرَاَهَا ۗاِنَّ ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ يَسِيْرٌۖ ٢٢

مَآ
नहीं
aṣāba
أَصَابَ
पहुँचती
min
مِن
कोई मुसीबत
muṣībatin
مُّصِيبَةٍ
कोई मुसीबत
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
walā
وَلَا
और ना
فِىٓ
तुम्हारे नफ़्सों में
anfusikum
أَنفُسِكُمْ
तुम्हारे नफ़्सों में
illā
إِلَّا
मगर
فِى
एक किताब में है
kitābin
كِتَٰبٍ
एक किताब में है
min
مِّن
इससे पहले
qabli
قَبْلِ
इससे पहले
an
أَن
कि
nabra-ahā
نَّبْرَأَهَآۚ
हम पैदा करें उसे
inna
إِنَّ
बेशक
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
yasīrun
يَسِيرٌ
बहुत आसान है
जो मुसीबतें भी धरती में आती है और तुम्हारे अपने ऊपर, वह अनिवार्यतः एक किताब में अंकित है, इससे पहले कि हम उसे अस्तित्व में लाएँ - निश्चय ही यह अल्लाह के लिए आसान है - ([५७] अल-हदीद: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

لِّكَيْلَا تَأْسَوْا عَلٰى مَا فَاتَكُمْ وَلَا تَفْرَحُوْا بِمَآ اٰتٰىكُمْ ۗوَاللّٰهُ لَا يُحِبُّ كُلَّ مُخْتَالٍ فَخُوْرٍۙ ٢٣

likaylā
لِّكَيْلَا
ताकि ना
tasaw
تَأْسَوْا۟
तुम अफ़सोस करो
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर जो
مَا
उस पर जो
fātakum
فَاتَكُمْ
खो जाए तुमसे
walā
وَلَا
और ना
tafraḥū
تَفْرَحُوا۟
तुम इतराओ
bimā
بِمَآ
उस पर जो
ātākum
ءَاتَىٰكُمْۗ
उसने दिया तुम्हें
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
لَا
नहीं
yuḥibbu
يُحِبُّ
वो पसंद करता
kulla
كُلَّ
हर
mukh'tālin
مُخْتَالٍ
ख़ुदपसंद
fakhūrin
فَخُورٍ
फ़ख़्र करने वाले को
(यह बात तुम्हें इसलिए बता दी गई) ताकि तुम उस चीज़ का अफ़सोस न करो जो तुम पर जाती रहे और न उसपर फूल जाओ जो उसने तुम्हें प्रदान की हो। अल्लाह किसी इतरानेवाले, बड़ाई जतानेवाले को पसन्द नहीं करता ([५७] अल-हदीद: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

ۨالَّذِيْنَ يَبْخَلُوْنَ وَيَأْمُرُوْنَ النَّاسَ بِالْبُخْلِ ۗوَمَنْ يَّتَوَلَّ فَاِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيْدُ ٢٤

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yabkhalūna
يَبْخَلُونَ
बुख़्ल करते हैं
wayamurūna
وَيَأْمُرُونَ
और वो हुक्म देते हैं
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
bil-bukh'li
بِٱلْبُخْلِۗ
बुख़्ल का
waman
وَمَن
और जो कोई
yatawalla
يَتَوَلَّ
मुँह फेरता है
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही है
l-ghaniyu
ٱلْغَنِىُّ
बहुत बेनियाज़
l-ḥamīdu
ٱلْحَمِيدُ
ख़ूब तारीफ़ वाला
जो स्वयं कंजूसी करते है और लोगों को भी कंजूसी करने पर उकसाते है, और जो कोई मुँह मोड़े तो अल्लाह तो निस्पृह प्रशंसनीय है ([५७] अल-हदीद: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

لَقَدْ اَرْسَلْنَا رُسُلَنَا بِالْبَيِّنٰتِ وَاَنْزَلْنَا مَعَهُمُ الْكِتٰبَ وَالْمِيْزَانَ لِيَقُوْمَ النَّاسُ بِالْقِسْطِۚ وَاَنْزَلْنَا الْحَدِيْدَ فِيْهِ بَأْسٌ شَدِيْدٌ وَّمَنَافِعُ لِلنَّاسِ وَلِيَعْلَمَ اللّٰهُ مَنْ يَّنْصُرُهٗ وَرُسُلَهٗ بِالْغَيْبِۗ اِنَّ اللّٰهَ قَوِيٌّ عَزِيْزٌ ࣖ ٢٥

laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
rusulanā
رُسُلَنَا
अपने रसूलों को
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
साथ वाज़ेह निशानियों के
wa-anzalnā
وَأَنزَلْنَا
और नाज़िल की हमने
maʿahumu
مَعَهُمُ
साथ उनके
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
wal-mīzāna
وَٱلْمِيزَانَ
और मीज़ान
liyaqūma
لِيَقُومَ
ताकि क़ायम हों
l-nāsu
ٱلنَّاسُ
लोग
bil-qis'ṭi
بِٱلْقِسْطِۖ
इन्साफ़ पर
wa-anzalnā
وَأَنزَلْنَا
और उतारा हमने
l-ḥadīda
ٱلْحَدِيدَ
लोहा
fīhi
فِيهِ
जिसमें
basun
بَأْسٌ
ज़ोर है
shadīdun
شَدِيدٌ
सख़्त
wamanāfiʿu
وَمَنَٰفِعُ
और कई फ़ायदे हैं
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
waliyaʿlama
وَلِيَعْلَمَ
और ताकि जान ले
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
man
مَن
कौन
yanṣuruhu
يَنصُرُهُۥ
मदद करता है उसकी
warusulahu
وَرُسُلَهُۥ
और उसके रसूलों की
bil-ghaybi
بِٱلْغَيْبِۚ
ग़ायबाना
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
qawiyyun
قَوِىٌّ
बहुत क़ुव्वत वाला है
ʿazīzun
عَزِيزٌ
बहुत ज़बरदस्त है
निश्चय ही हमने अपने रसूलों को स्पष्ट प्रमाणों के साथ भेजा और उनके लिए किताब और तुला उतारी, ताकि लोग इनसाफ़ पर क़ायम हों। और लोहा भी उतारा, जिसमें बड़ी दहशत है और लोगों के लिए कितने ही लाभ है., और (किताब एवं तुला इसलिए भी उतारी) ताकि अल्लाह जान ले कि कौन परोक्ष में रहते हुए उसकी और उसके रसूलों की सहायता करता है। निश्चय ही अल्लाह शक्तिशाली, प्रभुत्वशाली है ([५७] अल-हदीद: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا نُوْحًا وَّاِبْرٰهِيْمَ وَجَعَلْنَا فِيْ ذُرِّيَّتِهِمَا النُّبُوَّةَ وَالْكِتٰبَ فَمِنْهُمْ مُّهْتَدٍۚ وَكَثِيْرٌ مِّنْهُمْ فٰسِقُوْنَ ٢٦

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
nūḥan
نُوحًا
नूह
wa-ib'rāhīma
وَإِبْرَٰهِيمَ
और इब्राहीम को
wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और रखी हमने
فِى
उन दोनों की औलाद में
dhurriyyatihimā
ذُرِّيَّتِهِمَا
उन दोनों की औलाद में
l-nubuwata
ٱلنُّبُوَّةَ
नुबूव्वत
wal-kitāba
وَٱلْكِتَٰبَۖ
और किताब
famin'hum
فَمِنْهُم
तो कुछ उनमें से
muh'tadin
مُّهْتَدٍۖ
हिदायत याफ़्ता हैं
wakathīrun
وَكَثِيرٌ
और अक्सर
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
fāsiqūna
فَٰسِقُونَ
फ़ासिक़ हैं
हमने नूह और इबराहीम को भेजा और उन दोनों की सन्तान में पैग़म्बरी और क़िताब रख दी। फिर उनमें से किसी ने तो संमार्ग अपनाया; किन्तु उनमें से अधिकतर अवज्ञाकारी थे ([५७] अल-हदीद: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

ثُمَّ قَفَّيْنَا عَلٰٓى اٰثَارِهِمْ بِرُسُلِنَا وَقَفَّيْنَا بِعِيْسَى ابْنِ مَرْيَمَ وَاٰتَيْنٰهُ الْاِنْجِيْلَ ەۙ وَجَعَلْنَا فِيْ قُلُوْبِ الَّذِيْنَ اتَّبَعُوْهُ رَأْفَةً وَّرَحْمَةً ۗوَرَهْبَانِيَّةَ ِۨابْتَدَعُوْهَا مَا كَتَبْنٰهَا عَلَيْهِمْ اِلَّا ابْتِغَاۤءَ رِضْوَانِ اللّٰهِ فَمَا رَعَوْهَا حَقَّ رِعَايَتِهَا ۚفَاٰتَيْنَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مِنْهُمْ اَجْرَهُمْ ۚ وَكَثِيْرٌ مِّنْهُمْ فٰسِقُوْنَ ٢٧

thumma
ثُمَّ
फिर
qaffaynā
قَفَّيْنَا
पै दर पै भेजे हमने
ʿalā
عَلَىٰٓ
उनके आसार पर
āthārihim
ءَاثَٰرِهِم
उनके आसार पर
birusulinā
بِرُسُلِنَا
अपने रसूल
waqaffaynā
وَقَفَّيْنَا
और पीछे भेजा हमने
biʿīsā
بِعِيسَى
ईसा इब्ने मरियम को
ib'ni
ٱبْنِ
ईसा इब्ने मरियम को
maryama
مَرْيَمَ
ईसा इब्ने मरियम को
waātaynāhu
وَءَاتَيْنَٰهُ
और अता किया हमने उसे
l-injīla
ٱلْإِنجِيلَ
इन्जील
wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और डाल दी हमने
فِى
दिलों में
qulūbi
قُلُوبِ
दिलों में
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों के जिन्होंने
ittabaʿūhu
ٱتَّبَعُوهُ
पैरवी की उसकी
rafatan
رَأْفَةً
शफ़्क़त
waraḥmatan
وَرَحْمَةً
और रहमत को
warahbāniyyatan
وَرَهْبَانِيَّةً
और रहबानियत/तर्क दुनिया
ib'tadaʿūhā
ٱبْتَدَعُوهَا
उन्होंने ईजाद कर लिया उसे
مَا
नहीं फ़र्ज़ किया था हमने उसे
katabnāhā
كَتَبْنَٰهَا
नहीं फ़र्ज़ किया था हमने उसे
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
illā
إِلَّا
मगर
ib'tighāa
ٱبْتِغَآءَ
हासिल करने को
riḍ'wāni
رِضْوَٰنِ
रज़ा
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
famā
فَمَا
तो नहीं
raʿawhā
رَعَوْهَا
उन्होंने ख़्याल रखा उसका
ḥaqqa
حَقَّ
जैसे हक़ था
riʿāyatihā
رِعَايَتِهَاۖ
उसका ख़्याल रखने का
faātaynā
فَـَٔاتَيْنَا
तो दिया हमने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों को जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
ajrahum
أَجْرَهُمْۖ
अजर उनका
wakathīrun
وَكَثِيرٌ
और अक्सर
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
fāsiqūna
فَٰسِقُونَ
फ़ासिक़ हैं
फिर उनके पीछ उन्हीं के पद-चिन्हों पर हमने अपने दूसरे रसूलों को भेजा और हमने उनके पीछे मरयम के बेटे ईसा को भेजा और उसे इंजील प्रदान की। और जिन लोगों ने उसका अनुसरण किया, उनके दिलों में हमने करुणा और दया रख दी। रहा संन्यास, तो उसे उन्होंने स्वयं घड़ा था। हमने उसे उनके लिए अनिवार्य नहीं किया था, यदि अनिवार्य किया था तो केवल अल्लाह की प्रसन्नता की चाहत। फिर वे उसका निर्वाह न कर सकें, जैसा कि उनका निर्वाह करना चाहिए था। अतः उन लोगों को, जो उनमें से वास्तव में ईमान लाए थे, उनका बदला हमने (उन्हें) प्रदान किया। किन्तु उनमें से अधिकतर अवज्ञाकारी ही है ([५७] अल-हदीद: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَاٰمِنُوْا بِرَسُوْلِهٖ يُؤْتِكُمْ كِفْلَيْنِ مِنْ رَّحْمَتِهٖ وَيَجْعَلْ لَّكُمْ نُوْرًا تَمْشُوْنَ بِهٖ وَيَغْفِرْ لَكُمْۗ وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌۙ ٢٨

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगों जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगों जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
ittaqū
ٱتَّقُوا۟
डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
waāminū
وَءَامِنُوا۟
और ईमान लाओ
birasūlihi
بِرَسُولِهِۦ
उसके रसूल पर
yu'tikum
يُؤْتِكُمْ
वो देगा तुम्हें
kif'layni
كِفْلَيْنِ
दो हिस्से
min
مِن
अपनी रहमत में से
raḥmatihi
رَّحْمَتِهِۦ
अपनी रहमत में से
wayajʿal
وَيَجْعَل
और वो बना देगा
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
nūran
نُورًا
एक नूर
tamshūna
تَمْشُونَ
तुम चलोगे
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
wayaghfir
وَيَغْفِرْ
और वो बख़्श देगा
lakum
لَكُمْۚ
तुम्हें
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
ऐ लोगों, जो ईमान लाए हो! अल्लाह का डर रखो और उसके रसूल पर ईमान लाओ। वह तुम्हें अपनी दयालुता का दोहरा हिस्सा प्रदान करेगा और तुम्हारे लिए एक प्रकाश कर देगा, जिसमें तुम चलोगे और तुम्हें क्षमा कर देगा। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([५७] अल-हदीद: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

لِّئَلَّا يَعْلَمَ اَهْلُ الْكِتٰبِ اَلَّا يَقْدِرُوْنَ عَلٰى شَيْءٍ مِّنْ فَضْلِ اللّٰهِ وَاَنَّ الْفَضْلَ بِيَدِ اللّٰهِ يُؤْتِيْهِ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗوَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيْمِ ࣖ ۔ ٢٩

li-allā
لِّئَلَّا
ताकि
yaʿlama
يَعْلَمَ
जान लें
ahlu
أَهْلُ
एहले किताब
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
एहले किताब
allā
أَلَّا
ये कि नहीं
yaqdirūna
يَقْدِرُونَ
वो क़ुदरत रखते
ʿalā
عَلَىٰ
किसी चीज़ पर
shayin
شَىْءٍ
किसी चीज़ पर
min
مِّن
फ़ज़ल में से
faḍli
فَضْلِ
फ़ज़ल में से
l-lahi
ٱللَّهِۙ
अल्लाह के
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-faḍla
ٱلْفَضْلَ
फ़ज़ल
biyadi
بِيَدِ
अल्लाह के हाथ में है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के हाथ में है
yu'tīhi
يُؤْتِيهِ
वो देता है उसे
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
dhū
ذُو
फ़ज़ल वाला है
l-faḍli
ٱلْفَضْلِ
फ़ज़ल वाला है
l-ʿaẓīmi
ٱلْعَظِيمِ
बहुत बड़े
ताकि किताबवाले यह न समझें कि अल्लाह के अनुग्रह में से वे किसी चीज़ पर अधिकार न प्राप्त कर सकेंगे और यह कि अनुग्रह अल्लाह के हाथ में है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। अल्लाह बड़े अनुग्रह का मालिक है ([५७] अल-हदीद: 29)
Tafseer (तफ़सीर )