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सूरा अल-हदीद - Page: 2

Al-Hadid

(लोहा)

११

مَنْ ذَا الَّذِيْ يُقْرِضُ اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا فَيُضٰعِفَهٗ لَهٗ وَلَهٗٓ اَجْرٌ كَرِيْمٌ ١١

man
مَّن
कौन है जो
dhā
ذَا
कौन है जो
alladhī
ٱلَّذِى
कौन है जो
yuq'riḍu
يُقْرِضُ
क़र्ज़ देगा
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
qarḍan
قَرْضًا
क़र्ज़
ḥasanan
حَسَنًا
अच्छा
fayuḍāʿifahu
فَيُضَٰعِفَهُۥ
फिर वो दोगुना करेगा उसे
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
walahu
وَلَهُۥٓ
और उसी के लिए है
ajrun
أَجْرٌ
अजर
karīmun
كَرِيمٌ
इज़्ज़त वाला
कौन है जो अल्लाह को ऋण दे, अच्छा ऋण कि वह उसे उसके लिए कई गुना कर दे। और उसके लिए सम्मानित प्रतिदान है ([५७] अल-हदीद: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

يَوْمَ تَرَى الْمُؤْمِنِيْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ يَسْعٰى نُوْرُهُمْ بَيْنَ اَيْدِيْهِمْ وَبِاَيْمَانِهِمْ بُشْرٰىكُمُ الْيَوْمَ جَنّٰتٌ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَاۗ ذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُۚ ١٢

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
tarā
تَرَى
आप देखेंगे
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिन मर्दों
wal-mu'mināti
وَٱلْمُؤْمِنَٰتِ
और मोमिन औरतों को
yasʿā
يَسْعَىٰ
दौड़ता होगा
nūruhum
نُورُهُم
नूर उनका
bayna
بَيْنَ
उनके आगे-आगे
aydīhim
أَيْدِيهِمْ
उनके आगे-आगे
wabi-aymānihim
وَبِأَيْمَٰنِهِم
और उनके दाऐं जानिब
bush'rākumu
بُشْرَىٰكُمُ
ख़ुशख़बरी है तुम्हें
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज के दिन
jannātun
جَنَّٰتٌ
ऐसे बाग़ात की
tajrī
تَجْرِى
बहती हैं
min
مِن
जिनके नीचे से
taḥtihā
تَحْتِهَا
जिनके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَاۚ
उनमें
dhālika
ذَٰلِكَ
यही है
huwa
هُوَ
वो
l-fawzu
ٱلْفَوْزُ
कामयाबी
l-ʿaẓīmu
ٱلْعَظِيمُ
बहुत बड़ी
जिस दिन तुम मोमिन पुरुषों और मोमिन स्त्रियों को देखोगे कि उनका प्रकाश उनके आगे-आगे दौड़ रहा है और उनके दाएँ हाथ में है। (कहा जाएगा,) 'आज शुभ सूचना है तुम्हारे लिए ऐसी जन्नतों की जिनके नीचे नहरें बह रही है, जिनमें सदैव रहना है। वही बड़ी सफलता है।' ([५७] अल-हदीद: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

يَوْمَ يَقُوْلُ الْمُنٰفِقُوْنَ وَالْمُنٰفِقٰتُ لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوا انْظُرُوْنَا نَقْتَبِسْ مِنْ نُّوْرِكُمْۚ قِيْلَ ارْجِعُوْا وَرَاۤءَكُمْ فَالْتَمِسُوْا نُوْرًاۗ فَضُرِبَ بَيْنَهُمْ بِسُوْرٍ لَّهٗ بَابٌۗ بَاطِنُهٗ فِيْهِ الرَّحْمَةُ وَظَاهِرُهٗ مِنْ قِبَلِهِ الْعَذَابُۗ ١٣

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
yaqūlu
يَقُولُ
कहेंगे
l-munāfiqūna
ٱلْمُنَٰفِقُونَ
मुनाफ़िक़ मर्द
wal-munāfiqātu
وَٱلْمُنَٰفِقَٰتُ
और मुनाफ़िक़ औरतें
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उन्हें जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
unẓurūnā
ٱنظُرُونَا
इन्तिज़ार करो हमारा
naqtabis
نَقْتَبِسْ
हम रौशनी हासिल करें
min
مِن
तुम्हारे नूर से
nūrikum
نُّورِكُمْ
तुम्हारे नूर से
qīla
قِيلَ
कह दिया जाएगा
ir'jiʿū
ٱرْجِعُوا۟
लौट जाओ
warāakum
وَرَآءَكُمْ
अपने पीछे
fal-tamisū
فَٱلْتَمِسُوا۟
फिर तलाश करो
nūran
نُورًا
नूर को
faḍuriba
فَضُرِبَ
तो हाइल कर दी जाएगी
baynahum
بَيْنَهُم
दर्मियान उनके
bisūrin
بِسُورٍ
एक दीवार
lahu
لَّهُۥ
उसका
bābun
بَابٌۢ
एक दरवाज़ा होगा
bāṭinuhu
بَاطِنُهُۥ
उसकी अन्दरूनी जानिब
fīhi
فِيهِ
जिसमें
l-raḥmatu
ٱلرَّحْمَةُ
रहमत होगी
waẓāhiruhu
وَظَٰهِرُهُۥ
और उसकी बैरूनी जानिब
min
مِن
उस तरफ़ से
qibalihi
قِبَلِهِ
उस तरफ़ से
l-ʿadhābu
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब होगा
जिस दिन कपटाचारी पुरुष और कपटाचारी स्त्रियाँ मोमिनों से कहेंगी, 'तनिक हमारी प्रतिक्षा करो। हम भी तुम्हारे प्रकाश मे से कुछ प्रकाश ले लें!' कहा जाएगा, 'अपने पीछे लौट जाओ। फिर प्रकाश तलाश करो!' इतने में उनके बीच एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी, जिसमें एक द्वार होगा। उसके भीतर का हाल यह होगा कि उसमें दयालुता होगी और उसके बाहर का यह कि उस ओर से यातना होगी ([५७] अल-हदीद: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

يُنَادُوْنَهُمْ اَلَمْ نَكُنْ مَّعَكُمْۗ قَالُوْا بَلٰى وَلٰكِنَّكُمْ فَتَنْتُمْ اَنْفُسَكُمْ وَتَرَبَّصْتُمْ وَارْتَبْتُمْ وَغَرَّتْكُمُ الْاَمَانِيُّ حَتّٰى جَاۤءَ اَمْرُ اللّٰهِ وَغَرَّكُمْ بِاللّٰهِ الْغَرُوْرُ ١٤

yunādūnahum
يُنَادُونَهُمْ
वो पुकारेंगे उन्हें
alam
أَلَمْ
क्या ना
nakun
نَكُن
थे हम
maʿakum
مَّعَكُمْۖ
साथ तुम्हारे
qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
balā
بَلَىٰ
क्यों नहीं
walākinnakum
وَلَٰكِنَّكُمْ
और लेकिन तुम
fatantum
فَتَنتُمْ
फ़ितने में डाला तुमने
anfusakum
أَنفُسَكُمْ
अपने आपको
watarabbaṣtum
وَتَرَبَّصْتُمْ
और इन्तिज़ार में रहे तुम
wa-ir'tabtum
وَٱرْتَبْتُمْ
और शक किया तुमने
wagharratkumu
وَغَرَّتْكُمُ
और धोखे में डाला तुम्हें
l-amāniyu
ٱلْأَمَانِىُّ
तमन्नाओं ने
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
jāa
جَآءَ
आ गया
amru
أَمْرُ
फ़ैसला
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
wagharrakum
وَغَرَّكُم
और धोखे में डाला तुम्हें
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह के बारे में
l-gharūru
ٱلْغَرُورُ
उस बड़े धोखेबाज़ ने
वे उन्हें पुकारकर कहेंगे, 'क्या हम तुम्हारे साथी नहीं थे?' वे कहेंगे, 'क्यों नहीं? किन्तु तुमने तो अपने आपको फ़ितने (गुमराही) में डाला और प्रतीक्षा करते रहे और सन्देह में पड़े रहे और कामनाओं ने तुम्हें धोखे में डाले रखा है ([५७] अल-हदीद: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

فَالْيَوْمَ لَا يُؤْخَذُ مِنْكُمْ فِدْيَةٌ وَّلَا مِنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْاۗ مَأْوٰىكُمُ النَّارُۗ هِيَ مَوْلٰىكُمْۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ١٥

fal-yawma
فَٱلْيَوْمَ
तो आज
لَا
ना लिया जाएगा
yu'khadhu
يُؤْخَذُ
ना लिया जाएगा
minkum
مِنكُمْ
तुमसे
fid'yatun
فِدْيَةٌ
कोई फ़िदया
walā
وَلَا
और ना
mina
مِنَ
उनसे जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟ۚ
कुफ़्र किया
mawākumu
مَأْوَىٰكُمُ
ठिकाना तुम्हारा
l-nāru
ٱلنَّارُۖ
आग है
hiya
هِىَ
वो ही
mawlākum
مَوْلَىٰكُمْۖ
दोस्त है तुम्हारी
wabi'sa
وَبِئْسَ
और कितनी बुरी है
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
लौटने की जगह
'अब आज न तुमसे कोई फ़िदया (मुक्ति-प्रतिदान) लिया जाएगा और न उन लोगों से जिन्होंने इनकार किया। तुम्हारा ठिकाना आग है, और वही तुम्हारी संरक्षिका है। और बहुत ही बुरी जगह है अन्त में पहुँचने की!' ([५७] अल-हदीद: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

اَلَمْ يَأْنِ لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَنْ تَخْشَعَ قُلُوْبُهُمْ لِذِكْرِ اللّٰهِ وَمَا نَزَلَ مِنَ الْحَقِّۙ وَلَا يَكُوْنُوْا كَالَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلُ فَطَالَ عَلَيْهِمُ الْاَمَدُ فَقَسَتْ قُلُوْبُهُمْۗ وَكَثِيْرٌ مِّنْهُمْ فٰسِقُوْنَ ١٦

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
yani
يَأْنِ
वक़्त आया
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनके लिए जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए
an
أَن
कि
takhshaʿa
تَخْشَعَ
झुक जाऐं
qulūbuhum
قُلُوبُهُمْ
दिल उनके
lidhik'ri
لِذِكْرِ
ज़िक्र के लिए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
wamā
وَمَا
और जो
nazala
نَزَلَ
नाज़िल हुआ
mina
مِنَ
हक़ में से
l-ḥaqi
ٱلْحَقِّ
हक़ में से
walā
وَلَا
और ना
yakūnū
يَكُونُوا۟
वो हो जाऐं
ka-alladhīna
كَٱلَّذِينَ
उन लोगों की तरह जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
min
مِن
उससे क़ब्ल
qablu
قَبْلُ
उससे क़ब्ल
faṭāla
فَطَالَ
तो तवील हो गई
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-amadu
ٱلْأَمَدُ
मुद्दत
faqasat
فَقَسَتْ
तो सख़्त हो गए
qulūbuhum
قُلُوبُهُمْۖ
दिल उनके
wakathīrun
وَكَثِيرٌ
और अक्सर
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
fāsiqūna
فَٰسِقُونَ
नाफ़रमान हैं
क्या उन लोगों के लिए, जो ईमान लाए, अभी वह समय नहीं आया कि उनके दिल अल्लाह की याद के लिए और जो सत्य अवतरित हुआ है उसके आगे झुक जाएँ? और वे उन लोगों की तरह न हो जाएँ, जिन्हें किताब दी गई थी, फिर उनपर दीर्ध समय बीत गया। अन्ततः उनके दिल कठोर हो गए और उनमें से अधिकांश अवज्ञाकारी रहे ([५७] अल-हदीद: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اِعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ يُحْيِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَاۗ قَدْ بَيَّنَّا لَكُمُ الْاٰيٰتِ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ١٧

iʿ'lamū
ٱعْلَمُوٓا۟
जान लो
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yuḥ'yī
يُحْىِ
वो ज़िन्दा करता है
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
baʿda
بَعْدَ
बाद
mawtihā
مَوْتِهَاۚ
उसकी मौत के
qad
قَدْ
तहक़ीक़
bayyannā
بَيَّنَّا
बयान कर दीं हमने
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-āyāti
ٱلْءَايَٰتِ
आयात
laʿallakum
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
taʿqilūna
تَعْقِلُونَ
तुम अक़्ल से काम लो
जान लो, अल्लाह धरती को उसकी मृत्यु के पश्चात जीवन प्रदान करता है। हमने तुम्हारे लिए आयतें खोल-खोलकर बयान कर दी है, ताकि तुम बुद्धि से काम लो ([५७] अल-हदीद: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

اِنَّ الْمُصَّدِّقِيْنَ وَالْمُصَّدِّقٰتِ وَاَقْرَضُوا اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا يُّضٰعَفُ لَهُمْ وَلَهُمْ اَجْرٌ كَرِيْمٌ ١٨

inna
إِنَّ
बेशक
l-muṣadiqīna
ٱلْمُصَّدِّقِينَ
सदक़ा करने वाले मर्द
wal-muṣadiqāti
وَٱلْمُصَّدِّقَٰتِ
और सदक़ा करने वाली औरतें
wa-aqraḍū
وَأَقْرَضُوا۟
और जिन्होंने क़र्ज़ दिया
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
qarḍan
قَرْضًا
क़र्ज़
ḥasanan
حَسَنًا
अच्छा
yuḍāʿafu
يُضَٰعَفُ
दोगुना कर दिया जाएगा
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
walahum
وَلَهُمْ
और उन्हीं के लिए है
ajrun
أَجْرٌ
अजर
karīmun
كَرِيمٌ
इज़्ज़त वाला
निश्चय ही जो सदका देनेवाले पुरुष और सदका देनेवाली स्त्रियाँ है और उन्होंने अल्लाह को अच्छा ऋण दिया, उसे उसके लिए कई गुना कर दिया जाएगा। और उनके लिए सम्मानित प्रतिदान है ([५७] अल-हदीद: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا بِاللّٰهِ وَرُسُلِهٖٓ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الصِّدِّيْقُوْنَ ۖوَالشُّهَدَاۤءُ عِنْدَ رَبِّهِمْۗ لَهُمْ اَجْرُهُمْ وَنُوْرُهُمْۗ وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَآ اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَحِيْمِ ࣖ ١٩

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
warusulihi
وَرُسُلِهِۦٓ
और उसके रसूलों पर
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-ṣidīqūna
ٱلصِّدِّيقُونَۖ
जो सच्चे हैं
wal-shuhadāu
وَٱلشُّهَدَآءُ
और गवाही देने वाले हैं
ʿinda
عِندَ
अपने रब के पास
rabbihim
رَبِّهِمْ
अपने रब के पास
lahum
لَهُمْ
उन्हीं के लिए है
ajruhum
أَجْرُهُمْ
अजर उनका
wanūruhum
وَنُورُهُمْۖ
और नूर उनका
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
wakadhabū
وَكَذَّبُوا۟
और उन्होंने झुठलाया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَآ
हमारी आयात को
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी
l-jaḥīmi
ٱلْجَحِيمِ
जहन्नम के
जो लोग अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए, वही अपने रब के यहाण सिद्दीक और शहीद है। उनके लिए उनका प्रतिदान और उनका प्रकाश है। किन्तु जिन लोगों ने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही भड़कती आगवाले हैं ([५७] अल-हदीद: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

اِعْلَمُوْٓا اَنَّمَا الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا لَعِبٌ وَّلَهْوٌ وَّزِيْنَةٌ وَّتَفَاخُرٌۢ بَيْنَكُمْ وَتَكَاثُرٌ فِى الْاَمْوَالِ وَالْاَوْلَادِۗ كَمَثَلِ غَيْثٍ اَعْجَبَ الْكُفَّارَ نَبَاتُهٗ ثُمَّ يَهِيْجُ فَتَرٰىهُ مُصْفَرًّا ثُمَّ يَكُوْنُ حُطَامًاۗ وَفِى الْاٰخِرَةِ عَذَابٌ شَدِيْدٌۙ وَّمَغْفِرَةٌ مِّنَ اللّٰهِ وَرِضْوَانٌ ۗوَمَا الْحَيٰوةُ الدُّنْيَآ اِلَّا مَتَاعُ الْغُرُوْرِ ٢٠

iʿ'lamū
ٱعْلَمُوٓا۟
जान लो
annamā
أَنَّمَا
बेशक
l-ḥayatu
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
laʿibun
لَعِبٌ
खेल
walahwun
وَلَهْوٌ
और तमाशा
wazīnatun
وَزِينَةٌ
और ज़ीनत
watafākhurun
وَتَفَاخُرٌۢ
और बाहम फ़ख़्र करना है
baynakum
بَيْنَكُمْ
आपस में
watakāthurun
وَتَكَاثُرٌ
और एक दूसरे पर कसरत हासिल करना है
فِى
मालों में
l-amwāli
ٱلْأَمْوَٰلِ
मालों में
wal-awlādi
وَٱلْأَوْلَٰدِۖ
और औलाद में
kamathali
كَمَثَلِ
मानिन्द मिसाल
ghaythin
غَيْثٍ
बारिश के है
aʿjaba
أَعْجَبَ
ख़ुश कर दिया
l-kufāra
ٱلْكُفَّارَ
किसानों को
nabātuhu
نَبَاتُهُۥ
उसकी नबातात ने
thumma
ثُمَّ
फिर
yahīju
يَهِيجُ
वो ख़ुश्क हो जाती है
fatarāhu
فَتَرَىٰهُ
फिर आप देखते हैं उसे
muṣ'farran
مُصْفَرًّا
कि ज़र्द हो गई
thumma
ثُمَّ
फिर
yakūnu
يَكُونُ
वो हो जाती है
ḥuṭāman
حُطَٰمًاۖ
चूरा-चूरा
wafī
وَفِى
और आख़िरत में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
और आख़िरत में
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
shadīdun
شَدِيدٌ
सख़्त
wamaghfiratun
وَمَغْفِرَةٌ
और बख़्शिश
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
wariḍ'wānun
وَرِضْوَٰنٌۚ
और रज़ामन्दी
wamā
وَمَا
और नहीं
l-ḥayatu
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَآ
दुनिया की
illā
إِلَّا
मगर
matāʿu
مَتَٰعُ
सामान
l-ghurūri
ٱلْغُرُورِ
धोखे का
जान लो, सांसारिक जीवन तो बस एक खेल और तमाशा है और एक साज-सज्जा, और तुम्हारा आपस में एक-दूसरे पर बड़ाई जताना, और धन और सन्तान में परस्पर एक-दूसरे से बढ़ा हुआ प्रदर्शित करना। वर्षा का मिसाल की तरह जिसकी वनस्पति ने किसान का दिल मोह लिया। फिर वह पक जाती है; फिर तुम उसे देखते हो कि वह पीली हो गई। फिर वह चूर्ण-विचूर्ण होकर रह जाती है, जबकि आख़िरत में कठोर यातना भी है और अल्लाह की क्षमा और प्रसन्नता भी। सांसारिक जीवन तो केवल धोखे की सुख-सामग्री है ([५७] अल-हदीद: 20)
Tafseer (तफ़सीर )