سَبَّحَ لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۚ وَهُوَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُ ١
- sabbaḥa
- سَبَّحَ
- तस्बीह की है
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- mā
- مَا
- हर उस चीज़ ने जो
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۖ
- और ज़मीन में है
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त है
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला है
अल्लाह की तसबीह की हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है। वही प्रभुत्वशाली, तत्वशाली है ([५७] अल-हदीद: 1)Tafseer (तफ़सीर )
لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۚ يُحْيٖ وَيُمِيْتُۚ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٢
- lahu
- لَهُۥ
- उसी के लिए है
- mul'ku
- مُلْكُ
- बादशाहत
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۖ
- और ज़मीन की
- yuḥ'yī
- يُحْىِۦ
- वो ज़िन्दा करता है
- wayumītu
- وَيُمِيتُۖ
- और वो मौत देता है
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है। वही जीवन प्रदान करता है और मृत्यु देता है, और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है ([५७] अल-हदीद: 2)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الْاَوَّلُ وَالْاٰخِرُ وَالظَّاهِرُ وَالْبَاطِنُۚ وَهُوَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ٣
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-awalu
- ٱلْأَوَّلُ
- अव्वल है
- wal-ākhiru
- وَٱلْءَاخِرُ
- और आख़िर है
- wal-ẓāhiru
- وَٱلظَّٰهِرُ
- और ज़ाहिर है
- wal-bāṭinu
- وَٱلْبَاطِنُۖ
- और बातिन है
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
वही आदि है और अन्त भी और वही व्यक्त है और अव्यक्त भी। और वह हर चीज़ को जानता है ([५७] अल-हदीद: 3)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ فِيْ سِتَّةِ اَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوٰى عَلَى الْعَرْشِۚ يَعْلَمُ مَا يَلِجُ فِى الْاَرْضِ وَمَا يَخْرُجُ مِنْهَا وَمَا يَنْزِلُ مِنَ السَّمَاۤءِ وَمَا يَعْرُجُ فِيْهَاۗ وَهُوَ مَعَكُمْ اَيْنَ مَا كُنْتُمْۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌۗ ٤
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- fī
- فِى
- छ:
- sittati
- سِتَّةِ
- छ:
- ayyāmin
- أَيَّامٍ
- दिनों मे
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- is'tawā
- ٱسْتَوَىٰ
- वो बुलन्द हुआ
- ʿalā
- عَلَى
- अर्श पर
- l-ʿarshi
- ٱلْعَرْشِۚ
- अर्श पर
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- yaliju
- يَلِجُ
- दाख़िल होता है
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- yakhruju
- يَخْرُجُ
- निकलता है
- min'hā
- مِنْهَا
- उससे
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- yanzilu
- يَنزِلُ
- उतरता है
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- yaʿruju
- يَعْرُجُ
- चढ़ता है
- fīhā
- فِيهَاۖ
- उसमें
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- maʿakum
- مَعَكُمْ
- तुम्हारे साथ है
- ayna
- أَيْنَ
- जहाँ कहीं
- mā
- مَا
- जहाँ कहीं
- kuntum
- كُنتُمْۚ
- हो तुम
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
वही है जिसने आकाशों और धरती को छह दिनों में पैदा किया; फिर सिंहासन पर विराजमान हुआ। वह जानता है जो कुछ धरती में प्रवेश करता है और जो कुछ उससे निकलता है और जो कुछ आकाश से उतरता है और जो कुछ उसमें चढ़ता है। और तुम जहाँ कहीं भी हो, वह तुम्हारे साथ है। और अल्लाह देखता है जो कुछ तुम करते हो ([५७] अल-हदीद: 4)Tafseer (तफ़सीर )
لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَاِلَى اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ٥
- lahu
- لَّهُۥ
- उसी के लिए है
- mul'ku
- مُلْكُ
- बादशाहत
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۚ
- और ज़मीन की
- wa-ilā
- وَإِلَى
- और अल्लाह ही की तरफ़
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- और अल्लाह ही की तरफ़
- tur'jaʿu
- تُرْجَعُ
- लौटाए जाते हैं
- l-umūru
- ٱلْأُمُورُ
- सब काम
आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है और अल्लाह ही की है ओर सारे मामले पलटते है ([५७] अल-हदीद: 5)Tafseer (तफ़सीर )
يُوْلِجُ الَّيْلَ فِى النَّهَارِ وَيُوْلِجُ النَّهَارَ فِى الَّيْلِۗ وَهُوَ عَلِيْمٌ ۢبِذَاتِ الصُّدُوْرِ ٦
- yūliju
- يُولِجُ
- वो दाख़िल करता है
- al-layla
- ٱلَّيْلَ
- रात को
- fī
- فِى
- दिन में
- l-nahāri
- ٱلنَّهَارِ
- दिन में
- wayūliju
- وَيُولِجُ
- और वो दाख़िल करता है
- l-nahāra
- ٱلنَّهَارَ
- दिन को
- fī
- فِى
- रात में
- al-layli
- ٱلَّيْلِۚ
- रात में
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bidhāti
- بِذَاتِ
- सीनों वाले (भेद)
- l-ṣudūri
- ٱلصُّدُورِ
- सीनों वाले (भेद)
वह रात को दिन में प्रविष्ट कराता है और दिन को रात में प्रविष्ट कराता है। वह सीनों में छिपी बात तक को जानता है ([५७] अल-हदीद: 6)Tafseer (तफ़सीर )
اٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَاَنْفِقُوْا مِمَّا جَعَلَكُمْ مُّسْتَخْلَفِيْنَ فِيْهِۗ فَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مِنْكُمْ وَاَنْفَقُوْا لَهُمْ اَجْرٌ كَبِيْرٌ ٧
- āminū
- ءَامِنُوا۟
- ईमान लाओ
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- warasūlihi
- وَرَسُولِهِۦ
- और उसके रसूल पर
- wa-anfiqū
- وَأَنفِقُوا۟
- और ख़र्च करो
- mimmā
- مِمَّا
- उससे जो
- jaʿalakum
- جَعَلَكُم
- उसने बनाया तुम्हें
- mus'takhlafīna
- مُّسْتَخْلَفِينَ
- जानशीन
- fīhi
- فِيهِۖ
- उस(माल) में
- fa-alladhīna
- فَٱلَّذِينَ
- तो वो लोग जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- wa-anfaqū
- وَأَنفَقُوا۟
- और उन्होंने ख़र्च किया
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ajrun
- أَجْرٌ
- अजर है
- kabīrun
- كَبِيرٌ
- बहुत बड़ा
ईमान लाओ अल्लाह और उसके रसूल पर और उसमें से ख़र्च करो जिसका उसने तु्म्हें अधिकारी बनाया है। तो तुममें से जो लोग ईमान लाए और उन्होंने ख़र्च किया, उसने लिए बड़ा प्रतिदान है ([५७] अल-हदीद: 7)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا لَكُمْ لَا تُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ ۚوَالرَّسُوْلُ يَدْعُوْكُمْ لِتُؤْمِنُوْا بِرَبِّكُمْ وَقَدْ اَخَذَ مِيْثَاقَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ٨
- wamā
- وَمَا
- और क्या है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हें
- lā
- لَا
- नहीं तुम ईमान लाते
- tu'minūna
- تُؤْمِنُونَ
- नहीं तुम ईमान लाते
- bil-lahi
- بِٱللَّهِۙ
- अल्लाह पर
- wal-rasūlu
- وَٱلرَّسُولُ
- जब कि रसूल
- yadʿūkum
- يَدْعُوكُمْ
- वो दावत देता है तुम्हें
- litu'minū
- لِتُؤْمِنُوا۟
- कि तुम ईमान लाओ
- birabbikum
- بِرَبِّكُمْ
- अपने रब पर
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- akhadha
- أَخَذَ
- उसने लिया है
- mīthāqakum
- مِيثَٰقَكُمْ
- पुख़्ता अहद तुमसे
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُم
- हो तुम
- mu'minīna
- مُّؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वाले
तुम्हें क्या हो गया है कि तुम अल्लाह पर ईमान नहीं लाते; जबकि रसूल तुम्हें निमंत्रण दे रहा है कि तुम अपने रब पर ईमान लाओ और वह तुमसे दृढ़ वचन भी ले चुका है, यदि तुम मोमिन हो ([५७] अल-हदीद: 8)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْ يُنَزِّلُ عَلٰى عَبْدِهٖٓ اٰيٰتٍۢ بَيِّنٰتٍ لِّيُخْرِجَكُمْ مِّنَ الظُّلُمٰتِ اِلَى النُّوْرِۗ وَاِنَّ اللّٰهَ بِكُمْ لَرَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ ٩
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जो
- yunazzilu
- يُنَزِّلُ
- नाज़िल करता है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने बन्दे पर
- ʿabdihi
- عَبْدِهِۦٓ
- अपने बन्दे पर
- āyātin
- ءَايَٰتٍۭ
- आयात
- bayyinātin
- بَيِّنَٰتٍ
- वाज़ेह
- liyukh'rijakum
- لِّيُخْرِجَكُم
- ताकि वो निकाले तुम्हें
- mina
- مِّنَ
- अंधेरों से
- l-ẓulumāti
- ٱلظُّلُمَٰتِ
- अंधेरों से
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ रौशनी के
- l-nūri
- ٱلنُّورِۚ
- तरफ़ रौशनी के
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bikum
- بِكُمْ
- तुम पर
- laraūfun
- لَرَءُوفٌ
- अलबत्ता बहुत शफ़्क़त करने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
वही है जो अपने बन्दों पर स्पष्ट आयतें उतार रहा है, ताकि वह तुम्हें अंधकारों से प्रकाश की ओर ले आए। और वास्तविकता यह है कि अल्लाह तुमपर अत्यन्त करुणामय, दयावान है ([५७] अल-हदीद: 9)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا لَكُمْ اَلَّا تُنْفِقُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَلِلّٰهِ مِيْرَاثُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ لَا يَسْتَوِيْ مِنْكُمْ مَّنْ اَنْفَقَ مِنْ قَبْلِ الْفَتْحِ وَقَاتَلَۗ اُولٰۤىِٕكَ اَعْظَمُ دَرَجَةً مِّنَ الَّذِيْنَ اَنْفَقُوْا مِنْۢ بَعْدُ وَقَاتَلُوْاۗ وَكُلًّا وَّعَدَ اللّٰهُ الْحُسْنٰىۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرٌ ࣖ ١٠
- wamā
- وَمَا
- और क्या है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हें
- allā
- أَلَّا
- कि नहीं
- tunfiqū
- تُنفِقُوا۟
- तुम ख़र्च करते
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए है
- mīrāthu
- مِيرَٰثُ
- मीरास
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۚ
- और ज़मीन की
- lā
- لَا
- नहीं
- yastawī
- يَسْتَوِى
- बराबर हो सकता
- minkum
- مِنكُم
- तुम में से
- man
- مَّنْ
- वो जिसने
- anfaqa
- أَنفَقَ
- ख़र्च किया
- min
- مِن
- पहले
- qabli
- قَبْلِ
- पहले
- l-fatḥi
- ٱلْفَتْحِ
- फ़तह के
- waqātala
- وَقَٰتَلَۚ
- और जंग की
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- aʿẓamu
- أَعْظَمُ
- ज़्यादा बड़े
- darajatan
- دَرَجَةً
- दर्जे में
- mina
- مِّنَ
- उनसे जिन्होंने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जिन्होंने
- anfaqū
- أَنفَقُوا۟
- ख़र्च किया
- min
- مِنۢ
- उसके बाद
- baʿdu
- بَعْدُ
- उसके बाद
- waqātalū
- وَقَٰتَلُوا۟ۚ
- और उन्होंने जंग की
- wakullan
- وَكُلًّا
- और हर एक से
- waʿada
- وَعَدَ
- वादा किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- l-ḥus'nā
- ٱلْحُسْنَىٰۚ
- भलाई का
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- khabīrun
- خَبِيرٌ
- ख़ूब ख़बर रखने वाला है
और तुम्हें क्यो हुआ है कि तुम अल्लाह के मार्ग में ख़र्च न करो, हालाँकि आकाशों और धरती की विरासत अल्लाह ही के लिए है? तुममें से जिन लोगों ने विजय से पूर्व ख़र्च किया और लड़े वे परस्पर एक-दूसरे के समान नहीं है। वे तो दरजे में उनसे बढ़कर है जिन्होंने बाद में ख़र्च किया और लड़े। यद्यपि अल्लाह ने प्रत्येक से अच्छा वादा किया है। अल्लाह उसकी ख़बर रखता है, जो कुछ तुम करते हो ([५७] अल-हदीद: 10)Tafseer (तफ़सीर )