७१
اَفَرَءَيْتُمُ النَّارَ الَّتِيْ تُوْرُوْنَۗ ٧١
- afara-aytumu
- أَفَرَءَيْتُمُ
- क्या फिर देखा तुमने
- l-nāra
- ٱلنَّارَ
- आग को
- allatī
- ٱلَّتِى
- वो जो
- tūrūna
- تُورُونَ
- तुम सुलगाते हो
फिर क्या तुमने उस आग को देखा जिसे तुम सुलगाते हो? ([५६] अल-वाकिया: 71)Tafseer (तफ़सीर )
७२
ءَاَنْتُمْ اَنْشَأْتُمْ شَجَرَتَهَآ اَمْ نَحْنُ الْمُنْشِـُٔوْنَ ٧٢
- a-antum
- ءَأَنتُمْ
- क्या तुमने
- anshatum
- أَنشَأْتُمْ
- पैदा किया तुमने
- shajaratahā
- شَجَرَتَهَآ
- दरख़्त उसका
- am
- أَمْ
- या
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम हैं
- l-munshiūna
- ٱلْمُنشِـُٔونَ
- पैदा करने वाले
क्या तुमने उसके वृक्ष को पैदा किया है या पैदा करनेवाले हम है? ([५६] अल-वाकिया: 72)Tafseer (तफ़सीर )
७३
نَحْنُ جَعَلْنٰهَا تَذْكِرَةً وَّمَتَاعًا لِّلْمُقْوِيْنَۚ ٧٣
- naḥnu
- نَحْنُ
- हमने
- jaʿalnāhā
- جَعَلْنَٰهَا
- बनाया हमने उसे
- tadhkiratan
- تَذْكِرَةً
- एक नसीहत
- wamatāʿan
- وَمَتَٰعًا
- और फ़ायदे की चीज़
- lil'muq'wīna
- لِّلْمُقْوِينَ
- मुसाफ़िरों के लिए
हमने उसे एक अनुस्मृति और मरुभुमि के मुसाफ़िरों और ज़रूरतमन्दों के लिए लाभप्रद बनाया ([५६] अल-वाकिया: 73)Tafseer (तफ़सीर )
७४
فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيْمِ ࣖ ٧٤
- fasabbiḥ
- فَسَبِّحْ
- पस तस्बीह कीजिए
- bi-is'mi
- بِٱسْمِ
- नाम की
- rabbika
- رَبِّكَ
- अपने रब की
- l-ʿaẓīmi
- ٱلْعَظِيمِ
- जो निहायत अज़मत वाला है
अतः तुम अपने महान रब के नाम की तसबीह करो ([५६] अल-वाकिया: 74)Tafseer (तफ़सीर )
७५
فَلَآ اُقْسِمُ بِمَوٰقِعِ النُّجُوْمِ ٧٥
- falā
- فَلَآ
- पस नहीं
- uq'simu
- أُقْسِمُ
- मैं क़सम खाता हूँ
- bimawāqiʿi
- بِمَوَٰقِعِ
- गिरने की जगहों की
- l-nujūmi
- ٱلنُّجُومِ
- सितारों के
अतः नहीं! मैं क़समों खाता हूँ सितारों की स्थितियों की - ([५६] अल-वाकिया: 75)Tafseer (तफ़सीर )
७६
وَاِنَّهٗ لَقَسَمٌ لَّوْ تَعْلَمُوْنَ عَظِيْمٌۙ ٧٦
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- laqasamun
- لَقَسَمٌ
- अलबत्ता क़सम है
- law
- لَّوْ
- अगर
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जानते हो
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ी
और यह बहुत बड़ी गवाही है, यदि तुम जानो - ([५६] अल-वाकिया: 76)Tafseer (तफ़सीर )
७७
اِنَّهٗ لَقُرْاٰنٌ كَرِيْمٌۙ ٧٧
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- laqur'ānun
- لَقُرْءَانٌ
- यक़ीनन क़ुरआन है
- karīmun
- كَرِيمٌ
- इज़्ज़त वाला
निश्चय ही यह प्रतिष्ठित क़ुरआन है ([५६] अल-वाकिया: 77)Tafseer (तफ़सीर )
७८
فِيْ كِتٰبٍ مَّكْنُوْنٍۙ ٧٨
- fī
- فِى
- एक किताब में
- kitābin
- كِتَٰبٍ
- एक किताब में
- maknūnin
- مَّكْنُونٍ
- महफ़ूज़
एक सुरक्षित किताब में अंकित है। ([५६] अल-वाकिया: 78)Tafseer (तफ़सीर )
७९
لَّا يَمَسُّهٗٓ اِلَّا الْمُطَهَّرُوْنَۙ ٧٩
- lā
- لَّا
- नहीं छूते उसे
- yamassuhu
- يَمَسُّهُۥٓ
- नहीं छूते उसे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-muṭaharūna
- ٱلْمُطَهَّرُونَ
- जो बहुत पाक हैं
उसे केवल पाक-साफ़ व्यक्ति ही हाथ लगाते है ([५६] अल-वाकिया: 79)Tafseer (तफ़सीर )
८०
تَنْزِيْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِيْنَ ٨٠
- tanzīlun
- تَنزِيلٌ
- नाज़िल करदा है
- min
- مِّن
- रब की तरफ़ से
- rabbi
- رَّبِّ
- रब की तरफ़ से
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहानों के
उसका अवतरण सारे संसार के रब की ओर से है। ([५६] अल-वाकिया: 80)Tafseer (तफ़सीर )