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सूरा अल-वाकिया - Page: 8

Al-Waqi'ah

(घटना, आरोध्य)

७१

اَفَرَءَيْتُمُ النَّارَ الَّتِيْ تُوْرُوْنَۗ ٧١

afara-aytumu
أَفَرَءَيْتُمُ
क्या फिर देखा तुमने
l-nāra
ٱلنَّارَ
आग को
allatī
ٱلَّتِى
वो जो
tūrūna
تُورُونَ
तुम सुलगाते हो
फिर क्या तुमने उस आग को देखा जिसे तुम सुलगाते हो? ([५६] अल-वाकिया: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

ءَاَنْتُمْ اَنْشَأْتُمْ شَجَرَتَهَآ اَمْ نَحْنُ الْمُنْشِـُٔوْنَ ٧٢

a-antum
ءَأَنتُمْ
क्या तुमने
anshatum
أَنشَأْتُمْ
पैदा किया तुमने
shajaratahā
شَجَرَتَهَآ
दरख़्त उसका
am
أَمْ
या
naḥnu
نَحْنُ
हम हैं
l-munshiūna
ٱلْمُنشِـُٔونَ
पैदा करने वाले
क्या तुमने उसके वृक्ष को पैदा किया है या पैदा करनेवाले हम है? ([५६] अल-वाकिया: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

نَحْنُ جَعَلْنٰهَا تَذْكِرَةً وَّمَتَاعًا لِّلْمُقْوِيْنَۚ ٧٣

naḥnu
نَحْنُ
हमने
jaʿalnāhā
جَعَلْنَٰهَا
बनाया हमने उसे
tadhkiratan
تَذْكِرَةً
एक नसीहत
wamatāʿan
وَمَتَٰعًا
और फ़ायदे की चीज़
lil'muq'wīna
لِّلْمُقْوِينَ
मुसाफ़िरों के लिए
हमने उसे एक अनुस्मृति और मरुभुमि के मुसाफ़िरों और ज़रूरतमन्दों के लिए लाभप्रद बनाया ([५६] अल-वाकिया: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيْمِ ࣖ ٧٤

fasabbiḥ
فَسَبِّحْ
पस तस्बीह कीजिए
bi-is'mi
بِٱسْمِ
नाम की
rabbika
رَبِّكَ
अपने रब की
l-ʿaẓīmi
ٱلْعَظِيمِ
जो निहायत अज़मत वाला है
अतः तुम अपने महान रब के नाम की तसबीह करो ([५६] अल-वाकिया: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

فَلَآ اُقْسِمُ بِمَوٰقِعِ النُّجُوْمِ ٧٥

falā
فَلَآ
पस नहीं
uq'simu
أُقْسِمُ
मैं क़सम खाता हूँ
bimawāqiʿi
بِمَوَٰقِعِ
गिरने की जगहों की
l-nujūmi
ٱلنُّجُومِ
सितारों के
अतः नहीं! मैं क़समों खाता हूँ सितारों की स्थितियों की - ([५६] अल-वाकिया: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

وَاِنَّهٗ لَقَسَمٌ لَّوْ تَعْلَمُوْنَ عَظِيْمٌۙ ٧٦

wa-innahu
وَإِنَّهُۥ
और बेशक वो
laqasamun
لَقَسَمٌ
अलबत्ता क़सम है
law
لَّوْ
अगर
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जानते हो
ʿaẓīmun
عَظِيمٌ
बहुत बड़ी
और यह बहुत बड़ी गवाही है, यदि तुम जानो - ([५६] अल-वाकिया: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

اِنَّهٗ لَقُرْاٰنٌ كَرِيْمٌۙ ٧٧

innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
laqur'ānun
لَقُرْءَانٌ
यक़ीनन क़ुरआन है
karīmun
كَرِيمٌ
इज़्ज़त वाला
निश्चय ही यह प्रतिष्ठित क़ुरआन है ([५६] अल-वाकिया: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

فِيْ كِتٰبٍ مَّكْنُوْنٍۙ ٧٨

فِى
एक किताब में
kitābin
كِتَٰبٍ
एक किताब में
maknūnin
مَّكْنُونٍ
महफ़ूज़
एक सुरक्षित किताब में अंकित है। ([५६] अल-वाकिया: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

لَّا يَمَسُّهٗٓ اِلَّا الْمُطَهَّرُوْنَۙ ٧٩

لَّا
नहीं छूते उसे
yamassuhu
يَمَسُّهُۥٓ
नहीं छूते उसे
illā
إِلَّا
मगर
l-muṭaharūna
ٱلْمُطَهَّرُونَ
जो बहुत पाक हैं
उसे केवल पाक-साफ़ व्यक्ति ही हाथ लगाते है ([५६] अल-वाकिया: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

تَنْزِيْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِيْنَ ٨٠

tanzīlun
تَنزِيلٌ
नाज़िल करदा है
min
مِّن
रब की तरफ़ से
rabbi
رَّبِّ
रब की तरफ़ से
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों के
उसका अवतरण सारे संसार के रब की ओर से है। ([५६] अल-वाकिया: 80)
Tafseer (तफ़सीर )