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सूरा अल-वाकिया - Page: 5

Al-Waqi'ah

(घटना, आरोध्य)

४१

وَاَصْحٰبُ الشِّمَالِ ەۙ مَآ اَصْحٰبُ الشِّمَالِۗ ٤١

wa-aṣḥābu
وَأَصْحَٰبُ
और बाऐं हाथ वाले
l-shimāli
ٱلشِّمَالِ
और बाऐं हाथ वाले
مَآ
क्या हैं
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
बाऐं हाथ वाले
l-shimāli
ٱلشِّمَالِ
बाऐं हाथ वाले
रहे दुर्भाग्यशाली लोग, तो कैसे होंगे दुर्भाग्यशाली लोग! ([५६] अल-वाकिया: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

فِيْ سَمُوْمٍ وَّحَمِيْمٍۙ ٤٢

فِى
सख़्त गर्म हवा में
samūmin
سَمُومٍ
सख़्त गर्म हवा में
waḥamīmin
وَحَمِيمٍ
और खौलते पानी में
गर्म हवा और खौलते हुए पानी में होंगे; ([५६] अल-वाकिया: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

وَّظِلٍّ مِّنْ يَّحْمُوْمٍۙ ٤٣

waẓillin
وَظِلٍّ
और साये में
min
مِّن
सख़्त सियाह धुऐं के
yaḥmūmin
يَحْمُومٍ
सख़्त सियाह धुऐं के
और काले धुएँ की छाँव में, ([५६] अल-वाकिया: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

لَّا بَارِدٍ وَّلَا كَرِيْمٍ ٤٤

لَّا
ना
bāridin
بَارِدٍ
ठंडा
walā
وَلَا
और ना
karīmin
كَرِيمٍ
उम्दा
जो न ठंडी होगी और न उत्तम और लाभप्रद ([५६] अल-वाकिया: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

اِنَّهُمْ كَانُوْا قَبْلَ ذٰلِكَ مُتْرَفِيْنَۚ ٤٥

innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
qabla
قَبْلَ
पहले
dhālika
ذَٰلِكَ
इससे
mut'rafīna
مُتْرَفِينَ
ख़ुशहाल
वे इससे पहले सुख-सम्पन्न थे; ([५६] अल-वाकिया: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

وَكَانُوْا يُصِرُّوْنَ عَلَى الْحِنْثِ الْعَظِيْمِۚ ٤٦

wakānū
وَكَانُوا۟
और थे वो
yuṣirrūna
يُصِرُّونَ
वो इसरार करते
ʿalā
عَلَى
गुनाह पर
l-ḥinthi
ٱلْحِنثِ
गुनाह पर
l-ʿaẓīmi
ٱلْعَظِيمِ
बहुत बड़े
और बड़े गुनाह पर अड़े रहते थे ([५६] अल-वाकिया: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

وَكَانُوْا يَقُوْلُوْنَ ەۙ اَىِٕذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَّعِظَامًا ءَاِنَّا لَمَبْعُوْثُوْنَۙ ٤٧

wakānū
وَكَانُوا۟
और थे वो
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहा करते
a-idhā
أَئِذَا
क्या जब
mit'nā
مِتْنَا
मर जाऐंगे हम
wakunnā
وَكُنَّا
और हो जाऐंगे हम
turāban
تُرَابًا
मिट्टी
waʿiẓāman
وَعِظَٰمًا
और हड्डियाँ
a-innā
أَءِنَّا
क्या बेशक बम
lamabʿūthūna
لَمَبْعُوثُونَ
अलबत्ता दोबारा उठाए जाने वाले हैं
कहते थे, 'क्या जब हम मर जाएँगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रहे जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में उठाए जाएँगे? ([५६] अल-वाकिया: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

اَوَاٰبَاۤؤُنَا الْاَوَّلُوْنَ ٤٨

awaābāunā
أَوَءَابَآؤُنَا
क्या भला आबा ओ अजदाद हमारे
l-awalūna
ٱلْأَوَّلُونَ
पहले (भी)
'और क्या हमारे पहले के बाप-दादा भी?' ([५६] अल-वाकिया: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

قُلْ اِنَّ الْاَوَّلِيْنَ وَالْاٰخِرِيْنَۙ ٤٩

qul
قُلْ
कह दीजिए
inna
إِنَّ
बेशक
l-awalīna
ٱلْأَوَّلِينَ
पहले
wal-ākhirīna
وَٱلْءَاخِرِينَ
और पिछले
कह दो, 'निश्चय ही अगले और पिछले भी ([५६] अल-वाकिया: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

لَمَجْمُوْعُوْنَۙ اِلٰى مِيْقَاتِ يَوْمٍ مَّعْلُوْمٍ ٥٠

lamajmūʿūna
لَمَجْمُوعُونَ
अलबत्ता जमा किए जाने वाले हैं
ilā
إِلَىٰ
एक मुक़र्रर वक़्त पर
mīqāti
مِيقَٰتِ
एक मुक़र्रर वक़्त पर
yawmin
يَوْمٍ
मालूम दिन के
maʿlūmin
مَّعْلُومٍ
मालूम दिन के
एक नियत समय पर इकट्ठे कर दिए जाएँगे, जिसका दिन ज्ञात और नियत है ([५६] अल-वाकिया: 50)
Tafseer (तफ़सीर )