Skip to content

सूरा अल-वाकिया - Page: 4

Al-Waqi'ah

(घटना, आरोध्य)

३१

وَّمَاۤءٍ مَّسْكُوْبٍۙ ٣١

wamāin
وَمَآءٍ
और पानी में
maskūbin
مَّسْكُوبٍ
बहते हुए
बहता हुआ पानी; ([५६] अल-वाकिया: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

وَّفَاكِهَةٍ كَثِيْرَةٍۙ ٣٢

wafākihatin
وَفَٰكِهَةٍ
और फलों में
kathīratin
كَثِيرَةٍ
बकसरत
बहुत-सा स्वादिष्ट; फल, ([५६] अल-वाकिया: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

لَّا مَقْطُوْعَةٍ وَّلَا مَمْنُوْعَةٍۙ ٣٣

لَّا
ना
maqṭūʿatin
مَقْطُوعَةٍ
ख़त्म होने वाले
walā
وَلَا
और ना
mamnūʿatin
مَمْنُوعَةٍ
रोके जाने वाले
जिसका सिलसिला टूटनेवाला न होगा और न उसपर कोई रोक-टोक होगी ([५६] अल-वाकिया: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

وَّفُرُشٍ مَّرْفُوْعَةٍۗ ٣٤

wafurushin
وَفُرُشٍ
और नशिस्तगाहों में
marfūʿatin
مَّرْفُوعَةٍ
ऊँची
उच्चकोटि के बिछौने होंगे; ([५६] अल-वाकिया: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

اِنَّآ اَنْشَأْنٰهُنَّ اِنْشَاۤءًۙ ٣٥

innā
إِنَّآ
बेशक हम
anshanāhunna
أَنشَأْنَٰهُنَّ
पैदा किया हमने उन्हें
inshāan
إِنشَآءً
नए सिरे से पैदा करना
(और वहाँ उनकी पत्नियों को) निश्चय ही हमने एक विशेष उठान पर उठान पर उठाया ([५६] अल-वाकिया: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

فَجَعَلْنٰهُنَّ اَبْكَارًاۙ ٣٦

fajaʿalnāhunna
فَجَعَلْنَٰهُنَّ
तो बनाया हमने उन्हें
abkāran
أَبْكَارًا
कुँवारियाँ
और हमने उन्हे कुँवारियाँ बनाया; ([५६] अल-वाकिया: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

عُرُبًا اَتْرَابًاۙ ٣٧

ʿuruban
عُرُبًا
ख़ाविन्दों की प्यारियाँ
atrāban
أَتْرَابًا
हम उमर
प्रेम दर्शानेवाली और समायु; ([५६] अल-वाकिया: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

لِّاَصْحٰبِ الْيَمِيْنِۗ ࣖ ٣٨

li-aṣḥābi
لِّأَصْحَٰبِ
दाऐं हाथ वालों के लिए
l-yamīni
ٱلْيَمِينِ
दाऐं हाथ वालों के लिए
सौभाग्यशाली लोगों के लिए; ([५६] अल-वाकिया: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

ثُلَّةٌ مِّنَ الْاَوَّلِيْنَۙ ٣٩

thullatun
ثُلَّةٌ
एक बड़ा गिरोह होगा
mina
مِّنَ
पहलों में से
l-awalīna
ٱلْأَوَّلِينَ
पहलों में से
वे अगलों में से भी अधिक होगे ([५६] अल-वाकिया: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

وَثُلَّةٌ مِّنَ الْاٰخِرِيْنَۗ ٤٠

wathullatun
وَثُلَّةٌ
और एक बड़ा गिरोह होगा
mina
مِّنَ
पिछलों में से
l-ākhirīna
ٱلْءَاخِرِينَ
पिछलों में से
और पिछलों में से भी अधिक होंगे ([५६] अल-वाकिया: 40)
Tafseer (तफ़सीर )